पॉलिटी की पड़ताल: अपनी तैयारी को धार दें
नमस्कार, भावी लोक सेवकों! हमारे लोकतांत्रिक ढांचे की बारीकियों को समझना सफलता की कुंजी है। आज, हम भारतीय राजव्यवस्था के विशाल सागर में गोता लगाएंगे और 25 विशेष प्रश्नों के साथ आपकी वैचारिक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल का परीक्षण करेंगे। आइए, अपनी तैयारी को धार दें और देखें कि आप संविधान के कितने गहरे ज्ञाता हैं!
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ का आदर्श किस रूप में व्याख्यायित है?
- केवल राजनीतिक न्याय
- सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय
- सामाजिक और आर्थिक न्याय
- राजनीतिक और धार्मिक न्याय
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में न्याय के तीन आयामों – सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय – का उल्लेख किया गया है। यह दर्शाता है कि संविधान सभी नागरिकों को जाति, धर्म, लिंग, वर्ग आदि के आधार पर भेदभाव के बिना समान अवसर और अधिकार प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना संविधान का एक अभिन्न अंग है और यह न्याय के इन तीन रूपों के माध्यम से एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना का लक्ष्य रखती है। सामाजिक न्याय का अर्थ है जाति, वंश, धर्म, लिंग आदि पर आधारित भेदभाव की समाप्ति। आर्थिक न्याय का अर्थ है धन, संपत्ति और आय के असमान वितरण को कम करना। राजनीतिक न्याय का अर्थ है सभी नागरिकों को समान राजनीतिक अधिकार, जैसे मतदान का अधिकार, चुनाव लड़ने का अधिकार आदि प्राप्त हों।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (c), और (d) न्याय के सभी या आवश्यक आयामों को शामिल नहीं करते हैं। प्रस्तावना में इन तीनों (सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक) का एक साथ उल्लेख है।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘संविधान की मूल संरचना’ (Basic Structure) के सिद्धांत का प्रतिपादन किया?
- शंकर प्रसाद बनाम भारत संघ (1951)
- सज्जन सिंह बनाम राजस्थान राज्य (1965)
- गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य (1967)
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) के ऐतिहासिक निर्णय में, सर्वोच्च न्यायालय की एक पूर्ण पीठ ने सर्वसम्मति से यह माना कि संविधान के किसी भी भाग को, जिसमें मौलिक अधिकार भी शामिल हैं, अनुच्छेद 368 के तहत संशोधित किया जा सकता है, लेकिन संविधान की ‘मूल संरचना’ (Basic Structure) को नहीं बदला जा सकता।
- संदर्भ और विस्तार: इस निर्णय ने संविधान की सर्वोच्चता और उसकी लचीलेपन के बीच एक संतुलन स्थापित किया। मूल संरचना में संसद संशोधन कर सकती है, लेकिन ऐसे संशोधन संविधान के मूल स्वरूप को विकृत नहीं कर सकते। सर्वोच्च न्यायालय ने समय-समय पर मूल संरचना के तत्वों की व्याख्या की है, जिसमें लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, संघवाद, शक्तियों का पृथक्करण, न्यायिक समीक्षा, कानून का शासन आदि शामिल हैं।
- गलत विकल्प: शंकर प्रसाद (1951) और सज्जन सिंह (1965) के मामलों में सर्वोच्च न्यायालय ने माना था कि संसद मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी हिस्से में संशोधन कर सकती है। गोलकनाथ (1967) में, न्यायालय ने माना कि संसद मौलिक अधिकारों को छीनने या कम करने के लिए संशोधन नहीं कर सकती, लेकिन केशवानंद भारती मामले ने इस राय को संशोधित और स्पष्ट किया।
प्रश्न 3: भारत के राष्ट्रपति के पद की रिक्ति को भरने के लिए चुनाव की अवधि क्या होनी चाहिए?
- रिक्ति की सूचना की तारीख से 6 महीने के भीतर
- रिक्ति की सूचना की तारीख से 12 महीने के भीतर
- तत्काल प्रभाव से, लेकिन 6 महीने के भीतर
- रिक्ति की सूचना की तारीख से 1 वर्ष के भीतर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 62(2) के अनुसार, राष्ट्रपति की मृत्यु, त्यागपत्र या पद से हटाए जाने (महाभियोग) के कारण हुई रिक्ति को भरने के लिए चुनाव, रिक्ति की सूचना प्राप्त होने पर यथाशीघ्र, और किसी भी स्थिति में रिक्ति की तारीख से 6 महीने की अवधि समाप्त होने से पहले कराया जाना चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि देश के सर्वोच्च कार्यकारी पद पर कोई रिक्तता लंबी अवधि तक न बनी रहे। यदि राष्ट्रपति का कार्यकाल प्राकृतिक रूप से समाप्त होने वाला है, तो सेवानिवृत्ति से पहले चुनाव कराया जाना चाहिए।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (d) 6 महीने की संवैधानिक अवधि का उल्लंघन करते हैं। यद्यपि चुनाव यथाशीघ्र होने चाहिए, 6 महीने की सीमा अनिवार्य है।
प्रश्न 4: भारत के किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने के लिए निम्नलिखित में से कौन सी प्रक्रिया अपनाई जाती है?
- संसद के दोनों सदनों में साधारण बहुमत से पारित प्रस्ताव
- राष्ट्रपति द्वारा सीधे आदेश
- संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से पारित प्रस्ताव, जिसमें कदाचार या अक्षमता के आधार का उल्लेख हो
- सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा आदेश
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 217(1)(b) के अनुसार, किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को कदाचार या असमर्थता के आधार पर हटाया जा सकता है। इसके लिए संसद के प्रत्येक सदन द्वारा, उस सत्र की कुल सदस्य संख्या के बहुमत द्वारा, जो उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत से समर्थित हो, एक समावेदन (address) राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया राष्ट्रपति और सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 124(4) के समान) के न्यायाधीशों को हटाने की प्रक्रिया के समान है। महाभियोग की प्रक्रिया की तरह, इसमें आरोप की जांच, सदन में प्रस्ताव, बहस और मतदान शामिल होता है।
- गलत विकल्प: साधारण बहुमत (a) पर्याप्त नहीं है। राष्ट्रपति सीधे आदेश (b) द्वारा नहीं हटा सकते, बल्कि उन्हें संसद के प्रस्ताव का पालन करना होता है। मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश (d) प्रक्रिया का एक हिस्सा हो सकती है, लेकिन हटाने का अंतिम अधिकार संसद के प्रस्ताव पर निर्भर करता है।
प्रश्न 5: भारतीय संविधान में ‘राज्य’ की परिभाषा किस अनुच्छेद में दी गई है?
- अनुच्छेद 12
- अनुच्छेद 13
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 15
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 12, भाग III (मौलिक अधिकार) के प्रयोजनों के लिए ‘राज्य’ की परिभाषा प्रदान करता है। इसमें भारत सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल, तथा भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के नियंत्रण के अधीन सभी स्थानीय और अन्य प्राधिकारी शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह परिभाषा अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि मौलिक अधिकार राज्य के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करते हैं। ‘अन्य प्राधिकारी’ की व्याख्या को समय के साथ न्यायिक निर्णयों (जैसे Ujjam Bai, Rajasthan SEB cases) द्वारा विस्तृत किया गया है, जिसमें वे संस्थाएं भी शामिल हो सकती हैं जो सार्वजनिक कार्यों को करती हैं और जिनकी प्रकृति सरकारी है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 13 ‘कानून’ को परिभाषित करता है जो मौलिक अधिकारों से असंगत हैं। अनुच्छेद 14 समानता के अधिकार से संबंधित है, और अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है।
प्रश्न 6: ‘राज्य के नीति निदेशक तत्व’ (Directive Principles of State Policy) भारतीय संविधान के किस भाग में समाहित हैं?
- भाग III
- भाग IV
- भाग IV-A
- भाग V
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक तत्व (DPSP) भारतीय संविधान के भाग IV में अनुच्छेद 36 से 51 तक में समाहित हैं। ये तत्व आयरलैंड के संविधान से प्रेरित हैं।
- संदर्भ और विस्तार: DPSP का उद्देश्य एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है। ये तत्व अदालतों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं (अनुच्छेद 37), लेकिन यह देश के शासन के लिए मूलभूत हैं और विधि बनाने में राज्य का यह कर्तव्य होगा कि वह इन सिद्धांतों को लागू करे। इन्हें सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना का साधन माना जाता है।
- गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है। भाग IV-A में मौलिक कर्तव्य (अनुच्छेद 51A) शामिल हैं। भाग V संघ की कार्यपालिका और विधायिका से संबंधित है।
प्रश्न 7: किस संवैधानिक संशोधन द्वारा ‘संपत्ति के अधिकार’ को मौलिक अधिकार की सूची से हटाकर एक विधिक अधिकार बना दिया गया?
- 42वाँ संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वाँ संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वाँ संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वाँ संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा, संपत्ति के अधिकार (जो मूल रूप से अनुच्छेद 31 में मौलिक अधिकार था) को संविधान के भाग III से हटा दिया गया। इसे अब भाग XII में एक नए अनुच्छेद 300A के तहत एक सामान्य विधिक अधिकार के रूप में स्थापित किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य संपत्ति के अधिकार के संबंध में उत्पन्न होने वाले विवादों को कम करना और आर्थिक विकास को सुगम बनाना था। यह निर्णय मोरारजी देसाई सरकार के दौरान लिया गया था।
- गलत विकल्प: 42वाँ संशोधन (1976) ने प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ जैसे शब्दों को जोड़ा। 52वाँ संशोधन (1985) दलबदल विरोधी प्रावधानों (10वीं अनुसूची) से संबंधित है। 61वाँ संशोधन (1989) ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी।
प्रश्न 8: भारत के उपराष्ट्रपति के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य नहीं है?
- वे राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं।
- वे भारत के राष्ट्रपति के कार्यकाल की आकस्मिक रिक्ति को भरने के लिए चुनाव में भाग ले सकते हैं।
- उनकी अनुपस्थिति में, राष्ट्रपति किसी अन्य व्यक्ति को कार्यवाहक उपराष्ट्रपति नियुक्त कर सकते हैं।
- उनका चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है जिसमें संसद के दोनों सदनों के सदस्य शामिल होते हैं।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: उपराष्ट्रपति के कार्यालय से संबंधित प्रमुख प्रावधान अनुच्छेद 64 (राज्यसभा के पदेन सभापति), अनुच्छेद 65 (कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना), और अनुच्छेद 66 (चुनाव) में हैं। उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल द्वारा होता है जिसमें संसद के दोनों सदनों के केवल निर्वाचित सदस्य ही नहीं, बल्कि सभी सदस्य (सदस्य) शामिल होते हैं (अनुच्छेद 66(1))।
- संदर्भ और विस्तार: उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति के पद की रिक्ति को भरने के लिए चुनाव में भाग ले सकते हैं, लेकिन राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में, उपराष्ट्रपति स्वतः ही कार्यवाहक राष्ट्रपति का पद संभालते हैं, किसी अन्य व्यक्ति को नियुक्त करने का अधिकार उन्हें नहीं है। यह राष्ट्रपति का अधिकार भी नहीं है कि वे किसी अन्य व्यक्ति को कार्यवाहक उपराष्ट्रपति नियुक्त करें; यह पद स्वतः उत्तराधिकार के सिद्धांत पर चलता है।
- गलत विकल्प: (a) सही है। (b) सही है, वे राष्ट्रपति की रिक्ति को भरने के लिए चुनाव लड़ सकते हैं। (d) भी सही है, हालांकि चुनाव में मनोनीत सदस्य भी शामिल होते हैं। (c) गलत है क्योंकि राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति स्वयं कार्यवाहक राष्ट्रपति बनते हैं, वे किसी अन्य व्यक्ति को नियुक्त नहीं करते।
प्रश्न 9: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के सदस्यों की नियुक्ति और पद की शर्तों का निर्धारण कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- प्रधानमंत्री
- संसदीय समिति
- लोकसभा अध्यक्ष
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, जैसा कि अनुच्छेद 316(1) में प्रावधान है। राष्ट्रपति ही उनके पद की शर्तों का निर्धारण करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: UPSC एक संवैधानिक निकाय है जो भारत सरकार के लिए अखिल भारतीय सेवाओं और केंद्रीय सेवाओं में नियुक्ति के लिए परीक्षाओं का संचालन करता है। सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, संसदीय समिति या लोकसभा अध्यक्ष की भूमिका नियुक्ति या शर्तों के निर्धारण में सीधे तौर पर नहीं होती है, यह विशुद्ध रूप से राष्ट्रपति का अधिकार है।
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सा कथन नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के संबंध में असत्य है?
- उनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है, जो भी पहले हो।
- वे भारत के समेकित निधि से संबंधित सभी खर्चों की लेखापरीक्षा करते हैं।
- वे राष्ट्रपति को रिपोर्ट सौंपते हैं, जिसे संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखा जाता है।
- उन्हें केवल कदाचार के आधार पर ही पद से हटाया जा सकता है।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति अनुच्छेद 148 के तहत राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। उनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है (अनुच्छेद 148(3))। वे केंद्र और राज्यों के खातों की लेखापरीक्षा करते हैं और राष्ट्रपति को रिपोर्ट सौंपते हैं, जिसे संसद के समक्ष रखा जाता है (अनुच्छेद 151)।
- संदर्भ और विस्तार: CAG को केवल कदाचार या असमर्थता के आधार पर ही पद से हटाया जा सकता है, और वह भी उसी प्रक्रिया द्वारा जैसे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है (अनुच्छेद 148(1) जो 124(4) को संदर्भित करता है)। यह प्रक्रिया विशेष बहुमत से पारित प्रस्ताव की होती है, न कि केवल कदाचार के आधार पर।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) CAG के संबंध में सत्य हैं। (d) असत्य है क्योंकि उन्हें कदाचार या असमर्थता (प्रमाणित दुराचार या अक्षमता) के आधार पर हटाया जाता है, और इसके लिए संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से पारित प्रस्ताव की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 11: भारत में ‘संसदीय प्रणाली’ किस देश की प्रणाली से प्रेरित है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- ब्रिटेन
- फ्रांस
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत की संसदीय प्रणाली, जिसमें कार्यपालिका (प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद) विधायिका (संसद) के प्रति उत्तरदायी होती है, ब्रिटिश संसदीय प्रणाली से प्रेरित है। संविधान में सरकार की इस प्रणाली की रूपरेखा भाग V (संघ) और भाग VI (राज्य) में वर्णित है।
- संदर्भ और विस्तार: भारतीय प्रणाली ब्रिटिश मॉडल पर आधारित है, लेकिन इसमें कुछ प्रमुख अंतर भी हैं। भारत में, राष्ट्रपति राष्ट्र के मुखिया होते हैं, जबकि प्रधानमंत्री सरकार के मुखिया होते हैं। अमेरिका में, राष्ट्रपति सरकार के भी मुखिया होते हैं (अध्यक्षीय प्रणाली)।
- गलत विकल्प: अमेरिका में अध्यक्षीय प्रणाली है। कनाडा की प्रणाली भी ब्रिटिश मॉडल पर आधारित है लेकिन भारत की प्रणाली उससे थोड़ी भिन्न है। फ्रांस में अर्ध-अध्यक्षीय प्रणाली है।
प्रश्न 12: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में ‘समान न्याय और निःशुल्क विधिक सहायता’ का प्रावधान है?
- अनुच्छेद 39(क)
- अनुच्छेद 40
- अनुच्छेद 42
- अनुच्छेद 44
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के भाग IV (राज्य के नीति निदेशक तत्व) के अनुच्छेद 39(क) में कहा गया है कि राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि विधि के शासन द्वारा संचालित प्रणाली सभी के लिए समान अवसर प्रदान करे, और विशेष रूप से, यह सुनिश्चित करे कि आर्थिक या अन्य अक्षमताओं के कारण कोई भी नागरिक न्याय प्राप्त करने के अवसर से वंचित न रह जाए। यह निःशुल्क विधिक सहायता की भी व्यवस्था करता है।
- संदर्भ और विस्तार: इस अनुच्छेद के प्रवर्तन से कानूनी सेवाओं के प्राधिकरण अधिनियम, 1987 लागू हुआ, जिसके तहत राष्ट्रीय, राज्य और जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों की स्थापना की गई।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 40 ग्राम पंचायतों के गठन से संबंधित है। अनुच्छेद 42 कार्य की न्यायसंगत और मानवीय दशाओं तथा प्रसूति सहायता का उपबंध करता है। अनुच्छेद 44 नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता की बात करता है।
प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सी एक ‘संवैधानिक संस्था’ नहीं है?
- निर्वाचन आयोग (Election Commission)
- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
- नीति आयोग (NITI Aayog)
- वित्त आयोग (Finance Commission)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: निर्वाचन आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और वित्त आयोग (अनुच्छेद 280) भारतीय संविधान द्वारा स्थापित संवैधानिक निकाय हैं, जिनकी शक्तियों, कार्यों और संरचना का स्पष्ट उल्लेख संविधान में है।
- संदर्भ और विस्तार: नीति आयोग (National Institution for Transforming India) एक कार्यकारी आदेश द्वारा 1 जनवरी 2015 को योजना आयोग के स्थान पर स्थापित किया गया था। यह एक गैर-संवैधानिक (non-constitutional) और गैर-वैधानिक (non-statutory) संस्था है, जो भारत सरकार के एक थिंक-टैंक के रूप में कार्य करती है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) संवैधानिक निकाय हैं। नीति आयोग संवैधानिक निकाय नहीं है।
प्रश्न 14: भारतीय संविधान में ‘राज्य के नीति निदेशक तत्व’ किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- आयरलैंड
- ऑस्ट्रेलिया
- जर्मनी
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के भाग IV में उल्लिखित राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) को आयरलैंड के संविधान से लिया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: आयरलैंड के संविधान में भी इसी तरह के ‘निर्देशात्मक सिद्धांत’ (Directives) हैं, जिन्हें राज्य द्वारा शासन के सिद्धांतों के रूप में संदर्भित किया जाता है। भारतीय संविधान निर्माताओं ने इन सिद्धांतों को कल्याणकारी राज्य की स्थापना के लिए महत्वपूर्ण माना।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका से मौलिक अधिकार लिए गए हैं। ऑस्ट्रेलिया से समवर्ती सूची और संयुक्त बैठक का प्रावधान लिया गया है। जर्मनी से आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों का निलंबन लिया गया है।
प्रश्न 15: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा किस संशोधन अधिनियम द्वारा प्रदान किया गया?
- 73वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
- 64वाँ संशोधन अधिनियम, 1989
- 65वाँ संशोधन अधिनियम, 1990
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा, जिसमें अनुच्छेद 243 से 243-O तक पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया। इसने संविधान में 11वीं अनुसूची भी जोड़ी, जिसमें 29 विषय शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य पंचायती राज को त्रि-स्तरीय (ग्राम पंचायत, मध्यवर्ती स्तर, जिला परिषद) संरचना प्रदान करना और उन्हें स्व-शासन की संस्थाएँ बनाना था।
- गलत विकल्प: 74वाँ संशोधन अधिनियम, 1992 शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिकाओं) से संबंधित है। 64वें और 65वें संशोधन पंचायती राज और नगरपालिकाओं को संवैधानिक दर्जा देने के प्रारंभिक प्रयास थे जो संसद में पारित नहीं हो सके।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार ‘हृदय और आत्मा’ (Heart and Soul) के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यह अन्य सभी मौलिक अधिकारों को लागू करने का अधिकार देता है?
- समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14)
- स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19)
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने संविधान के अनुच्छेद 32 को ‘संविधान की हृदय और आत्मा’ कहा है। यह अनुच्छेद नागरिकों को अपने मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए सीधे सर्वोच्च न्यायालय जाने का अधिकार देता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 32 के तहत, सर्वोच्च न्यायालय के पास मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए रिट (हैबियस कॉर्पस, मैंडमस, प्रोहिबिशन, सर्टिओरारी, क्वो वारंटो) जारी करने की शक्ति है। यह अधिकार स्वयं एक मौलिक अधिकार है, और इसे निलंबित नहीं किया जा सकता (आपातकाल के दौरान भी)।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 (समानता), अनुच्छेद 19 (स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार हैं, लेकिन वे अन्य मौलिक अधिकारों को लागू करने का साधन नहीं हैं, जबकि अनुच्छेद 32 मौलिक अधिकारों की ‘गारंटी’ देता है।
प्रश्न 17: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त होने के लिए व्यक्ति को इनमें से कौन सी शर्त पूरी करनी होगी?
- वह भारत का सेवानिवृत्त राष्ट्रपति होना चाहिए।
- वह भारत का सेवानिवृत्त उपराष्ट्रपति होना चाहिए।
- वह भारत के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश होना चाहिए।
- वह भारत का सेवानिवृत्त प्रधानमंत्री होना चाहिए।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), जो मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 द्वारा स्थापित एक वैधानिक निकाय है, का अध्यक्ष भारत का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या किसी उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश होता है।
- संदर्भ और विस्तार: आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिश पर की जाती है, जिसमें प्रधानमंत्री (अध्यक्ष), लोकसभा अध्यक्ष, गृह मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता, और राज्यसभा के उप-सभापति शामिल होते हैं।
- गलत विकल्प: सेवानिवृत्त राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री अध्यक्ष नहीं बन सकते।
प्रश्न 18: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘प्रभुत्व (Sovereign), समाजवादी (Socialist), पंथनिरपेक्ष (Secular), लोकतंत्रात्मक (Democratic), गणराज्य (Republic)’ शब्दों का सही क्रम क्या है?
- प्रभुत्व, लोकतंत्रात्मक, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, गणराज्य
- प्रभुत्व, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक, गणराज्य
- लोकतंत्रात्मक, प्रभुत्व, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, गणराज्य
- प्रभुत्व, समाजवादी, लोकतंत्रात्मक, पंथनिरपेक्ष, गणराज्य
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित ये शब्द संविधान के मूल पाठ में इस प्रकार हैं: “हम, भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व-सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए…”
- संदर्भ और विस्तार: इन शब्दों का क्रम महत्वपूर्ण है और यह भारत के राज्य की प्रकृति और उसके उद्देश्यों को दर्शाता है। ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़े गए थे।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प शब्दों के सही क्रम को नहीं दर्शाते हैं।
प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन से मूल अधिकार भारत के राष्ट्रपति, राज्यपालों या उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों पर कुछ प्रतिबंध लगाते हैं?
- अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार)
- अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण)
- अनुच्छेद 21 (प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण)
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 361(1) राष्ट्रपति और राज्यपालों को उनके पद के दौरान उनके कार्यों के लिए किसी भी अदालत में जवाबदेह ठहराने से छूट देता है। हालांकि, वे किसी भी आपराधिक कार्यवाही से मुक्त नहीं होते, न ही वे अनुच्छेद 14, 20, 21, 226 या 32 के तहत उपचार प्राप्त करने से वंचित होते हैं। उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश भी अपने पद के कर्तव्यों से संबंधित कुछ छूटों का आनंद लेते हैं, लेकिन वे भी कानून के दायरे में आते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: भारतीय न्यायपालिका में, कोई भी पद कानून से ऊपर नहीं है। भले ही राष्ट्रपति या राज्यपाल को कुछ विशेषाधिकार प्राप्त हों, उन्हें अनुच्छेद 14 के तहत समानता, अनुच्छेद 20 के तहत अपराधों के लिए दोषसिद्धि से सुरक्षा, और अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। ये अधिकार अप्रत्यक्ष रूप से उनके कार्यों पर भी लागू होते हैं।
- गलत विकल्प: सभी दिए गए अनुच्छेद (14, 20, 21) उन व्यक्तियों पर भी लागू होते हैं जो सार्वजनिक पद पर हैं, भले ही अनुच्छेद 361 के तहत उनके कुछ कार्य दीवानी या आपराधिक कार्यवाही से उन्मुक्त हों।
प्रश्न 20: भारतीय संविधान में ‘मौलिक कर्तव्य’ (Fundamental Duties) का प्रावधान किस समिति की सिफारिशों पर जोड़ा गया?
- सरकारी आयोग
- ठाकुर प्रसाद समिति
- स्वर्ण सिंह समिति
- एल.एम. सिंघवी समिति
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: मौलिक कर्तव्यों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा संविधान के भाग IV-A में अनुच्छेद 51A के रूप में जोड़ा गया था। यह सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों पर आधारित था, जिसने शुरू में 8 मौलिक कर्तव्यों की सिफारिश की थी, जिसे बाद में संशोधित करके 10 कर दिया गया। 86वें संशोधन, 2002 द्वारा 11वां मौलिक कर्तव्य जोड़ा गया।
- संदर्भ और विस्तार: ये कर्तव्य नागरिकों के नागरिक और सामाजिक उत्तरदायित्वों को परिभाषित करते हैं।
- गलत विकल्प: सरकारी आयोग केंद्र-राज्य संबंधों से संबंधित था। ठाकुर प्रसाद समिति का कोई प्रासंगिक संबंध नहीं है। एल.एम. सिंघवी समिति ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देने की सिफारिश की थी।
प्रश्न 21: भारत में ‘राष्ट्रीय आपातकाल’ (National Emergency) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य नहीं है?
- यह युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के आधार पर लगाया जा सकता है।
- इसे संसद के दोनों सदनों द्वारा एक महीने के भीतर अनुमोदित किया जाना चाहिए।
- यह अधिकतम एक वर्ष के लिए लागू रह सकता है, जब तक कि इसे पहले वापस न ले लिया जाए।
- यह कुछ मौलिक अधिकारों को निलंबित कर देता है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय आपातकाल की उद्घोषणा संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रपति द्वारा की जा सकती है, जो युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के आधार पर होती है। 44वें संशोधन ने ‘सशस्त्र विद्रोह’ शब्द को जोड़ा। उद्घोषणा को संसद के दोनों सदनों द्वारा एक महीने के भीतर अनुमोदित किया जाना चाहिए (अनुच्छेद 352(3))।
- संदर्भ और विस्तार: एक बार अनुमोदित होने के बाद, आपातकाल 6 महीने तक लागू रहता है, जब तक कि इसे आगे बढ़ाने के लिए संसद के दोनों सदनों द्वारा हर 6 महीने में पुनः अनुमोदित न किया जाए। यह अनिश्चित काल तक जारी रह सकता है जब तक कि इसे वापस न ले लिया जाए। आपातकाल के दौरान, अनुच्छेद 20 और 21 को छोड़कर अन्य सभी मौलिक अधिकार निलंबित किए जा सकते हैं।
- गलत विकल्प: (a) सत्य है। (b) सत्य है (44वें संशोधन के बाद)। (c) असत्य है क्योंकि यह 6 महीने तक लागू रहता है और प्रत्येक 6 महीने में विस्तार के लिए अनुमोदन की आवश्यकता होती है, अधिकतम एक वर्ष नहीं। (d) सत्य है।
प्रश्न 22: भारत में ‘राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति’ किस अनुच्छेद के तहत आती है?
- अनुच्छेद 72
- अनुच्छेद 161
- अनुच्छेद 137
- अनुच्छेद 143
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति को कुछ मामलों में क्षमा, दंड विराम, लघुकरण या परिहार की शक्ति प्रदान करता है, जो संघीय कानून के विरुद्ध अपराधों के लिए दंडित व्यक्तियों, या मृत्युदंड पाए व्यक्तियों, या कोर्ट मार्शल द्वारा दिए गए दंड के संबंध में होती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति राष्ट्रपति की व्यक्तिगत विवेकाधिकार में है, लेकिन आम तौर पर वे मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करते हैं। अनुच्छेद 161 राज्यपाल की क्षमादान की शक्ति से संबंधित है, जो राष्ट्रपति से थोड़ी व्यापक है क्योंकि इसमें कोर्ट मार्शल के दंड शामिल नहीं होते, लेकिन मृत्युदंड के मामले में राज्यपाल क्षमादान दे सकता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 137 सर्वोच्च न्यायालय की अपनी निर्णयों या आदेशों की समीक्षा करने की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को सर्वोच्च न्यायालय से सलाह लेने की शक्ति देता है।
प्रश्न 23: केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) का मुख्य कार्य क्या है?
- भ्रष्टाचार की जाँच और निवारण हेतु सरकारी एजेंसियों की निगरानी करना।
- संसद के खातों की लेखापरीक्षा करना।
- लोक सेवाओं के लिए चयन करना।
- अंतर-राज्यीय परिषद के कार्यों का समन्वय करना।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) एक वैधानिक निकाय है, जिसकी स्थापना 1964 में हुई थी और जिसे 2003 में CVC अधिनियम, 2003 द्वारा वैधानिक दर्जा दिया गया। इसका मुख्य कार्य भ्रष्टाचार की जाँच और निवारण के लिए सरकारी संस्थाओं की निगरानी करना है।
- संदर्भ और विस्तार: CVC केंद्रीय सरकार के मंत्रालयों, विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सतर्कता प्रशासन को बढ़ावा देने, भ्रष्टाचार से लड़ने और जांच एजेंसियों के काम की निगरानी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- गलत विकल्प: (b) CAG का कार्य है। (c) UPSC या राज्य PSCs का कार्य है। (d) अंतर-राज्यीय परिषद (अनुच्छेद 263) का कार्य है।
प्रश्न 24: भारत में ‘संसदीय विशेषाधिकार’ (Parliamentary Privileges) का उल्लेख संविधान के किस अनुच्छेद में किया गया है?
- अनुच्छेद 105
- अनुच्छेद 194
- अनुच्छेद 118
- अनुच्छेद 105 और 194 दोनों
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 105 में संसद (दोनों सदनों), उनके सदस्यों और समितियों को प्राप्त विशेषाधिकारों और उन्मुक्तियों का उल्लेख है। इसी प्रकार, अनुच्छेद 194 में राज्यों के विधानमंडलों, उनके सदस्यों और समितियों को प्राप्त विशेषाधिकारों और उन्मुक्तियों का उल्लेख है।
- संदर्भ और विस्तार: ये विशेषाधिकार संसद की कार्यवाही की स्वतंत्रता और प्रभावशीलता को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं। इनमें भाषण की स्वतंत्रता, किसी भी संसदीय समिति में रिपोर्ट या वोट देने के लिए किसी भी सदस्य को गिरफ्तार न किया जाना (कुछ अपवादों के साथ) आदि शामिल हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 105 केवल केंद्र के लिए है, और अनुच्छेद 194 केवल राज्यों के लिए। विशेषाधिकार दोनों स्तरों पर मौजूद हैं, इसलिए दोनों अनुच्छेद प्रासंगिक हैं। अनुच्छेद 118 अपने सदनों की प्रक्रियाओं के लिए नियम बनाने की शक्ति से संबंधित है।
प्रश्न 25: निम्नलिखित में से कौन सी रिट किसी व्यक्ति को सार्वजनिक कार्यालय में अपने अधिकार पर सवाल उठाने के लिए जारी की जाती है?
- हैबियस कॉर्पस (Habeas Corpus)
- मेंडमस (Mandamus)
- प्रोहिबिशन (Prohibition)
- क्वो वारंटो (Quo Warranto)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘क्वो वारंटो’ (Quo Warranto) एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है ‘किस अधिकार से’। यह रिट एक ऐसे सार्वजनिक पद के संबंध में जारी की जाती है, जिस पर किसी व्यक्ति के अवैध होने का आरोप हो। यह न्यायालय को उस व्यक्ति से यह पूछने की अनुमति देती है कि वह किस अधिकार से उस पद पर है।
- संदर्भ और विस्तार: इस रिट का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सार्वजनिक कार्यालयों पर केवल योग्य व्यक्ति ही कब्जा करें। यह अनुच्छेद 32 (सर्वोच्च न्यायालय) और अनुच्छेद 226 (उच्च न्यायालय) के तहत जारी की जाती है।
- गलत विकल्प: ‘हैबियस कॉर्पस’ किसी व्यक्ति को अदालत में पेश करने के लिए है। ‘मेंडमस’ किसी सार्वजनिक प्राधिकारी को उसका कर्तव्य करने के लिए है। ‘प्रोहिबिशन’ किसी निचली अदालत को उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने से रोकने के लिए है।