7 सवाल: तेजस्वी यादव के वोटर ID मामले से क्या UPSC के लिए सीख?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
हाल ही में, बिहार के उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के वरिष्ठ नेता तेजस्वी यादव एक नए विवाद में घिरे हैं। उन पर एक ही व्यक्ति के दो अलग-अलग स्थानों पर मतदाता पहचान पत्र (Voter ID card) रखने का आरोप लगा है। इस मामले को संज्ञान में लेते हुए, भारत के चुनाव आयोग (Election Commission of India – ECI) ने तेजस्वी यादव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है और उनसे एक EPIC (Electors’ Photo Identity Card) कार्ड को चुनाव आयोग को सौंपने का निर्देश दिया है। यह घटनाक्रम न केवल राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना है, बल्कि UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए भी महत्वपूर्ण प्रासंगिकता रखता है। यह मामला चुनावी प्रक्रिया की अखंडता, कानून के शासन और राजनेताओं की जवाबदेही जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को रेखांकित करता है।
यह ब्लॉग पोस्ट इस पूरे मुद्दे का गहन विश्लेषण करेगा, उन 7 प्रमुख सवालों पर प्रकाश डालेगा जो UPSC उम्मीदवारों के लिए प्रासंगिक हैं, और चुनावी कानूनों, नियमों और आयोग की भूमिका को विस्तार से समझाएगा।
1. क्या है तेजस्वी यादव का दोहरा मतदाता पहचान पत्र मामला?
यह पूरा विवाद एक कथित आरोप से शुरू हुआ कि तेजस्वी यादव के पास दो वैध मतदाता पहचान पत्र हैं – एक बिहार के पटना जिले के राघोपुर विधानसभा क्षेत्र से और दूसरा हरियाणा के गुरुग्राम से। मतदाता पहचान पत्र, जिसे EPIC (Electors’ Photo Identity Card) भी कहा जाता है, भारत में एक व्यक्ति को एक निश्चित पते पर मतदान करने का अधिकार देने वाला एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। एक से अधिक स्थानों पर मतदाता के रूप में पंजीकृत होना और दो EPIC कार्ड रखना, भारतीय कानूनों के तहत एक गंभीर अपराध है।
चुनाव आयोग के अनुसार, यह सुनिश्चित करना एक नागरिक का दायित्व है कि वह केवल एक ही स्थान पर मतदाता के रूप में पंजीकृत हो। आयोग के पास मतदाता सूचियों को साफ-सुथरा और अद्यतन रखने की जिम्मेदारी है। जब आयोग को इस तरह के उल्लंघन की जानकारी मिलती है, तो वह संबंधित व्यक्ति को नोटिस जारी करता है और मामले की जांच करता है। इस मामले में, चुनाव आयोग ने तेजस्वी यादव से एक EPIC कार्ड जमा करने का निर्देश दिया है, यह मानते हुए कि उनके पास दोहरे पंजीकरण का मामला हो सकता है।
2. चुनाव आयोग की भूमिका क्या है और यह मामला क्यों महत्वपूर्ण है?
भारत का चुनाव आयोग (ECI) एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है जिसकी स्थापना 25 जनवरी 1950 को हुई थी। इसका प्राथमिक कार्य भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना है। इसकी शक्तियों और जिम्मेदारियों का उल्लेख भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 में किया गया है।
ECI की प्रमुख भूमिकाएँ:
- चुनावों का संचालन: राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और संसद (लोकसभा और राज्यसभा) के साथ-साथ राज्य विधानसभाओं और विधान परिषदों के लिए चुनावों की अधिसूचना जारी करना, कार्यक्रम तय करना और उनका संचालन करना।
- मतदाता सूचियों का निर्माण: योग्य नागरिकों को मतदाता सूची में नामांकित करना और मतदाता सूचियों को अद्यतन और त्रुटिहीन रखना।
- आचार संहिता लागू करना: चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct – MCC) लागू करना ताकि सभी दल और उम्मीदवार निष्पक्ष तरीके से चुनाव लड़ सकें।
- राजनीतिक दलों को मान्यता देना: राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों को मान्यता देना और उनके चुनाव चिह्नों का आवंटन करना।
- विवादों का निपटारा: चुनाव संबंधी शिकायतों और विवादों पर निर्णय लेना।
इस मामले का महत्व:
यह मामला कई कारणों से महत्वपूर्ण है:
- कानून का शासन: यह दर्शाता है कि कानून सभी के लिए समान है, चाहे वह एक आम नागरिक हो या एक प्रमुख राजनेता।
- चुनावी अखंडता: दोहरे मतदाता पंजीकरण से चुनाव प्रक्रिया की अखंडता को खतरा हो सकता है, क्योंकि इससे संभावित रूप से एक व्यक्ति द्वारा एक से अधिक बार मतदान करने का अवसर मिल सकता है।
- ECI की शक्ति प्रदर्शन: यह चुनाव आयोग की शक्ति और उसके द्वारा ऐसे मामलों में की जाने वाली कार्रवाई का एक उदाहरण है।
- जवाबदेही: यह राजनेताओं की जवाबदेही तय करने की प्रक्रिया को भी उजागर करता है।
“चुनाव आयोग का मुख्य उद्देश्य सभी नागरिकों को समान अवसर प्रदान करना और चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष रखना है। ऐसे किसी भी कृत्य जो इस प्रक्रिया की शुचिता पर सवाल उठाते हैं, को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।” – एक वरिष्ठ चुनाव विश्लेषक
3. क्या कहता है कानून? (जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और 1951)
भारत में चुनावों और मतदाता पंजीकरण से संबंधित कानूनों को मुख्य रूप से दो अधिनियमों द्वारा नियंत्रित किया जाता है: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 (Representation of the People Act, 1950) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (Representation of the People Act, 1951)।
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950:
यह अधिनियम मतदाता सूचियों की तैयारी और निर्वाचक नामावली के संबंध में प्रावधान करता है।
- धारा 17 (One Person One Vote): यह अधिनियम कहता है कि किसी भी व्यक्ति को एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता के रूप में पंजीकृत नहीं किया जा सकता है। हालांकि, यह अधिनियम स्पष्ट रूप से “दो EPIC कार्ड” रखने को एक अपराध के रूप में परिभाषित नहीं करता है, लेकिन एक से अधिक स्थानों पर मतदाता के रूप में पंजीकृत होना स्वयं में एक अवैध कार्य है।
- धारा 18 (Disqualifications for registration in electoral roll): यह धारा उन कारणों को बताती है जिनके कारण किसी व्यक्ति को मतदाता सूची में पंजीकृत नहीं किया जा सकता।
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951:
यह अधिनियम चुनावों के संचालन, सांसदों और विधायकों के चुनाव, चुनाव अपराधों और उनके निपटारे से संबंधित है।
- धारा 123 (Corrupt Practices): इस अधिनियम के तहत, “किसी भी व्यक्ति द्वारा एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान करने के लिए पंजीकरण कराना” एक भ्रष्ट आचरण माना जा सकता है, यदि यह चुनाव के संदर्भ में सिद्ध हो।
- धारा 171G (False statements made knowingly): यदि कोई व्यक्ति गलत जानकारी देता है, तो उसे दंडित किया जा सकता है।
- धारा 202 (False statement for procuring registration of name): यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में पंजीकृत कराने के लिए जानबूझकर गलत बयान देता है, तो वह दंड का भागी होगा।
EPIC कार्ड और कानूनी स्थिति:
EPIC कार्ड, जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, मतदाता का पहचान पत्र है। यह व्यक्ति की पहचान और मतदान के अधिकार का प्रमाण है। यह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के तहत मतदाता सूची में नाम दर्ज होने के बाद जारी किया जाता है। यदि किसी व्यक्ति के पास दो EPIC कार्ड हैं, तो इसका तात्पर्य यह है कि वह संभवतः दो स्थानों पर मतदाता के रूप में पंजीकृत है, जो सीधे तौर पर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के धारा 17 का उल्लंघन है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि किसी भी अधिनियम के तहत “दोहरे EPIC कार्ड रखने” को सीधे तौर पर एक दंडनीय अपराध के रूप में सूचीबद्ध नहीं किया गया है, लेकिन इस स्थिति की जड़ में “एक से अधिक स्थानों पर मतदाता के रूप में पंजीकृत होना” है, जो निश्चित रूप से एक अवैध कृत्य है और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत कार्रवाई योग्य है। चुनाव आयोग के पास ऐसे मामले में नोटिस जारी करने और मतदाता के रूप में एक पंजीकरण को रद्द करने का अधिकार है।
4. इस मामले में क्या कार्रवाई हो सकती है?
चुनाव आयोग द्वारा नोटिस जारी करने के बाद, तेजस्वी यादव को अपनी सफाई पेश करनी होगी। चुनाव आयोग निम्नलिखित कार्रवाई कर सकता है:
- स्पष्टीकरण मांगना: आयोग तेजस्वी यादव से पूछेगा कि उनके पास दो मतदाता पहचान पत्र क्यों हैं और वे किस आधार पर एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत हैं।
- एक पंजीकरण रद्द करना: यदि जांच में यह पाया जाता है कि तेजस्वी यादव दो स्थानों पर पंजीकृत हैं, तो आयोग उनके एक मतदाता पंजीकरण को रद्द कर सकता है। आमतौर पर, जो पंजीकरण सबसे नया होता है या जो अमान्य पाया जाता है, उसे रद्द किया जाता है।
- कानूनी कार्रवाई: यदि यह पाया जाता है कि जानबूझकर गलत जानकारी दी गई है या कानून का उल्लंघन किया गया है, तो जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। हालांकि, यह आमतौर पर तब होता है जब यह चुनावी अपराधों से जुड़ा हो।
- EPIC कार्ड जमा करना: आयोग द्वारा EPIC कार्ड सौंपने का निर्देश, पंजीकरण को ठीक करने की दिशा में एक कदम है।
संभावित दंड:
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 25 (Penalty for registration in more than one place) के तहत, यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी एक निर्वाचन क्षेत्र के अलावा किसी अन्य निर्वाचन क्षेत्र में अपना नाम पंजीकृत कराता है, तो उसे कारावास या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है। यह दंड 1 वर्ष तक के कारावास या ₹500 तक का जुर्माना हो सकता है।
5. UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: किन क्षेत्रों पर ध्यान दें?
यह मामला UPSC परीक्षा के विभिन्न पहलुओं से जुड़ा हुआ है, विशेषकर सामान्य अध्ययन पेपर I (समाज), पेपर II (सरकार, राजनीति, शासन, संवैधानिक निकाय) और पेपर IV (नैतिकता)।
UPSC उम्मीदवारों के लिए मुख्य अध्ययन क्षेत्र:
- चुनाव आयोग (ECI): इसकी शक्तियां, कार्य, स्वतंत्रता, चुनाव सुधारों में भूमिका।
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA): RPA 1950 और 1951 के मुख्य प्रावधान, भ्रष्ट आचरण, चुनाव अपराध।
- मतदाता पंजीकरण: प्रक्रिया, पात्रता, EPIC कार्ड का महत्व, मतदाता सूचियों की शुचिता।
- शासन और जवाबदेही: राजनेताओं की जवाबदेही, नैतिकता, कानून का पालन।
- चुनावी सुधार: एक व्यक्ति, एक वोट सिद्धांत, ‘ऑपरेशन ब्लैक मनी’, चुनाव प्रचार में पारदर्शिता।
- संवैधानिक नैतिकता: सार्वजनिक जीवन में नैतिकता का महत्व।
परीक्षा के दृष्टिकोण से विश्लेषण:
- MCQs: ECI की शक्तियां, RPA की धाराएँ, मतदाता पंजीकरण की प्रक्रिया से संबंधित प्रश्न आ सकते हैं।
- मेन्स प्रश्न: यह मामला “चुनावी प्रक्रिया में सुधार”, “राजनेताओं की जवाबदेही”, “ECI की भूमिका और चुनौतियाँ”, “शासन में नैतिकता” जैसे विषयों पर विश्लेषण के लिए एक केस स्टडी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
6. चुनौतियाँ और आगे की राह
चुनौतियाँ:
- जागरूकता की कमी: कई नागरिकों को मतदाता पंजीकरण के नियमों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं होती है।
- डेटा मिलान में कठिनाई: बड़ी आबादी और कई मतदाता सूचियों के कारण, डुप्लिकेट प्रविष्टियों की पहचान करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है।
- प्रशासनिक क्षमता: मतदाता सूचियों को अद्यतन और शुद्ध रखने के लिए पर्याप्त प्रशासनिक क्षमता और तकनीक की आवश्यकता होती है।
- राजनीतिक हस्तक्षेप: कभी-कभी, राजनीतिक दल भी मतदाता सूचियों में हेरफेर करने का प्रयास कर सकते हैं, हालांकि ECI इस पर कड़ी नजर रखता है।
आगे की राह:
- डिजिटल इंडिया पहल: आधार, मतदाता सूची और अन्य डेटाबेस के एकीकरण से डुप्लिकेट पंजीकरण की पहचान आसान हो सकती है, हालांकि इसके लिए गोपनीयता और डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।
- जागरूकता अभियान: नागरिकों को एक ही स्थान पर पंजीकृत होने के महत्व और दोहराव के परिणामों के बारे में शिक्षित करना।
- तकनीकी समाधान: उन्नत डेटा एनालिटिक्स और AI का उपयोग करके मतदाता सूचियों को नियमित रूप से साफ करना।
- कानूनों का सख्त प्रवर्तन: यह सुनिश्चित करना कि कानून के उल्लंघन पर उचित कार्रवाई हो, ताकि अन्य लोगों को भी एक मिसाल मिले।
- ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ पर जोर: चुनावी सुधारों में इस सिद्धांत को मजबूती से लागू करना।
7. इस मामले से UPSC के लिए क्या सीखें?
यह मामला UPSC उम्मीदवारों को सिखाता है कि कैसे समसामयिक घटनाओं को विश्लेषणात्मक रूप से देखा जाए और उन्हें परीक्षा के पाठ्यक्रम से जोड़ा जाए।
मुख्य सीख:
- विविधता में एकता: राजनेता के रूप में, एक व्यक्ति को अपने नागरिक कर्तव्यों और विशेषाधिकारों का पालन करते हुए कानूनों का पालन करना चाहिए।
- संवैधानिक निकायों का महत्व: चुनाव आयोग जैसे संवैधानिक निकायों की स्वतंत्रता और शक्ति को समझना आवश्यक है, क्योंकि वे लोकतंत्र के प्रहरी हैं।
- कानून का शासन: कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है। चाहे वह नागरिक हो या नेता, सभी को नियमों का पालन करना होगा।
- परीक्षा के लिए सामग्री: यह घटना सीधे तौर पर ‘शासन’, ‘राजनीति’, ‘चुनावी सुधार’ और ‘नैतिकता’ जैसे विषयों से जुड़ी है, जो UPSC के मुख्य परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण: केवल घटना पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, इसके पीछे के कानूनी, संवैधानिक और सामाजिक पहलुओं का विश्लेषण करना सीखना चाहिए।
यह मामला हमें याद दिलाता है कि भारत का लोकतंत्र एक जीवंत संस्था है, जिसके सुचारू संचालन के लिए प्रत्येक नागरिक, विशेष रूप से सार्वजनिक जीवन में रहने वाले व्यक्तियों से उच्च स्तर की ईमानदारी, जवाबदेही और कानून के पालन की अपेक्षा की जाती है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, इस तरह की घटनाओं का अध्ययन न केवल ज्ञान बढ़ाता है, बल्कि उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक और संभावित प्रशासक बनने के लिए तैयार भी करता है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न 1: भारत के चुनाव आयोग (ECI) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. ECI की स्थापना 25 जनवरी 1950 को हुई थी।
2. ECI में मुख्य चुनाव आयुक्त और दो अन्य चुनाव आयुक्त शामिल होते हैं, जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
3. ECI भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और संसद के साथ-साथ राज्य विधानमंडलों के लिए चुनावों का संचालन करता है।
उपरोक्त कथनों में से कौन से सही हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3उत्तर: (d) 1, 2 और 3
व्याख्या: तीनों कथन सही हैं।
- प्रश्न 2: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की निम्नलिखित में से कौन सी धारा एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में पंजीकरण को रोकती है?
(a) धारा 16
(b) धारा 17
(c) धारा 18
(d) धारा 19उत्तर: (b) धारा 17
व्याख्या: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 17 के अनुसार, किसी भी व्यक्ति का नाम किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता के रूप में केवल एक बार पंजीकृत किया जा सकता है।
- प्रश्न 3: EPIC (Electors’ Photo Identity Card) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. यह मतदाता को मतदान के अधिकार का एक महत्वपूर्ण पहचान प्रमाण है।
2. इसे जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत जारी किया जाता है।
3. यह मतदाता सूची में नाम दर्ज होने का प्रमाण है।
उपरोक्त कथनों में से कौन से सही हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3उत्तर: (b) केवल 1 और 3
व्याख्या: EPIC कार्ड मतदाता का पहचान प्रमाण है और मतदाता सूची में नाम दर्ज होने का प्रमाण है। इसे जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के तहत मतदाता पंजीकरण की प्रक्रिया के हिस्से के रूप में जारी किया जाता है, न कि 1951 के अधिनियम के तहत।
- प्रश्न 4: यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में अपना नाम पंजीकृत कराता है, तो उसे जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की किस धारा के तहत दंडित किया जा सकता है?
(a) धारा 22
(b) धारा 23
(c) धारा 24
(d) धारा 25उत्तर: (d) धारा 25
व्याख्या: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 25 ऐसे व्यक्ति को दंड का प्रावधान करती है।
- प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा एक “भ्रष्ट आचरण” (Corrupt Practice) माना जा सकता है, जैसा कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में परिभाषित किया गया है?
(a) मतदान के दिन वोट डालना।
(b) किसी भी व्यक्ति द्वारा एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान करने के लिए पंजीकरण कराना।
(c) चुनाव के दौरान अपना राष्ट्रीय ध्वज फहराना।
(d) चुनाव आयोग द्वारा जारी निर्देश का पालन करना।उत्तर: (b) किसी भी व्यक्ति द्वारा एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान करने के लिए पंजीकरण कराना।
व्याख्या: RPA, 1951 की धारा 123 के तहत, इस तरह का पंजीकरण भ्रष्ट आचरण माना जा सकता है, विशेषकर यदि यह चुनाव को प्रभावित करता हो।
- प्रश्न 6: “एक व्यक्ति, एक वोट” सिद्धांत का सबसे अच्छा अर्थ क्या है?
(a) प्रत्येक व्यक्ति को केवल एक ही वोट देना चाहिए।
(b) प्रत्येक मतदाता को केवल एक ही निर्वाचन क्षेत्र से वोट देना चाहिए।
(c) प्रत्येक व्यक्ति को दो अलग-अलग मतदान केंद्रों पर वोट देने का अधिकार है।
(d) एक व्यक्ति के पास एक से अधिक वोट का प्रयोग करने का अधिकार हो सकता है यदि वह दो स्थानों पर पंजीकृत हो।उत्तर: (b) प्रत्येक मतदाता को केवल एक ही निर्वाचन क्षेत्र से वोट देना चाहिए।
व्याख्या: सिद्धांत यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक नागरिक एक निश्चित चुनावी क्षेत्र में केवल एक बार ही अपने मताधिकार का प्रयोग करे, जिससे चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता बनी रहे।
- प्रश्न 7: चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता (MCC) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?
(a) यह एक संवैधानिक रूप से अनिवार्य नियम है।
(b) यह पार्टियों और उम्मीदवारों के लिए एक दिशानिर्देश है।
(c) यह चुनाव आयोग द्वारा लागू की जाती है।
(d) यह सुनिश्चित करती है कि सत्ताधारी दल अपने प्रभाव का दुरुपयोग न करे।उत्तर: (a) यह एक संवैधानिक रूप से अनिवार्य नियम है।
व्याख्या: आदर्श आचार संहिता का उल्लेख सीधे तौर पर संविधान में नहीं है; यह चुनाव आयोग द्वारा पार्टियों और उम्मीदवारों के लिए जारी किए गए दिशानिर्देशों का एक समूह है। हालाँकि, चुनाव आयोग इसे लागू करता है और इसके उल्लंघन पर कार्रवाई कर सकता है, जिससे यह अप्रत्यक्ष रूप से चुनावी कानूनों का हिस्सा बन जाता है।
- प्रश्न 8: भारत में मतदाता सूचियों की शुचिता (purity) सुनिश्चित करने में निम्नलिखित में से कौन सी संस्था प्रमुख भूमिका निभाती है?
(a) भारत का सर्वोच्च न्यायालय
(b) भारत का चुनाव आयोग
(c) महान्यायवादी
(d) राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोगउत्तर: (b) भारत का चुनाव आयोग
व्याख्या: मतदाता सूचियों को तैयार करना, संशोधित करना और उन्हें अद्यतन रखना भारत के चुनाव आयोग की प्रमुख जिम्मेदारी है।
- प्रश्न 9: तेजस्वी यादव के मामले में चुनाव आयोग द्वारा EPIC कार्ड सौंपने का निर्देश, किस व्यापक चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा है?
(a) मतदाता सूची का शुद्धिकरण
(b) उम्मीदवार का नामांकन
(c) मतदान प्रक्रिया का अवलोकन
(d) मतगणना की प्रक्रियाउत्तर: (a) मतदाता सूची का शुद्धिकरण
व्याख्या: दोहरे पंजीकरण को समाप्त करके मतदाता सूची को सटीक और अद्यतन बनाना मतदाता सूची के शुद्धिकरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- प्रश्न 10: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत “भ्रष्ट आचरण” (Corrupt Practices) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(a) मतदाताओं को सुविधाएँ प्रदान करना।
(b) चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता और पवित्रता को बनाए रखना।
(c) उम्मीदवारों को प्रचार के लिए अधिक समय देना।
(d) मतदान की दर बढ़ाना।उत्तर: (b) चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता और पवित्रता को बनाए रखना।
व्याख्या: भ्रष्ट आचरण को प्रतिबंधित करके, अधिनियम यह सुनिश्चित करता है कि चुनाव अनुचित साधनों से प्रभावित न हों।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न 1: “एक व्यक्ति, एक वोट, एक मतदाता पहचान पत्र” के सिद्धांत के महत्व पर प्रकाश डालें। तेजस्वी यादव के दोहरे मतदाता पहचान पत्र के विवाद के आलोक में, चुनाव आयोग की भूमिका और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 व 1951 के प्रासंगिक प्रावधानों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। (250 शब्द, 15 अंक)
- प्रश्न 2: भारत में चुनावी अखंडता (electoral integrity) सुनिश्चित करने में चुनाव आयोग के समक्ष आने वाली प्रमुख चुनौतियों का विश्लेषण करें। ऐसे दोहरे मतदाता पंजीकरण जैसे मुद्दों से निपटने के लिए आयोग द्वारा की गई पहलों और आगे की राह पर चर्चा करें। (250 शब्द, 15 अंक)
- प्रश्न 3: सार्वजनिक जीवन में नैतिकता (ethics in public life) के महत्व पर चर्चा करें। तेजस्वी यादव के मतदाता पहचान पत्र मामले से प्राप्त सीखों के आधार पर, राजनेताओं की जवाबदेही (accountability) सुनिश्चित करने के लिए संवैधानिक और कानूनी ढाँचे की पर्याप्तता का मूल्यांकन करें। (150 शब्द, 10 अंक)
- प्रश्न 4: भारत में मतदाता पंजीकरण प्रक्रिया में सुधार और मतदाता सूचियों की शुचिता बनाए रखने के लिए तकनीकी हस्तक्षेपों (technological interventions) की भूमिका का वर्णन करें। आधार और मतदाता डेटाबेस के एकीकरण से जुड़े संभावित लाभों और चिंताओं पर प्रकाश डालें। (150 शब्द, 10 अंक)