जनसंख्या नीति -2000

जनसंख्या नीति -2000

( Population Policy – 2000 )

केन्द्र सरकार द्वारा 15 फरवरी , 2000 को नई ‘ राष्ट्रीय जनसंख्या नीति -2000 ‘ की घोषणा की गई । इस नई जनसंख्या नीति का तात्कालिक उद्देश्य अपूरित क्षेत्रों में गर्भ निरोधकों की आपूर्ति करना , स्वास्थ सुरक्षा ढाँचे का विस्तार करना तथा स्वास्थ्य कर्मियों की नियुक्ति करना है जबकि मध्यमकालीन उद्देश्य सन् 2010 तक कुल प्रजननशीलता दर ( TFR ) को 2 : 1 के प्रतिस्थापन स्तर तक लाना है । नई जनसंख्या नीति का दीर्घकालिक उद्देश्य सन् 2045 ई ० तक स्थिर जन॑ख्य के लक्ष्य को प्राप्त करना है । इस नीति में जनसंख्या को ऐसे स्तर पर स्थिर बनाने की बात कही गई है जो आर्थिक एवं सामाजिक विकास तथा पर्यावरण संरक्षण में सकारात्मक भूमिका निभा सके । नई जनसंख्या नीति के प्रमुख तथ्य अग्रलिखित हैं 1. इस जनसंख्या नीति में जनसंख्या की नई सीमा के तहत लोकसभा की सीटों के पुननिर्धारण की अवधि को अगले 25 वर्षों तक के लिए बढ़ा दिया गया है ।

संविधान के प्रावधानों के अन्तर्गत सन् 2001 तक लोकसभा की सीटों का सीमांकन सन् 1971 की जनसंख्या के आधार पर किया जाना था । अब इसी व्यवस्था को सन् 2026 तक बढ़ा दिया गया है । इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 84 में पुनः संशोधन करने का निश्चय किया गया है । इस व्यवस्था से लोकसभा में सीटों की संख्या अब 2026 तक 543 बनी रहेगी तथा प्रत्येक राज्य से सीटों की संख्या भी उतनी ही बनी रहेगी क्योंकि जिन राज्यों ने जनसंख्या वृद्धि को रोकने में अब तक प्रगति नहीं की है , ऐसा होने पर वे इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सकारात्मक भूमिका निभा सकेगे ।

गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले दम्पत्तियों को छोटा परिवार रखने पर ( अर्थात् उन दम्पत्तियों को , जिनके दो बच्चे हों और उन्होंने बंध्याकरण करा लिया हो ) पाँच हजार रुपए की स्वास्थ्य बीमा योजना में शामिल किया जाएगा ।

  गरीबी रेखा के नीचे वाले उन दम्पत्तियों को पुरस्कृत किया जाएगा जो निर्धारित आयु के पश्चात् विवाह करने के बाद पहले बच्चे को तब जन्म दें जब माँ की आयु 21 वर्ष हो जाए और वे दो बच्चों को जन्म देने के बाद बंध्याकरण करा लें ।

 दो बच्चों तक के जन्म पर गरीबी रेखा के नीचे वाले दम्पत्तियों को प्रत्येक के जन्म पर 500 रुपए उनकी देखभाल हेतु दिए जाएंगे ।

गर्भपात सुविधा योजना को और प्रभावी बनाया जाएगा । 1

 गैर – सरकारी स्वयंसेवी संस्थाओं को परिवार नियोजन कार्यक्रम से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा ।

राज्यों को आर्थिक सहायता , जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण रखने के आधार पर दी जाएगी । •

 ग्रामीण क्षेत्रों मे एम्बुलेन्स की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए उदार शर्तों पर ऋण तथा आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी । नई जनसंख्या नीति के क्रियान्वयन पर दृष्टि रखने व उसकी समीक्षा हेतु प्रधानमन्त्री की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय ‘ राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग ‘ का गठन किया जाएगा । केन्द्रीय परिवार कल्याण मन्त्री तथा कुछ अन्य केन्द्रीय मन्त्रियों के अतिरिक्त समस्त राज्यों व केन्द्र शासित क्षेत्रों के मुख्यमन्त्री इस आयोग के पदेन सदस्य होंगे । प्रतिष्ठ जनसंख्याविदों , जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों तथ गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों को भी इसमें सम्मिलित किया जाएगा ।

 नई नीति में बाल – विवाह निरोधक अधिनियम को प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा तथा लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष से बढ़ाकर 20 वर्ष से अधिक कर दी जाएगी । साथ ही प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण तकनीकी निरोधक अधिनियम को सख्ती के साथ लागू किया जाएगा ।

बुनियादी शिक्षा को मुफ्त और अनिवार्य बनाया जाएगा ।

 छोटे परिवार के मानक को अपनाने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए केन्द्र सरकार उन पंचायतों और जिला परिषदों को पुरस्कृत करेगी जो अपने क्षेत्र में रहने वाले लोगों को जनसंख्या नियन्त्रण के उपाय को अपनाने के लिए प्रेरित करेंगी । नाया जाएगा ।

  जन्म – मृत्यु तथा विवाह का पंजीकरण कराना अनिवार्य

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