40 लाख संदिग्ध नाम? राहुल के EC पर चुनाव ‘चुराने’ के आरोप: वोटर लिस्ट की सच्चाई और देश पर इसका असर
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक गंभीर आरोप लगाया है कि भारत के चुनाव आयोग (EC) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ मिलकर चुनावों को ‘चुराया’ है। इन आरोपों के समर्थन में, उन्होंने कथित तौर पर स्क्रीन पर वोटर लिस्ट दिखाकर दावा किया कि महाराष्ट्र में 40 लाख से अधिक संदिग्ध नाम हैं, और कर्नाटक में भी इसी तरह का फर्जीवाड़ा हुआ है। यह मामला न केवल चुनावी पारदर्शिता पर सवाल उठाता है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की नींव को भी झकझोर देता है। ऐसे में, यह समझना अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है कि मतदाता सूची में हेरफेर का आरोप कितना गंभीर है, इसका चुनावी प्रक्रिया पर क्या प्रभाव पड़ता है, और इस समस्या से निपटने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं।
मतदाता सूची: लोकतंत्र का आधार स्तंभ
मतदाता सूची, जिसे ‘इलेक्टोरल रोल’ भी कहा जाता है, किसी भी लोकतांत्रिक चुनाव का सबसे महत्वपूर्ण आधार होती है। यह उन सभी नागरिकों की एक आधिकारिक सूची है जिन्हें मतदान करने का अधिकार प्राप्त है। एक निष्पक्ष और सटीक मतदाता सूची यह सुनिश्चित करती है कि:
- हर योग्य नागरिक को वोट देने का मौका मिले: सूची में नाम होने से ही कोई नागरिक मतदान केंद्र पर जाकर अपना मत दे सकता है।
- कोई भी व्यक्ति एक से अधिक बार वोट न डाले: सूची में डुप्लीकेट एंट्री न होने से ‘डबल वोटिंग’ को रोका जा सकता है।
- अयोग्य व्यक्ति वोट न डाल सके: जैसे कि मृत व्यक्ति या किसी अन्य देश के नागरिक।
- चुनावों की अखंडता बनी रहे: जब मतदाता सूची पारदर्शी और त्रुटि रहित होती है, तो चुनाव परिणाम पर भरोसा बढ़ता है।
इसे ऐसे समझें जैसे किसी परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र बांटना। यदि प्रवेश पत्र सही छात्रों को, सही संख्या में और बिना किसी दोहराव के वितरित किए जाएं, तभी परीक्षा निष्पक्ष मानी जाएगी। यदि सूची में गलत नाम हों, कुछ के नाम कट जाएं, या डुप्लीकेट एंट्री हो, तो पूरी प्रक्रिया पर संदेह पैदा होगा।
राहुल गांधी के आरोप: क्या है पूरा मामला?
राहुल गांधी ने जो आरोप लगाए हैं, वे सीधे तौर पर चुनावी प्रक्रिया की शुचिता पर हमला करते हैं। उनके दावों के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
- 40 लाख संदिग्ध नाम (महाराष्ट्र): आरोप है कि महाराष्ट्र की मतदाता सूची में लगभग 40 लाख ऐसे नाम शामिल हैं जो संदिग्ध हैं। इन नामों की प्रकृति स्पष्ट नहीं है, लेकिन आमतौर पर ऐसे आरोपों में मृत व्यक्ति, एक ही पते पर कई नाम, या ऐसे पते जहां कोई रहता ही नहीं, शामिल हो सकते हैं।
- कर्नाटक में भी फर्जीवाड़ा: इसी तरह का आरोप कर्नाटक के लिए भी लगाया गया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि यह समस्या किसी एक राज्य तक सीमित नहीं हो सकती।
- EC पर मिलीभगत का आरोप: सबसे गंभीर आरोप यह है कि चुनाव आयोग (EC) इस कथित फर्जीवाड़े में सत्ताधारी दल (BJP) के साथ मिलीभगत कर रहा है। यह आरोप EC की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर सीधा सवाल उठाता है।
यह आरोप ऐसे समय में लगे हैं जब देश आगामी आम चुनावों की तैयारी कर रहा है, जिससे इसकी संवेदनशीलता और बढ़ जाती है।
मतदाता सूची में संभावित गड़बड़ियां: कैसे हो सकती हैं?
मतदाता सूची में गड़बड़ियां कई तरह से हो सकती हैं, जिनमें से कुछ जानबूझकर और कुछ अनजाने में होती हैं।
1. अनजाने में होने वाली त्रुटियां (Inadvertent Errors):
- तकनीकी खामियां: डेटा एंट्री या डिजिटलीकरण के दौरान मानवीय भूल या सॉफ्टवेयर की खराबी से नाम छूट सकते हैं या गलत दर्ज हो सकते हैं।
- पते में बदलाव: लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं, और यदि वे अपने पते का अपडेट नहीं कराते हैं, तो उनकी पुरानी सूची में एंट्री बनी रहती है।
- डेटाबेस का पुराना होना: समय के साथ, सूची पुरानी हो जाती है और इसमें नवीनतम जानकारी शामिल नहीं हो पाती।
2. जानबूझकर की जाने वाली गड़बड़ियां (Deliberate Manipulation):
- ‘घोस्ट वोटर्स’ (Ghost Voters): मृत व्यक्तियों या कभी अस्तित्व में न रहे लोगों के नाम सूची में डालना। ये वोट अप्रत्याशित रूप से किसी विशेष उम्मीदवार के पक्ष में डाले जा सकते हैं, खासकर यदि बूथ प्रबंधन मजबूत हो।
- ‘डुप्लीकेट एंट्री’ (Duplicate Entries): एक ही व्यक्ति का नाम सूची में कई बार दर्ज करना। यह या तो किसी क्षेत्र में वोट की गिनती बढ़ाने या किसी विशेष उम्मीदवार के पक्ष में हेरफेर करने के लिए किया जा सकता है।
- ‘वोटर डंपिंग’ (Voter Dumping): किसी विशेष निर्वाचन क्षेत्र में बड़ी संख्या में नए, अक्सर अपरिचित मतदाताओं को अंतिम क्षणों में जोड़ना, जो किसी विशेष पार्टी के प्रभाव वाले क्षेत्र हो सकते हैं।
- ‘वोटर डिलीशन’ (Voter Deletion): जानबूझकर पात्र मतदाताओं के नाम सूची से हटाना, खासकर उन क्षेत्रों में जहां किसी विशेष पार्टी का प्रभाव अधिक हो।
उदाहरण: कल्पना कीजिए कि एक बूथ पर 1000 मतदाता हैं। यदि किसी पार्टी के समर्थक 500 वोट डालते हैं और 100 ‘घोस्ट वोट’ भी उसी पार्टी के पक्ष में डाले जाते हैं, तो उस पार्टी को 600 वोट मिल सकते हैं, जो 50% से बढ़कर 60% हो जाता है। यह अंतर छोटे मार्जिन से चुनाव जीतने के लिए पर्याप्त हो सकता है।
राहुल गांधी के आरोपों का चुनावी प्रक्रिया पर प्रभाव
यदि ऐसे आरोप सत्य साबित होते हैं, तो इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं:
- जनता के विश्वास में कमी: चुनाव आयोग और पूरी चुनावी प्रक्रिया पर जनता का विश्वास डगमगा सकता है। लोग मतदान करने से कतरा सकते हैं, यह सोचकर कि उनके वोट का कोई महत्व नहीं है।
- चुनाव परिणामों पर संदेह: यदि मतदाता सूची में हेरफेर होता है, तो चुनाव परिणाम की वैधता पर भी सवाल उठेंगे।
- लोकतांत्रिक संस्थानों का अवमूल्यन: यह आरोप लोकतांत्रिक संस्थानों जैसे चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर सीधा प्रहार है।
- राजनीतिक ध्रुवीकरण: ऐसे आरोप राजनीतिक माहौल को और अधिक ध्रुवीकृत कर सकते हैं, जिससे स्वस्थ राजनीतिक बहस मुश्किल हो जाती है।
चुनाव आयोग (EC) की भूमिका और चुनौतियां
चुनाव आयोग भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के संचालन के लिए जिम्मेदार संवैधानिक निकाय है। इसकी भूमिका में मतदाता सूची तैयार करना, उम्मीदवारों का नामांकन, चुनाव प्रचार की निगरानी और मतदान तथा मतगणना का आयोजन शामिल है।
EC की जिम्मेदारियां:
- मतदाता सूची का अद्यतनीकरण: आयोग को नियमित रूप से मतदाता सूची को अद्यतन (update) करना होता है, जिसमें नए मतदाताओं के नाम जोड़ना, मृत मतदाताओं के नाम हटाना और पते में बदलाव को शामिल करना शामिल है।
- सभी के लिए समान अवसर: यह सुनिश्चित करना कि सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को समान अवसर मिले।
- भ्रष्टाचार विरोधी उपाय: चुनावों में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार या अनियमितता को रोकना।
EC के समक्ष चुनौतियां:
- विशाल जनसंख्या: भारत की विशाल और गतिशील जनसंख्या के लिए सटीक मतदाता सूची बनाए रखना एक बहुत बड़ी चुनौती है।
- तकनीकी अवसंरचना: सभी क्षेत्रों में, विशेषकर ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में, आधुनिक तकनीक का प्रभावी उपयोग एक चुनौती हो सकता है।
- राजनीतिक दबाव: चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों के दबाव से मुक्त रहकर कार्य करना होता है, जो हमेशा आसान नहीं होता।
- जागरूकता की कमी: कुछ नागरिक मतदाता सूची में अपने नाम की जांच करने या त्रुटियों की रिपोर्ट करने के प्रति लापरवाह हो सकते हैं।
मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने के उपाय
मतदाता सूची को त्रुटिहीन बनाना एक सतत प्रक्रिया है। इसके लिए कई उपाय किए जा सकते हैं:
1. प्रौद्योगिकी का बेहतर उपयोग:
- आधार और अन्य डेटाबेस से लिंकेज: यदि संभव हो, तो आधार या अन्य सरकारी डेटाबेस से लिंकेज (गोपनीयता का ध्यान रखते हुए) करके मृत व्यक्तियों या दोहराव वाले नामों की पहचान की जा सकती है।
- AI और मशीन लर्निंग: संभावित डुप्लीकेट या संदिग्ध नामों की पहचान के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग (ML) एल्गोरिदम का उपयोग किया जा सकता है।
- ब्लॉकचेन तकनीक: मतदाता सूची की अखंडता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ब्लॉकचेन जैसी नई तकनीकों का प्रयोग भविष्य में एक विकल्प हो सकता है।
2. नागरिक भागीदारी और जागरूकता:
- ‘जागरूक मतदाता’ अभियान: नागरिकों को अपनी मतदाता सूची में नाम की जांच करने, गलतियों की रिपोर्ट करने और नए पंजीकरण के लिए प्रोत्साहित करना।
- सक्रिय नागरिक समाज: नागरिक समाज संगठनों (CSOs) को मतदाता सूची की समीक्षा और ऑडिटिंग में शामिल करना।
- ऑनलाइन शिकायत निवारण: मतदाता सूची में सुधार के लिए ऑनलाइन पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन को और अधिक प्रभावी बनाना।
3. नियमित ऑडिट और सत्यापन:
- स्वतंत्र ऑडिट: मतदाता सूचियों का नियमित अंतराल पर स्वतंत्र ऑडिट कराया जाना चाहिए।
- फील्ड वेरिफिकेशन: विशेषकर संदिग्ध या नए जोड़े गए नामों का फील्ड वेरिफिकेशन (क्षेत्रीय सत्यापन) किया जाना चाहिए।
4. राजनीतिक दलों की भूमिका:
राजनीतिक दलों को भी इस प्रक्रिया में सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए। उन्हें सूची में सुधार के लिए सहयोग करना चाहिए, न कि हेरफेर का प्रयास करना चाहिए।
“लोकतंत्र केवल मतदान का अधिकार नहीं है, बल्कि यह एक पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रिया में भागीदारी है। मतदाता सूची इस प्रक्रिया की रीढ़ है।”
आगे की राह: आरोपों का जवाब और चुनावी सुधार
राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देने के लिए, चुनाव आयोग को पारदर्शी तरीके से अपनी प्रक्रियाएं स्पष्ट करनी होंगी। यदि कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो उसे स्वीकार कर सुधारात्मक कार्रवाई करनी चाहिए। यह समय चुनावी सुधारों पर भी गंभीरता से विचार करने का है:
- मतदाता सूची की शुद्धता: यह सुनिश्चित करना कि मतदाता सूची अद्यतित, सटीक और त्रुटिहीन हो।
- चुनावों का डिजिटलीकरण: जहां संभव हो, वहां चुनाव प्रक्रिया के डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना, जिससे पारदर्शिता बढ़े।
- चुनाव आयोग की स्वायत्तता: चुनाव आयोग की स्वायत्तता और शक्ति को और मजबूत करना ताकि वह बिना किसी दबाव के कार्य कर सके।
- IT अधिनियमों का कड़ाई से पालन: मतदाता सूची में हेरफेर के प्रयास को IT अधिनियमों के तहत गंभीर अपराध मानना।
निष्कर्ष: राहुल गांधी के आरोप गंभीर हैं और उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ये आरोप चुनावी प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं। चुनाव आयोग को इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए और जनता को विश्वास दिलाना चाहिए कि मतदाता सूची की शुद्धता और चुनावों की निष्पक्षता सर्वोपरि है। अंततः, एक मजबूत लोकतंत्र के लिए ऐसी प्रक्रियाओं का होना आवश्यक है जिन पर जनता का अटूट विश्वास हो।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा भारतीय संविधान का अनुच्छेद चुनाव आयोग की स्थापना और शक्तियों से संबंधित है?
(a) अनुच्छेद 324
(b) अनुच्छेद 315
(c) अनुच्छेद 320
(d) अनुच्छेद 280
उत्तर: (a) अनुच्छेद 324
व्याख्या: अनुच्छेद 324 भारतीय संविधान में भारत के चुनाव आयोग की स्थापना, उसके कार्यों, शक्तियों और संरचना का प्रावधान करता है। - प्रश्न 2: मतदाता सूची (Electoral Roll) को अद्यतन करने के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- मतदाता सूची का वार्षिक अद्यतन केवल मृत मतदाताओं के नाम हटाने के लिए किया जाता है।
- मतदाता सूची में नए नाम जोड़ने की प्रक्रिया केवल आम चुनावों के दौरान ही की जा सकती है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल A
(b) केवल B
(c) A और B दोनों
(d) न तो A और न ही B
उत्तर: (d) न तो A और न ही B
व्याख्या: मतदाता सूची का अद्यतन निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जिसमें नए नाम जोड़ना, हटाना (मृत्यु, दोहरी एंट्री, निवास स्थान परिवर्तन आदि के कारण) शामिल है। यह केवल आम चुनावों तक सीमित नहीं है। - प्रश्न 3: ‘ईपिक’ (EPIC) का पूर्ण रूप क्या है, जिसका संबंध मतदाता पहचान पत्र से है?
(a) Electoral Photo Identity Card
(b) Election Participant Identification Card
(c) Essential Photo ID Card
(d) Electronic Permanent Identification Card
उत्तर: (a) Electoral Photo Identity Card
व्याख्या: EPIC मतदाता का फोटो पहचान पत्र है, जो चुनाव आयोग द्वारा जारी किया जाता है। - प्रश्न 4: भारतीय चुनाव प्रणाली में ‘भूत वोटिंग’ (Booth Capturing) का क्या अर्थ है?
(a) एक उम्मीदवार द्वारा अपने मतदान केंद्र पर मतदाताओं को डराने-धमकाने के लिए बल का प्रयोग करना।
(b) एक राजनीतिक दल द्वारा अपने समर्थकों को गैर-मौजूद वोटों के लिए पंजीकरण करवाना।
(c) एक उम्मीदवार द्वारा कुछ स्थानीय लोगों को बूथ पर नियंत्रित कर के अपने पक्ष में वोट डालना।
(d) चुनाव अधिकारियों द्वारा जानबूझकर मतपत्रों की गिनती में हेरफेर करना।
उत्तर: (c) एक उम्मीदवार द्वारा कुछ स्थानीय लोगों को बूथ पर नियंत्रित कर के अपने पक्ष में वोट डालना।
व्याख्या: भूत कैप्चरिंग वह प्रक्रिया है जिसमें कुछ व्यक्ति मतदान केंद्र पर कब्जा कर लेते हैं और अपने इच्छित उम्मीदवारों के लिए वोट डालते हैं, या दूसरों को वोट डालने से रोकते हैं। - प्रश्न 5: मतदाता सूची की शुचिता बनाए रखने के लिए निम्नलिखित में से कौन सा उपाय सबसे प्रभावी हो सकता है?
(a) केवल तकनीकी सुधारों पर निर्भर रहना।
(b) नागरिक समाज संगठनों (CSOs) को प्रक्रिया में शामिल करना।
(c) राजनीतिक दलों द्वारा स्व-नियमन पर भरोसा करना।
(d) चुनावों को पूरी तरह से ऑनलाइन कर देना।
उत्तर: (b) नागरिक समाज संगठनों (CSOs) को प्रक्रिया में शामिल करना।
व्याख्या: नागरिक भागीदारी और निगरानी से मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने में मदद मिलती है। - प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था मतदाता सूची की तैयारी और संशोधन के लिए जिम्मेदार है?
(a) भारत का सर्वोच्च न्यायालय
(b) केंद्रीय गृह मंत्रालय
(c) भारत का चुनाव आयोग
(d) नीति आयोग
उत्तर: (c) भारत का चुनाव आयोग
व्याख्या: अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग मतदाता सूची तैयार करने के लिए उत्तरदायी है। - प्रश्न 7: ‘वन पर्सन, वन वोट’ (One Person, One Vote) के सिद्धांत को बनाए रखने के लिए मतदाता सूची में कौन सी गड़बड़ी सबसे खतरनाक हो सकती है?
(a) मृत व्यक्तियों के नाम का सूची में रहना।
(b) एक ही व्यक्ति का नाम कई बार सूची में होना।
(c) योग्य नागरिकों के नाम का सूची से बाहर होना।
(d) मतदाता पहचान पत्र में फोटो का धुंधला होना।
उत्तर: (b) एक ही व्यक्ति का नाम कई बार सूची में होना।
व्याख्या: एक ही व्यक्ति का कई बार सूची में होना ‘डबल वोटिंग’ या ‘मल्टीपल वोटिंग’ की संभावना पैदा करता है, जो ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ के सिद्धांत का उल्लंघन है। - प्रश्न 8: मतदाता सूची में ‘ऑपरेशन ब्लैकआउट’ (Operation Blackout) जैसे शब्द किस संदर्भ में उपयोग किए जाते हैं?
(a) मतदाता पहचान पत्रों को डिजिटल रूप से लॉक करना।
(b) मतदाता सूची से अवैध या संदिग्ध नामों को हटाने की प्रक्रिया।
(c) चुनावों के दौरान इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करना।
(d) राजनीतिक दलों के वित्त पोषण का ऑडिट करना।
उत्तर: (b) मतदाता सूची से अवैध या संदिग्ध नामों को हटाने की प्रक्रिया।
व्याख्या: यह शब्द आम तौर पर मतदाता सूची को साफ करने या उसमें से संदिग्ध नामों को हटाने के अभियान के लिए प्रयोग किया जाता है। - प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सा कथन चुनाव आयोग की स्वतंत्रता के बारे में सत्य है?
- चुनाव आयोग के सदस्यों को केवल राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है।
- चुनाव आयोग के सदस्यों के वेतन और भत्ते भारत की संचित निधि पर भारित होते हैं।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल A
(b) केवल B
(c) A और B दोनों
(d) न तो A और न ही B
उत्तर: (c) A और B दोनों
व्याख्या: चुनाव आयुक्तों को हटाना सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के समान प्रक्रिया से होता है, और उनके वेतन भारत की संचित निधि पर भारित होते हैं, जो उनकी स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है। - प्रश्न 10: किसी मतदाता का नाम मतदाता सूची से हटाए जाने के क्या आधार हो सकते हैं?
- मतदाता का मृत्यु हो जाना।
- मतदाता का लगातार दो वर्ष से अधिक समय तक अपने निवास स्थान पर अनुपस्थित रहना।
- मतदाता का किसी अन्य निर्वाचन क्षेत्र में पंजीकरण हो जाना।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल A और B
(b) केवल A और C
(c) केवल B और C
(d) A, B और C तीनों
उत्तर: (d) A, B और C तीनों
व्याख्या: ये सभी प्रमुख आधार हैं जिनके तहत एक मतदाता का नाम सूची से हटाया जा सकता है, बशर्ते उचित प्रक्रिया का पालन किया गया हो।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न 1: मतदाता सूची की शुचिता और सटीकता सुनिश्चित करना भारतीय लोकतंत्र की अखंडता के लिए महत्वपूर्ण है। इस संदर्भ में, मतदाता सूची में गड़बड़ियों के संभावित कारणों और उनसे निपटने के लिए प्रौद्योगिकी-आधारित समाधानों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। (लगभग 250 शब्द)
- प्रश्न 2: राहुल गांधी द्वारा हाल ही में चुनाव आयोग पर लगाए गए आरोपों के आलोक में, भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के संचालन में चुनाव आयोग की भूमिका और उसके समक्ष आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालें। क्या इन आरोपों के आलोक में चुनावी सुधारों की आवश्यकता है? (लगभग 250 शब्द)
- प्रश्न 3: “मतदाता सूची किसी भी लोकतांत्रिक चुनाव का आधार स्तंभ होती है।” इस कथन की विवेचना करें और भारत में मतदाता सूची को विश्वसनीय बनाने हेतु नागरिक जुड़ाव और प्रशासनिक उपायों की महत्ता का विश्लेषण करें। (लगभग 150 शब्द)
- प्रश्न 4: भारत में चुनावों में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देने के लिए चुनाव प्रबंधन निकायों (जैसे चुनाव आयोग) को किन संवैधानिक और संस्थागत सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है? (लगभग 150 शब्द)