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समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी समझ को परखें!

समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी समझ को परखें!

नमस्कार, भविष्य के समाजशास्त्री! आज के इस विशेष अभ्यास सत्र में आपका स्वागत है, जहाँ हम समाजशास्त्र के गहन ज्ञान की पड़ताल करेंगे। अपनी वैचारिक स्पष्टता को निखारने और विश्लेषणात्मक कौशल को तेज करने के लिए तैयार हो जाइए। आइए, इन 25 नए और चुनौतीपूर्ण प्रश्नों के साथ अपनी यात्रा शुरू करें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: “सामाजिक तथ्य” (Social Facts) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की, जिसे बाहरी, बाध्यकारी और सामान्यीकृत के रूप में परिभाषित किया गया है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. इमाइल दुर्खीम
  4. हरबर्ट स्पेंसर

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: इमाइल दुर्खीम ने अपनी कृति ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में “सामाजिक तथ्य” की अवधारणा प्रस्तुत की। उन्होंने इसे समाजशास्त्र का प्राथमिक अध्ययन क्षेत्र बताया।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, सामाजिक तथ्य वे तरीके हैं जिनसे व्यक्ति का व्यवहार, विचार और भावनाएँ उस समाज द्वारा निर्देशित होती हैं जिसमें वह रहता है। ये तथ्य व्यक्ति पर बाहरी रूप से थोपे जाते हैं और उनमें एक बाध्यकारी शक्ति होती है। उदाहरण के लिए, कानून, नैतिक नियम, धार्मिक विश्वास और सामाजिक रीति-रिवाज।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का मुख्य जोर वर्ग संघर्ष और आर्थिक व्यवस्था पर था। मैक्स वेबर ने क्रिया के व्यक्तिपरक अर्थों को समझने के लिए ‘वेरस्टेन’ (Verstehen) जैसी अवधारणाएँ दीं। हर्बर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास के लिए जैविक अनुरूपता (Social Darwinism) का विचार प्रस्तुत किया।

प्रश्न 2: वह प्रक्रिया क्या है जिसके द्वारा निम्न जाति या जनजाति के सदस्य किसी उच्च जाति के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और मान्यताओं को अपनाकर उच्च सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं? एम.एन. श्रीनिवास द्वारा गढ़ा गया यह शब्द क्या है?

  1. पश्चिमीकरण (Westernization)
  2. आधुनिकीकरण (Modernization)
  3. धर्मनिरपेक्षीकरण (Secularization)
  4. संस्कृतिकरण (Sanskritization)

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: संस्कृतिकरण (Sanskritization) वह प्रक्रिया है जिसे एम.एन. श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में वर्णित किया था।
  • संदर्भ और विस्तार: संस्कृतिकरण भारत में जाति व्यवस्था के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण सामाजिक गतिशीलता की प्रक्रिया है। इसके माध्यम से निचली जातियाँ या समुदाय ऊपरी जातियों के जीवन-यापन के तरीकों, अनुष्ठानों और पूजा-पद्धतियों को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊँचा उठाने का प्रयास करते हैं। यह सांस्कृतिक अनुकूलन का एक रूप है।
  • गलत विकल्प: पश्चिमीकरण का अर्थ है पश्चिमी संस्कृति और जीवन शैली को अपनाना। आधुनिकीकरण एक व्यापक शब्द है जो औद्योगिकीकरण, नगरीकरण और धर्मनिरपेक्षीकरण जैसी प्रक्रियाओं से जुड़ा है। धर्मनिरपेक्षीकरण का अर्थ है धर्म के प्रभाव में कमी आना।

प्रश्न 3: मैक्स वेबर के अनुसार, “आदर्श प्रारूप” (Ideal Type) क्या है?

  1. वास्तविक दुनिया का सटीक चित्रण
  2. एक मानक, जिसे सभी को प्राप्त करना चाहिए
  3. विश्लेषणात्मक उपकरण, जो वास्तविकता के अत्यधिक विशिष्ट और अतिरंजित गुणों पर आधारित होता है
  4. किसी विशेष समूह के सदस्यों द्वारा साझा की जाने वाली सामान्य भावना

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: वेबर के लिए, आदर्श प्रारूप एक वैचारिक निर्माण है जिसे समाजशास्त्री किसी भी सामाजिक घटना की जटिलता को समझने और उसका विश्लेषण करने के लिए बनाते हैं। यह वास्तविकता का एक अतिरंजित और व्यवस्थित चित्रण होता है, जिसमें अध्ययन की जा रही घटना के कुछ प्रमुख लक्षणों को जानबूझकर बढ़ाया जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: आदर्श प्रारूप वास्तविकता का कोई नैतिक निर्णय या मॉडल नहीं है, बल्कि यह एक तार्किक रूप से सुसंगत अवधारणा है जो अनुभवजन्य डेटा की तुलना और समझने में मदद करती है। जैसे, नौकरशाही का आदर्श प्रारूप।
  • गलत विकल्प: आदर्श प्रारूप वास्तविक दुनिया का हूबहू या सटीक चित्रण नहीं होता, बल्कि उसका एक वैचारिक ” caricatured” रूप होता है। यह कोई नैतिक मानक भी नहीं है। सामान्य भावना ‘लोकप्रिय ज्ञान’ (folk knowledge) का हिस्सा हो सकती है, आदर्श प्रारूप का नहीं।

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन साJWT (जॉन लॉ की पुस्तक “An Invitation to Social Theory” के संदर्भ में) के अनुसार, आधुनिक समाजों में ‘व्यक्तिगतकरण’ (Individualization) की प्रक्रिया का एक परिणाम नहीं है?

  1. परंपराओं और स्थापित संस्थाओं का क्षरण
  2. ‘स्व’ (Self) की बढ़ी हुई स्वायत्तता और आत्म-जागरूकता
  3. समाज से सुरक्षा और समर्थन की अपेक्षाओं में वृद्धि
  4. उत्तर-औद्योगिक समाज में नए प्रकार के जोखिमों (Risks) का उदय

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: JWT (Ulrich Beck) जैसे समाजशास्त्रियों ने आधुनिक समाजों में व्यक्तिगतकरण की प्रक्रिया का वर्णन किया है, जिसमें व्यक्ति पारंपरिक बंधनों से मुक्त होता है और अपने जीवन के निर्णय स्वयं लेता है, जिससे ‘स्व’ की स्वायत्तता बढ़ती है और नए जोखिम उत्पन्न होते हैं। हालाँकि, इस प्रक्रिया में व्यक्ति से समाज से सुरक्षा और समर्थन की अपेक्षाओं में वृद्धि होना एक जटिल परिणाम हो सकता है, लेकिन यह व्यक्तिगतकरण का सीधा या प्राथमिक परिणाम नहीं है, बल्कि इसके द्वारा उत्पन्न अनिश्चितताओं का प्रतिकार हो सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: व्यक्तिगतकरण (Individualization) का अर्थ है व्यक्ति का अपने जीवन की दिशा स्वयं तय करना, न कि पारंपरिक भूमिकाओं या सामाजिक संरचनाओं द्वारा पूर्वनिर्धारित होना। इससे ‘स्व’ अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है और व्यक्ति अपने जीवन के लिए स्वयं जिम्मेदार होता है।
  • गलत विकल्प: परंपराओं का क्षरण, ‘स्व’ की स्वायत्तता और नए जोखिमों का उदय व्यक्तिगतकरण के मुख्य परिणाम हैं, जैसा कि उलरिक बेक जैसे समाजोंशास्त्रियों ने समझाया है।

प्रश्न 5: किस समाजशास्त्री ने ‘समाज’ को एक ‘जैविक सजीव’ (Social Organism) के रूप में देखा और सामाजिक विकास के लिए ‘योग्यतम की उत्तरजीविता’ (Survival of the Fittest) के सिद्धांत को लागू किया?

  1. अगस्त कॉम्टे
  2. कार्ल मार्क्स
  3. हरबर्ट स्पेंसर
  4. ऑगस्टाइन कोम्टे

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: हर्बर्ट स्पेंसर ब्रिटिश समाजशास्त्री थे जिन्होंने समाज की तुलना एक जीवित सजीव से की। उन्होंने चार्ल्स डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत से प्रभावित होकर “योग्यतम की उत्तरजीविता” (Survival of the Fittest) के विचार को सामाजिक डार्विनवाद के रूप में समाज पर लागू किया।
  • संदर्भ और विस्तार: स्पेंसर का मानना था कि समाज भी जैविक जीवों की तरह सरल रूपों से जटिल रूपों की ओर विकसित होता है। इस विकास में, जो व्यक्ति या समाज सामाजिक और आर्थिक रूप से अधिक अनुकूलित होते हैं, वे जीवित रहते हैं और फलते-फूलते हैं, जबकि जो कम अनुकूलित होते हैं, वे विलुप्त हो जाते हैं।
  • गलत विकल्प: अगस्त कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने ‘प्रत्यक्षवाद’ (Positivism) का सिद्धांत दिया। कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष पर जोर दिया। ऑगस्टाइन कोम्टे एक ही व्यक्ति हैं, दोहराव है।

प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के चार मुख्य प्रकारों में से एक नहीं है, जैसा कि समाजशास्त्रियों द्वारा विश्लेषण किया गया है?

  1. दासता (Slavery)
  2. जाति (Caste)
  3. वर्ग (Class)
  4. समुदाय (Community)

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: समुदाय (Community) एक सामाजिक समूह है जो साझा क्षेत्र, संस्कृति या पहचान पर आधारित होता है, लेकिन यह सामाजिक स्तरीकरण का एक प्रकार नहीं है। सामाजिक स्तरीकरण समाज के विभिन्न समूहों के बीच असमान शक्ति, धन और प्रतिष्ठा के पदानुक्रमित वितरण से संबंधित है।
  • संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्र में सामाजिक स्तरीकरण के प्रमुख प्रकारों में दासता (जहां व्यक्तियों को संपत्ति के रूप में माना जाता है), जाति (जन्म-आधारित, कठोर स्तरीकरण व्यवस्था), और वर्ग (मुख्य रूप से आर्थिक स्थिति पर आधारित, अधिक तरल स्तरीकरण) शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: दासता, जाति और वर्ग तीनों सामाजिक स्तरीकरण की मान्यता प्राप्त व्यवस्थाएँ हैं। समुदाय स्तरीकरण का प्रकार नहीं बल्कि एक सामाजिक व्यवस्था है।

प्रश्न 7: आर.के. मर्टन द्वारा प्रस्तुत “अनुकूलित व्यवहार” (Deviant Behavior) के संदर्भ में, वह स्थिति क्या कहलाती है जब व्यक्ति सामाजिक लक्ष्यों को अस्वीकार करता है लेकिन उन्हें प्राप्त करने के साधनों को स्वीकार करता है?

  1. अभिनव (Innovation)
  2. अनुष्ठानवाद (Ritualism)
  3. पलायनवाद (Retreatism)
  4. विद्रोह (Rebellion)

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: आर.के. मर्टन ने अपनी “सांस्कृतिक संरचना और अनामी” (Social Structure and Anomie) नामक रचना में “अनुकूलित व्यवहार” के चार प्रकार बताए। ‘अभिनव’ (Innovation) वह स्थिति है जब व्यक्ति समाज द्वारा स्वीकृत लक्ष्यों (जैसे धनार्जन) को प्राप्त करने के लिए अनैतिक या अवैध साधनों (जैसे चोरी) का उपयोग करता है, जबकि वे लक्ष्यों को स्वीकार करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मर्टन के अनुसार, जब सांस्कृतिक लक्ष्यों और संस्थागत साधनों के बीच एक बेमेल (mismatch) होता है, तो अनामी (anomie) उत्पन्न हो सकती है, जिससे विभिन्न प्रकार के अनुकूलित व्यवहार सामने आते हैं।
  • गलत विकल्प: अनुष्ठानवाद (Ritualism) में व्यक्ति लक्ष्यों को अस्वीकार कर देता है लेकिन साधनों का पालन करता है (जैसे, एक निम्न-स्तरीय कर्मचारी जो पदोन्नति की उम्मीद खो चुका है लेकिन नियमों का पालन करता रहता है)। पलायनवाद (Retreatism) में व्यक्ति लक्ष्यों और साधनों दोनों को अस्वीकार कर देता है (जैसे, नशीली दवाओं के आदी)। विद्रोह (Rebellion) में व्यक्ति मौजूदा लक्ष्यों और साधनों दोनों को अस्वीकार कर देता है और उन्हें बदलने का प्रयास करता है।

प्रश्न 8: भारत में जाति व्यवस्था का अध्ययन करते समय, ‘दत्तक ग्रहण’ (Adoption) की प्रक्रिया, जिसमें एक परिवार किसी बच्चे को अपने वंश में शामिल करता है, मुख्य रूप से किस सामाजिक संस्था से संबंधित है?

  1. धर्म (Religion)
  2. परिवार और नातेदारी (Family and Kinship)
  3. राजनीति (Politics)
  4. अर्थव्यवस्था (Economy)

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: दत्तक ग्रहण, यानी किसी बच्चे को कानूनी और सामाजिक रूप से अपने बच्चे के रूप में स्वीकार करना, परिवार और नातेदारी (Kinship) की संरचना का एक मूलभूत हिस्सा है। यह वंशानुक्रम, संपत्ति हस्तांतरण और परिवार की निरंतरता सुनिश्चित करने से संबंधित है, जो सभी नातेदारी प्रणाली के अंतर्गत आते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: भारतीय समाज में, जहाँ संयुक्त परिवार प्रणाली ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण रही है, दत्तक ग्रहण अक्सर वंश को आगे बढ़ाने, वारिस प्राप्त करने या धार्मिक अनुष्ठान (जैसे श्राद्ध) करने के लिए किया जाता है।
  • गलत विकल्प: जबकि धर्म कुछ अनुष्ठानों के लिए दत्तक ग्रहण को प्रेरित कर सकता है, और अर्थव्यवस्था संपत्ति हस्तांतरण से जुड़ी है, दत्तक ग्रहण का मुख्य आधार परिवार और नातेदारी की संस्था है। राजनीति का इससे सीधा संबंध नहीं है।

प्रश्न 9: “सामाजिक गतिशीलता” (Social Mobility) की अवधारणा का तात्पर्य समाज में व्यक्तियों या समूहों की _____ के आधार पर स्थिति में होने वाले परिवर्तन से है?

  1. धार्मिक आस्था
  2. जातिगत संबंध
  3. सामाजिक स्थिति (ऊपर या नीचे की ओर)
  4. राजनीतिक विचारधारा

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: सामाजिक गतिशीलता का अर्थ है किसी व्यक्ति या समूह की सामाजिक पदानुक्रम में एक स्थिति से दूसरी स्थिति में जाना, चाहे वह ऊपर की ओर (जैसे, गरीब से अमीर बनना) या नीचे की ओर (जैसे, अमीर से गरीब बनना) हो। यह आर्थिक, व्यावसायिक या शैक्षिक प्रगति से जुड़ा हो सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक गतिशीलता को ऊर्ध्वाधर (Vertical) और क्षैतिज (Horizontal) गतिशीलता में वर्गीकृत किया जाता है। ऊर्ध्वाधर गतिशीलता स्थिति में परिवर्तन को दर्शाती है, जबकि क्षैतिज गतिशीलता में व्यक्ति उसी स्तर की एक स्थिति से दूसरी में जाता है।
  • गलत विकल्प: धार्मिक आस्था, जातिगत संबंध और राजनीतिक विचारधाराएं गतिशीलता के कारक या परिणाम हो सकती हैं, लेकिन स्वयं गतिशीलता का अर्थ सामाजिक स्थिति में परिवर्तन है।

प्रश्न 10: मैकमैनुस (McManus) के अनुसार, **”जनजातीय समाज”** (Tribal Society) की एक विशेषता निम्नलिखित में से कौन सी है?

  1. एक विकसित राज्य व्यवस्था और केंद्रीकृत शक्ति
  2. लिखित कानून और न्याय प्रणाली
  3. रक्त संबंध (Blood relations) आधारित सामाजिक संगठन
  4. उच्च स्तर का औद्योगिकीकरण और शहरीकरण

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: कई मानवशास्त्री और समाजशास्त्री, मैकमैनुस सहित, बताते हैं कि जनजातीय समाज का मुख्य आधार रक्त संबंध (Kinship) या वंश (Descent) होता है। समुदाय छोटे, स्वायत्त इकाइयों में बंटे होते हैं और उनका सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक जीवन रक्त संबंधों के ताने-बाने से जुड़ा होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: जनजातीय समाजों में अक्सर राजनीतिक सत्ता का विकेंद्रीकरण होता है, कानून अलिखित होते हैं (जो परंपराओं और रीति-रिवाजों पर आधारित होते हैं), और आर्थिक गतिविधियाँ अक्सर निर्वाह-आधारित होती हैं।
  • गलत विकल्प: विकसित राज्य व्यवस्था, लिखित कानून और उच्च औद्योगिकीकरण आधुनिक या औद्योगिक समाजों की विशेषताएँ हैं, न कि पारंपरिक जनजातीय समाजों की।

प्रश्न 11: कौन सा समाजशास्त्री “सामूहिक चेतना” (Collective Conscience) के विचार के लिए जाना जाता है, जो समाज के सदस्यों में साझा विश्वासों, मूल्यों और भावनाओं का योग है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. इमाइल दुर्खीम
  4. जॉर्ज सिमेल

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: इमाइल दुर्खीम ने “सामूहिक चेतना” (Collective Conscience) की अवधारणा का प्रयोग यह समझाने के लिए किया कि कैसे समाज के सदस्य साझा विचारों और भावनाओं से बंधे होते हैं, जो सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) का आधार बनती है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘The Division of Labour in Society’ में तर्क दिया कि पारंपरिक समाजों में (जहाँ यांत्रिक एकजुटता होती है) सामूहिक चेतना अधिक मजबूत होती है, जबकि आधुनिक समाजों में (जहाँ विशेषीकृत श्रम के कारण जैविक एकजुटता होती है) यह कमजोर हो सकती है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने वर्ग चेतना (Class Consciousness) पर जोर दिया। मैक्स वेबर ने व्यक्तिपरक अर्थों और नौकरशाही पर ध्यान केंद्रित किया। जॉर्ज सिमेल ने सामाजिक अंतःक्रियाओं और महानगरीय जीवन का विश्लेषण किया।

प्रश्न 12: **”अनामी” (Anomie)**, जैसा कि दुर्खीम द्वारा परिभाषित किया गया है, वह स्थिति है जब:

  1. व्यक्ति अत्यधिक सामाजिक अलगाव (Alienation) महसूस करता है।
  2. समाज में नैतिक और सामाजिक मानदंडों की स्पष्टता का अभाव होता है।
  3. वर्ग संघर्ष चरमोत्कर्ष पर होता है।
  4. व्यक्ति अपनी भूमिकाओं को प्रभावी ढंग से नहीं निभा पाता।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: दुर्खीम के अनुसार, अनामी (Anomie) एक ऐसी सामाजिक स्थिति है जब समाज के सदस्यों के बीच सामान्य नियमों और मूल्यों का अभाव होता है, या जब प्रचलित नियम स्पष्ट, सुसंगत या प्रभावी नहीं रहते। यह सामाजिक अव्यवस्था की स्थिति है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनामी को दुर्खीम ने आत्महत्या (Suicide) के कारणों में से एक के रूप में भी पहचाना। तीव्र सामाजिक परिवर्तन, आर्थिक मंदी या उत्थान की अवधि अनामी को जन्म दे सकती है, क्योंकि मौजूदा नियम अब जीवन की वास्तविकताओं के अनुरूप नहीं होते।
  • गलत विकल्प: सामाजिक अलगाव (Alienation) मार्क्स की अवधारणा है। वर्ग संघर्ष मार्क्स का केंद्रीय विषय है। भूमिकाओं का प्रभावी ढंग से न निभा पाना भूमिका संघर्ष (Role Conflict) से संबंधित हो सकता है।

प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सा **”सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag)** की अवधारणा का वर्णन करता है, जैसा कि विलियम ओगबर्न (William F. Ogburn) ने प्रस्तुत किया है?

  1. जब आर्थिक उत्पादन की गति सामाजिक विचारों की गति से धीमी हो जाती है।
  2. जब समाज के भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) में परिवर्तन, अभौतिक संस्कृति (जैसे मूल्य, मानदंड) में परिवर्तन की तुलना में अधिक तेजी से होता है।
  3. जब व्यक्ति पुराने रीति-रिवाजों से चिपके रहते हैं और नए विचारों को नहीं अपनाते।
  4. जब सामाजिक परिवर्तन का विरोध बहुत मजबूत होता है।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: विलियम ओगबर्न ने “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) का विचार दिया, जिसमें उन्होंने तर्क दिया कि तकनीकी या भौतिक संस्कृति में परिवर्तन अभौतिक संस्कृति (जैसे सामाजिक नियम, नैतिकता, कानून) में परिवर्तन की तुलना में बहुत तेज होता है। इसके कारण समाज में असंतुलन और समायोजन की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, इंटरनेट और सोशल मीडिया का तेजी से विकास हुआ, लेकिन उनके उपयोग से जुड़े नैतिक और कानूनी नियम (जैसे डिजिटल गोपनीयता, ऑनलाइन उत्पीड़न) इस गति से विकसित नहीं हुए, जिससे सांस्कृतिक विलंब उत्पन्न हुआ।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प सांस्कृतिक परिवर्तन के अन्य पहलुओं का वर्णन करते हैं, लेकिन सांस्कृतिक विलंब विशेष रूप से भौतिक और अभौतिक संस्कृति के बीच समय के अंतर को संदर्भित करता है।

प्रश्न 14: **”प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism)** के प्रमुख प्रस्तावक कौन थे, जिन्होंने “स्व” (Self) के विकास को सामाजिक अंतःक्रियाओं और प्रतीकों के माध्यम से समझा?

  1. एमील दुर्खीम
  2. मैक्स वेबर
  3. जी.एच. मीड
  4. अगस्त कॉम्टे

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (G.H. Mead) को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का एक संस्थापक व्यक्ति माना जाता है। उन्होंने समझाया कि मानव “स्व” (Self) सामाजिक अंतःक्रियाओं के माध्यम से विकसित होता है, जहाँ व्यक्ति दूसरों के दृष्टिकोण को अपनाना सीखता है और प्रतीकों (जैसे भाषा) का उपयोग करके संवाद करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मीड ने “मी” (Me) और “आई” (I) के बीच अंतर किया। “मी” समाज द्वारा लगाए गए नियमों और भूमिकाओं का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि “आई” हमारी प्रतिक्रियाओं की मौलिकता और स्वतंत्रता है। इन दोनों के बीच अंतःक्रिया से “स्व” का निर्माण होता है।
  • गलत विकल्प: दुर्खीम, वेबर और कॉम्टे क्रमशः संरचनात्मक, व्यक्तिपरक और प्रत्यक्षवादी दृष्टिकोण के प्रमुख समर्थक थे, प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के नहीं।

प्रश्न 15: **”पदानुक्रमित संस्था” (Hierarchical Institution)** के रूप में **”नौकरशाही” (Bureaucracy)** की अवधारणा को किस समाजशास्त्री ने विकसित किया?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. टैल्कोट पार्सन्स
  4. रॉबर्ट ई. पार्क

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: मैक्स वेबर ने अपने क्लासिक विश्लेषण में नौकरशाही को आधुनिक समाज के एक आदर्श प्रकार (Ideal Type) के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने नौकरशाही को उसकी विशिष्ट विशेषताओं जैसे पदानुक्रमित संरचना, नियमों पर आधारित कार्यप्रणाली, विशेषीकरण और अवैयक्तिक संबंधों के कारण सबसे कुशल और तर्कसंगत संगठनात्मक रूप माना।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर के अनुसार, नौकरशाही तर्कसंगत-कानूनी सत्ता (Rational-Legal Authority) पर आधारित होती है। हालांकि उन्होंने इसकी दक्षता को स्वीकार किया, लेकिन उन्होंने नौकरशाही के “लोहे के पिंजरे” (Iron Cage) बनने के खतरे के बारे में भी चेतावनी दी, जो मानव स्वतंत्रता को सीमित कर सकता है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवाद और शोषण पर ध्यान केंद्रित किया। टैल्कोट पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था और प्रकार्यों (Functions) पर काम किया। रॉबर्ट ई. पार्क शिकागो स्कूल के एक प्रमुख सदस्य थे जिन्होंने शहरी समाजशास्त्र में योगदान दिया।

प्रश्न 16: **”सामाजिकरण” (Socialization)** की प्रक्रिया समाज में _____ को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है?

  1. व्यक्तिगत स्वतंत्रता
  2. सामाजिक नियंत्रण और सांस्कृतिक निरंतरता
  3. आर्थिक असमानता
  4. राजनीतिक अस्थिरता

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: सामाजिकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने समाज के मानदंडों, मूल्यों, विश्वासों और व्यवहारों को सीखते और आत्मसात करते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि व्यक्ति समाज के नियमों का पालन करें (सामाजिक नियंत्रण) और समाज की संस्कृति अगली पीढ़ियों को हस्तांतरित हो (सांस्कृतिक निरंतरता)।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिकरण परिवार, स्कूल, मित्र समूह, जनसंचार माध्यमों आदि द्वारा होता है। इसके माध्यम से व्यक्ति समाज का एक सदस्य बनता है और अपनी भूमिकाएँ निभाना सीखता है।
  • गलत विकल्प: जबकि सामाजिकरण कुछ हद तक व्यक्तिगत स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकता है, यह सीधे तौर पर आर्थिक असमानता या राजनीतिक अस्थिरता को बनाए रखने के लिए नहीं है, बल्कि सामाजिक व्यवस्था और स्थिरता के लिए है।

प्रश्न 17: **”सामाजिक संरचना” (Social Structure)** से क्या तात्पर्य है?

  1. लोगों के विचारों और विश्वासों का कुल योग।
  2. समाज में समूहों और संस्थाओं के बीच अपेक्षाकृत स्थायी संबंधों का एक पैटर्न।
  3. किसी समाज में व्यक्तिगत अंतःक्रियाओं की तात्कालिकता।
  4. केवल भौतिक वातावरण जो समाज को घेरे रहता है।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: सामाजिक संरचना समाज के विभिन्न हिस्सों, जैसे कि परिवार, शिक्षा, सरकार, अर्थव्यवस्था, और उनके बीच के संबंधों के एक व्यवस्थित पैटर्न को संदर्भित करती है। ये संरचनाएं समाज के सदस्यों के व्यवहार और अवसरों को आकार देती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक संरचना स्थिर और परिवर्तनशील दोनों हो सकती है। यह समाज के कामकाज के लिए एक ढांचा प्रदान करती है और व्यक्तियों को उनकी भूमिकाएँ और अपेक्षाएँ समझने में मदद करती है।
  • गलत विकल्प: लोगों के विचार और विश्वास संस्कृति का हिस्सा हैं, न कि सीधे संरचना का। व्यक्तिगत अंतःक्रियाएं प्रक्रियाएं हैं, संरचना नहीं। भौतिक वातावरण सामाजिक संरचना का हिस्सा हो सकता है, लेकिन यह पूर्ण परिभाषा नहीं है।

प्रश्न 18: **”संस्था” (Institution)** को समाजशास्त्र में कैसे परिभाषित किया जाता है?

  1. किसी भी सामाजिक समूह की अनौपचारिक बैठक।
  2. समाज के मूलभूत कार्यों को पूरा करने के लिए स्थापित और स्थायी सामाजिक पैटर्न।
  3. एक अस्थायी सामाजिक आंदोलन।
  4. व्यक्तिगत भावनाओं और विश्वासों का संग्रह।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: सामाजिक संस्थाएं समाज के उन स्थायी और स्थापित तरीकों को संदर्भित करती हैं जिनके माध्यम से समाज अपनी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करता है, जैसे परिवार (प्रजनन और पालन-पोषण), शिक्षा (ज्ञान का हस्तांतरण), धर्म (विश्वास और अनुष्ठान), अर्थव्यवस्था (उत्पादन और वितरण), और सरकार (व्यवस्था और सुरक्षा)।
  • संदर्भ और विस्तार: संस्थाएं आमतौर पर नियमों, मूल्यों, विश्वासों और भूमिकाओं के एक जटिल सेट से बनी होती हैं। ये समाज के कामकाज के लिए आवश्यक होती हैं।
  • गलत विकल्प: अनौपचारिक बैठकें, अस्थायी आंदोलन या व्यक्तिगत भावनाएं संस्थाएं नहीं हैं।

प्रश्न 19: **”प्रत्यक्षवादी” (Positivist)** समाजशास्त्र का दृष्टिकोण किस बात पर बल देता है?

  1. सामाजिक घटनाओं के व्यक्तिपरक अर्थों को समझना।
  2. वैज्ञानिक विधियों और अनुभवजन्य साक्ष्य (Empirical Evidence) के माध्यम से सामाजिक वास्तविकता का अध्ययन करना।
  3. सामाजिक समस्याओं के लिए दार्शनिक समाधान खोजना।
  4. सामाजिक परिवर्तन को केवल क्रांति के माध्यम से लाना।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: प्रत्यक्षवाद (Positivism) का मानना ​​है कि समाज का अध्ययन प्राकृतिक विज्ञानों की तरह ही वैज्ञानिक तरीकों से किया जाना चाहिए। इसमें अवलोकन, प्रयोग और अनुभवजन्य साक्ष्य के आधार पर सामाजिक घटनाओं के नियमों को खोजना शामिल है। ऑगस्टे कॉम्टे इस दृष्टिकोण के प्रस्तावक थे।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रत्यक्षवाद सामाजिक दुनिया को वस्तुनिष्ठ रूप से देखने और कारण-और-प्रभाव संबंधों को स्थापित करने का प्रयास करता है।
  • गलत विकल्प: सामाजिक घटनाओं के व्यक्तिपरक अर्थों को समझना व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology) का हिस्सा है (जैसे वेबर)। दार्शनिक समाधान और क्रांति जैसे विचार प्रत्यक्षवाद के मुख्य सिद्धांत नहीं हैं।

प्रश्न 20: **”आत्मसातकरण” (Assimilation)**, सामाजिक समावेशन की प्रक्रिया के संदर्भ में, क्या है?

  1. एक अल्पसंख्यक समूह का बहुसंख्यक समूह में पूरी तरह से विलीन हो जाना, अपनी विशिष्ट पहचान खो देना।
  2. विभिन्न सांस्कृतिक समूहों का एक साथ रहना और अपनी पहचान बनाए रखना।
  3. एक नया मिश्रित समाज बनाना जिसमें सभी समूहों की विशेषताएं हों।
  4. सामाजिक पदानुक्रम में एक विशिष्ट स्थान बनाए रखना।

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: आत्मसातकरण (Assimilation) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक अल्पसंख्यक समूह या व्यक्ति बहुसंख्यक समूह की संस्कृति, मूल्यों और व्यवहारों को अपना लेता है, और धीरे-धीरे अपनी मूल संस्कृति को छोड़ देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अक्सर प्रवास और सांस्कृतिक संपर्क के संदर्भ में देखा जाता है, जहाँ अल्पसंख्यक समूह बहुसंख्यक समाज में फिट होने के लिए अपनी प्रथाओं को बदलते हैं।
  • गलत विकल्प: विभिन्न सांस्कृतिक समूहों का साथ रहना ‘सांस्कृतिक बहुलवाद’ (Multiculturalism) कहलाता है। एक नया मिश्रित समाज ‘संलयन’ (Fusion) या ‘सांस्कृतिक मिश्रण’ (Cultural Amalgamation) कहलाता है। सामाजिक पदानुक्रम में स्थान बनाए रखना स्तरीकरण का हिस्सा है।

प्रश्न 21: **”सामाजिक पूंजी” (Social Capital)** की अवधारणा, जैसा कि पी. बुर्दियू (Pierre Bourdieu) ने विकसित की, मुख्य रूप से __________ से संबंधित है?

  1. व्यक्तिगत आर्थिक संपत्ति और धन।
  2. ज्ञान और कौशल का समुच्चय।
  3. लोगों के बीच संबंधों का नेटवर्क और उन नेटवर्कों तक पहुँच।
  4. पारंपरिक सामाजिक रीति-रिवाज और मूल्य।

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: पियरे बुर्दियू के अनुसार, सामाजिक पूंजी उन सामाजिक नेटवर्क, संबंधों और संपर्कों को संदर्भित करती है जो व्यक्तियों या समूहों को लाभ (जैसे जानकारी, समर्थन, अवसर) प्राप्त करने में मदद करते हैं। यह ‘पूंजी’ का एक गैर-आर्थिक रूप है।
  • संदर्भ और विस्तार: एक मजबूत सामाजिक नेटवर्क, जिसमें विश्वास और पारस्परिक दायित्वों की भावना हो, व्यक्तियों को सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से आगे बढ़ने में मदद कर सकता है।
  • गलत विकल्प: व्यक्तिगत आर्थिक संपत्ति ‘आर्थिक पूंजी’ है। ज्ञान और कौशल ‘सांस्कृतिक पूंजी’ हैं। पारंपरिक रीति-रिवाज ‘सांस्कृतिक पूंजी’ या ‘परंपरा’ का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन सीधे सामाजिक पूंजी नहीं।

प्रश्न 22: **”सत्ता” (Power)**, जैसा कि मैक्स वेबर द्वारा परिभाषित किया गया है, वह ______ की संभावना है?

  1. नियमों का पालन करने की इच्छा
  2. किसी आदेश का पालन करवाने की संभावना, भले ही वह आदेश इच्छित न हो।
  3. किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी भी समय किसी भी प्रकार का आदेश दिया जाना।
  4. समूह के सदस्यों के बीच पूर्ण समानता।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: मैक्स वेबर ने सत्ता (Power) को “किसी सामाजिक रिश्ते में, किसी भी व्यक्ति को, अपनी इच्छा के विरुद्ध भी, अपनी आज्ञा का पालन कराने की संभावना” के रूप में परिभाषित किया।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने सत्ता को ‘प्रभुत्व’ (Domination) से भी जोड़ा, जहाँ एक व्यक्ति या समूह दूसरे पर लगातार प्रभुत्व बनाए रखता है। उन्होंने तीन प्रकार की वैधानिक सत्ता (Legal Authority) का भी वर्णन किया: पारंपरिक, करिश्माई और तर्कसंगत-कानूनी।
  • गलत विकल्प: नियमों का पालन करने की इच्छा ‘अनुपालन’ (Compliance) का हिस्सा है। केवल आदेश देना और पूर्ण समानता सत्ता के विपरीत अवधारणाएं हैं।

प्रश्न 23: **”जाति व्यवस्था” (Caste System)** की एक प्रमुख विशेषता क्या है, जो इसे अन्य स्तरीकरण प्रणालियों से अलग करती है?

  1. उच्च सामाजिक गतिशीलता की संभावना।
  2. पेशा चुनने की पूर्ण स्वतंत्रता।
  3. जन्म पर आधारित कठोर स्तरीकरण और अंतर्विवाह (Endogamy)।
  4. आर्थिक स्थिति मुख्य निर्धारक।

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: भारतीय जाति व्यवस्था की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता जन्म पर आधारित इसकी कठोर स्तरीकरण है। व्यक्ति जिस जाति में जन्म लेता है, वही उसकी सामाजिक स्थिति, पेशा (ऐतिहासिक रूप से) और विवाह संबंध तय करती है। अंतर्विवाह (अपनी जाति के भीतर विवाह) इस व्यवस्था को बनाए रखने का एक प्रमुख तंत्र है।
  • संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था में सामाजिक गतिशीलता बहुत सीमित होती है, और पेशा अक्सर वंशानुगत होता है। आर्थिक स्थिति स्तरीकरण का एक पहलू हो सकता है, लेकिन यह जन्म-आधारित स्थिति जितना मौलिक नहीं है।
  • गलत विकल्प: उच्च सामाजिक गतिशीलता और पेशा चुनने की स्वतंत्रता आधुनिक वर्ग प्रणालियों की विशेषताएँ हैं, जाति व्यवस्था की नहीं।

प्रश्न 24: **”सांस्कृतिक प्रसार” (Cultural Diffusion)** से क्या तात्पर्य है?

  1. एक संस्कृति के भीतर नवाचारों का विकास।
  2. विभिन्न समाजों या संस्कृतियों के बीच सांस्कृतिक तत्वों (जैसे विचार, तकनीक, रीति-रिवाज) का आदान-प्रदान।
  3. एक विशिष्ट समाज के सदस्यों द्वारा अपनी संस्कृति को अत्यधिक श्रेष्ठ मानना।
  4. समाज में पुरानी परंपराओं का धीरे-धीरे समाप्त होना।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: सांस्कृतिक प्रसार (Cultural Diffusion) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक संस्कृति से सांस्कृतिक तत्व (जैसे भाषा, कला, भोजन, प्रौद्योगिकी) दूसरी संस्कृति में फैलते हैं। यह व्यापार, प्रवास, युद्ध या मीडिया जैसे माध्यमों से हो सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, वैश्विक स्तर पर पिज्जा या जींस का लोकप्रिय होना सांस्कृतिक प्रसार का एक उदाहरण है।
  • गलत विकल्प: नवाचारों का विकास ‘नवाचार’ (Innovation) है। अपनी संस्कृति को श्रेष्ठ मानना ​​’जातिवाद’ (Ethnocentrism) या ‘सांस्कृतिक वर्चस्व’ (Cultural Hegemony) से संबंधित है। परंपराओं का समाप्त होना ‘आधुनिकीकरण’ या ‘सांस्कृतिक परिवर्तन’ का एक परिणाम हो सकता है।

प्रश्न 25: **”गुलामगिरी” (Slavery)** किस प्रकार की सामाजिक स्तरीकरण प्रणाली का एक उदाहरण है?

  1. एक खुली वर्ग व्यवस्था, जहाँ गतिशीलता संभव है।
  2. एक जन्म-आधारित, कठोर व्यवस्था जिसमें व्यक्ति संपत्ति के रूप में माने जाते हैं।
  3. एक सामंती व्यवस्था।
  4. एक मिश्रित व्यवस्था जो आधुनिक समाज में पाई जाती है।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सही उत्तर: गुलामगिरी एक अत्यंत कठोर और जन्म-आधारित स्तरीकरण प्रणाली है जहाँ व्यक्ति को संपत्ति माना जाता है। गुलामों को खरीदा, बेचा या विरासत में दिया जा सकता है, और उन्हें अक्सर कोई अधिकार या स्वतंत्रता नहीं होती। उनकी स्थिति आमतौर पर वंशानुगत होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह व्यवस्था ऐतिहासिक रूप से विभिन्न समाजों में पाई गई है, जैसे प्राचीन रोम, संयुक्त राज्य अमेरिका में दास-प्रथा, आदि। यह ‘बंद व्यवस्था’ (Closed System) का एक चरम रूप है।
  • गलत विकल्प: एक खुली वर्ग व्यवस्था में गतिशीलता अधिक होती है। सामंती व्यवस्था में संबंध मालिक और भूदास (serf) के बीच थे, जो गुलामी से भिन्न थे। आधुनिक समाजों में प्रत्यक्ष गुलामगिरी कम है, हालांकि दासता के नए रूप मौजूद हो सकते हैं।

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