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कालचक्र का सफ़र: आज के इतिहास ज्ञान की परीक्षा!

कालचक्र का सफ़र: आज के इतिहास ज्ञान की परीक्षा!

आइए, इतिहास के गलियारों में एक रोमांचक यात्रा पर निकल पड़ें! यह सिर्फ एक क्विज नहीं, बल्कि समय के उस ताने-बाने को समझने का एक मौका है जिसने हमारे आज को आकार दिया है। अपनी तैयारी को धार दें और देखें कि आप अतीत के कितने रहस्यों को उजागर कर पाते हैं!

इतिहास अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: निम्नलिखित में से किस स्थल से प्रारंभिक हड़प्पा काल की सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक खोजों में से एक, ‘मानव मुख’ के साथ तांबे का एक रथ मिला?

  1. हड़प्पा
  2. मोहनजोदड़ो
  3. चान्हूदड़ो
  4. दायमाबाद

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: दायमाबाद, जो कि गोदावरी नदी की सहायक प्रवरा नदी के किनारे स्थित है, प्रारंभिक हड़प्पा काल (लगभग 2300-2000 ईसा पूर्व) का एक महत्वपूर्ण स्थल है। यहाँ से ‘मानव मुख’ के साथ तांबे का एक रथ, एक हाथी, एक गेंडा और एक भैंसा मिला है, जो उस समय की उन्नत धातु कर्म कला का प्रमाण है।
  • संदर्भ और विस्तार: दायमाबाद को हड़प्पा सभ्यता का दक्षिणी विस्तार भी माना जाता है। यहाँ मिली कलाकृतियाँ उस काल की सामाजिक-धार्मिक मान्यताओं और तकनीकी कौशल पर प्रकाश डालती हैं।
  • गलत विकल्प: हड़प्पा और मोहनजोदड़ो महत्वपूर्ण हड़प्पा स्थल हैं जहाँ से मुहरें, मूर्तियाँ और बड़े ढांचे मिले हैं, लेकिन तांबे का यह विशिष्ट रथ दायमाबाद से ही प्राप्त हुआ है। चान्हूदड़ो एक शिल्प केंद्र था जहाँ से मनके और औजार मिले।

प्रश्न 2: ऋग्वेद में ‘सारस्वत’ नदी का उल्लेख किस अन्य नदी के साथ किया गया है, जिसे वेदों में पवित्रतम नदी माना गया है?

  1. सिंधु
  2. गंगा
  3. यमुना
  4. सतलुज

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: ऋग्वेद में ‘सारस्वत’ (सरस्वती) नदी का उल्लेख बार-बार मिलता है और इसे देवों द्वारा निर्मित, पवित्रतम नदी कहा गया है। इसका उल्लेख सिंधु नदी के साथ भी किया गया है, जो उस समय की प्रमुख नदियों में से एक थी।
  • संदर्भ और विस्तार: सरस्वती नदी को ‘नदीतमा’ (नदियों में श्रेष्ठ) भी कहा गया है। इसके सूखने को एक महत्वपूर्ण भौगोलिक और सांस्कृतिक परिवर्तन माना जाता है। वैदिक काल के लोगों का जीवन नदी प्रणालियों पर बहुत अधिक निर्भर था।
  • गलत विकल्प: गंगा और यमुना का उल्लेख ऋग्वेद में बहुत कम और बाद के वेदों में अधिक प्रमुखता से हुआ है। सतलुज (जिसे वैदिक काल में ‘शुतुद्री’ कहा गया) का उल्लेख भी है, लेकिन पवित्रता के मामले में सरस्वती को सर्वोपरि माना गया है।

प्रश्न 3: मौर्य साम्राज्य के किस शासक को ‘भारतीय इतिहास का पहला वास्तविक सम्राट’ माना जाता है?

  1. चंद्रगुप्त मौर्य
  2. बिंदुसार
  3. अशोक
  4. कनिष्क

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: चंद्रगुप्त मौर्य (शासनकाल लगभग 322-298 ईसा पूर्व) को भारतीय इतिहास का पहला वास्तविक सम्राट माना जाता है क्योंकि उन्होंने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की, जो उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में प्रायद्वीप के अधिकांश भाग तक फैला हुआ था।
  • संदर्भ और विस्तार: चंद्रगुप्त ने धनानंद को हराकर नंद वंश का अंत किया और अपनी राजधानी पाटलिपुत्र से शासन किया। उनके प्रधानमंत्री कौटिल्य (चाणक्य) ने ‘अर्थशास्त्र’ की रचना की, जो राज्य कला और प्रशासन का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है।
  • गलत विकल्प: बिंदुसार चंद्रगुप्त के पुत्र थे और उन्होंने साम्राज्य को बनाए रखा। अशोक चंद्रगुप्त के पोते थे जिन्होंने कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म अपनाया और अपने शासनकाल में शांति और धर्म के प्रसार पर जोर दिया। कनिष्क कुषाण वंश का शासक था, मौर्य काल के बाद।

प्रश्न 4: गुप्त काल में ‘भारतीय नेपोलियन’ की उपाधि से किसे विभूषित किया गया?

  1. चंद्रगुप्त प्रथम
  2. समुद्रगुप्त
  3. चंद्रगुप्त द्वितीय
  4. कुमारगुप्त

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: समुद्रगुप्त (शासनकाल लगभग 335-380 ईस्वी) को उनकी विजयों और साम्राज्य विस्तार के कारण ‘भारतीय नेपोलियन’ कहा जाता है। यह उपाधि इतिहासकार ए. एल. श्रीवास्तव द्वारा दी गई थी।
  • संदर्भ और विस्तार: समुद्रगुप्त ने अपने विस्तृत सैन्य अभियानों द्वारा उत्तर भारत के अधिकांश राजाओं को पराजित किया और दक्षिणापथ के शासकों को भी अधीन किया। प्रयाग प्रशस्ति (हरिषेण द्वारा रचित) उनके विजयों का विस्तृत विवरण देती है।
  • गलत विकल्प: चंद्रगुप्त प्रथम ने गुप्त वंश की नींव रखी और एक मजबूत साम्राज्य की स्थापना की। चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) ने मालवा पर विजय प्राप्त की और कला एवं साहित्य को संरक्षण दिया। कुमारगुप्त ने नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना में योगदान दिया।

प्रश्न 5: दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान ने ‘दीवान-ए-बंदगान’ नामक एक विशेष विभाग की स्थापना की थी?

  1. कुतुबुद्दीन ऐबक
  2. इल्तुतमिश
  3. बलबन
  4. फिरोज शाह तुगलक

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: फिरोज शाह तुगलक (शासनकाल 1351-1388 ईस्वी) ने ‘दीवान-ए-बंदगान’ की स्थापना की, जो गुलामों (बंदगान) के कल्याण और प्रबंधन के लिए एक शाही विभाग था।
  • संदर्भ और विस्तार: फिरोज शाह तुगलक ने गुलामों की संख्या बढ़ाने और उनके उचित रखरखाव के लिए इस विभाग का गठन किया था। उस समय बड़ी संख्या में गुलाम सेना और प्रशासन में नियुक्त किए जाते थे। उन्होंने नहरों का निर्माण, तीर्थयात्रा करों को समाप्त करना और जकात को पुनः लागू करना जैसे सुधार भी किए।
  • गलत विकल्प: कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली सल्तनत का संस्थापक था। इल्तुतमिश ने दिल्ली को राजधानी बनाया और एकता प्रणाली की शुरुआत की। बलबन ने ‘राजत्व के दैवीय सिद्धांत’ को लागू किया और अपने सैन्य सुधारों के लिए जाना जाता है।

प्रश्न 6: विजयनगर साम्राज्य के किस शासक ने ‘अष्टदिग्गज’ नामक तेलुगु साहित्य के आठ महान विद्वानों को संरक्षण दिया?

  1. देवराय प्रथम
  2. कृष्णदेव राय
  3. देवराय द्वितीय
  4. सदाशिव राय

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: विजयनगर साम्राज्य के महान शासक कृष्णदेव राय (शासनकाल 1509-1529 ईस्वी) ने तेलुगु साहित्य को बहुत संरक्षण दिया। उनके दरबार में ‘अष्टदिग्गज’ (आठ दिशाओं के हाथी, जो आठ महान कवियों का प्रतीक हैं) नामक आठ तेलुगु विद्वान थे।
  • संदर्भ और विस्तार: अष्टदिग्गज के प्रमुख कवियों में अल्लसानी वेदान्ना, धुरजति और तेनाली रामकृष्ण शामिल थे। कृष्णदेव राय स्वयं एक कुशल विद्वान और कवि थे, जिनकी रचना ‘आमुक्तमाल्यदा’ तेलुगु साहित्य का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
  • गलत विकल्प: देवराय प्रथम और द्वितीय ने भी कला और साहित्य को संरक्षण दिया, लेकिन ‘अष्टदिग्गज’ की उपाधि कृष्णदेव राय से विशेष रूप से जुड़ी है। सदाशिव राय के शासनकाल में साम्राज्य को कई आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

प्रश्न 7: 1857 के विद्रोह के दौरान, किस भारतीय शासक ने अंग्रेजों की सहायता करने से इनकार कर दिया था?

  1. रानी लक्ष्मीबाई (झांसी)
  2. नाना साहेब (बिठूर)
  3. निजाम हैदराबाद
  4. महाराजा पटियाला

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: 1857 के विद्रोह के दौरान, हैदराबाद के निजाम (निजाम मीर तैयब अली खान) ने विद्रोहियों का समर्थन नहीं किया और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रति अपनी निष्ठा बनाए रखी।
  • संदर्भ और विस्तार: कई भारतीय शासकों ने विद्रोहियों का समर्थन किया, जैसे कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, कानपुर के नाना साहेब और अवध की बेगम हजरत महल। हालांकि, हैदराबाद, मैसूर, त्रावणकोर और कुछ अन्य राज्यों के शासकों ने अपनी स्थिति को देखते हुए अंग्रेजों का साथ दिया या तटस्थ रहे। पटियाला के महाराजा ने भी अंग्रेजों का साथ दिया था।
  • गलत विकल्प: रानी लक्ष्मीबाई और नाना साहेब प्रमुख विद्रोही नेता थे। निजाम हैदराबाद की निष्ठा कंपनी के प्रति थी, इसलिए उन्होंने सहायता से इनकार नहीं किया बल्कि अंग्रेजों का समर्थन किया।

  • प्रश्न 8: ‘सहायक संधि’ (Subsidiary Alliance) की नीति को भारत में किसने व्यवस्थित रूप से लागू किया?

    1. लॉर्ड कार्नवालिस
    2. लॉर्ड वेलेजली
    3. लॉर्ड डलहौजी
    4. लॉर्ड विलियम बेंटिंक

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: लॉर्ड वेलेजली (शासनकाल 1798-1805 ईस्वी) ने सहायक संधि की नीति को भारत में एक व्यवस्थित नीति के रूप में लागू किया, जिसने ब्रिटिश प्रभाव और नियंत्रण का विस्तार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • संदर्भ और विस्तार: इस संधि के तहत, भारतीय शासक अपनी सेना को भंग कर ब्रिटिश सेना रखेंगे, ब्रिटिश रेजीडेंट को अपने दरबार में रखेंगे, और किसी अन्य यूरोपीय शक्ति से संबंध नहीं रखेंगे। इसके बदले में, ब्रिटिश कंपनी उनकी बाहरी शत्रुओं से रक्षा करने का वचन देती थी। अवध, हैदराबाद, मैसूर और तंजौर जैसे राज्यों ने इस संधि को स्वीकार किया।
    • गलत विकल्प: लॉर्ड कार्नवालिस ने स्थायी बंदोबस्त लागू किया। लॉर्ड डलहौजी ‘व्यपगत का सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने सती प्रथा का उन्मूलन जैसे सामाजिक सुधार किए।

    प्रश्न 9: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के किस अधिवेशन में ‘पूर्ण स्वराज’ का संकल्प अपनाया गया?

    1. कलकत्ता अधिवेशन, 1928
    2. लाहौर अधिवेशन, 1929
    3. कराची अधिवेशन, 1931
    4. लखनऊ अधिवेशन, 1916

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन, दिसंबर 1929 में, जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में ‘पूर्ण स्वराज’ (संपूर्ण स्वतंत्रता) का संकल्प सर्वसम्मति से पारित किया गया।
    • संदर्भ और विस्तार: इस अधिवेशन में यह भी निर्णय लिया गया कि 26 जनवरी, 1930 को ‘स्वतंत्रता दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। इस अधिवेशन ने कांग्रेस की मुख्य मांग को डोमिनियन स्टेटस (औपनिवेशिक स्वराज्य) से बदलकर पूर्ण स्वतंत्रता कर दिया, जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
    • गलत विकल्प: कलकत्ता अधिवेशन, 1928 में मोतीलाल नेहरू रिपोर्ट पर विचार किया गया था, जिसमें डोमिनियन स्टेटस की मांग की गई थी। कराची अधिवेशन, 1931 में मौलिक अधिकारों और राष्ट्रीय आर्थिक कार्यक्रमों का प्रस्ताव पारित हुआ था। लखनऊ अधिवेशन, 1916 (जिन्ना और तिलक की भूमिका) ने कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच समझौता कराया था।

    प्रश्न 10: ‘नील दर्पण’ (Nil Darpan) नाटक के लेखक कौन हैं?

    1. बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय
    2. दीनबंधु मित्र
    3. सुरेन्द्रनाथ बनर्जी
    4. अरबिंदो घोष

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: ‘नील दर्पण’ नाटक के लेखक दीनबंधु मित्र हैं। यह नाटक 1859 में प्रकाशित हुआ था और बंगाल में नील विद्रोह (1859-1860) के दौरान किसानों पर यूरोपीय नील उत्पादकों द्वारा किए गए अत्याचारों का मार्मिक चित्रण करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह नाटक बंगाली भाषा में लिखा गया था और इसका अंग्रेजी में अनुवाद तत्कालीन सरकारी अधिकारी एच. रीडले द्वारा किया गया था। यह किसानों के शोषण की क्रूरता को दर्शाने में बहुत प्रभावशाली साबित हुआ और इसने नील विद्रोह को जनता का समर्थन दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • गलत विकल्प: बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने ‘आनंदमठ’ लिखा था, जिसमें ‘वंदे मातरम’ गीत है। सुरेन्द्रनाथ बनर्जी एक प्रमुख राष्ट्रवादी नेता थे और उन्होंने ‘द नेशन’ समाचार पत्र की स्थापना की। अरबिंदो घोष एक क्रांतिकारी नेता और दार्शनिक थे।

    प्रश्न 11: किस प्राचीन भारतीय ग्रंथ में ‘सप्त-पर्णी गुफा’ का उल्लेख मिलता है, जहाँ पहली बौद्ध संगीति आयोजित की गई थी?

    1. विनय पिटक
    2. सुत्त पिटक
    3. अभिधम्म पिटक
    4. जातक कथाएं

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: ‘विनय पिटक’ ग्रंथ में पहली बौद्ध संगीति के आयोजन का वर्णन मिलता है, जो राजगृह के पास ‘सप्त-पर्णी गुफा’ (Saptaparni Cave) में हुई थी।
    • संदर्भ और विस्तार: पहली बौद्ध संगीति का आयोजन मगध के राजा अजातशत्रु के संरक्षण में हुआ था और इसकी अध्यक्षता महाकश्यप ने की थी। इसका मुख्य उद्देश्य बुद्ध के उपदेशों को व्यवस्थित करना (विशेष रूप से विनय और धम्म) था।
    • गलत विकल्प: सुत्त पिटक में बुद्ध के प्रवचन संग्रहीत हैं। अभिधम्म पिटक में दार्शनिक और मनोवैज्ञानिक विश्लेषण है। जातक कथाओं में बुद्ध के पूर्व जन्मों की कहानियाँ हैं।

    प्रश्न 12: ‘शून्यवाद’ (Sunyavada) के सिद्धांत का प्रतिपादन किस बौद्ध दार्शनिक ने किया?

    1. नागार्जुन
    2. आर्यदेव
    3. बुद्धघोष
    4. असंग

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: नागार्जुन (लगभग 150-250 ईस्वी) को ‘शून्यवाद’ या ‘शून्यता’ के सिद्धांत का प्रमुख प्रतिपादक माना जाता है। उन्होंने ‘माध्यमक सूत्र’ नामक ग्रंथ में इस विचार को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत किया।
    • संदर्भ और विस्तार: शून्यवाद का अर्थ है कि सभी वस्तुएं और घटनाएं ‘शून्य’ (खाली) हैं, अर्थात् उनका अपना कोई स्वतंत्र, स्थायी या अंतर्निहित अस्तित्व नहीं है। वे केवल अन्य चीजों पर निर्भर हैं (अन्य-निर्वचन)। यह सिद्धांत महायान बौद्ध धर्म के दार्शनिक आधार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
    • गलत विकल्प: आर्यदेव नागार्जुन के शिष्य थे और उन्होंने भी शून्यवाद पर लिखा। बुद्धघोष थेरवाद परंपरा के एक प्रमुख विद्वान थे। असंग और वसुबंधु योगाचार (चित्तमात्र) दर्शन के प्रमुख प्रतिपादक थे।

    प्रश्न 13: दिल्ली सल्तनत में ‘इक्ता प्रणाली’ का जनक किसे माना जाता है?

    1. कुतुबुद्दीन ऐबक
    2. इल्तुतमिश
    3. बलबन
    4. अलाउद्दीन खिलजी

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: इल्तुतमिश (शासनकाल 1211-1236 ईस्वी) को दिल्ली सल्तनत में ‘इक्ता प्रणाली’ को सुव्यवस्थित और व्यापक रूप से लागू करने का श्रेय दिया जाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: इक्ता एक प्रकार की भूमि अनुदान थी जो सुल्तान अपने वफादार अमीरों और सैन्य अधिकारियों को उनकी सेवा के बदले देता था। इक्तादार को उस भूमि से राजस्व वसूलने और अपने सैनिकों को बनाए रखने का अधिकार था। इस प्रणाली ने केंद्रीय प्रशासन को मजबूत करने और सैन्य शक्ति बनाए रखने में मदद की।
    • गलत विकल्प: कुतुबुद्दीन ऐबक सल्तनत का संस्थापक था लेकिन इक्ता प्रणाली को स्थापित करने का श्रेय इल्तुतमिश को है। बलबन ने चालीसा दल को समाप्त किया और सुल्तान की शक्ति को केंद्रीकृत किया। अलाउद्दीन खिलजी ने इक्ता प्रणाली को समाप्त कर सीधे राज्य द्वारा भूमि का प्रबंधन शुरू किया।

    प्रश्न 14: किस मुगल सम्राट ने ‘दीन-ए-इलाही’ नामक एक नए धर्म की शुरुआत की?

    1. अकबर
    2. जहांगीर
    3. शाहजहाँ
    4. औरंगजेब

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: मुगल सम्राट अकबर (शासनकाल 1556-1605 ईस्वी) ने 1582 ईस्वी में ‘दीन-ए-इलाही’ (ईश्वर का धर्म) नामक एक संश्लेषणवादी धर्म या आचार संहिता की शुरुआत की।
    • संदर्भ और विस्तार: इसका उद्देश्य विभिन्न धार्मिक विश्वासों के बीच सामंजस्य स्थापित करना और साम्राज्य में एकता लाना था। यह किसी विशेष धर्म की तरह नहीं था, बल्कि इसमें विभिन्न धर्मों के नैतिक और दार्शनिक विचार शामिल थे, जैसे कि इस्लाम, हिंदू धर्म, पारसी धर्म, ईसाई धर्म आदि। अकबर स्वयं इसके प्रमुख अनुयायी थे।
    • गलत विकल्प: जहांगीर ने ‘न्याय की जंजीर’ स्थापित की। शाहजहाँ कला और वास्तुकला के अपने संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है। औरंगजेब ने इस्लामी शरिया को अधिक सख्ती से लागू किया और संगीत पर प्रतिबंध लगाया।

    प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सी प्रथा ‘सहायक संधि’ का हिस्सा नहीं थी?

    1. देशी शासक अपनी सेना भंग करेगा।
    2. देशी शासक ब्रिटिश सेना का व्यय वहन करेगा।
    3. देशी शासक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अनुमति के बिना किसी भी यूरोपीय को अपनी सेवा में नहीं रखेगा।
    4. देशी शासक अपने राज्य के घरेलू मामलों में पूर्णतः स्वतंत्र रहेगा।

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: सहायक संधि का एक प्रमुख हिस्सा यह था कि देशी शासक अपने राज्य के घरेलू मामलों में ब्रिटिश रेजीडेंट के हस्तक्षेप के अधीन होता था। इसलिए, वे पूर्णतः स्वतंत्र नहीं रह सकते थे।
    • संदर्भ और विस्तार: संधि के अन्य बिंदु जैसे अपनी सेना भंग करना, ब्रिटिश सेना का खर्च उठाना, और ब्रिटिश अनुमति के बिना यूरोपीय को सेवा में न रखना, देशी राज्यों की संप्रभुता को कम करते थे और उन्हें ब्रिटिश नियंत्रण में लाते थे।
    • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) सहायक संधि के अनिवार्य अंग थे, जो शासक की स्वतंत्रता को सीमित करते थे। विकल्प (d) सही नहीं है क्योंकि शासक घरेलू मामलों में भी स्वतंत्र नहीं रहता था।

    प्रश्न 16: 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का तात्कालिक कारण क्या था?

    1. क्रिप्स मिशन की विफलता
    2. जापान द्वारा बर्मा पर विजय
    3. द्वितीय विश्व युद्ध में भारत का झोंक दिया जाना
    4. तीनों

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के पीछे क्रिप्स मिशन की विफलता, जापान का बढ़ता खतरा (बर्मा पर विजय), और द्वितीय विश्व युद्ध में भारत को बिना भारतीयों की सहमति के झोंक दिया जाना, ये सभी तात्कालिक कारण थे।
    • संदर्भ और विस्तार: क्रिप्स मिशन, जो युद्ध के बाद भारत को डोमिनियन स्टेटस देने का प्रस्ताव लेकर आया था, कांग्रेस द्वारा अस्वीकृत कर दिया गया क्योंकि यह पूर्ण स्वतंत्रता की मांग को पूरा नहीं करता था। इसके अलावा, युद्ध की आशंका और ब्रिटिश सरकार की निरंकुशता ने महात्मा गांधी को ‘करो या मरो’ के नारे के साथ एक जन आंदोलन शुरू करने के लिए प्रेरित किया।
    • गलत विकल्प: यद्यपि ये सभी कारण थे, प्रश्न में ‘तात्कालिक कारण’ पूछा गया है, और ये सभी मिलकर आंदोलन की पृष्ठभूमि बनाते हैं। इसलिए, ‘तीनों’ विकल्प सबसे उपयुक्त है।

    प्रश्न 17: भारतीय पुनर्जागरण के अग्रदूत राजा राम मोहन राय ने किस वर्ष ‘ब्रह्म समाज’ की स्थापना की?

    1. 1815
    2. 1820
    3. 1828
    4. 1833

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: राजा राम मोहन राय ने 20 अगस्त, 1828 को ‘ब्रह्म समाज’ की स्थापना की थी।
    • संदर्भ और विस्तार: ब्रह्म समाज एकेश्वरवाद, सामाजिक सुधार और अंधविश्वासों के उन्मूलन पर केंद्रित एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक आंदोलन था। राजा राम मोहन राय को ‘भारतीय पुनर्जागरण का पिता’ और ‘आधुनिक भारत का अग्रदूत’ भी कहा जाता है। उन्होंने सती प्रथा के उन्मूलन के लिए भी कड़ा संघर्ष किया।
    • गलत विकल्प: 1815 में उन्होंने ‘आत्मीय सभा’ की स्थापना की थी, जो ब्रह्म समाज का पूर्ववर्ती था। 1833 में उनका निधन हो गया।

    प्रश्न 18: निम्नलिखित में से किस ग्रंथ को ‘वेदों का सार’ कहा जाता है?

    1. उपनिषद
    2. ब्राह्मण ग्रंथ
    3. आरण्यक
    4. पुराण

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: उपनिषदों को ‘वेदों का सार’ या ‘वेदांत’ कहा जाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: उपनिषद वैदिक साहित्य के अंतिम भाग हैं और इनमें आत्मा, ब्रह्म, ईश्वर, और मोक्ष जैसे दार्शनिक विचारों का विस्तृत वर्णन है। ये ग्रंथ कर्मकांडों की बजाय ज्ञान और चिंतन पर अधिक जोर देते हैं।
    • गलत विकल्प: ब्राह्मण ग्रंथ वेदों की व्याख्याएँ हैं जो यज्ञों और अनुष्ठानों पर केंद्रित हैं। आरण्यक वनवासी ऋषियों द्वारा रचे गए हैं और इनमें कर्मकांड के गूढ़ अर्थ बताए गए हैं। पुराण धार्मिक और ऐतिहासिक कथाओं का संग्रह हैं।

    प्रश्न 19: किस गुप्त शासक को ‘विक्रमादित्य’ की उपाधि से भी जाना जाता था?

    1. समुद्रगुप्त
    2. चंद्रगुप्त द्वितीय
    3. कुमारगुप्त
    4. स्कंदगुप्त

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: चंद्रगुप्त द्वितीय (शासनकाल 380-415 ईस्वी) को उनके विजयों के उपलक्ष्य में ‘विक्रमादित्य’ की उपाधि से विभूषित किया गया था।
    • संदर्भ और विस्तार: चंद्रगुप्त द्वितीय ने शक शासकों को पराजित किया था और मालवा को अपने साम्राज्य में मिला लिया था। उनके शासनकाल को गुप्त साम्राज्य का स्वर्ण युग माना जाता है। उनके दरबार में कालिदास जैसे महान विद्वान थे।
    • गलत विकल्प: समुद्रगुप्त को ‘भारतीय नेपोलियन’ कहा जाता है। कुमारगुप्त ने नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना में योगदान दिया। स्कंदगुप्त ने हुणों के आक्रमण को सफलतापूर्वक रोका था।

    प्रश्न 20: ‘तैमूर-ए-लंग’ (Tamerlane) ने भारत पर कब आक्रमण किया?

    1. 1398
    2. 1494
    3. 1526
    4. 1600

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: तैमूर-ए-लंग (समरकंद का शासक) ने 1398 ईस्वी में दिल्ली सल्तनत पर आक्रमण किया था।
    • संदर्भ और विस्तार: उस समय दिल्ली पर नसीरुद्दीन महमूद तुगलक का शासन था। तैमूर के आक्रमण ने दिल्ली सल्तनत को अत्यंत कमजोर कर दिया, जिससे सैयद और लोदी वंशों का उदय हुआ। यह आक्रमण अत्यंत विनाशकारी था और इसमें दिल्ली को लूटा और जलाया गया था।
    • गलत विकल्प: 1494 में बाबर का फरगना से निष्कासन हुआ। 1526 में बाबर ने पानीपत का पहला युद्ध जीता और मुगल साम्राज्य की स्थापना की। 1600 में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई।

    प्रश्न 21: भारत में ‘गिल्टी मैन ऑफ पार्टीशन’ (Guilty Man of Partition) किसे कहा जाता है?

    1. महात्मा गांधी
    2. जवाहरलाल नेहरू
    3. लॉर्ड माउंटबेटन
    4. विंस्टन चर्चिल

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: डॉ. राम मनोहर लोहिया ने लॉर्ड माउंटबेटन को ‘भारत के विभाजन का दोषी व्यक्ति’ (Guilty Man of Partition) कहा था।
    • संदर्भ और विस्तार: डॉ. लोहिया का तर्क था कि माउंटबेटन ने अपने निहित स्वार्थों और ब्रिटिश साम्राज्य के हितों को ध्यान में रखते हुए, भारत के विभाजन की प्रक्रिया को जल्दबाजी और अव्यवस्था से आगे बढ़ाया, जिससे देश को भारी मानवीय त्रासदी का सामना करना पड़ा।
    • गलत विकल्प: महात्मा गांधी विभाजन के विरोधी थे। जवाहरलाल नेहरू और कांग्रेस ने अंततः विभाजन को स्वीकार किया, लेकिन यह लॉर्ड माउंटबेटन की भूमिका को कम नहीं करता, जिन्हें विभाजन के निर्णय और उसके कार्यान्वयन में केंद्रीय भूमिका निभाने वाला माना जाता है। चर्चिल भारत की स्वतंत्रता के विरोधी थे, लेकिन विभाजन के सीधे दोषी के तौर पर माउंटबेटन को देखा जाता है।

    प्रश्न 22: सम्राट हर्षवर्धन ने अपनी राजधानी दिल्ली से कहाँ स्थानांतरित की थी?

    1. पाटलिपुत्र
    2. कन्नौज
    3. मथुरा
    4. वाराणसी

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: सम्राट हर्षवर्धन (शासनकाल 606-647 ईस्वी) ने अपनी राजधानी थानेश्वर (वर्तमान हरियाणा) से कन्नौज (उत्तर प्रदेश) स्थानांतरित की थी।
    • संदर्भ और विस्तार: हर्षवर्धन एक शक्तिशाली शासक था जिसने उत्तरी भारत के बड़े हिस्से पर शासन किया। कन्नौज को अपनी राजधानी बनाकर उसने अपने साम्राज्य के केंद्र को गंगा के उपजाऊ मैदान में स्थापित किया, जो व्यापार और प्रशासन के लिए अधिक महत्वपूर्ण था। चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने भी हर्षवर्धन के शासनकाल में कन्नौज का दौरा किया था।
    • गलत विकल्प: पाटलिपुत्र मौर्य और गुप्त काल की राजधानी रही थी। दिल्ली एक बहुत बाद की राजधानी है।

    प्रश्न 23: 1906 में ढाका में ‘मुस्लिम लीग’ की स्थापना किसने की थी?

    1. सर सैयद अहमद खान
    2. अब्बास तैयबजी
    3. नवाब सलीमुल्लाह
    4. मौलाना मोहम्मद अली जौहर

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: 1906 में ढाका (वर्तमान बांग्लादेश) में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग की स्थापना नवाब सलीमुल्लाह खान के नेतृत्व में हुई थी।
    • संदर्भ और विस्तार: इस संगठन की स्थापना का उद्देश्य मुसलमानों के राजनीतिक अधिकारों की रक्षा करना और ब्रिटिश सरकार के प्रति उनकी निष्ठा बनाए रखना था। यह भारत में सांप्रदायिकता के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
    • गलत विकल्प: सर सैयद अहमद खान अलीगढ़ आंदोलन के संस्थापक थे और उन्होंने 1875 में ‘मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज’ की स्थापना की, जो बाद में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बना। अब्बास तैयबजी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े थे। मौलाना मोहम्मद अली जौहर खिलाफत आंदोलन के प्रमुख नेता थे।

    प्रश्न 24: ‘वेदांत कॉलेज’ की स्थापना किसने की थी?

    1. राजा राम मोहन राय
    2. ईश्वर चंद्र विद्यासागर
    3. स्वामी विवेकानंद
    4. स्वामी दयानंद सरस्वती

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: राजा राम मोहन राय ने 1825 ईस्वी में कलकत्ता में ‘वेदांत कॉलेज’ की स्थापना की थी।
    • संदर्भ और विस्तार: इस कॉलेज का उद्देश्य भारतीय दर्शन (विशेषकर वेदांत) और पश्चिमी विज्ञान व दर्शन दोनों की शिक्षा प्रदान करना था, ताकि भारतीयों को आधुनिक विचारों और प्राचीन ज्ञान का समन्वय सिखाया जा सके। यह शिक्षा के क्षेत्र में उनके व्यापक दृष्टिकोण का एक उदाहरण था।
    • गलत विकल्प: ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने ‘विधवा पुनर्विवाह’ की वकालत की और इसे कानूनी रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की और भारतीय दर्शन को पश्चिमी देशों में लोकप्रिय बनाया। स्वामी दयानंद सरस्वती ने ‘आर्य समाज’ की स्थापना की और ‘वेदों की ओर लौटो’ का नारा दिया।

    प्रश्न 25: प्रथम विश्व युद्ध का प्रारंभ किस वर्ष हुआ?

    1. 1905
    2. 1914
    3. 1918
    4. 1939

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: प्रथम विश्व युद्ध (World War I) का प्रारंभ 1914 ईस्वी में ऑस्ट्रिया-हंगरी द्वारा सर्बिया पर युद्ध की घोषणा के साथ हुआ था।
    • संदर्भ और विस्तार: युद्ध का तात्कालिक कारण साराजेवो में ऑस्ट्रियाई आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या थी, लेकिन इसके पीछे साम्राज्यवादी प्रतिद्वंद्विता, गठबंधन प्रणाली, सैन्यवाद और राष्ट्रवाद जैसे गहरे कारण थे। यह युद्ध 1918 तक चला और इसने विश्व के भू-राजनीतिक परिदृश्य को पूरी तरह से बदल दिया।
    • गलत विकल्प: 1905 में रूस-जापान युद्ध हुआ और बंगाल का विभाजन हुआ। 1918 में प्रथम विश्व युद्ध समाप्त हुआ। 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध प्रारंभ हुआ।

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