1 अगस्त से भारत में क्या-क्या बदला? UPI, LPG और महत्वपूर्ण सरकारी नियम – पूरी जानकारी
चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
हर महीने की पहली तारीख आम भारतीय के जीवन में कुछ न कुछ बदलाव लेकर आती है। ये बदलाव छोटे भी हो सकते हैं और बड़े भी, लेकिन इनका सीधा असर आपकी जेब पर, आपके दैनिक जीवन पर और आपकी वित्तीय आदतों पर पड़ता है। 1 अगस्त, 2024 भी कोई अपवाद नहीं है। इस बार, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) के UPI नियमों में संभावित बदलाव, LPG गैस की कीमतों में उतार-चढ़ाव, और अन्य सरकारी निर्णयों के कारण कई महत्वपूर्ण परिवर्तन होने की संभावना है। यह लेख UPSC उम्मीदवारों के लिए एक व्यापक मार्गदर्शिका के रूप में कार्य करेगा, जो इन बदलावों को गहराई से समझाएगा, इनके पीछे के कारणों का विश्लेषण करेगा, और भारतीय अर्थव्यवस्था व समाज पर इनके संभावित प्रभावों पर प्रकाश डालेगा। हम यह भी देखेंगे कि ये परिवर्तन परीक्षा के दृष्टिकोण से कैसे महत्वपूर्ण हो सकते हैं, खासकर समसामयिक मामले, अर्थव्यवस्था और शासन के विषयों में।
1. UPI में संभावित बदलाव: डिजिटल भुगतान का भविष्य
क्या है मामला?
डिजिटल इंडिया के दौर में, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) भुगतान का एक अभिन्न अंग बन गया है। NPCI, जो UPI का संचालन करता है, समय-समय पर अपनी सेवाओं को बेहतर बनाने और सुरक्षित करने के लिए नियमों में बदलाव करता रहता है। 1 अगस्त से UPI से जुड़े कुछ नए नियम लागू होने की चर्चा है, जो UPI की कार्यप्रणाली और उपयोगकर्ताओं के अनुभव को प्रभावित कर सकते हैं।
संभावित बदलाव और उनका विश्लेषण:
- UPI लाइट (UPI Lite) का विस्तार: NPCI UPI लाइट को और अधिक सक्षम बनाने पर विचार कर रहा है। UPI लाइट, जो कम मूल्य के लेनदेन के लिए एक ऑन-डिवाइस वॉलेट की तरह काम करता है, अब ₹500 के बजाय ₹1000 तक के लेनदेन की अनुमति दे सकता है।
- UPI की सीमाएं: कुछ खास तरह के UPI लेनदेन के लिए दैनिक या मासिक सीमाएं तय की जा सकती हैं, खासकर उन फिनटेक कंपनियों के लिए जो UPI का उपयोग करके नए उत्पाद लॉन्च कर रही हैं।
- UPI ऑटो-पे (UPI Auto-pay) नियम: पिछले कुछ समय से UPI ऑटो-पे के नियमों में भी बदलाव देखे गए हैं, जैसे कि ₹15,000 से ऊपर के ऑटो-डेबिट लेनदेन के लिए अतिरिक्त प्रमाणीकरण (multi-factor authentication) की आवश्यकता। 1 अगस्त से इसमें और स्पष्टता या विस्तार हो सकता है।
UPSC के लिए प्रासंगिकता:
- अर्थव्यवस्था: ये बदलाव डिजिटल अर्थव्यवस्था के विकास, वित्तीय समावेशन (financial inclusion) और नकदी रहित समाज (cashless society) की ओर देश के कदम को प्रभावित करते हैं। UPI की वृद्धि भारत की डिजिटल भुगतान क्षमता को दर्शाती है।
- शासन: NPCI जैसे नियामक निकायों की भूमिका, नवाचार (innovation) और सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने की उनकी क्षमता, और सरकारी नीतियों का डिजिटल भुगतान पर प्रभाव महत्वपूर्ण शासन (governance) संबंधी मुद्दे हैं।
- प्रौद्योगिकी: फिनटेक (FinTech) क्षेत्र में हो रहे नवाचार और ब्लॉकचेन जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ UPI का एकीकरण परीक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
उपमा:
सोचिए UPI एक सुपरहीरो है जो हर भारतीय के फोन में रहता है। UPI लाइट को उस सुपरहीरो का एक छोटा, तेज उड़ने वाला सहायक समझिए, जो छोटी-मोटी चोरियों (कम मूल्य के लेनदेन) से जल्दी निपट लेता है। ₹1000 तक की सीमा बढ़ाने का मतलब है कि इस सहायक को अब थोड़े बड़े काम भी सौंपे जा सकेंगे, जिससे मुख्य सुपरहीरो (UPI) अधिक जटिल मामलों पर ध्यान केंद्रित कर सकेगा।
2. LPG गैस की कीमतों में उतार-चढ़ाव: आम आदमी पर सीधा असर
क्या है मामला?
हर महीने की पहली तारीख को या उसके आसपास, सरकारी तेल विपणन कंपनियां (OMCs) एलपीजी (लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस) की कीमतों की समीक्षा करती हैं। यह समीक्षा अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों, डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर (exchange rate) और देश में एलपीजी की मांग-आपूर्ति जैसे कारकों पर आधारित होती है। 1 अगस्त से एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में वृद्धि या कमी की संभावना बनी रहती है।
संभावित बदलाव और उनका विश्लेषण:
- कीमतों में वृद्धि: यदि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं, या रुपया कमजोर होता है, तो घरेलू एलपीजी की कीमतें बढ़ सकती हैं। इसका सीधा असर रसोई गैस पर पड़ेगा, जिससे परिवारों का बजट प्रभावित होगा।
- कीमतों में कमी: इसके विपरीत, यदि कच्चे तेल की कीमतें गिरती हैं और रुपया मजबूत होता है, तो एलपीजी की कीमतों में कमी आ सकती है, जो उपभोक्ताओं के लिए राहत की बात होगी।
- सब्सिडी का प्रभाव: सरकार उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए एलपीजी पर सब्सिडी भी देती है। सब्सिडी की राशि एलपीजी की बाजार मूल्य और सरकार द्वारा तय की गई दर के बीच के अंतर पर निर्भर करती है। कीमतों में बदलाव सब्सिडी की राशि को भी प्रभावित करता है।
UPSC के लिए प्रासंगिकता:
- अर्थव्यवस्था: ऊर्जा सुरक्षा (energy security), मुद्रास्फीति (inflation), राजकोषीय घाटा (fiscal deficit – सब्सिडी के कारण) और उपभोक्ता व्यय (consumer spending) पर एलपीजी कीमतों का सीधा प्रभाव पड़ता है। यह मौद्रिक नीति (monetary policy) और राजकोषीय नीति (fiscal policy) दोनों को प्रभावित करता है।
- शासन: उज्ज्वला योजना (Ujjwala Yojana) जैसी सरकारी योजनाओं का सफल कार्यान्वयन, जो घरों में एलपीजी की पहुंच सुनिश्चित करती है, शासन का एक महत्वपूर्ण पहलू है। सब्सिडी प्रबंधन और ऊर्जा नीति भी महत्वपूर्ण हैं।
- पर्यावरण: एलपीजी जैसे स्वच्छ ईंधन (cleaner fuel) पर स्विच करने से प्रदूषण कम होता है और ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह पर्यावरण और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी प्रासंगिक है।
उदाहरण:
कल्पना कीजिए कि भारत एक बड़ा परिवार है और एलपीजी एक आवश्यक वस्तु है, जैसे रोटी। अंतरराष्ट्रीय बाजार कच्चे तेल को खरीदने के लिए विदेशी मुद्रा (डॉलर) है। अगर डॉलर महंगा हो जाता है (रुपया कमजोर), तो रोटी खरीदने के लिए हमें ज्यादा रुपये चुकाने होंगे। वहीं, अगर कच्चे तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में ही गिर जाती है, तो हमें रोटी सस्ती मिलेगी, भले ही डॉलर की कीमत वही रहे। सरकार की सब्सिडी एक तरह से परिवार के सदस्यों को छूट देने जैसा है, ताकि हर कोई रोटी खरीद सके।
3. अन्य महत्वपूर्ण बदलाव जो 1 अगस्त से प्रभावी हो सकते हैं
क्या है मामला?
UPI और LPG के अलावा, कई अन्य नियम और कानून भी महीने की शुरुआत से लागू हो सकते हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं। इनमें बैंकिंग, बीमा, दूरसंचार, और सरकारी योजनाएं शामिल हो सकती हैं।
3.1. बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र:
- ब्याज दरें: कुछ बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) या बचत खातों पर ब्याज दरों में बदलाव कर सकते हैं। यह परिवर्तन RBI की मौद्रिक नीति के अनुरूप हो सकता है।
- ऋण (Loan) से संबंधित नियम: होम लोन या पर्सनल लोन की ईएमआई (EMI) में बदलाव भी संभव है, यदि ब्याज दरें प्रभावित होती हैं।
- क्रेडिट/डेबिट कार्ड नियम: बैंकों द्वारा क्रेडिट या डेबिट कार्ड पर लगने वाले शुल्क, रिवॉर्ड पॉइंट या अन्य लाभों में भी बदलाव किए जा सकते हैं।
3.2. बीमा क्षेत्र:
- प्रीमियम दरें: कुछ प्रकार के बीमा (जैसे मोटर बीमा) की प्रीमियम दरों में वृद्धि या कमी देखी जा सकती है, जो नए नियमों या नियामक निर्णयों पर आधारित हो सकती है।
- पॉलिसी के नियम: नई बीमा पॉलिसियों में कुछ नए फीचर्स या शर्तें जोड़ी जा सकती हैं, या मौजूदा पॉलिसियों के नियमों में बदलाव हो सकता है।
3.3. दूरसंचार क्षेत्र:
- मोबाइल प्लान: टेलीकॉम कंपनियाँ नए या संशोधित मोबाइल प्लान पेश कर सकती हैं, जिनमें डेटा, कॉलिंग और SMS की कीमतों या वैधता में बदलाव शामिल हो सकता है।
- कनेक्टिविटी मानक: 5G जैसी नई तकनीकों के विस्तार के साथ, कनेक्टिविटी मानकों या सेवा की गुणवत्ता से संबंधित नए नियम लागू हो सकते हैं।
3.4. सरकारी योजनाएं और सेवाएं:
- पेंशन योजनाएं: पेंशनभोगियों के लिए जीवन प्रमाण पत्र (Life Certificate) जमा करने की अंतिम तिथियां या पेंशन गणना के तरीकों में बदलाव हो सकता है।
- पंजीकरण और लाइसेंस: वाहन पंजीकरण, ड्राइविंग लाइसेंस या विभिन्न सरकारी सेवाओं के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन प्रक्रियाओं में बदलाव संभव है।
- सब्सिडी और लाभ: विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाली सब्सिडी या लाभों की पात्रता या राशि में भी बदलाव की गुंजाइश रहती है।
UPSC के लिए प्रासंगिकता:
- भारतीय अर्थव्यवस्था: बैंकिंग, बीमा और दूरसंचार जैसे क्षेत्र किसी भी अर्थव्यवस्था के रीढ़ होते हैं। इनमें होने वाले बदलाव सीधे तौर पर जीडीपी वृद्धि, रोजगार और उपभोक्ता व्यवहार को प्रभावित करते हैं।
- शासन और लोक प्रशासन: सरकारी योजनाओं का कार्यान्वयन, नियामक निकायों (जैसे IRDAI, TRAI) की भूमिका, और सार्वजनिक सेवाओं का डिजिटलीकरण शासन के महत्वपूर्ण पहलू हैं।
- सामाजिक न्याय: सब्सिडी और लाभों में बदलाव समाज के कमजोर वर्गों को सीधे प्रभावित करते हैं, जिससे सामाजिक न्याय का प्रश्न उठता है।
केस स्टडी:
“डिजिटल इंडिया” पहल के तहत, सरकार ने ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन पंजीकरण जैसी सेवाओं को ऑनलाइन करने पर जोर दिया है। 1 अगस्त से, यदि परिवहन मंत्रालय इन सेवाओं के लिए नए ऑनलाइन पोर्टल या प्रक्रियाएं लागू करता है, तो यह सीधे तौर पर नागरिकों के जीवन को प्रभावित करेगा। सफल कार्यान्वयन से भ्रष्टाचार कम होगा और प्रक्रिया तेज होगी, जबकि विफलता से असुविधा और देरी हो सकती है। यह परीक्षा के लिए शासन के प्रभावी कार्यान्वयन का एक उदाहरण है।
4. इन बदलावों का समग्र प्रभाव और चुनौतियाँ
क्या हैं प्रभाव?
1 अगस्त से होने वाले ये बदलाव, चाहे वे छोटे लगें, भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज पर कई तरह से प्रभाव डालते हैं:
- उपभोक्ता व्यय: एलपीजी और अन्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि से डिस्पोजेबल आय (disposable income) कम हो सकती है, जिससे उपभोक्ता व्यय प्रभावित हो सकता है।
- डिजिटल अपनाने की गति: UPI जैसे डिजिटल भुगतानों में नवाचार, डिजिटल इंडिया को और बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे वित्तीय समावेशन बढ़ेगा।
- मुद्रास्फीति का दबाव: ऊर्जा और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि समग्र मुद्रास्फीति को बढ़ा सकती है, जिससे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) पर ब्याज दरें बढ़ाने का दबाव आ सकता है।
- सरकारी व्यय: सब्सिडी का प्रबंधन सरकारी व्यय पर सीधा असर डालता है और राजकोषीय घाटे को प्रभावित कर सकता है।
- व्यवसाय मॉडल: वित्तीय और दूरसंचार क्षेत्रों में नियमों में बदलाव कंपनियों के व्यवसाय मॉडल और उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रभावित कर सकते हैं।
चुनौतियाँ:
- डिजिटल डिवाइड (Digital Divide): हालांकि डिजिटल भुगतान बढ़ रहे हैं, भारत अभी भी एक बड़ा डिजिटल डिवाइड का सामना कर रहा है। ग्रामीण और कम आय वाले वर्गों के लिए इन बदलावों को अपनाना या समझना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- सुरक्षा और डेटा गोपनीयता: बढ़ते डिजिटल लेनदेन के साथ, डेटा सुरक्षा, साइबर सुरक्षा और धोखाधड़ी को रोकना बड़ी चुनौतियाँ हैं।
- जन जागरूकता: उपभोक्ताओं को इन बदलावों के बारे में सूचित करना और उन्हें सही जानकारी प्रदान करना एक महत्वपूर्ण कार्य है, विशेषकर बुजुर्गों और कम शिक्षित वर्ग के लिए।
- सब्सिडी का बोझ: एलपीजी जैसी आवश्यक वस्तुओं पर सब्सिडी का बोझ सरकार के खजाने पर लगातार दबाव बनाए रखता है। इसके स्थायी समाधान खोजना एक चुनौती है।
- नियामक अनुपालन: कंपनियों के लिए नए नियमों का पालन करना और अपनी प्रणालियों को तदनुसार अपडेट करना भी एक चुनौती हो सकती है।
UPSC के लिए प्रासंगिकता:
ये प्रभाव और चुनौतियाँ “सरकारी नीतियां और उनके कार्यान्वयन” (Governance and Public Policy), “भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास और प्रबंधन” (Development and Management in Indian Economy), और “समसामयिक मुद्दे” (Current Issues) जैसे विषयों के लिए सीधे प्रासंगिक हैं।
5. भविष्य की राह: नवाचार, समावेशन और स्थिरता
क्या है आगे?
भारत सरकार विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देने, वित्तीय समावेशन को बढ़ाने और सतत विकास (sustainable development) हासिल करने की दिशा में काम कर रही है। 1 अगस्त से लागू होने वाले या अपेक्षित बदलाव इसी व्यापक रणनीति का हिस्सा हैं।
- डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन: UPI जैसे प्लेटफॉर्म को और अधिक मजबूत और सुरक्षित बनाना, साथ ही फिनटेक नवाचारों को बढ़ावा देना, भारत को डिजिटल भुगतान में अग्रणी बनाए रखेगा।
- ऊर्जा संक्रमण (Energy Transition): एलपीजी की उपलब्धता और सामर्थ्य के साथ-साथ, सरकार नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (जैसे सौर ऊर्जा) को बढ़ावा देकर ऊर्जा के क्षेत्र में एक दीर्घकालिक संक्रमण पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है।
- नियामक सुधार: बैंकिंग, बीमा और अन्य क्षेत्रों में निरंतर नियामक सुधारों का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना, उपभोक्ता हितों की रक्षा करना और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना है।
- वित्तीय समावेशन: जन धन योजना, आधार और मोबाइल (JAM) ट्रिनिटी जैसी पहलों के माध्यम से, सरकार यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि कोई भी पीछे न छूटे।
निष्कर्ष:
1 अगस्त से होने वाले बदलाव, भले ही वे महीने के अंत की एक नियमित घटना लगें, भारत के विकास पथ में महत्वपूर्ण मील के पत्थर हैं। ये परिवर्तन देश की आर्थिक प्रगति, डिजिटल क्रांति और सामाजिक कल्याण की दिशा को दर्शाते हैं। UPSC उम्मीदवारों के लिए, इन बदलावों की बारीकियों को समझना, उनके पीछे के नीतिगत निर्णयों का विश्लेषण करना और उनके व्यापक प्रभावों का आकलन करना, समसामयिक मामलों की गहरी समझ विकसित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन परिवर्तनों को केवल सूचना के रूप में नहीं, बल्कि भारत के बदलती अर्थव्यवस्था और समाज के दर्पण के रूप में देखना चाहिए।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न 1: यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. UPI का संचालन भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा किया जाता है।
2. UPI लाइट कम मूल्य के लेनदेन के लिए एक ऑन-डिवाइस वॉलेट की तरह काम करता है।
3. UPI ऑटो-पे के तहत ₹15,000 से अधिक के लेनदेन के लिए अतिरिक्त प्रमाणीकरण की आवश्यकता होती है।
उपरोक्त में से कौन से कथन सही हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
व्याख्या: तीनों कथन UPI के बारे में सही हैं। NPCI इसका संचालन करता है, UPI लाइट कम मूल्य के लेनदेन के लिए है, और ₹15,000 से ऊपर के ऑटो-डेबिट के लिए अतिरिक्त प्रमाणीकरण आवश्यक है। - प्रश्न 2: एलपीजी (LPG) की कीमतों की समीक्षा को प्रभावित करने वाले निम्नलिखित कारकों पर विचार करें:
1. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें।
2. डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर।
3. देश में एलपीजी की मांग और आपूर्ति।
4. सरकारी सब्सिडी की नीति।
उपरोक्त में से कौन से कारक एलपीजी की कीमतों की समीक्षा को प्रभावित करते हैं?
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: (d)
व्याख्या: एलपीजी की कीमतों को प्रभावित करने वाले सभी कारक प्रासंगिक हैं। अंतरराष्ट्रीय कीमतें, विनिमय दर, मांग-आपूर्ति और सरकारी सब्सिडी सभी मिलकर अंतिम मूल्य तय करते हैं। - प्रश्न 3: “उज्ज्वला योजना” का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
(a) सभी ग्रामीण परिवारों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना।
(b) ग्रामीण और निम्न-आय वर्ग की महिलाओं को एलपीजी कनेक्शन प्रदान करना।
(c) ग्रामीण क्षेत्रों में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना।
(d) शहरी क्षेत्रों में ई-वाहनों को सब्सिडी देना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: उज्ज्वला योजना का मुख्य उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे (BPL) रहने वाले परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन प्रदान करना है, जिसका लाभ मुख्य रूप से महिलाओं को मिलता है। - प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था भारत में डिजिटल भुगतान को विनियमित (regulate) करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है?
(a) भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)
(b) भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI)
(c) भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI)
(d) भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI)
उत्तर: (c)
व्याख्या: जबकि RBI व्यापक वित्तीय प्रणाली को विनियमित करता है, NPCI विशेष रूप से UPI, RuPay और अन्य भुगतान प्रणालियों के संचालन और विकास के लिए जिम्मेदार है। - प्रश्न 5: “वित्तीय समावेशन” (Financial Inclusion) का अर्थ क्या है?
(a) केवल अमीरों को बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच प्रदान करना।
(b) समाज के सभी वर्गों को वहनीय (affordable) और सुलभ (accessible) वित्तीय सेवाएं प्रदान करना।
(c) केवल ऑनलाइन बैंकिंग को बढ़ावा देना।
(d) केवल बचत खातों को खोलना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: वित्तीय समावेशन का लक्ष्य समाज के सभी वर्गों, विशेषकर वंचितों, को बैंकिंग, बीमा, पेंशन और भुगतान सेवाओं जैसी बुनियादी वित्तीय सेवाओं से जोड़ना है। - प्रश्न 6: एलपीजी की कीमतों में वृद्धि का अर्थव्यवस्था पर निम्नलिखित में से क्या प्रभाव पड़ने की संभावना है?
1. मुद्रास्फीति में वृद्धि।
2. उपभोक्ता व्यय में कमी।
3. राजकोषीय घाटे में कमी (यदि सब्सिडी कम की जाती है)।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनें:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
व्याख्या: एलपीजी की कीमतों में वृद्धि से सीधे तौर पर मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। यदि एलपीजी की लागत बढ़ती है, तो उपभोक्ता अपनी अन्य खर्चों में कटौती कर सकते हैं। यदि सरकार सब्सिडी कम करती है, तो राजकोषीय घाटा कम हो सकता है, लेकिन उपभोक्ता के लिए यह बोझ बढ़ाएगा। - प्रश्न 7: “डिजिटल इंडिया” पहल का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(a) केवल सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन करना।
(b) भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलना।
(c) केवल मोबाइल फोन के उपयोग को बढ़ावा देना।
(d) सभी नागरिकों को मुफ्त इंटरनेट प्रदान करना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: डिजिटल इंडिया का व्यापक लक्ष्य भारत को डिजिटल रूप से सशक्त बनाना, ई-गवर्नेंस को मजबूत करना, और एक ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था का निर्माण करना है। - प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सी सेवाएँ NPCI के अंतर्गत नहीं आती हैं?
(a) IMPS (Immediate Payment Service)
(b) NEFT (National Electronic Funds Transfer)
(c) RuPay
(d) Bharat Bill Payment System (BBPS)
उत्तर: (b)
व्याख्या: NEFT का संचालन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा किया जाता है, जबकि IMPS, RuPay और BBPS NPCI द्वारा संचालित हैं। - प्रश्न 9: एलपीजी सब्सिडी से संबंधित निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. एलपीजी सब्सिडी सीधे उपभोक्ता के बैंक खाते में DBT (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से स्थानांतरित की जाती है।
2. सब्सिडी की राशि एलपीजी की बाजार कीमत और सरकार द्वारा तय की गई नियंत्रण कीमत के बीच के अंतर के बराबर होती है।
उपरोक्त में से कौन से कथन सही हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (c)
व्याख्या: दोनों कथन सही हैं। एलपीजी सब्सिडी DBT के माध्यम से सीधे लाभार्थियों को दी जाती है, और यह बाजार मूल्य और नियंत्रित मूल्य के बीच के अंतर पर आधारित होती है। - प्रश्न 10: “डिजिटल डिवाइड” (Digital Divide) से क्या तात्पर्य है?
(a) विभिन्न देशों के बीच डिजिटल साक्षरता में अंतर।
(b) एक ही देश के भीतर विभिन्न सामाजिक-आर्थिक समूहों के बीच डिजिटल तकनीकों तक पहुंच और उपयोग में अंतर।
(c) ऑनलाइन और ऑफलाइन शिक्षा के बीच का अंतर।
(d) ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में इंटरनेट की गति में अंतर।
उत्तर: (b)
व्याख्या: डिजिटल डिवाइड एक व्यापक अवधारणा है जो समाज के भीतर डिजिटल साक्षरता, पहुंच और उपयोग में असमानताओं को संदर्भित करती है, जो अक्सर आय, शिक्षा, आयु और भौगोलिक स्थिति जैसे कारकों से प्रभावित होती है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न 1: भारत में डिजिटल भुगतान प्रणालियों (जैसे UPI) के विस्तार से अर्थव्यवस्था और समाज पर पड़ने वाले सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों का विश्लेषण करें। भविष्य में इन प्रणालियों की सुरक्षा और समावेशन सुनिश्चित करने हेतु क्या कदम उठाए जा सकते हैं? (250 शब्द)
- प्रश्न 2: भारत की ऊर्जा सुरक्षा (Energy Security) के संदर्भ में एलपीजी सब्सिडी के महत्व पर चर्चा करें। एलपीजी सब्सिडी के बोझ को कम करने और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की नीतियों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। (250 शब्द)
- प्रश्न 3: सरकारी नीतियों और नियमों में मासिक परिवर्तन (जैसे 1 अगस्त से लागू होने वाले) नागरिकों और व्यवसायों को कैसे प्रभावित करते हैं? ऐसे परिवर्तनों को प्रभावी ढंग से संप्रेषित (communicate) करने और उनके कार्यान्वयन में सुगमता (ease of implementation) सुनिश्चित करने के लिए शासन (governance) की क्या भूमिका होनी चाहिए? (150 शब्द)
- प्रश्न 4: “वित्तीय समावेशन” (Financial Inclusion) भारत के सतत आर्थिक विकास के लिए क्यों महत्वपूर्ण है? डिजिटल भुगतान और अन्य वित्तीय प्रौद्योगिकियों (FinTech) को अंतिम-माइल (last-mile) तक पहुंचाने में क्या बाधाएं हैं और उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है? (150 शब्द)