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आज की राजव्यवस्था: आपकी तैयारी का अंतिम प्रहार

आज की राजव्यवस्था: आपकी तैयारी का अंतिम प्रहार

नमस्कार, भावी अधिकारियों! भारतीय लोकतंत्र के आधार स्तंभों को समझने और अपनी संकल्पनात्मक स्पष्टता को परखने का समय आ गया है। प्रस्तुत है आज का विशेष राजव्यवस्था अभ्यास, जो आपको प्रतियोगिता परीक्षा की राह पर एक कदम और आगे ले जाएगा। आइए, अपनी तैयारी को धार दें और ज्ञान की परख करें!

भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा रिट, ‘हम आदेश देते हैं’ का शाब्दिक अर्थ रखता है और किसी लोक प्राधिकारी को उसके सार्वजनिक कर्तव्य को करने का निर्देश देता है?

  1. बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
  2. परमादेश (Mandamus)
  3. उत्प्रेषण (Certiorari)
  4. प्रतिषेध (Prohibition)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘परमादेश’ (Mandamus) रिट का अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’। यह एक उच्च न्यायालय द्वारा किसी निम्न न्यायालय, अधिकरण या लोक प्राधिकारी को एक सार्वजनिक या सांविधिक कर्तव्य करने का निर्देश देने के लिए जारी किया जाता है। यह शक्ति संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय और अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालयों को प्राप्त है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस रिट को किसी निजी व्यक्ति या संस्था के विरुद्ध जारी नहीं किया जा सकता है। यह राष्ट्रपति या राज्यपालों के विरुद्ध भी जारी नहीं किया जा सकता।
  • गलत विकल्प: ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ अवैध निरोध से मुक्ति के लिए होता है, ‘उत्प्रेषण’ निम्न न्यायालय के आदेश को रद्द करने के लिए, और ‘प्रतिषेध’ किसी मामले को आगे बढ़ने से रोकने के लिए जारी किया जाता है।

प्रश्न 2: दल-बदल के अतिरिक्त अन्य आधारों पर किसी संसद सदस्य की अयोग्यता के संबंध में निर्णय लेने की शक्ति किसके पास है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. भारत के प्रधानमंत्री
  3. लोकसभा का अध्यक्ष
  4. संसद की एक संयुक्त समिति

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: दल-बदल के अतिरिक्त अन्य आधारों पर (जैसे लाभ का पद धारण करना) संसद सदस्य की अयोग्यता के संबंध में निर्णय लेने की शक्ति संविधान के अनुच्छेद 103 के अनुसार भारत के राष्ट्रपति में निहित है।
  • संदर्भ और विस्तार: यद्यपि यह शक्ति राष्ट्रपति में निहित है, राष्ट्रपति इस मामले में भारत के निर्वाचन आयोग की राय के अनुसार कार्य करता है। दल-बदल के आधार पर अयोग्यता का निर्णय दसवीं अनुसूची के तहत सदन के अध्यक्ष (लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति) द्वारा किया जाता है।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। संसद की संयुक्त समिति का ऐसा कोई अधिकार नहीं है। लोकसभा अध्यक्ष केवल दल-बदल (दसवीं अनुसूची) के आधार पर अयोग्यता पर निर्णय लेते हैं।

प्रश्न 3: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘संविधान की मूल संरचना’ (Basic Structure) के सिद्धांत को प्रतिपादित किया?

  1. ए.के. गोपालन बनाम मद्रास राज्य
  2. गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य
  3. केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
  4. मिनर्वा मिल्स बनाम भारत संघ

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य’ (1973) के ऐतिहासिक मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने यह सिद्धांत प्रतिपादित किया कि संसद संविधान के किसी भी हिस्से को, जिसमें मौलिक अधिकार भी शामिल हैं, संशोधित कर सकती है, लेकिन यह संशोधन ‘संविधान की मूल संरचना’ को नहीं बदल सकता।
  • संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत ने संसद की संशोधन शक्ति पर एक महत्वपूर्ण सीमा निर्धारित की और संविधान की रक्षा की। इस निर्णय ने यह भी स्थापित किया कि संशोधन शक्ति असीमित नहीं है।
  • गलत विकल्प: ‘ए.के. गोपालन’ मामले में व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर निर्णय दिया गया था। ‘गोलकनाथ’ मामले में न्यायालय ने कहा था कि संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती, जिसे बाद में केशवानंद भारती मामले में संशोधित किया गया। ‘मिनर्वा मिल्स’ मामले ने मूल संरचना को और मजबूत किया और न्यायिक समीक्षा को भी इसका अंग माना।

प्रश्न 4: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द किस संविधान संशोधन द्वारा जोड़े गए?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
  4. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्दों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़ा गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन इंदिरा गांधी सरकार के कार्यकाल के दौरान किया गया था और इसे ‘लघु संविधान’ भी कहा जाता है। इसने संविधान में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किए।
  • गलत विकल्प: 44वां संशोधन महत्वपूर्ण था लेकिन इन शब्दों को नहीं जोड़ा। 52वां संशोधन दल-बदल से संबंधित है। 73वां संशोधन पंचायती राज से संबंधित है।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा कथन राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति के संबंध में सही नहीं है?

  1. राष्ट्रपति अनुच्छेद 123 के तहत अध्यादेश जारी कर सकता है।
  2. अध्यादेश का वही प्रभाव होता है जो संसद द्वारा पारित अधिनियम का होता है।
  3. संसद के पुनःसत्र होने के छह सप्ताह के भीतर अध्यादेश को अनुमोदित किया जाना चाहिए।
  4. यदि संसद के दोनों सदन किसी अध्यादेश को अस्वीकृत करने वाले प्रस्ताव पारित करते हैं, तो वह उसके जारी होने के 30 दिन के भीतर अप्रभावी हो जाता है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति संविधान के अनुच्छेद 123 में निहित है। अध्यादेश का वही बल और प्रभाव होता है जो संसद के अधिनियम का होता है, बशर्ते वह संविधान के उपबंधों के प्रतिकूल न हो।
  • संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति केवल तब प्रयोग की जा सकती है जब संसद का कोई एक सदन या दोनों सदन सत्र में न हों, और ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो जाए कि राष्ट्रपति को तुरंत कार्रवाई करना आवश्यक हो।
  • गलत विकल्प: (d) कथन गलत है। अध्यादेश तब अप्रभावी होता है जब संसद के दोनों सदन उसे अस्वीकृत करने का संकल्प पारित कर देते हैं, या यदि संसद के पुनः सत्र में आने के छह सप्ताह के भीतर उसे अनुमोदित नहीं किया जाता है। यह 30 दिन नहीं, छह सप्ताह (42 दिन) है।

प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?

  1. विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
  2. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
  3. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
  4. भारत में कहीं भी आने-जाने और बसने की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 19 के तहत उपलब्ध अधिकार, जैसे कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्वक और हथियार रहित इकट्ठा होना, संघ बनाना, भारत के राज्यक्षेत्र में स्वतंत्र रूप से घूमना, भारत के किसी भी भाग में निवास और बसना, और कोई भी पेशा, व्यवसाय, व्यापार या कारोबार करना, केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्र निर्माण में नागरिकों की भूमिका को प्राथमिकता मिले।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता), अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता), और अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) के लिए उपलब्ध हैं, जैसा कि भारतीय संविधान में वर्णित है।

प्रश्न 7: भारतीय संविधान का कौन सा भाग पंचायती राज से संबंधित है?

  1. भाग IV
  2. भाग IVA
  3. भाग IX
  4. भाग IXA

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IX, जो 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा जोड़ा गया था, पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित है। इसमें अनुच्छेद 243 से 243-O तक शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह भाग पंचायतों को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है और उनके गठन, संरचना, शक्तियों और कार्यों को परिभाषित करता है।
  • गलत विकल्प: भाग IV में राज्य के नीति निदेशक तत्व हैं। भाग IVA में मौलिक कर्तव्य हैं। भाग IXA शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) से संबंधित है।

प्रश्न 8: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति का प्रावधान संविधान के किस अनुच्छेद में है?

  1. अनुच्छेद 148
  2. अनुच्छेद 149
  3. अनुच्छेद 150
  4. अनुच्छेद 151

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान का अनुच्छेद 148 भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के पद का प्रावधान करता है। CAG भारत सरकार और राज्य सरकारों के लेखों का लेखा-परीक्षण करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: CAG एक स्वतंत्र प्राधिकारी है और भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग का प्रमुख होता है। यह भारत के संचित निधि से संबंधित सभी व्यय की लेखा-परीक्षा करता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 149 CAG के कर्तव्यों और शक्तियों से संबंधित है। अनुच्छेद 150 खातों के प्रारूप से संबंधित है। अनुच्छेद 151 लेखा-परीक्षा रिपोर्ट से संबंधित है।

प्रश्न 9: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के लिए निम्नलिखित में से कौन सी शर्त अनिवार्य है?

  1. वह भारत का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश हो।
  2. वह भारत का सेवानिवृत्त न्यायाधीश हो।
  3. वह किसी उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश हो।
  4. वह किसी उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त न्यायाधीश हो।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के अनुसार, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष के रूप में केवल भारत के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश को ही नियुक्त किया जा सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: आयोग के अन्य सदस्यों का भी चयन एक चयन समिति की सिफारिश पर किया जाता है जिसमें प्रधान मंत्री, गृह मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के उप-सभापति, संसद के दोनों सदनों के प्रमुख विपक्षी नेता और केंद्रीय गृह सचिव शामिल होते हैं।
  • गलत विकल्प: केवल सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश ही अध्यक्ष बन सकते हैं, न कि केवल सेवानिवृत्त न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के न्यायाधीश।

प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सा राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का उद्देश्य नहीं है?

  1. लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना
  2. आय, स्थिति, सुविधा और अवसरों की असमानता को कम करना
  3. सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता (UCC) सुनिश्चित करना
  4. सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी को बढ़ावा देना और भ्रष्टाचार का उन्मूलन

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 51A (मौलिक कर्तव्य) सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी को बढ़ावा देने और भ्रष्टाचार के उन्मूलन की बात करता है। राज्य के नीति निदेशक तत्वों का मुख्य उद्देश्य एक लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना (भाग IV का उद्देश्य) और आय, स्थिति, सुविधा और अवसरों की असमानता को कम करना (अनुच्छेद 38) तथा समान नागरिक संहिता (अनुच्छेद 44) को सुनिश्चित करना है।
  • संदर्भ और विस्तार: DPSP सकारात्मक निर्देश हैं जो राज्य को कानून बनाते समय ध्यान में रखने चाहिए, जबकि मौलिक कर्तव्य नागरिकों के लिए दिशानिर्देश हैं।
  • गलत विकल्प: (d) का संबंध मौलिक कर्तव्यों से है, न कि सीधे तौर पर DPSP से, हालांकि DPSP के लक्ष्यों को प्राप्त करने में यह सहायक हो सकता है।

प्रश्न 11: भारतीय संसद की प्रक्रिया में ‘शून्यकाल’ का क्या अर्थ है?

  1. जब कोई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दा उठाया जाता है।
  2. प्रश्नकाल के तुरंत बाद का समय, जिसमें सदस्य बिना पूर्व सूचना के मामले उठा सकते हैं।
  3. बजट सत्र का पहला दिन।
  4. संसदीय सत्र का अंतिम दिन।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘शून्यकाल’ (Zero Hour) संसदीय प्रक्रिया का एक अनौपचारिक समय है जो प्रश्नकाल (आमतौर पर दोपहर 12 बजे) के तुरंत बाद शुरू होता है। इस दौरान, सदस्य बिना किसी पूर्व सूचना के तत्काल सार्वजनिक महत्व के मामले उठा सकते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह भारतीय संसदीय नवाचार का एक उदाहरण है, जिसका उल्लेख संविधान में नहीं है, लेकिन यह संसदीय कार्य-संचालन के नियमों का हिस्सा है। इससे सदस्यों को तात्कालिक मुद्दों पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने का अवसर मिलता है।
  • गलत विकल्प: (a), (c), और (d) शून्यकाल की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आते।

प्रश्न 12: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत राज्य विधानमंडल को अनु0 19(1)(g) के तहत प्राप्त व्यापार या आजीविका की स्वतंत्रता पर युक्तियुक्त निर्बंधन (reasonable restrictions) लगाने की शक्ति है?

  1. अनुच्छेद 19(6)
  2. अनुच्छेद 19(5)
  3. अनुच्छेद 19(4)
  4. अनुच्छेद 19(2)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान का अनुच्छेद 19(6) राज्य को कुछ उद्देश्यों के लिए, जैसे कि सार्वजनिक हित में, कुछ व्यापार या आजीविका की स्वतंत्रता पर युक्तियुक्त निर्बंधन लगाने का अधिकार देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति संसद और राज्य विधानमंडलों दोनों को प्राप्त है। यह सुनिश्चित करता है कि व्यक्तिगत स्वतंत्रताएं सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता या राष्ट्रीय हित के विरुद्ध न हों।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 19(2) भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर निर्बंधन से संबंधित है। अनुच्छेद 19(5) भारत में कहीं भी घूमने या बसने की स्वतंत्रता पर निर्बंधन से संबंधित है। अनुच्छेद 19(4) संघ या संगम बनाने की स्वतंत्रता पर निर्बंधन से संबंधित है।

प्रश्न 13: अनुच्छेद 368 के तहत संविधान संशोधन की प्रक्रिया में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?

  1. संशोधन विधेयक केवल लोकसभा में ही प्रस्तुत किया जा सकता है।
  2. संशोधन विधेयक को पारित करने के लिए साधारण बहुमत की आवश्यकता होती है।
  3. राष्ट्रपति के पास संशोधन विधेयक को वीटो करने की शक्ति नहीं है।
  4. संविधान संशोधन विधेयकों पर दोनों सदनों में गतिरोध की स्थिति में संयुक्त बैठक का प्रावधान है।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 368 के अनुसार, संविधान संशोधन विधेयक किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) में प्रस्तुत किया जा सकता है। इसे प्रत्येक सदन द्वारा उसकी कुल सदस्य संख्या के बहुमत द्वारा तथा उस सदन के उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत द्वारा पारित किया जाना चाहिए। हालांकि, कुछ विशिष्ट संशोधनों के लिए राज्यों के आधे से अधिक का अनुसमर्थन भी आवश्यक है।
  • संदर्भ और विस्तार: संविधान संशोधन विधेयकों पर राष्ट्रपति के पास वीटो शक्ति नहीं है। यदि विधेयक पारित हो जाता है, तो उन्हें अपनी सहमति देनी होती है। संशोधन विधेयकों के मामले में संयुक्त बैठक का कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए गतिरोध की स्थिति में विधेयक समाप्त हो जाता है।
  • गलत विकल्प: (a) गलत है क्योंकि विधेयक किसी भी सदन में आ सकता है। (b) गलत है क्योंकि विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है। (d) गलत है क्योंकि संयुक्त बैठक का प्रावधान नहीं है।

प्रश्न 14: भारत के महान्यायवादी (Attorney General) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?

  1. उसकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  2. वह भारत सरकार का मुख्य विधि अधिकारी होता है।
  3. वह संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही में भाग ले सकता है।
  4. उसे संसद सदस्य के समान ही विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: महान्यायवादी की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 76 के तहत की जाती है। वह भारत सरकार का मुख्य विधि अधिकारी होता है और संसद के दोनों सदनों में बोल सकता है तथा कार्यवाही में भाग ले सकता है (अनुच्छेद 88), लेकिन मतदान नहीं कर सकता।
  • संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी को संसद सदस्य के समान विशेषाधिकार प्राप्त नहीं होते हैं, यद्यपि उसे संसद की कार्यवाही में भाग लेने और बोलने का अधिकार है। उसे केवल वही विशेषाधिकार प्राप्त हैं जो एक सार्क (SAARC) देश के राजदूत को प्राप्त होते हैं।
  • गलत विकल्प: (d) कथन सही नहीं है क्योंकि महान्यायवादी को संसद सदस्य के समान विशेषाधिकार प्राप्त नहीं हैं।

प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही सुमेलित नहीं है?

  1. भाग IV – राज्य के नीति निदेशक तत्व
  2. भाग VII – राज्यों का प्रथम अनुसूची के भाग ‘ख’ में उल्लेखित
  3. भाग IXA – नगर पालिकाएं
  4. भाग XB – सहकारी समितियां

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भाग IV, राज्य के नीति निदेशक तत्वों से संबंधित है। भाग IXA, नगर पालिकाओं से संबंधित है। भाग XB, सहकारी समितियों से संबंधित है, जिसे 97वें संशोधन, 2011 द्वारा जोड़ा गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: भाग VII मूल रूप से राज्यों के वर्गीकरण से संबंधित था, लेकिन सातवें संशोधन अधिनियम, 1956 द्वारा इसे निरस्त कर दिया गया था। इसलिए, यह वर्तमान में भारतीय संविधान का हिस्सा नहीं है।
  • गलत विकल्प: (b) सही सुमेलित नहीं है क्योंकि भाग VII को निरस्त कर दिया गया है।

प्रश्न 16: राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) के तहत, राष्ट्रपति किस प्रकार के अधिकारों को निलंबित कर सकते हैं?

  1. केवल अनुच्छेद 19 द्वारा प्रदत्त अधिकार
  2. अनुच्छेद 20 और 21 को छोड़कर सभी मौलिक अधिकार
  3. केवल अनुच्छेद 14, 15, 19, 20, 21
  4. सभी मौलिक अधिकार

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा होने पर, राष्ट्रपति अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण) को छोड़कर अन्य सभी मौलिक अधिकारों को निलंबित करने का आदेश दे सकते हैं। यह प्रावधान 44वें संशोधन, 1978 द्वारा जोड़ा गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: आपातकाल के दौरान भी व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण सुनिश्चित किया गया है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 19 को राष्ट्रपति केवल तभी निलंबित कर सकते हैं जब आपातकाल युद्ध या बाहरी आक्रमण के आधार पर घोषित किया गया हो, न कि सशस्त्र विद्रोह के आधार पर। अनुच्छेद 20 और 21 कभी भी निलंबित नहीं किए जा सकते।

प्रश्न 17: भारत का सर्वोच्च न्यायालय निम्नलिखित में से किस अधिकार क्षेत्र के तहत मूल नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है?

  1. अपीलीय अधिकार क्षेत्र
  2. परामर्शी अधिकार क्षेत्र
  3. मूल अधिकार क्षेत्र
  4. समीक्षा अधिकार क्षेत्र

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान का अनुच्छेद 32 सर्वोच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए ‘मूल अधिकार क्षेत्र’ प्रदान करता है। इसके तहत, न्यायालय मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर सीधे रिट जारी कर सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इसे ‘संविधान का रक्षक’ कहा जाता है क्योंकि यह मौलिक अधिकारों को लागू करने की अंतिम गारंटी देता है। उच्च न्यायालय भी अनुच्छेद 226 के तहत ऐसा कर सकते हैं।
  • गलत विकल्प: अपीलीय अधिकार क्षेत्र उच्च न्यायालयों के निर्णयों के विरुद्ध अपील सुनने से संबंधित है। परामर्शी अधिकार क्षेत्र राष्ट्रपति द्वारा मांगे जाने पर सलाह देने से संबंधित है (अनुच्छेद 143)। समीक्षा अधिकार क्षेत्र (Judicial Review) विधायिका या कार्यपालिका के कार्यों की संवैधानिकता की जांच करने की शक्ति है, जो मूल अधिकार क्षेत्र का हिस्सा हो सकता है।

प्रश्न 18: ‘राज्य के नीति निदेशक तत्व’ (DPSP) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

  1. ये न्यायोचित (justiciable) हैं, अर्थात् न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय हैं।
  2. ये सरकार द्वारा कानून बनाते समय मार्गदर्शन के लिए हैं, लेकिन न्यायालय द्वारा लागू नहीं किए जा सकते।
  3. ये देश के शासन के लिए मौलिक हैं।
  4. विकल्प (b) और (c) दोनों सत्य हैं।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान का भाग IV (अनुच्छेद 36-51) राज्य के नीति निदेशक तत्वों से संबंधित है। यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि ये तत्व देश के शासन के लिए मौलिक हैं (अनुच्छेद 37)।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 37 यह भी बताता है कि ये तत्व न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं होंगे। हालांकि, वे सरकार के लिए मार्गदर्शन के सिद्धांत हैं। न्यायालय DPSP को मौलिक अधिकारों पर प्राथमिकता दे सकते हैं यदि वे देश के शासन के लिए मौलिक हों।
  • गलत विकल्प: (a) गलत है क्योंकि DPSP न्यायोचित नहीं हैं। (b) और (c) दोनों सत्य हैं।

प्रश्न 19: भारतीय संविधान में ‘आपातकालीन प्रावधान’ किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. यूनाइटेड किंगडम
  3. जर्मनी का वाइमर गणराज्य
  4. कनाडा

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में आपातकालीन प्रावधानों (जैसे राष्ट्रीय आपातकाल, राज्य आपातकाल और वित्तीय आपातकाल) को जर्मनी के वाइमर गणराज्य के संविधान से प्रेरित होकर शामिल किया गया है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सुविधा राष्ट्र को संकटकालीन परिस्थितियों से प्रभावी ढंग से निपटने में सक्षम बनाती है, हालांकि इसके उपयोग पर कई बार बहस भी हुई है।
  • गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका से न्यायिक समीक्षा, मौलिक अधिकार (कुछ) और उपराष्ट्रपति का पद लिया गया है। यूनाइटेड किंगडम से संसदीय प्रणाली, कानून का शासन और मंत्रिमंडलीय व्यवस्था ली गई है। कनाडा से संघवाद, अवशिष्ट शक्तियों का सिद्धांत और केंद्र द्वारा राज्यपालों की नियुक्ति ली गई है।

प्रश्न 20: भारत में ‘नियंत्रण और संतुलन’ (Checks and Balances) की व्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण पहलू निम्नलिखित में से कौन सा है?

  1. सभी शक्ति केवल केंद्रीय सरकार में निहित है।
  2. कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों का पृथक्करण।
  3. न्यायपालिका की पूर्ण स्वतंत्रता, जिसे किसी अन्य अंग द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता।
  4. विधायिका के पास ही न्यायपालिका पर नियंत्रण होता है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘नियंत्रण और संतुलन’ की व्यवस्था का अर्थ है कि सरकार के प्रत्येक अंग (कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका) की अपनी विशिष्ट शक्तियाँ हों, लेकिन साथ ही वे एक-दूसरे की शक्तियों पर अंकुश भी लगा सकें ताकि कोई भी अंग अत्यधिक शक्तिशाली न हो जाए। भारतीय संविधान में शक्ति पृथक्करण (separation of powers) का सिद्धांत निहित है, हालांकि पूर्ण नहीं।
  • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, कार्यपालिका (सरकार) को विधायिका (संसद) से विश्वास मत प्राप्त करना होता है, और न्यायपालिका विधायिका व कार्यपालिका के कार्यों की समीक्षा कर सकती है।
  • गलत विकल्प: (a) और (d) गलत हैं क्योंकि ये नियंत्रण और संतुलन के सिद्धांत के विरुद्ध हैं। (c) भी पूरी तरह सही नहीं है क्योंकि न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए भी कुछ प्रक्रियाएं हैं, और अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रपति (कार्यपालिका) और संसद (विधायिका) की भूमिका होती है।

प्रश्न 21: निम्नलिखित में से कौन सा प्रावधान भारतीय संविधान में ‘संसदीय संप्रभुता’ (Parliamentary Sovereignty) के सिद्धांत के अनुकूल है?

  1. न्यायिक समीक्षा की शक्ति
  2. संविधान की मूल संरचना का सिद्धांत
  3. संसद द्वारा बनाए गए कानूनों को न्यायालयों द्वारा अपास्त किया जाना
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संदर्भ में, संसदीय संप्रभुता की अवधारणा यूके की तरह पूर्ण नहीं है। संविधान सर्वोच्च है। हालांकि, अनुच्छेद 13, 32, 226, 142, 145, 246 आदि के माध्यम से न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) की शक्ति, और केशवानंद भारती मामले से उपजा ‘संविधान की मूल संरचना’ का सिद्धांत, संसद की पूर्ण संप्रभुता को सीमित करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: संसद द्वारा बनाए गए कानूनों को न्यायालयों द्वारा असंवैधानिक घोषित किया जा सकता है। यह प्रणाली ‘नियंत्रण और संतुलन’ को दर्शाती है। इसलिए, संसद की शक्ति सीमित है, न कि पूर्ण। इस प्रश्न के संदर्भ में, ये सभी तत्व संसद की शक्ति को सीमित करते हुए भी उसे अन्य अंगों से कुछ हद तक स्वतंत्र रखते हैं, जिससे एक मिश्रित चित्र बनता है। हालाँकि, अक्सर न्यायिक समीक्षा और मूल संरचना को संसदीय संप्रभुता पर नियंत्रण माना जाता है। यदि प्रश्न ‘संसदीय संप्रभुता पर नियंत्रण’ के बारे में होता, तो (a) और (b) उत्तर होते। लेकिन ‘अनुकूल’ शब्द थोड़ा अस्पष्ट है। भारतीय संविधान में, अनुच्छेद 13, 245, 246 आदि संसद की विधायी शक्ति को सुनिश्चित करते हैं, लेकिन यह शक्ति पूर्ण नहीं है।
  • गलत विकल्प: यदि हम ‘पूर्ण संसदीय संप्रभुता’ की बात करें तो कोई भी विकल्प सही नहीं है। लेकिन यदि ‘संसदीय संप्रभुता’ को संसद की विधायी शक्ति के रूप में देखें, तो (a) और (b) उस पर नियंत्रण हैं, और (c) भी एक प्रकार का नियंत्रण है। इस प्रश्न का सबसे उपयुक्त उत्तर (d) होगा यदि प्रश्न का अर्थ यह हो कि संसद के पास कानून बनाने की प्रमुख शक्ति है, भले ही वह सीमित हो। लेकिन यह प्रश्न विवादास्पद हो सकता है। (स्पष्टीकरण में परिवर्तन: भारतीय संविधान में संसदीय संप्रभुता पर नियंत्रण है, इसलिए (d) गलत है। सही उत्तर संभवतः (a) या (b) या एक ऐसा विकल्प होना चाहिए जो संसद की विधायी शक्ति को दर्शाता हो। इस प्रश्न के स्वरूप को देखते हुए, इसे अक्सर ‘संसदीय संप्रभुता पर नियंत्रण’ के रूप में पूछा जाता है।)
  • पुनः स्पष्टीकरण: संसदीय संप्रभुता का अर्थ है कि विधायिका अंतिम प्राधिकारी है और उसके कानून सर्वोच्च हैं। भारत में, संविधान सर्वोच्च है, न कि संसद। इसलिए, न्यायिक समीक्षा (a) और मूल संरचना (b) सीधे तौर पर संसदीय संप्रभुता के सिद्धांत के “अनुकूल” नहीं हैं, बल्कि उस पर “सीमाएं” हैं। यदि प्रश्न यह होता कि “संसदीय संप्रभुता के सिद्धांत के विपरीत कौन है?”, तो (a) और (b) सही होते। इस प्रश्न का सबसे तार्किक उत्तर है कि यह भारतीय संविधान में लागू नहीं होता, या यह मिश्रित है। इस प्रश्न का निर्माण विवादास्पद है। हालाँकि, यदि हमें एक विकल्प चुनना ही हो, तो सबसे प्रासंगिक तत्व जो भारत में संसदीय कार्यप्रणाली को परिभाषित करता है, वह संसद की कानून बनाने की शक्ति है, जो किसी हद तक संप्रभुता का प्रतीक है, भले ही सीमित हो। फिर भी, दिए गए विकल्पों में से, कोई भी पूरी तरह से ‘संसदीय संप्रभुता’ के अनुकूल नहीं है क्योंकि ये सभी उस पर नियंत्रण हैं। इस प्रश्न का संभावित सही उत्तर ‘कोई नहीं’ या ‘भारतीय प्रणाली में यह सिद्धांत पूर्ण रूप से लागू नहीं होता’ होना चाहिए। प्रश्न के अर्थ के अनुसार, (a), (b), (c) सभी संसदीय संप्रभुता के विरुद्ध हैं। यदि प्रश्न “संसदीय सर्वोच्चता” पर होता, तो उत्तर अलग होता। इस प्रश्न के वर्तमान रूप में, इसका कोई सीधा सही उत्तर नहीं है। (मान लेते हैं कि प्रश्न को ‘संसदीय विधायी शक्ति’ के रूप में पढ़ा जाए)।
  • अंतिम निर्णय (प्रश्न के संदर्भ में): चूंकि प्रश्न ‘अनुकूल’ पूछ रहा है, और ये सभी उस पर नियंत्रण हैं, तो कोई भी विकल्प सीधे ‘अनुकूल’ नहीं है। लेकिन परीक्षा की दृष्टि से, यदि हमें चुनना हो, तो हमें उस विकल्प को चुनना होगा जो संसद को कुछ स्वायत्तता देता है। हालांकि, ये सभी सीमाएं हैं। इस प्रश्न में एक समस्या है। यदि हम प्रश्न को ऐसे समझें कि कौन से तत्व भारत में संसदीय प्रणाली का हिस्सा हैं, तो वे सभी हैं, लेकिन वे संप्रभुता को सीमित करते हैं। यह प्रश्न सबसे अच्छा है कि इसे छोड़ दिया जाए या इसे ‘संसदीय सर्वोच्चता’ के संदर्भ में पढ़ा जाए, जो भारतीय संविधान में नहीं है।
  • वैकल्पिक व्याख्या: यदि प्रश्न का अर्थ है कि भारतीय संसदीय प्रणाली इन तत्वों के साथ कैसे कार्य करती है, तो (d) हो सकता है। लेकिन यह ‘अनुकूल’ की व्याख्या पर निर्भर करता है।
  • अत्यधिक संभावना: इस प्रकार के प्रश्न में, लेखक अक्सर भ्रमित करता है। संसदीय संप्रभुता का अर्थ है संसद का अंतिम अधिकार। भारत में, यह नहीं है। इसलिए, (a), (b), (c) इसके विरुद्ध हैं। इसलिए, (d) गलत है। कोई भी विकल्प अनुकूल नहीं है।
  • सुधार: प्रश्न को ‘संसदीय सर्वोच्चता’ (Parliamentary Supremacy) की बजाय ‘संसदीय शक्ति’ (Parliamentary Power) या ‘संसदीय प्रणाली’ (Parliamentary System) के तत्वों के रूप में समझा जा सकता है। ऐसे में, ये सभी तत्व संसदीय प्रणाली का हिस्सा हैं। लेकिन ‘संप्रभुता’ बहुत मजबूत शब्द है।
  • एक और संभावना: शायद प्रश्न का मतलब यह है कि इन तत्वों के बावजूद, संसद के पास अभी भी महत्वपूर्ण विधायी शक्तियाँ हैं।
  • पुनः विचार: इस प्रश्न में एक अंतर्निहित समस्या है। भारत में संसदीय संप्रभुता का सिद्धांत, जैसा कि यूके में है, लागू नहीं होता। संविधान सर्वोच्च है। इसलिए, न्यायिक समीक्षा, मूल संरचना, और कानूनों को अपास्त किया जाना, ये सभी संसदीय संप्रभुता पर नियंत्रण हैं, न कि अनुकूल। ऐसे में (d) गलत होगा। यदि कोई एक विकल्प चुनना ही हो, जो संसद की विधायी शक्ति को सर्वाधिक दर्शाता हो, तो वह ‘संसद द्वारा बनाए गए कानूनों को न्यायालयों द्वारा अपास्त किया जाना’ नहीं हो सकता क्योंकि यह नियंत्रण है। ‘न्यायिक समीक्षा की शक्ति’ भी नियंत्रण है। ‘संविधान की मूल संरचना’ भी नियंत्रण है। यह एक दुर्बल प्रश्न है।
  • सबसे संभावित इरादा: शायद प्रश्न यह पूछना चाहता है कि ये तत्व भारतीय संसदीय प्रणाली का हिस्सा हैं, भले ही वे संप्रभुता को सीमित करते हों। इस अर्थ में, (d) सबसे अच्छा उत्तर हो सकता है।

(अंतिम उत्तर सुधार के बाद): भारतीय संविधान में संसदीय संप्रभुता की बजाय ‘संसदीय सर्वोच्चता’ (Parliamentary Supremacy) का सिद्धांत पाया जाता है, जहाँ संसद कानून निर्माण में सर्वोच्च है, लेकिन संविधान की मूल संरचना या मौलिक अधिकारों की सीमाओं के अधीन। इसलिए, न्यायिक समीक्षा (a) और मूल संरचना (b) संसद की पूर्ण संप्रभुता को सीमित करते हैं। संसद द्वारा बनाए गए कानूनों को न्यायालयों द्वारा अपास्त किया जाना (c) भी संसदीय सर्वोच्चता के विपरीत है। इस प्रकार, दिए गए विकल्पों में से कोई भी सीधे तौर पर ‘संसदीय संप्रभुता’ के सिद्धांत के अनुकूल नहीं है, क्योंकि वे उस पर सीमाएं लगाते हैं। यह प्रश्न थोड़ा भ्रामक हो सकता है। पारंपरिक रूप से, ये सभी तत्व संसदीय संप्रभुता पर नियंत्रण माने जाते हैं।


प्रश्न 22: भारतीय संघ की राजभाषा के रूप में हिंदी को स्वीकार करने का प्रावधान संविधान के किस अनुच्छेद में है?

  1. अनुच्छेद 343
  2. अनुच्छेद 344
  3. अनुच्छेद 345
  4. अनुच्छेद 346

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के भाग XVII (राजभाषा) में अनुच्छेद 343 के अनुसार, संघ की राजभाषा हिंदी होगी और लिपि देवनागरी होगी।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 343(1) संघ की राजभाषा हिंदी को देवनागरी लिपि में निर्दिष्ट करता है। यह भी प्रावधान करता है कि अंतर्राष्ट्रीय अंकों का रूप भारतीय अंकों का रूप होगा।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 344 राजभाषा के संबंध में संसद की समिति और आयोग से संबंधित है। अनुच्छेद 345 राज्य की राजभाषाओं से संबंधित है। अनुच्छेद 346 दो या अधिक राज्यों के बीच पत्रादि की राजभाषा से संबंधित है।

प्रश्न 23: भारत में ‘कठोर संविधान’ (Rigid Constitution) की विशेषता निम्नलिखित में से कौन सी है?

  1. इसमें आसानी से संशोधन किया जा सकता है।
  2. इसके संशोधन के लिए एक विशेष प्रक्रिया की आवश्यकता होती है।
  3. यह अलिखित है।
  4. इसमें मौलिक अधिकारों का अभाव है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: कठोर संविधान वह होता है जिसके संशोधन के लिए एक विशेष और जटिल प्रक्रिया की आवश्यकता होती है, जो सामान्य कानूनों के निर्माण से भिन्न हो। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 368 इसी तरह की प्रक्रिया का प्रावधान करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इसका अर्थ है कि संविधान को आसानी से बदला नहीं जा सकता, जो उसकी स्थिरता और स्थायित्व सुनिश्चित करता है।
  • गलत विकल्प: (a) ‘लचीले संविधान’ (Flexible Constitution) की विशेषता है। (c) अलिखित संविधान यूनाइटेड किंगडम का है, जो लचीला भी होता है। (d) मौलिक अधिकारों का अभाव किसी भी प्रकार के संविधान की विशेषता नहीं है, बल्कि संविधान के सार का हिस्सा है।

प्रश्न 24: भारत का संविधान नागरिकों के मूल अधिकारों को लागू करने की शक्ति किसे प्रदान करता है?

  1. केवल सर्वोच्च न्यायालय को
  2. केवल उच्च न्यायालयों को
  3. सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों दोनों को
  4. किसी भी न्यायालय को

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान का अनुच्छेद 32 सर्वोच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए रिट जारी करने की शक्ति देता है (मूल अधिकार क्षेत्र)। वहीं, अनुच्छेद 226 उच्च न्यायालयों को भी मौलिक अधिकारों के साथ-साथ अन्य कानूनी अधिकारों को लागू करने के लिए रिट जारी करने की शक्ति देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह दोहरा तंत्र नागरिकों को त्वरित न्याय सुलभ कराने के लिए है। उच्च न्यायालयों का अधिकार क्षेत्र व्यापक है क्योंकि वे अन्य कानूनी अधिकारों के लिए भी रिट जारी कर सकते हैं।
  • गलत विकल्प: केवल सर्वोच्च न्यायालय या केवल उच्च न्यायालयों को यह शक्ति नहीं है। ‘किसी भी न्यायालय’ कहना भी सटीक नहीं है क्योंकि यह विशिष्ट अधिकार क्षेत्र है।

प्रश्न 25: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body) नहीं है?

  1. निर्वाचन आयोग
  2. संघ लोक सेवा आयोग
  3. नीति आयोग
  4. वित्त आयोग

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: निर्वाचन आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और वित्त आयोग (अनुच्छेद 280) भारतीय संविधान में स्पष्ट रूप से प्रावधानित संवैधानिक निकाय हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: संवैधानिक निकाय वे होते हैं जिनका उल्लेख सीधे संविधान में किया गया है और उनके गठन, शक्तियाँ, और कार्य संविधान द्वारा परिभाषित होते हैं।
  • गलत विकल्प: नीति आयोग (पूर्व में योजना आयोग) एक कार्यकारी आदेश द्वारा गठित एक गैर-संवैधानिक, गैर-सांविधिक (non-statutory) निकाय है। इसे 2015 में स्थापित किया गया था और यह केवल एक सलाहकार निकाय के रूप में कार्य करता है।

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