समाजशास्त्र का दैनिक अभ्यास: अपनी पकड़ मजबूत करें!
नमस्कार, समाजशास्त्र के जिज्ञासुओ! अपनी तैयारी को धार देने और अवधारणात्मक स्पष्टता को परखने के लिए तैयार हो जाइए। आज हम आपके लिए लाए हैं समाजशास्त्र के हर पहलू को छूते हुए 25 महत्वपूर्ण प्रश्न। अपने ज्ञान का मूल्यांकन करें और प्रत्येक प्रश्न के विस्तृत उत्तरों से अपनी समझ को और गहरा करें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक क्रिया’ (Social Action) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की, जिसमें व्यक्ति द्वारा की जाने वाली वह क्रिया शामिल है जिसमें वह अपने कर्ता-संबंधी अर्थ को ध्यान में रखता है?
- कार्ल मार्क्स
- ईमाइल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने ‘सामाजिक क्रिया’ की अवधारणा को समाजशास्त्र के केंद्र में रखा। उनके अनुसार, समाजशास्त्र का कार्य सामाजिक क्रिया को समझना और उसकी व्याख्या करना है, जिसमें व्यक्ति अपने कर्ता-संबंधी अर्थ को ध्यान में रखकर कार्य करता है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर की यह अवधारणा उनकी व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology) का आधार है, जिसे उन्होंने अपनी कृति ‘Economy and Society’ में विस्तार से समझाया है। यह दुर्खीम के प्रत्यक्षवादी दृष्टिकोण से भिन्न है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का मुख्य ध्यान वर्ग संघर्ष और आर्थिक निर्धारणवाद पर था। ईमाइल दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों और सामूहिक चेतना पर जोर दिया। जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) का विकास किया, जिसमें ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) की भूमिका महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) को ‘सामाजिक संबंधों के पैटर्न’ के रूप में परिभाषित करता है?
- ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन
- टैल्कोट पार्सन्स
- रॉबर्ट के. मर्टन
- इर्विंग गॉफमैन
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन, संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकतावाद (Structural-Functionalism) के प्रमुख विचारक थे, जिन्होंने सामाजिक संरचना को विभिन्न व्यक्तियों के बीच स्थापित सामाजिक संबंधों के एक व्यवस्थित जाल (network) के रूप में परिभाषित किया।
- संदर्भ और विस्तार: उनके अनुसार, समाज एक जीवित प्राणी की तरह है जहाँ विभिन्न अंग (संस्थाएँ) मिलकर कार्य करते हैं और संरचना समाज के अस्तित्व को बनाए रखती है।
- गलत विकल्प: टैल्कोट पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था और एकीकरण पर जोर दिया। रॉबर्ट के. मर्टन ने ‘मध्यम-श्रेणी के सिद्धांत’ (Middle-Range Theories) और ‘अनुकूलन’ (Adaptation) जैसी अवधारणाएँ दीं। इर्विंग गॉफमैन ने ‘नाटकीयता’ (Dramaturgy) के सिद्धांत के माध्यम से दैनिक जीवन का विश्लेषण किया।
प्रश्न 3: ‘अनुकूलन’ (Adaptation) और ‘लक्ष्य प्राप्ति’ (Goal Attainment) किस सामाजिक व्यवस्था के अनिवार्य प्रकार्य (Functions) हैं, जैसा कि टैल्कोट पार्सन्स के AGIL मॉडल में बताया गया है?
- एकिकरण (Integration)
- निजीकरण (Latency)
- आर्थिक व्यवस्था (Economy)
- राजनीतिक व्यवस्था (Polity)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: पार्सन्स के AGIL मॉडल में, ‘अनुकूलन’ (Adaptation) पर्यावरण से संसाधन प्राप्त करने और ‘लक्ष्य प्राप्ति’ (Goal Attainment) समाज के लक्ष्यों को निर्धारित करने और प्राप्त करने से संबंधित है। ये दोनों प्रकार्य आर्थिक व्यवस्था (Economy) से जुड़े हैं।
- संदर्भ और विस्तार: AGIL का मतलब है: A-Adaptation (अनुकूलन), G-Goal Attainment (लक्ष्य प्राप्ति), I-Integration (एकिकरण), और L-Latency (निजीकरण/पैटर्न रख-रखाव)। पार्सन्स ने इन्हें सामाजिक व्यवस्था के चार अनिवार्य प्रकार्यों के रूप में प्रस्तुत किया।
- गलत विकल्प: एकिकरण (Integration) का संबंध सामाजिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने और सदस्यों के बीच सामंजस्य स्थापित करने से है, जो प्रायः कानूनी या राजनीतिक प्रणालियों से जुड़ा होता है। निजीकरण (Latency) का संबंध प्रेरणाओं को बनाए रखने और सामाजिक पैटर्न को बनाए रखने से है, जो परिवार और शिक्षा जैसी संस्थाओं से जुड़ा है।
प्रश्न 4: ‘अअलगाव’ (Alienation) की अवधारणा, विशेष रूप से पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के संदर्भ में, किस विचारक से सबसे अधिक जुड़ी हुई है?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- सिग्मंड फ्रायड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ की अवधारणा का विस्तृत विश्लेषण किया। उनके अनुसार, पूंजीवादी व्यवस्था में श्रमिक अपने श्रम, उत्पादन की प्रक्रिया, अपनी मानवीय प्रकृति और अन्य मनुष्यों से अलग-थलग महसूस करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मार्क्स की ‘Economic and Philosophic Manuscripts of 1844’ में पाई जाती है। अलगाव का अर्थ है स्वयं से और अपने मूल स्वभाव से बिछुड़ जाना।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने ‘अनोमी’ (Anomie) की बात की, जो सामाजिक विघटन की स्थिति है। वेबर ने ‘तर्कसंगतता’ (Rationalization) और ‘नौकरशाही’ (Bureaucracy) के संदर्भ में अलगाव का उल्लेख किया। फ्रायड एक मनोविश्लेषक थे और उनकी अवधारणाएं मुख्य रूप से व्यक्तिगत मनोविज्ञान से संबंधित थीं।
प्रश्न 5: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मूल सिद्धांत क्या है?
- समाज संरचनाओं और संस्थाओं से बना है।
- व्यक्ति अपने अर्थों का निर्माण करते हैं और उन अर्थों के माध्यम से समाज में अंतःक्रिया करते हैं।
- सामाजिक परिवर्तन शक्ति संघर्ष का परिणाम है।
- समाज एक जैविक प्रणाली की तरह कार्य करता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का केंद्रीय विचार यह है कि व्यक्ति प्रतीकों (भाषा, हावभाव) के माध्यम से एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया करते हैं और इन्हीं अंतःक्रियाओं के माध्यम से वे अपने आसपास की दुनिया और स्वयं के बारे में अर्थ (meaning) निर्मित करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हर्बर्ट ब्लूमर और इरविंग गॉफमैन इस दृष्टिकोण के प्रमुख विचारक हैं। यह सूक्ष्म-स्तरीय (micro-level) समाजशास्त्र का प्रतिनिधित्व करता है।
- गलत विकल्प: (a) संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकतावाद से संबंधित है। (c) मार्क्सवाद से संबंधित है। (d) प्रकार्यात्मकतावाद से संबंधित है।
प्रश्न 6: किसने ‘जाति व्यवस्था’ को ‘अति-पवित्रता’ (Hyper-Sanskritization) और ‘न्यून-पवित्रता’ (Hypo-Sanskritization) के संदर्भ में समझाने का प्रयास किया, जो कि परंपरागत संस्कृतिकरण से भिन्न है?
- एम. एन. श्रीनिवास
- एन. के. बोस
- ई. जे. हब्स्बॉम
- आंद्रे बेतेई
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एन. के. बोस (N.K. Bose) ने जाति व्यवस्था के भारतीयकरण (Indianization) और संस्कृतिकरण (Sanskritization) की प्रक्रिया को समझाने के लिए ‘अति-पवित्रता’ (Hyper-Sanskritization) और ‘न्यून-पवित्रता’ (Hypo-Sanskritization) जैसे शब्दों का प्रयोग किया। उन्होंने जाति व्यवस्था को केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और सामाजिक संरचना के रूप में भी देखा।
- संदर्भ और विस्तार: बोस ने जातिगत पदानुक्रम (caste hierarchy) में होने वाले सांस्कृतिक आदान-प्रदान और अनुकूलन पर जोर दिया, जो पारंपरिक संस्कृतिकरण की संकीर्ण परिभाषा से आगे जाता है।
- गलत विकल्प: एम. एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा दी। हब्स्बॉम और बेतेई मुख्य रूप से मार्क्सवादी और राजनीतिक समाजशास्त्र से जुड़े हैं।
प्रश्न 7: एम. एन. श्रीनिवास ने किस पुस्तक में ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा को पहली बार विस्तृत रूप से प्रस्तुत किया?
- The Changing Status of Indian Woman
- Religion and Society Among the Coorgs of South India
- The Remembered Village
- Caste in Modern India and Other Essays
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एम. एन. श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ (1952) में ‘संस्कृतिकरण’ की अवधारणा को सबसे पहले प्रस्तुत किया।
- संदर्भ और विस्तार: इस पुस्तक में उन्होंने कोर्ग समुदाय के अध्ययन के आधार पर बताया कि कैसे निम्न जातियाँ उच्च जातियों की जीवनशैली, रीति-रिवाजों और पूजा-पाठ के तरीकों को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊँचा उठाती हैं।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प उनकी अन्य कृतियों के नाम हैं या संबंधित नहीं हैं। ‘Caste in Modern India and Other Essays’ में उन्होंने जाति व्यवस्था पर अपने विचार और विकसित किए, लेकिन मूल अवधारणा ‘Coorgs…’ में ही प्रस्तुत की गई थी।
प्रश्न 8: ‘औद्योगीकरण’ (Industrialization) के फलस्वरूप समाज में किस प्रकार के संबंध प्रमुख होते जाते हैं?
- पारिवारिक और नातेदारी आधारित
- अ-व्यक्तिगत (Impersonal) और सचेत (Calculative)
- धार्मिक और परंपरागत
- समुदाय आधारित (Gemeinschaft)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: औद्योगीकरण और नगरीकरण के कारण समाज में प्राथमिक संबंध (जैसे परिवार, पड़ोस) कमजोर पड़ते हैं और द्वितीयक, अ-व्यक्तिगत, तथा सचेत (औपचारिकता और हित-आधारित) संबंध (जैसे कार्यस्थल पर, बाजार में) प्रमुख हो जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह फेर्डीनांड टोनीज के ‘गेमाइनशाफ्ट’ (सामुदायिक संबंध) और ‘गेसेलशाफ्ट’ (सांस्कृतिक संबंध) के विभाजन से भी संबंधित है, जहाँ औद्योगीकरण गेसेलशाफ्ट को बढ़ावा देता है।
- गलत विकल्प: (a), (c), और (d) पारंपरिक या पूर्व-औद्योगिक समाजों की विशेषताएँ हैं।
प्रश्न 9: ‘अनोमी’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों के क्षरण या अभाव की स्थिति को दर्शाती है, किस समाजशास्त्री से जुड़ी है?
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- ईमाइल दुर्खीम
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ईमाइल दुर्खीम ने ‘अनोमी’ की अवधारणा का प्रयोग यह समझाने के लिए किया कि जब समाज में अनियंत्रित इच्छाएँ होती हैं और सामाजिक नियम (norms) दुर्बल हो जाते हैं, तो व्यक्ति दिशाहीन और बेचैन हो जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक ‘The Division of Labour in Society’ और ‘Suicide’ में प्रमुखता से मिलती है। यह सामाजिक एकीकरण (social integration) की कमी का परिणाम है।
- गलत विकल्प: वेबर ने ‘तर्कसंगतता’ और ‘नौकरशाही’ से जुड़े अलगाव पर बात की। मार्क्स का मुख्य ध्यान वर्ग संघर्ष पर था। स्पेंसर ने जैविक विकासवाद (organic analogy) का उपयोग समाज के विश्लेषण में किया।
प्रश्न 10: ‘नौकरशाही’ (Bureaucracy) को एक आदर्श-प्रकार (Ideal-Type) के रूप में किसने विश्लेषित किया, जिसमें पदसोपान (Hierarchy), नियमों का मानकीकरण (Standardization of Rules), और विशेषज्ञता (Specialization) प्रमुख विशेषताएँ हैं?
- ऑगस्ट कॉम्त
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- हरबर्ट ब्लूमर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने आधुनिक समाज में दक्षता और पूर्वानुमेयता (predictability) के लिए नौकरशाही को एक प्रभावी प्रशासनिक संरचना के रूप में विश्लेषित किया। उन्होंने इसके आदर्श-प्रकार की विशेषताओं का वर्णन किया।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर के अनुसार, नौकरशाही तार्किक, कुशल और निष्पक्ष होती है, जो व्यक्तिगत भावनाओं और पक्षपात को दूर करती है। यह विशेषताएँ ‘Economy and Society’ जैसी उनकी कृतियों में मिलती हैं।
- गलत विकल्प: कॉम्त ने प्रत्यक्षवाद (Positivism) का प्रतिपादन किया। दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों और एकजुटता (solidarity) पर ध्यान केंद्रित किया। ब्लूमर प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से जुड़े थे।
प्रश्न 11: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) के अध्ययन में ‘वर्ग’ (Class), ‘प्रस्थिति’ (Status) और ‘दल’ (Party) की अवधारणाओं का प्रयोग किस विचारक ने किया?
- कार्ल मार्क्स
- रॉबर्ट मर्टन
- टी. एच. मार्शल
- मैक्स वेबर
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने सामाजिक स्तरीकरण को केवल आर्थिक आधार (जैसे मार्क्स का वर्ग) तक सीमित न रखते हुए, तीन आयामों – वर्ग (आर्थिक स्थिति), प्रस्थिति (सामाजिक प्रतिष्ठा/सम्मान), और दल (राजनीतिक शक्ति) – के आधार पर समझाने का प्रयास किया।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि ये तीनों कारक समाज में असमानता और शक्ति वितरण को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं, और वे स्वतंत्र रूप से भी कार्य कर सकते हैं।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने मुख्य रूप से वर्ग (उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व) को स्तरीकरण का आधार माना। रॉबर्ट मर्टन ने प्रकार्य और वि.वि. (deviance) पर काम किया। टी.एच. मार्शल ने नागरिकता (citizenship) के आयामों पर काम किया।
प्रश्न 12: ‘पुरुषार्थ’ (Purusharth) की अवधारणा भारतीय संस्कृति में किस संदर्भ में प्रयुक्त होती है?
- सामाजिक संस्थाएँ
- जीवन के लक्ष्य और उद्देश्य
- कठोर कर्मकांड
- पारिवारिक संरचनाएँ
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: पुरुषार्थ भारतीय दर्शन और संस्कृति में मानव जीवन के चार प्रमुख लक्ष्यों या उद्देश्यों को संदर्भित करता है: धर्म (कर्तव्य/नैतिकता), अर्थ (धन/जीविका), काम (इच्छा/आनंद), और मोक्ष (मुक्ति/मुक्ति)।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मानव जीवन के एक संतुलित और पूर्ण विकास के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती है।
- गलत विकल्प: पुरुषार्थ सामाजिक संस्थाएँ, कर्मकांड या पारिवारिक संरचनाओं का प्रत्यक्ष वर्णन नहीं है, बल्कि यह जीवन के लक्ष्यों का एक दार्शनिक ढाँचा है।
प्रश्न 13: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का वह प्रकार क्या है जिसमें व्यक्ति एक ही समाज के भीतर विभिन्न स्तरों या पदों के बीच चलता है?
- ऊर्ध्वगामी गतिशीलता (Upward Mobility)
- क्षैतिज गतिशीलता (Horizontal Mobility)
- ऊर्ध्वाधर गतिशीलता (Vertical Mobility)
- अ-धर्मीय गतिशीलता (Non-vertical Mobility)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ऊर्ध्वाधर गतिशीलता (Vertical Mobility) से तात्पर्य समाज में किसी व्यक्ति या समूह की सामाजिक सीढ़ी पर ऊपर (ऊर्ध्वगामी) या नीचे (अधोगामी) की ओर होने वाले परिवर्तन से है।
- संदर्भ और विस्तार: ऊर्ध्वगामी गतिशीलता का अर्थ है सामाजिक स्थिति, धन या शक्ति में वृद्धि, जबकि अधोगामी गतिशीलता का अर्थ है इनमें कमी।
- गलत विकल्प: क्षैतिज गतिशीलता में व्यक्ति अपनी सामाजिक स्थिति को बदले बिना एक पद से दूसरे पद पर जाता है। (d) एक व्यापक शब्द है जो क्षैतिज गतिशीलता को भी समाहित कर सकता है।
प्रश्न 14: ‘पोटलक’ (Potlatch) की प्रथा, जो उत्तर-पश्चिम प्रशांत तट के स्वदेशी लोगों में पाई जाती है, किस समाजशास्त्रीय अवधारणा से संबंधित है?
- सांस्कृतिक सापेक्षवाद (Cultural Relativism)
- प्रतीकात्मक विनिमय (Symbolic Exchange) और उपहार अर्थव्यवस्था (Gift Economy)
- सामाजिक संरचना
- सामाजिक नियंत्रण
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: पोटलक एक ऐसी प्रथा है जिसमें एक आदिवासी प्रमुख अन्य प्रमुखों को बड़ी मात्रा में वस्तुएं (जैसे भोजन, गहने, या धन) दान करता है या नष्ट करता है, जो सामाजिक स्थिति, शक्ति और प्रतिष्ठा के प्रदर्शन से जुड़ी होती है। यह प्रतीकात्मक विनिमय और उपहार अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्सेल मॉस (Marcel Mauss) ने अपनी पुस्तक ‘The Gift’ में इस प्रथा का विस्तृत विश्लेषण किया और इसे ‘सर्वव्यापी’ (total prestation) के रूप में वर्णित किया, जिसमें सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक पहलू शामिल होते हैं।
- गलत विकल्प: सांस्कृतिक सापेक्षवाद का अर्थ है कि किसी संस्कृति को उसी की कसौटी पर मापना। सामाजिक संरचना और सामाजिक नियंत्रण अन्य अवधारणाएं हैं, लेकिन पोटलक का प्रत्यक्ष संबंध उपहार अर्थव्यवस्था और प्रतीकात्मक विनिमय से है।
प्रश्न 15: ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) की अवधारणा, जो भारतीय समाज के अध्ययन में महत्वपूर्ण है, मुख्य रूप से किससे जुड़ी है?
- उच्च जातियों द्वारा निम्न जातियों के अनुकरण से
- पाश्चात्य देशों की जीवनशैली, रीति-रिवाजों और विचारों को अपनाने से
- ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर प्रवास से
- आधुनिकीकरण की प्रक्रिया से
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: पश्चिमीकरण का अर्थ है पश्चिमी देशों (विशेषकर यूरोप और अमेरिका) की जीवनशैली, संस्थाओं, विचारों, मूल्यों, प्रौद्योगिकी और सामाजिक रीति-रिवाजों को अपनाना। भारतीय संदर्भ में, यह ब्रिटिश उपनिवेशवाद के प्रभाव के कारण प्रमुखता से देखा गया।
- संदर्भ और विस्तार: एम. एन. श्रीनिवास ने पश्चिमीकरण को एक महत्वपूर्ण सामाजिक परिवर्तनकारी शक्ति के रूप में पहचाना, जिसने भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं, जैसे खान-पान, वेशभूषा, शिक्षा और कानून को प्रभावित किया।
- गलत विकल्प: (a) संस्कृतिकरण है। (c) केवल एक प्रकार की गतिशीलता है। (d) आधुनिकीकरण एक व्यापक शब्द है जिसमें पश्चिमीकरण एक हिस्सा हो सकता है, लेकिन पश्चिमीकरण विशेष रूप से पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव से जुड़ा है।
प्रश्न 16: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा से कौन सा विचारक सर्वाधिक जुड़ा है, जो सामाजिक नेटवर्क, विश्वास और सहयोग को महत्व देता है?
- पियरे बॉर्डियू
- जेम्स कॉलमैन
- रॉबर्ट पटनम
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक पूंजी की अवधारणा को पियरे बॉर्डियू, जेम्स कॉलमैन और रॉबर्ट पटनम तीनों ने अपने-अपने तरीके से विकसित और प्रतिपादित किया है। बॉर्डियू ने इसे संसाधन के रूप में देखा, कॉलमैन ने इसे एक उपकरण के रूप में, और पटनम ने इसे नागरिक जुड़ाव के रूप में।
- संदर्भ और विस्तार: ये सभी विचारक मानते हैं कि सामाजिक संबंध, नेटवर्क और उनमें निहित विश्वास व्यक्तियों और समुदायों को लाभ पहुंचाते हैं।
- गलत विकल्प: चूँकि तीनों विचारक इस अवधारणा से जुड़े हैं, इसलिए केवल एक का चयन करना अधूरा होगा।
प्रश्न 17: ‘लिविंग स्टैंडर्ड’ (Living Standard) और ‘क्वालिटी ऑफ लाइफ’ (Quality of Life) में मुख्य अंतर क्या है?
- लिविंग स्टैंडर्ड भौतिक समृद्धि पर केंद्रित है, जबकि क्वालिटी ऑफ लाइफ कल्याण और संतुष्टि पर।
- क्वालिटी ऑफ लाइफ केवल मानसिक संतुष्टि है, जबकि लिविंग स्टैंडर्ड केवल भौतिक है।
- दोनों शब्द पर्यायवाची हैं।
- लिविंग स्टैंडर्ड केवल अमीर लोगों के लिए है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: लिविंग स्टैंडर्ड मुख्य रूप से आय, उपभोग, घर, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसी भौतिक और आर्थिक स्थितियों को संदर्भित करता है। क्वालिटी ऑफ लाइफ एक व्यापक अवधारणा है जिसमें भौतिक, सामाजिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक कल्याण के साथ-साथ व्यक्तिगत संतुष्टि भी शामिल है।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति के पास उच्च लिविंग स्टैंडर्ड हो सकता है लेकिन यदि वह अकेला और दुखी है, तो उसकी क्वालिटी ऑफ लाइफ निम्न हो सकती है।
- गलत विकल्प: क्वालिटी ऑफ लाइफ केवल मानसिक नहीं, बल्कि समग्र कल्याण है। दोनों पर्यायवाची नहीं हैं, हालांकि वे अक्सर संबंधित होते हैं। लिविंग स्टैंडर्ड केवल अमीरों तक सीमित नहीं है, बल्कि आय और उपभोग के स्तर से मापा जाता है।
प्रश्न 18: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ के अनुसार, ‘आत्म’ (Self) का विकास कैसे होता है?
- जन्मजात जैविक कारकों से
- अन्य लोगों के साथ अंतःक्रिया और उनके द्वारा अपनी पहचान के बारे में दिए गए फीडबैक से
- समाज द्वारा थोपे गए नियमों और संरचनाओं से
- केवल व्यक्तिगत चिंतन से
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद, विशेष रूप से जॉर्ज हर्बर्ट मीड के अनुसार, ‘आत्म’ (Self) का विकास सामाजिक अंतःक्रियाओं के माध्यम से होता है। व्यक्ति दूसरों के दृष्टिकोण को अपनाकर (taking the role of the other) और समाज के ‘सार्वभौमिकीकृत अन्य’ (Generalized Other) को समझकर अपनी पहचान बनाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें ‘मैं’ (I) – तत्काल प्रतिक्रियात्मक पहलू और ‘मुझे’ (Me) – सामाजिककृत आत्म, की भूमिका महत्वपूर्ण है।
- गलत विकल्प: (a) जैविक कारकों को पूरी तरह से नकारना गलत है, लेकिन प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद सामाजिक कारकों पर अधिक जोर देता है। (c) यह संरचनात्मक दृष्टिकोण है। (d) आत्म-चिंतन महत्वपूर्ण है, लेकिन यह दूसरों के साथ अंतःक्रिया से ही संभव है।
प्रश्न 19: ‘संस्था’ (Institution) की समाजशास्त्रीय परिभाषा के अनुसार, यह क्या है?
- केवल सरकारी संगठन
- मानव व्यवहार के स्थापित और स्थायी पैटर्न, जो समाज की प्रमुख आवश्यकताओं को पूरा करते हैं
- सामाजिक समूहों का एक अनौपचारिक संग्रह
- व्यक्तिगत विश्वास और मूल्य
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: समाजशास्त्र में, एक संस्था (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म, राजनीति) व्यवहार के ऐसे तरीकों का एक स्थायी और व्यवस्थित पैटर्न है जो समाज की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विकसित हुआ है। इसमें नियम, मूल्य और भूमिकाएँ शामिल होती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह केवल संगठन नहीं है, बल्कि उन संगठनों के पीछे के नियम और पैटर्न हैं।
- गलत विकल्प: (a) यह बहुत संकीर्ण है। (c) यह समूह को संदर्भित करता है, संस्था को नहीं। (d) ये संस्थाओं के घटक हो सकते हैं, लेकिन स्वयं संस्था नहीं।
प्रश्न 20: ‘आधुनिकता’ (Modernity) की प्रमुख विशेषताओं में से एक क्या है?
- धर्म पर आधारित अर्थव्यवस्था
- कठोर सामाजिक पदानुक्रम और निश्चित भूमिकाएँ
- वैज्ञानिक तर्क, धर्मनिरपेक्षता और व्यक्तिवाद
- स्थिर, अपरिवर्तनशील सामाजिक संरचनाएँ
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: आधुनिकता को अक्सर तर्कसंगतता (rationality), विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उदय, धर्मनिरपेक्षता (secularization), व्यक्तिवाद (individualism), और परंपरागत सत्ता से मुक्ति से जोड़ा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह पश्चिम में प्रबोधन काल (Enlightenment) के बाद विकसित हुई सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रवृत्तियों का एक समुच्चय है।
- गलत विकल्प: (a) धर्म पर आधारित अर्थव्यवस्था पारंपरिक समाजों की विशेषता है। (b) आधुनिकता अक्सर कठोर पदानुक्रमों को चुनौती देती है। (d) आधुनिकता परिवर्तन और विकास पर बल देती है।
प्रश्न 21: ‘समूह’ (Group) की समाजशास्त्रीय परिभाषा के अनुसार, इसमें कौन सी विशेषता आवश्यक है?
- सदस्यों का एक-दूसरे के प्रति जागरूकता
- कोई भी व्यक्तियों का संग्रह, चाहे वे एक-दूसरे को जानते हों या नहीं
- केवल एक ही प्रकार की अंतःक्रिया
- सदस्यों के बीच कोई संबंध नहीं
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एक सामाजिक समूह (Social Group) व्यक्तियों का एक ऐसा संग्रह है जो एक-दूसरे के प्रति जागरूक होते हैं, उनके बीच नियमित अंतःक्रियाएँ होती हैं, और वे स्वयं को एक समूह के सदस्य के रूप में पहचानते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह जागरूकता और अंतःक्रिया समूह को मात्र व्यक्तियों के संग्रह (aggregate) से अलग करती है।
- गलत विकल्प: (b) यह ‘समूह’ की नहीं, बल्कि ‘समूह’ (aggregate) की परिभाषा है। (c) समूह में विभिन्न प्रकार की अंतःक्रियाएं हो सकती हैं। (d) यह विपरीत है।
प्रश्न 22: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने दी, जो यह बताती है कि समाज के भौतिक और अभौतिक (गैर-भौतिक) पहलू अलग-अलग दरों पर बदलते हैं, जिससे असंतुलन पैदा होता है?
- विलियम एफ. ओगबर्न
- एलन डूरान्ट
- अल्बर्ट बंडूरा
- रॉबर्ट ई. पार्क
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: विलियम एफ. ओगबर्न ने 1922 में ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा प्रस्तुत की। उन्होंने तर्क दिया कि समाज के भौतिक या तकनीकी पहलू (जैसे मशीनें, गैजेट्स) अक्सर अभौतिक पहलुओं (जैसे सामाजिक मान्यताएँ, नियम, कानून, नैतिकता) की तुलना में तेज़ी से बदलते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह परिवर्तन अभौतिक पहलुओं को भौतिक परिवर्तनों के अनुकूल होने का समय नहीं देता, जिससे सामाजिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- गलत विकल्प: डूरान्ट, बंडूरा और पार्क समाजशास्त्र के अन्य महत्वपूर्ण विचारक हैं, लेकिन यह विशिष्ट अवधारणा ओगबर्न से जुड़ी है।
प्रश्न 23: भारत में ‘जनजातीय समुदायों’ (Tribal Communities) की एक प्रमुख विशेषता क्या है?
- लिखित इतिहास और स्थापित राजनीतिक सत्ता
- एक निश्चित धर्म और कर्मकांड
- विशिष्ट सामाजिक संगठन, रीति-रिवाज और भाषा, और अक्सर मुख्यधारा के समाज से अलगाव
- उच्च स्तर का शहरीकरण और औद्योगीकरण
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जनजातीय समुदायों को प्रायः अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान, सामाजिक संगठन, रीति-रिवाजों, परंपराओं, भाषा या बोली और अक्सर मुख्यधारा के समाज से अलग या हाशिए पर रहने की स्थिति से पहचाना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: उनकी अपनी अनूठी जीवनशैली और सामाजिक संरचनाएँ होती हैं।
- गलत विकल्प: (a) और (b) सभी जनजातीय समुदायों पर लागू नहीं होते, और (d) उनकी प्रमुख विशेषता के विपरीत है।
प्रश्न 24: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) के औपचारिक साधनों में निम्नलिखित में से क्या शामिल है?
- परिवार का दबाव
- मित्रों की सलाह
- कानून और पुलिस
- जनमत
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक नियंत्रण के औपचारिक साधन वे होते हैं जो किसी समाज की संस्थागत संरचनाओं द्वारा स्पष्ट रूप से स्थापित और लागू किए जाते हैं, जैसे कानून, न्यायपालिका, पुलिस और दंड प्रणाली।
- संदर्भ और विस्तार: इनका उद्देश्य समाज के नियमों और व्यवस्था को बनाए रखना होता है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सामाजिक नियंत्रण के अनौपचारिक साधन हैं, जो व्यक्तिगत संबंधों, परंपराओं और सामाजिक अपेक्षाओं से उत्पन्न होते हैं।
प्रश्न 25: ‘उत्तर-औद्योगीकरण’ (Post-Industrialism) समाज की मुख्य विशेषता क्या है?
- कृषि आधारित अर्थव्यवस्था
- विनिर्माण (Manufacturing) पर भारी निर्भरता
- ज्ञान, सूचना और सेवा क्षेत्र का प्रभुत्व
- मज़बूत सामुदायिक बंधन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: उत्तर-औद्योगीकरण समाज वह है जो विनिर्माण (manufacturing) से हटकर ज्ञान, सूचना, प्रौद्योगिकी और सेवा क्षेत्र पर आधारित होता है। पेशेवर और तकनीकी वर्ग प्रमुख हो जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: डेनियल बेल (Daniel Bell) ने इस अवधारणा को लोकप्रिय बनाया। ऐसे समाजों में नवाचार और सूचना का प्रवाह केंद्रीय होता है।
- गलत विकल्प: (a) पारंपरिक समाजों की विशेषता है। (b) औद्योगिक समाज की विशेषता है। (d) यह उत्तर-औद्योगीकरण समाज की एक विशेषता नहीं है, बल्कि पारंपरिक या सामुदायिक समाजों से अधिक जुड़ी है।