अहमदाबाद विमान दुर्घटना: ‘ह्यूमन फैक्टर’ की गहन जांच – पायलट पर लगे आरोपों का सच और नई दिशा
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, अहमदाबाद में हुए एक विमान दुर्घटना की जांच में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है। शुरुआती रिपोर्टों और पश्चिमी मीडिया में पायलट को सीधे तौर पर दोषी ठहराए जाने के बाद, अब इस मामले में ‘ह्यूमन फैक्टर’ (मानवीय कारक) विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। यह कदम न केवल जांच की दिशा को प्रभावित करता है, बल्कि विमानन सुरक्षा में मानवीय भूमिका के महत्व को भी रेखांकित करता है। पश्चिमी मीडिया की प्राथमिक रिपोर्टों के विपरीत, जहां अक्सर पायलट की त्रुटि को मुख्य कारण माना जाता है, विशेषज्ञों का समावेश यह दर्शाता है कि दुर्घटना के पीछे के कारणों को अधिक व्यापक और मानवीय दृष्टिकोण से देखा जा रहा है।
यह घटना विमानन सुरक्षा, मीडिया की रिपोर्टिंग की सटीकता और जटिल दुर्घटनाओं के मूल कारणों को समझने में ‘ह्यूमन फैक्टर’ की भूमिका जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर प्रकाश डालती है, जो UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं।
विमान दुर्घटना जांच: एक जटिल पहेली
जब कोई विमान दुर्घटना होती है, तो यह कभी भी एक अकेले कारण का परिणाम नहीं होता। इसके पीछे अक्सर कई कारक एक साथ मिलकर काम करते हैं, जैसे:
- तकनीकी खराबी: इंजन की समस्या, हाइड्रोलिक विफलता, या संरचनात्मक क्षति।
- पर्यावरणीय कारक: खराब मौसम, जैसे तेज हवाएं, भारी बारिश, या खराब दृश्यता।
- मानवीय कारक: पायलट की त्रुटि, एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) की गलती, ग्राउंड क्रू की गलती, या यहां तक कि यात्री का व्यवहार।
- प्रशासनिक और प्रबंधन संबंधी कारक: रखरखाव की कमी, अपर्याप्त प्रशिक्षण, या सुरक्षा नियमों का पालन न करना।
इनमें से किसी भी एक कारक को दुर्घटना का एकमात्र कारण मानना अक्सर एक अधूरा विश्लेषण होता है। यही कारण है कि विमान दुर्घटना जांच इतनी जटिल और समय लेने वाली होती है।
‘ह्यूमन फैक्टर’ क्या है और यह महत्वपूर्ण क्यों है?
‘ह्यूमन फैक्टर’ (मानवीय कारक) शब्द विमानन, इंजीनियरिंग, मनोविज्ञान और सुरक्षा के क्षेत्र में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। यह उन सभी मानवीय पहलुओं का अध्ययन है जो किसी सिस्टम या प्रक्रिया के प्रदर्शन को प्रभावित करते हैं। विमानन के संदर्भ में, इसमें शामिल हैं:
- पायलट का कौशल और निर्णय: उड़ान के दौरान पायलट की शारीरिक और मानसिक स्थिति, उनका प्रशिक्षण, अनुभव, निर्णय लेने की क्षमता, तनाव प्रबंधन, और त्रुटि की संभावना।
- केबिन क्रू: उनकी प्रतिक्रियाएं, संचार और यात्री प्रबंधन।
- एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC): ATC नियंत्रकों का काम, उनकी सतर्कता, संचार की स्पष्टता और निर्णय।
- ग्राउंड स्टाफ: रखरखाव, ईंधन भरने और विमान को तैयार करने वाले कर्मचारियों की सटीकता और सतर्कता।
- डिजाइन और एर्गोनॉमिक्स: विमान के कॉकपिट का डिजाइन, नियंत्रणों का लेआउट, और सूचना डिस्प्ले, जो पायलट की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकते हैं।
- संगठनात्मक संस्कृति: सुरक्षा को प्राथमिकता देने वाली कॉर्पोरेट संस्कृति, प्रशिक्षण कार्यक्रम, और आराम के घंटे (duty hours) का प्रबंधन।
‘ह्यूमन फैक्टर’ का महत्व:
- सुरक्षा में वृद्धि: मानवीय त्रुटियों की पहचान और उन्हें कम करने के तरीकों का विकास करके विमानन सुरक्षा को बढ़ाया जा सकता है।
- प्रणालीगत सुधार: यह समझने में मदद करता है कि सिस्टम को कैसे डिजाइन किया जाए ताकि वे मानवीय सीमाओं के अनुकूल हों।
- प्रशिक्षण का अनुकूलन: पायलटों और अन्य क्रू सदस्यों के प्रशिक्षण को मानवीय प्रदर्शन की वास्तविकताओं के अनुरूप बनाया जा सकता है।
- दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकना: मानवीय कारकों की गहरी समझ पिछली दुर्घटनाओं से सीख लेने और भविष्य में उन्हें रोकने में मदद करती है।
“मानवीय कारक दुर्घटनाओं के सबसे प्रमुख कारणों में से एक है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह हमेशा ‘पायलट की गलती’ ही होती है। अक्सर, यह जटिल प्रणालीगत मुद्दों का परिणाम होता है जिसमें प्रशिक्षण, डिजाइन, प्रबंधन और कार्य वातावरण शामिल होते हैं।”
अहमदाबाद क्रैश: मीडिया की भूमिका और जांच का बदलता परिदृश्य
जब अहमदाबाद में विमान दुर्घटना हुई, तो शुरुआती रिपोर्टें, विशेष रूप से पश्चिमी मीडिया से, काफी हद तक पायलट को दोषी ठहराने पर केंद्रित थीं। यह प्रवृत्ति असामान्य नहीं है। कई बार, तत्काल निष्कर्षों में पायलट की कार्रवाई को प्राथमिक कारण के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इसके पीछे कुछ कारण हो सकते हैं:
- सीधा कारण: पायलट सीधे उड़ान का नियंत्रण करते हैं, इसलिए उनकी कार्रवाई का प्रभाव तत्काल और स्पष्ट होता है।
- सरलीकरण: जटिल तकनीकी और प्रणालीगत मुद्दों की तुलना में एक व्यक्ति की गलती को समझाना और प्रचारित करना आसान हो सकता है।
- संस्कृति: कुछ संस्कृतियों में, व्यक्तिगत जिम्मेदारी पर अधिक जोर दिया जाता है।
हालांकि, यह दृष्टिकोण अक्सर दुर्घटना के पीछे के गहरे, प्रणालीगत मुद्दों को नजरअंदाज कर सकता है। जैसे ही जांच आगे बढ़ती है, यह स्पष्ट हो जाता है कि क्या कोई ऐसी परिस्थितियाँ थीं जिन्होंने पायलट को कठिन निर्णय लेने के लिए मजबूर किया, या क्या कॉकपिट का डिजाइन, संचार प्रोटोकॉल, या यहां तक कि उड़ान से पहले की प्रक्रियाएं भी किसी तरह से योगदान दे सकती थीं।
‘ह्यूमन फैक्टर’ विशेषज्ञों को शामिल करने का निर्णय क्या दर्शाता है?
- गहन विश्लेषण की आवश्यकता: यह इंगित करता है कि केवल पायलट की क्रियाओं की समीक्षा पर्याप्त नहीं है।
- निष्पक्षता: मीडिया की प्रारंभिक रिपोर्टों से प्रभावित हुए बिना, सभी संभावित योगदानकर्ताओं की जांच का प्रयास।
- प्रणालीगत दृष्टिकोण: यह स्वीकार करना कि दुर्घटनाएं अक्सर मानवीय त्रुटियों से अधिक, मानवीय प्रदर्शन पर प्रभाव डालने वाली प्रणालीगत कमजोरियों का परिणाम होती हैं।
- वैश्विक मानक: विमानन सुरक्षा में ‘ह्यूमन फैक्टर’ के महत्व को अंतर्राष्ट्रीय स्वीकार्यता।
विशेषज्ञों की टीम में ऐसे लोग शामिल हो सकते हैं जो विमानन मनोविज्ञान, मानव-मशीन इंटरफेस (human-machine interface), एयर ट्रैफिक मैनेजमेंट, और परिचालन सुरक्षा में विशेषज्ञता रखते हों। वे उड़ान डेटा रिकॉर्डर (FDR), कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR), पायलट के प्रशिक्षण रिकॉर्ड, एयरलाइन की नीतियां, और यहां तक कि पायलट के व्यक्तिगत स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक स्थिति (यदि प्रासंगिक हो) का भी विश्लेषण कर सकते हैं।
‘ह्यूमन फैक्टर’ की जांच के प्रमुख क्षेत्र
अहमदाबाद विमान दुर्घटना की जांच में ‘ह्यूमन फैक्टर’ के विशेषज्ञों द्वारा निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किए जाने की संभावना है:
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पायलट का कार्यभार (Workload):
- क्या उड़ान के दौरान पायलटों पर अत्यधिक कार्यभार था?
- क्या कॉकपिट में उपकरणों और सूचनाओं का लेआउट प्रभावी था?
- क्या कोई ऐसी स्थिति थी जिसने पायलट के निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित किया हो? (जैसे, थकान, तनाव, या अप्रत्याशित घटनाएँ)।
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संचार (Communication):
- पायलटों और एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) के बीच संचार कितना स्पष्ट और प्रभावी था?
- क्या ATC द्वारा दिए गए निर्देशों में कोई अस्पष्टता थी?
- क्या कॉकपिट क्रू के बीच पर्याप्त समन्वय था?
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प्रशिक्षण और योग्यता (Training and Qualification):
- क्या पायलटों को विशेष आपातकालीन प्रक्रियाओं के लिए पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित किया गया था?
- क्या पायलट का अनुभव और प्रकार के विमान को उड़ाने की विशेषज्ञता पर्याप्त थी?
- क्या एयरलाइन की प्रशिक्षण नीतियाँ नवीनतम सुरक्षा मानकों के अनुरूप थीं?
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प्रक्रियाएं और नीतियाँ (Procedures and Policies):
- क्या उड़ान से पहले की प्रक्रियाएं, जैसे कि ईंधन भरना और विमान की जांच, सही ढंग से पूरी की गईं?
- क्या एयरलाइन की सुरक्षा नीतियां और मानक परिचालन प्रक्रियाएं (SOPs) पर्याप्त थीं?
- क्या उड़ान ड्यूटी घंटों के प्रबंधन में कोई समस्या थी, जो थकान का कारण बन सकती थी?
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मानव-मशीन इंटरफेस (Human-Machine Interface – HMI):
- क्या विमान का कॉकपिट डिजाइन पायलट के लिए सहज और समझने योग्य था?
- क्या अलार्म और चेतावनी प्रणालियाँ प्रभावी थीं?
- क्या किसी विशेष उपकरण की खराबी ने पायलट को भ्रमित किया हो?
मीडिया रिपोर्टिंग और सुरक्षा जांच: एक नाजुक संतुलन
मीडिया की भूमिका जनता को सूचित करने और पारदर्शिता बनाए रखने में महत्वपूर्ण है। हालांकि, जब विमान दुर्घटनाओं की बात आती है, तो प्रारंभिक रिपोर्टिंग कभी-कभी जांच को जटिल बना सकती है।
- जल्दी निष्कर्ष: तत्काल निष्कर्ष, विशेष रूप से दोषारोपण पर आधारित, जांच के अंतिम परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं।
- सनसनीखेज रिपोर्टिंग: अत्यधिक सनसनीखेज रिपोर्टिंग जनता में भय पैदा कर सकती है और जांच प्रक्रिया पर अनुचित दबाव डाल सकती है।
- तकनीकी विवरण की कमी: मीडिया के लिए अक्सर दुर्घटना के सभी तकनीकी और मानवीय पहलुओं को गहराई से समझाना और समझाना चुनौतीपूर्ण होता है।
इसके विपरीत, एक जिम्मेदार मीडिया जांचकर्ताओं को महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने में मदद कर सकता है और यह सुनिश्चित कर सकता है कि सभी पहलुओं पर विचार किया जाए। ‘ह्यूमन फैक्टर’ विशेषज्ञों को शामिल करने का निर्णय इस बात का प्रमाण है कि प्रारंभिक रिपोर्टिंग सभी संभावित कारकों का प्रतिनिधित्व नहीं करती है, और एक अधिक सूक्ष्म दृष्टिकोण आवश्यक है।
‘ह्यूमन फैक्टर’ पर आधारित केस स्टडीज
विमानन इतिहास ‘ह्यूमन फैक्टर’ की भूमिका को दर्शाने वाले कई उदाहरणों से भरा पड़ा है:
- टेनेरिफ़ हवाई अड्डा आपदा (1977): यह अब तक की सबसे घातक विमानन दुर्घटना है, जहां दो बोइंग 747 हवाई जहाज आपस में टकरा गए। इस दुर्घटना में संचार की समस्या, केबिन क्रू का गलत अनुमान, और खराब दृश्यता जैसे कई मानवीय कारक शामिल थे।
- एशियाना एयरलाइंस फ्लाइट 214 (2013): सैन फ्रांसिस्को में उतरते समय यह दुर्घटना हुई। इसमें पायलटों की गलती के साथ-साथ, स्वचालित प्रणाली (autothrottle) के साथ अनुभव की कमी और अप्रत्याशित व्यवहार भी एक महत्वपूर्ण कारक थे। जांचकर्ताओं ने पायलटों के प्रशिक्षण, उनके कार्यभार और सिस्टम के डिजाइन पर ध्यान केंद्रित किया।
- कोलंबियाई एयरलाइन फ्लाइट 447 (2009): अटलांटिक महासागर में गिर गया। इस दुर्घटना में, बर्फ जमने के कारण गति संवेदक (airspeed sensors) ने गलत रीडिंग दी, जिससे पायलटों को भ्रम हुआ और उन्होंने गलत कार्रवाई की। यह मामला ‘मानव-मशीन इंटरफेस’ और पायलटों की त्रुटियों पर प्रणालीगत योगदान को दर्शाता है।
ये मामले बताते हैं कि कैसे ‘ह्यूमन फैक्टर’ को केवल पायलट की गलती के रूप में देखना अपर्याप्त है। बल्कि, यह मानवीय निर्णय लेने, प्रशिक्षण, सिस्टम डिजाइन और परिचालन वातावरण के बीच जटिल अंतःक्रिया का परिणाम है।
आगे की राह: विमानन सुरक्षा में ‘ह्यूमन फैक्टर’ का एकीकरण
अहमदाबाद विमान दुर्घटना में ‘ह्यूमन फैक्टर’ विशेषज्ञों की भागीदारी विमानन सुरक्षा के प्रति एक अधिक परिपक्व और समग्र दृष्टिकोण का संकेत है। भविष्य में, इस क्षेत्र में निम्नलिखित पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए:
- निरंतर प्रशिक्षण और सिमुलेशन: पायलटों और क्रू को जटिल और अप्रत्याशित परिदृश्यों के लिए लगातार प्रशिक्षित करना।
- कॉन्फ़िगरेशन प्रबंधन: यह सुनिश्चित करना कि कॉकपिट डिजाइन और प्रौद्योगिकी मानवीय क्षमताओं और सीमाओं के अनुरूप हो।
- सुरक्षा-केंद्रित संस्कृति: एयरलाइनों में ऐसी संस्कृति को बढ़ावा देना जहां कर्मचारी बिना किसी डर के सुरक्षा संबंधी चिंताओं को उठा सकें।
- मानव-मशीन इंटरफेस (HMI) का अनुकूलन: विमानों के डिजाइन में नवीनतम मनोवैज्ञानिक और एर्गोनोमिक शोध को शामिल करना।
- जांच रिपोर्टों में गहराई: दुर्घटना जांच रिपोर्टों को केवल ‘कारण’ बताने तक सीमित न रखकर, ‘क्यों’ और ‘कैसे’ पर अधिक ध्यान केंद्रित करना, जिसमें मानवीय और प्रणालीगत कारक शामिल हों।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि ‘ह्यूमन फैक्टर’ केवल एक समस्या नहीं है, बल्कि एक ऐसा क्षेत्र है जिसे सक्रिय रूप से प्रबंधित और बेहतर बनाया जा सकता है। अहमदाबाद विमान दुर्घटना की जांच में विशेषज्ञों का समावेश इसी दिशा में एक सकारात्मक कदम है, जो विमानन को पहले से कहीं अधिक सुरक्षित बनाने में मदद करेगा।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. विमानन सुरक्षा के संदर्भ में ‘ह्यूमन फैक्टर’ (मानवीय कारक) का क्या अर्थ है?
(a) केवल पायलट की शारीरिक क्षमता
(b) मानव व्यवहार, निर्णय और प्रदर्शन को प्रभावित करने वाले सभी पहलू, जो विमानन प्रणाली से संबंधित हैं
(c) केवल एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) का संचार
(d) विमान का यांत्रिक रखरखाव
उत्तर: (b)
व्याख्या: ‘ह्यूमन फैक्टर’ एक व्यापक शब्द है जिसमें पायलट, क्रू, ATC, रखरखाव कर्मचारी, सिस्टम डिजाइन और संगठनात्मक कारक शामिल हैं जो मानव प्रदर्शन को प्रभावित करते हैं।
2. अहमदाबाद विमान दुर्घटना जांच में ‘ह्यूमन फैक्टर’ विशेषज्ञों को शामिल करने का मुख्य कारण क्या हो सकता है?
(a) पश्चिमी मीडिया की आलोचना को संतुष्ट करना
(b) यह सुनिश्चित करना कि दुर्घटना के सभी संभावित कारणों का गहनता से विश्लेषण किया जाए, न कि केवल सतही तौर पर
(c) पायलट पर लगे आरोपों को सही ठहराना
(d) उड़ान डेटा रिकॉर्डर (FDR) को फिर से स्थापित करना
उत्तर: (b)
व्याख्या: विशेषज्ञों को शामिल करने का उद्देश्य दुर्घटना के मूल कारणों की अधिक व्यापक और वैज्ञानिक जांच करना है, जिसमें केवल पायलट की त्रुटि से परे प्रणालीगत मुद्दे भी शामिल हों।
3. निम्नलिखित में से कौन सा ‘ह्यूमन फैक्टर’ का उदाहरण नहीं है जो विमानन सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है?
(a) पायलट का प्रशिक्षण स्तर
(b) कॉकपिट का एर्गोनोमिक डिजाइन
(c) वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर
(d) एयरलाइन की सुरक्षा संस्कृति
उत्तर: (c)
व्याख्या: कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर एक पर्यावरणीय कारक है, न कि सीधे तौर पर ‘ह्यूमन फैक्टर’ से संबंधित (जब तक कि यह किसी मानव-जनित स्थिति का परिणाम न हो)। अन्य सभी विकल्प मानवीय प्रदर्शन और प्रणालीगत डिजाइन से सीधे जुड़े हैं।
4. विमान दुर्घटना जांच में ‘जल्दी निष्कर्ष’ (premature conclusions) का क्या नकारात्मक प्रभाव हो सकता है?
(a) जांच प्रक्रिया तेज हो जाती है
(b) यह अंतिम रिपोर्ट की निष्पक्षता और पूर्णता को प्रभावित कर सकता है
(c) मीडिया को अधिक जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलती है
(d) पायलट पर लगे दोष को कम करता है
उत्तर: (b)
व्याख्या: जल्दी निष्कर्ष निकालने से जांच अधूरी रह सकती है और वास्तविक कारणों का पता नहीं चल पाता, जिससे अंतिम रिपोर्ट की विश्वसनीयता प्रभावित होती है।
5. ‘मानव-मशीन इंटरफेस’ (Human-Machine Interface – HMI) से क्या तात्पर्य है?
(a) विमान का बाहरी रंग
(b) पायलट और विमान के नियंत्रणों, डिस्प्ले और अलार्म के बीच की बातचीत
(c) यात्रियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सीट बेल्ट
(d) एयर ट्रैफिक कंट्रोल टॉवर की वास्तुकला
उत्तर: (b)
व्याख्या: HMI पायलटों द्वारा विमान को संचालित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले सभी साधनों, जैसे कॉकपिट लेआउट, नियंत्रण, गेज और डिस्प्ले के बीच की अंतःक्रिया का अध्ययन करता है।
6. पश्चिमी मीडिया की एक सामान्य प्रवृत्ति विमान दुर्घटनाओं में क्या पाई जाती है, जैसा कि अहमदाबाद मामले में देखा गया?
(a) पायलट को हमेशा निर्दोष मानना
(b) उड़ान के तकनीकी पहलुओं पर अत्यधिक जोर देना
(c) तत्काल निष्कर्षों में पायलट की त्रुटि को प्राथमिक कारण के रूप में प्रस्तुत करना
(d) वायुमंडलीय दबाव पर पूरा ध्यान केंद्रित करना
उत्तर: (c)
व्याख्या: अक्सर, तत्काल रिपोर्टिंग में पायलट की कार्रवाई को प्राथमिक कारण माना जाता है, जो एक सरलीकरण हो सकता है।
7. विमानन सुरक्षा में ‘सुरक्षा-केंद्रित संस्कृति’ (Safety-centric Culture) का क्या महत्व है?
(a) यह केवल एयरलाइन प्रबंधन के लिए है
(b) यह सुनिश्चित करती है कि सभी कर्मचारी बिना किसी डर के सुरक्षा चिंताओं को उठा सकें
(c) यह उड़ान के समय को कम करने पर केंद्रित है
(d) यह केवल तकनीकी खराबी की रिपोर्टिंग पर जोर देती है
उत्तर: (b)
व्याख्या: एक सुरक्षा-केंद्रित संस्कृति में, कर्मचारियों को प्रोत्साहित किया जाता है कि वे संभावित खतरों या सुरक्षा चिंताओं की रिपोर्ट करें, जिससे उन्हें सुधारा जा सके।
8. ‘कार्यभार’ (Workload) विमानन में ‘ह्यूमन फैक्टर’ को कैसे प्रभावित कर सकता है?
(a) उच्च कार्यभार से पायलट की सतर्कता और निर्णय लेने की क्षमता कम हो सकती है।
(b) उच्च कार्यभार हमेशा पायलट के प्रदर्शन को बढ़ाता है।
(c) कार्यभार का मानवीय प्रदर्शन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
(d) कार्यभार केवल ग्राउंड क्रू को प्रभावित करता है।
उत्तर: (a)
व्याख्या: अत्यधिक कार्यभार पायलटों के लिए संज्ञानात्मक अधिभार (cognitive overload) पैदा कर सकता है, जिससे त्रुटियों की संभावना बढ़ जाती है।
9. एटलस 1977 में हुई टेनेरिफ़ हवाई अड्डा आपदा में ‘ह्यूमन फैक्टर’ की भूमिका से संबंधित कौन से कारक प्रमुख थे?
(a) केवल ATC की त्रुटि
(b) केवल खराब मौसम
(c) संचार की समस्या, गलत अनुमान, और दृश्यता की कमी
(d) केवल विमान का पुराना मॉडल
उत्तर: (c)
व्याख्या: टेनेरिफ़ आपदा में कई मानवीय कारक शामिल थे, जिनमें गलत संचार, अस्पष्ट निर्देश, पायलटों के बीच गलतफहमी और खराब दृश्यता शामिल थे।
10. विमानन सुरक्षा में ‘ह्यूमन फैक्टर’ को बेहतर बनाने के लिए ‘निरंतर प्रशिक्षण और सिमुलेशन’ (continuous training and simulation) क्यों महत्वपूर्ण है?
(a) यह पायलटों को केवल मैनुअल उड़ान के लिए तैयार करता है
(b) यह पायलटों को वास्तविक दुनिया की अप्रत्याशित और जटिल परिस्थितियों का अनुभव करने का अवसर देता है, जिससे उनकी प्रतिक्रियाएं बेहतर होती हैं
(c) यह प्रशिक्षण लागत को बहुत अधिक बढ़ा देता है
(d) यह केवल नए पायलटों के लिए आवश्यक है
उत्तर: (b)
व्याख्या: सिमुलेशन पायलटों को वास्तविक जीवन के जोखिम के बिना विभिन्न परिदृश्यों का अभ्यास करने में मदद करता है, जिससे उनकी समस्या-समाधान और आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमताएं बढ़ती हैं।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. विमानन दुर्घटनाओं की जांच में ‘ह्यूमन फैक्टर’ (मानवीय कारक) के महत्व पर चर्चा करें। अहमदाबाद विमान दुर्घटना के संदर्भ में, कैसे ‘ह्यूमन फैक्टर’ विशेषज्ञों को शामिल करने से जांच की प्रकृति और संभावित निष्कर्षों पर प्रकाश पड़ता है? (लगभग 250 शब्द)
2. विमानन सुरक्षा में ‘ह्यूमन फैक्टर’ को संबोधित करने के लिए अपनाए जाने वाले विभिन्न उपायों की विवेचना करें। इसमें पायलट प्रशिक्षण, कॉकपिट डिजाइन, एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) संचार, और संगठनात्मक संस्कृति के पहलुओं को शामिल करें। (लगभग 150 शब्द)
3. मीडिया की रिपोर्टिंग अक्सर विमान दुर्घटनाओं की शुरुआती समझ को प्रभावित करती है। विमानन सुरक्षा जांच में मीडिया की भूमिका और जिम्मेदारियों पर चर्चा करें, विशेष रूप से ‘ह्यूमन फैक्टर’ के विश्लेषण के संबंध में। (लगभग 200 शब्द)
4. ‘ह्यूमन फैक्टर’ को अक्सर विमानन दुर्घटनाओं का सबसे महत्वपूर्ण कारण माना जाता है। इस कथन का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें और बताएं कि कैसे तकनीकी, पर्यावरणीय और प्रणालीगत कारक मानवीय त्रुटि में योगदान कर सकते हैं। (लगभग 150 शब्द)