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समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: 25 बहुविकल्पीय प्रश्नों का एक ज़ोरदार अभ्यास

समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: 25 बहुविकल्पीय प्रश्नों का एक ज़ोरदार अभ्यास

नमस्कार, भावी समाजशास्त्री! आज के इस विशेष अभ्यास सत्र में आपका स्वागत है। अपनी संकल्पनात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को तेज करने के लिए तैयार हो जाइए। ये 25 प्रश्न आपको समाजशास्त्र के विभिन्न आयामों में गहराई से ले जाएंगे और आपकी परीक्षा की तैयारी को नई दिशा देंगे!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (social facts) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जिसे उन्होंने समाजशास्त्र के अध्ययन का मुख्य विषय माना?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. हरबर्ट स्पेंसर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “समाजशास्त्रीय विधि के नियम” (The Rules of Sociological Method) में ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा को परिभाषित किया। उनके अनुसार, सामाजिक तथ्य व्यक्तियों के बाहर मौजूद होते हैं और उन पर बाहरी दबाव डालते हैं। ये समाज की संरचना और कार्यप्रणाली का अध्ययन करने के लिए आवश्यक हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों को ‘चीजों की तरह’ (as things) अध्ययन करने पर जोर दिया, जिसका अर्थ है उन्हें वस्तुनिष्ठ रूप से देखना और उनके कारणों और कार्यों की व्याख्या करना। वे समाजशास्त्रीय पद्धति में प्रत्यक्षवाद (positivism) के प्रमुख समर्थक थे।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का ध्यान वर्ग संघर्ष और आर्थिक निर्धारणवाद पर था। मैक्स वेबर ने व्यक्तिपरक अर्थों (subjective meanings) को समझने के लिए ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) की पद्धति का वकालत की। हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक डार्विनवाद (social Darwinism) के विचार प्रस्तुत किए।

प्रश्न 2: निम्नांकित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘सामाजिक क्रिया’ (social action) के सिद्धांत के लिए जाना जाता है, जिसमें उसने समाज को व्यक्तियों की परस्पर क्रियाओं के योग के रूप में देखा?

  1. रॉबर्ट ई. पार्क
  2. मैक्स वेबर
  3. अगस्त कॉम्टे
  4. टैल्कॉट पार्सन्स

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: मैक्स वेबर ने ‘सामाजिक क्रिया’ को समाजशास्त्र के अध्ययन का केंद्र बिंदु माना। उनके अनुसार, सामाजिक क्रिया वह क्रिया है जो व्यक्ति अपनी क्रियाओं में दूसरों के व्यवहार से प्रभावित होकर या दूसरों के व्यवहार के प्रति संबोधित होकर करता है, और जिसमें वह व्यक्तिपरक अर्थ (subjective meaning) जोड़ता है।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने सामाजिक क्रिया को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया: साधन-साध्य विवेकपूर्ण (instrumentally rational), मूल्य-विवेकपूर्ण (value-rational), भावनात्मक (affectual), और पारंपरिक (traditional)। यह अवधारणा उनकी व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (interpretive sociology) का आधार है।
  • गलत विकल्प: रॉबर्ट ई. पार्क शिकागो स्कूल से जुड़े थे और शहरी समाजशास्त्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अगस्त कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने ‘प्रत्यक्षवाद’ का सिद्धांत दिया। टैल्कॉट पार्सन्स ने संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक सिद्धांत (structural-functionalism) विकसित किया।

प्रश्न 3: ‘अनौमी’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक विघटन और व्यक्ति में दिशाहीनता की भावना को दर्शाती है, किस समाजशास्त्री से संबंधित है?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. किंग्सले डेविस
  3. रॉबर्ट मर्टन
  4. ऐल्फ्रेड आर. रेडक्लिफ-ब्राउन

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: एमिल दुर्खीम ने ‘अनौमी’ की अवधारणा को अपने कार्यों, विशेष रूप से “आत्महत्या” (Suicide) में विकसित किया। यह तब उत्पन्न होती है जब सामाजिक नियम कमजोर पड़ जाते हैं या अनुपस्थित होते हैं, जिससे व्यक्तियों को अनिश्चितता और अलगाव का अनुभव होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अनौमी को सामाजिक मानदंडों के कमजोर पड़ने की स्थिति के रूप में देखा, जो अक्सर तीव्र सामाजिक परिवर्तन या आर्थिक संकट के दौरान उत्पन्न होती है। यह सामाजिक नियंत्रण के टूटने का परिणाम है।
  • गलत विकल्प: रॉबर्ट मर्टन ने अनौमी की अवधारणा का विस्तार किया और इसे नवाचार (innovation) जैसे अनुरूपता (conformity) से विचलन के एक रूप से जोड़ा। किंग्सले डेविस और ऐल्फ्रेड आर. रेडक्लिफ-ब्राउन प्रकार्यवाद (functionalism) के प्रमुख विचारक थे।

प्रश्न 4: कार्ल मार्क्स के अनुसार, इतिहास का मुख्य चालक क्या है?

  1. विचारों का संघर्ष
  2. वर्गों के बीच संघर्ष
  3. सांस्कृतिक विकास
  4. धार्मिक सुधार

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: कार्ल मार्क्स ने द्वंद्वात्मक भौतिकवाद (dialectical materialism) के अपने सिद्धांत में बताया कि समाज का विकास उत्पादन की शक्तियों और उत्पादन के संबंधों के बीच विरोधाभासों से होता है, जो अंततः विभिन्न वर्गों के बीच संघर्ष को जन्म देता है। यह वर्ग संघर्ष ही इतिहास को आगे बढ़ाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने पूंजीवाद को बुर्जुआ (पूंजीपति वर्ग) और सर्वहारा (मजदूर वर्ग) के बीच संघर्ष के रूप में देखा, और भविष्यवाणी की कि सर्वहारा क्रांति वर्गविहीन समाज की स्थापना करेगी। यह सिद्धांत “दास कैपिटल” (Das Kapital) और “कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो” (The Communist Manifesto) में विस्तार से वर्णित है।
  • गलत विकल्प: विचारों का संघर्ष आदर्शवाद (idealism) से संबंधित है। सांस्कृतिक विकास और धार्मिक सुधार सामाजिक परिवर्तन के कारक हो सकते हैं, लेकिन मार्क्स के अनुसार वे वर्ग संघर्ष जितने मौलिक नहीं हैं।

प्रश्न 5: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का प्रमुख विचारक कौन है, जिसने ‘स्व’ (Self) के विकास को सामाजिक अंतःक्रिया का परिणाम माना?

  1. इर्विंग गॉफमैन
  2. जॉर्ज हर्बर्ट मीड
  3. चार्ल्स होर्टन कूली
  4. अल्बर्ट बेंडुरा

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का जनक माना जाता है। उन्होंने बताया कि ‘स्व’ (Self) एक सामाजिक उत्पाद है, जो व्यक्ति की अन्य लोगों के साथ अंतःक्रियाओं और दूसरों के दृष्टिकोण को अपने भीतर समाहित करने (taking the role of the other) की प्रक्रिया से विकसित होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मीड ने ‘I’ (अद्वितीय, प्रतिक्रियाशील स्व) और ‘Me’ (सामाजिक, सीखी हुई भूमिकाओं का स्व) के बीच अंतर किया। उन्होंने ‘अन्य’ (the other) और ‘सामान्यीकृत अन्य’ (the generalized other) की अवधारणाएँ भी विकसित कीं। उनकी प्रमुख कृति “मन, स्व और समाज” (Mind, Self, and Society) मरणोपरांत प्रकाशित हुई।
  • गलत विकल्प: इर्विंग गॉफमैन ने ‘नाटकशास्त्र’ (dramaturgy) का सिद्धांत दिया। चार्ल्स होर्टन कूली ने ‘दर्पण-स्व’ (looking-glass self) की अवधारणा दी, जो मीड के विचारों से मिलती-जुलती है लेकिन मीड का योगदान अधिक मौलिक है। अल्बर्ट बेंडुरा एक मनोवैज्ञानिक हैं जो सामाजिक शिक्षण सिद्धांत (social learning theory) के लिए जाने जाते हैं।

  • प्रश्न 6: निम्नांकित में से कौन सा कथन ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) के संदर्भ में सबसे उपयुक्त है?

    1. व्यक्तियों के समूह
    2. समाज में व्यक्तियों की भूमिकाओं का जटिल जाल
    3. समाज में शक्ति और सत्ता का वितरण
    4. सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने वाले स्थायी और दोहराए जाने वाले पैटर्न

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: सामाजिक संरचना समाज के उन स्थायी और व्यवस्थित पैटर्नों को संदर्भित करती है जो सामाजिक जीवन को आकार देते हैं। इसमें सामाजिक संस्थाएं, भूमिकाएं, मानदंड और सामाजिक स्तरीकरण शामिल हैं, जो समाज के विभिन्न हिस्सों को एक साथ बांधते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक संरचना समाज की रीढ़ की हड्डी की तरह होती है, जो यह निर्धारित करती है कि लोग एक-दूसरे के साथ कैसे बातचीत करते हैं और समाज कैसे कार्य करता है। दुर्खीम, पार्सन्स और अन्य समाजशास्त्रियों ने सामाजिक संरचना के महत्व पर जोर दिया है।
    • गलत विकल्प: (a) व्यक्तियों का समूह संरचना का एक हिस्सा हो सकता है, लेकिन पूरी संरचना नहीं। (b) भूमिकाएं संरचना का हिस्सा हैं, लेकिन संरचना केवल भूमिकाओं का जाल नहीं है, बल्कि उनके स्थायी पैटर्न भी हैं। (c) शक्ति वितरण संरचना का एक पहलू है, लेकिन संरचना इससे कहीं अधिक व्यापक है।

    प्रश्न 7: ‘पोटलैटच’ (Potlatch) की प्रथा, जिसमें उपहारों का वितरण और विनिमय सामाजिक प्रतिष्ठा और शक्ति संबंधों को स्थापित करता है, किस समाजशास्त्री के अध्ययन का केंद्रीय बिंदु थी?

    1. मार्सेल मॉस
    2. ब्रोंिस्लॉ मैलिनोवस्की
    3. एफ. जी. बेली
    4. ई. ई. इवांस-प्रिचर्ड

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: मार्सेल मॉस ने अपनी प्रसिद्ध कृति “उपहार” (The Gift) में पोटलैटच का विश्लेषण किया। उन्होंने बताया कि यह केवल उपहारों का आदान-प्रदान नहीं है, बल्कि यह सामाजिक दायित्व, सौहार्द और शक्ति संबंधों को स्थापित करने और बनाए रखने का एक जटिल सामाजिक तंत्र है।
    • संदर्भ और विस्तार: मॉस ने यह भी तर्क दिया कि ‘पवित्र’ (sacred) और ‘धर्मनिरपेक्ष’ (profane) के बीच का अंतर समाजशास्त्र के लिए मौलिक है, जैसा कि उन्होंने दुर्खीम के साथ मिलकर ‘धर्म का समाजशास्त्र’ में बताया था। पोटलैटच पूर्व-पूंजीवादी समाजों में सामाजिक एकजुटता का एक महत्वपूर्ण उदाहरण था।
    • गलत विकल्प: मैलिनोवस्की ने ट्रोब्रियांड द्वीपवासियों का अध्ययन किया और प्रकार्यवाद में योगदान दिया। बेली और इवांस-प्रिचर्ड नृविज्ञान (anthropology) के महत्वपूर्ण विचारक थे जिन्होंने क्रमशः सीमांत समाज (frontier society) और नातेदारी (kinship) का अध्ययन किया।

    प्रश्न 8: ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) की भारतीय सामाजिक व्यवस्था के संदर्भ में, इनमें से कौन सा लक्षण मुख्य रूप से पाया जाता है?

    1. जन्म पर आधारित व्यवसाय की अनिवार्यता
    2. अंतर्विवाह (Endogamy)
    3. पवित्रता और प्रदूषण (Purity and Pollution) की अवधारणा
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: भारतीय जाति व्यवस्था की विशेषता जन्म के आधार पर व्यवसाय का निर्धारण, अपने ही समूह के भीतर विवाह (अंतर्विवाह) करना और सामाजिक पदानुक्रम में पवित्रता और प्रदूषण के आधार पर स्पष्ट विभाजन है। ये सभी तत्व जाति व्यवस्था के मुख्य लक्षण हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: एम.एन. श्रीनिवास, जी.एस. घुरिये, और इरावती कर्वे जैसे समाजशास्त्रियों ने जाति व्यवस्था का गहन अध्ययन किया है। जाति व्यवस्था भारतीय समाज में सामाजिक स्तरीकरण का सबसे प्रमुख रूप रही है।
    • गलत विकल्प: चूंकि तीनों विकल्प सही हैं, इसलिए (d) सही उत्तर है।

    प्रश्न 9: निम्नांकित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘नौकरशाही’ (Bureaucracy) के आदर्श-प्रकार (ideal-type) का विश्लेषण करने के लिए जाना जाता है?

    1. टॉनी एम. न्यूरोन
    2. एफ. डब्ल्यू. टेलर
    3. मैक्स वेबर
    4. डगलस मैकग्रेगर

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: मैक्स वेबर ने अपनी पुस्तक “अर्थव्यवस्था और समाज” (Economy and Society) में नौकरशाही के एक ‘आदर्श-प्रकार’ का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया। यह एक तार्किक रूप से सुसंगत, काल्पनिक मॉडल है जो नौकरशाही की प्रमुख विशेषताओं को स्पष्ट करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: वेबर के आदर्श-प्रकार में पदसोपान (hierarchy), नियमों पर आधारित कार्यप्रणाली, लिखित रिकॉर्ड, विशेषज्ञता, और व्यक्तिगत भावनाहीनता (impersonality) जैसी विशेषताएँ शामिल थीं। उन्होंने इसे आधुनिक समाज में तर्कसंगतता (rationality) के प्रसार के प्रतीक के रूप में देखा।
    • गलत विकल्प: एफ. डब्ल्यू. टेलर वैज्ञानिक प्रबंधन (scientific management) के जनक थे। न्यूरोन और मैकग्रेगर आधुनिक प्रबंधन सिद्धांत से जुड़े हैं, लेकिन वेबर का योगदान नौकरशाही के समाजशास्त्रीय विश्लेषण में मौलिक है।

    प्रश्न 10: ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) सिद्धांत के अनुसार, पारंपरिक समाजों से आधुनिक समाजों की ओर परिवर्तन की प्रक्रिया में कौन सा कारक महत्वपूर्ण माना जाता है?

    1. धार्मिक अनुष्ठानों का अधिक पालन
    2. तकनीकी विकास और औद्योगिकीकरण
    3. कृषि आधारित अर्थव्यवस्था का विस्तार
    4. स्थानीय परंपराओं का सुदृढ़ीकरण

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: आधुनिकीकरण सिद्धांत मानता है कि पारंपरिक समाजों का आधुनिक समाजों में रूपांतरण मुख्य रूप से तकनीकी नवाचार, औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, शिक्षा के प्रसार और तर्कसंगतता की बढ़ती प्रधानता से प्रेरित होता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत अक्सर पश्चिमी समाजों के विकास पथ को एक सार्वभौमिक मॉडल के रूप में देखता है, हालांकि इसकी आलोचना भी हुई है। यह आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तनों के एक जटिल समुच्चय को दर्शाता है।
    • गलत विकल्प: (a) और (d) पारंपरिक समाजों की विशेषताएं हैं। (c) औद्योगिकीकरण के विपरीत है।

    प्रश्न 11: निम्नांकित में से कौन सी अवधारणा ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) से संबंधित है, जो व्यक्तियों या समूहों के बीच संबंधों के नेटवर्क से उत्पन्न होने वाले लाभों को दर्शाती है?

    1. आर्थिक निवेश
    2. राजनीतिक प्रभाव
    3. विश्वास, सहयोग और पारस्परिकता पर आधारित संबंध
    4. तकनीकी नवाचार

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: सामाजिक पूंजी उन संसाधनों को संदर्भित करती है जो सामाजिक संरचनाओं, विशेष रूप से संबंधों, नेटवर्क और समूहों के माध्यम से सुलभ होते हैं। इसमें विश्वास, सामाजिक मानदंड और पारस्परिकता शामिल हैं जो सहयोग को सुविधाजनक बनाते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: पियरे बॉर्डियू, जेम्स कॉलमैन और रॉबर्ट पुटनम जैसे समाजशास्त्रियों ने सामाजिक पूंजी की अवधारणा पर महत्वपूर्ण काम किया है। यह आर्थिक पूंजी (धन) और मानवीय पूंजी (कौशल, ज्ञान) से अलग है।
    • गलत विकल्प: (a) और (d) आर्थिक और तकनीकी पहलू हैं। (b) सामाजिक पूंजी का एक संभावित परिणाम हो सकता है, लेकिन स्वयं सामाजिक पूंजी नहीं है।

    प्रश्न 12: ‘पारिवारिक संरचना’ (Family Structure) के संदर्भ में, ‘समरक्त परिवार’ (Consanguineal Family) का क्या अर्थ है?

    1. वह परिवार जिसमें पति-पत्नी और उनके अविवाहित बच्चे साथ रहते हैं।
    2. वह परिवार जिसमें माता-पिता और उनके विवाहित पुत्र, उनकी पत्नियाँ और बच्चे साथ रहते हैं।
    3. वह परिवार जिसमें रक्त संबंधियों का एक समूह, जो सभी एक सामान्य पूर्वज से उत्पन्न हुए माने जाते हैं, साथ रहते हैं।
    4. वह परिवार जिसमें पति-पत्नी अपने बच्चों के साथ अपने माता-पिता में से किसी एक के घर रहते हैं।

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: समरक्त परिवार (Consanguineal Family) वह है जो वंशानुक्रम और सामान्य रक्त संबंध पर आधारित है, जिसमें अक्सर विस्तारित परिवार के सदस्य (दादा-दादी, चाचा-चाची, चचेरे भाई-बहन) एक साथ रहते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: यह पैतृक (patrilineal) या मातृवंशीय (matrilineal) वंश की व्यवस्था से जुड़ा हो सकता है। यह नाभिकीय परिवार (nuclear family) के विपरीत एक विस्तारित परिवार का रूप है।
    • गलत विकल्प: (a) नाभिकीय परिवार है। (b) यह एक पितृवंशीय विस्तारित परिवार (patrilocal extended family) का वर्णन कर सकता है। (d) यह निवास स्थान के आधार पर नव-स्थानिक (neolocal) या उप-स्थानिक (urolocal/avunculocal) निवास को दर्शा सकता है।

    प्रश्न 13: निम्नांकित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘अभिजन सिद्धांत’ (Elitism Theory) के विकास से जुड़ा है, जो मानता है कि समाज पर हमेशा एक छोटे, शासक वर्ग का प्रभुत्व रहता है?

    1. विलफ्रेडो परेटो
    2. सी. राइट मिल्स
    3. गैतानो मोस्का
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: विलफ्रेडो परेटो (चक्रण का सिद्धांत), गैतानो मोस्का (शासक वर्ग का सिद्धांत), और सी. राइट मिल्स (शक्ति अभिजन का सिद्धांत) – ये सभी विचारक अभिजन सिद्धांत के प्रमुख प्रस्तावक हैं। वे मानते हैं कि समाज में शक्ति और नेतृत्व हमेशा एक अल्पसंख्यक वर्ग के हाथों में केंद्रित होता है।
    • संदर्भ और विस्तार: इन समाजशास्त्रियों ने तर्क दिया कि चाहे शासन प्रणाली कोई भी हो, एक ‘अभिजन’ (elite) वर्ग हमेशा सत्ता में रहता है और समाज का मार्गदर्शन करता है। मिल्स ने विशेष रूप से अमेरिका में सैन्य, कॉर्पोरेट और राजनीतिक अभिजन के बीच गठजोड़ पर प्रकाश डाला।
    • गलत विकल्प: चूँकि तीनों विकल्प सही हैं, इसलिए (d) सही उत्तर है।

    प्रश्न 14: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) के सिद्धांत के अंतर्गत, ‘अभिज्ञा वर्ग’ (Elite Class) की अवधारणा क्या दर्शाती है?

    1. समाज का निम्नतम आर्थिक वर्ग
    2. समाज का वह छोटा समूह जिसके पास महत्वपूर्ण शक्ति, धन या प्रतिष्ठा होती है
    3. समाज का वह हिस्सा जो मुख्य रूप से कला और संस्कृति में संलग्न है
    4. समाज का वह हिस्सा जो श्रमिक वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: अभिज्ञा वर्ग (Elite Class) समाज के उस अपेक्षाकृत छोटे और प्रभावशाली समूह को संदर्भित करता है जिसके पास महत्वपूर्ण आर्थिक, राजनीतिक या सामाजिक संसाधन होते हैं, और जो समाज के निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में प्रमुख भूमिका निभाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: अभिजन सिद्धांत इस बात पर जोर देता है कि यह अभिज्ञा वर्ग अपनी स्थिति को कैसे बनाए रखता है और क्या यह बंद (closed) है या खुला (open)।
    • गलत विकल्प: (a) और (d) निम्न या श्रमिक वर्ग को दर्शाते हैं। (c) संस्कृति में संलग्न होना अभिज्ञा वर्ग का एक पहलू हो सकता है, लेकिन यह इसकी मुख्य परिभाषा नहीं है।

    प्रश्न 15: निम्नांकित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘पैटर्न चर’ (Pattern Variables) की अवधारणा के माध्यम से सामाजिक क्रिया को वर्गीकृत करता है, जो यह बताता है कि व्यक्ति किसी विशेष सामाजिक स्थिति में कैसे व्यवहार करते हैं?

    1. रॉबर्ट मर्टन
    2. एमिल दुर्खीम
    3. टैल्कॉट पार्सन्स
    4. ए. आर. रैडक्लिफ-ब्राउन

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: टैल्कॉट पार्सन्स ने पांच पैटर्न चर (pattern variables) विकसित किए, जो दो विरोधी विकल्पों के बीच एक द्विभाजित विकल्प (dichotomous choice) का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये चर बताते हैं कि एक अभिनेता (actor) एक विशेष स्थिति में कैसे उन्मुख (orient) होता है।
    • संदर्भ और विस्तार: ये चर हैं: (1) आत्मीयता (Affectivity) बनाम तटस्थता (Neutrality), (2) स्व-अभिविन्यास (Self-orientation) बनाम उप-अभिविन्यास (Societal orientation), (3) सार्वभौमिकता (Universalism) बनाम विशेषत्व (Particularism), (4) गुण (Ascription) बनाम उपलब्धि (Achievement), और (5) प्रसार (Diffusion) बनाम विशिष्टता (Specificity)। ये पार्सन्स के संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक सिद्धांत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
    • गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों और अनौमी पर काम किया। मर्टन ने मध्यवर्ती सिद्धांत (middle-range theory) और विहित विचलन (anomie) के विचलन पर जोर दिया। रेडक्लिफ-ब्राउन प्रकार्यात्मकता और सामाजिक संरचना पर ध्यान केंद्रित किया।

    प्रश्न 16: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा, जो समाज के विभिन्न सांस्कृतिक तत्वों (जैसे भौतिक और अभौतिक संस्कृति) के बीच परिवर्तन की दर में अंतर का वर्णन करती है, किसने प्रस्तुत की?

    1. विलियम ग्राहम समनर
    2. अल्बर्ट श्रुट्ज़
    3. एमिल दुर्खीम
    4. एच. सी. लिब्मन

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: विलियम ग्राहम समनर ने अपनी पुस्तक “फोल्कवेज़” (Folkways, 1906) में ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि अभौतिक संस्कृति (जैसे मानदंड, मूल्य, कानून) अक्सर भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी, नवाचार) की तुलना में धीमी गति से बदलती है, जिससे समाज में असंतुलन पैदा होता है।
    • संदर्भ और विस्तार: समनर ने ‘मोर’ (mores) और ‘फोल्कवेज़’ (folkways) के बीच अंतर किया। सांस्कृतिक विलंब सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण अवधारणा है।
    • गलत विकल्प: श्रुट्ज़ एक समाजशास्त्री थे जिन्होंने घटना विज्ञान (phenomenology) का समाजशास्त्र में प्रयोग किया। दुर्खीम और लिब्मन अन्य समाजोंशास्त्रीय अवधारणाओं से जुड़े हैं।

    प्रश्न 17: ‘सामुदायिक व्यवस्था’ (Gemeinschaft) और ‘सहचर्य व्यवस्था’ (Gesellschaft) की अवधारणाएं, जो सामाजिक संबंधों के दो भिन्न रूपों को दर्शाती हैं, किसने विकसित कीं?

    1. फर्डिनेंड टोनीज
    2. मैक्स वेबर
    3. कार्ल मार्क्स
    4. औगस्ट कॉम्टे

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: फर्डिनेंड टोनीज ने अपनी पुस्तक “Gemeinschaft und Gesellschaft” (1887) में इन दो अवधारणाओं को प्रस्तुत किया। ‘Gemeinschaft’ (सामुदायिक व्यवस्था) अनौपचारिक, घनिष्ठ, भावनात्मक और संबंध-आधारित सामाजिक संबंधों को दर्शाता है (जैसे परिवार, पड़ोस)। ‘Gesellschaft’ (सहचर्य व्यवस्था) औपचारिक, अवैयक्तिक, अनुबंध-आधारित और साधन-साध्य (instrumental) संबंधों को दर्शाता है (जैसे आधुनिक शहर, व्यवसाय)।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा समाज के परिवर्तन को छोटे, घनिष्ठ समुदायों से बड़े, अमूर्त समाजों की ओर समझने में मदद करती है।
    • गलत विकल्प: वेबर ने आदर्श-प्रकार और सामाजिक क्रिया पर काम किया। मार्क्स ने वर्ग संघर्ष पर ध्यान केंद्रित किया। कॉम्टे समाजशास्त्र के जनक हैं।

    प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘समाजशास्त्रीय कल्पनाशक्ति’ (Sociological Imagination) की अवधारणा के लिए जाना जाता है, जो व्यक्तिगत समस्याओं और सामाजिक संरचनाओं के बीच संबंध को देखने की क्षमता है?

    1. सी. राइट मिल्स
    2. पीटर एल. बर्जर
    3. एच. गार्फिंकेल
    4. एच. मार्क्यूज़

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: सी. राइट मिल्स ने अपनी पुस्तक “द सोशियोलॉजिकल इमेजिनेशन” (1959) में इस अवधारणा को पेश किया। यह व्यक्तिगत जीवन (biography) और इतिहास (history) के बीच, और समाज के सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच संबंधों को समझने की क्षमता है।
    • संदर्भ और विस्तार: मिल्स के अनुसार, समाजशास्त्रीय कल्पनाशक्ति हमें यह समझने में मदद करती है कि व्यक्तिगत समस्याएं (जैसे बेरोजगारी) अक्सर व्यापक सामाजिक मुद्दों (जैसे आर्थिक मंदी) से कैसे जुड़ी होती हैं।
    • गलत विकल्प: पीटर एल. बर्जर ने ‘समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण’ (Sociological Perspective) की बात की। गार्फिंकेल ने ‘नृजातिपद्धति विज्ञान’ (ethnomethodology) विकसित किया। मार्क्यूज़ फ्रैंकफर्ट स्कूल से जुड़े थे।

    प्रश्न 19: ‘नृजातिपद्धति विज्ञान’ (Ethnomethodology) के संस्थापक के रूप में किसे जाना जाता है, जो रोजमर्रा की जिंदगी में लोगों द्वारा अपने सामाजिक व्यवहार को कैसे अर्थपूर्ण बनाते हैं, इस पर ध्यान केंद्रित करता है?

    1. अल्फ्रेड शुट्ज़
    2. एमिल दुर्खीम
    3. एच. गार्फिंकेल
    4. जॉर्ज हर्बर्ट मीड

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: एच. गार्फिंकेल को नृजातिपद्धति विज्ञान का संस्थापक माना जाता है। यह दृष्टिकोण इस बात पर केंद्रित है कि लोग रोजमर्रा की बातचीत में सामाजिक वास्तविकता का निर्माण और रखरखाव कैसे करते हैं, उन ‘साधारण’ तरीकों का उपयोग करके जिन्हें वे आम तौर पर अनदेखा करते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: गार्फिंकेल ने ‘ब्रेकिंग-अप’ प्रयोगों (breaching experiments) का उपयोग करके दिखाया कि जब सामान्य सामाजिक अपेक्षाओं को तोड़ा जाता है तो लोग कितनी आसानी से आश्चर्यचकित हो जाते हैं।
    • गलत विकल्प: अल्फ्रेड शुट्ज़ ने घटना विज्ञान (phenomenology) पर काम किया, जिसने गार्फिंकेल को प्रभावित किया। दुर्खीम और मीड अन्य प्रमुख समाजशास्त्रीय विचारकों में से हैं।

    प्रश्न 20: ‘भारतीय समाज में धर्मनिरपेक्षता’ (Secularism in Indian Society) के संदर्भ में, कौन सा कथन सबसे सटीक है?

    1. राज्य पूरी तरह से धर्म से अलग है।
    2. राज्य सभी धर्मों को समान सम्मान देता है और उनके विकास में सहायता करता है।
    3. धर्म पूरी तरह से सार्वजनिक जीवन से हटा दिया गया है।
    4. राज्य किसी एक धर्म को बढ़ावा देता है।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: भारतीय धर्मनिरपेक्षता को ‘सकारात्मक धर्मनिरपेक्षता’ (positive secularism) या ‘सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान’ (sarva dharma sama bhava) के रूप में समझा जाता है, जहाँ राज्य किसी विशेष धर्म का पक्ष नहीं लेता, बल्कि सभी धर्मों के प्रति तटस्थ रहता है और उनके विकास में योगदान दे सकता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता से भिन्न है जहाँ राज्य धर्म से पूरी तरह अलग रहता है (separation of church and state)। टी. एन. मदान जैसे विद्वानों ने भारतीय धर्मनिरपेक्षता की प्रकृति पर बहस की है।
    • गलत विकल्प: (a) पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता का मॉडल है। (c) भारत में धर्म का सार्वजनिक जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव है। (d) भारतीय धर्मनिरपेक्षता का एक धर्म को बढ़ावा देना विरोधी है।

    प्रश्न 21: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का अर्थ है:

    1. व्यक्तियों का अपनी स्थिति के प्रति असंतोष।
    2. समाज में व्यक्तियों या समूहों की एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में परिवर्तन।
    3. समाज में उत्पन्न होने वाले परिवर्तन की दर।
    4. लोगों का अपने ही समुदाय में रहना।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: सामाजिक गतिशीलता वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति या समूह सामाजिक पदानुक्रम में अपनी स्थिति बदलते हैं। यह ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे) या क्षैतिज (समान स्तर पर) हो सकती है।
    • संदर्भ और विस्तार: गतिशीलता को समझने के लिए ‘ओपन क्लास सिस्टम’ (खुली वर्ग व्यवस्था) बनाम ‘क्लोज्ड क्लास सिस्टम’ (बंद वर्ग व्यवस्था) के बीच अंतर करना महत्वपूर्ण है। भारतीय जाति व्यवस्था पारंपरिक रूप से कम गतिशीलता वाली रही है।
    • गलत विकल्प: (a) असंतोष गतिशीलता का कारण हो सकता है, लेकिन यह गतिशीलता स्वयं नहीं है। (c) परिवर्तन की दर ‘सामाजिक परिवर्तन’ से संबंधित है। (d) यह गतिशीलता के विपरीत है।

    प्रश्न 22: ‘संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक सिद्धांत’ (Structural-Functionalism) के मुख्य प्रस्तावक कौन थे, जो यह मानते थे कि समाज विभिन्न परस्पर जुड़े हुए भागों से बना है, जिनमें से प्रत्येक समाज के स्थायित्व में योगदान देता है?

    1. कार्ल मार्क्स
    2. एमिल दुर्खीम
    3. टैल्कॉट पार्सन्स और रॉबर्ट मर्टन
    4. जॉर्ज सिमेल

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: टैल्कॉट पार्सन्स और रॉबर्ट मर्टन इस सिद्धांत के प्रमुख प्रस्तावक थे। वे समाज को एक जैविक प्रणाली के समान मानते थे, जहाँ प्रत्येक अंग (संस्था, संरचना) का एक विशेष कार्य (function) होता है जो पूरे जीव (समाज) के अस्तित्व और स्थायित्व के लिए आवश्यक होता है।
    • संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने ‘प्रकट प्रकार्यों’ (manifest functions) और ‘अव्यक्त प्रकार्यों’ (latent functions) के बीच अंतर किया, और ‘प्रकार्यात्मक विकल्प’ (functional alternatives) पर भी प्रकाश डाला।
    • गलत विकल्प: मार्क्स संघर्ष सिद्धांत के समर्थक थे। दुर्खीम को प्रकारवाद की नींव रखने वालों में गिना जाता है, लेकिन पार्सन्स और मर्टन ने इसे अधिक व्यवस्थित रूप दिया। सिमेल सामाजिक रूपों (forms of social interaction) पर काम किया।

    प्रश्न 23: ‘संसाधन जुटाना सिद्धांत’ (Resource Mobilization Theory) सामाजिक आंदोलनों की व्याख्या कैसे करता है?

    1. आंदोलनों की सफलता के लिए करिश्माई नेताओं की आवश्यकता पर बल देता है।
    2. मानसिक विकारों से ग्रस्त लोगों के आंदोलनों पर ध्यान केंद्रित करता है।
    3. आंदोलनों को सफल बनाने के लिए आवश्यक संगठनात्मक संसाधनों (जैसे नेतृत्व, धन, संचार) के अधिग्रहण और उपयोग पर जोर देता है।
    4. आंदोलनों को केवल सरकार के दमन के खिलाफ प्रतिक्रिया मानता है।

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: संसाधन जुटाना सिद्धांत यह मानता है कि किसी सामाजिक आंदोलन की सफलता केवल लोगों के असंतोष पर निर्भर नहीं करती, बल्कि उसके पास उपलब्ध संसाधनों (संगठनात्मक, वित्तीय, मानव, सूचनात्मक) को प्रभावी ढंग से जुटाने और उपयोग करने की क्षमता पर निर्भर करती है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत मानता है कि आंदोलनकर्ता अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए रणनीतियाँ विकसित करते हैं और संसाधनों का उपयोग करते हैं।
    • गलत विकल्प: (a) करिश्माई नेता एक संसाधन हो सकते हैं, लेकिन यह सिद्धांत केवल नेताओं पर केंद्रित नहीं है। (b) यह सिद्धांत मनोवैज्ञानिक कारकों के बजाय संरचनात्मक और संगठनात्मक कारकों पर केंद्रित है। (d) यह एक संकीर्ण दृष्टिकोण है।

    प्रश्न 24: ‘औद्योगीकरण’ (Industrialization) का भारतीय समाज पर क्या प्रभाव पड़ा है?

    1. पारंपरिक शिल्पों का पुनरुद्धार।
    2. ग्रामीण-शहरी प्रवास में वृद्धि और संयुक्त परिवार का क्षरण।
    3. जाति व्यवस्था का मजबूत होना।
    4. धार्मिक सहिष्णुता में वृद्धि।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: औद्योगीकरण ने रोजगार के अवसरों की तलाश में बड़ी संख्या में लोगों को ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी केंद्रों की ओर पलायन करने के लिए प्रेरित किया है। इसने पारंपरिक संयुक्त परिवारों के ढांचे को भी कमजोर किया है, क्योंकि शहरों में एकल परिवार (nuclear family) अधिक उपयुक्त होता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह परिवर्तन गतिशीलता, जीवन शैली और सामाजिक संबंधों को प्रभावित करता है।
    • गलत विकल्प: औद्योगीकरण से पारंपरिक शिल्प का क्षरण हुआ है, पुनरुद्धार नहीं। जाति व्यवस्था के स्वरूप में परिवर्तन हुआ है, लेकिन यह मजहब मजबूत नहीं हुई है। धार्मिक सहिष्णुता में वृद्धि एक जटिल मुद्दा है जिस पर औद्योगीकरण का सीधा और सरल प्रभाव नहीं कहा जा सकता।

    प्रश्न 25: ‘ग्रामीणीकरण’ (Ruralization) की प्रक्रिया, जो शहरों के कुछ लक्षणों का ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसार है, सामाजिक परिवर्तन के किस पहलू से संबंधित है?

    1. शहरी क्षेत्रों का ग्रामीण क्षेत्रों में विलय।
    2. ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी जीवन शैली, मूल्यों और तकनीकों का प्रवेश।
    3. ग्रामीण समाज का पूर्णतः समाप्त हो जाना।
    4. शहरी क्षेत्रों का और अधिक विकेन्द्रीकरण।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही होने का कारण: ग्रामीणीकरण (यह संभवतः ‘शहरीकरण का ग्रामीण क्षेत्रों पर प्रभाव’ या ‘रूरबनाइजेशन’ का वर्णन कर रहा है) तब होता है जब शहरी जीवन शैली, मूल्य, उपभोग पैटर्न और तकनीकें ग्रामीण समुदायों में फैलने लगती हैं, जिससे उनमें परिवर्तन आता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया संचार माध्यमों, प्रवास और शहरी अर्थव्यवस्था के विस्तार से प्रेरित होती है। यह ग्रामीण और शहरी जीवन के बीच की रेखा को धुंधला कर सकती है।
    • गलत विकल्प: (a) और (c) अतिशयोक्तिपूर्ण कथन हैं। (d) यह ग्रामीणीकरण के विपरीत दिशा है।

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