50% टैरिफ वृद्धि: अमेरिकी प्रतिबंधों का भारत पर प्रभाव, UPSC के लिए सम्पूर्ण विश्लेषण
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत पर लगाए गए टैरिफ (शुल्क) को 50% तक बढ़ाने वाले एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं। इस कदम ने वैश्विक व्यापारिक संबंधों में हलचल मचा दी है और विशेष रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था और निर्यात पर इसके संभावित प्रभावों को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। यह घटना भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार के परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ का प्रतिनिधित्व करती है, जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। UPSC परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए, इस विषय को समझना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, भारतीय अर्थव्यवस्था, भू-राजनीति और वर्तमान घटनाओं जैसे कई जीएस पेपर के लिए प्रासंगिक है।
यह टैरिफ वृद्धि क्या है? (What is this Tariff Hike?)
राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यकारी आदेश के तहत, अमेरिका ने भारत से आयात किए जाने वाले कुछ विशिष्ट उत्पादों पर टैरिफ की दरें बढ़ाई हैं। इस वृद्धि का सटीक प्रतिशत 50% है, जो कि एक महत्वपूर्ण वृद्धि मानी जाती है। टैरिफ, सरल शब्दों में, एक प्रकार का कर है जो सरकार आयातित वस्तुओं पर लगाती है। इसका मुख्य उद्देश्य घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना और सरकार के लिए राजस्व उत्पन्न करना होता है।
मुख्य बिंदु:
- लक्ष्यित उत्पाद: यह टैरिफ वृद्धि किसी एक उत्पाद पर नहीं, बल्कि संभवतः भारतीय निर्यात के उन क्षेत्रों पर केंद्रित है जहाँ अमेरिका को व्यापार घाटा अधिक दिखाई देता है या जहाँ वह अपने घरेलू उद्योगों को मजबूत करना चाहता है।
- कार्यकारी आदेश: राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित कार्यकारी आदेश, राष्ट्रपति की शक्तियों के तहत तत्काल लागू होता है, हालांकि इसके कार्यान्वयन और प्रभाव में कुछ समय लग सकता है।
- 50% की वृद्धि: यह वृद्धि काफी आक्रामक मानी जाती है और यह इंगित करती है कि अमेरिका अपने व्यापारिक एजेंडे को लेकर गंभीर है।
भारत-अमेरिका व्यापार संबंध: एक संक्षिप्त अवलोकन (India-US Trade Relations: A Brief Overview)
भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध पिछले कुछ दशकों में लगातार विकसित हुए हैं। ये संबंध न केवल आर्थिक बल्कि भू-राजनीतिक महत्व भी रखते हैं। अमेरिका भारत के सबसे बड़े व्यापारिक भागीदारों में से एक है, और भारत के लिए भी अमेरिका एक महत्वपूर्ण निर्यात गंतव्य है।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य:
- शुरुआत में, दोनों देशों के बीच व्यापार अपेक्षाकृत सीमित था।
- 2000 के दशक के बाद से, दोनों देशों के बीच व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जिसमें प्रौद्योगिकी, सेवाओं और कृषि जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा है।
- हालांकि, व्यापार घाटा (जब एक देश दूसरे देश से अधिक आयात करता है बजाय इसके कि वह निर्यात करे) अमेरिका के लिए एक लगातार चिंता का विषय रहा है, खासकर भारत के साथ।
प्रमुख व्यापारिक वस्तुएँ:
- भारत से अमेरिका को निर्यात: इसमें मुख्य रूप से पेट्रोलियम उत्पाद, फार्मास्यूटिकल्स, रत्नों और आभूषणों, वस्त्रों, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) से संबंधित सेवाएं शामिल हैं।
- अमेरिका से भारत को निर्यात: इसमें मुख्य रूप से पेट्रोलियम, हवाई जहाज, मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, और कृषि उत्पाद (जैसे दालें) शामिल हैं।
इस टैरिफ वृद्धि के पीछे के कारण (Reasons Behind This Tariff Hike)
किसी भी देश द्वारा टैरिफ बढ़ाने के पीछे कई रणनीतिक और आर्थिक कारण हो सकते हैं। अमेरिकी प्रशासन के फैसलों का विश्लेषण करते समय, इन कारणों को समझना महत्वपूर्ण है।
संभावित कारण:
- व्यापार घाटे को कम करना: यह सबसे प्रमुख कारण हो सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने लगातार ‘अमेरिका फर्स्ट’ की नीति पर जोर दिया है, जिसका अर्थ है कि वे अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करना चाहते हैं और यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि अमेरिका को उसके व्यापारिक भागीदारों से अधिक लाभ हो। यदि अमेरिका भारत से अधिक आयात करता है, तो यह भारत पर टैरिफ लगाकर उन आयातों को महंगा कर सकता है, जिससे अमेरिकी उपभोक्ता घरेलू उत्पादों की ओर आकर्षित हो सकें।
- घरेलू उद्योगों का संरक्षण: टैरिफ लगाने का एक सीधा उद्देश्य घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना है। यदि अमेरिकी सरकार को लगता है कि भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजारों में अत्यधिक प्रतिस्पर्धी हैं या अनुचित मूल्य पर बेचे जा रहे हैं, तो वे टैरिफ बढ़ाकर अपने घरेलू निर्माताओं को लाभ पहुंचा सकते हैं।
- व्यापार नीतियों में बदलाव की मांग: यह कदम एक बड़ी व्यापारिक बातचीत की शुरुआत का हिस्सा हो सकता है। अमेरिका भारत से कुछ व्यापारिक प्रथाओं में बदलाव की मांग कर रहा हो सकता है, जैसे कि बाजार पहुंच, बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR), या टैरिफ संरचना। टैरिफ वृद्धि एक दबाव बनाने की रणनीति हो सकती है ताकि भारत बातचीत की मेज पर आए और अमेरिकी मांगों को माने।
- रणनीतिक और राजनीतिक कारण: कभी-कभी, ऐसे आर्थिक फैसले राजनीतिक कारणों से भी लिए जाते हैं, जैसे कि किसी विशेष निर्वाचन क्षेत्र को खुश करना या अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी मजबूत छवि बनाना।
- WTO नियमों का उल्लंघन का आरोप (संभावित): यह भी संभव है कि अमेरिका भारत द्वारा कुछ व्यापारिक नीतियों के संबंध में विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के उल्लंघन का आरोप लगा रहा हो, और यह टैरिफ वृद्धि एक जवाबी कार्रवाई हो।
भारत पर इस टैरिफ वृद्धि का प्रभाव (Impact of This Tariff Hike on India)
यह टैरिफ वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है। इसके प्रभाव को विभिन्न स्तरों पर देखना होगा:
1. निर्यात पर प्रभाव:
- निर्यात मूल्य में वृद्धि: टैरिफ लगने के बाद, भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले उत्पादों की लागत बढ़ जाएगी। इससे अमेरिकी खरीदारों के लिए वे उत्पाद महंगे हो जाएंगे।
- मांग में कमी: बढ़ी हुई लागत के कारण, अमेरिकी उपभोक्ताओं और व्यवसायों द्वारा भारतीय उत्पादों की मांग कम हो सकती है।
- निर्यात मात्रा में गिरावट: मांग में कमी के चलते, भारतीय निर्यातकों को निर्यात की मात्रा घटानी पड़ सकती है।
- विकल्पों की तलाश: भारतीय निर्यातकों को अपने उत्पादों के लिए नए बाजार खोजने पड़ सकते हैं, जो एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया हो सकती है।
- विशिष्ट क्षेत्र प्रभावित: जिन क्षेत्रों में भारत का अमेरिका को निर्यात अधिक है, जैसे रत्न और आभूषण, वस्त्र, या विशेष प्रकार के रसायन, वे विशेष रूप से प्रभावित हो सकते हैं।
2. भारतीय अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव:
- व्यापार घाटे पर असर: यह कदम भारत के व्यापार संतुलन को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, यदि भारत का निर्यात कम होता है, तो यह अमेरिका के लिए भारत के साथ व्यापार घाटे को कम कर सकता है, जो अमेरिका के लक्ष्यों में से एक हो सकता है।
- रोजगार पर प्रभाव: निर्यात-उन्मुख उद्योगों में उत्पादन और बिक्री में गिरावट से रोजगार सृजन पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
- राजस्व पर असर: यदि निर्यात कम होता है, तो इससे संबंधित सरकारी राजस्व (जैसे निर्यात सब्सिडी या कर) भी प्रभावित हो सकता है।
- निवेश पर असर: अनिश्चितता बढ़ने से विदेशी और घरेलू निवेशक भारत में निवेश करने से हिचकिचा सकते हैं।
- विनिमय दर पर असर: निर्यात में कमी से डॉलर की आवक कम हो सकती है, जिससे रुपये के मूल्यह्रास (depreciation) का दबाव बढ़ सकता है।
3. जवाबी कार्रवाई की संभावना:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के नियमों के तहत, प्रभावित देश अक्सर जवाबी कार्रवाई के रूप में अपने स्वयं के टैरिफ बढ़ा सकते हैं। भारत भी अमेरिका से आयात होने वाली कुछ वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ा सकता है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव और बढ़ सकता है।
भारत के लिए चुनौतियाँ और अवसर (Challenges and Opportunities for India)
यह टैरिफ वृद्धि भारत के लिए निश्चित रूप से एक चुनौती है, लेकिन यह कुछ अवसर भी पैदा कर सकती है, यदि उन्हें सही तरीके से भुनाया जाए।
चुनौतियाँ:
- बाजार पहुंच: अमेरिका जैसे बड़े बाजार तक पहुंच मुश्किल हो सकती है।
- प्रतिस्पर्धा: अन्य देशों से प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है जो अमेरिका को कम टैरिफ पर या बिना टैरिफ के निर्यात कर सकते हैं।
- आर्थिक मंदी का जोखिम: निर्यात में गिरावट से समग्र आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, खासकर यदि यह मंदी का रूप ले ले।
- कूटनीतिक दबाव: भारत को अमेरिका के साथ द्विपक्षीय संबंधों को बनाए रखने के लिए कूटनीतिक दबाव का सामना करना पड़ सकता है।
अवसर:
- आत्मनिर्भरता को बढ़ावा: घरेलू उत्पादन को बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने का यह एक अवसर हो सकता है। ‘मेक इन इंडिया’ जैसे पहलों को और बल मिल सकता है।
- नए बाजारों की तलाश: भारत को अपने निर्यात के लिए यूरोप, एशिया और अफ्रीका के अन्य देशों में नए बाजारों की तलाश करनी चाहिए।
- मूल्य श्रृंखला को मजबूत करना: भारतीय निर्यातकों को अपनी उत्पादों की गुणवत्ता, ब्रांडिंग और नवाचार पर ध्यान केंद्रित करके वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने की आवश्यकता है।
- आर्थिक सुधार: यह स्थिति भारतीय अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता को भी रेखांकित कर सकती है, जैसे कि व्यापारिक प्रक्रियाओं को सरल बनाना और विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत करना।
- सेवा क्षेत्र पर ध्यान: चूंकि भारत का सेवा क्षेत्र, विशेष रूप से आईटी, अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण है, इसलिए इस क्षेत्र में सहयोग जारी रखने और सेवा व्यापार पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर हो सकता है।
UPSC के दृष्टिकोण से विश्लेषण (Analysis from UPSC Perspective)
UPSC सिविल सेवा परीक्षा में, ऐसे समसामयिक मामलों का विश्लेषण गहराई से किया जाता है। उम्मीदवारों को केवल समाचार को जानने से आगे बढ़कर उसके पीछे के कारणों, प्रभावों और भविष्य की राह को समझना होता है।
1. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और वाणिज्य (GS Paper II):
- ट्रेड पॉलिसी: टैरिफ, कोटा, संरक्षणवाद, मुक्त व्यापार समझौते (FTAs) और विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसे विषयों को समझना महत्वपूर्ण है।
- व्यापार असंतुलन: व्यापार घाटे के कारण और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव का अध्ययन।
- भू-राजनीति और व्यापार: अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में व्यापार का उपयोग एक हथियार के रूप में कैसे किया जाता है।
2. भारतीय अर्थव्यवस्था (GS Paper III):
- निर्यात-आयात नीति: भारत की वर्तमान निर्यात-आयात नीति और इसमें संभावित बदलाव।
- विनिर्माण क्षेत्र: ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी पहलों पर प्रभाव।
- रोजगार सृजन: निर्यात क्षेत्र पर निर्भरता और रोजगार पर प्रभाव।
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME): ये क्षेत्र अक्सर निर्यात में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इन्हें विशेष रूप से नुकसान हो सकता है।
3. अंतर्राष्ट्रीय संबंध (GS Paper II):
- भारत-अमेरिका संबंध: द्विपक्षीय संबंधों में व्यापार का महत्व और इसका भू-राजनीतिक प्रभाव।
- वैश्विक आर्थिक व्यवस्था: अमेरिका की संरक्षणवादी नीतियां वैश्विक आर्थिक व्यवस्था को कैसे प्रभावित कर रही हैं।
4. वर्तमान घटनाएं (Current Events of National and International Importance):
परीक्षा में सीधे तौर पर वर्तमान घटनाओं से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं, इसलिए इन मुद्दों की गहरी समझ आवश्यक है।
आगे की राह: भारत को क्या करना चाहिए? (The Way Forward: What Should India Do?)
इस स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए, भारत को एक बहुआयामी रणनीति अपनाने की आवश्यकता है:
- कूटनीतिक बातचीत: भारत को अमेरिका के साथ उच्च-स्तरीय कूटनीतिक बातचीत जारी रखनी चाहिए ताकि इस मुद्दे का सौहार्दपूर्ण समाधान निकाला जा सके। यह समझना महत्वपूर्ण है कि अमेरिका की चिंताएं क्या हैं और उन पर कैसे प्रतिक्रिया दी जाए।
- जवाबी कार्रवाई का आकलन: यदि बातचीत विफल रहती है, तो भारत को डब्ल्यूटीओ के नियमों के तहत उपलब्ध उपायों का आकलन करना चाहिए और लक्षित जवाबी कार्रवाई पर विचार करना चाहिए, लेकिन इसके संभावित दुष्प्रभावों को भी ध्यान में रखना चाहिए।
- निर्यात विविधीकरण: भारत को अपने निर्यात बाजारों को विविधतापूर्ण बनाने पर जोर देना चाहिए। केवल कुछ देशों पर अत्यधिक निर्भरता भविष्य में ऐसे झटकों का जोखिम बढ़ाती है।
- घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा: ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत, भारत को घरेलू विनिर्माण क्षमता को मजबूत करना चाहिए, नवाचार को बढ़ावा देना चाहिए और उत्पादन लागत को कम करना चाहिए ताकि भारतीय उत्पाद वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकें।
- गुणवत्ता और मूल्यवर्धन: भारतीय निर्यातकों को अपने उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार करने और मूल्य श्रृंखला में आगे बढ़ने (जैसे कच्चे माल से तैयार उत्पादों की ओर) पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
- निवेश माहौल में सुधार: भारत को विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए अपने नियामक और व्यावसायिक माहौल को और बेहतर बनाना चाहिए, जिससे आर्थिक लचीलापन बढ़े।
- सेवा क्षेत्र पर ध्यान: भारत को अपने सेवा क्षेत्र, विशेष रूप से आईटी और आईटी-सक्षम सेवाओं को मजबूत करना जारी रखना चाहिए, जो कि अमेरिकी बाजार में एक महत्वपूर्ण शक्ति है।
निष्कर्ष (Conclusion)
अमेरिकी टैरिफ वृद्धि एक जटिल मुद्दा है जिसके भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों और भारतीय अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकते हैं। यह केवल एक आर्थिक घटना नहीं है, बल्कि यह वैश्विक व्यापार नीतियों में बदलाव और भू-राजनीतिक गतिशीलता को भी दर्शाती है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, इस मुद्दे का विश्लेषण अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सिद्धांतों, आर्थिक नीतियों और कूटनीतिक रणनीतियों के व्यापक संदर्भ में किया जाना चाहिए। भारत को इस चुनौती का सामना एक सुविचारित, संतुलित और रणनीतिक दृष्टिकोण के साथ करना होगा, जिसमें कूटनीति, घरेलू सुधार और निर्यात विविधीकरण सभी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यह स्थिति भारत को अपनी आर्थिक नीतियों पर पुनर्विचार करने और वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को और मजबूत करने का अवसर भी प्रदान करती है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. प्रश्न: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में ‘टैरिफ’ का क्या अर्थ है?
(a) आयातित वस्तुओं पर लगने वाला कर
(b) निर्यात की जाने वाली वस्तुओं पर लगने वाला कर
(c) घरेलू उत्पादित वस्तुओं पर लगने वाला कर
(d) सेवा प्रदाताओं पर लगने वाला कर
उत्तर: (a)
व्याख्या: टैरिफ (शुल्क) एक प्रकार का कर है जो सरकारें आयातित वस्तुओं पर लगाती हैं, जिससे वे घरेलू बाजारों में अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकें या सरकारी राजस्व बढ़ सके।
2. प्रश्न: किस अमेरिकी राष्ट्रपति ने हाल ही में भारत पर टैरिफ बढ़ाने वाले कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए?
(a) जो बाइडेन
(b) डोनाल्ड ट्रम्प
(c) बराक ओबामा
(d) जॉर्ज डब्लू. बुश
उत्तर: (b)
व्याख्या: दिए गए शीर्षक के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए। (नोट: यह प्रश्न वर्तमान घटनाओं पर आधारित है और परीक्षा के समय के अनुसार राष्ट्रपति बदल सकते हैं)।
3. प्रश्न: टैरिफ वृद्धि का प्राथमिक उद्देश्य क्या हो सकता है?
(a) घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना
(b) सरकार के लिए राजस्व बढ़ाना
(c) विदेशी वस्तुओं को सस्ता बनाना
(d) (a) और (b) दोनों
उत्तर: (d)
व्याख्या: टैरिफ के दो मुख्य उद्देश्य होते हैं – घरेलू उद्योगों को संरक्षण देना और सरकारी राजस्व बढ़ाना।
4. प्रश्न: भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाली प्रमुख वस्तुओं में निम्नलिखित में से कौन शामिल है?
(a) हवाई जहाज
(b) पेट्रोलियम उत्पाद
(c) दालें
(d) मशीनरी
उत्तर: (b)
व्याख्या: भारत से अमेरिका को पेट्रोलियम उत्पाद, रत्न और आभूषण, फार्मास्यूटिकल्स, वस्त्र आदि का निर्यात होता है। हवाई जहाज, मशीनरी और दालें प्रमुख रूप से अमेरिका से भारत को निर्यात की जाती हैं।
5. प्रश्न: ‘व्यापार घाटा’ (Trade Deficit) की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब:
(a) किसी देश का निर्यात उसके आयात से अधिक होता है।
(b) किसी देश का आयात उसके निर्यात से अधिक होता है।
(c) निर्यात और आयात बराबर होते हैं।
(d) किसी देश का व्यापार संतुलन सकारात्मक होता है।
उत्तर: (b)
व्याख्या: व्यापार घाटा तब होता है जब एक देश दूसरे देश से जितना निर्यात करता है, उससे अधिक आयात करता है।
6. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा संगठन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से संबंधित नियमों को विनियमित करता है?
(a) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)
(b) विश्व बैंक (World Bank)
(c) विश्व व्यापार संगठन (WTO)
(d) संयुक्त राष्ट्र (UN)
उत्तर: (c)
व्याख्या: विश्व व्यापार संगठन (WTO) वैश्विक व्यापार से संबंधित नियमों और समझौतों का प्रबंधन करता है।
7. प्रश्न: ‘अमेरिका फर्स्ट’ (America First) नीति का मुख्य जोर किस पर रहा है?
(a) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना
(b) अमेरिकी हितों और अर्थव्यवस्था को प्राथमिकता देना
(c) वैश्विक व्यापार को पूर्णतः मुक्त करना
(d) जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक कार्रवाई
उत्तर: (b)
व्याख्या: ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का मूल विचार अमेरिकी श्रमिकों, व्यवसायों और उद्योगों के हितों की रक्षा करना और अमेरिका को वैश्विक मंच पर पहले रखना है।
8. प्रश्न: भारत द्वारा टैरिफ वृद्धि के जवाब में जवाबी कार्रवाई के रूप में क्या किया जा सकता है?
(a) अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाना
(b) अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंध समाप्त करना
(c) विश्व व्यापार संगठन (WTO) में शिकायत दर्ज करना
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
व्याख्या: जवाबी कार्रवाई के रूप में भारत अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा सकता है, WTO में शिकायत कर सकता है, या दोनों कर सकता है। कुछ विशेष परिस्थितियों में व्यापारिक संबंध समाप्त करने पर भी विचार किया जा सकता है।
9. प्रश्न: भारत की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल का उद्देश्य क्या है?
(a) केवल आयात को पूरी तरह बंद करना
(b) घरेलू उत्पादन, क्षमता निर्माण और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना
(c) विदेशी निवेश को पूरी तरह से प्रतिबंधित करना
(d) केवल सेवा क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करना
उत्तर: (b)
व्याख्या: आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य देश की घरेलू क्षमताओं को मजबूत करना और विभिन्न क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है।
10. प्रश्न: किसी देश के निर्यात पर टैरिफ लगने का सबसे सीधा प्रभाव क्या होता है?
(a) निर्यात की गुणवत्ता में सुधार
(b) निर्यात की मांग में वृद्धि
(c) निर्यात की लागत में वृद्धि
(d) निर्यात के लिए नए बाजार खुलना
उत्तर: (c)
व्याख्या: टैरिफ, आयात करने वाले देश द्वारा लगाया जाता है, जिससे आयातित वस्तुएं महंगी हो जाती हैं, यानी निर्यात की लागत बढ़ जाती है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. प्रश्न: अमेरिका द्वारा भारत पर टैरिफ बढ़ाने के निर्णय के पीछे के संभावित आर्थिक और भू-राजनीतिक कारणों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। इस कदम का भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर पड़ने वाले प्रभावों का विस्तार से वर्णन करें। (250 शब्द)
2. प्रश्न: भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार संबंधों के संदर्भ में, संरक्षणवाद (protectionism) की बढ़ती प्रवृत्ति वैश्विक व्यापार व्यवस्था को कैसे प्रभावित कर रही है? टैरिफ जैसे संरक्षणवादी उपायों का मुकाबला करने के लिए भारत को अपनी व्यापार नीतियों को कैसे अनुकूलित करना चाहिए? (250 शब्द)
3. प्रश्न: अमेरिकी टैरिफ वृद्धि के आलोक में, भारत के लिए ‘आत्मनिर्भर भारत’ की राह पर चलते हुए निर्यात विविधीकरण (export diversification) और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने की रणनीति की जांच करें। इस संदर्भ में अवसरों और चुनौतियों का मूल्यांकन करें। (250 शब्द)
4. प्रश्न: टैरिफ युद्ध (tariff war) की स्थिति में, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संगठन (WTO) की भूमिका और प्रासंगिकता पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें। क्या WTO ऐसी संरक्षणवादी प्रवृत्तियों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने में सक्षम है? (150 शब्द)