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निसार सैटेलाइट: धरती का नया ‘जासूस’ – जंगल, बाढ़ और अंधेरे को सुलझाने का मिशन

निसार सैटेलाइट: धरती का नया ‘जासूस’ – जंगल, बाढ़ और अंधेरे को सुलझाने का मिशन

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) की बहुप्रतीक्षित संयुक्त परियोजना, निसार (NISAR) सैटेलाइट, के लॉन्च की तैयारियाँ ज़ोरों पर हैं। यह मिशन न केवल दोनों देशों के बीच सबसे महंगी और शक्तिशाली अंतरिक्ष सहयोग का प्रतीक है, बल्कि पृथ्वी अवलोकन के क्षेत्र में क्रांति लाने की क्षमता भी रखता है। निसार, जिसका पूरा नाम ‘नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar)’ है, अपनी उन्नत रडार तकनीक के माध्यम से घने जंगलों, बर्फीले क्षेत्रों और यहां तक कि अँधेरे में भी पृथ्वी की सतह की विस्तृत और सटीक जानकारी जुटाने में सक्षम होगा। यह उपग्रह अपने 97 मिनट के कक्षा में धरती का एक चक्कर पूरा करेगा, जिससे हमें अपने ग्रह के बदलते स्वरूप, प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।

निसार: एक अभूतपूर्व साझेदारी और उसकी शक्ति (NISAR: An Unprecedented Partnership and Its Power)

निसार परियोजना दो अंतरिक्ष महाशक्तियों, ISRO और NASA, के बीच सहयोग का एक शानदार उदाहरण है। यह न केवल तकनीकी उत्कृष्टता का प्रदर्शन है, बल्कि वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक साझा लक्ष्य की दिशा में काम करने का भी प्रमाण है। इस मिशन का महत्व निम्नलिखित कारणों से और भी बढ़ जाता है:

  • तकनीकी श्रेष्ठता: निसार एक सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) उपग्रह है, जो दोहरी आवृत्ति (L-बैंड और S-बैंड) का उपयोग करता है। यह इसे पृथ्वी की सतह की अत्यंत उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली छवियां प्राप्त करने की क्षमता प्रदान करता है, जो पहले कभी संभव नहीं थी।
  • लागत-प्रभावशीलता: इस तरह के एक उन्नत मिशन को अकेले संचालित करने की तुलना में ISRO और NASA के बीच संसाधनों और विशेषज्ञता को साझा करने से यह अधिक लागत-प्रभावी हो जाता है।
  • पर्यावरणीय निगरानी: निसार का प्राथमिक उद्देश्य पृथ्वी की सतह में होने वाले सूक्ष्म परिवर्तनों, जैसे कि वनों की कटाई, हिमस्खलन, भूस्खलन, बाढ़, और ज्वालामुखी गतिविधि की निगरानी करना है।
  • भूकंपीय अध्ययन: यह उपग्रह पृथ्वी की सतह के विरूपण (deformation) का अध्ययन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिससे भूकंपों की भविष्यवाणी और उनके प्रभावों को समझने में मदद मिल सकती है।

निसार की अनूठी क्षमताएं: ‘धरती का नया जासूस’ (NISAR’s Unique Capabilities: The New ‘Spy’ of Earth)

निसार को ‘धरती का नया जासूस’ कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि इसकी क्षमताएं इसे पृथ्वी का अवलोकन करने के लिए एक असाधारण उपकरण बनाती हैं। इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • सभी मौसमों और प्रकाश की स्थिति में अवलोकन: पारंपरिक ऑप्टिकल सैटेलाइट के विपरीत, SAR तकनीक बादलों, कोहरे, बारिश या रात के अंधेरे से अप्रभावित रहती है। इसका मतलब है कि निसार 24×7, किसी भी मौसम में, पृथ्वी की सतह की स्पष्ट तस्वीरें ले सकता है। यह घने जंगलों के नीचे या बर्फीले तूफानों के दौरान भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने में सक्षम है।
  • उच्च-रिज़ॉल्यूशन मैपिंग: L-बैंड (NASA द्वारा प्रदान किया गया) और S-बैंड (ISRO द्वारा प्रदान किया गया) रडार का संयोजन, 3.7 सेमी (L-बैंड) और 12.5 सेमी (S-बैंड) के रिज़ॉल्यूशन के साथ, पृथ्वी की सतह की विस्तृत और सटीक जानकारी प्रदान करेगा। यह इमारतों, सड़कों और अन्य मानव निर्मित संरचनाओं के साथ-साथ प्राकृतिक भू-आकृतियों की पहचान करने में सहायक होगा।
  • भूमि विरूपण की निगरानी: निसार पृथ्वी की सतह के मिलीमीटर-स्तर के विरूपण को माप सकता है। यह क्षमता भूमि के धंसने (land subsidence), टेक्टोनिक प्लेटों की गति, और ज्वालामुखी गतिविधि जैसे महत्वपूर्ण भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं को ट्रैक करने में मदद करती है।
  • वनस्पति और बायोमास का आकलन: L-बैंड रडार विशेष रूप से घने जंगलों के बायोमास (वनस्पति की मात्रा) का आकलन करने के लिए उपयोगी है, जो जलवायु परिवर्तन अध्ययन और कार्बन चक्र को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • आपदा प्रबंधन: निसार द्वारा प्रदान की गई वास्तविक समय की जानकारी बाढ़, भूस्खलन, भूकंप और जंगल की आग जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने में मदद करेगी। यह राहत और बचाव कार्यों की योजना बनाने में भी महत्वपूर्ण होगा।

उदाहरण: घने जंगलों और अंधेरे में अवलोकन (Example: Observation in Dense Forests and Darkness)

कल्पना कीजिए कि अमेज़न के घने वर्षावन में वनों की कटाई हो रही है, या आर्कटिक क्षेत्र में ग्लेशियर पिघल रहे हैं, या रात के अंधेरे में एक द्वीप पर ज्वालामुखी सक्रिय हो रहा है। पारंपरिक उपग्रहों के लिए इन घटनाओं को स्पष्ट रूप से देखना मुश्किल हो सकता है, खासकर यदि वे घने बादलों या अंधेरे से छिपे हों। निसार का SAR इसे संभव बनाता है। L-बैंड रडार घने वनस्पतियों में प्रवेश कर सकता है और नीचे की भूमि की संरचना का विश्लेषण कर सकता है, जबकि S-बैंड अधिक विस्तृत सतह की जानकारी प्रदान करता है। यह सब कुछ, अंधेरे या खराब मौसम की परवाह किए बिना, वैज्ञानिकों को पृथ्वी के उन सुदूर और दुर्गम कोनों की भी जानकारी देगा जहाँ पहुँच मुश्किल है।

निसार का लॉन्च और कक्षा (NISAR’s Launch and Orbit)

यह मिशन ISRO के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। उपग्रह को पृथ्वी से लगभग 686 किलोमीटर की ऊंचाई पर एक सूर्य-तुल्यकालिक (sun-synchronous) कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इस कक्षा से, निसार लगभग 97 मिनट में एक बार पृथ्वी का पूरा चक्कर लगाएगा। यह तीव्र परिक्रमा आवृत्ति सुनिश्चित करती है कि पृथ्वी के किसी भी हिस्से का बार-बार और नियमित रूप से अवलोकन किया जा सके, जिससे गतिशील परिवर्तनों को सटीक रूप से ट्रैक किया जा सके।

“निसार सिर्फ एक उपग्रह नहीं है, यह मानवता के लिए हमारे ग्रह को बेहतर ढंग से समझने का एक उपकरण है।”
– एक ISRO वैज्ञानिक

निसार के लक्ष्य और अनुप्रयोग (NISAR’s Goals and Applications)

निसार के मिशन के कई महत्वपूर्ण लक्ष्य हैं, जो विभिन्न वैज्ञानिक और सामाजिक क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं:

  1. पृथ्वी की सतह का सटीक मानचित्रण: वैश्विक स्तर पर उच्च-रिज़ॉल्यूशन मानचित्र तैयार करना, जिसमें स्थलाकृति, भूमि उपयोग और भूमि कवर परिवर्तन शामिल हैं।
  2. आपदा निगरानी और प्रतिक्रिया: बाढ़, भूस्खलन, भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, और जंगल की आग जैसी आपदाओं की पहचान, निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया के लिए डेटा प्रदान करना।
  3. जलवायु परिवर्तन अध्ययन: ग्लेशियरों के पिघलने, समुद्र-स्तर में वृद्धि, कार्बन भंडारण (वन बायोमास), और भूमि क्षरण जैसे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को ट्रैक करना।
  4. कृषि और खाद्य सुरक्षा: मिट्टी की नमी, फसल स्वास्थ्य और उपज का अनुमान लगाना, जिससे कृषि पद्धतियों में सुधार और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिले।
  5. भूविज्ञान और भूभौतिकी: टेक्टोनिक प्लेटों की गति, भूकंपीय गतिविधि, और भूमि के धंसने जैसी भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं का अध्ययन करना।
  6. जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र: वनों की कटाई, वनों के स्वास्थ्य, और विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों में हो रहे परिवर्तनों की निगरानी करना।

चुनौतियाँ और भविष्य की राह (Challenges and The Way Forward)

किसी भी जटिल अंतरिक्ष मिशन की तरह, निसार के लॉन्च और संचालन में भी कुछ चुनौतियाँ शामिल हैं:

  • तकनीकी जटिलता: दो अलग-अलग बैंड (L-बैंड और S-बैंड) के SAR को एक साथ एकीकृत करना और उच्चतम सटीकता बनाए रखना एक बड़ी तकनीकी चुनौती है।
  • डेटा प्रबंधन: निसार भारी मात्रा में डेटा उत्पन्न करेगा। इस डेटा को संग्रहीत, संसाधित, विश्लेषित और दुनिया भर के वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं तक पहुँचाने के लिए एक मजबूत डेटा अवसंरचना की आवश्यकता होगी।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: ISRO और NASA के बीच सुचारू समन्वय और संचार, विशेष रूप से लॉन्च, डेटा साझाकरण और समस्या-समाधान के दौरान, महत्वपूर्ण होगा।
  • पेलोड कैलिब्रेशन: उपग्रह के उपकरणों (पेलोड) को लॉन्च के बाद सही ढंग से कैलिब्रेट करना ताकि सटीक माप सुनिश्चित हो सके, यह भी एक महत्वपूर्ण कदम है।

इन चुनौतियों के बावजूद, निसार की क्षमताएं इसे पृथ्वी अवलोकन के क्षेत्र में एक गेम-चेंजर बनाती हैं। यह मिशन न केवल भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। यह हमें अपने ग्रह के बारे में अभूतपूर्व ज्ञान प्रदान करेगा, जिससे हम जलवायु परिवर्तन से निपटने, आपदाओं का प्रबंधन करने और टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने में बेहतर ढंग से सक्षम होंगे।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न 1: निसार (NISAR) मिशन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
    1. यह ISRO और ESA (यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी) का एक संयुक्त मिशन है।
    2. यह मुख्य रूप से पृथ्वी की सतह का अवलोकन करने के लिए सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) तकनीक का उपयोग करता है।
    3. यह L-बैंड और S-बैंड दोनों आवृत्तियों पर डेटा एकत्र करेगा।
    उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
    (a) केवल 1
    (b) केवल 2 और 3
    (c) केवल 1 और 3
    (d) 1, 2 और 3

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: कथन 1 गलत है क्योंकि निसार ISRO और NASA का संयुक्त मिशन है, ESA का नहीं। कथन 2 और 3 सही हैं।
  2. प्रश्न 2: सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) तकनीक के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
    (a) यह केवल दिन के उजाले में काम करती है।
    (b) यह खराब मौसम की स्थिति से अप्रभावित रहती है।
    (c) यह केवल ऑप्टिकल छवियों का उत्पादन करती है।
    (d) इसका रिज़ॉल्यूशन बहुत कम होता है।

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: SAR तकनीक, रडार तरंगों का उपयोग करने के कारण, बादलों, कोहरे, बारिश या अंधेरे से अप्रभावित रहती है, जो इसे सभी मौसमों और प्रकाश की स्थिति में अवलोकन के लिए उपयुक्त बनाती है।
  3. प्रश्न 3: निसार मिशन का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
    (a) मंगल ग्रह पर जीवन की खोज करना।
    (b) पृथ्वी की जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की निगरानी करना।
    (c) चंद्रमा के सुदूर क्षेत्र का मानचित्रण करना।
    (d) सूर्य के कोरोना का अध्ययन करना।

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: निसार का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी की सतह में होने वाले सूक्ष्म परिवर्तनों, जैसे वनों की कटाई, हिमस्खलन, बाढ़, और भूवैज्ञानिक गतिविधियों की निगरानी करके जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझना है।
  4. प्रश्न 4: निसार उपग्रह द्वारा उपयोग की जाने वाली दोहरी आवृत्ति (Dual Frequency) का क्या महत्व है?
    (a) यह उच्च-गति इंटरनेट कनेक्शन प्रदान करता है।
    (b) यह पृथ्वी की सतह की उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली और विविध जानकारी प्राप्त करने में मदद करता है, जिसमें वनस्पति के अंदर प्रवेश करना भी शामिल है।
    (c) यह उपग्रह को सौर विकिरण से बचाता है।
    (d) यह डेटा ट्रांसमिशन को सुरक्षित बनाता है।

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: L-बैंड और S-बैंड आवृत्तियों का संयोजन, भिन्न-भिन्न वेवलेंथ के साथ, पृथ्वी की सतह की विस्तृत और सूक्ष्म जानकारी प्राप्त करने की अनुमति देता है, जिसमें घने जंगलों में प्रवेश करने की क्षमता भी शामिल है।
  5. प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सी स्थिति निसार द्वारा अध्ययन की जाने वाली “भूमि विरूपण” (Land Deformation) का एक उदाहरण है?
    (a) महासागरों में ज्वार-भाटा।
    (b) पृथ्वी की पपड़ी का धीरे-धीरे सिकुड़ना या फैलना।
    (c) क्षुद्रग्रहों का पृथ्वी के पास से गुजरना।
    (d) सौर फ्लेयर्स का पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र पर प्रभाव।

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: भूमि विरूपण से तात्पर्य पृथ्वी की सतह की ऊँचाई या स्थिति में सूक्ष्म परिवर्तनों से है, जैसे टेक्टोनिक प्लेटों की गति, भूमि का धंसना, या भूकंप के कारण सतह का विकृत होना, जिसे निसार माप सकता है।
  6. प्रश्न 6: ISRO और NASA के बीच NISAR मिशन में सहयोग का एक प्रमुख लाभ क्या है?
    (a) संयुक्त रूप से एक अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण करना।
    (b) संसाधनों और विशेषज्ञता को साझा करके मिशन को अधिक लागत-प्रभावी बनाना।
    (c) अन्य देशों के अंतरिक्ष कार्यक्रमों को नियंत्रित करना।
    (d) केवल चंद्रमा पर वैज्ञानिक प्रयोग करना।

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: यह मिशन तकनीकी विशेषज्ञता, वित्तीय संसाधनों और परिचालन क्षमताओं को साझा करने के माध्यम से लागत-प्रभावशीलता और दक्षता सुनिश्चित करता है।
  7. प्रश्न 7: निसार उपग्रह पृथ्वी का एक चक्कर कितने समय में पूरा करेगा?
    (a) लगभग 24 घंटे
    (b) लगभग 97 मिनट
    (c) लगभग 12 घंटे
    (d) लगभग 16 घंटे

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: निसार अपनी कक्षा में लगभग 97 मिनट में पृथ्वी का एक चक्कर पूरा करेगा, जिससे पृथ्वी की सतह का नियमित और बार-बार अवलोकन संभव होगा।
  8. प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा अनुप्रयोग निसार मिशन द्वारा समर्थित होने की संभावना *नहीं* है?
    (a) घने जंगलों के बायोमास का आकलन।
    (b) भूकंपीय गतिविधियों की निगरानी।
    (c) अंतरिक्ष यात्रियों को मंगल ग्रह पर भेजना।
    (d) बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदाओं की पहचान।

    उत्तर: (c)
    व्याख्या: निसार एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है जिसका ध्यान हमारे ग्रह के अध्ययन पर है, न कि मंगल ग्रह पर मानव मिशन भेजने पर।
  9. प्रश्न 9: निसार मिशन में ISRO द्वारा प्रदान किया गया रडार बैंड कौन सा है?
    (a) X-बैंड
    (b) P-बैंड
    (c) S-बैंड
    (d) C-बैंड

    उत्तर: (c)
    व्याख्या: निसार मिशन में NASA L-बैंड रडार प्रदान करता है और ISRO S-बैंड रडार प्रदान करता है।
  10. प्रश्न 10: निसार सैटेलाइट के ‘जासूस’ कहलाने का मुख्य कारण क्या है?
    (a) इसका गुप्त रूप से लॉन्च किया जाना।
    (b) इसकी घने जंगलों और अंधेरे में भी पृथ्वी की सतह को स्पष्ट रूप से देखने की क्षमता।
    (c) इसका बहुत तेज़ संचार करने की क्षमता।
    (d) इसका परमाणु ऊर्जा से संचालित होना।

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: ‘जासूस’ उपमा इसकी सर्व-मौसम, सर्व-प्रकाश क्षमता से आती है, जो इसे पृथ्वी के उन हिस्सों की भी जानकारी निकालने में सक्षम बनाती है जो अन्यथा छिपे रहते हैं।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न 1: सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) तकनीक की विशेषताओं की व्याख्या करें और बताएं कि निसार (NISAR) मिशन के माध्यम से इस तकनीक का उपयोग पृथ्वी अवलोकन, विशेष रूप से आपदा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन अध्ययन के लिए कैसे किया जा सकता है। (250 शब्द)
  2. प्रश्न 2: ISRO और NASA के बीच निसार (NISAR) मिशन एक महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का उदाहरण है। इस साझेदारी के वैज्ञानिक, तकनीकी और कूटनीतिक लाभों का विश्लेषण करें। (250 शब्द)
  3. प्रश्न 3: “निसार उपग्रह पृथ्वी का नया ‘जासूस’ है” – इस कथन के आलोक में, निसार की क्षमताओं का विस्तार से वर्णन करें और यह कैसे हमारे ग्रह के सतत विकास और सुरक्षा के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकता है। (250 शब्द)
  4. प्रश्न 4: निसार मिशन से उत्पन्न होने वाली प्रमुख तकनीकी और डेटा प्रबंधन चुनौतियों पर चर्चा करें और इन चुनौतियों से निपटने के लिए संभावित समाधान सुझाएं। (150 शब्द)

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