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80000+ वोटर नाम हटाए गए: बिहार डेटा विवाद से संसद में भूचाल, INDIA ब्लॉक की बैठक में क्या होगा?

80000+ वोटर नाम हटाए गए: बिहार डेटा विवाद से संसद में भूचाल, INDIA ब्लॉक की बैठक में क्या होगा?

चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
भारत की संसद का मानसून सत्र, जैसा कि अक्सर होता है, राजनीतिक तनातनी और महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर बहस का अखाड़ा बना रहता है। सत्र के 9वें दिन, देश की निगाहें एक बार फिर संसद की कार्यवाही पर टिकी थीं, जहाँ बिहार में चुनावी रोल (मतदाता सूची) से बड़ी संख्या में नामों को हटाए जाने का मामला गरमाने की पूरी संभावना थी। इस बीच, विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ की बैठक ने राजनीतिक गलियारों में और अधिक हलचल मचा दी, जहाँ आगामी रणनीति पर गहन विचार-विमर्श किया गया। यह दोहरी घटनाक्रम, जहाँ एक तरफ चुनावी अखंडता पर सवाल उठाया गया, वहीं दूसरी तरफ विपक्षी एकजुटता की सुगबुगाहट तेज हुई, UPSC उम्मीदवारों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य को समझने में मदद करता है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र, चुनावी प्रक्रिया, डेटा सुरक्षा और शासन के मूल सिद्धांतों पर भी प्रकाश डालता है।

यह ब्लॉग पोस्ट इस घटनाक्रम के विभिन्न पहलुओं का गहन विश्लेषण करेगा: बिहार के इस विशेष मामले का क्या अर्थ है, संसद में इससे कैसा हंगामा अपेक्षित है, ‘INDIA’ गठबंधन की बैठक का महत्व और इसका व्यापक राजनीतिक प्रभाव क्या हो सकता है। हम इन मुद्दों को UPSC के दृष्टिकोण से देखेंगे, जिसमें प्रासंगिक संवैधानिक प्रावधान, चुनावी कानून और शासन संबंधी चिंताएं शामिल होंगी।

बिहार वोटर वेरिफिकेशन मामला: क्या है पूरा सच?

चुनावों के दौरान निष्पक्षता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए मतदाता सूची का रखरखाव एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। हाल ही में बिहार में, लगभग 80,000 से अधिक मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए जाने की खबरें सामने आई हैं, जिसके कारण एक बड़े राजनीतिक विवाद ने जन्म ले लिया है। यह मामला सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं है, बल्कि देश भर में चुनावी प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है।

पृष्ठभूमि और आरोप:

  • नाम हटाने का कारण: विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार, ये नाम मुख्य रूप से उन मतदाताओं के हैं जिनके पते सत्यापित नहीं हो सके, या जो अन्य कारणों से (जैसे मृत्यु, स्थायी प्रवास) अयोग्य हो गए हैं। चुनाव आयोग (ECI) द्वारा समय-समय पर मतदाता सूची के शुद्धिकरण की प्रक्रिया की जाती है।
  • विपक्षी दलों के आरोप: बिहार में विपक्षी दलों, विशेष रूप से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और अन्य ‘INDIA’ गठबंधन के सदस्यों ने इन नामों को हटाए जाने की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि यह कार्रवाई राजनीतिक द्वेष से प्रेरित है और इसका उद्देश्य कुछ विशेष समुदायों या क्षेत्रों के मतदाताओं को लक्षित करना हो सकता है। वे इसे “वोटर दमन” या “वोटर हटाओ अभियान” करार दे रहे हैं।
  • सरकार और चुनाव आयोग का पक्ष: सरकार और चुनाव आयोग का कहना है कि यह एक नियमित प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को अद्यतन और त्रुटि रहित रखना है। उन्होंने सभी आरोपों का खंडन किया है और प्रक्रिया में पारदर्शिता का आश्वासन दिया है। उनका तर्क है कि केवल उन्हीं नामों को हटाया गया है जो नियमानुसार अयोग्य हो चुके हैं।

UPSC के लिए प्रासंगिकता:

यह मुद्दा भारतीय संविधान के निम्नलिखित पहलुओं से जुड़ा है:

अनुच्छेद 326: यह अनुच्छेद वयस्क मताधिकार पर आधारित चुनावों की बात करता है, जहाँ 18 वर्ष या उससे अधिक आयु का कोई भी नागरिक, जो किसी निवास स्थान के संबंध में किसी राज्य के विधानमंडल द्वारा बनाई गई किसी भी योग्यता से वंचित नहीं है, वह निर्वाचक के रूप में पंजीकृत होने का हकदार है।

मतदाता सूची से किसी का नाम हटाना सीधे तौर पर इस अधिकार को प्रभावित कर सकता है। यह मामला चुनावी प्रक्रियाओं की निष्पक्षता, पारदर्शिता और डेटा सुरक्षा के महत्व को रेखांकित करता है, जो UPSC परीक्षा के ‘शासन’, ‘भारतीय राजव्यवस्था’ और ‘सुरक्षा’ जैसे विषयों के लिए अत्यंत प्रासंगिक है।

मानसून सत्र का 9वां दिन: संसद में हंगामे की आहट

जैसे ही मानसून सत्र अपने अगले चरण में बढ़ा, बिहार के इस वोटर वेरिफिकेशन मुद्दे ने संसद के भीतर एक बड़े टकराव का मंच तैयार किया। संसद का 9वां दिन इस हंगामे के लिए उर्वर भूमि साबित हो सकता था।

संभावित हंगामे के कारण:

  • विपक्षी एकता का प्रदर्शन: ‘INDIA’ गठबंधन के सदस्य इस मुद्दे को सरकार पर दबाव बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में देख रहे थे। वे संसद के भीतर इसे उठाकर सरकार की जवाबदेही तय करने और चुनावी प्रक्रियाओं में धांधली के आरोपों को उजागर करने की योजना बना रहे थे।
  • स्थगन प्रस्ताव और नारेबाजी: विपक्षी सांसद आमतौर पर ऐसे मुद्दों पर तत्काल चर्चा की मांग करते हुए स्थगन प्रस्ताव (Adjournment Motion) या जीरो आवर (Zero Hour) नोटिस देते हैं। यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तो सदन में नारेबाजी, हंगामा और कार्यवाही बाधित होने की पूरी संभावना रहती है।
  • संसदीय मर्यादा का उल्लंघन: इस तरह के हंगामे अक्सर संसदीय कार्यवाही को बाधित करते हैं, जिससे महत्वपूर्ण विधायी कार्य प्रभावित होते हैं। यह भारतीय लोकतंत्र के कामकाज पर एक नकारात्मक प्रभाव डालता है, जिस पर UPSC की मुख्य परीक्षा में अक्सर प्रश्न पूछे जाते हैं।
  • मीडिया का ध्यान: संसद में ऐसे हंगामे मीडिया का ध्यान आकर्षित करते हैं, जिससे मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनता है और सरकार पर राजनीतिक दबाव बढ़ता है।

संसद का कामकाज और चुनौतियाँ:

संसद केवल बहस का मंच नहीं है, बल्कि यह देश के लिए कानून बनाने और सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने का सर्वोच्च निकाय है। जब ऐसे मुद्दों पर हंगामा होता है, तो यह:

  • विधायी एजेंडे को प्रभावित करता है: बजट, विधेयक और अन्य महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर चर्चा और पारित होने में देरी होती है।
  • सार्वजनिक धन की बर्बादी: सदन के स्थगित होने से सांसदों का वेतन और अन्य खर्चे जारी रहते हैं, लेकिन काम नहीं होता।
  • लोकतांत्रिक मूल्यों का क्षरण: निरंतर हंगामे से जनता का संसद के प्रति विश्वास कम हो सकता है।

UPSC के लिए मुख्य परीक्षा का पहलू: “भारतीय संसद की कार्यप्रणाली में व्यवधानों के कारण और इस पर काबू पाने के उपाय” जैसे विषयों पर प्रश्न पूछे जा सकते हैं। यह घटनाक्रम ऐसे प्रश्नों के लिए एक प्रासंगिक केस स्टडी प्रदान करता है।

‘INDIA’ ब्लॉक की बैठक: रणनीति पर चर्चा

जहां संसद के भीतर बिहार वोटर मुद्दे पर टकराव की संभावना थी, वहीं संसद के बाहर, 26 दलों के विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ (Indian National Developmental Inclusive Alliance) ने अपनी बैठक बुलाई। इस बैठक का महत्व काफी अधिक था, क्योंकि यह आगामी रणनीतियों को आकार देने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर था।

बैठक के प्रमुख एजेंडा और उद्देश्य:

  • साझा रणनीति: ‘INDIA’ गठबंधन का मुख्य उद्देश्य आगामी चुनावों, विशेष रूप से 2024 के आम चुनावों के लिए एक संयुक्त रणनीति तैयार करना था।
  • मुद्दों का चयन: बिहार वोटर वेरिफिकेशन जैसे मुद्दों को संसद में कैसे उठाया जाए, इस पर आम सहमति बनाना। वे महंगाई, बेरोजगारी, मणिपुर हिंसा और अन्य राष्ट्रीय चिंताओं को भी उठा रहे थे।
  • सामंजस्य और नेतृत्व: गठबंधन के भीतर विभिन्न दलों के बीच समन्वय बढ़ाना और नेतृत्व की भूमिका को स्पष्ट करना।
  • जनता से जुड़ाव: ऐसे मुद्दों को जन-जन तक पहुंचाना और सरकार के खिलाफ एक मजबूत जनमत तैयार करना।
  • संसदीय रणनीति: संसद के भीतर आक्रामक रुख अपनाना और सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरना।

‘INDIA’ गठबंधन का महत्व:

‘INDIA’ गठबंधन का गठन भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण विकास है। यह विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दलों को एक साथ लाता है, जिनका लक्ष्य भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को चुनौती देना है। इस तरह की बैठकें:

  • विपक्षी एकजुटता को मजबूत करती हैं: यह दिखाता है कि विपक्षी दल एक साझा मंच पर आकर प्रभावी ढंग से काम कर सकते हैं।
  • राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करती हैं: यह मतदाताओं को एक विकल्प प्रदान करने और चुनावी परिदृश्य को बदलने की क्षमता रखता है।
  • लोकतांत्रिक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देती हैं: मजबूत विपक्ष, सरकार को अधिक जवाबदेह बनाता है।

UPSC के लिए प्रासंगिकता: गठबंधन राजनीति, दलीय व्यवस्था, विपक्षी दलों की भूमिका और भारतीय लोकतंत्र में उनका महत्व UPSC के ‘भारतीय राजव्यवस्था’ और ‘शासन’ जैसे अनुभागों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

चुनावों में डेटा की भूमिका और चिंताएँ

बिहार वोटर वेरिफिकेशन का मामला केवल एक राज्य की मतदाता सूची तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश में चुनावी डेटा के प्रबंधन और सुरक्षा से जुड़े व्यापक मुद्दों को उठाता है।

निर्वाचक नामावली का महत्व:

  • लोकतंत्र की नींव: एक सटीक और अद्यतन मतदाता सूची स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का आधार है।
  • निर्वाचक पंजीकरण: हर पात्र नागरिक को निर्बाध रूप से पंजीकृत होने का अधिकार मिलना चाहिए।
  • सूची का शुद्धिकरण: चुनाव आयोग द्वारा समय-समय पर सूची का शुद्धिकरण, मृत व्यक्तियों, डुप्लिकेट प्रविष्टियों और स्थानांतरित मतदाताओं को हटाने के लिए किया जाता है। यह एक आवश्यक प्रक्रिया है, बशर्ते यह पारदर्शी और निष्पक्ष हो।

डेटा सुरक्षा और गोपनीयता:

आज के डिजिटल युग में, मतदाता डेटा एक संवेदनशील जानकारी है। इस डेटा का उपयोग और प्रबंधन अत्यंत सावधानी से किया जाना चाहिए।

  • व्यक्तिगत जानकारी का दुरुपयोग: मतदाता सूची में नाम, पता, आयु, लिंग जैसी व्यक्तिगत जानकारी होती है। इसके दुरुपयोग से पहचान की चोरी या अन्य प्रकार के धोखाधड़ी का खतरा हो सकता है।
  • डेटा प्रबंधन के लिए कानून: भारत में अभी तक कोई व्यापक डेटा संरक्षण कानून नहीं है (यद्यपि व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक पर काम चल रहा है)। ऐसी स्थिति में, संवेदनशील मतदाता डेटा की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है।
  • आधार से जुड़ाव: आधार को मतदाता सूची से जोड़ने जैसे प्रस्तावों ने भी गोपनीयता संबंधी चिंताएं बढ़ाई हैं।

UPSC के लिए जुड़े विषय:

  • ई-गवर्नेंस और डिजिटल इंडिया: सरकारी डेटा का कुशल प्रबंधन और सुरक्षा।
  • साइबर सुरक्षा: राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण डेटा की सुरक्षा।
  • चुनावों में तकनीक का प्रयोग: EVM, मतदाता सूची प्रबंधन आदि।

आगे की राह और चुनौतियाँ

बिहार वोटर वेरिफिकेशन विवाद और ‘INDIA’ गठबंधन की बैठक, भारतीय लोकतंत्र के सामने मौजूद कुछ गहरी चुनौतियों को उजागर करती है:

चुनौतियाँ:

  • पारदर्शिता और जवाबदेही: मतदाता सूची के शुद्धिकरण जैसी प्रक्रियाओं में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना।
  • राजनीतिकरण: चुनावी प्रक्रियाओं और संस्थानों के राजनीतिकरण को रोकना।
  • विपक्षी सहयोग: विपक्षी दलों के बीच मजबूत और निरंतर सहयोग बनाए रखना।
  • डेटा सुरक्षा: मतदाता डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए मजबूत कानूनी ढांचा और तकनीकी उपाय।
  • जनता का विश्वास: चुनावी प्रक्रियाओं में जनता का विश्वास बनाए रखना और उसे मजबूत करना।

सुझाव और आगे की राह:

  • स्वतंत्र निगरानी: मतदाता सूची के शुद्धिकरण की प्रक्रिया की स्वतंत्र निकायों या नागरिक समाज संगठनों द्वारा निगरानी की जानी चाहिए।
  • स्पष्ट संचार: चुनाव आयोग को अपनी प्रक्रियाओं के बारे में जनता के साथ अधिक पारदर्शी और नियमित संचार बनाए रखना चाहिए।
  • कानूनी सुधार: डेटा संरक्षण और चुनावी प्रक्रियाओं से संबंधित कानूनों को मजबूत करना।
  • विपक्ष की रचनात्मक भूमिका: विपक्ष को केवल विरोध तक सीमित न रहकर, सरकार के साथ मिलकर सुधारों में सहयोग करना चाहिए।
  • जागरूकता अभियान: मतदाताओं को उनके अधिकारों और प्रक्रियाओं के बारे में जागरूक करने के लिए अभियान चलाना।

निष्कर्षतः, बिहार वोटर वेरिफिकेशन का मुद्दा और ‘INDIA’ ब्लॉक की बैठक, भारतीय राजनीति के दो महत्वपूर्ण स्तंभों – चुनावी अखंडता और विपक्षी सहयोग – को दर्शाते हैं। UPSC उम्मीदवारों को इन मुद्दों को न केवल सतही तौर पर देखना चाहिए, बल्कि इनके पीछे छिपे संवैधानिक, राजनीतिक और प्रशासनिक पहलुओं का भी गहराई से विश्लेषण करना चाहिए। यह घटनाक्रम दिखाता है कि लोकतंत्र कितना गतिशील है और कैसे ये छोटे-छोटे मुद्दे राष्ट्रीय विमर्श को आकार दे सकते हैं।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद वयस्क मताधिकार के आधार पर चुनावों की बात करता है?
(a) अनुच्छेद 324
(b) अनुच्छेद 325
(c) अनुच्छेद 326
(d) अनुच्छेद 327

उत्तर: (c) अनुच्छेद 326
व्याख्या: अनुच्छेद 326 में कहा गया है कि चुनाव, जो लोकसभा और प्रत्येक राज्य की विधानसभाओं के लिए होंगे, वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे।

2. भारत में चुनावी प्रक्रियाओं के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
I. चुनाव आयोग (ECI) मतदाता सूची के शुद्धिकरण के लिए जिम्मेदार है।
II. मतदाता सूची से नाम हटाना एक स्वचालित प्रक्रिया है और इसके लिए किसी भी शिकायत या अपील की आवश्यकता नहीं होती है।
III. किसी भी पात्र नागरिक को मतदाता के रूप में पंजीकृत होने का अधिकार है, बशर्ते वह संविधान द्वारा निर्धारित योग्यताओं को पूरा करता हो।
उपरोक्त में से कौन से कथन सही हैं?
(a) केवल I
(b) I और III
(c) II और III
(d) I, II और III

उत्तर: (b) I और III
व्याख्या: चुनाव आयोग मतदाता सूची के शुद्धिकरण के लिए जिम्मेदार है (I सही है)। हालांकि, नामों को हटाने की एक निर्धारित प्रक्रिया होती है, और यदि कोई नागरिक पात्र है तो उसे पंजीकृत होने का अधिकार है (III सही है)। सूची से नाम हटाना स्वचालित नहीं है और अक्सर इसमें नोटिस और सुनवाई का प्रावधान होता है (II गलत है)।

3. “INDIA” गठबंधन के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?
(a) यह 26 विपक्षी दलों का एक समूह है।
(b) इसका मुख्य उद्देश्य 2024 के आम चुनावों में भाजपा को चुनौती देना है।
(c) यह एक संवैधानिक निकाय है।
(d) इसमें विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दल शामिल हैं।

उत्तर: (c) यह एक संवैधानिक निकाय है।
व्याख्या: ‘INDIA’ गठबंधन एक राजनीतिक गठबंधन है, कोई संवैधानिक या वैधानिक निकाय नहीं।

4. बिहार वोटर वेरिफिकेशन मामले में उठाई गई मुख्य चिंता इनमें से क्या है?
(a) मतदाता पहचान पत्र जारी करने में देरी।
(b) चुनावी डेटा की सटीकता और राजनीतिक हस्तक्षेप की आशंका।
(c) चुनाव प्रचार के नियमों का उल्लंघन।
(d) मतदान केंद्रों की अपर्याप्त संख्या।

उत्तर: (b) चुनावी डेटा की सटीकता और राजनीतिक हस्तक्षेप की आशंका।
व्याख्या: मुख्य आरोप मतदाता सूची से बड़ी संख्या में नामों को हटाए जाने और इसके पीछे राजनीतिक मंशा का है।

5. निम्नलिखित में से कौन सा संगठन भारत में चुनावों के संचालन के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है?
(a) भारत का सर्वोच्च न्यायालय
(b) भारत का चुनाव आयोग
(c) नीति आयोग
(d) भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)

उत्तर: (b) भारत का चुनाव आयोग
व्याख्या: भारत का चुनाव आयोग (ECI) भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत स्थापित एक संवैधानिक निकाय है जो भारत में चुनावों के संचालन की देखरेख करता है।

6. संसद के मानसून सत्र में स्थगन प्रस्ताव (Adjournment Motion) का उद्देश्य क्या होता है?
(a) एक गैर-सरकारी सदस्य को किसी महत्वपूर्ण राष्ट्रीय महत्व के मामले पर चर्चा शुरू करने की अनुमति देना।
(b) सरकार की किसी विशेष नीति की निंदा करना।
(c) राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पारित करना।
(d) सरकारी धन के व्यय की जांच करना।

उत्तर: (a) एक गैर-सरकारी सदस्य को किसी महत्वपूर्ण राष्ट्रीय महत्व के मामले पर चर्चा शुरू करने की अनुमति देना।
व्याख्या: स्थगन प्रस्ताव का उपयोग किसी अत्यावश्यक और सार्वजनिक महत्व के मामले पर तत्काल बहस शुरू करने के लिए किया जाता है, जिसके लिए सदन की सामान्य कार्यवाही को स्थगित कर दिया जाता है।

7. भारत में मतदाता सूची के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
I. मतदाता सूची का नियमित अद्यतन चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है।
II. मतदाता सूची में नाम शामिल करने या हटाने के लिए किसी भी स्तर पर राजनीतिक दल की सहमति अनिवार्य है।
III. मतदाता सूची को अपडेट करने में डेटा सुरक्षा एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है।
उपरोक्त में से कौन से कथन सही हैं?
(a) केवल I
(b) I और III
(c) II और III
(d) I, II और III

उत्तर: (b) I और III
व्याख्या: चुनाव आयोग मतदाता सूची का अद्यतन करता है (I सही है)। किसी भी स्तर पर राजनीतिक दल की सहमति अनिवार्य नहीं है, बल्कि प्रक्रिया निष्पक्ष होनी चाहिए (II गलत है)। मतदाता सूची में व्यक्तिगत डेटा होने के कारण डेटा सुरक्षा महत्वपूर्ण है (III सही है)।

8. चुनावों में विपक्ष की भूमिका के संबंध में निम्नलिखित में से क्या सत्य है?
(a) विपक्ष का मुख्य कार्य केवल सरकार की आलोचना करना है।
(b) एक मजबूत विपक्ष सरकार को जवाबदेह ठहराने और लोकतांत्रिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
(c) विपक्ष को कभी भी संसदीय कार्यवाही में बाधा नहीं डालनी चाहिए।
(d) विपक्ष का कोई औपचारिक संवैधानिक दर्जा नहीं है।

उत्तर: (b) एक मजबूत विपक्ष सरकार को जवाबदेह ठहराने और लोकतांत्रिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
व्याख्या: विपक्ष की भूमिका सरकार के कार्यों की निगरानी करना, वैकल्पिक नीतियों का प्रस्ताव देना और जनहित के मुद्दों को उठाना है, जो लोकतांत्रिक संतुलन के लिए आवश्यक है।

9. निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार भारतीय संविधान सीधे तौर पर वयस्क मताधिकार से जोड़ता है?
(a) भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
(b) समानता का अधिकार
(c) जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार
(d) सार्वजनिक पद धारण करने का अधिकार

उत्तर: (d) सार्वजनिक पद धारण करने का अधिकार
व्याख्या: अनुच्छेद 326 के तहत वयस्क मताधिकार, नागरिकों को सार्वजनिक पद धारण करने (लोकसभा/विधानसभा चुनावों में मतदान करके) का अधिकार देता है।

10. बिहार वोटर वेरिफिकेशन मामले में अक्सर “वोटर दमन” (Voter Suppression) शब्द का प्रयोग किया जाता है। इसका क्या अर्थ है?
(a) मतदाताओं को मतदान करने से हतोत्साहित करना या रोकना।
(b) चुनाव परिणामों में हेरफेर करना।
(c) मतदाताओं को नई पहचान पत्र जारी करना।
(d) चुनाव की तारीखों में बदलाव करना।

उत्तर: (a) मतदाताओं को मतदान करने से हतोत्साहित करना या रोकना।
व्याख्या: “वोटर सप्रेशन” का अर्थ है जानबूझकर या अनजाने में कुछ समूहों को वोट देने से रोकना, जिसमें मतदाता सूची से अयोग्य तरीके से नामों को हटाना भी शामिल हो सकता है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. “भारतीय लोकतंत्र में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की गारंटी के लिए मतदाता सूची का सटीक रखरखाव एक अनिवार्य शर्त है।” इस कथन के आलोक में, बिहार वोटर वेरिफिकेशन मामले से उत्पन्न विवाद का विश्लेषण करें और मतदाता सूची के शुद्धिकरण में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उपायों पर चर्चा करें। (250 शब्द, 15 अंक)

संकेत:
* परिचय: मतदाता सूची के महत्व का उल्लेख करें।
* बिहार मामले का विश्लेषण: आरोप, बचाव, विवाद के बिंदु।
* पारदर्शिता के उपाय: चुनाव आयोग की भूमिका, प्रौद्योगिकी का उपयोग, नागरिक समाज की निगरानी, कानूनी सुधार।
* निष्कर्ष: भविष्य की राह।

2. “विपक्षी गठबंधन, जैसे कि ‘INDIA’ गठबंधन, भारत में बहुदलीय प्रणाली और लोकतांत्रिक प्रतिस्पर्धा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।” उपरोक्त कथन के संदर्भ में, ‘INDIA’ गठबंधन की बैठकों और उनके द्वारा उठाए जा रहे मुद्दों (जैसे बिहार वोटर वेरिफिकेशन) के महत्व का मूल्यांकन करें। गठबंधन की राजनीति से जुड़ी चुनौतियों पर भी प्रकाश डालें। (250 शब्द, 15 अंक)

संकेत:
* परिचय: गठबंधन राजनीति का महत्व।
* ‘INDIA’ गठबंधन का महत्व: एकजुटता, साझा मंच, आगामी चुनाव।
* मुद्दों का महत्व: जन सरोकार, सरकार पर दबाव।
* चुनौतियाँ: नेतृत्व, समन्वय, वैचारिक भिन्नता।
* निष्कर्ष: गठबंधन की भूमिका का मूल्यांकन।

3. “डिजिटल इंडिया’ युग में, चुनावी डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता एक गंभीर राष्ट्रीय चिंता का विषय है।” इस कथन की प्रासंगिकता को स्पष्ट करें और भारत में मतदाता डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कानूनी, तकनीकी और प्रशासनिक उपायों पर विस्तृत चर्चा करें। (150 शब्द, 10 अंक)

संकेत:
* परिचय: डिजिटल युग में डेटा सुरक्षा का महत्व।
* चुनावी डेटा की संवेदनशीलता।
* आवश्यक उपाय: डेटा संरक्षण कानून, मजबूत एन्क्रिप्शन, नियमित ऑडिट, कर्मियों का प्रशिक्षण, राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाव।
* निष्कर्ष: डेटा सुरक्षा का लोकतंत्र पर प्रभाव।

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