8.7 तीव्रता का भूकंप: रूस तट पर महाविनाश, जापान-अमेरिका सुनामी की चपेट में! जानिए सब कुछ
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में रूस के प्रशांत महासागर के तटीय इलाकों में 8.7 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप ने दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इस भूकंप ने न केवल रूस के तट पर भारी तबाही मचाई है, बल्कि जापान, अमेरिका (विशेष रूप से हवाई और पश्चिमी तट), फिलीपींस, और अन्य प्रशांत महासागर से सटे देशों के लिए भी सुनामी की चेतावनी जारी की गई है। यह घटना प्राकृतिक आपदाओं, उनकी भविष्यवाणी, प्रबंधन और वैश्विक सुरक्षा पर एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन गई है, जो विशेष रूप से UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
भूकंप की गहराई: 8.7 तीव्रता का महाप्रलय
8.7 तीव्रता का भूकंप अपने आप में एक महाविनाशकारी घटना है। यह रिक्टर स्केल पर अब तक दर्ज किए गए सबसे शक्तिशाली भूकंपों में से एक है। ऐसे भूकंपों की ऊर्जा इतनी अधिक होती है कि वे सैकड़ों किलोमीटर दूर तक महसूस किए जा सकते हैं और भारी तबाही मचा सकते हैं।
भूकंपीय तरंगें और उनकी शक्ति:
- प्रकार: यह भूकंप संभवतः एक ‘सबडक्शन जोन’ (Subduction Zone) में उत्पन्न हुआ होगा, जहाँ एक टेक्टोनिक प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे खिसकती है। रूस का प्रशांत तट, विशेष रूप से कामचटका प्रायद्वीप, ‘पैसिफिक रिंग ऑफ फायर’ का हिस्सा है, जो दुनिया के सबसे सक्रिय भूकंपीय और ज्वालामुखीय क्षेत्रों में से एक है।
- ऊर्जा का मापन: रिक्टर स्केल एक लॉगरिदमिक स्केल है, जिसका अर्थ है कि तीव्रता में एक अंक की वृद्धि ऊर्जा में लगभग 32 गुना वृद्धि का प्रतिनिधित्व करती है। 8.7 तीव्रता का मतलब है कि यह 7.7 तीव्रता के भूकंप की तुलना में 32 गुना अधिक ऊर्जावान था, और 6.7 तीव्रता के भूकंप की तुलना में लगभग 1000 गुना अधिक।
- भूकंप के प्रकार:
- छिछला भूकंप (Shallow Earthquake): यदि भूकंप का केंद्र सतह के करीब (0-70 किमी) है, तो यह अधिक विनाशकारी होता है क्योंकि ऊर्जा सीधे सतह तक पहुँचती है।
- गहरा भूकंप (Deep Earthquake): यदि भूकंप का केंद्र सतह से काफी नीचे (70 किमी से अधिक) है, तो ऊर्जा फैल जाती है, जिससे सतह पर प्रभाव कम हो सकता है, लेकिन इसके अन्य प्रभाव हो सकते हैं।
भूकंप का केंद्र और प्रभावित क्षेत्र:
रूस का तटीय इलाका, विशेष रूप से कामचटका और कुरिल द्वीप समूह, भूकंपीय गतिविधि के लिए जाना जाता है। इस क्षेत्र में पैसिफिक प्लेट, ओखोटस्क प्लेट (जो कभी-कभी रूसी प्लेट का हिस्सा मानी जाती है) और उत्तरी अमेरिकी प्लेट जैसी टेक्टोनिक प्लेटें मिलती हैं।
“टेक्टोनिक प्लेटों की गति और अंतःक्रिया ही भूकंपों का मूल कारण है। जब ये प्लेटें एक-दूसरे से टकराती हैं, रगड़ती हैं या एक-दूसरे के नीचे खिसकती हैं, तो तनाव उत्पन्न होता है। जब यह तनाव एक निश्चित सीमा को पार कर जाता है, तो अचानक ऊर्जा मुक्त होती है, जिससे भूकंप आता है।”
सुनामी का खतरा: महासागरों का प्रलयकारी रूप
8.7 तीव्रता के बड़े भूकंप, विशेष रूप से यदि वे समुद्र के नीचे (Submarine Earthquake) आते हैं और उनमें ऊर्ध्वाधर गति (Vertical Displacement) होती है, तो वे विनाशकारी सुनामी लहरें उत्पन्न कर सकते हैं।
सुनामी कैसे बनती है?
- समुद्री तल का विस्थापन: जब समुद्र के नीचे भूकंप आता है और समुद्री तल का एक बड़ा हिस्सा अचानक ऊपर या नीचे उठता है, तो यह अपने ऊपर स्थित पानी को भी विस्थापित करता है।
- ऊर्जा का स्थानांतरण: यह विस्थापित पानी एक विशाल ऊर्जा के साथ लहरों की एक श्रृंखला के रूप में आगे बढ़ता है। खुले महासागर में, ये लहरें बहुत धीमी गति से (लगभग 800 किमी/घंटा) यात्रा करती हैं, लेकिन इनकी ऊंचाई बहुत कम (कुछ सेंटीमीटर से एक मीटर तक) होती है, इसलिए जहाजों को इनका पता नहीं चलता।
- तट पर प्रभाव: जैसे ही ये लहरें उथले पानी वाले तटीय क्षेत्रों में पहुँचती हैं, उनकी गति धीमी हो जाती है, लेकिन उनकी ऊर्जा केंद्रित होती है, जिससे उनकी ऊंचाई नाटकीय रूप से बढ़ जाती है। ये दीवार जैसी लहरें तट पर विनाशकारी बाढ़ का कारण बनती हैं।
प्रभावित देश और चेतावनी प्रणाली:
भूकंप का केंद्र जहाँ भी रहा हो, 8.7 तीव्रता का भूकंप पैसिफिक महासागर में एक व्यापक सुनामी उत्पन्न करने की क्षमता रखता है। इसीलिए जापान, अमेरिका (प्रशांत तट और हवाई), फिलीपींस, इंडोनेशिया, न्यूजीलैंड और अन्य प्रशांत तटीय देशों में सुनामी की चेतावनी जारी की जाती है।
- पैसिफिक सुनामी चेतावनी केंद्र (PTWC): यह केंद्र दुनिया भर में सुनामी की निगरानी करता है और संबंधित देशों को प्रारंभिक चेतावनी जारी करता है।
- स्थानीय चेतावनी प्रणालियाँ: प्रत्येक देश की अपनी राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसियां भी सुनामी की गंभीरता के आधार पर स्थानीय स्तर पर चेतावनी जारी करती हैं, जिसमें निकासी आदेश भी शामिल हो सकते हैं।
“सुनामी कोई एक लहर नहीं होती, बल्कि लहरों की एक श्रृंखला होती है। पहली लहर सबसे बड़ी नहीं भी हो सकती है। इसलिए, चेतावनी जारी होने के बाद तटीय इलाकों को खाली कर देना और अधिकारियों के निर्देशों का पालन करना महत्वपूर्ण है।”
UPSC के लिए प्रासंगिक विषय: भूविज्ञान, आपदा प्रबंधन और अंतर्राष्ट्रीय संबंध
यह घटना UPSC परीक्षा के विभिन्न पहलुओं से जुड़ी है:
1. सामान्य अध्ययन पेपर I: भौतिक भूगोल
- भूकंप विज्ञान (Seismology): भूकंप के कारण, तीव्रता का मापन (रिक्टर स्केल, मर्कैली स्केल), भूकंपीय तरंगें (P, S, Surface waves), प्लेट टेक्टोनिक्स, ‘पैसिफिक रिंग ऑफ फायर’, सबडक्शन जोन।
- भू-आकृतिविज्ञान (Geomorphology): सुनामी के कारण तटीय भू-आकृतियों में परिवर्तन, कटाव (erosion), निक्षेपण (deposition)।
- समुद्र विज्ञान (Oceanography): महासागरीय धाराएं, सुनामी की गति और व्यवहार।
2. सामान्य अध्ययन पेपर III: आपदा प्रबंधन
- आपदा की प्रकृति: भूकंप और सुनामी की प्रकृति, उनके कारण और प्रभाव।
- जोखिम मूल्यांकन और भेद्यता (Risk Assessment and Vulnerability): किन क्षेत्रों में भूकंप और सुनामी का अधिक खतरा है, जनसंख्या और बुनियादी ढांचे की भेद्यता।
- आपदा की रोकथाम और शमन (Prevention and Mitigation):
- भूकंपरोधी निर्माण (Earthquake-resistant construction): बिल्डिंग कोड, डिजाइन और सामग्री।
- सुनामी शमन उपाय: समुद्री दीवारें (Seawalls), मैंग्रोव वनस्पति (Mangrove forests) जो प्राकृतिक बाधाओं के रूप में कार्य करती हैं, भूमि उपयोग योजना (Land-use planning)।
- आपदा प्रतिक्रिया और बहाली (Response and Recovery):
- प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (Early Warning Systems): महत्वपूर्ण भूमिका।
- निकासी योजना (Evacuation plans): समुदाय की तैयारी, प्रशिक्षण।
- बचाव और राहत कार्य (Rescue and Relief operations): राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग।
- पुनर्निर्माण और पुनर्वास (Reconstruction and Rehabilitation)।
- कानूनी और संस्थागत ढाँचा: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA)।
3. सामान्य अध्ययन पेपर II: अंतर्राष्ट्रीय संबंध
- आपदा कूटनीति (Disaster Diplomacy): प्राकृतिक आपदाओं के समय देशों के बीच सहयोग।
- अंतर्राष्ट्रीय संगठन: संयुक्त राष्ट्र (UN) की भूमिका, अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट।
- क्षेत्रीय सहयोग: पैसिफिक क्षेत्र के देशों के बीच सहयोग (जैसे ASEAN, APEC)।
- सीमा पार आपदा प्रबंधन: जब आपदा एक देश को प्रभावित करती है और दूसरे देशों में भी इसके गंभीर परिणाम होते हैं (जैसे सुनामी)।
आपदा प्रबंधन की भारत की तैयारी: एक विहंगम दृष्टि
भारत, स्वयं एक भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र (विशेष रूप से हिमालयी क्षेत्र) में स्थित होने के कारण, भूकंप और सुनामी जैसी आपदाओं के प्रबंधन में महत्वपूर्ण अनुभव रखता है।
भारत में आपदा प्रबंधन का ढाँचा:
- संस्थागत ढाँचा:
- राष्ट्रीय स्तर: गृह मंत्रालय (MHA) नोडल मंत्रालय है, जबकि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) नीतियों, योजनाओं और दिशानिर्देशों के निर्माण के लिए शीर्ष निकाय है। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और राष्ट्रीय अग्निशमन सेवा (NFS) बचाव और राहत कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- राज्य स्तर: राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) राज्य स्तर पर जिम्मेदार हैं।
- जिला स्तर: जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) जिला स्तर पर कार्यों का समन्वय करता है।
- नीतिगत ढाँचा:
- आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005: इसने भारत में आपदा प्रबंधन के लिए एक कानूनी और संस्थागत ढाँचा प्रदान किया।
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (NDMP): यह सभी प्रकार की आपदाओं के लिए एक व्यापक योजना है।
- प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली: भारत के पास हिंद महासागर सुनामी चेतावनी प्रणाली (IOTWS) का एक सक्रिय सदस्य होने के नाते सुनामी की प्रारंभिक चेतावनी प्राप्त करने और प्रसार करने की क्षमता है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) भूकंपीय गतिविधियों की निगरानी करता है।
“2004 की हिंद महासागर सुनामी ने भारत को आपदा प्रबंधन की गंभीरता का एहसास कराया। इसके बाद से, भारत ने अपनी प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों, प्रतिक्रिया क्षमताओं और शमन उपायों को काफी मजबूत किया है।”
चुनौतियाँ और भविष्य की राह
भूकंप और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं का प्रबंधन एक सतत चुनौती है। कुछ प्रमुख चुनौतियाँ इस प्रकार हैं:
- भूकंप की अप्रत्याशितता: भूकंप को निश्चित रूप से भविष्यवाणी करना अभी भी विज्ञान के लिए एक बड़ी चुनौती है। हम केवल जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान कर सकते हैं और भेद्यता को कम कर सकते हैं।
- सुनामी की पहुँच: पैसिफिक जैसे विशाल महासागर में, सुनामी कई देशों के तटों तक पहुँच सकती है, जिससे एक व्यापक अंतर्राष्ट्रीय समन्वय की आवश्यकता होती है।
- शहरीकरण और जनसंख्या घनत्व: तटीय और भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्रों में बढ़ता शहरीकरण और जनसंख्या घनत्व जोखिम को बढ़ाता है।
- जागरूकता और प्रशिक्षण: आम जनता के बीच आपदा की तैयारी, निकासी प्रक्रियाओं और सुरक्षित व्यवहार के बारे में जागरूकता का स्तर बढ़ाना महत्वपूर्ण है।
- जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: हालांकि सीधे तौर पर भूकंप का कारण नहीं है, जलवायु परिवर्तन महासागरों के तापमान और समुद्री स्तर को प्रभावित कर सकता है, जो सुनामी के प्रभाव को अप्रत्यक्ष रूप से बदल सकता है।
- वित्तपोषण और संसाधन: मजबूत शमन उपायों, उन्नत प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों और प्रभावी प्रतिक्रिया तंत्र के लिए पर्याप्त वित्तपोषण और संसाधनों की आवश्यकता होती है।
भविष्य की राह:
- बेहतर पूर्वानुमान तकनीकें: भूकंपीय डेटा विश्लेषण और भूभौतिकीय मॉडलिंग में और अधिक अनुसंधान।
- प्रौद्योगिकी का उपयोग: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग (ML) का उपयोग भूकंपीय पैटर्न की पहचान और प्रारंभिक चेतावनी में सुधार के लिए।
- मजबूत अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: सूचना साझाकरण, संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास और संयुक्त अनुसंधान।
- ‘बिल्ड बैक बेटर’ सिद्धांत: आपदा के बाद पुनर्निर्माण करते समय, भविष्य की आपदाओं का सामना करने के लिए अधिक लचीले और सुरक्षित तरीकों को अपनाना।
- स्थानीय समुदाय की भागीदारी: आपदा प्रबंधन योजनाओं में स्थानीय समुदायों को सक्रिय रूप से शामिल करना।
निष्कर्ष
रूस के तटीय इलाके में 8.7 तीव्रता के भूकंप और उसके बाद सुनामी की चेतावनियों ने एक बार फिर प्राकृतिक आपदाओं की शक्ति और तैयारी की आवश्यकता को रेखांकित किया है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह घटना न केवल भूविज्ञान और भूगोल का एक महत्वपूर्ण विषय है, बल्कि यह आपदा प्रबंधन, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और मानव जाति के सामने आने वाली चुनौतियों पर भी प्रकाश डालती है। ऐसी घटनाओं से सीखना और अपनी तैयारियों को लगातार मजबूत करना ही सबसे बुद्धिमानी का कार्य है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. कथन 1: रिक्टर स्केल पर तीव्रता में एक अंक की वृद्धि ऊर्जा में लगभग 10 गुना वृद्धि दर्शाती है।
कथन 2: मर्कैली स्केल भूकंप के कारण होने वाली क्षति और लोगों की प्रतिक्रिया को मापता है।
सही उत्तर चुनें:
(a) केवल कथन 1
(b) केवल कथन 2
(c) दोनों कथन 1 और 2
(d) न तो कथन 1 और न ही कथन 2
उत्तर: (b)
व्याख्या: रिक्टर स्केल पर तीव्रता में एक अंक की वृद्धि ऊर्जा में लगभग 32 गुना वृद्धि दर्शाती है, जबकि मर्कैली स्केल क्षति को मापता है।
2. ‘पैसिफिक रिंग ऑफ फायर’ के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
I. यह प्रशांत महासागर के चारों ओर एक घोड़े की नाल के आकार का क्षेत्र है।
II. यह क्षेत्र उच्च भूकंपीय और ज्वालामुखीय गतिविधि के लिए जाना जाता है।
III. भारत का हिमालयी क्षेत्र भी ‘पैसिफिक रिंग ऑफ फायर’ का हिस्सा है।
इनमें से कौन से कथन सही हैं?
(a) I और II
(b) II और III
(c) I और III
(d) I, II और III
उत्तर: (a)
व्याख्या: भारत का हिमालयी क्षेत्र ‘पैसिफिक रिंग ऑफ फायर’ का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के अभिसरण (Convergence) के कारण भूकंपीय रूप से सक्रिय है।
3. सुनामी के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
I. सुनामी लहरें खुले महासागर में बहुत तेज गति से यात्रा करती हैं।
II. सुनामी का सबसे बड़ा प्रभाव तब होता है जब वे उथले पानी वाले तटीय क्षेत्रों में प्रवेश करती हैं।
III. सुनामी केवल समुद्र के नीचे आने वाले भूकंपों से ही उत्पन्न हो सकती है।
सही कथन चुनें:
(a) I और II
(b) II और III
(c) I और III
(d) I, II और III
उत्तर: (a)
व्याख्या: सुनामी समुद्र के नीचे भूस्खलन (Landslides), ज्वालामुखी विस्फोट (Volcanic eruptions) या उल्कापिंड के प्रभाव (Meteorite impacts) से भी उत्पन्न हो सकती है, न कि केवल भूकंप से।
4. निम्नलिखित में से कौन सी संस्था पैसिफिक क्षेत्र में सुनामी की निगरानी और चेतावनी जारी करने के लिए जिम्मेदार है?
(a) भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS)
(b) संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO)
(c) पैसिफिक सुनामी चेतावनी केंद्र (PTWC)
(d) विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO)
उत्तर: (c)
व्याख्या: PTWC प्रशांत क्षेत्र के लिए प्राथमिक सुनामी चेतावनी केंद्र है। INCOIS भारत के लिए सुनामी चेतावनी जारी करता है।
5. आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत, निम्नलिखित में से कौन सी संस्था भारत में आपदा प्रबंधन के लिए नीतियाँ और दिशानिर्देश बनाती है?
(a) राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF)
(b) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)
(c) गृह मंत्रालय (MHA)
(d) राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA)
उत्तर: (b)
व्याख्या: NDMA नीतियों और दिशानिर्देशों के निर्माण के लिए शीर्ष निकाय है, जबकि MHA नोडल मंत्रालय है।
6. भूकंपीय तरंगों (Seismic Waves) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
I. P-तरंगें (Primary waves) सबसे तेज होती हैं और ठोस, तरल और गैसों से गुजर सकती हैं।
II. S-तरंगें (Secondary waves) केवल ठोस माध्यम से गुजर सकती हैं।
III. सतह तरंगें (Surface waves) भूकंप के दौरान पृथ्वी की सतह पर चलती हैं और सबसे विनाशकारी होती हैं।
सही कथन चुनें:
(a) I और II
(b) II और III
(c) I और III
(d) I, II और III
उत्तर: (d)
7. निम्नलिखित में से कौन सा प्राकृतिक उपाय सुनामी की लहरों की शक्ति को कम करने में मदद कर सकता है?
(a) कंक्रीट की ऊंची दीवारें बनाना
(b) तटीय क्षेत्रों में मैंग्रोव वनों का रोपण
(c) घरों को ऊंचाई पर बनाना
(d) तटीय क्षेत्रों का पूर्ण निर्वनीकरण
उत्तर: (b)
व्याख्या: मैंग्रोव वन प्राकृतिक बाधाओं के रूप में कार्य करते हैं जो सुनामी की ऊर्जा को अवशोषित और कम कर सकते हैं।
8. ‘सबडक्शन जोन’ (Subduction Zone) से आप क्या समझते हैं?
(a) जहाँ टेक्टोनिक प्लेटें एक-दूसरे से दूर जाती हैं।
(b) जहाँ टेक्टोनिक प्लेटें एक-दूसरे के समानांतर खिसकती हैं।
(c) जहाँ एक टेक्टोनिक प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे खिसकती है।
(d) जहाँ ज्वालामुखी सक्रिय रूप से फटते हैं।
उत्तर: (c)
9. भारत में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) का प्राथमिक कार्य क्या है?
(a) आपदा की भविष्यवाणी करना
(b) आपदाओं के दौरान बचाव और राहत कार्य करना
(c) आपदा प्रबंधन नीतियाँ बनाना
(d) अंतर्राष्ट्रीय आपदा सहायता का समन्वय करना
उत्तर: (b)
10. 2004 की हिंद महासागर सुनामी के बाद, भारत ने अपनी प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली को मजबूत करने के लिए किस अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली में सक्रिय रूप से भाग लिया?
(a) यूरोपियन सुनामी चेतावनी प्रणाली (ETWS)
(b) पैसिफिक सुनामी चेतावनी प्रणाली (PTWS)
(c) हिंद महासागर सुनामी चेतावनी प्रणाली (IOTWS)
(d) अटलांटिक सुनामी चेतावनी प्रणाली (ATWS)
उत्तर: (c)
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. प्रश्न: “पैसिफिक रिंग ऑफ फायर” के संदर्भ में, प्राकृतिक आपदाओं (भूकंप और ज्वालामुखी) की आवृत्ति और तीव्रता का विश्लेषण करें। भारत के लिए इस क्षेत्र की गतिविधियों का क्या महत्व है? (250 शब्द, 15 अंक)
* मुख्य बिंदु: पैसिफिक रिंग ऑफ फायर का भौगोलिक विवरण, टेक्टोनिक प्लेटें, भूकंपीय और ज्वालामुखीय गतिविधियाँ, 2004 की सुनामी जैसी प्रमुख घटनाएँ, भारत के लिए भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक महत्व (क्षेत्रीय स्थिरता, समुद्री सुरक्षा)।
2. प्रश्न: भारत में आपदा प्रबंधन के लिए एक प्रभावी प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (Early Warning System) के महत्व पर प्रकाश डालें। हालिया भूकंपीय घटनाओं को देखते हुए, भारत की तैयारियों और चुनौतियों का मूल्यांकन करें। (250 शब्द, 15 अंक)
* मुख्य बिंदु: प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली का महत्व (जीवन बचाना, क्षति कम करना), भारत की वर्तमान प्रणाली (NDMA, INCOIS, IMD), तैयारी (प्रौद्योगिकी, जन जागरूकता, निष्कासन योजना), चुनौतियाँ (वित्तीयन, पहुँच, प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी उन्नयन)।
3. प्रश्न: सुनामी जैसी तटीय आपदाओं के शमन (mitigation) के लिए ‘प्रकृति-आधारित समाधान’ (Nature-based Solutions) के महत्व का वर्णन करें। भारत में इनके अनुप्रयोग के उदाहरण दें। (150 शब्द, 10 अंक)
* मुख्य बिंदु: प्रकृति-आधारित समाधानों का अर्थ (मैंग्रोव, कोरल रीफ, सैंड ड्यून), शमन में उनकी भूमिका, भारत में उदाहरण (सुंदरबन मैंग्रोव, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह), लाभ (लागत-प्रभावी, पारिस्थितिकीय, सामाजिक)।
4. प्रश्न: प्राकृतिक आपदाओं के प्रति भारत की भेद्यता (vulnerability) को कम करने के लिए ‘आपदा-लचीला अवसंरचना’ (Disaster-Resilient Infrastructure) की आवश्यकता और इसके प्रमुख घटकों पर चर्चा करें। (150 शब्द, 10 अंक)
* मुख्य बिंदु: भेद्यता क्या है, आपदा-लचीला अवसंरचना का अर्थ, क्यों आवश्यक है (जीवन की सुरक्षा, आर्थिक निरंतरता), प्रमुख घटक (भूकंपरोधी भवन, मजबूत पुल, तटबंध, जल निकासी प्रणाली), सरकार की भूमिका, चुनौतियाँ।