5 लाख पर्यटक प्रति दिन: SC ने हिमाचल के “पतले हवा” में विलीन होने की चेतावनी दी!
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने हाल ही में हिमाचल प्रदेश में अनियंत्रित पर्यटन प्रवाह पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए एक गंभीर चेतावनी जारी की है। न्यायालय ने कहा कि यदि पर्यटन पर लगाम नहीं लगाई गई, तो यह खूबसूरत राज्य “पतले हवा” में विलीन हो सकता है। यह टिप्पणी हिमाचल प्रदेश की नाजुक पारिस्थितिकी और सीमित संसाधनों पर अत्यधिक पर्यटन के बढ़ते दबाव को उजागर करती है, जो UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए पर्यावरण, सतत विकास, शासन और आपदा प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण विषयों से जुड़ा एक ज्वलंत मुद्दा है।
यह लेख इस मुद्दे की तह तक जाएगा, इसके पीछे के कारणों, संभावित परिणामों, सरकारी नीतियों, चुनौतियों और स्थायी समाधानों पर विस्तार से चर्चा करेगा, विशेष रूप से UPSC के दृष्टिकोण से।
हिमाचल प्रदेश: देवभूमि का बढ़ता बोझ (Himachal Pradesh: The Growing Burden on Devbhoomi)
हिमाचल प्रदेश, जिसे अक्सर “देवभूमि” कहा जाता है, अपनी आश्चर्यजनक प्राकृतिक सुंदरता, शांत पहाड़ों, हरे-भरे घाटियों और बर्फीली चोटियों के लिए जाना जाता है। यह भारत के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है, जो हर साल लाखों घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करता है। जबकि पर्यटन राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे रोजगार सृजन और राजस्व वृद्धि होती है, अनियंत्रित वृद्धि गंभीर पर्यावरणीय और सामाजिक-आर्थिक समस्याएं पैदा कर रही है।
सर्वोच्च न्यायालय की चिंता इस बात का प्रमाण है कि समस्या अब केवल एक पर्यावरणीय चिंता तक सीमित नहीं है, बल्कि एक राष्ट्रीय सुरक्षा और अस्तित्व का मुद्दा बनती जा रही है। शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य के बुनियादी ढांचे, विशेष रूप से नैरो गेज रेल लाइनों जैसी संवेदनशील जगहों पर, पर्यटकों की भारी संख्या से भारी दबाव पड़ रहा है।
अनियंत्रित पर्यटन का प्रभाव: एक बहुआयामी विश्लेषण (Impact of Unchecked Tourism: A Multidimensional Analysis)
अनियंत्रित पर्यटन के हिमाचल प्रदेश पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ रहे हैं, जिनका विश्लेषण UPSC के विभिन्न जीएस पेपरों के लिए प्रासंगिक है:
1. पर्यावरण पर प्रभाव (Environmental Impact) – (GS Paper I: Geography, GS Paper III: Environment & Ecology)
* वन्यजीवों का क्षरण और आवास का विनाश: पर्यटकों की बढ़ती संख्या के कारण जंगल क्षेत्र में अतिक्रमण, निर्माण गतिविधियों और शोर-शराबे से वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं। इससे जैव विविधता को भारी नुकसान पहुँच रहा है।
* प्रदूषण:
* प्लास्टिक प्रदूषण: पर्यटक स्थलों पर भारी मात्रा में प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है, जिसे ठीक से प्रबंधित करना एक बड़ी चुनौती है। यह नदियों, झीलों और भूमि को प्रदूषित करता है।
* वायु प्रदूषण: वाहनों की बढ़ती संख्या से वायु गुणवत्ता खराब हो रही है, विशेष रूप से मनाली, शिमला जैसे प्रमुख पर्यटन शहरों में।
* जल प्रदूषण: सीवेज और अपशिष्ट जल का अनियंत्रित निर्वहन जल स्रोतों को प्रदूषित कर रहा है।
* संसाधनों पर दबाव:
* जल संसाधन: पर्यटकों की बढ़ती मांग से स्थानीय समुदायों और कृषि के लिए पानी की उपलब्धता कम हो रही है।
* ऊर्जा: पर्यटन गतिविधियों के लिए ऊर्जा की मांग भी बढ़ रही है, जिससे राज्य के बिजली ग्रिड पर दबाव पड़ता है।
* भूस्खलन और भू-क्षरण: पहाड़ी इलाकों में अनियोजित निर्माण, सड़कों का विस्तार और वनों की कटाई भूस्खलन और भू-क्षरण के जोखिम को बढ़ा रही है।
* वनस्पतियों का क्षरण: अत्यधिक चराई और पर्यटकों द्वारा पौधों को नुकसान पहुँचाने से स्थानीय वनस्पतियों को भी खतरा है।
2. अवसंरचना और जनसांख्यिकी पर प्रभाव (Impact on Infrastructure & Demographics) – (GS Paper II: Governance, GS Paper I: Geography)
* सीमित अवसंरचना पर दबाव: हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य में सड़कें, पार्किंग स्थल, जल आपूर्ति, सीवेज सिस्टम और अपशिष्ट प्रबंधन जैसी अवसंरचनाएं सीमित हैं। पर्यटकों की भारी संख्या इन पर अत्यधिक दबाव डालती है।
* यातायात जाम: मुख्य पर्यटन क्षेत्रों में लगातार ट्रैफिक जाम आम बात हो गई है, जिससे स्थानीय जीवन और आपातकालीन सेवाओं की आवाजाही बाधित होती है।
* जनसांख्यिकीय परिवर्तन: पर्यटन-आधारित अर्थव्यवस्थाएं स्थानीय समुदायों की सामाजिक-सांस्कृतिक संरचना को भी बदल सकती हैं, जिससे संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है।
3. सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक प्रभाव (Socio-cultural & Economic Impact) – (GS Paper I: Society, GS Paper III: Economy)
* स्थानीय संस्कृति का व्यावसायीकरण: पर्यटन के दबाव में, स्थानीय संस्कृति और परंपराएं अक्सर व्यावसायीकरण का शिकार हो जाती हैं, जिससे उनका मूल स्वरूप खो सकता है।
* संसाधनों का असमान वितरण: पर्यटन से होने वाली आय का वितरण हमेशा समान नहीं होता, जिससे स्थानीय समुदायों और बड़े व्यावसायिक हितों के बीच खाई बढ़ सकती है।
* अस्थिर आर्थिक मॉडल: अर्थव्यवस्था का अत्यधिक पर्यटन पर निर्भर होना इसे बाहरी झटकों (जैसे महामारी, प्राकृतिक आपदाएं) के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है।
सर्वोच्च न्यायालय की चेतावनी: एक “कॉल टू एक्शन” (Supreme Court’s Warning: A “Call to Action”)
सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी को केवल एक चेतावनी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि शासन और प्रबंधन के लिए एक “कॉल टू एक्शन” के रूप में देखा जाना चाहिए। न्यायालय ने विशेष रूप से नैरो गेज रेल लाइनों के संबंध में चिंता व्यक्त की, जो ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा हैं। इन पर पर्यटकों का अत्यधिक दबाव पारिस्थितिक संतुलन और स्थानीय समुदायों के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है।
न्यायालय ने यह भी संकेत दिया कि ऐसे मामलों में केवल पर्यटक गंतव्यों को बंद करना समाधान नहीं है, बल्कि एक संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इसका अर्थ है कि हमें न केवल पर्यटकों की संख्या को नियंत्रित करने के तरीके खोजने होंगे, बल्कि टिकाऊ पर्यटन प्रथाओं को भी बढ़ावा देना होगा।
सरकारी नीतियां और पहलें: एक अवलोकन (Government Policies & Initiatives: An Overview)
हिमाचल प्रदेश सरकार ने पर्यटन से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के लिए विभिन्न नीतियां और पहलें की हैं, लेकिन उनकी प्रभावशीलता और कार्यान्वयन पर सवाल उठते रहे हैं।
* पर्यटन नीति: राज्य की अपनी पर्यटन नीति है जो सतत पर्यटन, ईको-टूरिज्म और ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखती है।
* पर्यावरण संरक्षण कानून: वन संरक्षण अधिनियम, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम जैसे राष्ट्रीय कानून लागू होते हैं।
* स्मार्ट सिटी मिशन और प्रसाद योजना: कुछ प्रमुख पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिए केंद्र सरकार की योजनाएं भी लागू की जा रही हैं।
* कचरा प्रबंधन पहल: प्लास्टिक को प्रतिबंधित करने और कचरा प्रबंधन के लिए जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं।
हालांकि, जमीनी हकीकत अक्सर इन नीतियों के उद्देश्यों से भिन्न होती है। कार्यान्वयन में कमियां, निगरानी का अभाव और राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी जैसी समस्याएं बनी रहती हैं।
चुनौतियाँ: अनियंत्रित पर्यटन के प्रबंधन की राह (Challenges: The Path of Managing Unchecked Tourism)
अनियंत्रित पर्यटन का प्रबंधन एक जटिल चुनौती है जिसमें कई बाधाएं हैं:
* आर्थिक निर्भरता: पर्यटन राज्य की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। पर्यटन को प्रतिबंधित करने से राजस्व और रोजगार का नुकसान हो सकता है, जिससे सरकारें कड़े कदम उठाने से हिचकिचाती हैं।
* जागरूकता की कमी: पर्यटक स्वयं और स्थानीय व्यवसायी अक्सर पर्यावरण और सामाजिक प्रभावों के प्रति उतने जागरूक नहीं होते जितने उन्हें होना चाहिए।
* निगरानी और प्रवर्तन की अक्षमता: नियमों को लागू करने और पर्यावरण संरक्षण कानूनों का सख्ती से पालन कराने के लिए पर्याप्त मशीनरी और प्रभावी निगरानी प्रणाली का अभाव है।
* सीमित वित्तीय और मानव संसाधन: पहाड़ी राज्य होने के नाते, हिमाचल प्रदेश के पास अक्सर बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा विकास और पर्यावरण प्रबंधन के लिए सीमित संसाधन होते हैं।
* प्रभावी योजना का अभाव: अक्सर, पर्यटन विकास की योजनाएं दीर्घकालिक पर्यावरणीय स्थिरता के बजाय अल्पकालिक आर्थिक लाभ पर केंद्रित होती हैं।
* ‘मास टूरिज्म’ का आकर्षण: सस्ती यात्रा और सोशल मीडिया के प्रचार के कारण ‘मास टूरिज्म’ (Mass Tourism) का आकर्षण बना रहता है, जिसे नियंत्रित करना कठिन है।
सतत पर्यटन की ओर: समाधान और भविष्य की राह (Towards Sustainable Tourism: Solutions & The Way Forward)
हिमाचल प्रदेश के अस्तित्व और उसकी प्राकृतिक सुंदरता को बनाए रखने के लिए, एक एकीकृत और टिकाऊ दृष्टिकोण अपनाना अनिवार्य है।
1. मांग प्रबंधन और विनियमन (Demand Management & Regulation):
* पर्यटक कोटा और परमिट प्रणाली: संवेदनशील क्षेत्रों या निश्चित समयावधि के लिए पर्यटकों की संख्या को सीमित करने के लिए कोटा या परमिट प्रणाली लागू की जा सकती है।
* ‘वन-वे’ ट्रैफिक या प्रतिबंधित पहुंच: कुछ निश्चित मार्गों या संवेदनशील स्थानों के लिए ‘वन-वे’ ट्रैफिक या विशेष वाहनों के लिए प्रतिबंधित पहुंच लागू की जा सकती है।
* पिक सीजन में शुल्क वृद्धि: पीक सीजन के दौरान प्रवेश शुल्क या अन्य शुल्क बढ़ाए जा सकते हैं ताकि भीड़ को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सके।
2. टिकाऊ पर्यटन प्रथाओं को बढ़ावा देना (Promoting Sustainable Tourism Practices):
* ईको-टूरिज्म और ग्रामीण पर्यटन: पर्यावरण के अनुकूल और स्थानीय समुदायों को लाभ पहुंचाने वाले ईको-टूरिज्म और ग्रामीण पर्यटन को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
* सांस्कृतिक पर्यटन: स्थानीय संस्कृति, इतिहास और जीवन शैली पर केंद्रित पर्यटन को प्रोत्साहित करना।
* जिम्मेदार पर्यटक व्यवहार: पर्यटकों के लिए जिम्मेदार व्यवहार को लेकर व्यापक जागरूकता अभियान चलाना।
3. अवसंरचना का विकास और प्रबंधन (Infrastructure Development & Management):
* सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करना: निजी वाहनों के बजाय सार्वजनिक परिवहन, जैसे इलेक्ट्रिक बसें और कुशल रेल नेटवर्क को बढ़ावा देना।
* पर्याप्त कचरा प्रबंधन: आधुनिक अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्रों की स्थापना और कचरा पृथक्करण को अनिवार्य बनाना।
* सतत निर्माण प्रथाएं: निर्माण के लिए पर्यावरण-अनुकूल सामग्री और तकनीकों का उपयोग अनिवार्य करना।
4. प्रौद्योगिकी का उपयोग (Leveraging Technology):
* डिजिटल परमिट और बुकिंग: पर्यटकों की संख्या को ट्रैक करने और प्रबंधित करने के लिए ऑनलाइन बुकिंग और परमिट सिस्टम का उपयोग।
* पर्यावरण निगरानी: वायु गुणवत्ता, जल गुणवत्ता और वनों की स्थिति की निगरानी के लिए सेंसर और ड्रोन का उपयोग।
* जागरूकता के लिए ऐप: जिम्मेदार पर्यटन प्रथाओं और स्थानीय नियमों के बारे में पर्यटकों को शिक्षित करने वाले मोबाइल ऐप विकसित करना।
5. नीतिगत और विनियामक उपाय (Policy & Regulatory Measures):
* कठोर प्रवर्तन: पर्यावरण कानूनों और पर्यटन नियमों का कड़ाई से प्रवर्तन।
* एस.ई.एस. (Special Economic Zones) के बजाय एस.ई.ई. (Special Ecological Zones): कुछ संवेदनशील क्षेत्रों को ‘विशेष पारिस्थितिक क्षेत्र’ घोषित करना जहाँ पर्यटन गतिविधियों पर कड़े नियम लागू हों।
* एस.सी. की सिफारिशों का पालन: न्यायालय द्वारा की गई सिफारिशों पर तत्काल और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करना।
* स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना: निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करना।
उदाहरण के लिए, भूटान का “उच्च मूल्य, कम प्रभाव” (High Value, Low Impact) पर्यटन मॉडल एक प्रेरणा हो सकता है, जहाँ पर्यटकों से एक निश्चित दैनिक शुल्क लिया जाता है, जिसमें आवास, भोजन, परिवहन और एक टूर गाइड शामिल होता है, और यह सुनिश्चित किया जाता है कि पर्यटन से स्थानीय संस्कृति और पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।
निष्कर्ष: एक नाजुक संतुलन की आवश्यकता (Conclusion: The Need for a Delicate Balance)
सर्वोच्च न्यायालय की चेतावनी हिमाचल प्रदेश के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह स्पष्ट करती है कि विकास को पर्यावरण और सांस्कृतिक विरासत के साथ संतुलित करने की आवश्यकता है। “पतले हवा” में विलीन होने का खतरा केवल एक काव्यात्मक बयान नहीं है, बल्कि एक गंभीर चेतावनी है कि यदि वर्तमान प्रवृत्तियाँ जारी रहीं तो राज्य का पारिस्थितिक तंत्र और सामाजिक ताना-बाना अपरिवर्तनीय क्षति का सामना कर सकता है।
UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह मुद्दा शासन, पर्यावरण प्रबंधन, आपदा जोखिम न्यूनीकरण और सतत विकास जैसे विषयों की गहरी समझ प्रदान करता है। एक प्रभावी नीति केवल पर्यटकों को आकर्षित करने के बारे में नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करने के बारे में है कि विकास टिकाऊ हो, समुदायों को लाभ हो, और सबसे महत्वपूर्ण बात, आने वाली पीढ़ियों के लिए इस ‘देवभूमि’ की सुंदरता और अखंडता को संरक्षित किया जा सके।
“हमारा ग्रह केवल हमारे द्वारा ही नहीं, बल्कि उन सभी के द्वारा साझा किया जाता है जो हमारे बाद आएंगे।”
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. सर्वोच्च न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश में अनियंत्रित पर्यटन पर चिंता व्यक्त की है।
2. न्यायालय ने विशेष रूप से नैरो गेज रेल लाइनों पर पर्यटक दबाव की बात कही।
3. न्यायालय का मानना है कि केवल पर्यटन को बंद करना ही पर्याप्त समाधान है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
a) 1 और 2
b) केवल 2
c) 1 और 3
d) 1, 2 और 3
उत्तर: a) 1 और 2
व्याख्या: न्यायालय ने पर्यटन को बंद करने के बजाय संतुलित दृष्टिकोण की बात कही, इसलिए कथन 3 गलत है।
2. हिमाचल प्रदेश में अनियंत्रित पर्यटन के पर्यावरणीय प्रभावों के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?
a) वन्यजीवों के आवास का विनाश
b) प्लास्टिक और जल प्रदूषण में वृद्धि
c) भूमि का क्षरण और भूस्खलन का कम होना
d) स्थानीय संसाधनों (जैसे जल) पर दबाव
उत्तर: c) भूमि का क्षरण और भूस्खलन का कम होना
व्याख्या: अनियंत्रित पर्यटन से भूमि क्षरण और भूस्खलन का खतरा बढ़ता है, कम नहीं होता।
3. “उच्च मूल्य, निम्न प्रभाव” (High Value, Low Impact) पर्यटन मॉडल का सबसे अच्छा वर्णन क्या है?
a) कम लागत पर अधिक पर्यटकों को आकर्षित करना।
b) उच्च लागत पर सीमित संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करना, जो पर्यावरण और संस्कृति के प्रति सचेत हों।
c) केवल विदेशी पर्यटकों को लक्षित करना।
d) ऑफ-सीजन में पर्यटन को बढ़ावा देना।
उत्तर: b) उच्च लागत पर सीमित संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करना, जो पर्यावरण और संस्कृति के प्रति सचेत हों।
व्याख्या: यह मॉडल गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करता है, न कि मात्रा पर।
4. निम्नलिखित में से कौन सा एक टिकाऊ पर्यटन प्रथा का उदाहरण है?
a) प्लास्टिक की बोतलों का व्यापक उपयोग।
b) स्थानीय संस्कृति का व्यावसायीकरण।
c) ईको-फ्रेंडली आवास और अपशिष्ट न्यूनीकरण।
d) निजी वाहनों से अत्यधिक यात्रा।
उत्तर: c) ईको-फ्रेंडली आवास और अपशिष्ट न्यूनीकरण।
व्याख्या: टिकाऊ पर्यटन पर्यावरण और समुदायों पर नकारात्मक प्रभाव को कम करने का प्रयास करता है।
5. भारत में पर्यटन के संबंध में, “प्रसाद” (PRASAD) योजना का क्या अर्थ है?
a) पर्यटन से संबंधित सहायता और गंतव्य विकास।
b) तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, विरासत संवर्धन ड्राइव।
c) प्रमुख शहरों के लिए अवसंरचना विकास।
d) ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देना।
उत्तर: b) तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, विरासत संवर्धन ड्राइव।
व्याख्या: PRASAD (National Mission on Pilgrimage Rejuvenation and Spiritual, Heritage Augmentation Drive) केंद्र सरकार की एक योजना है।
6. पहाड़ी राज्यों में अवसंरचना पर पर्यटन के दबाव से संबंधित निम्नलिखित में से कौन सा कथन सबसे उपयुक्त है?
a) यह मुख्य रूप से केवल पीने के पानी की उपलब्धता को प्रभावित करता है।
b) यह सड़कों, पार्किंग और अपशिष्ट प्रबंधन जैसी प्रणालियों पर अत्यधिक दबाव डालता है।
c) इसका शहरी क्षेत्रों में कम प्रभाव पड़ता है।
d) यह केवल ऊर्जा की मांग को बढ़ाता है।
उत्तर: b) यह सड़कों, पार्किंग और अपशिष्ट प्रबंधन जैसी प्रणालियों पर अत्यधिक दबाव डालता है।
व्याख्या: पहाड़ी राज्यों की सीमित अवसंरचना पर पर्यटकों की भारी संख्या का व्यापक प्रभाव पड़ता है।
7. हिमाचल प्रदेश के संदर्भ में, “देवभूमि” उपनाम क्यों प्रयोग किया जाता है?
a) क्योंकि यह एक प्रमुख वित्तीय केंद्र है।
b) क्योंकि यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और कई मंदिरों के लिए जाना जाता है।
c) क्योंकि यह बौद्ध धर्म का मुख्य केंद्र है।
d) क्योंकि यहाँ देवताओं की सबसे बड़ी मूर्तियाँ हैं।
उत्तर: b) क्योंकि यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और कई मंदिरों के लिए जाना जाता है।
व्याख्या: यह उपनाम राज्य की आध्यात्मिक और प्राकृतिक सुंदरता को दर्शाता है।
8. निम्नलिखित में से कौन सा राज्य के संसाधनों पर अनियंत्रित पर्यटन के दबाव का एक उदाहरण नहीं है?
a) जल संसाधनों पर मांग बढ़ना।
b) स्थानीय ऊर्जा ग्रिड पर अधिक भार।
c) सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था का सुचारू संचालन।
d) सीमित पार्किंग स्थलों पर भीड़।
उत्तर: c) सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था का सुचारू संचालन।
व्याख्या: अनियंत्रित पर्यटन से सार्वजनिक परिवहन पर भी अत्यधिक दबाव पड़ता है, न कि सुचारू संचालन।
9. वन्यजीवों के संरक्षण के लिए, अनियंत्रित पर्यटन से उत्पन्न होने वाली मुख्य चिंता क्या है?
a) वन्यजीवों की प्रजातियों की संख्या में वृद्धि।
b) मानव-वन्यजीव संघर्ष में कमी।
c) आवासों का विखंडन और क्षरण।
d) वन्यजीवों के लिए बेहतर भोजन की उपलब्धता।
उत्तर: c) आवासों का विखंडन और क्षरण।
व्याख्या: पर्यटन गतिविधियों से वन्यजीवों के प्राकृतिक आवासों को नुकसान पहुँचता है।
10. “मास टूरिज्म” (Mass Tourism) की विशेषता क्या है?
a) उच्च-व्यय वाले, कम संख्या में पर्यटक।
b) पर्यावरण-अनुकूल, स्थानीय-केंद्रित अनुभव।
c) कम लागत पर बड़ी संख्या में पर्यटकों का आगमन।
d) सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर विशेष ध्यान।
उत्तर: c) कम लागत पर बड़ी संख्या में पर्यटकों का आगमन।
व्याख्या: मास टूरिज्म मात्रा पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है, अक्सर गुणवत्ता और स्थिरता की कीमत पर।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. “सर्वोच्च न्यायालय की हिमाचल प्रदेश के अनियंत्रित पर्यटन पर चेतावनी, सतत विकास के सिद्धांत को सुदृढ़ करती है। इस संदर्भ में, भारत में पहाड़ी पर्यटन के स्थायी प्रबंधन के लिए आवश्यक उपायों और चुनौतियों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें।”
(Critically evaluate the measures and challenges required for sustainable management of mountain tourism in India, in the context of the Supreme Court’s warning on unchecked tourism in Himachal Pradesh, reinforcing the principle of sustainable development.)
2. “अनियंत्रित पर्यटन का प्रभाव केवल पर्यावरण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पहाड़ी राज्यों की अवसंरचना, सामाजिक-सांस्कृतिक ताने-बाने और आर्थिक स्थिरता को भी प्रभावित करता है। हिमाचल प्रदेश के उदाहरण का उपयोग करते हुए इस बहुआयामी प्रभाव का विश्लेषण करें और टिकाऊ पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की भूमिका पर चर्चा करें।”
(The impact of unchecked tourism is not limited to the environment but also affects the infrastructure, socio-cultural fabric, and economic stability of mountain states. Analyze this multifaceted impact using the example of Himachal Pradesh and discuss the role of the government in promoting sustainable tourism.)
3. “भूटान के ‘उच्च मूल्य, निम्न प्रभाव’ पर्यटन मॉडल की तर्ज पर, भारत के पहाड़ी राज्यों के लिए एक स्थायी पर्यटन नीति विकसित करने की व्यवहार्यता और चुनौतियों पर चर्चा करें। सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणियों को इस नीति निर्माण में कैसे शामिल किया जा सकता है?”
(Discuss the feasibility and challenges of developing a sustainable tourism policy for India’s mountain states, on the lines of Bhutan’s ‘High Value, Low Impact’ tourism model. How can the Supreme Court’s observations be incorporated into this policy formulation?)