5 कांवड़ियों की मौत, अनगिनत घायल: देवघर बस-ट्रक टक्कर की पूरी कहानी और सरकारी प्रतिक्रिया
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, झारखंड के देवघर में एक बेहद दुखद सड़क हादसा हुआ, जिसमें एक बस और ट्रक की भीषण टक्कर में पांच कांवड़ियों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। यह घटना श्रावण मास के दौरान कांवड़ यात्रा के चरम पर होने के समय घटी, जो कांवड़ यात्रियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है। यह दुखद घटना केवल एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना मात्र नहीं है, बल्कि यह भारत में सड़क सुरक्षा, विशेषकर धार्मिक यात्राओं के दौरान सामने आने वाली चुनौतियों का एक मार्मिक प्रतिबिंब है। यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए सड़क सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, परिवहन नीति, सार्वजनिक स्वास्थ्य, धार्मिक पर्यटन का प्रबंधन और सरकारी प्रतिक्रिया जैसे महत्वपूर्ण विषयों को समझने का एक अवसर प्रदान करती है।
यह घटना उन अंतर्निहित मुद्दों पर प्रकाश डालती है जिनका सामना भारत को अपनी सड़कों को सुरक्षित बनाने और तीर्थयात्रियों की रक्षा करने के लिए करना पड़ता है, खासकर जब वे बड़े पैमाने पर यात्रा कर रहे हों। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम इस घटना के विभिन्न पहलुओं का गहराई से विश्लेषण करेंगे, जिसमें घटना का विवरण, इसके संभावित कारण, सुरक्षा उपाय, सरकारी प्रतिक्रियाएं और भविष्य के लिए सीख शामिल हैं, जो UPSC की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए एक व्यापक मार्गदर्शिका के रूप में काम करेगा।
घटना का विस्तृत विवरण: देवघर की दुखद सुबह
यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना देवघर के पास, एक व्यस्त राजमार्ग पर घटी। श्रावण मास के पावन अवसर पर, बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए कांवड़ यात्रा पर निकले थे। कई कांवड़िए एक बस में सवार होकर अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सुबह के शुरुआती घंटों में, एक तेज गति से आ रहे ट्रक ने नियंत्रण खो दिया और विपरीत दिशा से आ रही कांवड़ियों से भरी बस से जा टकराया।
यह टक्कर इतनी भीषण थी कि बस का अगला हिस्सा पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया, जिससे कई यात्री फंस गए। सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन और बचाव दल तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे। घायलों को तत्काल निकटतम अस्पताल ले जाया गया, लेकिन अफसोस कि पांच यात्रियों, जिनमें सभी कांवड़िए थे, की गंभीर चोटों के कारण रास्ते में या अस्पताल पहुँचने से पहले ही मृत्यु हो गई। कई अन्य यात्री गंभीर रूप से घायल हुए हैं, और उनके बचने की संभावना और चोटों की गंभीरता के आधार पर, मृतकों का आंकड़ा बढ़ सकता है।
इस घटना ने देवघर और आसपास के क्षेत्रों में शोक की लहर दौड़ा दी है, और यह सवाल उठाता है कि ऐसे दुखद हादसे को रोका जा सकता था या नहीं।
संभावित कारण: दुर्घटना की जड़ें कहाँ हैं?
किसी भी गंभीर सड़क दुर्घटना के पीछे अक्सर कई कारक जिम्मेदार होते हैं। देवघर में हुई इस बस-ट्रक टक्कर के पीछे के कारणों का विश्लेषण करना महत्वपूर्ण है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके। प्रारंभिक जांच और विभिन्न रिपोर्टों के आधार पर, कुछ प्रमुख संभावित कारण इस प्रकार हैं:
- तेज गति और लापरवाही से वाहन चलाना: यह सड़क दुर्घटनाओं का सबसे आम कारण है। ट्रक चालक द्वारा तेज गति से वाहन चलाना और संभवतः सड़क पर नियंत्रण खो देना इस दुर्घटना का प्राथमिक कारण हो सकता है।
- खराब सड़क अवसंरचना: यद्यपि देवघर के राजमार्गों को अक्सर अच्छी स्थिति में माना जाता है, लेकिन कभी-कभी सड़कों पर गड्ढे, मोड़ पर खराब दृश्यता, या अपर्याप्त प्रकाश व्यवस्था भी दुर्घटनाओं में योगदान कर सकती है।
- वाहन यांत्रिक विफलता: ट्रक या बस में किसी यांत्रिक समस्या, जैसे कि ब्रेक फेल होना, भी दुर्घटना का कारण बन सकती है। हालांकि, इसकी पुष्टि के लिए विस्तृत जांच की आवश्यकता होगी।
- नशे में ड्राइविंग: यद्यपि इस मामले में इसकी पुष्टि नहीं हुई है, यह एक ऐसा कारक है जो भारत में कई सड़क दुर्घटनाओं में योगदान देता है, खासकर लंबी दूरी के ट्रकों के चालकों के लिए।
- यात्रियों की अधिक भीड़: यदि बस क्षमता से अधिक भरी हुई थी, तो इससे वाहन का संतुलन बिगड़ सकता है और चालक के लिए नियंत्रण बनाए रखना मुश्किल हो सकता है, खासकर आपातकालीन स्थितियों में।
- रात/सुबह के समय दृश्यता की समस्या: भोर या रात के समय, विशेष रूप से कोहरे या खराब रोशनी की स्थिति में, दृश्यता कम हो जाती है, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है।
- परिवहन नियमों का उल्लंघन: ओवरटेकिंग के दौरान लापरवाही, गलत लेन में गाड़ी चलाना, या सीट बेल्ट (यदि लागू हो) का उपयोग न करना भी जोखिम बढ़ा सकता है।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि इनमें से एक या अधिक कारक मिलकर इस विनाशकारी परिणाम का कारण बन सकते हैं। विस्तृत फोरेंसिक और यांत्रिक जांच से दुर्घटना के सटीक कारणों का पता चल सकेगा।
UPSC के लिए प्रासंगिकता: विभिन्न आयामों का विश्लेषण
यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न महत्वपूर्ण अनुभागों से जुड़ी हुई है:
1. आंतरिक सुरक्षा और आपदा प्रबंधन (GS Paper III)
सड़क सुरक्षा: भारत में सड़क सुरक्षा एक बड़ी चिंता का विषय है। देश में हर साल लाखों लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं और घायल होते हैं। यह घटना सड़क सुरक्षा के लिए मौजूदा नीतियों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाती है।
- सुरक्षा मानक: वाणिज्यिक वाहनों (बस, ट्रक) के लिए सुरक्षा मानकों का प्रवर्तन, जैसे कि ABS (एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम), एयरबैग, और स्पीड गवर्नर्स की अनिवार्यता।
- ड्राइवर प्रशिक्षण और लाइसेंसिंग: ड्राइवरों के लिए कठोर प्रशिक्षण, नियमित स्वास्थ्य जांच और नशे या थकान में ड्राइविंग पर सख्त प्रतिबंध।
- सड़क डिजाइन और रखरखाव: ब्लैकस्पॉट (जहाँ बार-बार दुर्घटनाएँ होती हैं) की पहचान और सुधार, बेहतर साइनेज, प्रकाश व्यवस्था और लेन मार्किंग।
- तकनीक का उपयोग: वाहनों में जीपीएस ट्रैकिंग, स्पीड डिटेक्शन कैमरे और ओवर स्पीडिंग के लिए स्वचालित दंड जैसी तकनीकों का उपयोग।
आपदा प्रबंधन: एक सड़क दुर्घटना, विशेष रूप से जिसमें बड़ी संख्या में हताहत हों, को एक प्रकार की आपदा माना जा सकता है।
- प्रारंभिक प्रतिक्रिया: दुर्घटना की सूचना मिलते ही बचाव दल (पुलिस, अग्निशमन, चिकित्सा) की तत्परता और समन्वय।
- राहत और पुनर्वास: घायलों को तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान करना, अस्पताल की तैयारी, और प्रभावित परिवारों को सहायता।
- अन्वेषण और सबक: दुर्घटना के कारणों की जांच करना और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सबक सीखना।
- सरकारी एजेंसियां: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) और स्थानीय प्रशासन की भूमिका।
2. शासन (Governance) (GS Paper II)
सरकारी नीतियां और उनका कार्यान्वयन: भारत सरकार ने सड़क सुरक्षा के लिए कई पहल की हैं, जैसे ‘राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति’, ‘मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम’, आदि। इस घटना से इन नीतियों के कार्यान्वयन में अंतराल का पता चल सकता है।
- कानून का प्रवर्तन: क्या यातायात नियमों का कड़ाई से पालन कराया जा रहा है? क्या चालान और दंड प्रभावी हैं?
- जवाबदेही: जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय करना, विशेष रूप से यदि सुरक्षा मानकों की अनदेखी की गई हो।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP): सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए निजी क्षेत्र और गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) की भूमिका।
- जन जागरूकता अभियान: सड़क सुरक्षा के महत्व पर जनता को शिक्षित करने के लिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियान और उनकी प्रभावशीलता।
3. सामाजिक मुद्दे (GS Paper I)
धार्मिक यात्राओं और उनका प्रबंधन: भारत में कांवड़ यात्रा जैसे बड़े पैमाने पर होने वाले धार्मिक आयोजनों में लाखों लोग भाग लेते हैं। इन यात्राओं के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है।
- भीड़ प्रबंधन: तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस और प्रशासन के प्रयास।
- आपातकालीन सेवाएं: यात्रा मार्गों पर पर्याप्त चिकित्सा सहायता, एम्बुलेंस और सुरक्षा कर्मियों की उपलब्धता।
- स्थानीय समुदायों की भूमिका: स्थानीय लोगों का सहयोग, स्वयंसेवकों का योगदान, और यात्रियों को सहायता प्रदान करना।
- परिवहन की व्यवस्था: तीर्थयात्रियों के लिए सुरक्षित और व्यवस्थित परिवहन की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
4. अर्थव्यवस्था (GS Paper III)
परिवहन क्षेत्र: सड़क दुर्घटनाएँ न केवल मानवीय त्रासदी होती हैं, बल्कि इनका आर्थिक प्रभाव भी पड़ता है।
- क्षतिपूर्ति और बीमा: दुर्घटनाओं में हताहतों के परिवारों को मुआवजा और बीमा दावों की प्रक्रिया।
- आर्थिक प्रभाव: दुर्घटनाओं के कारण होने वाली उत्पादकता का नुकसान, स्वास्थ्य सेवाओं पर व्यय, और बुनियादी ढांचे की क्षति।
- ईंधन दक्षता और यातायात प्रवाह: दुर्घटनाओं के कारण यातायात बाधित होने से ईंधन की खपत और समग्र दक्षता पर प्रभाव।
सुरक्षा उपाय और सरकारी प्रतिक्रियाएं
ऐसी दुखद घटनाओं के बाद, सरकार और संबंधित एजेंसियां आमतौर पर कई कदम उठाती हैं:
- तत्काल राहत कार्य: दुर्घटनास्थल पर बचाव दलों को भेजना, घायलों को अस्पताल पहुंचाना, और शवों को सुरक्षित करना।
- जांच का आदेश: दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए मजिस्ट्रेटियल जांच या पुलिस जांच का आदेश देना।
- मुआवजे की घोषणा: मृतकों के परिवारों के लिए सरकारी मुआवजे की घोषणा करना और घायलों के इलाज का खर्च उठाना।
- सुरक्षा उपायों की समीक्षा: विशेष रूप से कांवड़ यात्रा जैसे आयोजनों के दौरान सुरक्षा उपायों की समीक्षा करना और अतिरिक्त कदम उठाने का वादा करना।
- चेतावनी और सलाह: यात्रियों को सुरक्षित यात्रा के लिए सलाह जारी करना, जैसे तेज गति से बचने, आराम करने और यातायात नियमों का पालन करने का आग्रह करना।
उदाहरण के लिए: हाल के वर्षों में, कांवड़ यात्रा के दौरान सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं। सरकारें अक्सर यात्रा के दौरान ड्रोन निगरानी, यातायात पुलिस की अतिरिक्त तैनाती, और सुरक्षा जांच की बात करती हैं। देवघर जैसी घटना इन उपायों की प्रभावशीलता पर फिर से प्रकाश डालती है।
भविष्य की राह: सड़क सुरक्षा को कैसे बेहतर बनाया जाए?
देवघर की यह दुर्घटना भारत में सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए एक और वेक-अप कॉल है। भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक बहु-आयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है:
- कठोर कानून और प्रभावी प्रवर्तन: यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई, जिसमें भारी जुर्माना और लाइसेंस का निलंबन शामिल है।
- तकनीकी उन्नयन: वाहनों में उन्नत सुरक्षा सुविधाओं (जैसे ADAS – Advanced Driver-Assistance Systems) को अनिवार्य करना और स्मार्ट ट्रैफिक प्रबंधन प्रणालियों को अपनाना।
- ड्राइवर कल्याण: ड्राइवरों के लिए उचित आराम के घंटों को सुनिश्चित करना, उनकी थकान की जांच करना और बेहतर प्रशिक्षण प्रदान करना।
- जागरूकता और शिक्षा: सड़क सुरक्षा के महत्व पर जन जागरूकता अभियान चलाना, विशेष रूप से स्कूलों और ड्राइविंग प्रशिक्षण संस्थानों में।
- धार्मिक यात्राओं का विशेष प्रबंधन: कांवड़ यात्रा जैसे बड़े आयोजनों के लिए पहले से योजना बनाना, यात्रा मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करना, और पर्याप्त आपातकालीन सेवाएं उपलब्ध कराना।
- डेटा-संचालित दृष्टिकोण: दुर्घटनाओं के कारणों का विश्लेषण करने के लिए डेटा का उपयोग करना और उसी के अनुसार सुरक्षा रणनीतियों को डिजाइन करना।
- जवाबदेही तंत्र: यदि सुरक्षा नियमों की अनदेखी की जाती है या खराब बुनियादी ढांचा दुर्घटना का कारण बनता है, तो संबंधित अधिकारियों और ठेकेदारों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
एक केस स्टडी: स्वीडन की ‘विजन जीरो’ (Vision Zero) पहल, जिसका उद्देश्य सड़क पर किसी भी मृत्यु या गंभीर चोट को रोकना है, भारत के लिए एक प्रेरणा स्रोत हो सकती है। यह प्रणाली इस विचार पर आधारित है कि सड़क परिवहन प्रणाली को मानव की त्रुटियों के प्रति सहनशील होना चाहिए, न कि मानव को दुर्घटनाओं के लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
देवघर में बस और ट्रक की टक्कर में पांच कांवड़ियों की मौत एक हृदय विदारक घटना है जो न केवल प्रभावित परिवारों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक गहरी क्षति है। यह घटना भारत में सड़क सुरक्षा की स्थिति, खासकर तीर्थयात्राओं के दौरान, पर गंभीर चिंताएं व्यक्त करती है। UPSC के उम्मीदवारों के लिए, यह न केवल एक समाचार आइटम है, बल्कि एक जटिल मुद्दे का अध्ययन है जिसमें शासन, सुरक्षा, सामाजिक व्यवहार और बुनियादी ढांचे जैसे कई पहलू शामिल हैं।
इस दुखद दुर्घटना से सीखकर, हमें अपनी सड़कों को सुरक्षित बनाने, जिम्मेदार ड्राइविंग को बढ़ावा देने और यह सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है कि भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोका जा सके। सड़क सुरक्षा में सुधार एक सतत प्रक्रिया है जिसके लिए सरकार, नागरिक समाज और प्रत्येक व्यक्ति के सहयोग की आवश्यकता होती है। केवल तभी हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि धार्मिक यात्राएं आनंददायक और सुरक्षित बनी रहें, न कि दुखद घटनाओं का कारण बनें।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
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प्रश्न: देवघर सड़क दुर्घटना के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. यह घटना श्रावण मास के दौरान हुई।
2. दुर्घटना में एक बस और एक ट्रक शामिल थे।
3. प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, दुर्घटना का मुख्य कारण तेज गति था।
उपरोक्त में से कौन से कथन सही हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
व्याख्या: तीनों कथन घटना के विवरण के अनुरूप हैं। यह घटना श्रावण मास में कांवड़ यात्रा के दौरान हुई, जिसमें बस और ट्रक की टक्कर हुई, और प्रारंभिक रिपोर्टों में तेज गति को एक संभावित कारण बताया गया है। -
प्रश्न: सड़क सुरक्षा से संबंधित ‘विजन ज़ीरो’ (Vision Zero) पहल किस देश से संबंधित है?
(a) भारत
(b) यूनाइटेड किंगडम
(c) जर्मनी
(d) स्वीडन
उत्तर: (d)
व्याख्या: ‘विजन ज़ीरो’ सड़क सुरक्षा के प्रति एक दृष्टिकोण है जो स्वीडन में उत्पन्न हुआ था। -
प्रश्न: भारत में सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में से एक निम्नलिखित में से कौन सा है?
1. ओवर-स्पीडिंग
2. नशे में ड्राइविंग
3. खराब सड़क की स्थिति
4. असुरक्षित ओवरटेक
सही कूट का प्रयोग करें:
(a) 1, 2 और 3
(b) 2, 3 और 4
(c) 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: (d)
व्याख्या: ये सभी भारत में सड़क दुर्घटनाओं के आम और प्रमुख कारण हैं। -
प्रश्न: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. यह भारत में आपदा प्रबंधन के लिए शीर्ष वैधानिक और सलाहकार निकाय है।
2. इसका गठन आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत किया गया था।
3. इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं।
उपरोक्त में से कौन से कथन सही हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
व्याख्या: NDMA भारत में आपदा प्रबंधन के लिए प्रमुख संस्था है, जिसका गठन DM Act, 2005 के तहत हुआ था और जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं। -
प्रश्न: ‘मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम’ का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(a) वाहनों पर सब्सिडी प्रदान करना।
(b) सड़क सुरक्षा में सुधार और यातायात नियमों के उल्लंघन पर सख्त दंड का प्रावधान।
(c) सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना।
(d) ड्राइविंग लाइसेंस प्रक्रिया को सरल बनाना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम का मुख्य फोकस सड़क सुरक्षा बढ़ाना और उल्लंघन पर प्रभावी दंड सुनिश्चित करना है। -
प्रश्न: देवघर दुर्घटना के संदर्भ में, ‘ब्लैकस्पॉट’ (Blackspot) शब्द का क्या अर्थ है?
(a) एक ऐसा क्षेत्र जहाँ बहुत अधिक प्रदूषण हो।
(b) एक ऐसा सड़क खंड जहाँ दुर्घटनाएँ बार-बार होती हों।
(c) एक ऐसा स्थान जहाँ ऐतिहासिक दुर्घटनाएँ हुई हों।
(d) एक ऐसा क्षेत्र जहाँ वाहनों का निर्माण होता हो।
उत्तर: (b)
व्याख्या: ब्लैकस्पॉट उन सड़क खंडों को कहते हैं जहाँ अपेक्षाकृत कम दूरी में अधिक संख्या में दुर्घटनाएँ दर्ज की जाती हैं। -
प्रश्न: कांवड़ यात्रा मुख्य रूप से किस हिंदू महीने में आयोजित की जाती है?
(a) चैत्र
(b) वैशाख
(c) श्रावण
(d) कार्तिक
उत्तर: (c)
व्याख्या: कांवड़ यात्रा श्रावण मास के दौरान, विशेष रूप से सावन के सोमवारों के आसपास, आयोजित होती है। -
प्रश्न: भारत में सड़क सुरक्षा से संबंधित कौन सी एजेंसी सड़क दुर्घटना डेटा एकत्र करने और उनका विश्लेषण करने के लिए जिम्मेदार है?
(a) भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI)
(b) सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय
(c) केंद्रीय मोटर वाहन नियम (CMVR)
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
व्याख्या: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, NHAI और CMVR जैसी एजेंसियां सड़क सुरक्षा और दुर्घटना डेटा से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर काम करती हैं। -
प्रश्न: ABS (एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम) का प्राथमिक कार्य क्या है?
(a) वाहन को ओवरहीटिंग से बचाना।
(b) तेज गति से वाहन को रोकना।
(c) आपातकालीन ब्रेकिंग के दौरान पहियों को लॉक होने से रोकना, जिससे स्टीयरिंग नियंत्रण बना रहे।
(d) वाहन के इंजन की शक्ति बढ़ाना।
उत्तर: (c)
व्याख्या: ABS आपातकालीन ब्रेकिंग के दौरान पहियों को लॉक होने से रोकता है, जिससे ड्राइवर को वाहन का स्टीयरिंग नियंत्रित करने में मदद मिलती है। -
प्रश्न: सड़क दुर्घटनाओं के मानवीय और आर्थिक प्रभाव के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?
(a) सड़क दुर्घटनाओं से उत्पादकता का भारी नुकसान होता है।
(b) दुर्घटनाएं स्वास्थ्य सेवाओं पर व्यय बढ़ाती हैं।
(c) दुर्घटनाओं का केवल हताहतों के परिवारों पर ही आर्थिक प्रभाव पड़ता है।
(d) सड़क दुर्घटनाओं से जुड़े बुनियादी ढांचे की क्षति से आर्थिक बोझ बढ़ता है।
उत्तर: (c)
व्याख्या: सड़क दुर्घटनाओं का आर्थिक प्रभाव केवल सीधे प्रभावित परिवारों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि इसमें स्वास्थ्य सेवाओं, उत्पादकता के नुकसान, संपत्ति की क्षति और बीमा लागत के रूप में व्यापक सामाजिक और आर्थिक लागतें शामिल होती हैं।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न: देवघर में हालिया दुखद सड़क दुर्घटना को भारत में सड़क सुरक्षा की व्यापक चुनौतियों के संदर्भ में विश्लेषित करें। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों और उनकी प्रभावशीलता पर भी चर्चा करें, साथ ही भविष्य के लिए सुझाव भी दें। (GS Paper III – आंतरिक सुरक्षा और GS Paper II – शासन)
- प्रश्न: भारत में बड़े पैमाने पर होने वाली धार्मिक यात्राओं, जैसे कांवड़ यात्रा, के प्रबंधन में आने वाली चुनौतियाँ क्या हैं? देवघर दुर्घटना के आलोक में, इन यात्राओं के दौरान तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय और एक मजबूत आपदा प्रबंधन ढांचा विकसित करने पर एक टिप्पणी लिखें। (GS Paper I – सामाजिक मुद्दे और GS Paper III – आपदा प्रबंधन)
- प्रश्न: भारत में सड़क दुर्घटनाओं की उच्च दर के पीछे के कारणों का पता लगाएं। परिवहन क्षेत्र में सुधार और सड़क सुरक्षा को बढ़ाने के लिए ‘मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम’ जैसे विधायी उपायों के अलावा, तकनीकी नवाचारों, ड्राइवरों के प्रशिक्षण और जन जागरूकता अभियानों की भूमिका का मूल्यांकन करें। (GS Paper III – अर्थव्यवस्था/आंतरिक सुरक्षा)
- प्रश्न: “सड़क सुरक्षा एक साझा जिम्मेदारी है।” इस कथन की पुष्टि देवघर दुर्घटना जैसे मामलों के संदर्भ में करें। सड़क पर जीवन और संपत्ति की रक्षा के लिए सरकारी एजेंसियों, वाहन निर्माताओं, ड्राइवरों और आम नागरिकों की भूमिका और जवाबदेही पर चर्चा करें। (GS Paper II – शासन और GS Paper IV – नैतिकता)