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समाजशास्त्रीय ज्ञान की कसौटी: दैनिक अभ्यास प्रश्न!

समाजशास्त्रीय ज्ञान की कसौटी: दैनिक अभ्यास प्रश्न!

सिविल सेवाओं और अन्य प्रतिष्ठित परीक्षाओं की तैयारी कर रहे समाजशास्त्र के जिज्ञासुओं, एक नए दिन का स्वागत है! आज हम आपकी अवधारणात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने के लिए 25 अनूठे और चुनौतीपूर्ण प्रश्नों का एक सेट लेकर आए हैं। अपनी समाजशास्त्रीय यात्रा में एक कदम आगे बढ़ें और देखें कि आप आज कहाँ खड़े हैं!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘समझ’ (Verstehen) की अवधारणा, जिसे समाजशास्त्रीय अनुसंधान में व्यक्तिपरक अर्थों को समझने पर जोर देना चाहिए, किसने प्रतिपादित की?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. एमिल दुर्खीम
  3. मैक्स वेबर
  4. जॉर्ज हर्बर्ट मीड

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: मैक्स वेबर ने ‘Verstehen’ (समझ) की अवधारणा प्रस्तुत की। इसका अर्थ है कि समाजशास्त्रियों को सामाजिक क्रियाओं में संलग्न व्यक्तियों द्वारा उनके कार्यों से जोड़े गए व्यक्तिपरक अर्थों को गहराई से समझना चाहिए।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (interpretive sociology) का मूल है और उनकी कृति ‘Economy and Society’ में विस्तृत है। यह दुर्खीम के प्रत्यक्षवादी दृष्टिकोण के विपरीत है।
  • गलत विकल्प: ‘सामाजिक वर्ग’ कार्ल मार्क्स की मुख्य अवधारणा है, और ‘सामूहिक चेतना’ एमिल दुर्खीम से संबंधित है। जॉर्ज हर्बर्ट मीड ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ के जनक हैं।

प्रश्न 2: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा गढ़ी गई ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा, भारतीय समाज में किस प्रकार की गतिशीलता को दर्शाती है?

  1. संरचनात्मक गतिशीलता
  2. सांस्कृतिक गतिशीलता
  3. राजनीतिक गतिशीलता
  4. आर्थिक गतिशीलता

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: संस्कृतिकरण, एम.एन. श्रीनिवास द्वारा दी गई एक अवधारणा है, जो निम्न जाति या जनजाति द्वारा उच्च जाति के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और मान्यताओं को अपनाने की प्रक्रिया को संदर्भित करती है ताकि जाति पदानुक्रम में उच्च दर्जा प्राप्त किया जा सके। यह एक प्रकार की सांस्कृतिक गतिशीलता है।
  • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने इस अवधारणा को अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत किया था। यह संरचनात्मक परिवर्तन के बजाय सांस्कृतिक परिवर्तन पर अधिक केंद्रित है।
  • गलत विकल्प: संरचनात्मक गतिशीलता एक बड़े पैमाने पर समाज के ढांचे में बदलाव को संदर्भित करती है, जो संस्कृतिकरण से व्यापक है। राजनीतिक और आर्थिक गतिशीलता भी सामाजिक परिवर्तन के अन्य पहलू हैं, लेकिन संस्कृतिकरण विशेष रूप से सांस्कृतिक अपनाने से संबंधित है।

प्रश्न 3: ‘अलंकारिकता’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक नियमों के अभाव या कमजोर पड़ने की स्थिति को दर्शाती है, किस समाजशास्त्री से मुख्य रूप से जुड़ी है?

  1. इमाइल दुर्खीम
  2. ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन
  3. रेमंड फर्थ
  4. ई. ई. इवांस-प्रिचार्ड

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: इमाइल दुर्खीम ने ‘अलंकारिकता’ (Anomie) की अवधारणा को विकसित किया। यह एक ऐसी सामाजिक स्थिति है जिसमें स्वीकृत सामाजिक मानदंडों और मूल्यों का अभाव होता है, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और अलगाव की भावना उत्पन्न होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी प्रसिद्ध कृति ‘Suicide’ में विभिन्न प्रकार के आत्महत्याओं का विश्लेषण करते हुए अलंकारिक आत्महत्या का वर्णन किया। यह सामाजिक विघटन की एक स्थिति है।
  • गलत विकल्प: रेडक्लिफ-ब्राउन, फर्थ और इवांस-प्रिचार्ड संरचनात्मक-प्रकार्यवाद (Structural-Functionalism) से जुड़े हैं, लेकिन अलंकारिकता दुर्खीम की केंद्रीय अवधारणा है, जो समाज में सामाजिक एकता (solidarity) के विघटन से उत्पन्न होती है।

प्रश्न 4: समाज को ‘एक मशीन’ के रूप में देखने और समाज के विभिन्न हिस्सों के परस्पर निर्भरता का विश्लेषण करने वाले दृष्टिकोण को क्या कहा जाता है?

  1. संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
  2. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
  3. संरचनात्मक-प्रकार्यवाद (Structural-Functionalism)
  4. सामाजिक विनिमय सिद्धांत (Social Exchange Theory)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही विकल्प: संरचनात्मक-प्रकार्यवाद समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखता है, जिसके विभिन्न भाग (संरचनाएं) होते हैं, और प्रत्येक भाग एक विशेष कार्य (function) करता है जो पूरे समाज के स्थायित्व और संतुलन को बनाए रखने में योगदान देता है। इसे अक्सर ‘जैविक सादृश्य’ (biological analogy) के रूप में समझाया जाता है, जैसे एक जीवित जीव के अंग।
  • संदर्भ और विस्तार: हर्बर्ट स्पेंसर, एमिल दुर्खीम, और टैल्कॉट पार्सन्स जैसे समाजशास्त्री इस दृष्टिकोण के प्रमुख समर्थक रहे हैं।
  • गलत विकल्प: संघर्ष सिद्धांत समाज को शक्ति और असमानता के संघर्ष के रूप में देखता है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्ति-स्तरीय अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है। सामाजिक विनिमय सिद्धांत सामाजिक संबंधों को लागत-लाभ विश्लेषण के रूप में देखता है।

  • प्रश्न 5: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी समाज में श्रमिक वर्ग (Proletariat) की वह स्थिति जिसमें वह अपने श्रम, उत्पाद और स्वयं से अलग-थलग महसूस करता है, क्या कहलाती है?

    1. अलंकारिकता (Anomie)
    2. अलगाव (Alienation)
    3. विस्थापन (Displacement)
    4. असंस्कृति (Acculturation)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा का प्रयोग यह बताने के लिए किया कि पूंजीवादी उत्पादन व्यवस्था में श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद, अपने श्रम की क्रिया, अपनी मानवीय प्रकृति (species-being) और अन्य मनुष्यों से कैसे कट जाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मार्क्स के प्रारंभिक लेखन, विशेष रूप से ‘Economic and Philosophic Manuscripts of 1844’ में प्रमुखता से मिलती है। अलगाव श्रम के अमानवीकरण का परिणाम है।
    • गलत विकल्प: अलंकारिकता दुर्खीम की अवधारणा है। विस्थापन एक मनोवैज्ञानिक या सामाजिक प्रक्रिया है। असंस्कृति एक संस्कृति का दूसरी संस्कृति द्वारा प्रभावित होना है।

    प्रश्न 6: समाजशास्त्र में ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का दृष्टिकोण मुख्य रूप से किस स्तर पर सामाजिक जीवन का विश्लेषण करता है?

    1. समष्टि स्तर (Macro-level)
    2. सूक्ष्म स्तर (Micro-level)
    3. मध्यम स्तर (Meso-level)
    4. सभी स्तर

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद समाजशास्त्र का एक सूक्ष्म-स्तरीय (micro-level) दृष्टिकोण है। यह व्यक्तियों के बीच होने वाली आमने-सामने की अंतःक्रियाओं, प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से अर्थ-निर्माण और आत्म-धारणा के विकास पर केंद्रित है।
    • संदर्भ और विस्तार: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हरबर्ट ब्लूमर और इरविंग गॉफमैन इस दृष्टिकोण के प्रमुख व्यक्ति हैं। ब्लूमर ने ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ शब्द को गढ़ा।
    • गलत विकल्प: समष्टि-स्तरीय सिद्धांत (जैसे संरचनात्मक-प्रकार्यवाद और संघर्ष सिद्धांत) बड़े सामाजिक संरचनाओं, संस्थानों और संपूर्ण समाज का विश्लेषण करते हैं।

    प्रश्न 7: भारतीय समाज में जाति व्यवस्था की उत्पत्ति के संबंध में ‘प्रजातीय सिद्धांत’ (Racial Theory) के प्रमुख प्रतिपादक कौन थे?

    1. इरावती कर्वे
    2. जी.एस. घुरिये
    3. रिचर्ड ई. लैपियर
    4. एम.एन. श्रीनिवास

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: जी.एस. घुरिये भारतीय जाति व्यवस्था की उत्पत्ति के संबंध में प्रजातीय सिद्धांत (racial theory) के प्रमुख समर्थकों में से एक माने जाते हैं। उन्होंने आर्यों के आगमन और स्थानीय आबादी के साथ उनके मिश्रण को जाति की उत्पत्ति से जोड़ा।
    • संदर्भ और विस्तार: उनकी पुस्तक ‘Caste and Race in India’ (1932) में उन्होंने जाति को एक ‘विशिष्ट प्रजातीय प्रणाली’ के रूप में वर्णित किया। हालांकि, यह सिद्धांत अब व्यापक रूप से आलोचना का विषय है।
    • गलत विकल्प: इरावती कर्वे ने जाति को ‘अभिजात वर्ग’ (endogamous group) के रूप में देखा। एम.एन. श्रीनिवास ने संस्कृतिकरण और पश्चिमीकरण की अवधारणाएं दीं। लैपियर सामाजिक मनोविज्ञान से जुड़े थे।

    प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सी समाजशास्त्रीय अवधारणा ‘पदानुक्रमित अलगाव’ (Hierarchical Alienation) से संबंधित है, जहाँ एक व्यक्ति अपनी भूमिका को अपरिहार्य और अपने नियंत्रण से बाहर पाता है?

    1. अलगाव (Alienation)
    2. पदानुक्रमित अधीनता (Hierarchical Subordination)
    3. नौकरशाही (Bureaucracy)
    4. भूमिका संघर्ष (Role Conflict)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: मैक्स वेबर की ‘नौकरशाही’ (Bureaucracy) की अवधारणा में, कार्यप्रणाली की तर्कसंगतता और कठोर पदानुक्रम के कारण व्यक्ति अक्सर अपने काम और उसके परिणामों से ‘अलगाव’ (alienation) महसूस कर सकते हैं। वे नियमों और आदेशों का पालन करने वाले मोहरे बन जाते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने नौकरशाही को ‘अतिरिक्त-तर्कसंगत’ (rational-legal) सत्ता का सबसे शुद्ध रूप माना, जो क्षमता (efficiency) के लिए आवश्यक है, लेकिन यह श्रमिकों में अलगाव पैदा कर सकती है।
    • गलत विकल्प: अलगाव एक व्यापक अवधारणा है। पदानुक्रमित अधीनता नौकरशाही का एक हिस्सा है, लेकिन स्वयं अलगाव का कारण नहीं। भूमिका संघर्ष तब होता है जब व्यक्ति की विभिन्न भूमिकाएँ परस्पर विरोधी होती हैं।

    प्रश्न 9: ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) की अवधारणा, भारतीय समाज में पश्चिमी जीवन शैली, मूल्यों और संस्थाओं को अपनाने की प्रक्रिया को समझाने के लिए, किसने प्रस्तुत की?

    1. ए.आर. देसाई
    2. जी.एस. घुरिये
    3. एम.एन. श्रीनिवास
    4. ई. वी. चेतना

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘पश्चिमीकरण’ की अवधारणा का प्रयोग ब्रिटिश शासन के दौरान और उसके बाद भारतीय समाज में आए उन परिवर्तनों को समझाने के लिए किया, जहाँ लोगों ने पश्चिमी संस्कृति, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और जीवन शैली को अपनाया।
    • संदर्भ और विस्तार: यह संस्कृतिकरण के विपरीत एक प्रक्रिया है, जो भारतीयकरण से संबंधित है। पश्चिमीकरण अक्सर सामाजिक स्तरीकरण में उच्च स्तर के साथ जुड़ा हुआ है।
    • गलत विकल्प: ए.आर. देसाई ने भारतीय समाज में औपनिवेशिकता और उसके प्रभावों पर कार्य किया। जी.एस. घुरिये ने जाति और जनजाति पर लिखा।

    प्रश्न 10: टैल्कॉट पार्सन्स के ‘क्रिया सिद्धांत’ (Action Theory) में, सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए किन चार अनिवार्य प्रकार्यात्मक आवश्यकताओं (Functional Imperatives) का उल्लेख किया गया है?

    1. लक्ष्य प्राप्ति, एकीकरण, व्यवस्था-रखरखाव, अनुकूलन
    2. अनुकूलन, लक्ष्य प्राप्ति, एकीकरण, आधुनिकीकरण
    3. व्यवस्था-रखरखाव, सामाजिकरण, संचार, नियंत्रण
    4. संघर्ष, सहयोग, अनुकूलन, अनुपालन

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: टैल्कॉट पार्सन्स ने अपने AGIL (Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency/Pattern Maintenance) प्रतिमान में, किसी भी सामाजिक व्यवस्था के जीवित रहने और कार्य करने के लिए चार अनिवार्य प्रकार्यात्मक आवश्यकताओं का उल्लेख किया: अनुकूलन (Adaptation), लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment), एकीकरण (Integration), और व्यवस्था-रखरखाव/प्रारूप-रखरखाव (Latency/Pattern Maintenance)।
    • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत दर्शाता है कि समाज को अपने वातावरण के अनुकूल होना चाहिए, अपने उद्देश्यों को प्राप्त करना चाहिए, अपने विभिन्न भागों को एकीकृत करना चाहिए, और अपने आंतरिक पैटर्न (जैसे मूल्य और मानदंड) को बनाए रखना चाहिए।
    • गलत विकल्प: अन्य विकल्प इन चार आवश्यक तत्वों को पूरी तरह से या सही ढंग से शामिल नहीं करते हैं।

    प्रश्न 11: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के संबंध में, ‘पदानुक्रमित असमानता’ (Hierarchical Inequality) का विचार किस सिद्धांत से सबसे अधिक जुड़ा है?

    1. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
    2. प्रजातीय सिद्धांत
    3. संरचनात्मक-प्रकार्यवाद
    4. संघर्ष सिद्धांत

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory), विशेष रूप से कार्ल मार्क्स के विचारों से प्रभावित, सामाजिक स्तरीकरण को मुख्य रूप से समाज के विभिन्न समूहों के बीच शक्ति, संसाधनों और अवसरों के लिए संघर्ष के परिणाम के रूप में देखता है। यह पदानुक्रमित असमानता को समाज की एक अंतर्निहित विशेषता मानता है।
    • संदर्भ और विस्तार: संघर्ष सिद्धांतकार मानते हैं कि जो समूह सत्ता में हैं, वे अपनी स्थिति को बनाए रखने के लिए स्तरीकरण की व्यवस्था का उपयोग करते हैं, जिससे दूसरों का शोषण होता है।
    • गलत विकल्प: प्रकार्यवाद सामाजिक स्तरीकरण को कार्यात्मक रूप से आवश्यक मानता है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्तिगत स्तर पर असमानताओं को कैसे अनुभव किया जाता है, इस पर केंद्रित है। प्रजातीय सिद्धांत स्वयं एक सिद्धांत है, न कि सामान्य सिद्धांत जो पदानुक्रमित असमानता को देखता है।

    प्रश्न 12: पश्चिमी समाजशास्त्र में, ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा, जो सामाजिक नेटवर्क, विश्वास और पारस्परिक संबंधों से उत्पन्न होने वाले लाभों को संदर्भित करती है, को किसने लोकप्रिय बनाया?

    1. पियरे बॉर्डियू
    2. जेम्स एस. कोलमन
    3. रॉबर्ट डी. पुटनम
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: सामाजिक पूंजी की अवधारणा का विकास विभिन्न समाजशास्त्रियों ने किया है। पियरे बॉर्डियू ने इसे सामाजिक संबंधों से प्राप्त संसाधनों के रूप में देखा, जेम्स एस. कोलमन ने इसे सामाजिक संरचनाओं की एक संपत्ति के रूप में जो व्यक्तियों को कार्य करने में सक्षम बनाती है, और रॉबर्ट डी. पुटनम ने इसे नागरिक जुड़ाव और सामुदायिक जीवन से जोड़ा। तीनों ने इसे लोकप्रिय बनाने में योगदान दिया।
    • संदर्भ और विस्तार: बॉर्डियू का विश्लेषण क्षमता और स्थिति से जुड़ा था, कोलमन का संबंध उत्पादन और मानव पूंजी से था, और पुटनम ने इसे लोकतंत्र के लिए आवश्यक माना।
    • गलत विकल्प: इन तीनों में से किसी एक को चुनना गलत होगा क्योंकि सभी ने इस अवधारणा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

    प्रश्न 13: भारत में, ‘जनजातीय समाजों’ (Tribal Societies) के अध्ययन में ‘अलग-थलग’ (Isolation) और ‘पिछड़ापन’ (Backwardness) जैसे दृष्टिकोणों की आलोचना करते हुए, किसने ‘आदिवासियों का राष्ट्रीयकरण’ (Nationalization of Tribes) के बजाय ‘सामिलीकरण’ (Integration) की वकालत की?

    1. वरियर एलविन
    2. एन.के. बोस
    3. सूरजीत सिन्हा
    4. आ.के. शरण

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: एन.के. बोस ने पारंपरिक ‘अलगाव’ और ‘पिछड़ापन’ के दृष्टिकोण की आलोचना की और सुझाव दिया कि आदिवासियों को राष्ट्रीय मुख्यधारा से जबरन अलग करने या उन्हें ‘राष्ट्र’ में बदलने के बजाय, उन्हें भारतीय समाज में ‘सामिल’ (integrate) किया जाना चाहिए, जिसमें उनकी सांस्कृतिक विशिष्टता का सम्मान हो।
    • संदर्भ और विस्तार: बोस ने ‘भारत का निर्माण’ (The Making of India) जैसे कार्यों में इस विचार को प्रस्तुत किया, जो सांस्कृतिक अनुकूलन और सामाजिक समावेशन पर केंद्रित था।
    • गलत विकल्प: वरियर एलविन ने ‘वन-पुत्र’ (son of the soil) सिद्धांत का समर्थन किया, जो अलगाव पर जोर देता था। सुरजीत सिन्हा और आ.के. शरण ने भी जनजातीय अध्ययन में योगदान दिया, लेकिन बोस का ‘सामिलीकरण’ का विचार इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है।

    प्रश्न 14: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में ‘पद्धति’ (Methodology) और ‘विधि’ (Method) के बीच मुख्य अंतर क्या है?

    1. पद्धति अनुसंधान की समग्र योजना है, जबकि विधि विशिष्ट तकनीकें हैं।
    2. विधि सैद्धांतिक ढांचा है, जबकि पद्धति डेटा संग्रह उपकरण है।
    3. पद्धति केवल गुणात्मक अनुसंधान है, जबकि विधि केवल मात्रात्मक है।
    4. इनमें कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं है।

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में, ‘पद्धति’ (Methodology) व्यापक सैद्धांतिक दृष्टिकोण और अनुसंधान की समग्र तार्किक रूपरेखा को संदर्भित करती है, जिसमें यह तय किया जाता है कि क्या अध्ययन करना है और कैसे करना है। ‘विधि’ (Method) उस पद्धति को लागू करने के लिए उपयोग की जाने वाली विशिष्ट तकनीकें हैं, जैसे सर्वेक्षण, साक्षात्कार, अवलोकन आदि।
    • संदर्भ और विस्तार: पद्धति यह बताती है कि हम ज्ञान कैसे प्राप्त करते हैं, जबकि विधि उस ज्ञान को प्राप्त करने के लिए उपकरण प्रदान करती है।
    • गलत विकल्प: विधि सैद्धांतिक नहीं होती, बल्कि व्यावहारिक उपकरण है। पद्धति गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों हो सकती है, और विधि भी।

    प्रश्न 15: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा, जो समाज में सांस्कृतिक तत्वों की भिन्न-भिन्न गति से होने वाले परिवर्तन को दर्शाती है, किसने प्रस्तुत की?

    1. अल्बर्ट आइंस्टीन
    2. विलियम एफ. ओगबर्न
    3. अर्नाल्ड टोयनबी
    4. एमिल दुर्खीम

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: विलियम एफ. ओगबर्न ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा का विकास किया। उनका तर्क था कि भौतिक संस्कृति (भौतिक वस्तुएं, प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (मान्यताएं, मूल्य, सामाजिक संस्थाएं) की तुलना में तेज़ी से बदलती है, जिससे समाज में अव्यवस्था और अनुकूलन संबंधी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, हवाई जहाज के आविष्कार ने यात्रा को तेज कर दिया (भौतिक संस्कृति), लेकिन हवाई यात्रा के लिए नए नियम, सामाजिक रीति-रिवाज और अंतर्राष्ट्रीय कानून (अभौतिक संस्कृति) को विकसित होने में समय लगा।
    • गलत विकल्प: आइंस्टीन भौतिक विज्ञानी थे। टोयनबी इतिहासकार थे। दुर्खीम सामाजिक एकता पर केंद्रित थे।

    प्रश्न 16: भारतीय ग्रामीण समाजशास्त्र में, ‘जाति-ग्राम’ (Caste-Village) के मॉडल का उपयोग किसने किया, जिसमें जाति को ग्राम की सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक संरचना के केंद्र में रखा गया?

    1. एन. के. दत्त
    2. आ. पी. थोरैड (A.P. Thorat)
    3. एम. एन. श्रीनिवास
    4. एस. सी. दुबे

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: एम. एन. श्रीनिवास ने अपने अध्ययन ‘The Remembered Village’ में ‘जाति-ग्राम’ (Caste-Village) के मॉडल का विस्तृत विश्लेषण किया। उन्होंने दिखाया कि कैसे जाति एक भारतीय गांव की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और धार्मिक व्यवस्था को व्यवस्थित करती है।
    • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास के अनुसार, गांव में विभिन्न जातियों के सदस्यों के बीच संबंध ‘जजमानी प्रणाली’ (Jajmani System) के माध्यम से तय होते थे, जहाँ एक जाति दूसरी जाति को सेवाएँ प्रदान करती थी और बदले में भुगतान प्राप्त करती थी।
    • गलत विकल्प: एन. के. दत्त और थोरैड ने भी जाति पर काम किया है, लेकिन श्रीनिवास का ‘जाति-ग्राम’ मॉडल विशेष रूप से प्रसिद्ध है। एस. सी. दुबे ने भारतीय गांव पर महत्वपूर्ण काम किया है, लेकिन श्रीनिवास का दृष्टिकोण जाति-ग्राम के मॉडल पर अधिक केंद्रित था।

    प्रश्न 17: ‘पैटर्न रखरखाव’ (Pattern Maintenance) का संबंध समाज की किस प्रकार्यात्मक आवश्यकता से है, जैसा कि टैल्कॉट पार्सन्स ने बताया है?

    1. बाहरी वातावरण के साथ अंतःक्रिया
    2. सामाजिक लक्ष्यों को प्राप्त करना
    3. समाज के आंतरिक मूल्यों और मानदंडों को बनाए रखना
    4. सभी सामाजिक प्रणालियों का एकीकरण

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: पार्सन्स के AGIL प्रतिमान में, ‘पैटर्न रखरखाव’ (Pattern Maintenance), जिसे ‘विलंब’ (Latency) भी कहा जाता है, का अर्थ है समाज द्वारा अपने मूल मूल्यों, विश्वासों, आदर्शों और व्यवहार के पैटर्न को बनाए रखना और अगली पीढ़ी को हस्तांतरित करना। यह सामाजिककरण (socialization) और शिक्षा जैसी प्रक्रियाओं के माध्यम से होता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह समाज की निरंतरता और स्थायित्व के लिए महत्वपूर्ण है।
    • गलत विकल्प: विकल्प (a) अनुकूलन (Adaptation) से संबंधित है, (b) लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment) से, और (d) एकीकरण (Integration) से।

    प्रश्न 18: भारतीय समाज में ‘धर्मनिरपेक्षीकरण’ (Secularization) की प्रक्रिया का विश्लेषण करते हुए, किसने तर्क दिया कि धर्म का सार्वजनिक क्षेत्र से निजी क्षेत्र में हस्तांतरण हो रहा है?

    1. टी. एन. मदान
    2. एम. एन. श्रीनिवास
    3. योगेन्द्र सिंह
    4. ऐ. एम. ज़ाकिर हुसैन

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: योगेन्द्र सिंह ने भारतीय समाज में पश्चिमीकरण और आधुनिकीकरण के प्रभाव का विश्लेषण करते हुए धर्मनिरपेक्षीकरण की प्रक्रिया को समझाया। उन्होंने तर्क दिया कि धर्म का सार्वजनिक और राजनीतिक क्षेत्र में महत्व कम हो रहा है और यह अधिक व्यक्तिगत और निजी अनुभव बन रहा है।
    • संदर्भ और विस्तार: उनके कार्य ‘Modernisation of Indian Tradition’ में इस पर विस्तार से चर्चा की गई है।
    • गलत विकल्प: टी. एन. मदान ने भारतीय धर्मनिरपेक्षीकरण को विभिन्न दृष्टिकोणों से देखा, लेकिन सिंह का विश्लेषण अधिक संरचनात्मक था। एम. एन. श्रीनिवास ने पश्चिमीकरण पर ध्यान केंद्रित किया।

    प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) से संबंधित नहीं है?

    1. औपचारिक नियंत्रण
    2. अनौपचारिक नियंत्रण
    3. आत्म-नियंत्रण
    4. सामाजिक विघटन

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: सामाजिक विघटन (Social Disorganization) सामाजिक नियंत्रण के विपरीत या उसके अभाव की स्थिति है। यह वह स्थिति है जब समाज के नियम और संरचनाएं कमजोर पड़ जाती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: औपचारिक नियंत्रण (कानून, पुलिस), अनौपचारिक नियंत्रण (परिवार, समुदाय के नियम, लोकरीति) और आत्म-नियंत्रण (व्यक्तिगत विवेक, नैतिकता) सभी सामाजिक नियंत्रण के विभिन्न रूप हैं जो समाज में व्यवस्था बनाए रखने में मदद करते हैं।
    • गलत विकल्प: तीनों अन्य विकल्प सामाजिक नियंत्रण के तंत्र को दर्शाते हैं।

    प्रश्न 20: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में ‘इथनोमेथोडोलॉजी’ (Ethnomethodology) का दृष्टिकोण मुख्य रूप से किस पर केंद्रित है?

    1. बड़े पैमाने पर सामाजिक संरचनाओं का विश्लेषण
    2. लोगों द्वारा अपने दैनिक जीवन में सामाजिक वास्तविकता का निर्माण
    3. पूंजीवाद और वर्ग संघर्ष
    4. पारंपरिक समाजशास्त्रीय सिद्धांतों की आलोचना

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: इथनोमेथोडोलॉजी, हैरॉल्ड गार्फिन्केल द्वारा विकसित, लोगों द्वारा अपने दैनिक जीवन में साझा किए गए सामान्य ज्ञान (common sense) और तरीकों का उपयोग करके सामाजिक वास्तविकता को कैसे निर्मित और बनाए रखा जाता है, इसका अध्ययन करती है। यह सामान्य ज्ञान के ‘एथनो’ (जाति/समुदाय) से संबंधित तरीकों पर केंद्रित है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह विश्लेषण करता है कि लोग सामाजिक क्रम कैसे बनाए रखते हैं और कैसे वे अपने व्यवहार और वातावरण को अर्थ देते हैं।
    • गलत विकल्प: यह बड़े पैमाने की संरचनाओं (a), वर्ग संघर्ष (c) या केवल सामान्य सिद्धांत की आलोचना (d) पर केंद्रित नहीं है, बल्कि अंतःक्रियाओं के सूक्ष्म स्तर पर सामाजिक व्यवस्था के निर्माण पर केंद्रित है।

    प्रश्न 21: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) को सबसे सटीक रूप से परिभाषित करता है?

    1. समाज में विभिन्न समूहों के बीच संबंध।
    2. व्यक्तियों या समूहों का एक सामाजिक स्तर से दूसरे सामाजिक स्तर पर जाना।
    3. समाज में स्थापित संरचनाएं और संस्थाएं।
    4. सामाजिक नियमों और मानदंडों का समूह।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति या समूह अपनी सामाजिक स्थिति (जैसे वर्ग, स्थिति, पेशा) में परिवर्तन का अनुभव करते हैं, या तो ऊपर की ओर (उन्नति) या नीचे की ओर (अवनति)।
    • संदर्भ और विस्तार: यह ऊर्ध्वाधर (vertical), क्षैतिज (horizontal), अंतः-पीढ़ी (intergenerational) या अंतरा-पीढ़ी (intragenerational) हो सकती है।
    • गलत विकल्प: (a), (c), और (d) सामाजिक संरचना, संस्थाएं, और मानदंड हैं, न कि गतिशीलता।

    प्रश्न 22: अर्बन सोशियोलॉजी (Urban Sociology) में, ‘शहरीकरण’ (Urbanization) की प्रक्रिया को अक्सर ‘सामुदायिक भावना’ (Community Feeling) के क्षरण से जोड़ा जाता है। इस विचार के प्रमुख समर्थक कौन थे?

    1. अर्बन सोशियोलॉजी के जनक, गॉटफ्राइड हार्डी (Gottfried Hardy)
    2. गॉटफ्राइड हार्डी (Gottfried Hardy)
    3. रॉबर्ट पार्क और अर्नेस्ट बर्गेस
    4. लुई विर्थ

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: लुई विर्थ, एक शिकागो स्कूल के समाजशास्त्री, ने अपने प्रभावशाली निबंध ‘Urbanism as a Way of Life’ में तर्क दिया कि बड़े आकार, उच्च घनत्व और विषमता (heterogeneity) जैसे शहरी चरित्र-चित्रण के कारण, शहरी जीवन अधिक व्यक्तिगत, अनौपचारिक संबंधों की बजाय औपचारिक और अनाम (anonymous) होता है, जिससे सामुदायिक भावना का क्षरण होता है।
    • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने शहरी जीवन को ‘विभेदित, विघटित और अलगावपूर्ण’ (segmented, disintegrated, and alienating) बताया।
    • गलत विकल्प: पार्क और बर्गेस ने शहरी विस्तार और पारिस्थितिकी पर काम किया, लेकिन विर्थ का सामुदायिक भावना पर विश्लेषण अधिक केंद्रीय था। हार्डी समाजशास्त्री नहीं थे।

    प्रश्न 23: सामाजिक समस्या (Social Problem) के समाजशास्त्रीय विश्लेषण के अनुसार, एक स्थिति को सामाजिक समस्या कब माना जाता है?

    1. जब वह किसी व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से प्रभावित करती है।
    2. जब वह समाज के एक महत्वपूर्ण हिस्से के लिए हानिकारक मानी जाती है और सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता होती है।
    3. जब वह केवल मीडिया द्वारा प्रचारित की जाती है।
    4. जब उसका कोई आसान समाधान उपलब्ध हो।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: समाजशास्त्र में, एक सामाजिक समस्या वह स्थिति है जिसे समाज का एक महत्वपूर्ण वर्ग हानिकारक मानता है और जिसके समाधान के लिए सामूहिक कार्रवाई (जैसे सरकारी नीतियां, सामाजिक सुधार) की आवश्यकता होती है। यह व्यक्तिगत समस्या से कहीं अधिक व्यापक होती है।
    • संदर्भ और विस्तार: इसमें समस्या की सार्वजनिक स्वीकार्यता, समाज पर उसका प्रभाव और उसे संबोधित करने की आवश्यकता शामिल है।
    • गलत विकल्प: व्यक्तिगत प्रभाव (a) सामाजिक समस्या का एक लक्षण हो सकता है, लेकिन परिभाषा नहीं। मीडिया प्रचार (c) महत्वपूर्ण हो सकता है, लेकिन समस्या की प्रकृति ही उसे सामाजिक बनाती है। आसान समाधान (d) समस्या के अस्तित्व से स्वतंत्र है।

    प्रश्न 24: ‘वर्ग संघर्ष’ (Class Struggle) का सिद्धांत, जो इतिहास की व्याख्या के लिए केंद्रीय है, किसने प्रस्तुत किया?

    1. एमिल दुर्खीम
    2. मैक्स वेबर
    3. कार्ल मार्क्स
    4. ऑगस्टे कॉम्टे

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: कार्ल मार्क्स ने अपने ऐतिहासिक भौतिकवाद (Historical Materialism) के सिद्धांत में, इतिहास को उत्पादन के साधनों पर नियंत्रण को लेकर विभिन्न वर्गों के बीच निरंतर संघर्ष के रूप में व्याख्यायित किया। उन्होंने पूंजीवादी समाज को बुर्जुआ (पूंजीपति वर्ग) और सर्वहारा (श्रमिक वर्ग) के बीच संघर्ष से परिभाषित किया।
    • संदर्भ और विस्तार: उनका प्रसिद्ध कथन है, “अब तक के सभी समाज का इतिहास वर्ग संघर्ष का इतिहास है।”
    • गलत विकल्प: दुर्खीम सामाजिक एकता, वेबर नौकरशाही और प्रभुत्व, और कॉम्टे प्रत्यक्षवाद पर केंद्रित थे।

    प्रश्न 25: सामाजिक अनुसंधान में ‘फोटोग्राफिक विश्लेषण’ (Photographic Analysis) या ‘दृश्य समाजशास्त्र’ (Visual Sociology) का उपयोग करने का क्या महत्व है?

    1. यह केवल कलात्मक अभिव्यक्ति के लिए है।
    2. यह सामाजिक वास्तविकताओं को समझने और दर्शाने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण है, जो अक्सर शब्दों द्वारा व्यक्त नहीं किया जा सकता।
    3. यह केवल पुरानी तकनीकों का अध्ययन है।
    4. यह गुणात्मक अनुसंधान की एक अविश्वसनीय विधि है।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही विकल्प: दृश्य समाजशास्त्र (Visual Sociology) समाजशास्त्रियों को दृश्य सामग्री (जैसे तस्वीरें, फिल्में, चित्र) का उपयोग करके सामाजिक जीवन का विश्लेषण करने में सक्षम बनाता है। यह सामाजिक घटनाओं, मानवीय भावनाओं, संरचनाओं और सांस्कृतिक प्रथाओं को गहराई से समझने और प्रदर्शित करने का एक शक्तिशाली तरीका प्रदान करता है, जो पाठ्य विवरणों से परे हो सकता है।
    • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, सामाजिक असमानता, शहरी जीवन, या सांस्कृतिक अनुष्ठानों को तस्वीरों के माध्यम से अधिक प्रभावी ढंग से संप्रेषित किया जा सकता है।
    • गलत विकल्प: यह केवल कलात्मक (a) नहीं है, बल्कि एक विश्लेषणात्मक उपकरण है। यह पुरानी तकनीक (c) नहीं है, बल्कि एक उभरता हुआ क्षेत्र है। यह अविश्वसनीय (d) नहीं है, बल्कि एक मान्य गुणात्मक विधि है।

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