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कच्चा खेल: ट्रम्प के पाक तेल सौदे के पीछे भू-राजनीतिक दाँवपेच

कच्चा खेल: ट्रम्प के पाक तेल सौदे के पीछे भू-राजनीतिक दाँवपेच

चर्चा में क्यों? (Why in News?):

हाल के दिनों में, अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और ऊर्जा बाजारों में एक नई चर्चा का विषय उभरा है: अमेरिका और पाकिस्तान के बीच एक संभावित तेल सौदा। यह सौदा, विशेष रूप से पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल के दौरान प्रस्तावित या विचाराधीन रहा, जिसने विश्लेषकों और भू-राजनीतिक पर्यवेक्षकों का ध्यान खींचा है। इस सौदे की व्यावहारिकता, उद्देश्य और इसके संभावित क्षेत्रीय प्रभाव, विशेष रूप से भारत और चीन के संबंध में, गहन विश्लेषण की मांग करते हैं। क्या यह वास्तव में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने और भारत पर दबाव बनाने की एक सोची-समझी रणनीति है, या यह केवल एक अल्पकालिक भू-राजनीतिक पैंतरा है? आइए, इस जटिल तस्वीर को UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से विस्तार से समझें।

पृष्ठभूमि: अमेरिका-पाकिस्तान संबंध और ऊर्जा कूटनीति

अमेरिका और पाकिस्तान के बीच संबंध दशकों से उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान की भूमिका, अफगानिस्तान में अमेरिका की रणनीतिक हित, और परमाणु अप्रसार जैसे मुद्दे इन रिश्तों के केंद्र में रहे हैं। ऊर्जा के क्षेत्र में, अमेरिका ने हमेशा पाकिस्तान को एक संभावित बाजार और अपने तेल और गैस के निर्यात के लिए एक अवसर के रूप में देखा है। वहीं, पाकिस्तान अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विविध स्रोतों पर निर्भर रहा है, जिसमें मध्य पूर्व और मध्य एशिया के देश प्रमुख हैं।

ऐतिहासिक संदर्भ:

  • शीत युद्ध काल: पाकिस्तान, अमेरिका का एक प्रमुख सहयोगी था, लेकिन चीन के साथ उसके संबंध भी मजबूत रहे।
  • 9/11 के बाद: आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान की भागीदारी ने ऊर्जा कूटनीति को भी प्रभावित किया, हालांकि संबंधों में तनाव बना रहा।
  • ऊर्जा आयात पर निर्भरता: पाकिस्तान अपनी ऊर्जा जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा आयात पर निर्भर करता है, जिससे वह बाहरी आपूर्ति और कीमतों के प्रति संवेदनशील हो जाता है।

ट्रम्प का “डील” दृष्टिकोण और पाकिस्तान के प्रति नीति

डोनाल्ड ट्रम्प की विदेश नीति को अक्सर “डील-मेकिंग” के लेंस से देखा जाता था। उनका मानना था कि सौदों से अमेरिकी हितों को अधिकतम किया जा सकता है। पाकिस्तान के प्रति उनकी नीति मिश्रित रही, जिसमें एक ओर जहाँ अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के लिए पाकिस्तान की मदद की आवश्यकता थी, वहीं दूसरी ओर उन पर आतंकवादियों को पनाह देने का आरोप भी लगाया गया।

मुख्य बिंदु:

  • ‘अमेरिका फर्स्ट’ की भावना: ट्रम्प की नीतियों का मुख्य उद्देश्य अमेरिका के आर्थिक और रणनीतिक हितों को सर्वोपरि रखना था।
  • सौदेबाजी की रणनीति: वे अक्सर द्विपक्षीय संबंधों को सौदेबाजी के मंच के रूप में देखते थे, जहाँ लाभ को स्पष्ट रूप से मापा जा सके।
  • क्षेत्रीय शक्ति संतुलन: चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करना भी उनकी विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण पहलू था।

प्रस्तावित तेल सौदा: संभावित संरचना और उद्देश्य

जब हम “ट्रम्प के पाक तेल सौदे” की बात करते हैं, तो यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह किस प्रकार का सौदा हो सकता था। यह सीधे तौर पर कच्चे तेल की बिक्री, तेल रिफाइनरी में निवेश, या ऊर्जा अवसंरचना के विकास से संबंधित हो सकता था। इसके पीछे के उद्देश्य बहुआयामी हो सकते थे:

संभावित उद्देश्य:

  • अमेरिकी ऊर्जा निर्यात को बढ़ावा: अमेरिकी तेल उत्पादकों के लिए एक नया बाजार खोलना।
  • पाकिस्तान को आर्थिक सहायता: पाकिस्तान की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को सहारा देना, जिससे वह अमेरिकी प्रभाव क्षेत्र में बना रहे।
  • चीन के प्रभाव को सीमित करना: पाकिस्तान, चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (BRI) का एक प्रमुख हिस्सा है। तेल सौदे के माध्यम से पाकिस्तान पर अमेरिकी प्रभाव बढ़ाकर, चीन की पकड़ को कमजोर किया जा सकता था।
  • भारत पर दबाव: भारत, अमेरिका का एक प्रमुख रणनीतिक साझेदार है, लेकिन पाकिस्तान के साथ उसके संबंध तनावपूर्ण हैं। पाकिस्तान को सीधे तौर पर लाभ पहुँचाने वाला कोई भी अमेरिकी कदम, भारत को अप्रत्यक्ष रूप से असहज कर सकता है, खासकर अगर यह क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को प्रभावित करता है।

भू-राजनीतिक निहितार्थ: क्या यह भारत-चीन को साधने की चाल है?

यह प्रश्न सबसे पेचीदा है। अगर ऐसा सौदा होता, तो इसके भू-राजनीतिक निहितार्थ गंभीर हो सकते थे:

चीन के संदर्भ में:

  • BRI को चुनौती: पाकिस्तान, चीन के लिए CPEC (China-Pakistan Economic Corridor) के कारण रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। यदि पाकिस्तान अमेरिका के करीब आता है, तो यह CPEC की गति और दिशा को प्रभावित कर सकता है।
  • मध्य एशिया में प्रतिस्पर्धा: अमेरिका, पाकिस्तान के माध्यम से मध्य एशिया में अपनी उपस्थिति बढ़ा सकता है, जो पारंपरिक रूप से चीन और रूस का प्रभाव क्षेत्र रहा है।
  • ऊर्जा सुरक्षा और मार्ग: यदि अमेरिका पाकिस्तान के माध्यम से ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करता है, तो यह चीन की मध्य एशिया और फारस की खाड़ी से ऊर्जा आयात के पारंपरिक मार्गों पर निर्भरता को कम कर सकता है।

भारत के संदर्भ में:

  • रणनीतिक गठबंधन को झटका: भारत, अमेरिका का एक मजबूत रणनीतिक साझेदार है। अगर अमेरिका पाकिस्तान के साथ ऐसा कोई बड़ा सौदा करता है, जो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था या सैन्य क्षमता को सीधे प्रभावित करता है, तो यह भारत के लिए कूटनीतिक रूप से असहज स्थिति पैदा कर सकता है।
  • क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में बदलाव: भारत, पाकिस्तान को एक ऐसे राष्ट्र के रूप में देखता है जो सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देता है। यदि अमेरिका पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को मजबूत करता है, तो यह भारत के सुरक्षा हितों के लिए चिंता का विषय बन सकता है।
  • ऊर्जा कूटनीति पर प्रभाव: भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए ईरान, मध्य पूर्व और अन्य स्रोतों पर निर्भर करता है। यदि अमेरिकी ऊर्जा कूटनीति पाकिस्तान को एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करती है, तो यह भारत की अपनी ऊर्जा कूटनीति को भी अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर सकता है।

“भू-राजनीति में, कोई भी कदम शून्य में नहीं उठाया जाता। हर सौदे, हर गठबंधन के पीछे एक जटिल समीकरण होता है, जो क्षेत्रीय और वैश्विक शक्ति संतुलन को प्रभावित करता है।”

सौदा क्यों सफल नहीं हुआ? (या यदि यह केवल चर्चा का विषय था)

यदि यह सौदा वास्तव में एक ठोस प्रस्ताव था, तो इसके सफल न होने के कई कारण हो सकते हैं:

संभावित बाधाएँ:

  • पाकिस्तान की आर्थिक अस्थिरता: पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की अपनी अंतर्निहित समस्याएं हैं, जो इसे एक विश्वसनीय दीर्घकालिक भागीदार बनने से रोकती हैं।
  • घरेलू अमेरिकी दबाव: अमेरिकी राजनीति में पाकिस्तान को लेकर एक वर्ग हमेशा से संशय में रहा है, जो ऐसे किसी भी बड़े सौदे का विरोध कर सकता था।
  • ऊर्जा बाजार की अस्थिरता: वैश्विक तेल की कीमतें और आपूर्ति की गतिशीलता किसी भी द्विपक्षीय सौदे को जटिल बना सकती है।
  • भारत का भू-राजनीतिक महत्व: भारत, एक बड़ी अर्थव्यवस्था और एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार के रूप में, अमेरिका के लिए चीन का मुकाबला करने में अधिक महत्वपूर्ण है। इसलिए, पाकिस्तान के साथ किसी ऐसे सौदे से बचना जो भारत को गंभीर रूप से नाराज करे, अमेरिकी हित में हो सकता है।
  • “डील” के बजाय “रणनीति”: ट्रम्प की “डील” की सोच शायद स्थायी रणनीतिक गठबंधनों के निर्माण में उतनी प्रभावी नहीं थी।

UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से विश्लेषण

UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवार के रूप में, आपको इस मुद्दे को कई स्तरों पर विश्लेषित करने की आवश्यकता है:

1. अंतर्राष्ट्रीय संबंध (GS Paper II):

  • भारत-अमेरिका संबंध: इस सौदे का भारत-अमेरिका संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
  • भारत-पाकिस्तान संबंध: यह सौदा दोनों देशों के बीच मौजूदा तनाव को कैसे बढ़ा या बदल सकता है?
  • चीन का क्षेत्रीय प्रभाव: पाकिस्तान में चीन के बढ़ते प्रभाव और अमेरिका की प्रतिक्रिया का विश्लेषण।
  • ऊर्जा कूटनीति: वैश्विक ऊर्जा बाजारों और भू-राजनीतिक शक्ति में ऊर्जा का क्या स्थान है?

2. अर्थव्यवस्था (GS Paper III):

  • वैश्विक ऊर्जा बाजार: तेल की कीमतों, आपूर्ति और मांग के कारक।
  • पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था: उसकी प्रमुख आर्थिक चुनौतियाँ और बाहरी सहायता पर निर्भरता।
  • रणनीतिक निवेश: ऊर्जा अवसंरचना में निवेश के आर्थिक लाभ और जोखिम।

3. भू-राजनीति (GS Paper I/II):

  • दक्षिण एशिया का शक्ति संतुलन: अमेरिका, चीन, भारत और पाकिस्तान के बीच जटिल समीकरण।
  • रणनीतिक गलियारे: CPEC और अन्य भू-राजनीतिक गलियारों का महत्व।
  • ऊर्जा सुरक्षा: विभिन्न देशों के लिए ऊर्जा सुरक्षा का महत्व और चुनौतियाँ।

संभावित प्रश्नोत्तर (UPSC Perspective):

क्या यह अमेरिका की एक सोची-समझी रणनीति है?

यह कहना मुश्किल है कि यह पूरी तरह से सोची-समझी रणनीति थी या नहीं। ट्रम्प की नीति अक्सर क्षणिक और व्यक्तिगत संबंधों पर आधारित होती थी। हालांकि, चीन के बढ़ते प्रभाव और भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के व्यापक अमेरिकी लक्ष्य निश्चित रूप से एक कारक रहे होंगे। पाकिस्तान को ऊर्जा के क्षेत्र में शामिल करके, अमेरिका पाकिस्तान को चीन के प्रभाव से दूर खींचने और साथ ही भारत पर कुछ दबाव बनाने की कोशिश कर सकता था।

इस सौदे का भारत पर प्रत्यक्ष प्रभाव क्या हो सकता था?

प्रत्यक्ष प्रभाव कम होता, लेकिन अप्रत्यक्ष प्रभाव महत्वपूर्ण हो सकते थे। यदि पाकिस्तान को अमेरिकी तेल की आपूर्ति से आर्थिक या रणनीतिक लाभ होता, तो यह भारत के सुरक्षा हितों के लिए चिंता का कारण बन सकता था। यह अमेरिका को भारत की चिंताओं के प्रति कम संवेदनशील भी बना सकता था, यदि वह पाकिस्तान के साथ अपने सौदे को प्राथमिकता देता।

यह चीन के लिए क्या मायने रखता?

चीन के लिए, यह एक चेतावनी संकेत हो सकता था कि अमेरिका दक्षिण एशिया में अपनी कूटनीति को फिर से सक्रिय कर रहा है, खासकर BRI जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में शामिल देशों के साथ। यह चीन को पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करने के लिए प्रेरित कर सकता था, जिससे क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती थी।

निष्कर्ष: एक जटिल भू-राजनीतिक जाल

ट्रम्प का पाकिस्तान के साथ कथित तेल सौदा, भले ही यह कभी पूरी तरह से क्रियान्वित न हुआ हो, वैश्विक भू-राजनीति की जटिलताओं को उजागर करता है। यह दिखाता है कि कैसे ऊर्जा, अर्थव्यवस्था और कूटनीति एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। इस सौदे के पीछे के संभावित उद्देश्य, चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करना और भारत पर अप्रत्यक्ष दबाव बनाना, उस व्यापक रणनीतिक परिदृश्य का हिस्सा हैं जहाँ अमेरिका अपनी वैश्विक स्थिति को बनाए रखने का प्रयास कर रहा है। UPSC के उम्मीदवारों के लिए, इस तरह के मुद्दों का विश्लेषण करते समय, विभिन्न देशों के राष्ट्रीय हितों, क्षेत्रीय गतिशीलता और वैश्विक शक्ति संरचना को समझना महत्वपूर्ण है। यह “कच्चा खेल” हमें याद दिलाता है कि अंतरराष्ट्रीय संबंध कभी भी सरल नहीं होते, बल्कि दाँव-पेंचों और रणनीतियों का एक निरंतर जाल होते हैं।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा देश चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (BRI) के तहत ‘चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे’ (CPEC) का प्रमुख हिस्सा है?

    (a) भारत

    (b) अफगानिस्तान

    (c) पाकिस्तान

    (d) ईरान

    उत्तर: (c) पाकिस्तान

    व्याख्या: CPEC, चीन और पाकिस्तान के बीच एक रणनीतिक आर्थिक गलियारा है, जो पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ता है, और BRI का एक प्रमुख घटक है।
  2. प्रश्न 2: हाल के वर्षों में, अमेरिकी विदेश नीति में किस प्रमुख सिद्धांत का प्रभाव रहा है, जो डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल में विशेष रूप से प्रमुख था?

    (a) बहुपक्षवाद

    (b) ‘अमेरिका फर्स्ट’ (America First)

    (c) सॉफ्ट पावर पर जोर

    (d) वैश्विक सहयोग

    उत्तर: (b) ‘अमेरिका फर्स्ट’ (America First)

    व्याख्या: ‘अमेरिका फर्स्ट’ सिद्धांत के तहत, ट्रम्प प्रशासन ने अमेरिकी आर्थिक और रणनीतिक हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी।
  3. प्रश्न 3: पाकिस्तान अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए किन क्षेत्रों पर मुख्य रूप से निर्भर रहा है?

    (a) केवल उत्तरी अमेरिका

    (b) केवल यूरोप

    (c) मध्य पूर्व और मध्य एशिया

    (d) पूर्वी एशिया

    उत्तर: (c) मध्य पूर्व और मध्य एशिया

    व्याख्या: पाकिस्तान कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के लिए मध्य पूर्व के देशों पर बहुत अधिक निर्भर करता है, साथ ही मध्य एशिया से भी आपूर्ति प्राप्त करता है।
  4. प्रश्न 4: दक्षिण एशिया में अमेरिका की रणनीतिक दिलचस्पी का एक महत्वपूर्ण कारण क्या रहा है?

    (a) रूस के साथ सैन्य गठबंधन

    (b) चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करना

    (c) यूरोप के साथ व्यापार बढ़ाना

    (d) उत्तरी कोरिया को नियंत्रित करना

    उत्तर: (b) चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करना

    व्याख्या: चीन के बढ़ते आर्थिक और भू-राजनीतिक प्रभाव के जवाब में, अमेरिका ने दक्षिण एशिया में अपनी कूटनीति और रणनीतिक उपस्थिति को बढ़ाने का प्रयास किया है।
  5. प्रश्न 5: ‘कूटनीति’ (Diplomacy) के संदर्भ में, “सॉफ्ट पावर” का अर्थ क्या है?

    (a) सैन्य बल का प्रयोग

    (b) आर्थिक प्रतिबंध लगाना

    (c) सांस्कृतिक आकर्षण और मूल्यों के माध्यम से प्रभाव डालना

    (d) जासूसी का उपयोग करना

    उत्तर: (c) सांस्कृतिक आकर्षण और मूल्यों के माध्यम से प्रभाव डालना

    व्याख्या: सॉफ्ट पावर किसी देश की संस्कृति, राजनीतिक मूल्यों और विदेश नीतियों के आकर्षण से प्राप्त होने वाली शक्ति है, न कि जबरदस्ती या भुगतान के माध्यम से।
  6. प्रश्न 6: भारत, अमेरिका का एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है। निम्नलिखित में से कौन सा एक ऐसा मुद्दा है जो इन संबंधों को जटिल बना सकता है?

    (a) भारत का परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम

    (b) अमेरिका का पाकिस्तान के साथ बड़ा आर्थिक या रणनीतिक सौदा

    (c) भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण महत्वाकांक्षाएं

    (d) दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान

    उत्तर: (b) अमेरिका का पाकिस्तान के साथ बड़ा आर्थिक या रणनीतिक सौदा

    व्याख्या: यदि अमेरिका पाकिस्तान के साथ ऐसा कोई सौदा करता है जो भारत के सुरक्षा हितों या क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को प्रभावित करता है, तो यह भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव पैदा कर सकता है।
  7. प्रश्न 7: भू-राजनीति में, “पावर बैलेंस” (Power Balance) का क्या महत्व है?

    (a) यह हमेशा स्थिर रहता है

    (b) यह केवल आर्थिक शक्ति से निर्धारित होता है

    (c) यह क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता को प्रभावित करता है

    (d) इसका अंतरराष्ट्रीय व्यापार से कोई संबंध नहीं है

    उत्तर: (c) यह क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता को प्रभावित करता है

    व्याख्या: पावर बैलेंस का अर्थ है विभिन्न देशों या शक्तियों के बीच शक्ति का वितरण। एक अस्थिर पावर बैलेंस संघर्षों को जन्म दे सकता है, जबकि एक अपेक्षाकृत संतुलित पावर बैलेंस स्थिरता को बढ़ावा दे सकता है।
  8. प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा देश अफगानिस्तान में अमेरिका की रणनीतिक स्थिति के लिए महत्वपूर्ण रहा है?

    (a) ईरान

    (b) पाकिस्तान

    (c) भारत

    (d) चीन

    उत्तर: (b) पाकिस्तान

    व्याख्या: अफगानिस्तान की सीमा से लगने वाले देशों में, पाकिस्तान ने ऐतिहासिक रूप से अफगानिस्तान में अमेरिकी रणनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, चाहे वह रसद समर्थन हो या कूटनीतिक प्रभाव।
  9. प्रश्न 9: वैश्विक तेल बाजार की अस्थिरता पर निम्नलिखित में से कौन सा कारक सीधे प्रभाव डाल सकता है?

    (a) देशों के बीच खेल प्रतियोगिताएं

    (b) भू-राजनीतिक तनाव और युद्ध

    (c) देशों की आंतरिक पंचवर्षीय योजनाएं

    (d) सांस्कृतिक महोत्सव

    उत्तर: (b) भू-राजनीतिक तनाव और युद्ध

    व्याख्या: भू-राजनीतिक अस्थिरता, जैसे संघर्ष या प्रमुख तेल उत्पादक देशों में राजनीतिक उथल-पुथल, सीधे तौर पर तेल की आपूर्ति को प्रभावित कर सकती है और कीमतों में उतार-चढ़ाव ला सकती है।
  10. प्रश्न 10: “स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप” (Strategic Partnership) शब्द का प्रयोग अक्सर अंतरराष्ट्रीय संबंधों में तब किया जाता है जब:

    (a) केवल आर्थिक हित हों

    (b) केवल सांस्कृतिक आदान-प्रदान हो

    (c) दो या दो से अधिक देशों के बीच साझा रणनीतिक हितों के आधार पर सहयोग हो

    (d) केवल सैन्य सहायता हो

    उत्तर: (c) दो या दो से अधिक देशों के बीच साझा रणनीतिक हितों के आधार पर सहयोग हो

    व्याख्या: स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप में आमतौर पर सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी और कूटनीति जैसे क्षेत्रों में साझा हितों के आधार पर सहयोग शामिल होता है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न 1: अमेरिका-पाकिस्तान के बीच प्रस्तावित तेल सौदे के संभावित भू-राजनीतिक निहितार्थों का विश्लेषण करें, विशेष रूप से दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन और चीन के बढ़ते प्रभाव के संदर्भ में। (250 शब्द, 15 अंक)
  2. प्रश्न 2: “डील-मेकिंग” (Deal-Making) के दृष्टिकोण से डोनाल्ड ट्रम्प की विदेश नीति का मूल्यांकन करें। पाकिस्तान के साथ संभावित तेल सौदे को इस संदर्भ में कैसे देखा जा सकता है, और इसके क्या संभावित परिणाम हो सकते थे? (250 शब्द, 15 अंक)
  3. प्रश्न 3: भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा को कैसे सुनिश्चित करता है, और पाकिस्तान के साथ किसी भी बड़े अमेरिकी ऊर्जा सौदे का भारत के ऊर्जा कूटनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा पर क्या प्रभाव पड़ सकता है? (250 शब्द, 15 अंक)
  4. प्रश्न 4: वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा के संदर्भ में, पाकिस्तान जैसे देशों के लिए ऊर्जा आपूर्ति की विश्वसनीयता और भू-राजनीतिक दाँव-पेंचों के महत्व पर एक विस्तृत चर्चा प्रस्तुत करें। (150 शब्द, 10 अंक)

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