80 एकड़ राख, 60+ अनकही कहानियां: धराली त्रासदी – बचाव की राह में 4 दिन की देरी क्यों?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, ‘धराली’ नामक स्थान पर एक भयावह त्रासदी ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। एक विशाल भूस्खलन या विस्फोट (जैसा कि प्रारंभिक रिपोर्टों से संकेत मिलता है) के कारण लगभग 80 एकड़ क्षेत्र मलबे के ढेर में तब्दील हो गया है। इस तबाही में 60 से अधिक लोगों के फंसे होने की आशंका है, और सबसे चिंताजनक बात यह है कि प्रभावी बचाव कार्य शुरू होने और पीड़ितों तक पहुंचने में प्रारंभिक चार दिन लग गए, और अभी भी मलबे को हटाने के लिए पर्याप्त संसाधन (मात्र 3 जेसीबी और 60+ लोग) जुटाए जा रहे हैं। यह घटना न केवल मानवीय जीवन के नुकसान का एक गंभीर मामला है, बल्कि यह भारत में आपदा प्रबंधन, बुनियादी ढांचे की सुरक्षा, त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र की प्रभावशीलता और शासन की जवाबदेही पर भी गंभीर सवाल उठाती है।
यह ब्लॉग पोस्ट धराली त्रासदी के विभिन्न आयामों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जिसमें इसके कारण, प्रभाव, बचाव कार्यों में देरी के कारक, सरकार और प्रशासन की भूमिका, और सबसे महत्वपूर्ण, UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से इसके निहितार्थ शामिल हैं।
धराली त्रासदी: घटना का पैमाना और मानवीय लागत (Scale of the Dharaali Tragedy and its Human Cost)
कल्पना कीजिए 80 एकड़ का एक विशाल क्षेत्र, जो कभी जीवन से भरपूर रहा होगा, अब कंकड़, पत्थर, मिट्टी और मलबे के अथाह सागर में बदल गया है। यह धराली त्रासदी का दृश्य है। यह भूभाग इतना विशाल है कि इसे समतल करने में ही घंटों नहीं, बल्कि दिन लगेंगे। इस परिदृश्य में, 60 से अधिक जानें फंसी हुई हैं – वे शायद अपने प्रियजनों को याद कर रहे होंगे, सहायता की उम्मीद लगाए बैठे होंगे, या शायद उस भयानक क्षण की भयावहता में खो गए होंगे।
- क्षेत्रफल: 80 एकड़ (लगभग 32 हेक्टेयर या 80 फुटबॉल मैदानों के बराबर)। यह अपने आप में बचाव कार्यों की जटिलता को दर्शाता है।
- फंसे हुए लोग: 60+ (अनुमानित)। यह संख्या केवल एक अनुमान है; वास्तविक संख्या अधिक हो सकती है।
- विलंब: प्रभावी मदद पहुंचने में 4 दिन। यह वह समय है जब हर बीता हुआ पल जीवन की उम्मीद को कम करता है।
- संसाधन: 3 जेसीबी और 60+ लोग। क्या ये किसी भी तरह से 80 एकड़ मलबे और अनगिनत दबी हुई जिंदगियों के लिए पर्याप्त हैं?
यह केवल आंकड़ों का खेल नहीं है; यह हर संख्या के पीछे एक कहानी है – एक माँ, एक पिता, एक बच्चा, एक दोस्त। यह एक ऐसी त्रासदी है जिसकी मानवीय लागत अनमोल है और जिसे शायद कभी पूरी तरह से मापा भी न जा सके।
क्यों हुई धराली त्रासदी? संभावित कारण (Why Did the Dharaali Tragedy Occur? Potential Causes)
किसी भी बड़े भूस्खलन या ऐसी विनाशकारी घटना के पीछे कई कारण हो सकते हैं। धराली त्रासदी के विशिष्ट कारणों की आधिकारिक जांच जारी होगी, लेकिन सामान्य तौर पर, ऐसे कारणों में शामिल हो सकते हैं:
- भूवैज्ञानिक और भौगोलिक कारक:
- ढीली मिट्टी और चट्टानें: क्षेत्र की भूवैज्ञानिक संरचना, जिसमें कमजोर चट्टानें या अत्यधिक ढीली मिट्टी शामिल हो सकती है, भूस्खलन के प्रति अधिक संवेदनशील होती है।
- तीव्र ढलान: पहाड़ी या पहाड़ी इलाकों में तीव्र ढलान गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव को बढ़ाते हैं, जिससे मलबे के खिसकने की संभावना बढ़ जाती है।
- जल निकासी: खराब जल निकासी व्यवस्था या भूजल का अत्यधिक जमाव मिट्टी को संतृप्त कर सकता है, जिससे उसका वजन बढ़ जाता है और स्थिरता कम हो जाती है।
- मानवीय गतिविधियाँ:
- अनियोजित निर्माण/खुदाई: सड़कों, इमारतों या खदानों के लिए अनियोजित या अनियंत्रित निर्माण, विशेष रूप से पहाड़ी ढलानों पर, भूस्खलन को ट्रिगर कर सकता है।
- वनस्पति का क्षरण: वनों की कटाई या पेड़-पौधों का हटना मिट्टी को बांधे रखने वाली जड़ों की पकड़ को कमजोर कर देता है, जिससे भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है।
- भूकंपीय गतिविधि: कभी-कभी, छोटे भूकंप या झटके भी अस्थिर ढलानों पर भूस्खलन शुरू कर सकते हैं।
- मौसम संबंधी कारक:
- अत्यधिक वर्षा: विशेष रूप से मानसून के मौसम में, भारी और लगातार वर्षा मिट्टी को संतृप्त करके भूस्खलन का एक प्रमुख कारण बनती है।
- हिमपात का पिघलना: पहाड़ी इलाकों में, तेजी से हिमपात का पिघलना भी अतिरिक्त पानी और अस्थिरता का कारण बन सकता है।
धराली के मामले में, यह संभव है कि इन कारकों में से एक या अधिक का संयोजन जिम्मेदार हो। क्या क्षेत्र में हाल ही में कोई बड़ा निर्माण कार्य हुआ था? क्या पिछले कुछ हफ्तों में अप्रत्याशित रूप से भारी बारिश हुई थी? इन सवालों के जवाब त्रासदी की जड़ तक पहुंचने में मदद करेंगे।
बचाव कार्यों में 4 दिन की देरी: क्या गलत हुआ? (4 Days Delay in Rescue Operations: What Went Wrong?)
यह सबसे परेशान करने वाला पहलू है। 60 से अधिक लोगों के फंसे होने की आशंका के बावजूद, प्रभावी मदद पहुंचने में 4 दिन लगना अविश्वसनीय रूप से चिंताजनक है। यह देरी कई कारणों से हो सकती है, जिनमें से प्रत्येक भारत में संकट प्रतिक्रिया तंत्र की कमजोरियों को उजागर करता है:
- सूचना का प्रवाह और प्रतिक्रिया:
- प्रारंभिक सूचना का अभाव: क्या स्थानीय अधिकारियों को घटना के तुरंत बाद सूचित किया गया था? सूचना के प्रवाह में कोई व्यवधान या देरी हो सकती है।
- संकट का आकलन: त्रासदी के पैमाने और गंभीरता का प्रारंभिक आकलन करने में समय लग सकता है, जिससे संसाधनों की तैनाती में देरी हो सकती है।
- भौगोलिक अलगाव और पहुंच:
- दुर्गम इलाका: हो सकता है कि धराली तक पहुंचना स्वाभाविक रूप से मुश्किल हो, खासकर प्रारंभिक अवस्था में जब सड़कें अवरुद्ध हो सकती हैं।
- खराब मौसम: खराब मौसम (जैसे लगातार बारिश या कोहरा) हेलीकॉप्टर बचाव या भारी मशीनरी की आवाजाही को बाधित कर सकता है।
- संसाधनों की कमी और लॉजिस्टिक्स:
- पर्याप्त मशीनरी की अनुपलब्धता: 80 एकड़ मलबे के लिए केवल 3 जेसीबी का होना स्पष्ट रूप से अपर्याप्त है। विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए भारी-भरकम बचाव उपकरण और क्रेन की आवश्यकता हो सकती है।
- कुशल कर्मियों की कमी: भूस्खलन या इमारत गिरने जैसी विशिष्ट आपदाओं से निपटने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित बचाव दल (NDRF, SDRF) की तुरंत तैनाती में लॉजिस्टिक चुनौतियां हो सकती हैं।
- संचार विफलता: प्रभावित क्षेत्र में संचार की विफलताएं समन्वय में बाधा डाल सकती हैं।
- प्रशासनिक और समन्वय संबंधी मुद्दे:
- अंतर-विभागीय समन्वय: विभिन्न सरकारी विभागों (आपदा प्रबंधन, लोक निर्माण, स्वास्थ्य, पुलिस) के बीच समन्वय में कमी हो सकती है।
- निर्णय लेने में देरी: नौकरशाही की प्रक्रियाएं कभी-कभी त्वरित निर्णय लेने में बाधा बन सकती हैं।
“जब जीवन दांव पर हो, तो हर मिनट मायने रखता है। 4 दिनों की देरी का मतलब है कि उन लोगों के लिए जीवित रहने का एक छोटा अवसर भी खो गया होगा जो फंसे हो सकते हैं।”
यह विलंब उन लोगों के परिवारों के लिए अकल्पनीय पीड़ा का कारण बनता है जो फंसे हुए हैं। यह सवाल उठाता है कि क्या पूर्व-नियोजित संकट प्रतिक्रिया योजनाएं पर्याप्त रूप से तैयार हैं और क्या वे वास्तविक दुनिया की अप्रत्याशित परिस्थितियों को संभाल सकती हैं।
80 एकड़ मलबा, 3 जेसीबी और 60+ लोग: क्या यह पर्याप्त है? (80 Acres Debris, 3 JCBs and 60+ People: Is it Enough?)
यह अनुपात अपने आप में हास्यास्पद लगता है: 80 एकड़ फैला हुआ मलबा, जिसे हटाने के लिए केवल 3 जेसीबी और 60+ लोगों को तैनात किया गया है। इसे समझने के लिए, आइए एक सादृश्य लें:
सादृश्य: मान लीजिए कि आपके पास एक बहुत बड़ा बगीचा है जिसे साफ करने की आवश्यकता है, जिसमें हर जगह बड़ी-बड़ी चट्टानें और ढेर सारे पत्ते बिखरे हुए हैं। यदि आपके पास केवल 3 फावड़े और 60 लोग हैं, तो भी उस विशाल क्षेत्र को कुछ दिनों में साफ करना एक असंभव कार्य होगा, खासकर यदि आप यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि सफाई के दौरान कोई भी मूल्यवान वस्तु (इस मामले में, जीवित व्यक्ति) न छूट जाए। अब सोचिए कि मलबा कंकड़-पत्थर नहीं, बल्कि बड़े-बड़े बोल्डर, धातु के टुकड़े, कंक्रीट और अन्य खतरनाक वस्तुएं हो सकती हैं, और नीचे लोग फंसे हैं।
असली चुनौती:
- मलबे की प्रकृति: मलबा कितना घना है? क्या उसमें बड़े बोल्डर हैं जिन्हें तोड़ने के लिए विशेष उपकरणों की आवश्यकता है?
- जटिलता: क्या मलबा एक साथ गिर गया है या कई परतों में जमा हुआ है? प्रत्येक परत को सावधानीपूर्वक हटाना होगा।
- सुरक्षा: बचाव दल की सुरक्षा सर्वोपरि है। ढहते मलबे के बीच काम करना बेहद खतरनाक है, जिसके लिए विशेष प्रशिक्षण और उपकरणों की आवश्यकता होती है।
- जीवित लोगों की तलाश: जेसीबी का उपयोग मुख्य रूप से मलबा हटाने के लिए किया जाएगा, लेकिन दबे हुए लोगों की तलाश के लिए विशेष खोज दल, डॉग स्क्वॉड और संवेदन उपकरण (जैसे थर्मल कैमरे) की आवश्यकता होती है।
- स्थिरता: मलबे के कुछ हिस्से अस्थिर हो सकते हैं, और उन्हें हटाते समय अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ती है ताकि आगे कोई और मलबा न गिरे।
यह स्पष्ट है कि 3 जेसीबी और 60+ लोगों की वर्तमान टीम केवल शुरुआती चरण के लिए पर्याप्त हो सकती है। इस पैमाने के बचाव कार्य के लिए भारी मशीनरी (जैसे बड़े बुलडोजर, क्रेन, ड्रिलिंग मशीन), विशेष बचाव दल (NDRF, सेना), और एक सुव्यवस्थित लॉजिस्टिक सपोर्ट सिस्टम की आवश्यकता है।
UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता (Relevance for UPSC Examination)
धराली त्रासदी UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों और विषयों के लिए एक महत्वपूर्ण केस स्टडी प्रदान करती है:
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims):
- सामान्य अध्ययन पेपर I: प्राकृतिक आपदाएं, भूस्खलन, भूकंप, भू-आकृतियाँ।
- सामान्य अध्ययन पेपर III: आपदा प्रबंधन (रोकथाम, शमन, प्रतिक्रिया, पुनर्प्राप्ति), राष्ट्रीय सुरक्षा (जवाबी उपाय), आंतरिक सुरक्षा (सामुदायिक सुरक्षा)।
मुख्य परीक्षा (Mains):
- सामान्य अध्ययन पेपर I (भूगोल): प्राकृतिक आपदाओं के कारण और प्रभाव, मानवीय गतिविधियों का पर्यावरण पर प्रभाव।
- सामान्य अध्ययन पेपर II (शासन): सरकार की नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास, केंद्र और राज्यों के बीच मुद्दे, विकासात्मक और सामाजिक क्षेत्र का संगठन, विकास आदि। आपदा प्रबंधन में सरकार की भूमिका, नागरिक समाज की भागीदारी, और जवाबदेही।
- सामान्य अध्ययन पेपर III (सुरक्षा और आपदा प्रबंधन): भारत में आपदा प्रबंधन की संरचना, प्रमुख आपदाएं और उनके प्रबंधन की रणनीतियां, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की भूमिका, NDRF और SDRF की क्षमताएं, जोखिम न्यूनीकरण के उपाय।
- सामान्य अध्ययन पेपर IV (नैतिकता, सत्यनिष्ठा और अभिवृत्ति): सार्वजनिक जीवन में भावनात्मक बुद्धिमत्ता (जैसे संकट के समय में), संकट प्रबंधन में नेतृत्व, नैतिक दुविधाएं (संसाधन आवंटन, प्राथमिकता तय करना)।
धराली त्रासदी इन सभी क्षेत्रों में सीखने के अवसर प्रदान करती है, विशेष रूप से आपदाओं के प्रति भारत की तैयारियों, प्रतिक्रिया की गति और दक्षता, और सबसे महत्वपूर्ण, ‘शासन’ के विभिन्न स्तरों पर जवाबदेही के बारे में।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया और भविष्य की राह (Administrative Response and The Way Forward)
इस तरह की त्रासदी के बाद, एक कुशल और संवेदनशील प्रशासनिक प्रतिक्रिया सर्वोपरि है। इसमें शामिल होना चाहिए:
- त्वरित और प्रभावी बचाव: फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए सभी संभव संसाधन जुटाना, जिसमें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहायता मांगना भी शामिल हो सकता है।
- पीड़ितों की सहायता: पीड़ितों और उनके परिवारों को तत्काल राहत, आश्रय, भोजन, चिकित्सा देखभाल और वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- कारणों की जांच: घटना के मूल कारणों का पता लगाने के लिए एक निष्पक्ष और गहन जांच का आयोजन करना।
- पुनर्निर्माण और पुनर्वास: प्रभावित क्षेत्र के पुनर्निर्माण और विस्थापित समुदायों के पुनर्वास के लिए दीर्घकालिक योजनाएं बनाना।
- भविष्य की रोकथाम: भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए मौजूदा नीतियों और प्रथाओं की समीक्षा करना और उन्हें मजबूत करना।
सुझाव और भविष्य की राह (Suggestions and The Way Forward):
- आपदा-प्रवण क्षेत्रों का मानचित्रण और निगरानी: भूस्खलन और अन्य भूवैज्ञानिक खतरों के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान के लिए उन्नत तकनीकों (जैसे रिमोट सेंसिंग, GIS) का उपयोग करना और उनकी नियमित निगरानी करना।
- मजबूत अर्ली वार्निंग सिस्टम: विश्वसनीय प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों की स्थापना और उन्हें प्रभावी ढंग से संचालित करना, ताकि स्थानीय समुदायों को समय पर सतर्क किया जा सके।
- वनस्पति आवरण को बढ़ावा देना: पहाड़ी ढलानों पर वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करना और वनों की कटाई को रोकना, जो मिट्टी को स्थिर करने में मदद करता है।
- मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOPs) की समीक्षा: आपदा प्रतिक्रिया के लिए मौजूदा SOPs की नियमित समीक्षा करना और उन्हें वास्तविक दुनिया की परिस्थितियों के अनुरूप अपडेट करना।
- संसाधन और क्षमता निर्माण: NDRF, SDRF और स्थानीय आपातकालीन प्रतिक्रिया टीमों के लिए विशेष उपकरणों, प्रशिक्षण और मानव संसाधनों में वृद्धि करना।
- जन जागरूकता और प्रशिक्षण: स्थानीय समुदायों को आपदाओं के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं, इसके बारे में जागरूक और प्रशिक्षित करना।
- अंतर-विभागीय समन्वय में सुधार: आपदा प्रबंधन के लिए विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी एजेंसियों के बीच समन्वय तंत्र को सुव्यवस्थित करना।
- नियोजित विकास: पहाड़ी क्षेत्रों में किसी भी प्रकार के निर्माण या विकास के लिए सख्त पर्यावरणीय और भूवैज्ञानिक मंजूरी अनिवार्य करना।
“सिर्फ प्रतिक्रिया करना काफी नहीं है; हमें सक्रिय रूप से जोखिम को कम करना चाहिए और भविष्य के लिए तैयार रहना चाहिए।”
धराली त्रासदी एक दुखद अनुस्मारक है कि प्रकृति शक्तिशाली है, और जब हम उसे चुनौती देते हैं या उसकी अनदेखी करते हैं, तो परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं। यह भारत के लिए एक वेक-अप कॉल है कि वह अपनी आपदा प्रबंधन क्षमताओं को मजबूत करे, अपनी सबसे कमजोर आबादी की रक्षा करे, और यह सुनिश्चित करे कि ऐसी त्रासदी की पुनरावृत्ति न हो। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह शासन, नैतिकता और मानव जीवन के प्रति जिम्मेदारी का एक गहरा सबक है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. कथन:
1. धराली त्रासदी में 80 एकड़ क्षेत्र मलबे में तब्दील हो गया।
2. 60 से अधिक लोगों के फंसे होने की आशंका है।
3. प्रभावी मदद पहुंचने में 4 दिन लगे।
उपरोक्त कथनों में से कौन से सही हैं?
a) केवल 1 और 2
b) केवल 2 और 3
c) केवल 1 और 3
d) 1, 2 और 3
उत्तर: d) 1, 2 और 3
व्याख्या: समाचार शीर्षक के अनुसार, सभी तीन कथन सही हैं।
2. भूस्खलन के लिए निम्नलिखित में से कौन सा एक प्रमुख कारक नहीं है?
a) भारी वर्षा
b) मिट्टी का क्षरण
c) तीव्र ढलान
d) भूकंपीय गतिविधि
उत्तर: b) मिट्टी का क्षरण (मिट्टी का क्षरण स्वयं एक परिणाम हो सकता है, लेकिन भूस्खलन का प्रत्यक्ष ‘कारक’ नहीं, बल्कि वनस्पति का हटना या कमजोर मिट्टी भूस्खलन का कारण बनते हैं)।
व्याख्या: भारी वर्षा, तीव्र ढलान और भूकंपीय गतिविधि भूस्खलन को ट्रिगर करने वाले प्रमुख कारक हैं। मिट्टी का क्षरण अक्सर इन कारकों या अन्य मानवीय गतिविधियों का परिणाम होता है, जिससे भूस्खलन का खतरा बढ़ता है।
3. राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) का प्राथमिक कार्य क्या है?
a) केवल प्राकृतिक आपदाओं में बचाव कार्य करना।
b) केवल आतंकवादी हमलों में बचाव कार्य करना।
c) प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों आपदाओं में विशेष बचाव और राहत कार्य प्रदान करना।
d) आपदाओं के कारणों की जांच करना।
उत्तर: c) प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों आपदाओं में विशेष बचाव और राहत कार्य प्रदान करना।
व्याख्या: NDRF को प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं (जैसे भूस्खलन, बाढ़, भूकंप, आग, रासायनिक रिसाव) दोनों में विशेष बचाव और राहत कार्यों के लिए प्रशिक्षित और तैनात किया जाता है।
4. आपदा प्रबंधन के ‘शमन’ (Mitigation) चरण का क्या अर्थ है?
a) आपदा घटित होने के बाद राहत प्रदान करना।
b) आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए पूर्व-आपदा उपाय करना।
c) आपदा के बाद पुनर्निर्माण करना।
d) आपदा की चेतावनी देना।
उत्तर: b) आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए पूर्व-आपदा उपाय करना।
व्याख्या: शमन (Mitigation) का अर्थ है जोखिम को कम करने के लिए ऐसे उपाय करना जो आपदा के घटित होने की संभावना या उसके प्रभाव को कम कर सकें, जैसे बिल्डिंग कोड लागू करना, बाढ़ नियंत्रण बांध बनाना, या संवेदनशील क्षेत्रों में विकास को नियंत्रित करना।
5. धराली त्रासदी के मामले में, ’80 एकड़’ के पैमाने का क्या तात्पर्य है?
a) प्रभावित लोगों की संख्या।
b) बचाव दल में शामिल लोगों की संख्या।
c) मलबे से प्रभावित क्षेत्र का आकार।
d) त्रासदी के कारण हुई मौतों की संख्या।
उत्तर: c) मलबे से प्रभावित क्षेत्र का आकार।
व्याख्या: 80 एकड़ त्रासदी से प्रभावित कुल भौगोलिक क्षेत्र को दर्शाता है।
6. निम्नलिखित में से कौन सी संस्था भारत में आपदा प्रबंधन के लिए नोडल एजेंसी है?
a) भारतीय सेना
b) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)
c) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)
d) गृह मंत्रालय (MoH)
उत्तर: b) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)
व्याख्या: NDMA भारत में आपदा प्रबंधन के लिए शीर्ष वैधानिक निकाय है, जो नीति निर्माण, योजना और समन्वय के लिए जिम्मेदार है।
7. आपदा प्रतिक्रिया में ‘अर्ली वार्निंग सिस्टम’ (Early Warning System) का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य क्या है?
a) आपदा के बाद नुकसान का आकलन करना।
b) लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने के लिए पर्याप्त समय प्रदान करना।
c) बचाव कर्मियों को निर्देश देना।
d) आपदा से प्रभावित क्षेत्रों की पहचान करना।
उत्तर: b) लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने के लिए पर्याप्त समय प्रदान करना।
व्याख्या: एक प्रभावी अर्ली वार्निंग सिस्टम लोगों को संभावित खतरे के बारे में समय पर सूचित करता है, जिससे उन्हें अपनी जान बचाने के लिए कदम उठाने का मौका मिलता है।
8. हाल के वर्षों में, पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन की घटनाओं में वृद्धि के संभावित कारणों में से कौन सा शामिल नहीं है?
a) अनियोजित शहरीकरण और निर्माण।
b) वनों का कटाव।
c) जलवायु परिवर्तन के कारण तीव्र और अप्रत्याशित वर्षा।
d) पर्वतारोहण को बढ़ावा देना।
उत्तर: d) पर्वतारोहण को बढ़ावा देना।
व्याख्या: पर्वतारोहण (यदि सुरक्षित रूप से किया जाए) सीधे तौर पर बड़े पैमाने पर भूस्खलन का कारण नहीं बनता है। हालांकि, पर्वतारोहण मार्गों के विकास के दौरान की गई गतिविधियां (जैसे सड़क निर्माण) अप्रत्यक्ष रूप से योगदान कर सकती हैं। अन्य सभी विकल्प भूस्खलन के सीधे कारण हैं।
9. प्रशासनिक प्रतिक्रिया में ‘पुनर्प्राप्ति’ (Recovery) चरण का क्या अर्थ है?
a) तुरंत बचाव अभियान शुरू करना।
b) आपदा से पहले निवारक उपाय करना।
c) दीर्घकालिक पुनर्निर्माण और समुदायों को सामान्य जीवन में वापस लाना।
d) आपदा के कारणों की जांच करना।
उत्तर: c) दीर्घकालिक पुनर्निर्माण और समुदायों को सामान्य जीवन में वापस लाना।
व्याख्या: पुनर्प्राप्ति (Recovery) चरण में आपदा से हुए नुकसान को ठीक करना, बुनियादी ढांचे का पुनर्निर्माण करना और प्रभावित समुदायों को उनके सामान्य या बेहतर जीवन स्तर पर वापस लाना शामिल है।
10. धराली त्रासदी में बचाव कार्यों की अपर्याप्तता के संदर्भ में, निम्नलिखित में से किस प्रकार के उपकरण की सबसे अधिक आवश्यकता होगी?
a) केवल हल्के वाहन।
b) बड़े बुलडोजर, क्रेन और ड्रिलिंग मशीनें।
c) केवल हाथ के औजार।
d) केवल चिकित्सा वाहन।
उत्तर: b) बड़े बुलडोजर, क्रेन और ड्रिलिंग मशीनें।
व्याख्या: 80 एकड़ मलबे को हटाने और गंभीर रूप से फंसे हुए लोगों तक पहुंचने के लिए भारी-भरकम मशीनरी जैसे बड़े बुलडोजर, क्रेन और संभावित रूप से कंक्रीट या चट्टानों को तोड़ने के लिए ड्रिलिंग मशीनों की आवश्यकता होती है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. धराली त्रासदी में बचाव कार्यों में हुई 4 दिन की देरी के विभिन्न कारणों का विश्लेषण करें। भारत के मौजूदा आपदा प्रतिक्रिया तंत्र की कमजोरियों को उजागर करने के लिए इस मामले का उपयोग करें और ऐसी देरी को रोकने के लिए सुधारात्मक उपायों का सुझाव दें। (250 शब्द, 15 अंक)
* मुख्य बिंदु: सूचना प्रवाह, भौगोलिक अलगाव, संसाधनों की कमी (मशीनरी, विशेषज्ञ), लॉजिस्टिक्स, प्रशासनिक समन्वय।
* कमजोरियां: अपर्याप्त पूर्व-नियोजन, संसाधन आवंटन में अंतराल, समन्वय की कमी।
* सुधार: बेहतर प्रारंभिक चेतावनी, स्थानीय क्षमता निर्माण, बेहतर लॉजिस्टिक योजना, अंतर-एजेंसी समन्वय, निजी क्षेत्र की भागीदारी।
2. “भारत में, विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में, भूस्खलन और संबंधित आपदाओं की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है।” इस कथन का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। धराली त्रासदी जैसी घटनाओं के संदर्भ में, मानवजनित कारक और जलवायु परिवर्तन इस प्रवृत्ति में कैसे योगदान करते हैं, इसकी व्याख्या करें। (250 शब्द, 15 अंक)
* आलोचनात्मक मूल्यांकन: प्राकृतिक प्रवृत्तियों (भूगोल) के साथ-साथ मानवजनित और जलवायु संबंधी कारकों के योगदान पर जोर।
* मानवजनित कारक: अनियोजित निर्माण, वनों की कटाई, पहाड़ी ढलानों पर खुदाई, खनन।
* जलवायु परिवर्तन: चरम मौसम की घटनाएं (भारी वर्षा, अप्रत्याशित मानसून), तापमान वृद्धि।
* योगदान: ये कारक मिट्टी को अस्थिर करते हैं, पानी के प्रवेश को बढ़ाते हैं, और भूस्खलन की आवृत्ति और तीव्रता को बढ़ाते हैं।
3. आपदा प्रबंधन के ‘आपदा शमन’ (Disaster Mitigation) और ‘आपदा प्रतिक्रिया’ (Disaster Response) चरणों की तुलना और अंतर स्पष्ट करें। धराली त्रासदी के प्रकाश में, भारत को भूस्खलन जैसे जोखिमों को कम करने के लिए शमन उपायों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता क्यों है, इस पर तर्क दें। (150 शब्द, 10 अंक)
* तुलना/अंतर: शमन (पूर्व-आपदा, जोखिम कम करना) बनाम प्रतिक्रिया (आपदा के दौरान, जीवन और संपत्ति की रक्षा)।
* शमन पर जोर:
* प्रतिक्रिया की लागत से कम।
* जीवन बचाना अधिक प्रभावी।
* दीर्घकालिक स्थिरता।
* धराली जैसी घटनाएं दर्शाती हैं कि केवल प्रतिक्रिया पर्याप्त नहीं है, शमन में निवेश आवश्यक है।
* जैसे: मजबूत बिल्डिंग कोड, भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, वृक्षारोपण।
4. धराली त्रासदी में मलबे को हटाने के लिए उपलब्ध सीमित मशीनरी (3 जेसीबी) की स्थिति को देखते हुए, आप इस तरह की प्रमुख आपदाओं से निपटने के लिए भारत की सामग्री और मानव संसाधन की तैयारी का मूल्यांकन कैसे करेंगे? इस अंतर को पाटने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए? (150 शब्द, 10 अंक)
* मूल्यांकन: संसाधन की कमी (भारी मशीनरी, विशेष उपकरण, प्रशिक्षित जनशक्ति) को उजागर करना।
* अंतर को पाटना:
* NDRF/SDRF की क्षमताएं बढ़ाना।
* निजी क्षेत्र के साथ एमओयू (MOU) या साझेदारी।
* आवश्यक उपकरणों का स्टॉकपाइलिंग (Stockpiling)।
* स्थानीय निकायों को प्रशिक्षित करना और उपकरण उपलब्ध कराना।
* सेना की विशेषज्ञता का उपयोग।