समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी अवधारणाओं को परखें!
नमस्कार, भावी समाजशास्त्री! आज का दिन आपके समाजशास्त्रीय ज्ञान की गहराई को मापने का है। अपनी अवधारणाओं की स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को निखारने के लिए तैयार हो जाइए। क्या आप आज की चुनौती के लिए तैयार हैं?
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘ईमानदारी’ (Honesty) को एक ‘मूल्य’ (Value) के रूप में वर्गीकृत करने का सबसे उपयुक्त समाजशास्त्रीय कारण क्या है?
- यह व्यक्तिगत चरित्र का लक्षण है।
- यह एक स्वीकृत और वांछनीय सामाजिक मानदंड है।
- यह कानून द्वारा स्थापित एक औपचारिक नियम है।
- यह केवल व्यक्तिगत सुख से संबंधित है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: समाजशास्त्र में, ‘मूल्य’ (Value) वे सामान्य आदर्श या विश्वास होते हैं जिन्हें समाज या उसके सदस्य महत्वपूर्ण और वांछनीय मानते हैं। ‘ईमानदारी’ को समाज एक सकारात्मक गुण के रूप में देखता है और यह सामाजिक संबंधों को बनाए रखने के लिए एक स्वीकृत मानदंड है।
- संदर्भ और विस्तार: मूल्य सामाजिक मानदंडों (Social Norms) का आधार बनते हैं, जो व्यवहार के अपेक्षित तरीके बताते हैं। जहाँ मानदंड विशिष्ट व्यवहारों के बारे में होते हैं, वहीं मूल्य उन व्यवहारों के पीछे के व्यापक आदर्श होते हैं।
- गलत विकल्प: (a) चरित्र का लक्षण व्यक्तिगत हो सकता है, लेकिन इसका समाजशास्त्रीय महत्व तब है जब यह एक स्वीकृत मूल्य हो। (c) ईमानदारी एक अनौपचारिक या स्वीकृत सामाजिक आदर्श है, न कि कानून द्वारा स्थापित औपचारिक नियम (जो दंडनीय हो सकता है)। (d) व्यक्तिगत सुख से संबंध हो सकता है, लेकिन इसका समाजशास्त्रीय महत्व समाज द्वारा इसकी स्वीकृति में निहित है।
प्रश्न 2: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद के तहत श्रमिकों के अलगाव (Alienation) का मुख्य कारण क्या है?
- श्रमिकों के बीच प्रतिस्पर्धा
- उत्पादन प्रक्रिया पर नियंत्रण का अभाव
- अत्यधिक वेतन
- समाज में व्यक्तिगत स्वतंत्रता की कमी
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: कार्ल मार्क्स के ‘अलगाव’ (Alienation) के सिद्धांत के अनुसार, पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली में श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद, उत्पादन की प्रक्रिया, अपनी प्रजाति-सार (Species-Being), और अपने साथी मनुष्यों से अलग-थलग महसूस करते हैं। इसका मूल कारण यह है कि उत्पादन के साधन पर उनका कोई नियंत्रण नहीं होता और वे केवल एक वस्तु के रूप में उत्पादन प्रक्रिया में भाग लेते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने इसे अपनी पुस्तक ‘इकॉनॉमिक एंड फिलोसोफ़िकल मैन्युस्क्रिप्ट्स ऑफ़ 1844’ में विस्तार से समझाया है। अलगाव पूंजीवादी व्यवस्था का एक अंतर्निहित दोष है।
- गलत विकल्प: (a) प्रतिस्पर्धा अलगाव का एक परिणाम या सह-कारण हो सकती है, लेकिन मुख्य कारण नहीं। (c) मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद में श्रमिकों को कम वेतन मिलता है, अत्यधिक नहीं। (d) व्यक्तिगत स्वतंत्रता की कमी पूंजीवादी व्यवस्था का एक पहलू है, लेकिन अलगाव सीधे तौर पर उत्पादन प्रक्रिया पर नियंत्रण न होने से जुड़ा है।
प्रश्न 3: एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) की क्या विशेषता बताई है?
- यह व्यक्ति की चेतना से उत्पन्न होता है।
- यह व्यक्ति पर बाह्य दबाव डालता है।
- यह व्यक्तिगत भावनाओं से प्रेरित होता है।
- यह हमेशा व्यक्तिगत रूप से अनुभव किया जाता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम के अनुसार, सामाजिक तथ्य वे व्यवहार के तरीके, सोचने के तरीके और महसूस करने के तरीके हैं जो व्यक्ति पर बाह्य दबाव (External Constraint) डालते हैं और जिनमें एक सामूहिकता (Collectivity) होती है। ये व्यक्ति से स्वतंत्र रूप से मौजूद होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘द रूल्स ऑफ़ सोशियोलॉजिकल मेथड’ में इस अवधारणा को परिभाषित किया है। उदाहरण के लिए, कानून, रीति-रिवाज, नैतिकता, फैशन, और मुद्रा।
- गलत विकल्प: (a) सामाजिक तथ्य व्यक्ति की चेतना से उत्पन्न नहीं होते, बल्कि व्यक्ति के बाहर मौजूद होते हैं। (c) वे व्यक्तिगत भावनाओं से प्रेरित नहीं होते, बल्कि उनका प्रभाव व्यक्ति पर पड़ता है। (d) सामाजिक तथ्य सामूहिक होते हैं और व्यक्तिगत अनुभव से भिन्न होते हैं; इनका अनुभव सामूहिक रूप से होता है।
प्रश्न 4: मैक्स वेबर के अनुसार, नौकरशाही (Bureaucracy) की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता क्या है?
- अनौपचारिक संबंध
- अस्पष्ट नियम
- तर्कसंगत-कानूनी अधिकार (Rational-Legal Authority)
- व्यक्तिगत निर्णय
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: मैक्स वेबर ने आदर्श-प्रकार (Ideal Type) के रूप में नौकरशाही का वर्णन किया है, जिसकी केंद्रीय विशेषता ‘तर्कसंगत-कानूनी अधिकार’ (Rational-Legal Authority) है। इसका अर्थ है कि अधिकार नियमों, प्रक्रियाओं और पद-सोपान (Hierarchy) पर आधारित होता है, न कि व्यक्तिगत करिश्मे या परंपरा पर।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने अपनी पुस्तक ‘इकॉनमी एंड सोसाइटी’ में नौकरशाही की विशेषताओं जैसे श्रम विभाजन, पद-सोपान, लिखित नियम, अवैयक्तिकता (Impersonality), और तकनीकी योग्यता को महत्व दिया है।
- गलत विकल्प: (a) नौकरशाही की एक विशेषता अवैयक्तिकता है, न कि अनौपचारिक संबंध। (b) नौकरशाही स्पष्ट और निश्चित नियमों पर आधारित होती है, अस्पष्ट नहीं। (d) नौकरशाही में व्यक्तिगत निर्णय के बजाय नियमों और प्रक्रियाओं के आधार पर निर्णय लिए जाते हैं।
प्रश्न 5: एमिल दुर्खीम ने आत्महत्या के किस प्रकार को सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) के अत्यंत निम्न स्तर से जोड़ा है?
- अहंवादी आत्महत्या (Egoistic Suicide)
- परार्थवादी आत्महत्या (Altruistic Suicide)
- अनोमिक आत्महत्या (Anomic Suicide)
- नियतिवादी आत्महत्या (Fatalistic Suicide)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘ऑन द सुसाइड’ में, अहंवादी आत्महत्या (Egoistic Suicide) को सामाजिक एकीकरण (Social Integration) के कमजोर होने या व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अत्यधिक बढ़ने से जोड़ा है। जब व्यक्ति का समाज से जुड़ाव कमजोर होता है, तो वह अकेला महसूस करता है और आत्महत्या की ओर प्रवृत्त हो सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनोमिक आत्महत्या अनियंत्रित इच्छाओं और सामाजिक नियमों के टूटने से संबंधित है। परार्थवादी आत्महत्या तब होती है जब व्यक्ति समाज के लिए अपने जीवन का बलिदान करता है (अत्यधिक सामाजिक एकीकरण)। नियतिवादी आत्महत्या अत्यधिक दमनकारी नियमों के कारण होती है।
- गलत विकल्प: (b) परार्थवादी में उच्च एकीकरण होता है। (c) अनोमिक में नियम अनियंत्रित होते हैं। (d) नियतिवादी में अत्यधिक नियम होते हैं।
प्रश्न 6: एमएन श्रीनिवास ने ‘संसकृतीकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा को किस संदर्भ में प्रस्तुत किया?
- जाति व्यवस्था में गतिशीलता की प्रक्रिया
- धार्मिक अनुष्ठानों में परिवर्तन
- आर्थिक असमानता का विकास
- पश्चिमी शिक्षा का प्रसार
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संसकृतीकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा को भारतीय जाति व्यवस्था में सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) की एक प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया है। इसके तहत, निचली जाति या जनजाति के लोग उच्च जातियों के रीति-रिवाजों, परंपराओं, अनुष्ठानों और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में पहली बार प्रस्तुत की गई थी। यह सांस्कृतिक परिवर्तन की एक प्रक्रिया है जो सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के भीतर होती है।
- गलत विकल्प: (b) धार्मिक अनुष्ठानों में परिवर्तन संसकृतीकरण का एक हिस्सा हो सकता है, लेकिन यह पूरी अवधारणा नहीं है। (c) आर्थिक असमानता से इसका सीधा संबंध नहीं है, हालांकि यह सामाजिक-आर्थिक गतिशीलता को प्रभावित कर सकता है। (d) यह पश्चिमीकरण (Westernization) से भिन्न है, जो पश्चिमी संस्कृति को अपनाना है।
प्रश्न 7: सामाजिक संरचना (Social Structure) का सबसे उपयुक्त समाजशास्त्रीय अर्थ क्या है?
- व्यक्तियों के बीच होने वाले दैनिक संवाद।
- समाज में व्यक्तियों की भूमिकाओं और स्थितियों का प्रतिमानित और व्यवस्थित संबंध।
- समाज में स्थापित कानूनों और नियमों का समूह।
- समाज में होने वाले सांस्कृतिक उत्सव।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक संरचना से तात्पर्य समाज में व्यक्तियों की विभिन्न सामाजिक भूमिकाओं (Social Roles) और स्थितियों (Social Positions) के बीच मौजूद स्थिर, व्यवस्थित और प्रतिमानित (Patterned) संबंधों से है। यह समाज का एक व्यापक ढाँचा है जो अंतःक्रियाओं को दिशा देता है।
- संदर्भ और विस्तार: तालकॉट पार्सन्स जैसे समाजशास्त्रियों ने सामाजिक संरचना को समाज के विभिन्न उप-प्रणालियों (Sub-systems) के बीच संबंधों के रूप में देखा है। यह समाज की स्थिरता और व्यवस्था को बनाए रखने में मदद करती है।
- गलत विकल्प: (a) दैनिक संवाद व्यक्तिगत स्तर पर होता है, जबकि संरचना व्यापक होती है। (c) कानून और नियम संरचना का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन संरचना स्वयं नियमों से अधिक है; यह संबंधों का एक जाल है। (d) सांस्कृतिक उत्सव सामाजिक संरचना का प्रदर्शन या परिणाम हो सकते हैं, लेकिन वे स्वयं संरचना नहीं हैं।
प्रश्न 8: चार्ल्स कूली ने ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) की अवधारणा को किस प्रकार परिभाषित किया?
- ऐसे समूह जो केवल व्यावसायिक हितों पर आधारित हों।
- ऐसे समूह जिनमें आमने-सामने की घनिष्ठता और सहयोग हो।
- ऐसे समूह जिनका उद्देश्य बड़े पैमाने पर सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति करना हो।
- ऐसे समूह जो औपचारिक नियमों और संरचनाओं द्वारा शासित हों।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: चार्ल्स कूली ने ‘प्राथमिक समूह’ को ऐसे समूह के रूप में परिभाषित किया है जहाँ सदस्य आमने-सामने (Face-to-Face) घनिष्ठ संबंध रखते हैं, जो उनके व्यक्तित्व के विकास के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। परिवार, खेल समूह और पड़ोस प्राथमिक समूहों के उदाहरण हैं।
- संदर्भ और विस्तार: कूली ने अपनी पुस्तक ‘सोशल ऑर्गनाइज़ेशन’ में इस अवधारणा को विस्तार से समझाया है। इन समूहों में ‘हम’ की भावना प्रबल होती है।
- गलत विकल्प: (a) व्यावसायिक हित वाले समूह आमतौर पर प्राथमिक नहीं होते। (c) बड़े सामाजिक उद्देश्यों वाले समूह द्वितीयक (Secondary) या हित समूह हो सकते हैं। (d) औपचारिक नियम और संरचनाएँ आमतौर पर द्वितीयक समूहों की विशेषता होती हैं।
प्रश्न 9: भारतीय समाज में ‘अंतर्विवाह’ (Endogamy) का सबसे प्रमुख सामाजिक कार्य क्या है?
- जातिगत पहचान और शुद्धता को बनाए रखना।
- सामाजिक गतिशीलता को बढ़ावा देना।
- पारिवारिक संपत्ति का विभाजन।
- व्यक्तिगत पसंद की स्वतंत्रता को बढ़ाना।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: अंतर्विवाह, विशेष रूप से जाति व्यवस्था में, अपने ही समूह या उप-समूह के भीतर विवाह करने की प्रथा है। इसका मुख्य कार्य जातिगत पहचान, पदानुक्रम और कथित ‘शुद्धता’ को बनाए रखना है, जिससे जाति की सीमाओं को मजबूत किया जा सके।
- संदर्भ और विस्तार: यह जाति व्यवस्था की एक मौलिक विशेषता है जो गतिशीलता को सीमित करती है और सामाजिक स्तरीकरण को दृढ़ बनाती है।
- गलत विकल्प: (b) अंतर्विवाह सामाजिक गतिशीलता को बाधित करता है, बढ़ावा नहीं देता। (c) यह संपत्ति के विभाजन को प्रत्यक्ष रूप से नियंत्रित नहीं करता, हालांकि यह विरासत के नियमों को प्रभावित कर सकता है। (d) यह व्यक्तिगत पसंद की स्वतंत्रता को सीमित करता है।
प्रश्न 10: रॉबर्ट मर्टन ने ‘निहित कार्य’ (Manifest Function) और ‘प्रच्छन्न कार्य’ (Latent Function) के बीच भेद क्यों किया?
- यह समझाने के लिए कि सामाजिक संस्थाएँ कैसे बदलती हैं।
- यह समझाने के लिए कि सामाजिक संस्थाओं के घोषित और अनपेक्षित परिणाम क्या होते हैं।
- यह समझाने के लिए कि सामाजिक अनुसंधान कैसे किया जाना चाहिए।
- यह समझाने के लिए कि व्यक्ति समाज में कैसे प्रतिस्पर्धा करते हैं।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: रॉबर्ट मर्टन ने ‘निहित कार्य’ (Manifest Function) को किसी सामाजिक प्रथा या संस्था का वह स्पष्ट, प्रत्यक्ष और स्वीकृत परिणाम बताया है जो स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। ‘प्रच्छन्न कार्य’ (Latent Function) वह अनपेक्षित, अव्यक्त या गैर-स्पष्ट परिणाम है जो किसी सामाजिक प्रथा से जुड़ा होता है। उन्होंने यह भेद सामाजिक कार्यों के जटिल और कभी-कभी विरोधाभासी प्रकृति को समझने के लिए किया।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रकार्यवाद (Functionalism) के भीतर एक महत्वपूर्ण विकास था, जिससे सामाजिक संस्थाओं के परिणामों के अधिक सूक्ष्म विश्लेषण की अनुमति मिली। उदाहरण: स्कूल का निहित कार्य शिक्षित करना है, जबकि प्रच्छन्न कार्य सामाजिक अलगाव को कम करना या सामाजिक नेटवर्क बनाना हो सकता है।
- गलत विकल्प: (a) कार्य और परिणाम परिवर्तन की दिशा को स्पष्ट नहीं करते। (c) यह अनुसंधान विधियों पर प्रत्यक्ष रूप से केंद्रित नहीं है। (d) यह प्रतिस्पर्धा से अधिक सामाजिक व्यवस्था और उसके परिणामों पर केंद्रित है।
प्रश्न 11: ‘आदर्श प्रकार’ (Ideal Type) की अवधारणा किस समाजशास्त्री से मुख्य रूप से जुड़ी है?
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ‘आदर्श प्रकार’ (Ideal Type) की अवधारणा मैक्स वेबर से प्रमुखता से जुड़ी हुई है। यह एक विश्लेषणात्मक उपकरण है जो वास्तविक दुनिया की जटिलताओं को समझने के लिए किसी घटना की विशेषताओं को व्यवस्थित रूप से अतिरंजित (Exaggerated) करता है। यह एक ‘वैचारिक निर्माण’ (Conceptual Construct) है, न कि एक नैतिक आदर्श।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने नौकरशाही, पूंजीवाद और धर्म जैसे सामाजिक घटनाओं के विश्लेषण के लिए आदर्श प्रकारों का उपयोग किया। इसका उद्देश्य वास्तविक दुनिया के जटिल अध्ययनों के लिए एक तुलनात्मक ढाँचा प्रदान करना था।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्य’ पर जोर दिया। मार्क्स ने ‘वर्ग संघर्ष’ और ‘साम्यवाद’ जैसे सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित किया। स्पेंसर ने सामाजिक विकास के विकासवादी सिद्धांत (Evolutionary Theory) दिए।
प्रश्न 12: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) का कौन सा रूप वंशानुगत नहीं है, बल्कि योग्यता और उपलब्धि पर आधारित होता है?
- दासता (Slavery)
- जाति (Caste)
- वर्ग (Class)
- संपदा (Estate)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 13: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा को किसने प्रस्तुत किया?
- ए.एल. क्रोबर
- विलियम एफ. ओगबर्न
- ई.बी. टेलर
- डेविड हम्मेल
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा को विलियम एफ. ओगबर्न ने प्रस्तुत किया था। यह तब होता है जब समाज के गैर-भौतिक संस्कृति (जैसे रीति-रिवाज, मूल्य, कानून) भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी, विज्ञान) में हुए तीव्र परिवर्तनों के साथ तालमेल बिठाने में पिछड़ जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: ओगबर्न ने अपनी पुस्तक ‘सोशल चेंज विद स्पेशल रेफरेंस टू चेंजिंग एटीट्यूड्स एंड वैल्यूज’ में इस पर प्रकाश डाला। उदाहरण के लिए, नई तकनीकें तेजी से विकसित होती हैं, लेकिन उन्हें विनियमित करने वाले कानून या सामाजिक नैतिकता धीरे-धीरे बदलते हैं।
- गलत विकल्प: क्रोबर ने संस्कृति के अध्ययन में योगदान दिया। ई.बी. टेलर मानव विज्ञान के पितामह माने जाते हैं। हम्मेल किसी प्रमुख समाजशास्त्रीय अवधारणा से सीधे तौर पर नहीं जुड़े हैं।
प्रश्न 14: समाजशास्त्र में, ‘समूह’ (Group) को परिभाषित करने के लिए कौन सा तत्व सबसे महत्वपूर्ण है?
- सभी सदस्यों का एक ही स्थान पर उपस्थित होना।
- सदस्यों के बीच एक-दूसरे के प्रति जागरूकता और पारस्परिक संबंध।
- समूह के सभी सदस्यों का एक जैसा व्यवहार करना।
- समूह के सदस्यों के पास समान आर्थिक पृष्ठभूमि होना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: समाजशास्त्र में, एक ‘समूह’ तब बनता है जब दो या दो से अधिक व्यक्ति एक-दूसरे के प्रति जागरूक होते हैं, एक-दूसरे के साथ बातचीत करते हैं, और एक-दूसरे पर प्रभाव डालते हैं। सदस्यों के बीच आपसी संबंध और जागरूकता समूह निर्माण का आधार है।
- संदर्भ और विस्तार: समूह केवल लोगों की भीड़ (Crowd) से भिन्न होता है, क्योंकि भीड़ में अस्थायी और असंगठित संपर्क होता है, जबकि समूह में अधिक स्थायी और संरचित संबंध होते हैं।
- गलत विकल्प: (a) सदस्य एक साथ उपस्थित हो सकते हैं, लेकिन यदि उनके बीच कोई संबंध नहीं है तो वे समूह नहीं बनाते। (c) समान व्यवहार आवश्यक नहीं है, बल्कि आपसी संपर्क और प्रभाव अधिक महत्वपूर्ण है। (d) समान आर्थिक पृष्ठभूमि समूह का एक कारक हो सकती है, लेकिन समूह के लिए यह आवश्यक नहीं है।
प्रश्न 15: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य बल किस पर होता है?
- बड़े पैमाने पर सामाजिक संस्थाओं का विश्लेषण।
- व्यक्तिगत स्तर पर अर्थ निर्माण और संचार।
- सामाजिक व्यवस्था में शक्ति संबंधों का अध्ययन।
- समाज में संरचनात्मक असमानताओं की पड़ताल।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद एक सूक्ष्म-स्तरीय (Micro-level) समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य है जो इस बात पर केंद्रित है कि व्यक्ति प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से एक-दूसरे के साथ कैसे बातचीत करते हैं और इस बातचीत के माध्यम से वे कैसे अर्थ (Meaning) का निर्माण करते हैं और अपनी पहचान विकसित करते हैं। जॉर्ज हर्बर्ट मीड इसके प्रमुख विचारकों में से हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत मानता है कि समाज लोगों द्वारा अपनी अंतःक्रियाओं में निर्मित होता है। यह व्यक्तियों के दृष्टिकोण, व्याख्याओं और आत्म-अवधारणाओं पर जोर देता है।
- गलत विकल्प: (a) यह बड़े पैमाने की संस्थाओं की बजाय व्यक्ति-स्तरीय अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है। (c) और (d) ये संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) या संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) के अधिक प्रमुख पहलू हैं।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सी एक ‘सामाजिक संस्था’ (Social Institution) नहीं है?
- परिवार
- धर्म
- पड़ोस
- शिक्षा
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: परिवार, धर्म, और शिक्षा जैसी संस्थाएँ समाज के बुनियादी कार्यों को करने के लिए संगठित और स्थिर पैटर्न हैं। ‘पड़ोस’ (Neighborhood) एक भौगोलिक या सामाजिक क्षेत्र को इंगित करता है, लेकिन यह स्वयं एक स्थापित और औपचारिक रूप से परिभाषित सामाजिक संस्था नहीं है, बल्कि यह विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के प्रभाव का क्षेत्र हो सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक संस्थाएँ वे संरचित प्रणालियाँ हैं जो समाज के सदस्यों के व्यवहार को निर्देशित करती हैं और समाज की आवश्यकताओं को पूरा करती हैं।
- गलत विकल्प: परिवार (विवाह, संतानोत्पत्ति), धर्म (विश्वास, अनुष्ठान), और शिक्षा (ज्ञान हस्तांतरण) सभी प्रमुख सामाजिक संस्थाएँ हैं।
प्रश्न 17: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) से क्या तात्पर्य है?
- किसी व्यक्ति या समूह द्वारा समाज में अपनी स्थिति बदलना।
- किसी व्यक्ति द्वारा नए सामाजिक समूहों में शामिल होना।
- समाज में विभिन्न वर्गों के बीच संबंध।
- समाज में होने वाले सांस्कृतिक परिवर्तन।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक गतिशीलता वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कोई व्यक्ति या समूह समाज के एक स्तर (Status) या स्थिति से दूसरे स्तर या स्थिति में जाता है। यह ऊर्ध्वाधर (Vertical) या क्षैतिज (Horizontal) हो सकती है, और पीढ़ी-अंतर्गत (Intergenerational) या पीढ़ी-के-भीतर (Intragenerational) हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह समाज की खुलीपन (Openness) या बंदपन (Closedness) का एक महत्वपूर्ण संकेतक है।
- गलत विकल्प: (b) नए समूहों में शामिल होना गतिशीलता का हिस्सा हो सकता है, लेकिन यह पूरी परिभाषा नहीं है। (c) वर्गों के बीच संबंध सामाजिक संरचना का हिस्सा है, गतिशीलता नहीं। (d) सांस्कृतिक परिवर्तन सामाजिक परिवर्तन का एक रूप है, लेकिन सामाजिक गतिशीलता विशेष रूप से स्थिति परिवर्तन से संबंधित है।
प्रश्न 18: भारतीय समाज में ‘औद्योगीकरण’ (Industrialization) का एक प्रमुख सामाजिक परिणाम क्या रहा है?
- पारंपरिक संयुक्त परिवार प्रणाली का सुदृढ़ीकरण।
- जातिगत पहचान की दृढ़ता।
- शहरीकरण और नए सामाजिक वर्गों का उदय।
- ग्रामीण जीवन का अधिक महत्व।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: औद्योगीकरण ने बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार के अवसरों के लिए गांवों से शहरों की ओर पलायन करने के लिए प्रेरित किया है, जिससे ‘शहरीकरण’ (Urbanization) की प्रक्रिया तेज हुई है। इसने नए औद्योगिक और व्यावसायिक वर्गों (जैसे श्रमिक वर्ग, मध्यम वर्ग) का उदय भी किया है।
- संदर्भ और विस्तार: इसने पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं, जैसे संयुक्त परिवार प्रणाली को भी प्रभावित किया है, जिससे एकल परिवार (Nuclear Family) का प्रचलन बढ़ा है, हालाँकि यह हमेशा एक सीधा प्रतिस्थापन नहीं है।
- गलत विकल्प: (a) संयुक्त परिवार प्रणाली का सुदृढ़ीकरण औद्योगीकरण का परिणाम नहीं, बल्कि इसका क्षरण या परिवर्तन अधिक रहा है। (b) औद्योगीकरण ने जातिगत भेदभाव को कम करने में योगदान दिया है, यद्यपि जाति अभी भी महत्वपूर्ण है। (d) ग्रामीण जीवन का महत्व कम हुआ है, शहरों का बढ़ा है।
प्रश्न 19: ‘अनोमी’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक नियमों के क्षरण से जुड़ी है, किस समाजशास्त्री द्वारा विकसित की गई?
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- तालकॉट पार्सन्स
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ‘अनोमी’ (Anomie) की अवधारणा को एमिल दुर्खीम ने विकसित किया था। यह एक ऐसी सामाजिक स्थिति का वर्णन करती है जहाँ समाज में सामूहिक चेतना (Collective Consciousness) या सामाजिक नियमों और मूल्यों का अभाव हो जाता है, जिससे व्यक्ति दिशाहीन और अनिश्चित महसूस करता है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने इसे अपनी पुस्तकों ‘द डिवीजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ और ‘ऑन द सुसाइड’ में आत्महत्या के एक कारण के रूप में भी विश्लेषित किया। यह अक्सर सामाजिक परिवर्तन या संकट के समय उत्पन्न होती है।
- गलत विकल्प: वेबर ने ‘पोटेंस्टाट’ (Potestat) जैसी अवधारणाएँ दीं। मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Alienation) पर जोर दिया। पार्सन्स ने ‘प्रणाली सिद्धांत’ (Systems Theory) में योगदान दिया।
प्रश्न 20: समाजशास्त्र में, ‘संस्कृति’ (Culture) से क्या तात्पर्य है?
- केवल कला, संगीत और साहित्य।
- लोगों के सीखने योग्य व्यवहार, ज्ञान, विश्वास, मूल्य और कलाकृतियाँ।
- किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत रुचियाँ और शौक।
- समाज के केवल भौतिक उत्पाद।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: समाजशास्त्र में, संस्कृति एक व्यापक अवधारणा है जिसमें लोगों द्वारा सीखे गए सभी व्यवहार, ज्ञान, विश्वास, मूल्य, आदर्श, कलाकृतियाँ, भाषा और सामाजिक मानदंड शामिल हैं। यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होती है और समाज के सदस्यों को एक साझा पहचान प्रदान करती है।
- संदर्भ और विस्तार: ई.बी. टेलर की परिभाषा के अनुसार, “संस्कृति वह जटिल सम्पूर्णता है जिसमें ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, प्रथा और कोई भी अन्य क्षमताएं और आदतें शामिल हैं, जो मनुष्य समाज के सदस्य के रूप में अर्जित करता है।”
- गलत विकल्प: (a) यह संस्कृति का केवल एक छोटा, उच्च-वर्गीय (Elite) हिस्सा है। (c) व्यक्तिगत रुचियाँ संस्कृति का हिस्सा हो सकती हैं, लेकिन संस्कृति इन से कहीं अधिक व्यापक है। (d) संस्कृति में भौतिक (Material) और अभौतिक (Non-material) दोनों तत्व शामिल होते हैं।
प्रश्न 21: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘द्वंद्वात्मक भौतिकवाद’ (Dialectical Materialism) के सिद्धांत से जुड़ा है?
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- ऑगस्ट कॉम्टे
- कार्ल मार्क्स
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: कार्ल मार्क्स को ‘द्वंद्वात्मक भौतिकवाद’ (Dialectical Materialism) के सिद्धांत से जोड़ा जाता है। यह एक दार्शनिक दृष्टिकोण है जो मानता है कि इतिहास और समाज भौतिक शक्तियों, विशेष रूप से आर्थिक उत्पादन की शक्तियों और वर्ग संघर्ष के माध्यम से विकसित होते हैं। द्वंद्ववाद (Dialectics) विरोधाभासों के माध्यम से परिवर्तन की प्रक्रिया का वर्णन करता है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने हीगेल के द्वंद्ववाद को भौतिकवादी आधार पर पुनर्व्याख्यायित किया। उन्होंने वर्ग संघर्ष को समाज के परिवर्तन का मुख्य इंजन माना।
- गलत विकल्प: वेबर ने नौकरशाही और धर्म पर काम किया। दुर्खीम ने सामाजिक तथ्य और एकजुटता पर ध्यान केंद्रित किया। कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने ‘प्रत्यक्षवाद’ (Positivism) विकसित किया।
प्रश्न 22: ‘जाति’ (Caste) व्यवस्था की मुख्य विशेषता क्या है जो इसे अन्य स्तरीकरण प्रणालियों से अलग करती है?
- यह पूरी तरह से योग्यता और उपलब्धि पर आधारित है।
- इसमें विवाह के लिए पूर्ण स्वतंत्रता होती है।
- यह जन्म पर आधारित है, कठोर है, और इसमें अंतर्विवाह (Endogamy) का प्रचलन है।
- इसमें सामाजिक गतिशीलता की उच्च संभावना होती है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: भारतीय जाति व्यवस्था की मुख्य पहचान जन्म पर आधारित कठोर स्तरीकरण, व्यवसाय का वंशानुगत निर्धारण, अंतर्विवाह (अपने ही जाति समूह में विवाह), और विभिन्न जातियों के बीच सामाजिक दूरी और अनुष्ठानिक शुद्धता (Ritual Purity) की अवधारणाएँ हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक बंद (Closed) स्तरीकरण प्रणाली मानी जाती है जहाँ व्यक्ति की सामाजिक स्थिति उसके जन्म से तय हो जाती है और इसमें परिवर्तन की संभावना बहुत कम होती है।
- गलत विकल्प: (a) यह योग्यता पर नहीं, बल्कि जन्म पर आधारित है। (b) इसमें अंतर्विवाह अनिवार्य है, जो विवाह की स्वतंत्रता को सीमित करता है। (d) इसमें सामाजिक गतिशीलता की संभावना अत्यंत कम होती है।
प्रश्न 23: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) का सबसे प्रभावी रूप कौन सा है?
- दंड और कारावास।
- समाज द्वारा स्वीकृत और आंतरिककृत मूल्य और मानदंड।
- पुलिस और न्यायपालिका।
- जनसंचार माध्यमों का प्रभाव।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक नियंत्रण के कई साधन होते हैं, लेकिन सबसे प्रभावी और स्थायी रूप वह है जब समाज के सदस्य मूल्यों, विश्वासों और सामाजिक मानदंडों को आंतरिककृत (Internalize) कर लेते हैं। जब लोग स्वेच्छा से और अपनी चेतना के अनुसार सामाजिक अपेक्षाओं का पालन करते हैं, तो यह सबसे मजबूत नियंत्रण होता है।
- संदर्भ और विस्तार: बाहरी नियंत्रण (जैसे दंड) प्रभावी हो सकते हैं, लेकिन आंतरिक नियंत्रण व्यवहार को अधिक स्थायी रूप से आकार देता है। दुर्खीम ने ‘सामूहिक चेतना’ के महत्व पर जोर दिया था, जो आंतरिक नियंत्रण का एक रूप है।
- गलत विकल्प: (a) और (c) प्रत्यक्ष/बाहरी नियंत्रण के उदाहरण हैं। (d) जनसंचार माध्यमों का प्रभाव हो सकता है, लेकिन यह आंतरिककरण की तुलना में कम स्थायी हो सकता है।
प्रश्न 24: ‘औपचारिक संगठन’ (Formal Organization) की प्राथमिक विशेषता क्या है?
- अनौपचारिक संबंध और व्यक्तिगत भावनाएँ।
- स्पष्ट रूप से परिभाषित लक्ष्य, नियम, पद-सोपान और श्रम विभाजन।
- सदस्यों के बीच घनिष्ठ व्यक्तिगत संबंध।
- लचीला और परिवर्तनशील संरचना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एक औपचारिक संगठन को स्पष्ट रूप से परिभाषित लक्ष्यों, नियमों, प्रक्रियाओं, एक पदानुक्रमित संरचना (Hierarchy) और कार्यों के विशेषज्ञता (Division of Labor) द्वारा पहचाना जाता है। इसका उद्देश्य दक्षता और पूर्वानुमेयता (Predictability) प्राप्त करना होता है। वेबर के नौकरशाही मॉडल के सिद्धांत औपचारिक संगठनों पर लागू होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, अनौपचारिक संगठन (जैसे मित्र मंडली) कम संरचित होते हैं और व्यक्तिगत संबंधों पर आधारित होते हैं।
- गलत विकल्प: (a) अनौपचारिक संबंध औपचारिक संगठन की विशेषता नहीं हैं। (c) घनिष्ठ व्यक्तिगत संबंध अनौपचारिक समूहों की विशेषता है। (d) जबकि औपचारिक संगठनों में परिवर्तन हो सकता है, उनकी प्राथमिक विशेषता निश्चित संरचनाएं हैं, लचीलापन नहीं।
प्रश्न 25: भारतीय समाज में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया का एक संभावित नकारात्मक सामाजिक परिणाम क्या हो सकता है?
- शिक्षा का प्रसार।
- महिलाओं की स्थिति में सुधार।
- पारंपरिक मूल्यों और संस्थाओं का क्षरण।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: आधुनिकीकरण, जो प्रौद्योगिकी, औद्योगीकरण, शहरीकरण और तर्कसंगतता (Rationality) से जुड़ा है, अक्सर पारंपरिक मूल्यों, विश्वासों, सामाजिक संबंधों और संस्थाओं (जैसे विस्तारित परिवार, सामुदायिक बंधन) के क्षरण (Erosion) का कारण बन सकता है। यह सामाजिक विघटन (Social Disintegration) या पहचान संकट (Identity Crisis) को जन्म दे सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: जबकि आधुनिकीकरण के कई सकारात्मक पहलू हैं, इसके आलोचक पारंपरिक सामाजिक ताने-बाने के कमजोर होने और व्यक्तिगत अलगाव में वृद्धि की ओर इशारा करते हैं।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सभी को आमतौर पर आधुनिकीकरण के सकारात्मक परिणाम माना जाता है।