इतिहास की महापरीक्षा: 25 प्रश्न, 25 पड़ाव!
नमस्कार, ज्ञान के यात्री! इतिहास के सागर में डुबकी लगाने और अपनी तैयारी को परखने के लिए तैयार हो जाएँ। आज हम प्राचीन भारत से लेकर आधुनिक भारत और विश्व इतिहास तक के महत्वपूर्ण मोड़ों से गुजरेंगे और देखेंगे कि आपने कितनी गहराई से अध्ययन किया है। चलिए, समय के साथ इस रोमांचक सफर पर निकल पड़ते हैं!
इतिहास अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों को हल करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: सिंधु घाटी सभ्यता का कौन सा स्थल वर्तमान पाकिस्तान में स्थित नहीं है?
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- लोथल
- चन्हुदड़ो
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: लोथल सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख स्थल था जो गुजरात, भारत में स्थित है, न कि वर्तमान पाकिस्तान में।
- संदर्भ और विस्तार: लोथल को सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे दक्षिणी स्थल माना जाता है और यह भगवा नदी के किनारे स्थित था। यह अपने काले गोदी (dockyard) के लिए प्रसिद्ध है, जो व्यापार और जल संचार के महत्व को दर्शाता है। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो पाकिस्तान में सिंध नदी के पास स्थित हैं, जबकि चन्हुदड़ो भी सिंध में स्थित है।
- गलत विकल्प: हड़प्पा और मोहनजोदड़ो पाकिस्तान में सिंध नदी के किनारे स्थित प्रमुख स्थल हैं, और चन्हुदड़ो भी सिंध प्रांत में है। लोथल एकमात्र विकल्प है जो भारत में स्थित है।
प्रश्न 2: ‘सत्यमेव जयते’ उक्ति किस उपनिषद से ली गई है?
- ईश उपनिषद
- कठ उपनिषद
- मुण्डकोपनिषद
- माण्डूक्य उपनिषद
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘सत्यमेव जयते’ अर्थात ‘सत्य की ही जीत होती है’, यह उक्ति भारतीय राष्ट्रीय प्रतीक का भी हिस्सा है और यह मुण्डकोपनिषद से ली गई है।
- संदर्भ और विस्तार: मुण्डकोपनिषद अथर्ववेद का एक भाग है और इसमें ज्ञान की प्राप्ति और ब्रह्म की तत्वमीमांसा का वर्णन किया गया है। यह उपनिषद ज्ञान प्राप्ति के मार्गों और आध्यात्मिक साधना पर बल देता है। यह उक्ति नैतिक और आध्यात्मिक सत्य के सर्वोच्च स्थान को रेखांकित करती है।
- गलत विकल्प: ईश उपनिषद, कठ उपनिषद और माण्डूक्य उपनिषद अन्य महत्वपूर्ण उपनिषद हैं जिनमें ज्ञान और आध्यात्म से संबंधित विवरण हैं, लेकिन ‘सत्यमेव जयते’ विशेष रूप से मुण्डकोपनिषद से है।
प्रश्न 3: मौर्य वंश का संस्थापक कौन था?
- अशोक
- बिन्दुसार
- चंद्रगुप्त मौर्य
- कुणाल
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: चंद्रगुप्त मौर्य ने 322 ईसा पूर्व में मौर्य वंश की स्थापना की थी।
- संदर्भ और विस्तार: चंद्रगुप्त मौर्य ने नन्द वंश के अंतिम शासक धनानंद को अपदस्त करके भारत के अधिकांश भाग पर मौर्य साम्राज्य स्थापित किया। उन्होंने सिकंदर महान के सेनापति सेल्युकस निकेटर को भी परास्त किया और अपने साम्राज्य का विस्तार किया। चाणक्य (कौटिल्य) उनके प्रमुख सलाहकार थे।
- गलत विकल्प: अशोक चंद्रगुप्त मौर्य का पोता और मौर्य वंश का सबसे महान शासक था, जबकि बिन्दुसार चंद्रगुप्त मौर्य का पुत्र और अशोक का पिता था। कुणाल अशोक का पुत्र था।
प्रश्न 4: गुप्त काल को ‘भारत का स्वर्ण युग’ क्यों कहा जाता है?
- कला, विज्ञान और साहित्य में अभूतपूर्व विकास
- धार्मिक सहिष्णुता और शांति
- साम्राज्य का विशाल विस्तार
- मजबूत केंद्रीय प्रशासन
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: गुप्त काल (लगभग 320-550 ईस्वी) को ‘भारत का स्वर्ण युग’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस काल में कला, विज्ञान, साहित्य, गणित, खगोल विज्ञान और दर्शन के क्षेत्रों में असाधारण प्रगति हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस काल में कालिदास जैसे महान कवि और नाटककार, आर्यभट्ट जैसे गणितज्ञ और खगोलशास्त्री हुए। अजंता की गुफाओं की चित्रकला और देवगढ़ के मंदिर जैसे स्थापत्य कला के उत्कृष्ट नमूने इसी काल के हैं। यह काल शांति और समृद्धि का काल था, जिसने भारतीय संस्कृति को समृद्ध किया।
- गलत विकल्प: हालांकि गुप्त काल में धार्मिक सहिष्णुता, विशाल साम्राज्य और मजबूत प्रशासन भी था, लेकिन ‘स्वर्ण युग’ की उपाधि मुख्यतः कला, विज्ञान और साहित्य के अभूतपूर्व विकास के कारण दी गई है, जो अन्य विकल्पों से अधिक महत्वपूर्ण था।
प्रश्न 5: दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान को ‘लाख बख्श’ कहा जाता था?
- इल्तुतमिश
- बलबन
- मुहम्मद बिन तुगलक
- कुतुबुद्दीन ऐबक
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: कुतुबुद्दीन ऐबक, जो दिल्ली सल्तनत का संस्थापक था, उसे ‘लाख बख्श’ की उपाधि दी गई थी।
- संदर्भ और विस्तार: ‘लाख बख्श’ का अर्थ है ‘लाखों का दान देने वाला’। कुतुबुद्दीन ऐबक अपनी दानशीलता और उदारता के लिए जाना जाता था। वह एक धार्मिक व्यक्ति भी था और उसने दिल्ली में कुतुब मीनार का निर्माण शुरू करवाया था।
- गलत विकल्प: इल्तुतमिश दिल्ली सल्तनत का एक महान शासक था और उसने कुतुब मीनार का निर्माण पूरा करवाया। बलबन एक शक्तिशाली शासक था जिसने राजत्व के सिद्धान्त को मजबूत किया। मुहम्मद बिन तुगलक अपने विचित्र प्रयोगों के लिए जाना जाता है। इनमें से कोई भी ‘लाख बख्श’ नहीं कहलाता था।
प्रश्न 6: ‘बाबरनामा’ किस भाषा में लिखा गया था?
- फारसी
- तुर्की
- उर्दू
- अरबी
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘बाबरनामा’ (जिसे ‘तुज़ुक-ए-बाबरी’ भी कहा जाता है) फ़ारसी नहीं बल्कि तुर्की भाषा में लिखा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह मुगल साम्राज्य के संस्थापक ज़हिर-उद-दीन मुहम्मद बाबर की आत्मकथा है। इसमें बाबर ने अपने जीवन, अपने अभियानों, राजनीतिक विचारों और उस समय के भारत और मध्य एशिया की स्थिति का विस्तृत वर्णन किया है। यह मध्यकालीन इतिहास के अध्ययन के लिए एक अमूल्य स्रोत है।
- गलत विकल्प: मुगल दरबार की आधिकारिक भाषा फारसी थी, लेकिन बाबर ने अपनी आत्मकथा अपनी मातृभाषा तुर्की (चगताई तुर्की) में लिखी। उर्दू और अरबी भाषाओं का यहां कोई सीधा संबंध नहीं है।
प्रश्न 7: पानीपत का दूसरा युद्ध किनके बीच हुआ था?
- बाबर और इब्राहिम लोदी
- अकबर और हेमू
- अकबर और महाराणा प्रताप
- बाबर और राणा सांगा
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: पानीपत का दूसरा युद्ध 5 नवंबर 1556 ईस्वी को मुगल सम्राट अकबर (जिसका प्रतिनिधित्व उसके संरक्षक बैराम खान कर रहे थे) और हेमू (जो अफगान शासक आदिल शाह सूरी का प्रधानमंत्री और सेनापति था और स्वयं को विक्रमादित्य घोषित कर चुका था) के बीच हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: इस युद्ध में अकबर की सेना की जीत हुई और हेमू मारा गया। इस जीत ने भारत में मुगल शासन की स्थापना को स्थायी किया और अकबर के शासन का मार्ग प्रशस्त किया।
- गलत विकल्प: पानीपत का पहला युद्ध बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच 1526 ईस्वी में हुआ था। अकबर और महाराणा प्रताप के बीच हल्दीघाटी का युद्ध (1576 ईस्वी) हुआ था। बाबर और राणा सांगा के बीच खानवा का युद्ध (1527 ईस्वी) हुआ था।
प्रश्न 8: ‘दीन-ए-इलाही’ धर्म किस मुगल शासक द्वारा प्रारंभ किया गया था?
- हुमायूं
- अकबर
- जहाँगीर
- औरंगजेब
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘दीन-ए-इलाही’ (अर्थात् ईश्वर का धर्म) को मुगल सम्राट अकबर ने 1582 ईस्वी में प्रारंभ किया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक धार्मिक सिद्धांत था जो सभी प्रमुख धर्मों के तत्वों को मिलाकर बनाया गया था। इसका उद्देश्य धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देना और साम्राज्य के विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच एकता लाना था। यह एक व्यापक रूप से स्वीकृत धर्म नहीं बन पाया और इसके अनुयायियों की संख्या बहुत कम थी, जिनमें कुछ चुनिंदा दरबारी शामिल थे। बीरबल इसका एक प्रमुख अनुयायी माना जाता है।
- गलत विकल्प: हुमायूं, जहाँगीर और औरंगजेब ने दीन-ए-इलाही को प्रारंभ नहीं किया था। जहाँगीर ने ‘इलाही वर्ष’ की व्यवस्था को जारी रखा था और औरंगजेब एक कट्टर इस्लामी शासक था जिसने धार्मिक सहिष्णुता को कम किया।
प्रश्न 9: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना कब और किस ने की थी?
- 1336 ईस्वी, हरिहर और बुक्का
- 1565 ईस्वी, कृष्णदेव राय
- 1206 ईस्वी, कुतुबुद्दीन ऐबक
- 1450 ईस्वी, कबीर
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ईस्वी में हरिहर प्रथम और बुक्का प्रथम नामक दो भाइयों द्वारा की गई थी।
- संदर्भ और विस्तार: यह साम्राज्य दक्षिण भारत में तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थापित हुआ था और इसका प्रमुख केंद्र हम्पी था। विजयनगर साम्राज्य अपनी समृद्ध संस्कृति, कला, वास्तुकला और साहित्य के लिए जाना जाता था। यह लगभग 200 वर्षों तक दक्षिण भारत की प्रमुख शक्ति रहा।
- गलत विकल्प: 1565 ईस्वी में तालिकोटा का युद्ध हुआ जिसमें विजयनगर साम्राज्य की गिरावट शुरू हुई थी और कृष्णदेव राय एक महान शासक थे, लेकिन उन्होंने साम्राज्य की स्थापना नहीं की थी। 1206 ईस्वी में दिल्ली सल्तनत की स्थापना हुई थी, और कबीर एक संत थे, शासक नहीं।
प्रश्न 10: 1857 के विद्रोह के समय भारत का गवर्नर-जनरल कौन था?
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड कैनिंग
- लॉर्ड लिटन
- लॉर्ड कर्जन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: 1857 के महाविद्रोह के समय भारत के गवर्नर-जनरल लॉर्ड कैनिंग थे।
- संदर्भ और विस्तार: लॉर्ड कैनिंग 1856 से 1862 तक भारत के गवर्नर-जनरल रहे। 1857 का विद्रोह उनके कार्यकाल की सबसे महत्वपूर्ण घटना थी। इस विद्रोह के बाद ही भारत का शासन ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से सीधे ब्रिटिश ताज के अधीन आ गया और लॉर्ड कैनिंग ही भारत के प्रथम वायसराय बने।
- गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी 1856 में भारत से गए थे और उनके ‘व्यपगत का सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) ने विद्रोह को भड़काने में योगदान दिया था। लॉर्ड लिटन और लॉर्ड कर्जन बाद के गवर्नर-जनरल थे जिन्होंने महत्वपूर्ण नीतियां लागू कीं, जैसे कर्जन द्वारा बंगाल का विभाजन।
प्रश्न 11: ‘सन्यास आंदोलन’ का वर्णन निम्नलिखित में से किस का उपन्यास में किया गया है?
- बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय
- रवींद्रनाथ टैगोर
- शरत चंद्र चट्टोपाध्याय
- प्रेम चंद
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंद मठ’ में सन्यास आंदोलन (या सन्यासी विद्रोह) का वर्णन किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: सन्यास आंदोलन 1763 से 1800 ईस्वी के बीच बंगाल में हुआ था और यह ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के विरुद्ध एक महत्वपूर्ण जन विद्रोह था। यह मुख्यतः ईस्ट इंडिया कंपनी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली नीतियों, अत्यधिक लगान और जबरन धर्म परिवर्तन के कारण हुआ था। ‘वंदे मातरम’ गीत भी इसी उपन्यास से लिया गया है।
- गलत विकल्प: रवींद्रनाथ टैगोर अपने गीतों और साहित्य के लिए प्रसिद्ध थे, शरत चंद्र चट्टोपाध्याय ने सामाजिक यथार्थवाद पर लिखा और प्रेम चंद हिंदी साहित्य के महान कथाकार थे, लेकिन सन्यास आंदोलन का वर्णन ‘आनंद मठ’ में किया गया है।
प्रश्न 12: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना किस वायसराय के काल में हुई थी?
- लॉर्ड लिटन
- लॉर्ड कर्जन
- लॉर्ड डफरिन
- लॉर्ड एल्गिन द्वितीय
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) की स्थापना 28 दिसंबर 1885 को लॉर्ड डफरिन के भारत में वायसराय रहने के काल में हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: कांग्रेस की स्थापना स्कॉटिश सिविल सर्वेंट और राजनीतिक सुधारक एलन ऑक्टेवियन ह्यूम (A.O. Hume) द्वारा की गई थी। इसका पहला अधिवेशन मुंबई में तेज पाल संस्कृत कॉलेज में हुआ था जिसकी अध्यक्षता व्योमेश चन्द्र बनर्जी ने की थी। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि लॉर्ड डफरिन ने कांग्रेस की स्थापना को समर्थन दिया था क्योंकि उनका मानना था कि यह भारत में विभिन्न समुदायों के बीच एक सुरक्षित निकास प्रदान करेगी।
- गलत विकल्प: लॉर्ड लिटन एक प्रतिक्रियावादी वायसराय थे जिन्होंने भारतीय भाषा प्रेस एक्ट और आर्म्स एक्ट जैसे कठोर कानून लागू किए। लॉर्ड कर्जन ने बंगाल का विभाजन किया था। लॉर्ड एल्गिन द्वितीय भी बाद के वायसराय थे।
प्रश्न 13: ‘गदर’ आंदोलन का प्रमुख केंद्र कहां था?
- लंदन
- पेरिस
- सैन फ्रांसिस्को
- बर्लिन
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘गदर’ आंदोलन का प्रमुख केंद्र उत्तरी अमेरिका में सैन फ्रांसिस्को शहर था।
- संदर्भ और विस्तार: गदर पार्टी (हिंदुस्तान गदर पार्टी) की स्थापना 1913 ईस्वी में लाला हरदयाल और अन्य भारतीय राष्ट्रवादियों द्वारा की गई थी जिनका उद्देश्य भारत में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध क्रांतिकारी गतिविधियों को संगठित करना था। उन्होंने ‘गदर’ नामक एक समाचार पत्र भी निकाला जो गुरुमुखी, उर्दू और अन्य भाषाओं में प्रकाशित होता था और जिसका उद्देश्य भारतीय सैनिकों और आम लोगों में विद्रोह की भावना जगाना था।
- गलत विकल्प: लंदन, पेरिस और बर्लिन में भी भारतीय राष्ट्रवादियों की गतिविधियां हुई थीं, लेकिन गदर पार्टी का मुख्य संगठनात्मक और प्रचार केंद्र सैन फ्रांसिस्को था।
प्रश्न 14: ‘ट्रिपल अलायंस’ (Triple Alliance) में कौन से देश शामिल थे?
- जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और इटली
- फ्रांस, ब्रिटेन और रूस
- जर्मनी, तुर्की और ऑस्ट्रिया-हंगरी
- ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: प्रथम विश्व युद्ध से पहले गठित ‘ट्रिपल अलायंस’ में मुख्य रूप से जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और इटली शामिल थे।
- संदर्भ और विस्तार: इस गठबंधन का गठन 1882 ईस्वी में हुआ था और इसका उद्देश्य यूरोप में शक्ति संतुलन बनाए रखना और फ्रांस तथा रूस जैसे देशों के विस्तारवाद को रोकना था। हालांकि, प्रथम विश्व युद्ध शुरू होने पर इटली ने अपनी स्थिति बदल दी और केंद्रीय शक्तियों (Central Powers) के विरुद्ध मित्र राष्ट्रों (Allied Powers) के साथ मिल गया।
- गलत विकल्प: फ्रांस, ब्रिटेन और रूस ‘ट्रिपल एंटेंट’ (Triple Entente) में शामिल थे जो ट्रिपल अलायंस का मुख्य प्रतिद्वंद्वी था। जर्मनी और ऑस्ट्रिया-हंगरी ने प्रथम विश्व युद्ध में तुर्की के साथ मिलकर केंद्रीय शक्तियों का गठन किया, लेकिन तुर्की शुरुआत से ट्रिपल अलायंस का हिस्सा नहीं था।
प्रश्न 15: ‘भारतीय स्वतंत्रता की घोषणा’ (Declaration of Indian Independence) किस घटना के बाद हुई थी?
- जलियांवाला बाग नरसंहार
- साइमन कमीशन का आगमन
- पूर्ण स्वराज की घोषणा
- भारत छोड़ो आंदोलन
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा ‘पूर्ण स्वराज’ (पूर्ण स्वतंत्रता) की घोषणा 31 दिसंबर 1929 को लाहौर अधिवेशन में की गई थी, जो भारतीय स्वतंत्रता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था और इसके बाद ही धीरे-धीरे पूर्ण स्वतंत्रता की मांग बलवती हुई। अंततः 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता मिली, जो पूर्ण स्वराज की घोषणा का ही परिणाम थी।
- संदर्भ और विस्तार: लाहौर अधिवेशन के दौरान जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस ने यह संकल्प लिया कि 26 जनवरी 1930 को ‘स्वतंत्रता दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा और देश ब्रिटिश शासन से पूर्ण रूप से मुक्त होने का प्रयास करेगा। यह भारतीय राष्ट्रवाद को एक नई दिशा देने वाला पल था।
- गलत विकल्प: जलियांवाला बाग नरसंहार (1919) ने लोगों को ब्रिटिश शासन के विरुद्ध और आक्रोशित किया था और असहयोग आंदोलन को जन्म दिया। साइमन कमीशन (1927-29) का विरोध किया गया था और इसका कोई संबंध स्वतंत्रता की घोषणा से नहीं था। भारत छोड़ो आंदोलन (1942) एक महत्वपूर्ण आंदोलन था जिसने स्वतंत्रता की मांग को और तेज किया, लेकिन ‘पूर्ण स्वराज’ की घोषणा उससे पहले हुई थी।
प्रश्न 16: ‘आज़ाद हिंद फौज’ (Indian National Army – INA) की स्थापना किस ने की थी?
- महात्मा गांधी
- जवाहरलाल नेहरू
- मोहन सिंह
- सर सरोजिनी नायडू
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘आज़ाद हिंद फौज’ (INA) की स्थापना कैप्टन मोहन सिंह द्वारा 1942 ईस्वी में जापान की सहायता से की गई थी।
- संदर्भ और विस्तार: कैप्टन मोहन सिंह ब्रिटिश भारतीय सेना के एक अधिकारी थे जिन्होंने सिंगापुर पर जापानी कब्जे के दौरान अंग्रेजों के हाथों युद्ध बंदी बनाए गए भारतीय सैनिकों को संगठित करके INA का गठन किया। बाद में, सुभाष चंद्र बोस ने 1943 में INA का नेतृत्व संभाला और इसे एक बड़ी और अधिक संगठित सेना बनाया। INA का मुख्य लक्ष्य भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराना था।
- गलत विकल्प: महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता थे लेकिन INA की स्थापना में उनकी सीधी भूमिका नहीं थी। सर सरोजिनी नायडू एक महान स्वतंत्रता सेनानी थीं लेकिन INA से उनका कोई सीधा संबंध नहीं था।
प्रश्न 17: फ्रांस की राज्य क्रांति (French Revolution) का मुख्य कारण क्या था?
- अत्यधिक सैनिक व्यय
- जनता पर कठोर कर और आर्थिक असमानता
- चर्च का बढ़ता प्रभाव
- औद्योगिक क्रांति की विफलता
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: फ्रांस की राज्य क्रांति (1789) का मुख्य कारण आम जनता पर लगाया गया अत्यधिक कर भार, आर्थिक असमानता, पुरानी सामंतवादी व्यवस्था (Ancien Régime) और बुर्जुआ वर्ग का बढ़ता प्रभाव था।
- संदर्भ और विस्तार: फ्रांसीसी समाज तीन वर्गों (एस्टेट्स) में बंटा हुआ था – पादरी, कुलीन वर्ग और आम जनता। पहले दो वर्गों को अनेक सुविधाएं और कर मुक्त अधिकार प्राप्त थे, जबकि तीसरा वर्ग (जिसमें किसानों, श्रमिकों और बुर्जुआ वर्ग शामिल थे) भारी कर भुगतान करता था लेकिन उसके पास कोई राजनीतिक अधिकार नहीं थे। साथ ही, राजशाही के खर्चीले जीवन और सैन्य अभियानों के कारण देश की आर्थिक स्थिति खराब थी। ज्ञानोदय काल के विचारों ने भी लोगों को प्रेरित किया।
- गलत विकल्प: अत्यधिक सैनिक व्यय और राजशाही का खर्चीला जीवन आर्थिक समस्याओं का हिस्सा थे लेकिन जनता पर कर और असमानता मुख्य कारण थे। चर्च का प्रभाव था लेकिन वह विद्रोह का मुख्य केंद्र नहीं था। औद्योगिक क्रांति यूरोप में शुरुआत कर रही थी लेकिन फ्रांस में क्रांति का कारण यह नहीं थी।
प्रश्न 18: ‘जालियाँवाला बाग नरसंहार’ किस शहर में हुआ था?
- दिल्ली
- लाहौर
- अमृतसर
- लखनऊ
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: जलियांवाला बाग नरसंहार 13 अप्रैल 1919 को पंजाब के अमृतसर शहर में हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: यह घटना तब हुई जब जनरल रेजिनाल्ड डाय के नेतृत्व में ब्रिटिश भारतीय सेना ने रॉलेट एक्ट के विरोध में एक शांतिपूर्ण सभा कर रहे निहत्थे लोगों पर गोली चला दी। इसमें सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों घायल हुए। इस घटना ने पूरे भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ भयंकर आक्रोश फैला दिया और असहयोग आंदोलन जैसे बड़े आंदोलनों की पृष्ठभूमि तैयार की।
- गलत विकल्प: दिल्ली, लाहौर और लखनऊ भी स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण शहर रहे हैं, लेकिन जलियांवाला बाग नरसंहार विशेष रूप से अमृतसर से जुड़ा हुआ है।
प्रश्न 19: ‘मार्ले-मिंटो सुधार’ किस वर्ष पारित किए गए थे?
- 1909
- 1919
- 1935
- 1947
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘मार्ले-मिंटो सुधार’, जिन्हें भारतीय परिषद अधिनियम, 1909 (Indian Councils Act, 1909) भी कहा जाता है, 1909 ईस्वी में पारित किए गए थे।
- संदर्भ और विस्तार: यह सुधार तत्कालीन भारत सचिव जॉन मार्ले और भारत के वायसराय लॉर्ड मिंटो द्वितीय के नाम पर थे। इन सुधारों की मुख्य विशेषता ‘सांप्रदायिक निर्वाचन मंडल’ (Communal Electorates) की स्थापना थी, जिसके तहत मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन मंडल का प्रावधान किया गया था। इस ने ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति को बढ़ावा दिया और भारत में सांप्रदायिक राजनीति की जड़ों को मजबूत किया। इसके अलावा, इसने केंद्रीय और प्रांतीय विधान परिषदों में भारतीयों की सदस्यता बढ़ाई थी।
- गलत विकल्प: 1919 में ‘मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार’ हुए, 1935 में ‘भारत सरकार अधिनियम’ आया, और 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली।
प्रश्न 20: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ (Quit India Movement) किस वर्ष प्रारंभ हुआ था?
- 1930
- 1935
- 1942
- 1947
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ 8 अगस्त 1942 को मुंबई में कांग्रेस की कार्यकारिणी समिति की बैठक में महात्मा गांधी द्वारा प्रस्तुत ‘करो या मरो’ के आह्वान के साथ प्रारंभ हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: यह आंदोलन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश शासन के विरुद्ध एक सबसे बड़ा और सबसे व्यापक जन आंदोलन था। इसका मुख्य उद्देश्य तत्काल ब्रिटिश शासन की समाप्ति की मांग करना था। इसके प्रारंभ होते ही कांग्रेस के सभी प्रमुख नेता गिरफ्तार कर लिए गए थे और आंदोलन को दबाने का प्रयास किया गया था। इस आंदोलन ने भारत की स्वतंत्रता के लिए अंतिम और सबसे तेज आवाज़ उठाई।
- गलत विकल्प: 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ था और 1935 में भारत सरकार अधिनियम पारित हुआ था। 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली।
प्रश्न 21: ‘पहला विश्व युद्ध’ (World War I) कब से कब तक चला?
- 1914-1918
- 1939-1945
- 1945-1949
- 1900-1905
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: पहला विश्व युद्ध 28 जुलाई 1914 को ऑस्ट्रिया-हंगरी द्वारा सर्बिया पर युद्ध घोषित किए जाने से शुरू हुआ और 11 नवंबर 1918 को जर्मनी द्वारा आत्मसमर्पण के साथ समाप्त हुआ।
- संदर्भ और विस्तार: यह युद्ध मुख्य रूप से केंद्रीय शक्तियों (जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, तुर्की, बुल्गारिया) और मित्र राष्ट्रों (ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, इटली, जापान, और बाद में अमेरिका) के बीच लड़ा गया था। इस युद्ध ने यूरोप के राजनीतिक मानचित्र को पूरी तरह बदल दिया और लाखों लोगों की जान ली। इस के परिणाम स्वरूप ‘राष्ट्र संघ’ (League of Nations) की स्थापना हुई और द्वितीय विश्व युद्ध की जड़ें भी इसमें छिपी थीं।
- गलत विकल्प: 1939-1945 द्वितीय विश्व युद्ध का काल है। 1945-1949 शीत युद्ध का आरंभिक काल माना जा सकता है, और 1900-1905 पहला विश्व युद्ध शुरू होने से काफी पहले का समय है।
प्रश्न 22: ‘शेर-ए-पंजाब’ के नाम से किसे जाना जाता है?
- भगत सिंह
- लाला लाजपत राय
- सर सर अब्दुल रहीम
- रंजीत सिंह
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘शेर-ए-पंजाब’ (Punjab Da Sher) के नाम से महान राष्ट्रवादी नेता और पंजाब के लोकप्रिय नेता लाला लाजपत राय को जाना जाता था।
- संदर्भ और विस्तार: लाला लाजपत राय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नेता थे और लाल-बाल-पाल (लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल) त्रय का हिस्सा थे। उन्होंने पंजाब के लोगों को ब्रिटिश शासन के विरुद्ध जागृत किया और साइमन कमीशन के विरोध के दौरान पुलिस लाठीचार्ज में उनकी शहादत हुई थी, जिसने भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों को प्रेरित किया।
- गलत विकल्प: भगत सिंह एक महान क्रांतिकारी थे लेकिन उन्हें ‘शहीद ए आजम’ कहा जाता है। महाराजा रंजीत सिंह पंजाब के महान शासक थे और उन्हें ‘पंजाब का शेर’ भी कहा जाता था, लेकिन आधुनिक राष्ट्रवादी संदर्भ में यह उपाधि लाला लाजपत राय से जुड़ी है। सर अब्दुल रहीम एक अन्य महत्वपूर्ण राजनीतिक हस्ती थे।
प्रश्न 23: ‘दांडी मार्च’ (Dandi March) किस राष्ट्रीय आंदोलन का हिस्सा था?
- असहयोग आंदोलन
- सविनय अवज्ञा आंदोलन
- भारत छोड़ो आंदोलन
- पूर्ण स्वराज आंदोलन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: दांडी मार्च, जिसे नमक मार्च भी कहा जाता है, महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) का एक अहम हिस्सा था।
- संदर्भ और विस्तार: यह मार्च 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से शुरू हुआ और 5 अप्रैल 1930 को दांडी (गुजरात में तट पर स्थित एक गांव) पहुंचकर गांधीजी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा नमक पर लगाए गए कर और उसके उत्पादन पर एकाधिकार के खिलाफ नमक कानून तोड़ा। इस घटना ने पूरे देश में सविनय अवज्ञा आंदोलन को एक नई ऊंचाई दी और लाखों लोगों ने इसमें भाग लिया।
- गलत विकल्प: असहयोग आंदोलन 1920-22 में हुआ था। भारत छोड़ो आंदोलन 1942 में हुआ था। पूर्ण स्वराज की घोषणा 1929 में हुई थी और यह एक लक्ष्य था न कि कोई विशेष आंदोलन जिसका हिस्सा दांडी मार्च था।
प्रश्न 24: ‘रॉलेट एक्ट’ (Rowlatt Act) किस वर्ष पारित किया गया था?
- 1917
- 1919
- 1920
- 1922
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: रॉलेट एक्ट (जिसे ‘बिना अपील, बिना वकील और बिना दलील’ वाला कानून भी कहा जाता था) 1919 ईस्वी में ब्रिटिश सरकार द्वारा पारित किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस कानून का असली नाम ‘द एनार्किल एंड रिवोल्यूशनरी ऑफेंसेस एक्ट’ था और इसे सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों के आधार पर लागू किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश शासन के विरुद्ध किसी भी प्रकार की राष्ट्रवादी गतिविधि को कुचलना था। इस कानून के तहत किसी भी भारतीय नागरिक को बिना किसी मुकदमे के गिरफ्तार किया जा सकता था और बिना अपील के कारावास में डाला जा सकता था। इसी कानून के विरोध में जलियांवाला बाग में एक सभा आयोजित की गई थी।
- गलत विकल्प: 1917 में होम रूल आंदोलन प्रमुख था, 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू हुआ और 1922 में चौरी-चौरा कांड के कारण उसे वापस ले लिया गया।
प्रश्न 25: ‘मंगोल आक्रमण’ के समय दिल्ली सल्तनत पर कौन सा शासक था?
- इल्तुतमिश
- बलबन
- अलाउद्दीन खिलजी
- मुहम्मद बिन तुगलक
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: इल्तुतमिश और अलाउद्दीन खिलजी दोनों के शासनकाल में मंगोल आक्रमण हुए, लेकिन अलाउद्दीन खिलजी के समय मंगोल आक्रमण अधिक गंभीर और बार-बार हुए थे और अलाउद्दीन ने इन आक्रमणों को सफलतापूर्वक रोकने के लिए मजबूत सैन्य व्यवस्था लागू की थी। हालांकि, इल्तुतमिश के समय भी मंगोल आक्रमण (चंगेज खान के नेतृत्व में ) हुए थे, लेकिन तब दिल्ली सल्तनत का विकास प्रारंभिक अवस्था में था और इल्तुतमिश ने चंगेज खान से सीधे टकराव से बचने के लिए कूटनीतिक मार्ग अपनाया था। प्रश्न ‘मंगोल आक्रमण के समय’ पूछ रहा है, जिस में दोनों शासक शामिल थे। फिर भी, अलाउद्दीन खिलजी ने इन आक्रमणों का सबसे प्रभावी रूप से सामना किया और उन से राज्य की रक्षा की। यदि एक ही विकल्प चुनना हो, तो अलाउद्दीन खिलजी ज्यादा सटीक है क्योंकि उसके समय आक्रमण और उसका प्रतिरोध दोनों बहुत महत्वपूर्ण थे। (प्रायः ऐसे प्रश्नों में ‘जब सबसे ज्यादा आक्रमण हुए’ या ‘जिन्होंने सफलतापूर्वक रोका’ जैसा स्पष्ट किया जाता है)। इल्तुतमिश के समय चंगेज खान का पहला बड़ा आक्रमण हुआ था जिसका सामना किया गया था, लेकिन अलाउद्दीन के समय मंगोल सेनाओं के साथ कई बड़े युद्ध हुए और उन से निपटने की रणनीति उसकी प्रमुख उपलब्धि थी। इसलिए, अक्सर अलाउद्दीन खिलजी को सही माना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इल्तुतमिश के काल (1220s) में चंगेज खान का आक्रमण हुआ था और इल्तुतमिश ने ख्वारिज्म के शाह जलाल उद्दीन मंगबरनी को शरण देने से इनकार कर दिया था ताकि चंगेज खान से टकराव न हो। अलाउद्दीन खिलजी के काल (1299-1300, 1303, 1306) में और भी बड़े और बार-बार मंगोल आक्रमण हुए थे जिनका नेतृत्व दुवा खान जैसे सरदारों ने किया था। अलाउद्दीन ने अपने सेनापति गाजी मलिक (बाद में गयासुद्दीन तुगलक) की मदद से इन आक्रमणों को सफलतापूर्वक रोकने के लिए सीमा पर मजबूत किले बनवाए और एक स्थायी सेना बनाई। मुहम्मद बिन तुगलक के समय भी कुछ आक्रमण हुए थे, लेकिन अलाउद्दीन के समय स्थितियां ज्यादा गंभीर थीं।
- गलत विकल्प: बलबन के समय भी मंगोल आक्रमण हुए थे और उसने सीमाओं को मजबूत किया था, लेकिन अलाउद्दीन खिलजी के समय आक्रमणों का पैमाना और उनसे निपटने की रणनीति अधिक महत्वपूर्ण थी। मुहम्मद बिन तुगलक के समय भी आक्रमण हुए थे, लेकिन उसकी अपनी आंतरिक नीतियां ज्यादा चर्चा में रहीं और मंगोल आक्रमण उस तरह से राज्य के लिए सीधा खतरा नहीं बने जितना अलाउद्दीन के समय बने थे।