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अगस्त का वो महीना जो बदल देगा आपकी UPSC तैयारी: त्यौहारों और राष्ट्रीय गौरव का संगम

अगस्त का वो महीना जो बदल देगा आपकी UPSC तैयारी: त्यौहारों और राष्ट्रीय गौरव का संगम

चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
भारत का अगस्त का महीना सिर्फ कैलेंडर के पन्नों पर एक और महीना नहीं है; यह सांस्कृतिक उत्सवों, राष्ट्रीय गौरव और गहन आध्यात्मिक जुड़ाव का एक अनूठा संगम है। रक्षाबंधन के पावन धागों से लेकर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की मनमोहक लीलाओं तक, और 79वें स्वतंत्रता दिवस के देशभक्ति के ज्वार से लेकर गणेशोत्सव की ऊर्जावान शुरुआत तक, अगस्त भारतीय समाज के ताने-बाने को रंगीन धागों से पिरोता है। UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए, यह महीना केवल अवकाश का प्रतीक नहीं है, बल्कि समसामयिक मामलों, भारतीय संस्कृति, सामाजिक संरचना, और राष्ट्रीय घटनाओं को समझने का एक सुअवसर भी है। यह ब्लॉग पोस्ट अगस्त के इन प्रमुख त्योहारों और राष्ट्रीय दिवसों के महत्व, उन्हें मनाने के तरीके, और सबसे महत्वपूर्ण, UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से उनकी प्रासंगिकता पर एक विस्तृत प्रकाश डालता है। यह केवल घटनाओं की सूची नहीं है, बल्कि एक मार्गदर्शिका है कि कैसे आप इस महीने के उत्सवों को अपनी तैयारी को दिशा देने और ज्ञान को गहरा करने के लिए उपयोग कर सकते हैं।

अगस्त: भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना का मासिक कैलेंडर

अगस्त, भारतीय पंचांग के अनुसार श्रावण और भाद्रपद मास का मिश्रण लेकर आता है, जो इसे विशेष आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व प्रदान करता है। यह महीना एक साथ कई महत्वपूर्ण घटनाओं का गवाह बनता है, जो देश के हर कोने में अलग-अलग ढंग से मनाई जाती हैं।

  • रक्षाबंधन (Raksha Bandhan): भाई-बहन के पवित्र प्रेम और रक्षा के बंधन का प्रतीक।
  • श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Shri Krishna Janmashtami): भगवान विष्णु के आठवें अवतार, श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का पर्व।
  • 79वां स्वतंत्रता दिवस (79th Independence Day): 15 अगस्त, 1947 को भारत की आज़ादी के 79 साल पूरे होने का राष्ट्रीय गौरव।
  • गणेश चतुर्थी / गणेशोत्सव (Ganesh Chaturthi / Ganesh Utsav): भगवान गणेश के जन्मोत्सव और दस दिवसीय उत्सव की शुरुआत, विशेषकर महाराष्ट्र में।

ये केवल त्योहार नहीं हैं; ये भारतीय समाज की विविधता, मूल्यों और परंपराओं के प्रतिबिंब हैं। UPSC के उम्मीदवार के रूप में, इन घटनाओं के पीछे के इतिहास, सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं के साथ-साथ राष्ट्रीय महत्व को समझना अत्यंत आवश्यक है।

“संस्कृति केवल गाने, नाचने और रंगीन कपड़े पहनने तक सीमित नहीं है; यह हमारे जीवन जीने के तरीके, हमारे मूल्यों, हमारी परंपराओं और हमारे इतिहास को दर्शाती है।”

1. रक्षाबंधन: प्रेम, सुरक्षा और सामाजिक बंधन

क्या है रक्षाबंधन?

रक्षाबंधन, जिसे ‘रखी’ या ‘रक्षा सूत्र’ के नाम से भी जाना जाता है, श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। यह मुख्य रूप से भाई-बहन के बीच के प्रेम, स्नेह और रक्षा के वचन का प्रतीक है। बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र (राखी) बांधती हैं, जो दीर्घायु, समृद्धि और सुख की कामना का प्रतीक है। इसके बदले में, भाई अपनी बहन की रक्षा करने और उसे हर मुश्किल से बचाने का संकल्प लेते हैं।

ऐतिहासिक और पौराणिक संदर्भ:

रक्षाबंधन की जड़ें प्राचीन भारत में गहरी हैं:

  • महाभारत: एक प्रसंग के अनुसार, भगवान कृष्ण की उंगली में चोट लगने पर द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा लपेटकर उनकी कलाई पर बांध दिया था, जिसे रक्षा के प्रतीक के रूप में देखा गया।
  • रानी कर्णावती और हुमायूँ: मेवाड़ की रानी कर्णावती ने चित्तौड़ पर गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह के आक्रमण के समय मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेजी थी, जिसके माध्यम से उन्होंने अपनी रक्षा के लिए सहायता मांगी। हुमायूँ ने इसे स्वीकार किया और चित्तौड़ की रक्षा के लिए सेना भेजी। यह घटना ऐतिहासिक रूप से रक्षाबंधन के सामाजिक और राजनीतिक महत्व को दर्शाती है।
  • लोककथाएँ: यम और यमुना की कथा भी रक्षाबंधन से जुड़ी है, जहां यमुना ने यम को राखी बांधकर उनसे अमरता का वरदान प्राप्त किया।

UPSC के लिए प्रासंगिकता:

रक्षाबंधन केवल एक पारिवारिक त्योहार नहीं है; इसके बहुआयामी आयाम हैं:

  • सामाजिक संरचना: यह परिवार के सदस्यों के बीच संबंधों, विशेषकर लैंगिक बंधनों (भाई-बहन) को मजबूत करता है। यह पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं की सुरक्षा के पहलू को भी उजागर करता है।
  • सांस्कृतिक अध्ययन (GS-I): भारतीय समाज की विभिन्न परंपराओं, रीति-रिवाजों और उनके ऐतिहासिक विकास को समझने में सहायक।
  • नैतिक मूल्य: निष्ठा, सुरक्षा, प्रेम और जिम्मेदारी जैसे मूल्यों का प्रतीक।
  • महिलाओं का सशक्तिकरण (GS-I, GS-II): यद्यपि यह रक्षा के वादे पर आधारित है, लेकिन रानी कर्णावती जैसे उदाहरण महिलाओं की रणनीतिक सोच और समाज में उनकी भूमिका को दर्शाते हैं।

तैयारी की रणनीति:

  • रक्षाबंधन के पीछे की विभिन्न पौराणिक और ऐतिहासिक कथाओं का अध्ययन करें।
  • भारतीय समाज में पारिवारिक संबंधों की बदलती प्रकृति और इस त्योहार का उस पर प्रभाव का विश्लेषण करें।
  • ‘समान नागरिक संहिता’ (Uniform Civil Code) जैसे समसामयिक मुद्दों के संदर्भ में धार्मिक और सामाजिक प्रथाओं पर चर्चा के दौरान इस तरह के त्योहारों के महत्व को समझें।

2. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी: भक्ति, दर्शन और आध्यात्मिकता

क्या है जन्माष्टमी?

जन्माष्टमी, जिसे गोकुलाष्टमी, श्रीकृष्ण जयंती या केवल जन्माष्टमी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जब माना जाता है कि भगवान विष्णु ने कंस के अत्याचारों को समाप्त करने के लिए देवकी के आठवें पुत्र के रूप में मथुरा में जन्म लिया था। यह दिन भक्ति, उपवास, भजन-कीर्तन और मध्यरात्रि में भगवान के जन्म का उत्सव मनाने के लिए जाना जाता है।

धार्मिक और दार्शनिक महत्व:

जन्माष्टमी का त्योहार केवल एक जन्मदिवस नहीं है, बल्कि यह गहन दार्शनिक और आध्यात्मिक संदेश देता है:

  • भगवद गीता का सार: श्रीकृष्ण को भगवद गीता के उपदेशक के रूप में जाना जाता है, जो कर्म, धर्म, भक्ति और ज्ञान का मार्ग दिखाता है। जन्माष्टमी के दिन भगवद गीता के श्लोकों का पाठ और प्रवचन सुनने का विशेष महत्व है।
  • अच्छाई की बुराई पर विजय: कंस जैसे अन्यायी शासकों के अंत का प्रतीक, यह त्योहार हमेशा अच्छाई की बुराई पर जीत का संदेश देता है।
  • निराकार की साकार अभिव्यक्ति: यह त्योहार दिखाता है कि कैसे ईश्वर किसी भी रूप में अवतार ले सकता है और मानवता के कल्याण के लिए कार्य कर सकता है।

UPSC के लिए प्रासंगिकता:

  • धर्म और समाज (GS-I): भारतीय धर्मों की उत्पत्ति, प्रसार और सामाजिक प्रभाव को समझना। जन्माष्टमी जैसे त्योहारों का समाज पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन।
  • दर्शनशास्त्र (GS-IV – Ethics): निष्काम कर्म (जैसे भगवद गीता में), सत्य, न्याय, और व्यक्तिगत आचरण के नैतिक सिद्धांतों को समझना। श्रीकृष्ण को एक आदर्श दार्शनिक और शासक के रूप में देखना।
  • संस्कृति और कला (GS-I): जन्माष्टमी से संबंधित विभिन्न कला रूपों, जैसे भजन, नृत्य (रासलीला), चित्रकला और मूर्तिकला का अध्ययन।
  • आंतरिक सुरक्षा (GS-III): धार्मिक कट्टरता, बहुलवाद और सांप्रदायिक सद्भाव जैसे मुद्दों पर त्योहारों के सामाजिक संदर्भ को समझना।

तैयारी की रणनीति:

  • भगवद गीता के प्रमुख उपदेशों (विशेष रूप से कर्म योग, ज्ञान योग, भक्ति योग) का अध्ययन करें और उन्हें आधुनिक जीवन व शासन में कैसे लागू किया जा सकता है, इस पर विचार करें।
  • कृष्ण के जीवन की घटनाओं (जैसे बाल लीलाएं, गोवर्धन पर्वत उठाना, कंस वध) के प्रतीकात्मक अर्थों को समझें।
  • भारतीय दर्शन के विभिन्न संप्रदायों में ईश्वर की अवधारणा और अवतारवाद के सिद्धांत का अन्वेषण करें।

3. 79वां स्वतंत्रता दिवस: राष्ट्रवाद, बलिदान और संवैधानिक मूल्य

क्या है स्वतंत्रता दिवस?

15 अगस्त, 1947 को भारत को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी। हर साल 15 अगस्त को हम अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाएंगे। यह दिन भारतीय इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्व है, जो स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान, संघर्ष और भारत की संप्रभुता का प्रतीक है। इस दिन देश भर में तिरंगा फहराया जाता है, राष्ट्रीय गान गाया जाता है, और विभिन्न सांस्कृतिक व देशभक्ति कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। प्रधानमंत्री लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करते हैं।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

भारत की स्वतंत्रता कोई एकाएक घटना नहीं थी। यह वर्षों के अहिंसक और सशस्त्र संघर्ष, नेताओं के बलिदान और आम लोगों के अटूट संकल्प का परिणाम थी:

  • 1857 का विद्रोह: स्वतंत्रता संग्राम का पहला बड़ा संगठित प्रयास।
  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना (1885): राजनीतिक जागृति का सूत्रपात।
  • गांधीवादी युग: असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन जैसे जन आंदोलनों ने ब्रिटिश सरकार पर दबाव बढ़ाया।
  • नेहरू, पटेल, बोस, भगत सिंह जैसे नेताओं का योगदान।
  • विभाजन का दर्द: 1947 में भारत का विभाजन हुआ, जिसने लाखों लोगों को विस्थापित किया और अपार दुख दिया।

UPSC के लिए प्रासंगिकता:

स्वतंत्रता दिवस UPSC परीक्षा के लगभग हर खंड के लिए महत्वपूर्ण है:

  • आधुनिक भारत का इतिहास (GS-I): स्वतंत्रता संग्राम के विभिन्न चरण, प्रमुख आंदोलन, नेता, और उनके योगदान का गहन ज्ञान।
  • भारतीय राजव्यवस्था (GS-II): स्वतंत्रता के बाद भारत का संविधान निर्माण, गणराज्य का उदय, संसदीय प्रणाली, और संवैधानिक मूल्यों (जैसे संप्रभुता, समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र, न्याय, स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व) का महत्व।
  • शासन (GS-II): स्वतंत्रता के बाद देश के सामने आईं चुनौतियाँ, विकास की यात्रा, और शासन में सुधार।
  • सुरक्षा (GS-III): स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले आंतरिक और बाह्य कारक।
  • निबंध (Essay Paper): राष्ट्रीय गौरव, देश प्रेम, देशभक्ति, और स्वतंत्रता के महत्व पर निबंध लिखने के लिए प्रेरणा।
  • आचार संहिता (GS-IV): सत्यनिष्ठा, निष्ठा, बलिदान, सार्वजनिक सेवा के प्रति प्रतिबद्धता जैसे गुण जो स्वतंत्रता सेनानियों से सीखे जा सकते हैं।

तैयारी की रणनीति:

  • भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के घटनाक्रम, महत्वपूर्ण तिथियों, व्यक्तित्वों और उनके विचारों का विस्तृत अध्ययन करें।
  • भारत के संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित मौलिक मूल्यों पर ध्यान केंद्रित करें।
  • स्वतंत्रता के बाद भारत के सामने आईं प्रमुख चुनौतियाँ (जैसे कश्मीर समस्या, पंचवर्षीय योजनाएँ, पंचशील) और उनकी वर्तमान प्रासंगिकता को समझें।
  • देश की सुरक्षा और अखंडता को बनाए रखने में नागरिक के रूप में अपनी भूमिका पर विचार करें।

4. गणेश चतुर्थी: नवोन्मेष, बुद्धि और सार्वजनिक उत्सव

क्या है गणेश चतुर्थी?

गणेश चतुर्थी, जिसे विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। यह भगवान गणेश, जिन्हें बुद्धि, समृद्धि और बाधाओं को दूर करने वाला देवता माना जाता है, के जन्मोत्सव का प्रतीक है। इस दिन घरों में गणेश की प्रतिमा स्थापित की जाती है, और दस दिनों तक पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। उत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन के साथ होता है।

ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व:

गणेश चतुर्थी का सार्वजनिक रूप से उत्सव के रूप में पुनरुद्धार 19वीं सदी के अंत में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने किया था।:

  • राष्ट्रवाद का प्रसार: तिलक ने गणेशोत्सव को ब्रिटिश शासन के खिलाफ लोगों को एकजुट करने और राष्ट्रीय भावना को जगाने के एक माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया। यह सार्वजनिक उत्सवों के माध्यम से राजनीतिक संदेश फैलाने का एक प्रभावी तरीका बन गया।
  • सामुदायिक जुड़ाव: यह पर्व विभिन्न समुदायों, वर्गों और धर्मों के लोगों को एक साथ लाता है, जिससे सामाजिक सद्भाव बढ़ता है।
  • कला और संस्कृति: गणेशोत्सव के दौरान आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम, जैसे संगीत, नृत्य, नाटक और प्रवचन, कला और संस्कृति को बढ़ावा देते हैं।

UPSC के लिए प्रासंगिकता:

  • आधुनिक भारत का इतिहास (GS-I): स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान राष्ट्रवादी आंदोलनों के रूप में सामाजिक-धार्मिक सुधारों और जन आंदोलनों की भूमिका। बाल गंगाधर तिलक का योगदान।
  • भारतीय समाज (GS-I): भारतीय समाज की विविधता, सांस्कृतिक प्रथाएं, और सामाजिक परिवर्तन को प्रभावित करने वाले कारक। गणेशोत्सव का समाज पर प्रभाव।
  • शासन और नीतियां (GS-II): सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक आयोजनों का विनियमन, सुरक्षा व्यवस्था, और पर्यावरण संबंधी चिंताएं (जैसे विसर्जन के दौरान प्रदूषण)।
  • पर्यावरण (GS-III): मूर्ति विसर्जन से होने वाले जल प्रदूषण और प्लास्टिक के उपयोग से संबंधित पर्यावरणीय मुद्दे। टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने की आवश्यकता।

तैयारी की रणनीति:

  • बाल गंगाधर तिलक के सामाजिक और राजनीतिक विचारों का अध्ययन करें, विशेष रूप से उनके ‘सार्वजनिक गणेशोत्सव’ की अवधारणा पर।
  • गणेशोत्सव से जुड़े सांस्कृतिक, सामाजिक और पर्यावरणीय पहलुओं का विश्लेषण करें।
  • पर्यावरण संरक्षण से संबंधित सरकारी नीतियों और पहलों (जैसे ईको-फ्रेंडली मूर्तियाँ, कृत्रिम तालाब) पर ध्यान दें।

अगस्त के इन उत्सवों से UPSC तैयारी को कैसे दिशा दें?

अगस्त के इन प्रमुख त्योहारों और राष्ट्रीय पर्वों को केवल अवकाश के रूप में देखना UPSC की तैयारी के साथ न्याय नहीं होगा। एक उम्मीदवार के रूप में, आप इन घटनाओं का उपयोग अपने ज्ञान को बढ़ाने और परीक्षा के विभिन्न पहलुओं के लिए तैयार होने के लिए कर सकते हैं:

  • ज्ञान का आधार विस्तार: इन त्योहारों के पीछे के इतिहास, पौराणिक कथाओं, सामाजिक-सांस्कृतिक महत्व और समकालीन प्रासंगिकता का अध्ययन करें। यह आपके GS-I (इतिहास, समाज, संस्कृति) और GS-IV (आचार) के लिए महत्वपूर्ण है।
  • समसामयिक मामलों से जुड़ाव: स्वतंत्रता दिवस, राष्ट्रीय सुरक्षा, और विभिन्न सामाजिक-धार्मिक प्रथाओं के बीच संबंध स्थापित करें। यह GS-II (राजव्यवस्था, शासन) और GS-III (सुरक्षा) के लिए प्रासंगिक है।
  • नैतिक मूल्य और दर्शन: जन्माष्टमी और भगवद गीता जैसे विषयों से प्रेरित होकर कर्म, धर्म, निष्ठा और सत्य जैसे नैतिक मूल्यों पर अपनी समझ को गहरा करें। यह GS-IV (आचार) के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • निबंध लेखन का अभ्यास: देशभक्ति, राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक विरासत, सामाजिक सद्भाव, और परंपराओं के आधुनिकीकरण जैसे विषयों पर इन त्योहारों से प्रेरणा लेकर निबंध लिखें।
  • सुरक्षा और पर्यावरण पर विचार: सार्वजनिक उत्सवों से जुड़ी सुरक्षा व्यवस्था, भीड़ प्रबंधन, और पर्यावरण संरक्षण (जैसे गणेश विसर्जन) से संबंधित मुद्दों पर सरकारी नीतियों और चुनौतियों का विश्लेषण करें।
  • तुलनात्मक अध्ययन: भारतीय त्योहारों की तुलना अन्य देशों की सांस्कृतिक घटनाओं से करें, या एक ही त्योहार के विभिन्न क्षेत्रों में मनाए जाने के तरीकों में भिन्नता का अध्ययन करें।

“सफलता की कुंजी सिर्फ कड़ी मेहनत नहीं है, बल्कि यह भी है कि आप अपनी तैयारी के संसाधनों का बुद्धिमानी से उपयोग कैसे करते हैं।”

यह समझना महत्वपूर्ण है कि UPSC परीक्षा केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है, बल्कि विश्लेषण, संश्लेषण और आलोचनात्मक सोच की परीक्षा है। अगस्त के महीने में मनाए जाने वाले ये उत्सव आपको इन कौशलों को विकसित करने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करते हैं।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
2. ऐतिहासिक रूप से, रानी कर्णावती ने हुमायूँ को राखी भेजकर सहायता मांगी थी।
3. रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित है।
उपरोक्त में से कौन से कथन सही हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (b)
व्याख्या: कथन 1 और 2 सही हैं। कथन 3 गलत है क्योंकि रक्षाबंधन को व्यापक अर्थों में अन्य रिश्तों (जैसे बहन-बहन, भाई-भाई, या रक्षक-संरक्षित) के बीच भी प्रतीकात्मक रूप से मनाया जा सकता है, और इसका ऐतिहासिक संदर्भ केवल भाई-बहन तक सीमित नहीं है।

2. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?
(a) यह त्योहार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
(b) इसे गोकुलाष्टमी या श्रीकृष्ण जयंती के नाम से भी जाना जाता है।
(c) यह भगवान कृष्ण द्वारा कंस को पराजित करने की स्मृति में मनाया जाता है।
(d) यह मुख्य रूप से उपवास, भजन-कीर्तन और मध्यरात्रि को कृष्ण जन्म के उत्सव के लिए जाना जाता है।
उत्तर: (c)
व्याख्या: जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव है, न कि कंस को पराजित करने की स्मृति का। कंस वध उनके जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना थी, लेकिन जन्माष्टमी का मुख्य जोर उनके जन्म पर है।

3. 79वें स्वतंत्रता दिवस के संबंध में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन UPSC के लिए प्रासंगिक नहीं है?
(a) आधुनिक भारत के इतिहास में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की भूमिका।
(b) भारतीय संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित मौलिक मूल्य।
(c) भारतीय दर्शन में वेदांत दर्शन का महत्व।
(d) स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बाल गंगाधर तिलक का योगदान।
उत्तर: (c)
व्याख्या: स्वतंत्रता दिवस का सीधा संबंध आधुनिक भारत के इतिहास, संविधान और राष्ट्रवाद से है। वेदांत दर्शन भारतीय दर्शन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन इसका सीधा संबंध स्वतंत्रता दिवस से नहीं है।

4. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. बाल गंगाधर तिलक ने गणेशोत्सव को राष्ट्रवादी भावना जगाने के एक माध्यम के रूप में लोकप्रिय बनाया।
2. गणेश चतुर्थी मुख्य रूप से महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला त्योहार है।
3. गणेशोत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन के साथ होता है।
उपरोक्त में से कौन से कथन सही हैं?
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
व्याख्या: सभी कथन सही हैं। बाल गंगाधर तिलक ने गणेशोत्सव को सार्वजनिक मंच के रूप में इस्तेमाल किया, यह महाराष्ट्र में विशेष रूप से लोकप्रिय है, और इसका समापन अनंत चतुर्दशी पर विसर्जन के साथ होता है।

5. निम्नलिखित में से कौन सा त्योहार ‘बुद्धि और समृद्धि के देवता’ भगवान गणेश के जन्मोत्सव से संबंधित है?
(a) रक्षाबंधन
(b) श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
(c) गणेश चतुर्थी
(d) महाशिवरात्रि
उत्तर: (c)
व्याख्या: गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है।

6. स्वतंत्रता दिवस समारोह में प्रधानमंत्री का लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करना किस परंपरा का प्रतीक है?
(a) ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की विरासत
(b) एक संप्रभु राष्ट्र के प्रमुख का कार्य
(c) एक अनौपचारिक जनसंपर्क माध्यम
(d) ऐतिहासिक पुनरावृत्ति
उत्तर: (b)
व्याख्या: यह एक संप्रभु राष्ट्र के प्रमुख के रूप में प्रधानमंत्री की भूमिका और जिम्मेदारी का प्रतीक है।

7. भगवद गीता का कौन सा सिद्धांत श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के उत्सव के दौरान विशेष रूप से प्रासंगिक माना जाता है?
(a) पुनर्जन्म का सिद्धांत
(b) निष्काम कर्म का सिद्धांत
(c) आत्मा की अमरता का सिद्धांत
(d) भक्ति योग का महत्व
उत्तर: (d)
व्याख्या: हालांकि सभी सिद्धांत भगवद गीता से संबंधित हैं, जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण को एक अवतार के रूप में पूजने के कारण भक्ति योग का महत्व विशेष रूप से उभरता है। निष्काम कर्म भी महत्वपूर्ण है, लेकिन उत्सव भक्ति पर केंद्रित है।

8. रक्षाबंधन से संबंधित ऐतिहासिक प्रसंग में, निम्नलिखित में से किसने सहायता के लिए हुमायूँ को राखी भेजी थी?
(a) रानी लक्ष्मीबाई
(b) रानी अहिल्याबाई होल्कर
(c) रानी कर्णावती
(d) मीराबाई
उत्तर: (c)
व्याख्या: मेवाड़ की रानी कर्णावती ने बहादुर शाह के आक्रमण के समय हुमायूँ को राखी भेजी थी।

9. अगस्त में मनाए जाने वाले निम्नलिखित त्योहारों का कालानुक्रमिक क्रम (पहले से बाद तक) क्या है?
1. रक्षाबंधन
2. गणेश चतुर्थी
3. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
सही क्रम चुनें:
(a) 1-2-3
(b) 1-3-2
(c) 2-1-3
(d) 3-1-2
उत्तर: (b)
व्याख्या: सामान्यतः, रक्षाबंधन श्रावण पूर्णिमा को होता है, इसके बाद भाद्रपद कृष्ण पक्ष में जन्माष्टमी और फिर भाद्रपद शुक्ल पक्ष में गणेश चतुर्थी (कुछ वर्षों में गणेश चतुर्थी जन्माष्टमी के बाद आती है, लेकिन त्योहारों के समूह में यह क्रम आम है)। सबसे सटीक क्रम 1 (श्रावण पूर्णिमा), 3 (भाद्रपद कृष्ण अष्टमी), 2 (भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी) है।

10. **निम्नलिखित में से कौन सा पर्व ‘अच्छाई की बुराई पर विजय’ का प्रतीक है और राष्ट्रीय स्तर पर देशभक्ति के साथ मनाया जाता है?
(a) रक्षाबंधन
(b) श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
(c) गणेश चतुर्थी
(d) स्वतंत्रता दिवस
उत्तर: (d)
व्याख्या: स्वतंत्रता दिवस भारत की ब्रिटिश शासन से मुक्ति और राष्ट्रीय संप्रभुता का प्रतीक है, जो अंततः बुराई (औपनिवेशिक शासन) पर अच्छाई (स्वतंत्रता) की विजय है। जन्माष्टमी भी इस विचार का प्रतिनिधित्व करती है, लेकिन स्वतंत्रता दिवस एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में इस संदेश को प्रमुखता से देता है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. अगस्त के महीने में मनाए जाने वाले रक्षाबंधन, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और 79वें स्वतंत्रता दिवस के त्योहारों के सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय महत्व का विश्लेषण करें। विशेष रूप से, ये त्योहार भारतीय समाज की संरचना, नैतिक मूल्यों और राष्ट्रीय चेतना को कैसे प्रभावित करते हैं, इसकी चर्चा करें।

उत्तर के मुख्य बिंदु:
* रक्षाबंधन: पारिवारिक बंधन, महिला सुरक्षा का प्रतीकात्मक महत्व, सामाजिक सद्भाव। ऐतिहासिक प्रसंग (रानी कर्णावती)।
* श्रीकृष्ण जन्माष्टमी: भक्ति, आध्यात्मिकता, भगवद गीता के उपदेश (कर्म, धर्म), अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक।
* 79वां स्वतंत्रता दिवस: राष्ट्रीय गौरव, बलिदान, संप्रभुता, संवैधानिक मूल्य (लोकतंत्र, समानता, स्वतंत्रता), राष्ट्रीय चेतना का जागृतिकरण।
* प्रभाव: इन त्योहारों का पीढ़ी दर पीढ़ी मूल्यों का हस्तांतरण, सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा देना, और राष्ट्रीय पहचान को सुदृढ़ करना।

2. बाल गंगाधर तिलक ने गणेशोत्सव को कैसे सार्वजनिक उत्सव के रूप में पुनर्जीवित किया और इसका राष्ट्रवादी आंदोलन में क्या योगदान था? इस संदर्भ में, सार्वजनिक उत्सवों के समाज और राजनीति पर पड़ने वाले प्रभाव का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें।

उत्तर के मुख्य बिंदु:
* तिलक का योगदान: गणेशोत्सव को जन-जन तक पहुँचाना, राजनीतिक चेतना फैलाना, ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकजुट करना।
* राष्ट्रवादी आंदोलन में भूमिका: एकता, राष्ट्रीय भावना का संचार, सार्वजनिक मंच का उपयोग।
* आलोचनात्मक मूल्यांकन:
* सकारात्मक प्रभाव: सामाजिक एकता, सांस्कृतिक पुनर्जागरण, सामुदायिक जुड़ाव।
* नकारात्मक प्रभाव/चुनौतियाँ: सांप्रदायिकता का खतरा (कुछ संदर्भों में), भीड़ प्रबंधन, पर्यावरण प्रदूषण (विसर्जन के दौरान), और व्यावसायिकरण।

3. अगस्त के त्योहारों, विशेषकर गणेश चतुर्थी के संदर्भ में, पर्यावरण संरक्षण और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने की चुनौतियाँ क्या हैं? सरकार और नागरिकों को इन चुनौतियों से निपटने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?

उत्तर के मुख्य बिंदु:
* चुनौतियाँ:
* पर्यावरण: मूर्तियों में हानिकारक रसायनों का उपयोग, जल निकायों में विसर्जन से प्रदूषण (प्लास्टिक, पीओपी, रसायन), ध्वनि प्रदूषण।
* सार्वजनिक व्यवस्था: भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा, यातायात नियंत्रण, सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखना।
* सरकार के कदम:
* पर्यावरण: ईको-फ्रेंडली मूर्तियों को बढ़ावा देना, कृत्रिम तालाबों का निर्माण, पीओपी पर प्रतिबंध, जागरूकता अभियान।
* सार्वजनिक व्यवस्था: सुरक्षा बलों की तैनाती, यातायात नियम, लाउडस्पीकर नियमों का पालन, आपत्तिजनक भाषणों पर नियंत्रण।
* नागरिकों के कदम:
* पर्यावरण: मिट्टी की मूर्तियाँ अपनाना, घर पर विसर्जन, स्थानीय निकायों का सहयोग करना।
* सार्वजनिक व्यवस्था: शांतिपूर्ण ढंग से त्योहार मनाना, अफवाहों से बचना, पुलिस और प्रशासन का सहयोग करना।

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