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समाजशास्त्र की दैनिक कसौटी: अपनी समझ को परखें!

समाजशास्त्र की दैनिक कसौटी: अपनी समझ को परखें!

तैयारी के मैदान में उतरने वाले मेरे साथी समाजशास्त्रियों! आज हम आपके ज्ञान की गहराई को नापने के लिए 25 सवालों का एक अनूठा संग्रह लेकर आए हैं। अपनी अवधारणाओं की स्पष्टता, विभिन्न सिद्धांतों की समझ और भारतीय समाज के सूक्ष्म विश्लेषण को परखने का यह एक बेहतरीन अवसर है। तो, पेन उठाएं और इस बौद्धिक यात्रा के लिए तैयार हो जाएं!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘सामूहिक चेतना’ (Collective Consciousness) की अवधारणा किस समाजशास्त्री से संबंधित है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. हरबर्ट स्पेंसर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘सामूहिक चेतना’ की अवधारणा प्रस्तुत की, जो किसी समाज के सदस्यों के विश्वासों, भावनाओं और मूल्यों का योग है। यह समाज को एकीकृत करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘समाज में श्रम विभाजन’ (The Division of Labour in Society) में इस विचार को विकसित किया। उनका मानना था कि यांत्रिक एकता वाले समाजों में सामूहिक चेतना अधिक प्रबल होती है, जबकि कार्बनिक एकता वाले समाजों में यह कमजोर हो जाती है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स वर्ग संघर्ष और उत्पादन की शक्तियों पर केंद्रित थे। मैक्स वेबर ने ‘सामाजिक क्रिया’ और ‘वर्चन’ (Verstehen) पर जोर दिया। हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक डार्विनवाद के विचारों का समर्थन किया।

प्रश्न 2: निम्नांकित में से कौन सी एक ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) का रूप नहीं है?

  1. जाति
  2. वर्ग
  3. नस्ल
  4. जनसांख्यिकी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: जनसांख्यिकी (Demography) जनसंख्या के आकार, वितरण, घनत्व, जन्म दर, मृत्यु दर आदि का अध्ययन है। यह सामाजिक स्तरीकरण का प्रत्यक्ष रूप नहीं है, यद्यपि जनसंख्या संबंधी कारक स्तरीकरण को प्रभावित कर सकते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक स्तरीकरण समाज में व्यक्तियों और समूहों को उनकी सामाजिक स्थिति, शक्ति, विशेषाधिकार और संसाधनों के आधार पर असमान स्तरों में वर्गीकृत करने की प्रक्रिया है। जाति, वर्ग और नस्ल इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
  • गलत विकल्प: जाति, वर्ग और नस्ल ऐसे आधार हैं जिनके आधार पर समाज में असमानताएँ उत्पन्न होती हैं और समूह विभिन्न स्तरों पर रखे जाते हैं, जो स्तरीकरण के मुख्य आयाम हैं।

प्रश्न 3: ‘मैजिक, साइंस एंड रिलिजन’ (Magic, Science and Religion) नामक प्रसिद्ध पुस्तक के लेखक कौन हैं?

  1. ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन
  2. ब्रोंislaw Malinowski
  3. ई. ई. इवांस-प्रिचार्ड
  4. जेम्स फ्रेज़र

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘मैजिक, साइंस एंड रिलिजन’ (Magic, Science and Religion) पुस्तक के लेखक ब्रोंislaw Malinowski हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: इस पुस्तक में, मालिनोव्स्की ने जादू, विज्ञान और धर्म के बीच अंतर-संबंधों का अध्ययन किया और विशेष रूप से ट्रोब्रिएंड द्वीप समूह के स्वदेशी लोगों के बीच अपने नृवंशविज्ञान (ethnographic) शोध के आधार पर जादू की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने तर्क दिया कि जादू अक्सर अनिश्चितता और संकट की स्थितियों में अनुष्ठानों के रूप में कार्य करता है।
  • गलत विकल्प: ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकता (Structural-Functionalism) से जुड़े हैं। ई. ई. इवांस-प्रिचार्ड ने जादू और विचक्राफ्ट का अध्ययन किया, लेकिन यह उनकी प्रसिद्ध पुस्तक नहीं है। जेम्स फ्रेज़र अपनी पुस्तक ‘द गोल्डन बो’ (The Golden Bough) के लिए जाने जाते हैं।

प्रश्न 4: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा को मुख्य रूप से किस समाजशास्त्री ने विकसित किया?

  1. पियरे बॉर्डियू
  2. जेम्स कोलमन
  3. रॉबर्ट पुटनम
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: पियरे बॉर्डियू, जेम्स कोलमन और रॉबर्ट पुटनम सभी ने सामाजिक पूंजी की अवधारणा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
  • संदर्भ और विस्तार: पियरे बॉर्डियू ने सामाजिक पूंजी को संसाधनों के एक नेटवर्क के रूप में परिभाषित किया जो किसी व्यक्ति की सामाजिक स्थिति और पहुंच से उत्पन्न होते हैं। जेम्स कोलमन ने इसे एक संसाधन के रूप में देखा जो सामाजिक संरचनाओं (जैसे परिवार, समुदाय) से उत्पन्न होता है और व्यक्तियों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है। रॉबर्ट पुटनम ने नागरिक सहभागिता और विश्वास पर इसके प्रभाव का अध्ययन किया।
  • गलत विकल्प: हालांकि सभी ने योगदान दिया, केवल एक को चुनना उनके सामूहिक योगदान को अनदेखा करेगा।

प्रश्न 5: भारत में ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) के संदर्भ में ‘सanskritization’ (संस्कृति-करण) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की?

  1. एम. एन. श्रीनिवास
  2. एस. सी. दुबे
  3. जी. एस. घुरिये
  4. इरावती कर्वे

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एम. एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृति-करण’ की अवधारणा दी।
  • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में इस शब्द को गढ़ा। यह एक प्रक्रिया है जिसमें निचली या मध्यम जातियाँ उच्च जातियों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, विश्वासों और जीवन-शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति में सुधार करने का प्रयास करती हैं।
  • गलत विकल्प: एस. सी. दुबे ने भारतीय समाज का अध्ययन किया, लेकिन यह अवधारणा उनकी नहीं है। जी. एस. घुरिये ने जाति व्यवस्था पर महत्वपूर्ण कार्य किया। इरावती कर्वे भारतीय समाज और नातेदारी व्यवस्था की प्रमुख नृवंशविज्ञानी थीं।

प्रश्न 6: ‘वर्ग संघर्ष’ (Class Struggle) समाजशास्त्र के किस प्रमुख सिद्धांत का मूल तत्व है?

  1. प्रकार्यात्मकता
  2. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
  3. साम्यवादी सिद्धांत (Conflict Theory)
  4. संरचनात्मकता

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘वर्ग संघर्ष’ साम्यवादी सिद्धांत (Conflict Theory) का मूल तत्व है, जिसका प्रतिपादन मुख्य रूप से कार्ल मार्क्स ने किया।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, इतिहास उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व रखने वाले शासक वर्ग और श्रमिक वर्ग के बीच संघर्ष का इतिहास रहा है। यह संघर्ष अंततः एक वर्गहीन समाज की ओर ले जाएगा।
  • गलत विकल्प: प्रकार्यात्मकता समाज को एक एकीकृत प्रणाली के रूप में देखती है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद सूक्ष्म स्तर पर अंतःक्रियाओं और प्रतीकों पर ध्यान केंद्रित करता है। संरचनात्मकता समाज की संरचनाओं और उनके कार्यों का अध्ययन करती है।

प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता ‘परिवार’ (Family) की सार्वभौमिक नहीं मानी जाती?

  1. यौन संबंध
  2. प्रजनन
  3. आर्थिक सहयोग
  4. यूनिफ़ॉर्मिटी ऑफ़ आउटपुट (परिणामों में एकरूपता)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘यूनिफ़ॉर्मिटी ऑफ़ आउटपुट’ (परिणामों में एकरूपता) परिवार की कोई सार्वभौमिक विशेषता नहीं है।
  • संदर्भ और विस्तार: परिवार की सामान्यतः स्वीकार्य सार्वभौमिक विशेषताओं में यौन संबंधों की व्यवस्था, प्रजनन (बच्चों का जन्म), बच्चों का पालन-पोषण (साम्यकन), आर्थिक सहयोग और सुरक्षा, और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए नियम शामिल हैं। परिणामों में एकरूपता का अर्थ स्पष्ट नहीं है और यह पारिवारिक कार्यों का हिस्सा नहीं है।
  • गलत विकल्प: यौन संबंध, प्रजनन और आर्थिक सहयोग परिवार के मूलभूत कार्य हैं जो लगभग सभी समाजों में पाए जाते हैं।

प्रश्न 8: ‘लकीर से हटकर’ (Deviance) के अध्ययन में ‘लेबलिंग सिद्धांत’ (Labeling Theory) किस दृष्टिकोण पर जोर देता है?

  1. व्यक्ति की आंतरिक प्रेरणाएँ
  2. समाज द्वारा व्यक्ति को दी गई सामाजिक उपाधि
  3. जैविकीय कारक
  4. मनोवैज्ञानिक प्रवृत्तियाँ

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: लेबलिंग सिद्धांत मानता है कि विचलन (deviance) का कारण किसी व्यक्ति के कार्य से अधिक वह तरीका है जिससे समाज उस कार्य और व्यक्ति को लेबल करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत के अनुसार, जब किसी व्यक्ति को ‘विचलित’ के रूप में लेबल किया जाता है, तो वह उस लेबल को आत्मसात कर सकता है और अपने व्यवहार को तदनुसार समायोजित कर सकता है, जिससे वह वास्तव में विचलित हो जाता है। यह समाज की प्रतिक्रिया और व्यक्ति की पहचान के निर्माण पर केंद्रित है।
  • गलत विकल्प: सिद्धांत व्यक्ति की आंतरिक प्रेरणाओं, जैविकीय कारकों या मनोवैज्ञानिक प्रवृत्तियों को मुख्य कारण नहीं मानता, बल्कि सामाजिक प्रतिक्रिया को प्रमुख मानता है।

प्रश्न 9: ‘नियो-मैक्सवाद’ (Neo-Marxism) का संबंध किस मुख्य विचार से है?

  1. पूंजीवाद की अंतर्निहित अस्थिरता
  2. मार्क्सवादी विचारों का पुनर्व्याख्यान और विस्तार
  3. वर्ग संघर्ष का परिष्कृत विश्लेषण
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: नियो-मैक्सवाद, मार्क्सवाद के मूल सिद्धांतों को बनाए रखते हुए, पूंजीवाद की अंतर्निहित अस्थिरता, वर्ग संघर्ष के परिष्कृत विश्लेषण, और मार्क्सवादी विचारों की समकालीन सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संदर्भों में पुनर्व्याख्या और विस्तार पर बल देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इसमें ग्राम्शी के प्रभुत्व (hegemony) के विचार, फ्रैंकफर्ट स्कूल के आलोचनात्मक सिद्धांत (critical theory) और अल्थुसर के संरचनात्मक मार्क्सवाद जैसे विचार शामिल हैं, जो क्लासिक मार्क्सवाद से परे जाकर उसकी व्याख्या करते हैं।
  • गलत विकल्प: सभी विकल्प नियो-मैक्सवाद के प्रमुख सरोकारों को दर्शाते हैं।

प्रश्न 10: ‘सामाजिक संस्था’ (Social Institution) को कैसे परिभाषित किया जाता है?

  1. व्यक्तियों का एक अनौपचारिक समूह
  2. समाज की आवश्यकताओं को पूरा करने वाले स्थापित प्रतिमानों और नियमों का एक जटिल समूह
  3. बाजार में वस्तुओं का आदान-प्रदान
  4. किसी विशेष क्षेत्र में निवास करने वाले लोग

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक संस्था को समाज की प्रमुख आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्थापित किए गए प्रतिमानों, नियमों, मूल्यों और भूमिकाओं के एक जटिल और अपेक्षाकृत स्थायी समूह के रूप में परिभाषित किया जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: उदाहरणों में परिवार, शिक्षा, धर्म, अर्थव्यवस्था और राजनीति शामिल हैं, जो समाज के कामकाज के लिए आवश्यक संरचनाएँ प्रदान करते हैं।
  • गलत विकल्प: (a) अनौपचारिक समूह, (c) बाजार में वस्तुओं का आदान-प्रदान, और (d) किसी विशेष क्षेत्र में निवास करने वाले लोग सामाजिक संस्थाओं की परिभाषा के दायरे से बाहर हैं।

प्रश्न 11: ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) की एक मुख्य विशेषता ‘अंतर्विवाह’ (Endogamy) से आप क्या समझते हैं?

  1. किसी भी जाति के सदस्य से विवाह
  2. केवल अपनी जाति के भीतर विवाह
  3. एक से अधिक जातियों में विवाह
  4. जाति से बाहर विवाह

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: अंतर्विवाह का अर्थ है कि व्यक्ति को अपने ही समूह या उप-समूह (जैसे अपनी जाति) के भीतर ही विवाह करना होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: भारतीय जाति व्यवस्था में, अंतर्विवाह एक महत्वपूर्ण नियम रहा है जिसने जातियों की शुद्धता और अलगाव को बनाए रखने में मदद की है। यह बहिर्विवाह (Exogamy) के विपरीत है, जो समूह के बाहर विवाह को प्रोत्साहित करता है।
  • गलत विकल्प: (a), (c) और (d) अंतर्विवाह के विपरीत अवधारणाएँ हैं।

प्रश्न 12: ‘मैक्स वेबर’ के अनुसार, ‘नौकरशाही’ (Bureaucracy) के आदर्श प्रारूप (Ideal Type) की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?

  1. पदानुक्रमित संरचना, स्पष्ट नियम और योग्यता पर आधारित नियुक्ति
  2. अनौपचारिक संबंध और व्यक्तिगत निर्णय
  3. लचीली कार्यप्रणाली और अनिश्चित जवाबदेही
  4. अमूर्त नियम और परिवर्तनशीलता

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मैक्स वेबर ने नौकरशाही को तर्कसंगत-कानूनी सत्ता (Rational-Legal Authority) पर आधारित एक आदर्श प्रकार के रूप में वर्णित किया, जिसमें पदानुक्रमित संरचना, स्पष्ट नियम और प्रक्रियाएं, कार्य विभाजन, अमूर्तता और योग्यता के आधार पर नियुक्ति शामिल है।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि यह संगठनात्मक संरचना दक्षता और निष्पक्षता को अधिकतम करती है।
  • गलत विकल्प: (b), (c), और (d) नौकरशाही के आदर्श प्रारूप की विशेषताओं के विपरीत हैं, जो अनौपचारिकता, लचीलेपन और अनिश्चितता को बढ़ावा देते हैं।

प्रश्न 13: ‘सामाजिक अनुसंधान’ (Social Research) में ‘गुणात्मक विधि’ (Qualitative Method) का मुख्य उद्देश्य क्या है?

  1. संख्यात्मक डेटा का संग्रह और विश्लेषण
  2. घटनाओं के पीछे छिपे अर्थों और संदर्भों को समझना
  3. जनसंख्या के व्यापक सर्वेक्षण करना
  4. कारण-प्रभाव संबंधों का सांख्यिकीय मापन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: गुणात्मक विधियाँ (जैसे साक्षात्कार, अवलोकन, केस स्टडी) घटनाओं के पीछे छिपे अर्थों, अनुभवों, दृष्टिकोणों और संदर्भों को गहराई से समझने पर केंद्रित होती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: ये विधियाँ ‘क्यों’ और ‘कैसे’ जैसे प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास करती हैं, न कि केवल ‘कितना’।
  • गलत विकल्प: (a), (c), और (d) मात्रात्मक विधियों (Quantitative Methods) की विशेषताएँ हैं, जो संख्यात्मक डेटा और सांख्यिकीय विश्लेषण पर बल देती हैं।

प्रश्न 14: ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया का संबंध मुख्यतः किससे है?

  1. धार्मिक अनुष्ठानों का प्रसार
  2. तकनीकी, औद्योगिक और धर्मनिरपेक्ष विकास
  3. पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं का सुदृढ़ीकरण
  4. प्रवास में वृद्धि

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: आधुनिकीकरण एक जटिल प्रक्रिया है जो औद्योगिकरण, शहरीकरण, धर्मनिरपेक्षता, शिक्षा के प्रसार और पारंपरिक समाजों में तकनीकी और संस्थागत परिवर्तनों से जुड़ी है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अक्सर पश्चिमी समाजों के विकास के मॉडल पर आधारित होता है और जीवन के विभिन्न पहलुओं में तर्कसंगतता और दक्षता पर जोर देता है।
  • गलत विकल्प: (a), (c) और (d) आधुनिकीकरण के केंद्रीय पहलुओं का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं, बल्कि इसके संभावित परिणाम या संबंधित प्रक्रियाएं हो सकती हैं।

प्रश्न 15: ‘औद्योगीकरण’ (Industrialization) का परिवार (Family) नामक सामाजिक संस्था पर क्या प्रभाव पड़ा है?

  1. संयुक्त परिवार का सुदृढ़ीकरण
  2. नाभिकीय परिवार (Nuclear Family) का उदय
  3. पैट्रिलिनियल (पितृवंशीय) व्यवस्था का मजबूत होना
  4. बहु-विवाह का प्रचलन बढ़ना

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: औद्योगीकरण ने शहरीकरण, गतिशीलता में वृद्धि और आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देकर पारंपरिक संयुक्त परिवारों को कमजोर किया है और नाभिकीय परिवारों (माता-पिता और उनके अविवाहित बच्चे) के उदय में योगदान दिया है।
  • संदर्भ और विस्तार: औद्योगिक समाजों में, परिवार अक्सर आर्थिक उत्पादन की इकाई के बजाय उपभोग की इकाई बन जाता है, और व्यक्तियों को रोजगार के लिए घर से दूर जाना पड़ता है।
  • गलत विकल्प: संयुक्त परिवार का सुदृढ़ीकरण, पितृवंशीय व्यवस्था का मजबूत होना, या बहु-विवाह का प्रचलन बढ़ना औद्योगीकरण के सामान्य परिणाम नहीं हैं; वास्तव में, कई मामलों में इसके विपरीत प्रभाव देखे गए हैं।

प्रश्न 16: ‘आदिवासी समाज’ (Tribal Society) में ‘रक्त संबंध’ (Kinship) का आधार क्या होता है?

  1. विवाह
  2. जन्म
  3. आर्थिक सहयोग
  4. राजनीतिक निष्ठा

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: आदिवासी समाजों में, रक्त संबंध (Kinship) मुख्य रूप से जन्म (रक्त के संबंध) पर आधारित होते हैं, जो एक वंश (descent) समूह का निर्माण करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: ये वंश समूह अक्सर सामाजिक संगठन, अनुष्ठानों, उत्तराधिकार और संपत्ति के स्वामित्व की नींव रखते हैं। हालांकि विवाह (Affinal Kinship) भी महत्वपूर्ण है, जैविक संबंध (Consanguineal Kinship) को अक्सर अधिक प्राथमिक माना जाता है।
  • गलत विकल्प: विवाह (a) एक महत्वपूर्ण संबंध बनाता है, लेकिन जन्म से स्थापित जैविक संबंध को अक्सर अधिक आधारभूत माना जाता है। आर्थिक सहयोग (c) और राजनीतिक निष्ठा (d) वंश व्यवस्था के परिणाम हो सकते हैं, लेकिन वे रक्त संबंध के प्राथमिक आधार नहीं हैं।

प्रश्न 17: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) का एक अप्रत्यक्ष (Indirect) साधन कौन सा है?

  1. पुलिस और न्यायालय
  2. कानून और दंड
  3. लोकमत और रूढ़ियाँ (Customs)
  4. कारावास

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: लोकमत (Public Opinion) और रूढ़ियाँ (Customs) सामाजिक नियंत्रण के अप्रत्यक्ष साधन हैं। ये व्यक्तियों के व्यवहार को सामाजिक अपेक्षाओं, अनुमोदन या अस्वीकृति के माध्यम से प्रभावित करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रत्यक्ष नियंत्रण में संस्थागत और औपचारिक साधनों का उपयोग होता है, जैसे कानून, पुलिस, न्यायालय और दंड, जो विशिष्ट नियमों को लागू करते हैं। अप्रत्यक्ष नियंत्रण अधिक सूक्ष्म होता है और अक्सर अनौपचारिक होता है।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सभी सामाजिक नियंत्रण के प्रत्यक्ष और औपचारिक साधन हैं, जिनमें सत्ता का उपयोग शामिल है।

प्रश्न 18: ‘प्रतिमान (Pattern) विचलित’ (Deviant) व्यवहार के संबंध में ‘अलंकारिक प्रकार्यवाद’ (Strain Theory) किसने प्रस्तुत की?

  1. एडविन सथर्रलैंड
  2. रॉबर्ट के. मर्टन
  3. ट्रैविस हिरशी
  4. हॉवर्ड बेकर

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: रॉबर्ट के. मर्टन ने ‘अलंकारिक प्रकार्यवाद’ (Strain Theory) को विकसित किया, जो यह बताता है कि जब समाज के सांस्कृतिक लक्ष्य (जैसे धन या सफलता) और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के संस्थागत साधन (जैसे शिक्षा, रोजगार) के बीच एक विसंगति या ‘अलंकार’ (strain) होता है, तो विचलन उत्पन्न हो सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने विचलन के पांच प्रतिमान बताए: अनुरूपता (Conformity), नवाचार (Innovation), अनुष्ठानवाद (Ritualism), प्रतिगमन (Retreatism) और विद्रोह (Rebellion)।
  • गलत विकल्प: एडविन सथर्रलैंड ने ‘अंतरित संघ’ (Differential Association) सिद्धांत दिया। ट्रैविस हिरशी ने ‘सामाजिक नियंत्रण सिद्धांत’ (Social Control Theory) पर काम किया। हॉवर्ड बेकर ‘लेबलिंग सिद्धांत’ से जुड़े हैं।

प्रश्न 19: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य बल किस पर होता है?

  1. समाज की वृहत्तर संरचनाएँ
  2. व्यक्तिगत और समूह के बीच सामाजिक अंतःक्रिया और प्रतीकों का अर्थ
  3. वर्ग संघर्ष और सत्ता की गतिशीलता
  4. सामाजिक परिवर्तन के वृहद कारक

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद एक सूक्ष्म-समाजशास्त्रीय (micro-sociological) दृष्टिकोण है जो व्यक्तियों के बीच होने वाली अंतःक्रियाओं, संचार (विशेषकर भाषा और प्रतीकों के माध्यम से) और इन अंतःक्रियाओं से निर्मित सामाजिक वास्तविकता पर केंद्रित है।
  • संदर्भ और विस्तार: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हरबर्ट ब्लूमर और इरविंग गॉफमैन इस दृष्टिकोण के प्रमुख विचारक हैं। वे इस बात पर जोर देते हैं कि व्यक्ति अपने आसपास की दुनिया के बारे में जो अर्थ निकालते हैं, वही उनके व्यवहार को निर्देशित करते हैं।
  • गलत विकल्प: (a), (c), और (d) मैक्रो-समाजशास्त्रीय (macro-sociological) दृष्टिकोणों की विशेषताएँ हैं, जैसे संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकता और साम्यवादी सिद्धांत।

प्रश्न 20: ‘सक्रिय नागरिकता’ (Active Citizenship) के विकास में ‘शिक्षा’ (Education) की भूमिका के संबंध में कौन सा कथन सत्य है?

  1. शिक्षा केवल व्यक्तिगत विकास पर ध्यान केंद्रित करती है।
  2. शिक्षा नागरिकों को ज्ञान, कौशल और लोकतांत्रिक मूल्यों से लैस करती है।
  3. शिक्षा सामाजिक असमानता को बढ़ावा देती है।
  4. शिक्षा राजनीतिक भागीदारी को हतोत्साहित करती है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: शिक्षा नागरिकों को समाज और शासन प्रणाली को समझने, आलोचनात्मक सोचने, अपने अधिकारों और कर्तव्यों को जानने तथा लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल और मूल्यों से लैस करके सक्रिय नागरिकता को बढ़ावा देती है।
  • संदर्भ और विस्तार: एक अच्छी शिक्षा प्रणाली नागरिकों को सामाजिक मुद्दों पर सूचित निर्णय लेने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए सशक्त बनाती है।
  • गलत विकल्प: शिक्षा केवल व्यक्तिगत विकास तक सीमित नहीं है (a), यह सामाजिक असमानता को कम करने का एक साधन हो सकती है (c), और यह निश्चित रूप से राजनीतिक भागीदारी को प्रोत्साहित करती है (d)।

प्रश्न 21: ‘ग्रामीण समाजशास्त्र’ (Rural Sociology) में ‘सामुदायिक संगठन’ (Community Organization) के अध्ययन का क्या महत्व है?

  1. शहरी जीवन शैली को बढ़ावा देना
  2. ग्रामीण समुदायों की आत्म-निर्भरता और सामूहिक क्रिया को मजबूत करना
  3. ग्रामीण क्षेत्रों में औद्योगीकरण को कम करना
  4. ग्रामीण-शहरी विभाजन को बढ़ाना

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामुदायिक संगठन ग्रामीण समाजशास्त्र में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ग्रामीण समुदायों को अपनी समस्याओं का समाधान खोजने, संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने और अपने सामूहिक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए एकजुट होने और काम करने में मदद करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह आत्म-निर्भरता, भागीदारी और स्थानीय विकास पर जोर देता है।
  • गलत विकल्प: (a), (c) और (d) सामुदायिक संगठन के प्राथमिक उद्देश्यों में से नहीं हैं और कभी-कभी इसके विपरीत भी हो सकते हैं।

प्रश्न 22: ‘धर्म’ (Religion) के ‘प्रकार्यात्मक सिद्धांत’ (Functionalist Theory) के अनुसार, समाज के लिए धर्म की क्या भूमिका है?

  1. यह केवल अंधविश्वास और सामाजिक विभाजन का स्रोत है।
  2. यह सामाजिक एकता, मूल्यों को सुदृढ़ करने और अर्थ प्रदान करने में मदद करता है।
  3. यह आर्थिक असमानता को बनाए रखता है।
  4. यह सामाजिक परिवर्तन को रोकता है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: प्रकार्यात्मक सिद्धांतकार जैसे एमिल दुर्खीम, धर्म को समाज के लिए एक एकीकृत शक्ति मानते हैं। यह साझा विश्वासों और अनुष्ठानों के माध्यम से सामाजिक एकता को बढ़ावा देता है, नैतिक मूल्यों को सुदृढ़ करता है और जीवन को अर्थ तथा उद्देश्य प्रदान करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने पवित्र (sacred) और अपवित्र (profane) के बीच अंतर किया और बताया कि कैसे सामूहिक अनुष्ठान सामूहिक चेतना को जगाते हैं।
  • गलत विकल्प: (a), (c), और (d) धर्म की केवल नकारात्मक या सीमित भूमिकाएँ बताते हैं, जबकि प्रकार्यात्मक सिद्धांतकार समाज में इसकी व्यापक सकारात्मक भूमिका पर जोर देते हैं।

प्रश्न 23: ‘सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change) के ‘विकासवादी सिद्धांत’ (Evolutionary Theory) के अनुसार, समाज कैसे बदलता है?

  1. अचानक और क्रांतिकारी तरीकों से
  2. सरल से जटिल अवस्थाओं की ओर एक रैखिक, क्रमिक मार्ग पर
  3. यादृच्छिक और अप्रत्याशित ढंग से
  4. विभिन्न अवस्थाओं से गुजरते हुए, लेकिन कोई निश्चित दिशा नहीं

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक विकासवादी सिद्धांत, जैसे कि हर्बर्ट स्पेंसर और अगस्त कॉम्ते ने प्रस्तुत किया, यह मानते हैं कि समाज सरल, निम्न-स्तरीय अवस्थाओं से विकसित होकर अधिक जटिल, उच्च-स्तरीय अवस्थाओं की ओर एक रैखिक और क्रमिक मार्ग पर अग्रसर होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत अक्सर जैविक विकास की अवधारणा से प्रभावित था।
  • गलत विकल्प: (a) क्रांतिकारी परिवर्तन चक्रीय या अन्य सिद्धांतों से जुड़ा हो सकता है। (c) और (d) विकासवादी सिद्धांत की रैखिक और निर्देशित प्रकृति से भिन्न हैं।

प्रश्न 24: ‘वर्ग’ (Class) और ‘शक्ति’ (Power) के बीच संबंध को समझाने में ‘मैक्स वेबर’ का दृष्टिकोण ‘कार्ल मार्क्स’ से कैसे भिन्न है?

  1. वेबर ने शक्ति को केवल आर्थिक आधार पर परिभाषित किया, जबकि मार्क्स ने इसे बहुआयामी माना।
  2. मार्क्स ने शक्ति को केवल वर्ग के आधार पर देखा, जबकि वेबर ने इसे स्थिति (Status) और पार्टी (Party) जैसे अन्य आधारों पर भी देखा।
  3. वेबर ने शक्ति को पूरी तरह से समाजशास्त्रीय अवधारणा माना, जबकि मार्क्स ने इसे राजनीतिक माना।
  4. वेबर ने शक्ति को उत्पादन के साधनों से जोड़ा, जबकि मार्क्स ने इसे सामाजिक अंतःक्रियाओं से।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: कार्ल मार्क्स ने मुख्य रूप से वर्ग और आर्थिक संबंधों के आधार पर शक्ति को समझाया, जहाँ उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व शक्ति का निर्धारण करता है। मैक्स वेबर ने शक्ति को एक व्यापक अवधारणा माना, जिसे उन्होंने तीन आयामों में बांटा: वर्ग (आर्थिक स्थिति), स्थिति (सामाजिक प्रतिष्ठा और सम्मान) और पार्टी (राजनीतिक शक्ति और प्रभाव)।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि ये तीनों आयाम व्यक्ति की सामाजिक स्थिति और शक्ति को निर्धारित करने में स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकते हैं।
  • गलत विकल्प: (a) गलत है क्योंकि वेबर ने शक्ति को बहुआयामी माना। (c) गलत है क्योंकि दोनों ने इसे समाजशास्त्रीय और राजनीतिक दोनों रूप से देखा। (d) गलत है क्योंकि मार्क्स ने इसे उत्पादन के साधनों से जोड़ा, जबकि वेबर ने इसे बहुआयामी आधारों पर देखा।

प्रश्न 25: ‘उत्तर-आधुनिकता’ (Postmodernity) के संदर्भ में, ‘महान आख्यानों’ (Grand Narratives) का खंडन किस विचार पर जोर देता है?

  1. सार्वभौमिक सत्य और प्रगति में विश्वास
  2. स्थानीय और छोटे आख्यानों (Local and Micro-narratives) का महत्व
  3. वैज्ञानिक तर्क की सर्वोच्चता
  4. राज्य की सर्वोपरिता

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: उत्तर-आधुनिकतावादी विचारक, जैसे ज्यां-फ्रांस्वा ल्योटार्ड, ‘महान आख्यानों’ (जैसे कि प्रगति, मुक्ति, तर्कसंगतता के सार्वभौमिक आख्यान) के खंडन पर जोर देते हैं। वे इन बड़े, समावेशी और सार्वभौमिक दावों के बजाय स्थानीय, प्रासंगिक और विविध ‘छोटे आख्यानों’ (micro-narratives) के महत्व को रेखांकित करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: उनका मानना है कि कोई एक सार्वभौमिक सत्य या सर्वव्यापी व्याख्या नहीं है, बल्कि केवल विभिन्न दृष्टिकोण और संदर्भ हैं।
  • गलत विकल्प: (a), (c), और (d) सभी उन ‘महान आख्यानों’ या विचारों से संबंधित हैं जिन्हें उत्तर-आधुनिकतावाद चुनौती देता है।

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