4 राज्यों में रेड अलर्ट:MP-UP हाईवे बंद, सिंगरौली में 7 इंच बारिश, स्कूलों में छुट्टी- जानें पूरा हाल
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सहित देश के चार राज्यों में भारी बारिश के कारण ‘रेड अलर्ट’ जारी किया गया है। इस अभूतपूर्व मौसम ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाला एक प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) यातायात के लिए बंद कर दिया गया है, जिससे दोनों राज्यों के बीच संपर्क बाधित हुआ है। विशेष रूप से, सिंगरौली जिले में मात्र 24 घंटों में 7 इंच से अधिक बारिश दर्ज की गई है, जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय प्रशासन को एहतियात के तौर पर स्कूलों में छुट्टी की घोषणा करनी पड़ी है। यह स्थिति केवल एक भौगोलिक घटना नहीं है, बल्कि यह आपदा प्रबंधन, बुनियादी ढांचे की भेद्यता, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और स्थानीय प्रशासन की प्रतिक्रिया तंत्र जैसे कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालती है, जो UPSC परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक हैं।
भारी बारिश: एक सिंहावलोकन
यह मौसमी घटना, जो अक्सर मानसून के दौरान देखी जाती है, इस बार कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक तीव्र साबित हुई है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, और संभवतः अन्य पड़ोसी राज्य भी इस भारी वर्षा की चपेट में आए हैं। ऐसी अत्यधिक वर्षा के कई कारण हो सकते हैं:
- मानसूनी प्रणाली का मजबूत होना: बंगाल की खाड़ी या अरब सागर से उठने वाले निम्न दबाव के क्षेत्र का सक्रिय होना और स्थलीय भागों की ओर बढ़ना।
- अनुकूल मौसमी परिस्थितियाँ: वायुमंडलीय परिस्थितियाँ जैसे कि नमी की प्रचुरता, उच्च तापमान और हवा का कम दबाव, जो संवहन (convection) को बढ़ावा देते हैं और भारी वर्षा का कारण बनते हैं।
- स्थानीय भौगोलिक प्रभाव: पहाड़ी या तटीय क्षेत्र हवाओं को ऊपर उठाने और अधिक संघनन (condensation) के लिए प्रेरित कर सकते हैं, जिससे वर्षा की मात्रा बढ़ जाती है।
- जलवायु परिवर्तन का संभावित प्रभाव: कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण चरम मौसमी घटनाओं, जैसे कि अत्यधिक वर्षा और बाढ़, की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ सकती है।
सिंगरौली जैसे क्षेत्रों में 7 इंच (लगभग 175-180 मिमी) से अधिक की बारिश, जो कि एक ही दिन में काफी अधिक है, स्थानीय जल निकासी प्रणालियों पर भारी दबाव डालती है। नदियों और नालों का जलस्तर तेजी से बढ़ता है, जिससे निचले इलाकों में पानी भर जाता है और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
बुनियादी ढांचे पर प्रभाव: कनेक्टिविटी बाधित
भारी बारिश का सबसे प्रत्यक्ष और विनाशकारी प्रभाव अक्सर परिवहन बुनियादी ढांचे पर पड़ता है। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) का बंद होना इस बात का प्रमाण है कि कैसे अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदाएं आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं।
राष्ट्रीय राजमार्गों का महत्व:
राष्ट्रीय राजमार्ग भारत की जीवन रेखा हैं। वे न केवल लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाते हैं, बल्कि माल परिवहन, व्यापार, वाणिज्य और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। इनके बंद होने का मतलब है:
- आपूर्ति श्रृंखला में बाधा: आवश्यक वस्तुओं, जैसे भोजन, दवाइयाँ, और ईंधन की आपूर्ति बाधित हो सकती है।
- आर्थिक नुकसान: व्यापारियों, किसानों और व्यवसायों को भारी वित्तीय हानि का सामना करना पड़ता है।
- यात्रा में कठिनाई: लोगों को अपनी मंजिल तक पहुँचने के लिए वैकल्पिक, लंबी और अधिक कठिन यात्राएँ करनी पड़ती हैं।
- आपातकालीन सेवाओं पर प्रभाव: एम्बुलेंस, अग्निशमन सेवाओं और पुलिस जैसी आवश्यक सेवाओं की आवाजाही में देरी हो सकती है।
राजमार्ग बंद होने के कारण:
- सड़क का बह जाना: अत्यधिक पानी के बहाव से सड़क का ढाँचा कमजोर हो सकता है या सड़क का हिस्सा बह सकता है।
- भूस्खलन: पहाड़ी इलाकों से मलबा और मिट्टी सड़कों पर गिर सकती है, जिससे यातायात अवरुद्ध हो जाता है।
- जलभराव: सड़कों पर पानी भर जाने से वाहन चलाना खतरनाक हो जाता है और दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।
- पुलों का क्षतिग्रस्त होना: नदियों के उफान पर आने से पुलों पर दबाव बढ़ सकता है या वे क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।
“एक अच्छी तरह से डिज़ाइन किया गया और बनाए रखा गया सड़क नेटवर्क किसी भी देश की आर्थिक प्रगति का प्रतिबिंब होता है। प्राकृतिक आपदाएँ इन नेटवर्कों की भेद्यता को उजागर करती हैं।”
स्थानीय प्रशासन की प्रतिक्रिया: स्कूलों में छुट्टी
सिंगरौली जैसे जिलों में भारी बारिश के कारण स्कूलों में छुट्टी की घोषणा करना एक आवश्यक निवारक उपाय है। यह प्रशासन की जिम्मेदारी को दर्शाता है कि वह नागरिकों, विशेषकर बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।
छुट्टी की घोषणा के पीछे के कारण:
- बच्चों की सुरक्षा: भारी बारिश के कारण स्कूलों तक पहुँचने के रास्ते असुरक्षित हो सकते हैं, जैसे कि जलभराव वाले क्षेत्र या टूटी हुई सड़कें।
- स्कूल भवनों की सुरक्षा: कुछ मामलों में, स्कूल भवन भी जलभराव या क्षति के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं।
- यातायात की समस्या: अभिभावकों के लिए बच्चों को स्कूल पहुँचाना और वापस लाना मुश्किल और खतरनाक हो सकता है।
- सामुदायिक स्वास्थ्य: जलजनित बीमारियों के प्रसार को रोकने के लिए भी ऐसी सावधानियां बरती जा सकती हैं, यदि जल स्रोतों में प्रदूषण का खतरा हो।
यह निर्णय दर्शाता है कि स्थानीय प्रशासन स्थिति की गंभीरता को समझ रहा है और जोखिम कम करने के लिए सक्रिय कदम उठा रहा है।
आपदा प्रबंधन और UPSC के लिए प्रासंगिकता
यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के पाठ्यक्रम के विभिन्न पहलुओं को छूती है, विशेष रूप से:
1. भूगोल (Geography):
- जलवायु: भारत की जलवायु, मानसून की उत्पत्ति और उसका प्रभाव।
- प्राकृतिक आपदाएँ: बाढ़, भूस्खलन, और इनसे जुड़े कारण और प्रभाव।
- भौतिक भूगोल: नदियों का अपवाह तंत्र, जल निकासी पैटर्न, और इनका शहरीकरण और बुनियादी ढांचे पर प्रभाव।
2. शासन (Governance):
- आपदा प्रबंधन: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की भूमिका, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA), जिला आपदा प्रबंधन योजनाएं, प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, और राहत तथा पुनर्वास कार्य।
- बुनियादी ढांचा: परिवहन, सड़क नेटवर्क, और उनके विकास तथा रखरखाव में सरकार की भूमिका।
- स्थानीय स्वशासन: पंचायत और नगरपालिकाएं आपदा प्रतिक्रिया में क्या भूमिका निभाती हैं।
3. पर्यावरण (Environment):
- जलवायु परिवर्तन: इसके कारण, प्रभाव, और भारत की नीतियां।
- पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA): बड़े बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का मूल्यांकन।
- पारिस्थितिकी और जल विज्ञान: वनों की कटाई, शहरीकरण का जल चक्र पर प्रभाव।
4. सामाजिक न्याय (Social Justice):
- संवेदनशील वर्गों पर प्रभाव: बाढ़ और आपदाओं का गरीब, बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों पर असमान प्रभाव।
- सामुदायिक सहभागिता: आपदा तैयारियों और प्रतिक्रिया में सामुदायिक भागीदारी का महत्व।
5. अर्थव्यवस्था (Economy):
- आर्थिक प्रभाव: आपदाओं से होने वाले प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष आर्थिक नुकसान।
- आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन: आपदाओं के दौरान आपूर्ति श्रृंखलाओं को बनाए रखने की चुनौतियाँ।
चुनौतियाँ और समाधान
इस प्रकार की भारी बारिश और उसके परिणामस्वरूप होने वाली बाधाओं से निपटने में कई चुनौतियाँ शामिल हैं:
चुनौतियाँ:
- अप्रत्याशितता: वर्षा की तीव्रता और स्थान का सटीक पूर्वानुमान लगाना हमेशा मुश्किल होता है।
- सीमित संसाधन: विशेष रूप से स्थानीय स्तर पर, प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए पर्याप्त संसाधन (जैसे, बचाव दल, उपकरण, धन) की कमी हो सकती है।
- पुराना बुनियादी ढांचा: कई सड़कें और पुल पुराने डिजाइनों पर बने हो सकते हैं जो आधुनिक चरम मौसम की घटनाओं का सामना करने में सक्षम नहीं हैं।
- शहरीकरण का अनियोजित विस्तार: अनियोजित शहरीकरण जल निकासी प्रणालियों पर दबाव डालता है और बाढ़ के जोखिम को बढ़ाता है।
- जलवायु परिवर्तन का अनिश्चित प्रभाव: भविष्य में ऐसी घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि की आशंका।
समाधान:
- बेहतर पूर्वानुमान और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली: मौसम विभाग को उन्नत तकनीक का उपयोग करके अधिक सटीक और समय पर चेतावनियाँ जारी करनी चाहिए।
- बुनियादी ढांचे का सुदृढ़ीकरण: मौजूदा सड़कों और पुलों को अपग्रेड करना और नए निर्माणों को जलवायु-लचीला (climate-resilient) डिजाइन के साथ बनाना।
- आपदा-रोधी योजना: शहरी नियोजन में जल निकासी, बाढ़ नियंत्रण और हरित बुनियादी ढांचे (जैसे, जल-अवशोषित पार्क) को शामिल करना।
- प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: स्थानीय अधिकारियों, आपदा प्रतिक्रिया टीमों और समुदायों को प्रशिक्षण देना।
- जन जागरूकता अभियान: नागरिकों को प्राकृतिक आपदाओं के दौरान क्या करना है और क्या नहीं करना है, इसके बारे में शिक्षित करना।
- प्रौद्योगिकी का उपयोग: ड्रोन, जीपीएस और अन्य प्रौद्योगिकियों का उपयोग बचाव, राहत और मूल्यांकन कार्यों के लिए किया जाना चाहिए।
- अंतर-एजेंसी समन्वय: विभिन्न सरकारी एजेंसियों (जैसे, सड़क परिवहन, मौसम विभाग, आपदा प्रबंधन) के बीच बेहतर समन्वय आवश्यक है।
“आपदाएँ राष्ट्र की प्रगति के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करती हैं, लेकिन वे हमें अपने बुनियादी ढांचे और प्रतिक्रिया तंत्र को मजबूत करने का अवसर भी प्रदान करती हैं।”
भविष्य की राह: लचीलापन और तैयारी
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हुई यह घटना हमें यह सिखाती है कि हमें न केवल तत्काल प्रतिक्रिया पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, बल्कि भविष्य की ऐसी घटनाओं के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है। इसका अर्थ है:
- दीर्घकालिक योजना: राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन (adaptation) और शमन (mitigation) रणनीतियों का विकास और कार्यान्वयन।
- निवेश: लचीले बुनियादी ढांचे के निर्माण और रखरखाव में पर्याप्त निवेश।
- अनुसंधान और विकास: आपदा प्रतिरोधी प्रौद्योगिकियों और पद्धतियों में नवाचार को बढ़ावा देना।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन से संबंधित ज्ञान और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए अन्य देशों के साथ सहयोग।
यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं का हमारे विकास पथ पर न्यूनतम प्रभाव पड़े और हमारे नागरिक सुरक्षित रहें।
निष्कर्ष
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सहित चार राज्यों में भारी बारिश का रेड अलर्ट, राष्ट्रीय राजमार्ग का बंद होना और सिंगरौली में अत्यधिक वर्षा, ये सभी घटनाएं मिलकर दर्शाती हैं कि हमें जलवायु परिवर्तन और चरम मौसमी घटनाओं के प्रति कितना सतर्क रहने की आवश्यकता है। यह न केवल सरकार के लिए, बल्कि प्रत्येक नागरिक के लिए एक चुनौती है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह स्थिति शासन, भूगोल, पर्यावरण और आपदा प्रबंधन जैसे विषयों को गहराई से समझने का एक अवसर प्रदान करती है। प्रभावी आपदा प्रबंधन के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण, जिसमें प्रारंभिक चेतावनी, सुदृढ़ बुनियादी ढांचा, कुशल प्रतिक्रिया और सामुदायिक भागीदारी शामिल हो, अत्यंत महत्वपूर्ण है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. निम्नलिखित में से कौन सी वर्षा की माप की इकाई है, जो सिंगरौली में 7 इंच दर्ज की गई?
a) सेंटीमीटर (cm)
b) इंच (inch)
c) मिलीमीटर (mm)
d) उपरोक्त सभी (यदि संदर्भ भिन्न हो)
उत्तर: b) इंच
व्याख्या: समाचार में इंच का उल्लेख किया गया है। हालांकि, वर्षा को मिलीमीटर (mm) और सेंटीमीटर (cm) में भी मापा जाता है। 7 इंच लगभग 175-180 मिमी के बराबर होता है।
2. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की स्थापना किस अधिनियम के तहत की गई थी?
a) पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986
b) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005
c) भारतीय दंड संहिता, 1860
d) भारतीय संविधान
उत्तर: b) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005
व्याख्या: NDMA की स्थापना आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत की गई थी।
3. मानसूनी प्रणाली के सक्रिय होने से आमतौर पर किस प्रकार की मौसमी घटनाएँ भारत में देखी जाती हैं?
a) सूखा
b) भारी वर्षा और बाढ़
c) बर्फीले तूफान
d) ओलावृष्टि
उत्तर: b) भारी वर्षा और बाढ़
व्याख्या: मानसूनी हवाएं अपने साथ नमी लाती हैं, जिससे भारत में वर्षा होती है। अत्यधिक सक्रिय मानसून भारी वर्षा और बाढ़ का कारण बन सकता है।
4. “जलवायु-लचीला बुनियादी ढांचा” (Climate-Resilient Infrastructure) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
a) केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देना
b) जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामना करने और उनसे उबरने की क्षमता बढ़ाना
c) ऐतिहासिक महत्व की संरचनाओं का संरक्षण करना
d) बुनियादी ढांचे के निर्माण की लागत को कम करना
उत्तर: b) जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामना करने और उनसे उबरने की क्षमता बढ़ाना
व्याख्या: जलवायु-लचीला ढांचा ऐसी संरचनाओं को संदर्भित करता है जो चरम मौसमी घटनाओं (जैसे, अत्यधिक वर्षा, बाढ़, तूफान) के प्रति प्रतिरोधी हों।
5. आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अनुसार, राज्य स्तर पर आपदा प्रबंधन के लिए मुख्य निकाय कौन सा है?
a) राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF)
b) राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA)
c) जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA)
d) केंद्रीय गृह मंत्रालय
उत्तर: b) राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA)
व्याख्या: SDMA राज्यों में आपदा प्रबंधन के लिए नोडल एजेंसी है।
6. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. जलवायु परिवर्तन के कारण चरम मौसमी घटनाओं, जैसे अत्यधिक वर्षा, की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ सकती है।
2. अनियोजित शहरीकरण जल निकासी प्रणालियों पर दबाव डालता है और बाढ़ के जोखिम को बढ़ाता है।
उपरोक्त कथन कौन से सही हैं?
a) केवल 1
b) केवल 2
c) 1 और 2 दोनों
d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: c) 1 और 2 दोनों
व्याख्या: दोनों कथन वैज्ञानिक रूप से स्थापित हैं और इस संदर्भ में प्रासंगिक हैं।
7. “रेड अलर्ट” (Red Alert) जारी करने का प्राथमिक उद्देश्य क्या होता है?
a) सामान्य मौसम की स्थिति का संकेत देना
b) मध्यम स्तर के खतरे की चेतावनी देना
c) अत्यंत गंभीर खतरे और व्यापक प्रभाव की चेतावनी देना, जिससे कार्रवाई की आवश्यकता होती है
d) भविष्य में संभावित परिवर्तनों का अनुमान लगाना
उत्तर: c) अत्यंत गंभीर खतरे और व्यापक प्रभाव की चेतावनी देना, जिससे कार्रवाई की आवश्यकता होती है
व्याख्या: रेड अलर्ट का अर्थ है कि स्थिति अत्यंत गंभीर है और लोगों को अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए और सरकारी निर्देशों का पालन करना चाहिए।
8. सड़क परिवहन के बंद होने का सबसे सीधा आर्थिक प्रभाव क्या हो सकता है?
a) निर्यात में वृद्धि
b) आयात में कमी
c) आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और व्यापार में मंदी
d) स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा
उत्तर: c) आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और व्यापार में मंदी
व्याख्या: प्रमुख राजमार्गों का बंद होना माल और सेवाओं के प्रवाह को रोकता है, जिससे अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है।
9. आपदा के समय में “निवारक उपाय” (Preventive Measure) का एक उदाहरण क्या है?
a) बाढ़ के बाद राहत सामग्री का वितरण
b) भारी बारिश की आशंका पर स्कूलों को बंद करना
c) भूस्खलन के बाद फंसे लोगों को बचाना
d) क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत करना
उत्तर: b) भारी बारिश की आशंका पर स्कूलों को बंद करना
व्याख्या: निवारक उपाय वे होते हैं जो आपदा के घटित होने से पहले जोखिम को कम करने के लिए किए जाते हैं।
10. भूगोल के संदर्भ में, “संवहन” (Convection) का क्या अर्थ है जो कभी-कभी भारी वर्षा में योगदान देता है?
a) वायुमंडलीय दबाव में कमी
b) हवाओं द्वारा नमी का क्षैतिज परिवहन
c) पृथ्वी की सतह से गर्म हवा का ऊपर की ओर उठना, जिससे संघनन और वर्षा हो सकती है
d) ठंडी हवा का गर्म हवा के ऊपर आना
उत्तर: c) पृथ्वी की सतह से गर्म हवा का ऊपर की ओर उठना, जिससे संघनन और वर्षा हो सकती है
व्याख्या: संवहन, विशेष रूप से संवहनी वर्षा (convective rainfall), तब होती है जब हवा गर्म होकर ऊपर उठती है, ठंडी होती है, और बादल बनाती है, जिससे अक्सर तेज, संक्षिप्त वर्षा होती है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. “हाल ही में मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ में भारी बारिश ने बुनियादी ढांचे की भेद्यता को उजागर किया है। आपदा प्रबंधन के दृष्टिकोण से, इस घटना से सीखे गए सबक और भविष्य के लिए इसे कैसे अधिक लचीला बनाया जा सकता है, इसका विश्लेषण करें।”
(लगभग 250 शब्द)
2. “जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों के आलोक में, भारत के लिए प्रभावी प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों (Early Warning Systems) और आपदा-लचीले शहरी नियोजन (Disaster-Resilient Urban Planning) के महत्व पर प्रकाश डालें। उदाहरण सहित समझाएं।”
(लगभग 150 शब्द)
3. “प्राकृतिक आपदाओं के दौरान आपूर्ति श्रृंखलाओं (Supply Chains) के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने में सरकार और निजी क्षेत्र की भूमिकाओं का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। भारी बारिश के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग के बंद होने के संदर्भ में इसे स्पष्ट करें।”
(लगभग 150 शब्द)
4. “भारत में आपदा प्रबंधन को एक प्रतिक्रिया-उन्मुख (Reactive) दृष्टिकोण से एक निवारक और तैयारी-उन्मुख (Proactive and Preparedness-Oriented) दृष्टिकोण की ओर स्थानांतरित करने की आवश्यकता क्यों है? सरकारी नीतियों और पहलों का उल्लेख करते हुए चर्चा करें।”
(लगभग 250 शब्द)
सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
[कोर्स और फ्री नोट्स के लिए यहाँ क्लिक करें]