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राहुल गांधी का दावा: क्या भारतीय अर्थव्यवस्था ‘मृत’ है? पीएम मोदी के नेतृत्व में क्या हो रहा है?

राहुल गांधी का दावा: क्या भारतीय अर्थव्यवस्था ‘मृत’ है? पीएम मोदी के नेतृत्व में क्या हो रहा है?

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति पर एक तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा कही गई ‘भारतीय अर्थव्यवस्था मृत है’ वाली बात सही है। उन्होंने इस स्थिति के लिए सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को जिम्मेदार ठहराया, और यह भी जोड़ा कि यह सच्चाई प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को छोड़कर सबको पता है। यह बयान निश्चित रूप से आर्थिक बहस को गरमाने वाला है और UPSC उम्मीदवारों के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति, इसकी चुनौतियों और सरकारी नीतियों के प्रभाव को समझने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।

यह ब्लॉग पोस्ट राहुल गांधी के इस दावे का गहन विश्लेषण करेगा, भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न संकेतकों पर प्रकाश डालेगा, और इस दावे के पीछे के तर्कों और संभावित प्रति-तर्कों की पड़ताल करेगा। हम UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से प्रासंगिक आर्थिक अवधारणाओं, चुनौतियों और भविष्य की राह पर भी चर्चा करेंगे।

भारतीय अर्थव्यवस्था: एक सिंहावलोकन

किसी भी दावे का विश्लेषण करने से पहले, भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति का एक संक्षिप्त सिंहावलोकन समझना आवश्यक है। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक रहा है। हाल के वर्षों में, हमने डिजिटलीकरण, बुनियादी ढांचे के विकास और विनिर्माण को बढ़ावा देने जैसी पहलों को देखा है। हालाँकि, वैश्विक अनिश्चितताओं, महामारी के झटकों और घरेलू संरचनात्मक मुद्दों ने आर्थिक विकास पर अपनी छाप छोड़ी है।

प्रमुख आर्थिक संकेतक (Key Economic Indicators):

  • सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर: यह अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य का सबसे महत्वपूर्ण मापक है। हाल के तिमाहियों में वृद्धि दर में उतार-चढ़ाव देखा गया है।
  • मुद्रास्फीति (Inflation): उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) और थोक मूल्य सूचकांक (WPI) मुद्रास्फीति के स्तर को दर्शाते हैं। उच्च मुद्रास्फीति क्रय शक्ति को कम करती है।
  • रोजगार दर (Employment Rate): यह सीधे तौर पर लोगों की आजीविका और आर्थिक गतिविधियों में उनकी भागीदारी को दर्शाता है। बेरोजगारी एक बड़ी चुनौती रही है।
  • औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP): यह विनिर्माण, खनन और बिजली क्षेत्रों के उत्पादन में बदलाव को मापता है।
  • राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit): सरकार के राजस्व और व्यय के बीच का अंतर। उच्च घाटा उधार और भविष्य के आर्थिक बोझ को बढ़ा सकता है।
  • व्यापार घाटा (Trade Deficit): आयात और निर्यात के बीच का अंतर।
  • विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves): यह देश की बाहरी देनदारियों को पूरा करने की क्षमता को दर्शाता है।

राहुल गांधी का दावा: “भारतीय अर्थव्यवस्था मर चुकी है”

राहुल गांधी का दावा कि “भारतीय अर्थव्यवस्था मर चुकी है” एक अतिशयोक्तिपूर्ण बयान लग सकता है, लेकिन यह मौजूदा आर्थिक चिंताओं को रेखांकित करने का एक प्रयास है। आइए उनके दावे के पीछे के संभावित तर्कों को समझने की कोशिश करें:

संभावित तर्क (Possible Arguments Supporting the Claim):

  1. धीमी विकास दर (Slowing Growth Rate): जबकि भारत अभी भी बढ़ रहा है, विकास दर उम्मीदों से कम रही है, खासकर महामारी के बाद की रिकवरी में। कुछ आलोचकों का मानना है कि यह ‘मरने’ के करीब पहुंच रही है।
  2. उच्च बेरोजगारी (High Unemployment): विशेष रूप से युवाओं के बीच बेरोजगारी की दर एक गंभीर चिंता का विषय रही है। नौकरियों का सृजन अर्थव्यवस्था की जीवनदायिनी है, और इसका अभाव निराशाजनक है।
  3. बढ़ती असमानता (Rising Inequality): आर्थिक विकास का लाभ समान रूप से नहीं बट रहा है, जिससे अमीरों और गरीबों के बीच की खाई चौड़ी हो रही है।
  4. उपभोक्ता मांग में कमी (Low Consumer Demand): उच्च मुद्रास्फीति और अनिश्चितता के कारण, लोग खर्च करने से हिचकिचा रहे हैं, जिससे मांग कम हो रही है और व्यवसायों पर असर पड़ रहा है।
  5. छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs) की चुनौतियाँ: MSMEs भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, लेकिन उन्हें पूंजी, बाजार पहुंच और नकदी प्रवाह (cash flow) जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
  6. कृषि क्षेत्र की समस्याएँ: किसानों की आय, ऋणग्रस्तता और मौसम पर निर्भरता भारतीय कृषि को एक संवेदनशील क्षेत्र बनाती है।
  7. वैश्विक अनिश्चितता का प्रभाव: भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक मंदी की आशंका और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान भारतीय अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर रहे हैं।

“यह कहना कि अर्थव्यवस्था ‘मर चुकी है’, यह आर्थिक गतिविधि के पूर्ण ठहराव का सुझाव देता है। हालांकि, यथार्थवादी दृष्टिकोण यह है कि अर्थव्यवस्था विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रही है, जिससे वृद्धि बाधित हो रही है और लोगों के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।”

“इसे मोदी ने मारा”: सरकार की भूमिका पर आरोप

राहुल गांधी का यह आरोप कि “इसे मोदी ने मारा” सरकार की नीतियों और उनके कार्यान्वयन पर एक सीधा प्रहार है। आइए उन नीतियों की जाँच करें जिन पर सवाल उठाए जा सकते हैं:

आलोचना के प्रमुख बिंदु (Key Points of Criticism):

  • विमुद्रीकरण (Demonetization) (2016): इस कदम का उद्देश्य काला धन, नकली मुद्रा और आतंकवाद के वित्तपोषण को समाप्त करना था। हालाँकि, इसने अल्पकालिक आर्थिक गतिविधियों को बाधित किया और नकदी की कमी पैदा की।
  • वस्तु एवं सेवा कर (GST) का क्रियान्वयन: GST का उद्देश्य कर प्रणाली को सरल बनाना था, लेकिन इसके जटिल नियम, बार-बार होने वाले बदलावों और छोटे व्यवसायों के लिए अनुपालन बोझ ने शुरू में कई समस्याएं पैदा कीं।
  • कोविड-19 महामारी का प्रबंधन: लॉकडाउन और अन्य प्रतिबंधों ने अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित किया। आलोचकों का कहना है कि सरकार की प्रतिक्रिया पर्याप्त या समय पर नहीं थी, जिससे आर्थिक नुकसान बढ़ा।
  • रोजगार सृजन में विफलता: आलोचकों का तर्क है कि सरकार रोजगार सृजन को बढ़ावा देने में प्रभावी नहीं रही है, जिससे ‘डिमॉग्राफी डिविडेंड’ (जनसांख्यिकीय लाभांश) का लाभ उठाने का अवसर खो रहा है।
  • निजी निवेश को बढ़ावा देने में कमी: सरकार ने बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाया है, लेकिन निजी क्षेत्र से निवेश को आकर्षित करने में उतनी सफलता नहीं मिली है।
  • वित्तीय क्षेत्र में तनाव: बैंकों और NBFCs (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) में तनाव ने ऋण उपलब्धता को प्रभावित किया है।

“ये बात PM और वित्त मंत्री को छोड़कर सबको पता है”: जनधारणा का महत्व

राहुल गांधी का यह कथन कि “यह बात PM और वित्त मंत्री को छोड़कर सबको पता है” जनधारणा (public perception) और सरकार के संचार (government communication) के बीच के अंतर पर प्रकाश डालता है।

जनधारणा का महत्व (Importance of Public Perception):

  • उपभोक्ता विश्वास (Consumer Confidence): जब आम लोग अर्थव्यवस्था के बारे में नकारात्मक महसूस करते हैं, तो वे खर्च करने से बचते हैं, जिससे मांग और वृद्धि प्रभावित होती है।
  • निवेशक विश्वास (Investor Confidence): निवेशक देश की आर्थिक स्थिति के बारे में सरकार के बयानों और वास्तविक प्रदर्शन दोनों को देखते हैं। यदि जनधारणा नकारात्मक है, तो यह निवेश को हतोत्साहित कर सकती है।
  • राजनीतिक प्रभाव: जनधारणा सीधे तौर पर चुनावों को प्रभावित करती है। आर्थिक मुद्दों पर लोगों की राय सरकार की वैधता और भविष्य को आकार देती है।

यह सुझाव कि सरकार के उच्चतम स्तर पर बैठे लोग (प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री) इस सच्चाई से अनजान हैं, सरकार के दावों और जमीनी हकीकत के बीच एक संभावित अलगाव (disconnect) को इंगित करता है।

सरकार का पक्ष और प्रति-तर्क (Government’s Stand and Counter-Arguments)

यह महत्वपूर्ण है कि हम सरकार के दृष्टिकोण और उसके द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले प्रति-तर्कों को भी समझें। सरकार अपनी आर्थिक नीतियों की सफलता और चुनौतियों से निपटने के प्रयासों पर जोर देती है।

सरकार के संभावित प्रति-तर्क (Government’s Potential Counter-Arguments):

  • संरचनात्मक सुधार (Structural Reforms): सरकार अक्सर GST, दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (IBC), और कॉर्पोरेट करों में कटौती जैसे सुधारों को अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक रूप से मजबूत करने वाले कदमों के रूप में प्रस्तुत करती है।
  • वैश्विक मंदी का प्रभाव: सरकार यह तर्क दे सकती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थितियाँ मुख्य रूप से वैश्विक आर्थिक मंदी, यूक्रेन युद्ध और COVID-19 महामारी जैसे बाहरी कारकों के कारण हैं, न कि आंतरिक नीतियों के कारण।
  • बढ़ती राजकोषीय सहायता (Increased Fiscal Support): महामारी के दौरान सरकार द्वारा घोषित राहत पैकेज और बुनियादी ढांचे पर व्यय को आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है।
  • डिजिटल इंडिया और फिन-टेक: डिजिटल भुगतान, जन धन योजना और फिन-टेक नवाचारों ने वित्तीय समावेशन को बढ़ाया है और आर्थिक गतिविधियों को सुगम बनाया है।
  • विनिर्माण पर जोर (Focus on Manufacturing): ‘मेक इन इंडिया’ और उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं का उद्देश्य विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना और निर्यात बढ़ाना है।
  • लचीली मौद्रिक नीति: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और विकास को समर्थन देने के लिए उठाए गए कदम।
  • ‘वी-आकार’ की रिकवरी (V-shaped Recovery): सरकार ने अक्सर जोर दिया है कि महामारी के बाद अर्थव्यवस्था ने तेजी से ‘वी-आकार’ की रिकवरी दिखाई है।

UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारतीय अर्थव्यवस्था की चुनौतियाँ

राहुल गांधी के बयान और इस पर हो रही बहस UPSC के उम्मीदवारों के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं को समझने का एक शानदार अवसर है। यहाँ कुछ प्रमुख क्षेत्र दिए गए हैं जिन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए:

1. समावेशी विकास (Inclusive Growth)

क्या है? ऐसा विकास जो समाज के सभी वर्गों, विशेषकर कमजोर और वंचितों तक लाभ पहुंचाता है।

चुनौतियाँ:

  • आय असमानता
  • क्षेत्रीय असमानताएँ
  • धन का संकेंद्रण

सरकारी प्रयास: जन धन योजना, उज्ज्वला योजना, मनरेगा।

2. रोजगार सृजन (Employment Generation)

क्या है? अर्थव्यवस्था में नए रोजगार के अवसर पैदा करना।

  • चुनौतियाँ:
    • उच्च युवा बेरोजगारी
    • अंडर-एम्प्लॉयमेंट (कम रोजगार)
    • कौशल अंतराल (Skill Gap)
    • अनौपचारिक क्षेत्र में रोजगार की अस्थिरता

    सरकारी प्रयास: स्किल इंडिया मिशन, मेक इन इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया।

    3. मुद्रास्फीति प्रबंधन (Inflation Management)

    क्या है? वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में निरंतर वृद्धि को नियंत्रित करना।

    चुनौतियाँ:

    • खाद्य मुद्रास्फीति (Supply-side shocks, कृषि उत्पादन)
    • ईंधन की कीमतें (वैश्विक तेल की कीमतें)
    • प्रशासनित मूल्य (Administered Prices)

    सरकारी नीतियाँ: मौद्रिक नीति (RBI), आपूर्ति-पक्ष सुधार, बफर स्टॉक।

    4. वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion)

    क्या है? यह सुनिश्चित करना कि समाज के सभी वर्गों, विशेषकर आर्थिक रूप से वंचितों को उचित लागत पर वित्तीय सेवाओं (बैंक खाते, ऋण, बीमा) तक पहुंच प्राप्त हो।

    चुनौतियाँ:

    • ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में पहुंच
    • वित्तीय साक्षरता
    • जन धन खातों का उपयोग

    सरकारी प्रयास: जन धन योजना, आधार, मोबाइल (JAM Trinity)।

    5. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs)

    क्या है? भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़, जो रोजगार और निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान देती है।

    चुनौतियाँ:

    • पूंजी तक पहुंच
    • बाजार से जुड़ाव
    • प्रौद्योगिकी उन्नयन
    • नकदी प्रवाह प्रबंधन

    सरकारी प्रयास: MSME मंत्रालय की योजनाएँ, क्रेडिट गारंटी योजनाएँ।

    6. राजकोषीय सुदृढ़ीकरण (Fiscal Consolidation)

    क्या है? सरकार द्वारा अपने राजकोषीय घाटे को कम करने और सार्वजनिक ऋण को टिकाऊ स्तर पर रखने के प्रयास।

    चुनौतियाँ:

    • सब्सिडी का बोझ
    • राजस्व जुटाने के तरीके
    • सार्वजनिक व्यय का प्रबंधन

    सरकारी लक्ष्य: FRBM अधिनियम के तहत राजकोषीय घाटे को निश्चित प्रतिशत तक लाना।

    अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के उपाय (Measures to Revitalize the Economy)

    यदि अर्थव्यवस्था वास्तव में संघर्ष कर रही है, तो उसे पुनर्जीवित करने के लिए कुछ उपाय आवश्यक हैं:

    • रोजगार सृजन पर ध्यान: श्रम-गहन क्षेत्रों (जैसे कपड़ा, पर्यटन, निर्माण) को बढ़ावा देना।
    • निजी निवेश को आकर्षित करना: व्यावसायिक वातावरण में सुधार, लालफीताशाही (red tape) को कम करना।
    • उपभोक्ता मांग को बढ़ाना: आय सहायता, कर प्रोत्साहन, और मुद्रास्फीति पर नियंत्रण।
    • MSMEs को सशक्त बनाना: आसान ऋण, डिजिटल समावेशन, और प्रशिक्षण।
    • बुनियादी ढांचे में निरंतर निवेश: लॉजिस्टिक्स, ऊर्जा, और डिजिटल बुनियादी ढांचे का विकास।
    • निर्यात को बढ़ावा देना: निर्यात प्रोत्साहन योजनाएं, व्यापार समझौते।
    • कौशल विकास: उद्योगों की मांगों के अनुरूप प्रशिक्षण प्रदान करना।
    • राजकोषीय अनुशासन: व्यय को कुशलतापूर्वक प्रबंधित करना और राजस्व जुटाने के नए तरीके खोजना।

    निष्कर्ष (Conclusion)

    राहुल गांधी का यह बयान कि “भारतीय अर्थव्यवस्था मर चुकी है” एक गंभीर चिंता को दर्शाता है, जो देश में व्याप्त आर्थिक कठिनाइयों और बेरोजगारी के मुद्दों को रेखांकित करती है। हालांकि, ‘मर चुकी है’ जैसे शब्द अक्सर राजनीतिक बयानबाजी का हिस्सा होते हैं। यथार्थवादी दृष्टिकोण यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था वर्तमान में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रही है, जो वैश्विक और घरेलू दोनों कारकों से प्रभावित हैं।

    सरकार सुधारों और विकास की गति को बनाए रखने का दावा करती है, जबकि आलोचक नीतियों के कार्यान्वयन और परिणामों पर सवाल उठाते हैं। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि वे इन बहसों से ऊपर उठकर, विभिन्न आर्थिक संकेतकों, सरकारी नीतियों, उनके प्रभाव और अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक उपायों का निष्पक्ष विश्लेषण करें। आर्थिक प्रदर्शन को समझना, चाहे वह अच्छा हो या बुरा, केवल राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का विषय नहीं है, बल्कि देश के भविष्य के लिए एक आवश्यक तत्व है।

    UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

    प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

    1. निम्नलिखित में से कौन सा भारतीय अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य को मापने के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक नहीं है?
    (a) सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर
    (b) उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI)
    (c) भू-भाग का रंग
    (d) औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP)

    उत्तर: (c) भू-भाग का रंग

    व्याख्या: भू-भाग का रंग आर्थिक संकेतक नहीं है, जबकि अन्य सभी अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य को मापने के प्रमुख संकेतक हैं।

    2. ‘समावेशी विकास’ (Inclusive Growth) का तात्पर्य है:
    (a) केवल उच्च आर्थिक वृद्धि दर प्राप्त करना।
    (b) आर्थिक लाभ को समाज के सभी वर्गों तक पहुंचाना, विशेषकर कमजोर वर्ग।
    (c) केवल शहरी क्षेत्रों का विकास करना।
    (d) केवल निर्यात को बढ़ावा देना।

    उत्तर: (b) आर्थिक लाभ को समाज के सभी वर्गों तक पहुंचाना, विशेषकर कमजोर वर्ग।

    व्याख्या: समावेशी विकास का अर्थ है कि विकास का लाभ समाज के सबसे गरीब और सबसे कमजोर वर्गों तक भी पहुँचे, जिससे असमानता कम हो।

    3. भारत में बेरोजगारी की समस्या के संदर्भ में ‘कौशल अंतराल’ (Skill Gap) का क्या अर्थ है?
    (a) उपलब्ध नौकरियों की संख्या से अधिक श्रमिक होना।
    (b) श्रमिकों के पास उपलब्ध नौकरियों के लिए आवश्यक कौशल की कमी होना।
    (c) कामगारों का बहुत कम वेतन मिलना।
    (d) अनौपचारिक क्षेत्र में रोजगार का अत्यधिक होना।

    उत्तर: (b) श्रमिकों के पास उपलब्ध नौकरियों के लिए आवश्यक कौशल की कमी होना।

    व्याख्या: कौशल अंतराल तब होता है जब नौकरी के बाजार की मांग और कर्मचारियों के पास मौजूद कौशल के बीच बेमेल होता है।

    4. निम्नलिखित में से कौन सी योजना का उद्देश्य वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना है?
    (a) स्वच्छ भारत अभियान
    (b) प्रधानमंत्री जन धन योजना
    (c) कौशल इंडिया मिशन
    (d) मेक इन इंडिया

    उत्तर: (b) प्रधानमंत्री जन धन योजना

    व्याख्या: प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक भारतीय नागरिक के लिए बैंकिंग, बचत और जमा खातों, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, क्रेडिट, बीमा और पेंशन जैसी वित्तीय सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करना है।

    5. ‘राजकोषीय घाटा’ (Fiscal Deficit) क्या दर्शाता है?
    (a) सरकार के कुल राजस्व और कुल व्यय के बीच का अंतर।
    (b) सरकार के कुल राजस्व और कुल निर्यात के बीच का अंतर।
    (c) सरकार के कुल व्यय और कुल आयात के बीच का अंतर।
    (d) इनमें से कोई नहीं।

    उत्तर: (a) सरकार के कुल राजस्व और कुल व्यय के बीच का अंतर।

    व्याख्या: राजकोषीय घाटा सरकार के राजस्व (करों और अन्य प्राप्तियों) और उसके व्यय (खर्च) के बीच का अंतर है।

    6. MSME क्षेत्र के संदर्भ में ‘नकदी प्रवाह’ (Cash Flow) का क्या महत्व है?
    (a) कंपनी की लाभप्रदता का मापक।
    (b) कंपनी की परिचालन क्षमता और अल्पकालिक सॉल्वेंसी (solvency) का सूचक।
    (c) दीर्घकालिक निवेश का संकेतक।
    (d) कंपनी की बाज़ार हिस्सेदारी का मापक।

    उत्तर: (b) कंपनी की परिचालन क्षमता और अल्पकालिक सॉल्वेंसी (solvency) का सूचक।

    व्याख्या: नकदी प्रवाह इंगित करता है कि किसी व्यवसाय में कितना पैसा आ रहा है और जा रहा है, जो इसकी दैनिक परिचालन और अल्पकालिक वित्तीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।

    7. ‘उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन’ (PLI) योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    (a) घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना और आयात पर निर्भरता कम करना।
    (b) केवल सेवा क्षेत्र को मजबूत करना।
    (c) निर्यात पर अतिरिक्त कर लगाना।
    (d) कृषि उत्पादन में वृद्धि करना।

    उत्तर: (a) घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना और आयात पर निर्भरता कम करना।

    व्याख्या: PLI योजनाएं लक्षित क्षेत्रों में घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करने और भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए डिज़ाइन की गई हैं।

    8. GST लागू होने के शुरुआती वर्षों में छोटे व्यवसायों के लिए मुख्य चुनौती क्या थी?
    (a) बहुत कम कर दरें।
    (b) अनुपालन (compliance) की जटिलता और बार-बार होने वाले बदलाव।
    (c) कर प्रणाली का पूर्ण उन्मूलन।
    (d) करों से पूरी छूट।

    उत्तर: (b) अनुपालन (compliance) की जटिलता और बार-बार होने वाले बदलाव।

    व्याख्या: GST के प्रारंभिक चरणों में, नियमों की जटिलता, रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया और तकनीकी मुद्दों ने छोटे व्यवसायों के लिए अनुपालन को एक चुनौती बना दिया था।

    9. ‘जनसांख्यिकीय लाभांश’ (Demographic Dividend) का अर्थ है:
    (a) बढ़ती युवा आबादी का आर्थिक विकास में योगदान।
    (b) घटती कार्यशील आबादी का आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव।
    (c) बढ़ती बुजुर्ग आबादी का आर्थिक बोझ।
    (d) जनसंख्या वृद्धि का धीमा होना।

    उत्तर: (a) बढ़ती युवा आबादी का आर्थिक विकास में योगदान।

    व्याख्या: जनसांख्यिकीय लाभांश तब होता है जब किसी देश की कार्यशील आयु वाली आबादी (आमतौर पर 15-64 वर्ष) आश्रितों (बच्चों और बुजुर्गों) की तुलना में बहुत बड़ी होती है, जो आर्थिक विकास के लिए एक अवसर प्रदान करती है।

    10. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मुख्य रूप से निम्नलिखित में से किस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी मौद्रिक नीति का उपयोग करता है?
    (a) केवल आर्थिक विकास को अधिकतम करना।
    (b) केवल मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना।
    (c) मुद्रास्फीति को नियंत्रित करते हुए विकास को समर्थन देना।
    (d) विदेशी मुद्रा भंडार का प्रबंधन करना।

    उत्तर: (c) मुद्रास्फीति को नियंत्रित करते हुए विकास को समर्थन देना।

    व्याख्या: RBI का प्राथमिक उद्देश्य मूल्य स्थिरता बनाए रखना है, साथ ही साथ आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देना है।

    मुख्य परीक्षा (Mains)

    1. “राहुल गांधी के दावे कि ‘भारतीय अर्थव्यवस्था मर चुकी है’ और ‘इसे मोदी ने मारा’ जैसे बयानों का विश्लेषण करें। इस दावे के समर्थन और विरोध में तर्कों को प्रस्तुत करते हुए, भारतीय अर्थव्यवस्था के वर्तमान स्वास्थ्य का एक वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन प्रदान करें।”
    *(यह प्रश्न आर्थिक संकेतकों, सरकारी नीतियों के प्रभावों, और विभिन्न राजनीतिक दृष्टिकोणों के विश्लेषण की मांग करता है।)*

    2. “भारतीय अर्थव्यवस्था में रोजगार सृजन एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्किल इंडिया’ और ‘स्टार्ट-अप इंडिया’ जैसी सरकारी पहलों का रोजगार सृजन पर प्रभाव का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें और इस समस्या के समाधान के लिए आगे के रास्ते सुझाएं।”
    *(यह प्रश्न विशिष्ट योजनाओं के मूल्यांकन और नीतिगत सुझावों पर केंद्रित है।)*

    3. “वित्तीय समावेशन, विशेष रूप से प्रधानमंत्री जन धन योजना, भारतीय अर्थव्यवस्था में किस हद तक परिवर्तनकारी रहा है? इस योजना के लाभों और सीमाओं पर चर्चा करें और ग्रामीण तथा शहरी भारत में इसके वर्तमान प्रभाव का विश्लेषण करें।”
    *(यह प्रश्न एक विशिष्ट योजना के गहन विश्लेषण और उसके प्रभावों पर केंद्रित है।)*

    4. “भारत में मुद्रास्फीति प्रबंधन एक जटिल कार्य है। हाल के वर्षों में मुद्रास्फीति के मुख्य कारणों (खाद्य, ईंधन, और अन्य) का विश्लेषण करें और मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए RBI और सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करें।”
    *(यह प्रश्न मुद्रास्फीति के कारणों, नीतिगत प्रतिक्रियाओं और उनकी प्रभावशीलता का विश्लेषण करने की मांग करता है।)*

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