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5 सवाल: सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी से क्यों पूछा ‘आपको कैसे पता’?

5 सवाल: सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी से क्यों पूछा ‘आपको कैसे पता’?

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से एक महत्वपूर्ण सवाल पूछा है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा, कूटनीति और सार्वजनिक बयानों के बीच संतुलन के व्यापक संदर्भ में अत्यंत प्रासंगिक है। अदालत ने गांधी से यह जानने का प्रयास किया कि उन्हें इस बात की जानकारी कैसे है कि चीन ने वास्तव में भारत की कितनी जमीन हड़पी है। यह पूछताछ, विशेष रूप से चीन के साथ भारत के संवेदनशील सीमा विवादों और राजनीतिक बहसों के बीच, गहन विश्लेषण की मांग करती है। यह ब्लॉग पोस्ट इस घटना के पीछे के कारणों, निहितार्थों और UPSC उम्मीदवारों के लिए इसके महत्व का विस्तार से विश्लेषण करेगा।

पृष्ठभूमि: भारत-चीन सीमा विवाद और राजनीतिक बयानबाजी (Background: India-China Border Dispute and Political Rhetoric)

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद दशकों पुराना है। यह विवाद मुख्य रूप से 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर केंद्रित है, जिसके दोनों देशों द्वारा अलग-अलग दावे पेश किए जाते हैं। यह क्षेत्र अत्यधिक दुर्गम और पहाड़ी है, जिससे सीमांकन एक जटिल प्रक्रिया बन जाती है। वर्षों से, इस सीमा पर कई बार झड़पें और तनाव की स्थिति उत्पन्न हुई है, जिनमें 2020 में गलवान घाटी की हिंसक झड़पें सबसे प्रमुख हैं, जिसमें दोनों पक्षों के सैनिक मारे गए थे।

ऐसी तनावपूर्ण परिस्थितियों में, राजनीतिक नेताओं द्वारा दिए गए बयान राष्ट्रीय सुरक्षा और कूटनीति पर सीधा प्रभाव डाल सकते हैं। विपक्षी दलों के नेता अक्सर सरकार पर सुरक्षा नीतियों और सीमा प्रबंधन को लेकर सवाल उठाते हैं। हाल के वर्षों में, राहुल गांधी ने भारत-चीन सीमा पर कथित चीनी घुसपैठ और भारत सरकार की प्रतिक्रिया पर कई बार चिंता व्यक्त की है। उन्होंने सरकार पर चीनी विस्तारवाद का सामना करने में विफल रहने का आरोप लगाया है।

सर्वोच्च न्यायालय का हस्तक्षेप: क्यों उठा यह सवाल? (Supreme Court’s Intervention: Why was this Question Raised?)

सर्वोच्च न्यायालय का हस्तक्षेप तब हुआ जब राहुल गांधी के खिलाफ एक आपराधिक मानहानि का मामला चल रहा था, जिसमें उनके एक बयान पर आपत्ति जताई गई थी। हालांकि, अदालत ने इस मामले की सुनवाई के दौरान व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा और संवेदनशील बयानों के प्रभाव पर भी प्रकाश डाला। अदालत का सवाल सीधे तौर पर यह जानने के लिए था कि एक नागरिक, भले ही वह एक प्रमुख राजनीतिक नेता हो, चीन द्वारा भारत की जमीन पर कथित कब्जे जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील मामले पर किस आधार पर निश्चित दावा कर सकता है, खासकर जब सरकार स्वयं इस पर सावधानी बरत रही हो।

यह सवाल कई महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करता है:

  • सबूत का भार (Burden of Proof): क्या एक राजनीतिक नेता को ऐसे दावे करने के लिए ठोस और सार्वजनिक रूप से सत्यापित सबूत पेश करने होंगे?
  • राष्ट्रीय सुरक्षा का संरक्षण (Protection of National Security): क्या सार्वजनिक बयानों से संवेदनशील भू-राजनीतिक मुद्दों पर सरकार की कूटनीतिक स्थिति कमजोर हो सकती है?
  • जिम्मेदारी और जवाबदेही (Responsibility and Accountability): सार्वजनिक हस्तियों के बयानों की जिम्मेदारी क्या होती है, खासकर जब वे राष्ट्रीय हित को प्रभावित कर सकते हैं?
  • न्यायपालिका की भूमिका (Role of the Judiciary): क्या अदालतें ऐसे मामलों में कार्यकारी और विधायी शाखाओं की शक्ति या अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप कर सकती हैं?

अदालत के सवाल का गहरा अर्थ: एक विश्लेषण (The Deeper Meaning of the Court’s Question: An Analysis)

सर्वोच्च न्यायालय का यह प्रश्न केवल राहुल गांधी से उनकी जानकारी के स्रोत के बारे में नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र की सामूहिक समझ और संवेदनशील मुद्दों पर सूचना के प्रसार के तरीके पर एक व्यापक टिप्पणी है।

1. साक्ष्य-आधारित नीति-निर्माण बनाम राजनीतिक बयानबाजी (Evidence-Based Policymaking vs. Political Rhetoric)

सरकारें, विशेष रूप से विदेश और रक्षा नीतियों के क्षेत्र में, अत्यधिक वर्गीकृत जानकारी और सावधानीपूर्वक कूटनीतिक संचार पर निर्भर करती हैं। चीन जैसे प्रतिद्वंद्वी देश के साथ सीमा विवाद एक ऐसा क्षेत्र है जहां थोड़ी सी भी गलत सूचना या अतिरंजित बयानबाजी गंभीर परिणाम पैदा कर सकती है। अदालत यह सुनिश्चित करना चाहती है कि सार्वजनिक बयान, विशेष रूप से महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर, तथ्यात्मक आधार पर हों और सार्वजनिक हित को ध्यान में रखकर दिए जाएं।

2. कूटनीति और राष्ट्रीय हित (Diplomacy and National Interest)

कूटनीति एक नाजुक नृत्य है। इसमें अक्सर प्रत्यक्ष टकराव के बजाय बातचीत, गठबंधन और अप्रत्यक्ष रणनीतियों का उपयोग शामिल होता है। जब कोई राजनीतिक नेता सार्वजनिक रूप से यह दावा करता है कि “X देश ने Y जमीन पर कब्जा कर लिया है,” तो यह देश की कूटनीतिक स्थिति को प्रभावित कर सकता है। यह प्रतिद्वंद्वी देश को रक्षात्मक प्रतिक्रिया देने के लिए उकसा सकता है, या तो सार्वजनिक रूप से खंडन करके या जवाबी आरोप लगाकर, जिससे स्थिति और जटिल हो सकती है।

“सार्वजनिक बयानों का कूटनीति पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। एक जिम्मेदार नागरिक, विशेष रूप से एक सार्वजनिक व्यक्ति के रूप में, ऐसे बयानों के परिणामों को समझना चाहिए जो राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित करते हैं।”

3. सूचना की विश्वसनीयता और सार्वजनिक विश्वास (Information Credibility and Public Trust)

नागरिकों को अपने नेताओं और सरकार से विश्वसनीय जानकारी की अपेक्षा होती है। जब कोई राजनेता किसी ऐसे दावे को प्रस्तुत करता है जिसे सरकार द्वारा पुष्टि या खंडन नहीं किया गया है, तो यह जनता के बीच भ्रम पैदा कर सकता है और सरकारी संस्थानों में विश्वास को कम कर सकता है। अदालत का सवाल इस बात पर भी जोर देता है कि सूचना को सत्यापित और विश्वसनीय स्रोतों से प्राप्त किया जाना चाहिए, खासकर जब वह राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों से संबंधित हो।

4. न्यायपालिका का प्रहरी के रूप में कार्य (The Judiciary as a Watchdog)

भारतीय संविधान न्यायपालिका को नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा करने और सरकारी शक्ति के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक प्रहरी के रूप में स्थापित करता है। इस मामले में, अदालत ने न केवल मानहानि के पहलू पर ध्यान दिया, बल्कि सार्वजनिक बयानों के माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा को संभावित रूप से कमजोर करने के बड़े मुद्दे को भी उठाया। यह दर्शाता है कि न्यायपालिका ऐसे मुद्दों पर भी संज्ञान ले सकती है जो सीधे तौर पर सार्वजनिक हित और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हों, भले ही वे विशुद्ध रूप से राजनीतिक बहस का हिस्सा लगें।

राहुल गांधी के बचाव के संभावित तर्क (Potential Arguments in Defense of Rahul Gandhi)

राहुल गांधी या उनके समर्थकों की ओर से कई संभावित बचाव तर्क हो सकते हैं:

  • नागरिक का अधिकार (Citizen’s Right): एक नागरिक के रूप में, सरकार की नीतियों पर सवाल उठाना और चिंता व्यक्त करना उनका अधिकार है, खासकर जब उन्हें लगता है कि राष्ट्रीय हित से समझौता किया जा रहा है।
  • खुफिया जानकारी (Intelligence Inputs): यह संभव है कि उनके पास कुछ खुफिया इनपुट या विश्वसनीय स्रोत हों जो उन्हें इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए प्रेरित करते हों। हालांकि, अदालत ऐसे स्रोतों को सार्वजनिक रूप से सत्यापित करने के लिए कह सकती है।
  • लोकतांत्रिक विमर्श (Democratic Discourse): विपक्ष की भूमिका सरकार की जवाबदेही तय करना है। सीमा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर मुखर होना लोकतांत्रिक विमर्श का हिस्सा है।
  • सरकार की अपारदर्शिता (Government’s Opacity): यदि सरकार स्वयं सूचना को अपारदर्शी रखती है, तो विपक्षी नेताओं को उपलब्ध जानकारी के आधार पर ही सवाल उठाने पड़ते हैं।

विपरीत विचार: क्या यह एक अनुचित हस्तक्षेप है? (Counter-Arguments: Is this an Unwarranted Intervention?)

दूसरी ओर, कुछ तर्क यह भी हो सकते हैं कि अदालत का यह प्रश्न अनुचित है:

  • कार्यपालिका का क्षेत्र (Executive Domain): विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा निर्णय कार्यपालिका के क्षेत्र में आते हैं। ऐसे मुद्दों पर एक नेता के बयानों की सत्यता पर सवाल उठाना न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र से बाहर हो सकता है।
  • राजनीतिक भाषण (Political Speech): राजनीतिक भाषण अक्सर भावनात्मक और अतिरंजित हो सकता है। ऐसे बयानों का मूल्यांकन विशुद्ध रूप से कानूनी या तथ्यात्मक आधार पर करना मुश्किल हो सकता है।
  • संवैधानिक अधिकार (Constitutional Rights): भारत का संविधान सभी नागरिकों को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है (अनुच्छेद 19)। इस अधिकार पर सीमाएं लगाई जा सकती हैं, लेकिन वे उचित होनी चाहिए।

UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता (Relevance for UPSC Exam)

यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है:

1. प्रारंभिक परीक्षा (Prelims)

भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity): मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 19 – भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता), न्यायपालिका की भूमिका, सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय।

अंतर्राष्ट्रीय संबंध (International Relations): भारत-चीन सीमा विवाद, वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC), राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दे, कूटनीतिक शब्दावली।

समसामयिक मामले (Current Affairs): राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हालिया घटनाक्रम, प्रमुख राजनीतिक नेताओं के बयान और उनके निहितार्थ।

2. मुख्य परीक्षा (Mains)

‘भारतीय राजव्यवस्था और शासन’ (GS-II):

  • न्यायपालिका की भूमिका: विभिन्न संवैधानिक मुद्दों पर न्यायपालिका के हस्तक्षेप की सीमा और प्रभाव। इस मामले में, अदालत का हस्तक्षेप कैसे सार्वजनिक बयानों और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन स्थापित करता है।
  • मौलिक अधिकार: भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19) की सीमाएं। राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में इन अधिकारों पर कब और कैसे प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं?
  • शासन (Governance): सार्वजनिक हस्तियों की जिम्मेदारी, सूचना का पारदर्शी प्रसार, और सरकारी नीतियों पर विधायी जवाबदेही।

‘अंतर्राष्ट्रीय संबंध’ (GS-II):

  • भारत-चीन संबंध: सीमा विवाद का कूटनीतिक और भू-राजनीतिक महत्व।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा: सीमा प्रबंधन, रक्षा कूटनीति, और ऐसे मुद्दों पर राजनीतिक बयानों का प्रभाव।

‘निबंध’ (Essay):

  • “सार्वजनिक बयानों की सीमाएँ: राष्ट्रीय सुरक्षा और लोकतांत्रिक विमर्श का टकराव।”
  • “सूचना का युग: सत्य, सार्वजनिक विश्वास और राष्ट्र निर्माण।”

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित है?
a) अनुच्छेद 14
b) अनुच्छेद 19
c) अनुच्छेद 21
d) अनुच्छेद 25

उत्तर: b) अनुच्छेद 19

व्याख्या: अनुच्छेद 19 (1)(a) सभी नागरिकों को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है, हालांकि इस पर उचित प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।

2. भारत और चीन के बीच सीमा विवाद मुख्य रूप से किस रेखा पर केंद्रित है?
a) डूरंड रेखा
b) मैकमोहन रेखा
c) वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC)
d) उपरोक्त सभी

उत्तर: c) वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC)

व्याख्या: LAC वह सीमा है जहां भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने होती हैं, और यह सीमा विवाद का मुख्य केंद्र है। मैकमोहन रेखा ऐतिहासिक रूप से भारत-चीन सीमा का एक हिस्सा रही है।

3. निम्नलिखित में से कौन सी घटना भारत-चीन सीमा पर हालिया वर्षों में प्रमुख हिंसक झड़पों से संबंधित है?
a) डोकलाम गतिरोध (2017)
b) गलवान घाटी झड़पें (2020)
c) नाथुला दर्रा झड़प (2019)
d) पैंगोंग झील झड़प (2021)

उत्तर: b) गलवान घाटी झड़पें (2020)

व्याख्या: 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़पें सबसे गंभीर थीं, जिसमें दोनों पक्षों के सैनिक मारे गए थे।

4. “वास्तविक नियंत्रण रेखा” (LAC) शब्द का प्रयोग किस देश के साथ सीमा विवाद के संदर्भ में किया जाता है?
a) पाकिस्तान
b) नेपाल
c) बांग्लादेश
d) चीन

उत्तर: d) चीन

व्याख्या: LAC वह सीमा है जो भारतीय और चीनी नियंत्रण वाले क्षेत्रों को अलग करती है।

5. सर्वोच्च न्यायालय किसी मामले की सुनवाई करते समय किन सिद्धांतों पर विचार कर सकता है?
1. संविधान का संरक्षण
2. नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा
3. राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक हित
4. संसदीय विशेषाधिकार

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनें:
a) केवल 1, 2 और 3
b) केवल 2, 3 और 4
c) केवल 1, 3 और 4
d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: a) केवल 1, 2 और 3

व्याख्या: सर्वोच्च न्यायालय संविधान का संरक्षक है और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक हित जैसे व्यापक मुद्दों पर भी विचार कर सकता है, लेकिन यह संसदीय विशेषाधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकता।

6. लोकतांत्रिक व्यवस्था में विपक्षी दल की मुख्य भूमिका क्या है?
a) केवल सरकार की आलोचना करना
b) सरकार की नीतियों पर सवाल उठाना और जवाबदेही सुनिश्चित करना
c) सरकार का पूर्ण समर्थन करना
d) केवल विधायी कार्यों में भाग लेना

उत्तर: b) सरकार की नीतियों पर सवाल उठाना और जवाबदेही सुनिश्चित करना

व्याख्या: विपक्ष सरकार के कामकाज पर नजर रखता है और सुनिश्चित करता है कि नीतियां जनहित में हों।

7. जब कोई राजनीतिक नेता राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील मामले पर सार्वजनिक रूप से निश्चित दावा करता है, तो निम्नलिखित में से कौन सा प्रभाव हो सकता है?
1. देश की कूटनीतिक स्थिति कमजोर हो सकती है।
2. जनता के बीच भ्रम फैल सकता है।
3. प्रतिद्वंद्वी देश उकसावे की कार्रवाई कर सकता है।
4. सरकार की पारदर्शिता बढ़ सकती है।

सही कूट का प्रयोग कर उत्तर चुनें:
a) 1, 2 और 3
b) 2, 3 और 4
c) 1, 3 और 4
d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: a) 1, 2 और 3

व्याख्या: ऐसे बयान कूटनीतिक स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं, भ्रम पैदा कर सकते हैं, और प्रतिद्वंद्वी को प्रतिक्रिया देने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। सरकारी पारदर्शिता आमतौर पर सार्वजनिक बयानों से नहीं, बल्कि सीधे सरकारी कार्यों से बढ़ती है।

8. भारतीय संविधान के तहत, किसी व्यक्ति के भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर “उचित प्रतिबंध” (Reasonable Restrictions) लगाने के आधारों में क्या शामिल है?
1. भारत की संप्रभुता और अखंडता
2. राज्य की सुरक्षा
3. लोक व्यवस्था
4. शिष्टाचार या नैतिकता
5. न्यायालय की अवमानना

सही कूट का प्रयोग कर उत्तर चुनें:
a) केवल 1, 2 और 5
b) केवल 2, 3, 4 और 5
c) केवल 1, 2, 3, 4 और 5
d) केवल 1, 2 और 3

उत्तर: c) केवल 1, 2, 3, 4 और 5

व्याख्या: अनुच्छेद 19 (2) इन सभी आधारों पर भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर उचित प्रतिबंध लगाने की अनुमति देता है।

9. “मानहानि” (Defamation) के मामले में, क्या एक सार्वजनिक व्यक्ति के सार्वजनिक बयानों का मूल्यांकन किया जाता है?
a) केवल व्यक्तिगत भावनाओं के आधार पर
b) केवल उनके राजनीतिक प्रभाव के आधार पर
c) उनके बयानों की सत्यता और सार्वजनिक हित के आधार पर
d) केवल न्यायालय की इच्छा के आधार पर

उत्तर: c) उनके बयानों की सत्यता और सार्वजनिक हित के आधार पर

व्याख्या: मानहानि के मामलों में, किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाले झूठे बयानों को चुनौती दी जा सकती है। बचाव के रूप में सत्यता या सार्वजनिक हित का तर्क दिया जा सकता है।

10. भारत-चीन सीमा विवाद को सुलझाने के लिए भारत सरकार द्वारा अपनाई जाने वाली कूटनीतिक रणनीतियों में क्या शामिल हो सकता है?
1. सैन्य तैनाती
2. द्विपक्षीय वार्ता
3. अंतर्राष्ट्रीय मंचों का उपयोग
4. आर्थिक प्रतिबंध

सही कूट का प्रयोग कर उत्तर चुनें:
a) केवल 1 और 4
b) केवल 2 और 3
c) केवल 1, 2 और 3
d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: b) केवल 2 और 3

व्याख्या: द्विपक्षीय वार्ता और अंतर्राष्ट्रीय मंचों का उपयोग कूटनीतिक समाधान के लिए प्रमुख तरीके हैं। सैन्य तैनाती एक रक्षात्मक या प्रतिरोधक उपाय हो सकता है, लेकिन सीधे तौर पर ‘सुलझाने’ की कूटनीतिक रणनीति नहीं है। आर्थिक प्रतिबंधों का उपयोग भी जटिल और अक्सर अप्रभावी हो सकता है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. “राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक हित के संदर्भ में, एक राजनीतिक नेता के सार्वजनिक बयानों की सीमाएं और जिम्मेदारियां क्या हैं? सर्वोच्च न्यायालय के हालिया रुख के आलोक में विवेचना कीजिए।”
*(यह प्रश्न सीधे तौर पर मामले के सार और राष्ट्रीय सुरक्षा पर बयानों के प्रभाव पर केंद्रित है।)*

2. “भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) के तहत प्रदत्त अधिकारों पर ‘उचित प्रतिबंध’ (Reasonable Restrictions) लगाने के आधारों की व्याख्या कीजिए। सीमा विवाद जैसे संवेदनशील राष्ट्रीय मुद्दों पर इन प्रतिबंधों की प्रासंगिकता पर चर्चा करें।”
*(यह प्रश्न मौलिक अधिकारों और उनकी सीमाओं के सैद्धांतिक पहलू पर केंद्रित है, जिसे वर्तमान घटना से जोड़ा गया है।)*

3. “भारत-चीन सीमा विवाद एक बहुआयामी चुनौती है जिसमें कूटनीतिक, सामरिक और भू-राजनीतिक पहलू शामिल हैं। सरकार की कूटनीतिक प्रतिक्रियाओं और विपक्षी दलों की भूमिका के बीच संतुलन कैसे बनाए रखा जाना चाहिए? विश्लेषण करें।”
*(यह प्रश्न अंतर्राष्ट्रीय संबंध और भारतीय राजव्यवस्था दोनों को जोड़ता है, जिसमें सरकार और विपक्ष के बीच की गतिशीलता पर जोर दिया गया है।)*

4. “न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका के बीच शक्तियों के पृथक्करण (Separation of Powers) और संतुलन (Checks and Balances) के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े राजनीतिक बयानों पर उठाए गए प्रश्नों के औचित्य का मूल्यांकन करें।”
*(यह प्रश्न भारतीय शासन प्रणाली के मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित है और अदालती हस्तक्षेप के दायरे की पड़ताल करता है।)*

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