50% अमेरिकी टैरिफ का डंक: किन भारतीय निर्यातकों को लगेगा सबसे ज्यादा झटका? कपड़े, आभूषण और अनदेखे प्रभाव
चर्चा में क्यों? (Why in News?): हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति के द्वारा आयातित वस्तुओं पर 50% तक के टैरिफ (शुल्क) लगाने की बात कही गई है। यह कदम, यदि लागू होता है, तो वैश्विक व्यापार पर, विशेष रूप से भारत जैसे देशों के लिए, दूरगामी प्रभाव डाल सकता है। जहाँ यह फैसला अमेरिका के घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया जा सकता है, वहीं इसके व्यापक आर्थिक परिणाम होंगे। विशेष रूप से, भारत के प्रमुख निर्यात क्षेत्र जैसे कि कपड़े (textiles), आभूषण (jewellery) और अन्य सामान इस टैरिफ के सीधे निशाने पर आ सकते हैं। इस लेख में, हम इस संभावित टैरिफ वृद्धि के कारणों, इसके भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले संभावित प्रभावों, किन क्षेत्रों को सबसे अधिक झटका लगेगा, और कौन से क्षेत्र अपेक्षाकृत सुरक्षित रह सकते हैं, इसका विस्तृत विश्लेषण करेंगे। यह UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, भारतीय अर्थव्यवस्था और भू-राजनीति जैसे विषयों को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ प्रदान करेगा।
ट्रंप के 50% टैरिफ का मतलब क्या है? (What Does Trump’s 50% Tariff Mean?)
जब कोई देश किसी आयातित वस्तु पर टैरिफ लगाता है, तो इसका मतलब है कि उस वस्तु को अपने देश में बेचने के लिए अतिरिक्त शुल्क का भुगतान करना होगा। यह शुल्क आमतौर पर वस्तु के मूल्य का एक प्रतिशत होता है। 50% का टैरिफ एक महत्वपूर्ण वृद्धि है, जो इसे गैर-आर्थिक रूप से व्यवहार्य बना सकता है।
“टैरिफ एक कर है जो आयात पर लगाया जाता है। यह घरेलू निर्माताओं की रक्षा करके और विदेशी प्रतिस्पर्धा को हतोत्साहित करके घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापार बाधा के रूप में कार्य करता है।”
राष्ट्रपति ट्रंप का “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडा अक्सर व्यापार घाटे को कम करने और घरेलू विनिर्माण को पुनर्जीवित करने पर केंद्रित रहा है। उच्च टैरिफ लगाना इसी रणनीति का एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य विदेशी सामानों को अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए अधिक महंगा बनाना है, ताकि वे अमेरिकी निर्मित उत्पादों को प्राथमिकता दें।
भारतीय निर्यात पर संभावित प्रभाव (Potential Impact on Indian Exports)
भारत के लिए, अमेरिकी बाजार एक महत्वपूर्ण निर्यात गंतव्य है। विभिन्न क्षेत्रों से भारत अरबों डॉलर का सामान अमेरिका को निर्यात करता है। 50% का टैरिफ लगने से निम्नलिखित गंभीर परिणाम हो सकते हैं:
- प्रतिस्पर्धात्मकता में कमी: भारतीय उत्पादों की कीमत अमेरिकी बाजार में अचानक बढ़ जाएगी, जिससे वे अन्य देशों के उत्पादों की तुलना में कम प्रतिस्पर्धी हो जाएंगे।
- निर्यात में गिरावट: कीमतों में वृद्धि के कारण अमेरिकी उपभोक्ता और व्यवसाय भारतीय सामानों को खरीदना कम कर देंगे, जिससे भारत के निर्यात में भारी गिरावट आ सकती है।
- राजस्व का नुकसान: निर्यात में गिरावट से भारत सरकार के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव पड़ेगा और व्यापार घाटा बढ़ सकता है।
- रोजगार पर असर: निर्यात-उन्मुख उद्योगों में उत्पादन कम होने से बड़े पैमाने पर छंटनी हो सकती है, जिससे रोजगार सृजन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- निवेश में कमी: अनिश्चितता और व्यापार में कमी के कारण विदेशी और घरेलू दोनों तरह के निवेशक भारतीय निर्यात क्षेत्र में निवेश करने से कतरा सकते हैं।
किन सेक्टर्स पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर? (Which Sectors Will Be Most Affected?)
सभी क्षेत्र समान रूप से प्रभावित नहीं होंगे। कुछ भारतीय निर्यात क्षेत्र, विशेष रूप से वे जिनमें श्रम-गहन प्रक्रियाएं शामिल हैं या जो पहले से ही कम मार्जिन पर काम कर रहे हैं, सबसे अधिक संवेदनशील होंगे।
1. कपड़ा और परिधान (Textiles and Apparel)
यह क्षेत्र भारत के सबसे बड़े निर्यात क्षेत्रों में से एक है। भारत से बड़ी मात्रा में रेडीमेड गारमेंट्स, सूती कपड़े और अन्य टेक्सटाइल उत्पाद अमेरिका को निर्यात किए जाते हैं।
- क्यों संवेदनशील:
- यह एक श्रम-गहन उद्योग है, जहाँ लागत का एक बड़ा हिस्सा मजदूरी का होता है।
- अमेरिकी बाजार में भारतीय कपड़ों की कीमत में 50% की वृद्धि सीधे तौर पर इसे काफी महंगा बना देगी।
- अन्य प्रतिस्पर्धी देशों (जैसे बांग्लादेश, वियतनाम) के सापेक्ष भारत की स्थिति कमजोर हो सकती है, यदि वे समान टैरिफ के अधीन न हों या कम टैरिफ दरें लागू हों।
- संभावित परिणाम: इस क्षेत्र में उत्पादन कम हो सकता है, कारखानों में छंटनी हो सकती है, और भारतीय निर्यातकों को नए बाजारों की तलाश करनी पड़ सकती है।
2. आभूषण और रत्न (Jewellery and Gems)
भारत हीरे, सोने के आभूषण और अन्य कीमती पत्थरों के निर्यात में एक प्रमुख खिलाड़ी है। अमेरिका इन वस्तुओं का एक बड़ा उपभोक्ता है।
- क्यों संवेदनशील:
- आभूषणों की उच्च मूल्य वाली प्रकृति के कारण, 50% का टैरिफ अंतिम उपभोक्ता के लिए कीमत को बहुत अधिक बढ़ा देगा।
- यह मांग को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है, क्योंकि उपभोक्ता या तो कम मूल्यवान वस्तुओं की ओर बढ़ेंगे या खरीद को टाल देंगे।
- विशेष रूप से, कटिंग और पॉलिशिंग के लिए भारत को अमेरिका से भी कुछ कच्चे माल का आयात करना पड़ता है, जिस पर भी टैरिफ लग सकता है, जिससे लागत और बढ़ जाएगी।
- संभावित परिणाम: आभूषण निर्माताओं और निर्यातकों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है, जिससे रोजगार और निवेश दोनों प्रभावित होंगे।
3. चमड़ा उत्पाद (Leather Products)
जूते, हैंडबैग और अन्य चमड़े के सामान भी भारत से अमेरिका को निर्यात किए जाते हैं। यह भी एक श्रम-गहन उद्योग है।
- क्यों संवेदनशील:
- कपड़ों की तरह, चमड़ा उद्योग भी अपनी श्रम लागत के कारण टैरिफ के प्रति संवेदनशील है।
- अमेरिकी बाजार में इन उत्पादों की बढ़ी हुई कीमत, विशेष रूप से फैशनेबल या लक्जरी वस्तुओं के लिए, मांग को कम कर सकती है।
- संभावित परिणाम: चमड़ा प्रसंस्करण इकाइयों और विनिर्माण संयंत्रों में उत्पादन और रोजगार में कमी आ सकती है।
4. इंजीनियरिंग सामान और ऑटो पुर्जे (Engineering Goods and Auto Parts)
हालांकि यह क्षेत्र अपेक्षाकृत अधिक मूल्य वर्धित है, फिर भी अमेरिका भारतीय इंजीनियरिंग उत्पादों का एक महत्वपूर्ण खरीदार है।
- क्यों संवेदनशील:
- निर्दिष्ट पुर्जों (specified parts) पर 50% टैरिफ अमेरिकी कंपनियों के लिए उत्पादन लागत बढ़ाएगा।
- यह भारतीय ऑटोमोटिव उद्योग की वृद्धि को धीमा कर सकता है, जो पहले से ही वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर निर्भर है।
- संभावित परिणाम: विशेष रूप से उन कंपनियों को झटका लग सकता है जो अमेरिकी ऑटो कंपनियों को पुर्जे सप्लाई करती हैं, जिससे निर्यात की मात्रा कम हो सकती है।
5. फार्मास्यूटिकल्स (Pharmaceuticals)
भारत जेनेरिक दवाओं का एक प्रमुख निर्यातक है। जबकि अमेरिका की फार्मास्युटिकल आयात नीतियां जटिल होती हैं, टैरिफ इन पर भी अप्रत्यक्ष प्रभाव डाल सकते हैं।
- क्यों संवेदनशील:
- संभव है कि अमेरिकी सरकार दवा की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए इन पर भी टैरिफ लगाए, जिससे भारतीय जेनेरिक निर्माताओं की लागत बढ़ जाए।
- हालांकि, इस क्षेत्र की अपनी मजबूत आर एंड डी और विनिर्माण क्षमताएं इसे कुछ हद तक बचाव प्रदान कर सकती हैं।
- संभावित परिणाम: लाभ मार्जिन पर दबाव पड़ सकता है, लेकिन जेनेरिक दवाओं की मांग के कारण पूर्ण पतन की संभावना कम है।
कौन रहेगा बेअसर? (Who Will Remain Unaffected?)
यह सोचना गलत होगा कि हर भारतीय निर्यात क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित होगा। कुछ क्षेत्र अपेक्षाकृत सुरक्षित रह सकते हैं, या उनके पास अनुकूलन की अधिक क्षमता हो सकती है:
1. आईटी और आईटी-सक्षम सेवाएँ (IT and IT-Enabled Services – ITES)
सेवा क्षेत्र, विशेष रूप से सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और आईटी-सक्षम सेवाएँ (ITES), वस्तुओं के निर्यात से काफी अलग है।
- सुरक्षा के कारण:
- ये सेवाएँ हैं, वस्तुएँ नहीं, इसलिए उन पर सीधे भौतिक टैरिफ लागू नहीं होते।
- अमेरिकी कंपनियां भारत की आईटी सेवाओं पर बहुत अधिक निर्भर हैं, और गुणवत्ता एवं लागत के मामले में भारत का कोई मजबूत विकल्प नहीं है।
- इस क्षेत्र में टैरिफ लगाना तकनीकी रूप से कठिन और आर्थिक रूप से अव्यवहारिक होगा।
- संभावित प्रभाव: हालांकि, अप्रत्यक्ष प्रभाव जैसे कि आर्थिक मंदी के कारण मांग में कमी हो सकती है, लेकिन सीधे टैरिफ का खतरा कम है।
2. कृषि उत्पाद (कुछ हद तक) (Agricultural Products – to an extent)
जबकि कुछ कृषि उत्पादों पर टैरिफ लग सकता है, भारत के कुछ कृषि निर्यात, विशेष रूप से गैर-बासमती चावल, मसाले, और कुछ विशेष फल और सब्जियां, अपनी विशिष्टता के कारण कम प्रभावित हो सकते हैं।
- सीमाएं:
- अमेरिका इन उत्पादों का एक महत्वपूर्ण आयातक है, लेकिन मूल्य संवेदनशीलता उन क्षेत्रों की तुलना में कम हो सकती है जहाँ बड़ी मात्रा में उत्पादन होता है।
- हालांकि, टैरिफ लगने से कुल निर्यात मूल्य पर असर पड़ सकता है।
- सुरक्षा के कारण: यदि अमेरिकी कृषि बाजार में इन भारतीय उत्पादों की मांग स्थिर रहती है और वैकल्पिक स्रोत सीमित हैं, तो प्रभाव कम हो सकता है।
3. जेनेरिक दवाएं (Generic Medicines)
जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, जेनेरिक दवाओं की मांग अपेक्षाकृत स्थिर होती है, खासकर अमेरिका जैसे देशों में जहाँ स्वास्थ्य सेवा एक प्रमुख चिंता का विषय है।
- स्थिर मांग:
- तैरिफ के बजाय, अमेरिकी सरकार की अपनी दवा मूल्य निर्धारण नीतियां अधिक महत्वपूर्ण होंगी।
- भारतीय फार्मा उद्योग गुणवत्ता और लागत-प्रभावशीलता के मामले में मजबूत स्थिति में है।
- संभावित प्रभाव: प्रत्यक्ष टैरिफ के बजाय, नियामक बाधाएँ या बाजार में बदलाव अधिक प्रभावी हो सकते हैं।
निष्कर्ष: आगे क्या? (Conclusion: What Next?)
50% का अमेरिकी टैरिफ एक संभावित “अर्थव्यवस्था-परिवर्तनकारी” घटना होगी। भारत के लिए, यह एक गंभीर चुनौती पेश करता है, विशेष रूप से कपड़ा, आभूषण और चमड़े जैसे महत्वपूर्ण निर्यात क्षेत्रों में।
भारत के लिए रणनीतियाँ (Strategies for India):
- विविधीकरण (Diversification): अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम करने के लिए नए निर्यात गंतव्यों की तलाश करना महत्वपूर्ण है। यूरोप, अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया के उभरते बाजारों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है।
- मूल्य संवर्धन (Value Addition): भारतीय उत्पादों में अधिक मूल्य संवर्धन करके, उन्हें केवल कमोडिटी के बजाय प्रीमियम उत्पादों के रूप में स्थापित किया जा सकता है। इससे टैरिफ का प्रभाव कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
- व्यापार वार्ताओं में सक्रिय भूमिका (Active Role in Trade Negotiations): भारत को संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ सक्रिय रूप से व्यापार वार्ताओं में भाग लेना चाहिए ताकि इन टैरिफ को कम करने या रोकने का प्रयास किया जा सके। द्विपक्षीय या बहुपक्षीय मंचों का उपयोग करना आवश्यक है।
- घरेलू क्षमताओं को मजबूत करना (Strengthening Domestic Capabilities): ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहलों को और बढ़ावा देकर, घरेलू विनिर्माण को मजबूत किया जा सकता है, जिससे विदेशी बाजारों पर निर्भरता कम होगी।
- वैकल्पिक आपूर्ति श्रृंखलाएं (Alternative Supply Chains): वैश्विक कंपनियां आपूर्ति श्रृंखलाओं को विविध बनाने की कोशिश कर सकती हैं, भारत के लिए यह एक अवसर हो सकता है यदि वह प्रतिस्पर्धी मूल्य और गुणवत्ता प्रदान कर सके।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि वैश्विक व्यापार गतिशीलता लगातार बदल रही है। इस तरह के टैरिफ न केवल भारत को बल्कि संयुक्त राज्य अमेरिका को भी प्रभावित कर सकते हैं, क्योंकि अमेरिकी उपभोक्ता उच्च कीमतों का भुगतान करेंगे और कंपनियों को लागत को अवशोषित करना पड़ सकता है। ऐसे में, रणनीतिक योजना और त्वरित प्रतिक्रिया भारत के हितों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण होगी।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
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प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा कथन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में “टैरिफ” का सबसे सटीक वर्णन करता है?
a) वह दर जिस पर एक देश अपनी मुद्रा का विनिमय करता है।
b) किसी विशेष देश से आयातित वस्तुओं पर लगाया जाने वाला कर।
c) किसी देश द्वारा अपनी मुद्रा को स्थिर करने के लिए किया जाने वाला हस्तक्षेप।
d) अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों द्वारा दिया जाने वाला ऋण।
उत्तर: b
व्याख्या: टैरिफ एक आयात शुल्क है जो विदेशी वस्तुओं को घरेलू बाजार में अधिक महंगा बनाता है, जिसका उद्देश्य घरेलू उद्योगों की रक्षा करना है।
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प्रश्न: यदि अमेरिका भारतीय कपड़ों पर 50% टैरिफ लगाता है, तो भारत के कपड़ा क्षेत्र पर इसका सबसे संभावित प्रभाव क्या होगा?
a) अमेरिकी बाजार में भारतीय कपड़ों की कीमतें कम हो जाएंगी।
b) भारतीय कपड़ों की प्रतिस्पर्धात्मकता अमेरिका में बढ़ जाएगी।
c) अमेरिकी उपभोक्ताओं द्वारा भारतीय कपड़ों की मांग में कमी आ सकती है।
d) भारतीय कपड़ा निर्यातकों को अप्रत्याशित लाभ होगा।
उत्तर: c
व्याख्या: 50% टैरिफ के कारण अमेरिकी बाजार में भारतीय कपड़ों की कीमत बढ़ जाएगी, जिससे अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए उनकी मांग कम हो सकती है।
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प्रश्न: भारत का कौन सा निर्यात क्षेत्र, प्रस्तावित 50% अमेरिकी टैरिफ से तुलनात्मक रूप से सुरक्षित रहने की उम्मीद है?
a) चमड़ा उत्पाद
b) आभूषण
c) आईटी सेवाएँ
d) परिधान
उत्तर: c
व्याख्या: आईटी सेवाएँ वस्तुओं के बजाय अमूर्त सेवाएँ हैं, इसलिए उन पर भौतिक टैरिफ सीधे तौर पर लागू नहीं होते हैं।
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प्रश्न: “अमेरिका फर्स्ट” नीति का संबंध निम्नलिखित में से किस आर्थिक सिद्धांत से सबसे अधिक है?
a) वैश्वीकरण (Globalization)
b) संरक्षणवाद (Protectionism)
c) मुक्त व्यापार (Free Trade)
d) साम्यवाद (Communism)
उत्तर: b
व्याख्या: “अमेरिका फर्स्ट” नीति अक्सर संरक्षणवादी नीतियों पर जोर देती है, जिसमें टैरिफ लगाना भी शामिल है, ताकि घरेलू उद्योगों को बढ़ावा दिया जा सके।
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प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा भारतीय निर्यात का एक प्रमुख क्षेत्र है जो 50% अमेरिकी टैरिफ से गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है?
a) फार्मास्यूटिकल्स
b) सूचना प्रौद्योगिकी (IT)
c) जेनेरिक दवाएं
d) कपड़ा और परिधान
उत्तर: d
व्याख्या: कपड़ा और परिधान क्षेत्र श्रम-गहन है और अमेरिकी बाजार में बड़ी मात्रा में निर्यात करता है, जिससे यह टैरिफ के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है।
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प्रश्न: किसी देश के व्यापार घाटे (Trade Deficit) में वृद्धि का क्या मतलब होता है?
a) निर्यात आयात से अधिक हैं।
b) आयात निर्यात से अधिक हैं।
c) निर्यात और आयात बराबर हैं।
d) देश की मुद्रा का मूल्य बढ़ गया है।
उत्तर: b
व्याख्या: व्यापार घाटा तब होता है जब किसी देश द्वारा किए गए आयात का मूल्य उसके द्वारा किए गए निर्यात के मूल्य से अधिक होता है।
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प्रश्न: यदि अमेरिका भारत से हीरे और आभूषणों पर टैरिफ बढ़ाता है, तो इसका भारत के रत्न और आभूषण निर्यात क्षेत्र पर सबसे संभावित प्रभाव क्या होगा?
a) अमेरिकी बाजार में रत्नों की मांग बढ़ेगी।
b) भारत के आभूषण निर्यातकों के लाभ मार्जिन में वृद्धि होगी।
c) टैरिफ के कारण अंतिम उपभोक्ता के लिए आभूषण महंगे हो जाएंगे, जिससे मांग घट सकती है।
d) यह भारत के रत्न उद्योग के लिए एक सकारात्मक कदम होगा।
उत्तर: c
व्याख्या: टैरिफ के कारण रत्नों और आभूषणों की कीमत बढ़ने से अमेरिकी उपभोक्ताओं की मांग में कमी आ सकती है।
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प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सी एक रणनीति है जिसका उपयोग भारत संभावित अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए कर सकता है?
a) केवल अमेरिकी बाजार पर अधिक ध्यान केंद्रित करना।
b) अपने निर्यात गंतव्यों में विविधता लाना।
c) निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना।
d) उत्पादन कम करना।
उत्तर: b
व्याख्या: निर्यात गंतव्यों में विविधता लाने से किसी एक बाजार पर निर्भरता कम होती है और जोखिम कम होता है।
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प्रश्न: ‘मूल्य संवर्धन’ (Value Addition) का संबंध भारतीय निर्यात के संदर्भ में किससे है?
a) निर्यात मात्रा बढ़ाना।
b) निर्यातित उत्पादों में अतिरिक्त मूल्य जोड़ना, जिससे वे अधिक आकर्षक या कुशल बनें।
c) निर्यात पर टैरिफ बढ़ाना।
d) केवल कच्चे माल का निर्यात करना।
उत्तर: b
व्याख्या: मूल्य संवर्धन का अर्थ है किसी उत्पाद को और अधिक परिष्कृत या उपयोगी बनाकर उसका मूल्य बढ़ाना, जिससे वह प्रीमियम मूल्य प्राप्त कर सके।
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प्रश्न: भारत के लिए “मेक इन इंडिया” पहल का मुख्य उद्देश्य क्या है?
a) भारत से निर्यात को हतोत्साहित करना।
b) घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना और विदेशी निवेश आकर्षित करना।
c) केवल सेवा क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करना।
d) भारत को केवल आयात पर निर्भर बनाना।
उत्तर: b
व्याख्या: “मेक इन इंडिया” का उद्देश्य भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाना है, जिससे रोजगार बढ़े और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिले।
मुख्य परीक्षा (Mains)
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प्रश्न: राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा प्रस्तावित 50% टैरिफ जैसी संरक्षणवादी व्यापार नीतियां वैश्विक व्यापार और भारतीय निर्यात अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित कर सकती हैं? टैरिफ के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों प्रभावों का विश्लेषण करें, और भारत द्वारा अपनाए जा सकने वाले रणनीतिक उपायों पर चर्चा करें।
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प्रश्न: भारत के कपड़ा और आभूषण क्षेत्रों पर संभावित अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव पर विशेष ध्यान देते हुए, उन प्रमुख भारतीय निर्यात क्षेत्रों की पहचान करें जो संरक्षणवादी व्यापार उपायों के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील हैं। उन क्षेत्रों का भी उल्लेख करें जो अपेक्षाकृत सुरक्षित रह सकते हैं और इसके कारणों की व्याख्या करें।
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प्रश्न: “अमेरिका फर्स्ट” जैसी नीतियां, जो संरक्षणवाद को बढ़ावा देती हैं, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को कैसे पुनर्गठित कर सकती हैं? इन परिवर्तनों के भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए निहितार्थों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें, खासकर वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात के संबंध में।