24 घंटे का अल्टीमेटम: ट्रम्प द्वारा टैरिफ बढ़ाने के फैसले का भारत की अर्थव्यवस्था पर बहुआयामी विश्लेषण
चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
हाल ही में, अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत को एक ‘खराब व्यापारिक भागीदार’ करार देते हुए 24 घंटे के भीतर भारत पर टैरिफ (सीमा शुल्क) को “पर्याप्त रूप से” बढ़ाने की चेतावनी दी थी। यह बयान अमेरिका की व्यापार नीतियों में संभावित बड़े बदलावों और भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार संबंधों पर इसके दूरगामी प्रभावों की ओर इशारा करता है। इस तरह के कदम न केवल व्यापार के समीकरणों को बदलते हैं, बल्कि वैश्विक आर्थिक व्यवस्था, भू-राजनीतिक गठबंधनों और दोनों देशों की घरेलू अर्थव्यवस्थाओं पर भी गहरा असर डालते हैं। UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से, यह घटना अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, समसामयिक अंतर्राष्ट्रीय संबंध, भारतीय अर्थव्यवस्था और भू-राजनीतिक रणनीतियों जैसे विषयों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: भारत-अमेरिका व्यापार संबंध
भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से हैं, और उनके बीच व्यापारिक संबंध ऐतिहासिक रूप से उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। शीत युद्ध के दौरान, भारत की मिश्रित अर्थव्यवस्था और गुटनिरपेक्ष नीति के कारण अमेरिका के साथ इसके संबंध अक्सर तनावपूर्ण रहे। आर्थिक उदारीकरण के बाद, विशेष रूप से 1990 के दशक से, दोनों देशों के बीच व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। भारत अमेरिका का एक प्रमुख व्यापारिक भागीदार बन गया है, विशेषकर सेवा क्षेत्र (जैसे IT सेवाएं) में।
हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में, विशेष रूप से ट्रम्प प्रशासन के तहत, व्यापार असंतुलन (Trade Deficit) एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरा। अमेरिका का मानना था कि भारत अनुचित व्यापार प्रथाओं का पालन करता है, जैसे कि अत्यधिक टैरिफ लगाना, गैर-टैरिफ बाधाएं खड़ी करना और अमेरिकी कंपनियों के लिए बाजार पहुंच को सीमित करना। इसके जवाब में, अमेरिका ने कई भारतीय उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाए और भारत को कुछ विशेष व्यापार तरजीहों (जैसे जनरल सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज – GSP) से बाहर कर दिया। ट्रम्प के “America First” एजेंडे ने वैश्विक व्यापार नियमों और बहुपक्षीय समझौतों पर भी सवाल खड़े किए, जिससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार तनाव में वृद्धि हुई।
ट्रम्प का “खराब व्यापारिक भागीदार” वाला बयान: अर्थ और निहितार्थ
जब कोई नेता किसी देश को “खराब व्यापारिक भागीदार” कहता है, तो इसका सीधा मतलब यह होता है कि वह देश व्यापारिक नियमों का पालन नहीं कर रहा है, अनुचित लाभ उठा रहा है, या दूसरे देश के हितों को नुकसान पहुंचा रहा है। ट्रम्प के संदर्भ में, यह उन आरोपों का एक स्पष्ट संकेत था कि भारत अमेरिकी वस्तुओं और सेवाओं के लिए एक खुला बाजार प्रदान नहीं कर रहा है। “टैरिफ को पर्याप्त रूप से बढ़ाना” का अर्थ है कि भारत से आयात होने वाले सामानों पर अतिरिक्त कर लगाना, जिससे वे अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएं और अमेरिकी उत्पाद अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकें।
यह बयान कई मायनों में महत्वपूर्ण है:
- व्यापार युद्ध का खतरा: यह सीधा संकेत है कि अमेरिका भारत के खिलाफ एकतरफा व्यापारिक कदम उठाने की तैयारी में है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध (Trade War) की आशंका बढ़ जाती है।
- भू-राजनीतिक प्रभाव: व्यापारिक मुद्दे अक्सर बड़े भू-राजनीतिक गठबंधनों को भी प्रभावित करते हैं। अमेरिका और भारत दोनों के लिए, यह संबंध उनके व्यापक रणनीतिक साझेदारी को भी प्रभावित कर सकता है।
- वैश्विक व्यापार प्रणाली पर दबाव: ऐसे एकतरफा फैसले विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसे बहुपक्षीय संस्थानों की भूमिका और प्रभावशीलता पर भी सवाल उठाते हैं।
टैरिफ बढ़ाने के संभावित तरीके और उनका प्रभाव
यदि अमेरिका भारत पर टैरिफ बढ़ाता है, तो इसके कई तरीके और प्रभाव हो सकते हैं:
-
निर्यातित वस्तुओं पर शुल्क: अमेरिका उन भारतीय निर्यातकों पर टैरिफ लगा सकता है जो अमेरिकी बाजार में अपने सामान बेचते हैं। इसका सबसे सीधा प्रभाव भारतीय निर्यातकों की लाभप्रदता और प्रतिस्पर्धात्मकता पर पड़ेगा।
- उदाहरण: यदि भारत से आयात होने वाले स्टील, फार्मास्यूटिकल्स, या ऑटोमोबाइल पार्ट्स पर टैरिफ बढ़ा दिया जाता है, तो ये उत्पाद अमेरिका में महंगे हो जाएंगे। इससे अमेरिकी उपभोक्ता भारतीय सामानों की जगह घरेलू या अन्य देशों के सामान खरीदना पसंद करेंगे।
-
आयातित वस्तुओं पर शुल्क: यह कम संभावना है, लेकिन यदि भारत अमेरिकी सामानों पर टैरिफ बढ़ाता है, तो यह अमेरिकी कंपनियों को नुकसान पहुंचाएगा।
-
सेवा क्षेत्र पर प्रभाव: हालांकि टैरिफ मुख्य रूप से वस्तुओं पर लगते हैं, लेकिन इस तरह के तनाव सेवा क्षेत्र, जैसे आईटी और व्यावसायिक सेवाओं, को भी प्रभावित कर सकते हैं, भले ही प्रत्यक्ष रूप से टैरिफ न लगे। वीजा प्रतिबंध या अन्य नियामक बाधाएं भी एक संभावना हो सकती हैं।
भारत पर संभावित आर्थिक प्रभाव:
-
निर्यात में गिरावट: अमेरिकी बाजारों तक पहुंच मुश्किल होने पर भारतीय निर्यातकों को नुकसान होगा, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ सकता है।
-
रोजगार पर असर: जिन उद्योगों का बड़ा हिस्सा अमेरिका को निर्यात करता है, वहां उत्पादन कम होने से रोजगार सृजन प्रभावित हो सकता है।
-
निवेश पर प्रभाव: अनिश्चितता के माहौल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और पोर्टफोलियो निवेश पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
-
व्यापार असंतुलन में वृद्धि (या कमी): यदि भारत का निर्यात कम होता है, तो अमेरिका के साथ व्यापार घाटा भारत के लिए कम हो सकता है, लेकिन यह एक अवांछित तरीके से होगा।
-
वैकल्पिक बाजारों की तलाश: भारतीय कंपनियों को अपने उत्पादों के लिए नए बाजार खोजने होंगे, जो एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया हो सकती है।
भारत की संभावित प्रतिक्रियाएं और रणनीतियाँ
ऐसे परिदृश्य में, भारत के पास कई प्रतिक्रियात्मक और रणनीतिक विकल्प होते हैं:
-
कूटनीतिक बातचीत: सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम अमेरिका के साथ कूटनीतिक स्तर पर बातचीत करना है। इसमें व्यापारिक चिंताओं को दूर करने, डेटा साझा करने और आपसी सहमति से समाधान खोजने का प्रयास शामिल है।
-
जवाबी शुल्क (Retaliatory Tariffs): यदि बातचीत विफल रहती है, तो भारत भी अमेरिकी आयात पर जवाबी शुल्क लगाने पर विचार कर सकता है। यह एक पारंपरिक व्यापारिक रणनीति है, लेकिन यह दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा सकती है।
“व्यापार युद्ध एक राजमार्ग की तरह है जो बहुत जल्दी जीत की ओर ले जाता है। हम व्यापार के क्षेत्र में बहुत आक्रामक हो रहे हैं।” – डोनाल्ड ट्रम्प
यह उद्धरण ट्रम्प की व्यापार पर आक्रामक रणनीति को दर्शाता है, जहाँ वे टैरिफ को एक शक्तिशाली हथियार के रूप में देखते थे।
-
बहुपक्षीय मंचों का उपयोग: भारत विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसे मंचों पर अमेरिका की एकतरफा कार्रवाई के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकता है और नियमों के अनुसार अपनी बात रख सकता है।
-
आंतरिक सुधार: भारत अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, निर्यात को विविधता प्रदान करने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए आंतरिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है। ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी पहलें इस दिशा में महत्वपूर्ण हैं।
-
अन्य व्यापारिक साझेदारों के साथ संबंध मजबूत करना: भारत को यूरोपीय संघ, आसियान देशों, अफ्रीकी देशों और मध्य पूर्व के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को और गहरा करना चाहिए ताकि अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम हो सके।
भू-राजनीतिक और रणनीतिक प्रभाव
यह व्यापारिक तनाव केवल आर्थिक तक सीमित नहीं रहता; इसके दूरगामी भू-राजनीतिक प्रभाव भी हो सकते हैं:
-
सहयोग पर असर: भारत और अमेरिका इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार हैं। व्यापारिक तनाव इस सहयोग को कमजोर कर सकता है।
-
अंतर्राष्ट्रीय गठबंधनों का पुनर्गठन: इस तरह के एकतरफा व्यापारिक कदम वैश्विक शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकते हैं और अन्य देशों को वैकल्पिक गठबंधनों के बारे में सोचने पर मजबूर कर सकते हैं।
-
वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर प्रभाव: यदि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार बाधित होता है, तो यह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं (Global Supply Chains) को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे वस्तुओं की उपलब्धता और कीमतों पर असर पड़ सकता है।
UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
यह विषय UPSC सिविल सेवा परीक्षा के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को छूता है:
-
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims):
- अर्थव्यवस्था: टैरिफ, गैर-टैरिफ बाधाएं, व्यापार असंतुलन, GSP, WTO, FDI, निर्यात-आयात, भारतीय अर्थव्यवस्था के संरचनात्मक सुधार।
- अंतर्राष्ट्रीय संबंध: भारत-अमेरिका संबंध, बहुपक्षीय व्यापार समझौते, भू-राजनीति, इंडो-पैसिफिक रणनीति, व्यापार युद्ध।
-
मुख्य परीक्षा (Mains):
- GS-II (अंतर्राष्ट्रीय संबंध): भारत के पड़ोसी और द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह/समझौते। भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।
- GS-III (अर्थव्यवस्था): भारतीय अर्थव्यवस्था और विकास से संबंधित विषय; राजकोषीय नीति, बैंक, सार्वजनिक वित्त, भारतीय अर्थव्यवस्था के मुद्दे।
- GS-III (सुरक्षा): आर्थिक सुरक्षा, भू-राजनीति और अर्थव्यवस्था का जुड़ाव।
विश्लेषण के प्रमुख बिंदु (Key Analytical Points):
- डेटा-संचालित दृष्टिकोण: किसी भी निर्णय या टिप्पणी का समर्थन करने के लिए प्रासंगिक व्यापार डेटा (निर्यात, आयात, व्यापार घाटा) का उपयोग करना।
- कारण और प्रभाव: टैरिफ बढ़ाने के कारणों (जैसे व्यापार घाटा, बौद्धिक संपदा अधिकार) और उनके संभावित प्रभावों (आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक) का विश्लेषण करना।
- नीतिगत प्रतिक्रियाएं: भारतीय सरकार द्वारा उठाए जा सकने वाले कदमों और उनकी प्रभावशीलता का मूल्यांकन करना।
- दीर्घकालिक दृष्टिकोण: अल्पकालिक व्यापारिक तनावों के बजाय दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी के महत्व को समझना।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रम्प का भारत को ‘खराब व्यापारिक भागीदार’ कहना और टैरिफ बढ़ाने की धमकी देना, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में बढ़ते संरक्षणवाद (Protectionism) और भू-राजनीतिक तनावों का प्रतीक है। ऐसे बयान केवल व्यापारिक सौदेबाजी का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन ये वैश्विक आर्थिक व्यवस्था और महत्वपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों पर गहरा असर डालते हैं। भारत के लिए, इस तरह की चुनौतियों का सामना करने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है – जिसमें कूटनीतिक बातचीत, बहुपक्षीय नियमों का अनुपालन, और अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाले आंतरिक सुधार शामिल हों। दीर्घकालिक रूप से, भारत को अपनी आर्थिक शक्ति का विस्तार करना होगा और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में अपनी स्थिति को मजबूत करना होगा ताकि वह भविष्य में इस तरह के झटकों का बेहतर ढंग से सामना कर सके। यह घटना UPSC उम्मीदवारों के लिए वैश्विक आर्थिक गतिशीलता और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को समझने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करती है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
-
प्रश्न 1: “जनरल सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज” (GSP) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. GSP एक गैर-पारस्परिकीकृत (non-reciprocal) और गैर-भेदभावपूर्ण (non-discriminatory) प्रणाली है जिसके तहत विकसित देश विकासशील देशों को वरीयतापूर्ण बाजार पहुंच प्रदान करते हैं।
2. संयुक्त राज्य अमेरिका कई देशों को GSP के तहत लाभ प्रदान करता है, जिसमें भारत भी शामिल है (ऐतिहासिक रूप से)।
3. GSP का उद्देश्य विकासशील देशों के निर्यात को बढ़ावा देकर उनके आर्थिक विकास में सहायता करना है।
उपरोक्त में से कौन से कथन सही हैं?
a) केवल 1
b) 1 और 2
c) 2 और 3
d) 1, 2 और 3
उत्तर: d) 1, 2 और 3
व्याख्या: सभी कथन GSP के बारे में सही जानकारी देते हैं। GSP एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय व्यापार व्यवस्था है जो अक्सर चर्चाओं में रहती है।
-
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा संगठन वैश्विक व्यापार नियमों के निर्धारण और विवाद समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है?
a) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)
b) विश्व बैंक (World Bank)
c) विश्व व्यापार संगठन (WTO)
d) संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP)
उत्तर: c) विश्व व्यापार संगठन (WTO)
व्याख्या: WTO वैश्विक व्यापार के नियमों को नियंत्रित करता है और सदस्य देशों के बीच व्यापार विवादों को सुलझाने में मदद करता है।
-
प्रश्न 3: “संरक्षणवाद” (Protectionism) शब्द का क्या अर्थ है?
a) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को पूरी तरह से समाप्त करना।
b) घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए आयात पर प्रतिबंध या शुल्क लगाना।
c) सभी देशों के बीच मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना।
d) केवल विकसित देशों को व्यापार में लाभ देना।
उत्तर: b) घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए आयात पर प्रतिबंध या शुल्क लगाना।
व्याख्या: संरक्षणवाद घरेलू उद्योगों को बाहरी प्रतिस्पर्धा से बचाने की एक आर्थिक नीति है, जिसमें टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाएं शामिल हो सकती हैं।
-
प्रश्न 4: भारत-अमेरिका व्यापार संबंध के संदर्भ में, “व्यापार असंतुलन” (Trade Deficit) का क्या तात्पर्य है?
a) भारत द्वारा अमेरिका को निर्यात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य, अमेरिका द्वारा भारत को निर्यात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य से अधिक है।
b) अमेरिका द्वारा भारत को निर्यात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य, भारत द्वारा अमेरिका को निर्यात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य से अधिक है।
c) दोनों देशों के बीच सेवा व्यापार का मूल्य वस्तुओं के व्यापार के मूल्य से अधिक है।
d) दोनों देशों के बीच व्यापार का कुल मूल्य कम हो रहा है।
उत्तर: b) अमेरिका द्वारा भारत को निर्यात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य, भारत द्वारा अमेरिका को निर्यात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य से अधिक है।
व्याख्या: व्यापार घाटा (Deficit) तब होता है जब कोई देश आयात पर अधिक खर्च करता है बजाय इसके कि वह निर्यात से अर्जित करे।
-
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सी भारतीय पहल “मेक इन इंडिया” से संबंधित है?
a) डिजिटल इंडिया
b) स्किल इंडिया
c) राष्ट्रीय विनिर्माण नीति
d) स्मार्ट सिटी मिशन
उत्तर: c) राष्ट्रीय विनिर्माण नीति
व्याख्या: “मेक इन इंडिया” का उद्देश्य भारत को विनिर्माण का एक वैश्विक केंद्र बनाना है, और यह राष्ट्रीय विनिर्माण नीति के उद्देश्यों से जुड़ा हुआ है।
-
प्रश्न 6: “इंडो-पैसिफिक” रणनीति के संदर्भ में, भारत की अमेरिका के साथ साझेदारी का एक प्रमुख पहलू निम्नलिखित में से कौन सा है?
a) समुद्री सुरक्षा और नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना।
b) आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए संयुक्त सैन्य अभ्यास।
c) जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक सहयोग बढ़ाना।
d) चंद्र अन्वेषण में सहयोग।
उत्तर: a) समुद्री सुरक्षा और नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना।
व्याख्या: इंडो-पैसिफिक रणनीति में, विशेष रूप से चीन के बढ़ते प्रभाव के संदर्भ में, समुद्री सुरक्षा और स्वतंत्र नौवहन महत्वपूर्ण हैं, जिसमें भारत और अमेरिका सहयोग करते हैं।
-
प्रश्न 7: “टैरिफ” (Tariff) का सबसे उपयुक्त अर्थ क्या है?
a) किसी देश के भीतर बेची जाने वाली वस्तुओं पर लगने वाला कर।
b) किसी देश में आयात की जाने वाली वस्तुओं पर सीमा पर लगने वाला कर।
c) किसी देश से निर्यात की जाने वाली वस्तुओं पर लगने वाला कर।
d) सेवाओं पर लगने वाला एक विशेष कर।
उत्तर: b) किसी देश में आयात की जाने वाली वस्तुओं पर सीमा पर लगने वाला कर।
व्याख्या: टैरिफ, जिसे सीमा शुल्क भी कहा जाता है, आयातित वस्तुओं पर लगाया जाने वाला कर है।
-
प्रश्न 8: भारत और अमेरिका के बीच हाल के व्यापार तनावों का प्राथमिक कारण क्या रहा है?
a) बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) का उल्लंघन।
b) भारतीय सेवा क्षेत्र का अमेरिकी बाजार में अत्यधिक प्रवेश।
c) भारत का विशाल व्यापार अधिशेष (Trade Surplus) अमेरिका के साथ।
d) अमेरिकी उत्पादों पर भारतीय टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाएं।
उत्तर: d) अमेरिकी उत्पादों पर भारतीय टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाएं।
व्याख्या: अमेरिकी प्रशासन ने अक्सर भारत द्वारा अमेरिकी उत्पादों पर लगाए गए ऊंचे टैरिफ और अन्य बाजार पहुंच बाधाओं को द्विपक्षीय व्यापार असंतुलन का एक प्रमुख कारण बताया है।
-
प्रश्न 9: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में “एकतरफा कार्रवाई” (Unilateral Action) से क्या तात्पर्य है?
a) अन्य देशों के साथ मिलकर की गई कार्रवाई।
b) किसी देश द्वारा अन्य देशों की सहमति के बिना की गई कार्रवाई।
c) विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के अनुसार की गई कार्रवाई।
d) संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के आधार पर की गई कार्रवाई।
उत्तर: b) किसी देश द्वारा अन्य देशों की सहमति के बिना की गई कार्रवाई।
व्याख्या: एकतरफा कार्रवाई का मतलब है कि कोई देश किसी विशेष नीति या कदम को अकेले लागू करता है, बिना अन्य देशों के साथ परामर्श या उनकी सहमति के।
-
प्रश्न 10: “आत्मनिर्भर भारत” अभियान का मुख्य उद्देश्य क्या है?
a) भारतीय अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से बंद अर्थव्यवस्था बनाना।
b) भारत को आयात पर निर्भरता कम करने और घरेलू क्षमताओं को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना।
c) केवल निर्यात को बढ़ाना।
d) विदेशी निवेश को पूरी तरह से रोकना।
उत्तर: b) भारत को आयात पर निर्भरता कम करने और घरेलू क्षमताओं को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना।
व्याख्या: आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित करना है, जिसमें घरेलू उत्पादन, नवाचार और स्वदेशी क्षमताओं को बढ़ावा देना शामिल है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
-
प्रश्न 1: अमेरिका द्वारा भारत पर टैरिफ बढ़ाने की धमकी और “खराब व्यापारिक भागीदार” कहे जाने के बहुआयामी कारणों का विश्लेषण करें। इसके भारत की अर्थव्यवस्था और भू-राजनीतिक स्थिति पर पड़ने वाले संभावित प्रभावों का विस्तृत वर्णन करें।
-
प्रश्न 2: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में संरक्षणवाद की बढ़ती प्रवृत्ति वैश्विक अर्थव्यवस्था और द्विपक्षीय संबंधों को कैसे प्रभावित कर रही है? भारत-अमेरिका व्यापार तनाव के उदाहरण का उपयोग करते हुए समझाएं।
-
प्रश्न 3: इस तरह के व्यापारिक तनावों के दौर में, भारत को अपनी निर्यात क्षमता बढ़ाने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए क्या रणनीतिक कदम उठाने चाहिए? ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी पहलों की भूमिका पर प्रकाश डालें।
-
प्रश्न 4: भारत-अमेरिका संबंधों में व्यापार एक महत्वपूर्ण, लेकिन अक्सर विवादास्पद, स्तंभ रहा है। व्यापारिक मुद्दों के अलावा, दोनों देशों के बीच सहयोग के अन्य प्रमुख क्षेत्र कौन से हैं और व्यापारिक तनाव इन क्षेत्रों को कैसे प्रभावित कर सकते हैं?