200+ शब्दों का विश्लेषण: रूस तेल, भारत और अमेरिका के द्वितीयक प्रतिबंध – भू-राजनीति के दांवपेच
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल के दिनों में, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक सार्वजनिक टिप्पणी में भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने के फैसले पर सवाल उठाया। उन्होंने इस संदर्भ में अमेरिका द्वारा लगाए जा सकने वाले ‘द्वितीयक प्रतिबंधों’ (Secondary Sanctions) की चेतावनी भी दी। यह बयान भारत की ऊर्जा सुरक्षा नीतियों, वैश्विक शक्ति संतुलन और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नियमों के जटिल जाल को उजागर करता है। यह मुद्दा विशेष रूप से UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह अंतर्राष्ट्रीय संबंध (IR), भू-राजनीति, अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे विषयों को छूता है।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में आया है जब यूक्रेन युद्ध के कारण रूस पर पश्चिमी देशों द्वारा कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं। ऐसे में, भारत का रूस से रियायती दरों पर तेल खरीदना वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है। ट्रम्प की यह टिप्पणी, भले ही वर्तमान अमेरिकी प्रशासन की आधिकारिक नीति का प्रत्यक्ष प्रतिबिंब न हो, लेकिन यह अमेरिका के संभावित रुख और उसके भू-राजनीतिक एजेंडे को समझने की एक झलक देती है।
पृष्ठभूमि: रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक ऊर्जा बाज़ार (Background: Russia-Ukraine War and the Global Energy Market)
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण ने वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य को हिला कर रख दिया है। इसके प्रतिक्रिया स्वरूप, संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगियों ने रूस पर व्यापक आर्थिक और वित्तीय प्रतिबंध लगाए हैं। इन प्रतिबंधों का उद्देश्य रूस की आर्थिक क्षमता को कम करना और उसे युद्ध समाप्त करने के लिए मजबूर करना है।
इन प्रतिबंधों का एक प्रमुख पहलू रूसी तेल और गैस के आयात पर पाबंदियाँ लगाना था। कई पश्चिमी देशों ने रूसी ऊर्जा से अपनी निर्भरता कम करने या पूरी तरह से समाप्त करने के कदम उठाए हैं। इस स्थिति ने वैश्विक ऊर्जा बाज़ार में एक महत्वपूर्ण व्यवधान पैदा किया है, जिससे तेल की कीमतों में वृद्धि हुई है और ऊर्जा आपूर्ति की सुरक्षा को लेकर चिंताएँ बढ़ी हैं।
इस वैश्विक उथल-पुथल के बीच, भारत ने एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाने का प्रयास किया है। भारत अपनी ऊर्जा ज़रूरतों का लगभग 85% आयात करता है, और ऊर्जा सुरक्षा उसके लिए एक प्रमुख राष्ट्रीय हित है। यूक्रेन युद्ध के बाद, रूस ने भारतीय खरीदारों को रियायती दरों पर तेल की पेशकश की। भारत, अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए, इन प्रस्तावों का लाभ उठाने में संकोच नहीं किया।
डोनाल्ड ट्रम्प की टिप्पणी और ‘द्वितीयक प्रतिबंध’ का क्या अर्थ है? (Donald Trump’s Comment and What ‘Secondary Sanctions’ Mean?)
डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत की रूस से तेल खरीद की आलोचना करते हुए कहा, “यह बहुत गलत है” और उन्होंने यह सवाल उठाया कि भारत को रूस के तेल के लिए “क्यों अलग-थलग” किया जाना चाहिए। उन्होंने अमेरिका द्वारा भारत पर ‘द्वितीयक प्रतिबंध’ लगाए जाने की संभावना का भी संकेत दिया।
‘द्वितीयक प्रतिबंध’ (Secondary Sanctions) क्या हैं?
- प्राथमिक प्रतिबंध (Primary Sanctions): ये प्रतिबंध सीधे तौर पर किसी देश, व्यक्ति या संस्था पर लगाए जाते हैं, उन्हें अमेरिकी वित्तीय प्रणाली से प्रतिबंधित किया जाता है या उनके साथ व्यापार पर रोक लगाई जाती है।
- द्वितीयक प्रतिबंध (Secondary Sanctions): ये प्रतिबंध उन तीसरे देशों, संस्थाओं या व्यक्तियों पर लगाए जाते हैं जो उन देशों, संस्थाओं या व्यक्तियों के साथ व्यापार करते हैं जिन पर प्राथमिक प्रतिबंध लगे हुए हैं। सीधे शब्दों में कहें तो, यह उन लोगों को दंडित करने का एक तरीका है जो प्रतिबंधों का उल्लंघन करने वाले संस्थाओं के साथ व्यापार करते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि अमेरिका ने ईरान पर प्राथमिक प्रतिबंध लगाए हैं, और कोई भारतीय बैंक ईरान के साथ व्यापार करता है, तो अमेरिका उस भारतीय बैंक पर भी द्वितीयक प्रतिबंध लगा सकता है। इन द्वितीयक प्रतिबंधों में अमेरिकी बैंकों के साथ व्यापार पर रोक, अमेरिकी वित्तीय बाजारों तक पहुँच को अवरुद्ध करना, या अन्य गंभीर वित्तीय दंड शामिल हो सकते हैं।
ट्रम्प की टिप्पणी का सार यह था कि भारत को रूसी तेल खरीदकर उन देशों के साथ खड़ा होना चाहिए जो रूस पर प्रतिबंध लगा रहे हैं, न कि उन देशों से लाभ उठाना चाहिए जिन पर प्रतिबंध लगे हैं। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि यदि वे सत्ता में लौटे, तो वे ऐसी नीतियों को बर्दाश्त नहीं करेंगे और भारत पर दबाव बनाने के लिए द्वितीयक प्रतिबंधों का उपयोग कर सकते हैं।
भारत की स्थिति: राष्ट्रीय हित बनाम भू-राजनीतिक दबाव (India’s Stance: National Interest vs. Geopolitical Pressure)
भारत की विदेश नीति की पहचान हमेशा ‘सामरिक स्वायत्तता’ (Strategic Autonomy) रही है। इसका अर्थ है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर निर्णय लेता है, बिना किसी विशेष शक्ति गुट से बंधे हुए। रूस के साथ भारत के ऐतिहासिक रूप से मजबूत संबंध रहे हैं, खासकर रक्षा और कूटनीति के क्षेत्र में।
भारत के लिए रूस से तेल खरीदना क्यों महत्वपूर्ण है?
- ऊर्जा सुरक्षा: जैसा कि ऊपर बताया गया है, भारत ऊर्जा-आयात पर बहुत अधिक निर्भर है। रूस से रियायती दर पर तेल की उपलब्धता ने भारत को अपने आयात बिल को प्रबंधित करने और अपने नागरिकों के लिए ऊर्जा की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद की है।
- आर्थिक लाभ: युद्ध के कारण रूसी तेल की कीमतों में गिरावट आई है। इस अवसर का लाभ उठाकर भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को मुद्रास्फीति के दबाव से बचाने और अपनी विकास दर को बनाए रखने का प्रयास किया है।
- विविधीकरण: भारत अपने ऊर्जा स्रोतों को विविधता प्रदान करने की कोशिश कर रहा है ताकि वह किसी एक आपूर्तिकर्ता पर बहुत अधिक निर्भर न हो। रूस का उदय इस विविधीकरण की रणनीति का हिस्सा है।
- ऐतिहासिक संबंध: रूस भारत का एक पुराना और भरोसेमंद रणनीतिक साझेदार रहा है। इन मुश्किल समयों में अपने साझेदार का समर्थन करना (या कम से कम उसके साथ व्यापार जारी रखना) भी एक कूटनीतिक विचार हो सकता है।
हालांकि, भारत इस बात से भी अवगत है कि रूस के साथ उसके व्यापारिक संबंध अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ उसके संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं। अमेरिका भारत के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक साझेदार, रक्षा प्रौद्योगिकी का प्रदाता और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक प्रमुख सहयोगी है। इसलिए, भारत एक नाजुक संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है – अपने राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाना और प्रमुख वैश्विक शक्तियों के साथ अपने संबंधों को बनाए रखना।
अमेरिकी प्रशासन की प्रतिक्रिया और ‘CAATSA’ का संदर्भ (US Administration’s Response and the Context of ‘CAATSA’)
यह समझना महत्वपूर्ण है कि डोनाल्ड ट्रम्प एक पूर्व राष्ट्रपति हैं, और उनकी टिप्पणियाँ वर्तमान अमेरिकी प्रशासन की आधिकारिक नीति का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकती हैं। वर्तमान बाइडेन प्रशासन ने रूस से भारतीय तेल आयात पर सीधे तौर पर आपत्ति नहीं जताई है, लेकिन उन्होंने भारत से रूस पर अपनी निर्भरता कम करने का आग्रह किया है।
अमेरिका के पास “प्रतिद्वंद्वियों को अमेरिका के माध्यम से प्रतिबंधों के जवाब में मुकाबला करना अधिनियम” (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act – CAATSA) जैसे कानून हैं, जो रूस जैसे देशों के साथ महत्वपूर्ण रक्षा या वित्तीय लेनदेन में शामिल संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान करते हैं। भारत ने रूस से S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए CAATSA के तहत छूट प्राप्त की है, लेकिन तेल आयात जैसे अन्य लेनदेन के लिए भविष्य में यह छूट बनी रहेगी या नहीं, यह एक प्रश्न है।
CAATSA के तहत प्रतिबंधों का मतलब क्या हो सकता है?
- रक्षा सहयोग पर प्रभाव: यदि भारत पर CAATSA के तहत प्रतिबंध लगाए जाते हैं, तो यह अमेरिकी रक्षा प्रौद्योगिकी और उपकरणों की भारत तक पहुँच को प्रभावित कर सकता है।
- आर्थिक प्रभाव: अमेरिकी वित्तीय प्रणाली से अलगाव, व्यापारिक प्रतिबंध, और निवेश पर असर पड़ सकता है।
- कूटनीतिक तनाव: ऐसे प्रतिबंध भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों में गंभीर तनाव पैदा करेंगे।
अमेरिकी प्रशासन ने ऐतिहासिक रूप से भारत को इन प्रतिबंधों से छूट देने में संवेदनशीलता दिखाई है, क्योंकि वे भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा की आवश्यकताओं को समझते हैं। हालांकि, वैश्विक दबाव और यूक्रेन युद्ध की गंभीरता को देखते हुए, भविष्य में यह स्थिति बदल सकती है।
भारत की दुविधा: भू-राजनीतिक दांवपेच (India’s Dilemma: The Geopolitical Chessboard)
भारत खुद को एक जटिल भू-राजनीतिक पहेली के बीच पाता है। एक ओर, उसे अपनी ऊर्जा और आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करनी है। दूसरी ओर, उसे अपने प्रमुख रणनीतिक साझेदारों, विशेष रूप से अमेरिका और उसके सहयोगियों के साथ संबंधों को भी बनाए रखना है, जो रूस पर कड़े प्रतिबंधों के पक्ष में हैं।
भारत के सामने मुख्य चुनौतियाँ:
- संतुलनकारी कूटनीति: भारत को रूस के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को इस तरह से प्रबंधित करना होगा कि वह अमेरिका और पश्चिमी देशों को अनावश्यक रूप से नाराज न करे।
- ऊर्जा स्रोतों का विविधीकरण: भारत को केवल रूस पर निर्भर रहने के बजाय, मध्य पूर्व, अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका जैसे अन्य क्षेत्रों से भी तेल और गैस के स्रोतों को सुरक्षित करने के लिए अपनी नीतियों को तेज करना होगा।
- वैश्विक कथनों का अनुपालन: भारत को अंतरराष्ट्रीय कानूनों और मानदंडों का सम्मान करते हुए अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को प्राथमिकता देनी होगी।
- आंतरिक दबाव: देश के भीतर भी, रूस के तेल को स्वीकार करने के फैसले पर सार्वजनिक और राजनीतिक बहस होती रहती है।
क्या भारत को ‘द्वितीयक प्रतिबंधों’ का सामना करना पड़ेगा?
यह कहना मुश्किल है। ट्रम्प की टिप्पणी भविष्य की अमेरिकी नीतियों का संकेत हो सकती है, लेकिन वर्तमान प्रशासन ने अभी तक ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है। अमेरिका यह भी समझता है कि यदि वह भारत जैसे बड़े देश पर प्रतिबंध लगाता है, तो इससे वैश्विक ऊर्जा बाज़ार में और अधिक अस्थिरता आ सकती है, और रूस के साथ द्विपक्षीय व्यापार संबंधों से भारत के अलगाव से रूस को कोई विशेष लाभ नहीं होगा, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं और बाधित होंगी।
“भारत की ऊर्जा सुरक्षा उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा का अभिन्न अंग है। किसी भी ऐसे निर्णय को जो इस सुरक्षा को खतरे में डालता हो, उस पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है।”
भविष्य की राह: विकल्प और रणनीतियाँ (The Way Forward: Options and Strategies)
भारत को इस जटिल स्थिति से निपटने के लिए बहुआयामी रणनीति अपनाने की आवश्यकता है:
- ऊर्जा कूटनीति को मजबूत करना: भारत को तेल उत्पादक देशों के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा करना चाहिए और दीर्घकालिक आपूर्ति समझौतों को सुरक्षित करना चाहिए।
- नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर: जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए भारत को अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता, जैसे सौर और पवन ऊर्जा, के विकास में तेजी लानी चाहिए।
- रणनीतिक भंडार का उपयोग: भारत अपने रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार का बुद्धिमानी से उपयोग कर सकता है ताकि आपूर्ति में किसी भी व्यवधान को संभाला जा सके।
- कूटनीतिक संवाद: भारत को अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के साथ निरंतर संवाद बनाए रखना चाहिए, उन्हें अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं और राष्ट्रीय हितों के बारे में सूचित करना चाहिए, और चिंताएँ दूर करनी चाहिए।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: भारत को ऊर्जा बाजारों की स्थिरता और पहुंच सुनिश्चित करने के लिए अन्य देशों के साथ मिलकर काम करना चाहिए।
ट्रम्प की टिप्पणी ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों की नाजुक प्रकृति को रेखांकित किया है। जहां देश अपने राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाने के लिए स्वतंत्र हैं, वहीं उन्हें वैश्विक शक्ति की गतिशीलता और संभावित परिणामों पर भी विचार करना होता है। भारत की रूस से तेल खरीदने की रणनीति, लाभ और जोखिम दोनों के साथ आती है, और इसके परिणाम भारत के भविष्य के विदेश और आर्थिक नीति निर्माण को आकार देंगे।
निष्कर्ष (Conclusion)
भारत का रूसी तेल का आयात एक जटिल मुद्दा है जो राष्ट्रीय हित, आर्थिक आवश्यकता और भू-राजनीतिक दबावों का मिश्रण है। डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा ‘द्वितीयक प्रतिबंधों’ की चेतावनी ने इस मामले में एक नया आयाम जोड़ा है, जिससे भारत के लिए कूटनीतिक संतुलन बनाना और भी महत्वपूर्ण हो गया है। भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता और रणनीतिक स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए सावधानीपूर्वक कदम उठाने होंगे, जबकि वैश्विक सहयोगियों के साथ अपने संबंधों को भी बनाए रखना होगा। यह स्थिति UPSC के उम्मीदवारों को वैश्विक राजनीति के जटिल दांवपेच और राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता देने वाले देशों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों को समझने में मदद करती है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
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प्रश्न: ‘द्वितीयक प्रतिबंध’ (Secondary Sanctions) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- ये प्रतिबंध सीधे तौर पर उन देशों या संस्थाओं पर लगाए जाते हैं जिन पर प्राथमिक प्रतिबंध लगे होते हैं।
- ये प्रतिबंध उन तीसरे पक्षों पर लगाए जाते हैं जो प्रतिबंधों का उल्लंघन करने वाले संस्थाओं के साथ व्यापार करते हैं।
- अमेरिका अक्सर अपनी विदेश नीति के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए द्वितीयक प्रतिबंधों का उपयोग करता है।
उपरोक्त में से कौन से कथन सही हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (b) केवल 2 और 3
व्याख्या: कथन 1 गलत है क्योंकि प्राथमिक प्रतिबंध सीधे तौर पर लक्षित संस्थाओं पर लगते हैं, जबकि द्वितीयक प्रतिबंध तीसरे पक्षों पर। कथन 2 और 3 सही हैं। -
प्रश्न: ‘CAATSA’ अधिनियम का पूरा नाम क्या है, जिसके तहत रूस जैसे देशों के साथ महत्वपूर्ण लेनदेन करने वाले देशों को दंडित किया जा सकता है?
(a) Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act
(b) Combating Aggressive Threats Through Sanctions Act
(c) Countering All Threats Through Sanctions Act
(d) Controlling Adversaries Through Sanctions Act
उत्तर: (a) Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act
व्याख्या: CAATSA का पूर्ण रूप Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act है। -
प्रश्न: भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने के फैसले के पीछे निम्नलिखित में से कौन सा एक मुख्य कारण नहीं हो सकता है?
(a) ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना
(b) रियायती दरों का लाभ उठाना
(c) पश्चिमी देशों को प्रसन्न करना
(d) ऊर्जा स्रोतों का विविधीकरण
उत्तर: (c) पश्चिमी देशों को प्रसन्न करना
व्याख्या: भारत रूस से तेल अपनी ऊर्जा और आर्थिक सुरक्षा को ध्यान में रखकर खरीद रहा है, न कि पश्चिमी देशों को प्रसन्न करने के लिए। -
प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा देश भारत का एक प्रमुख रणनीतिक साझेदार है और जिसे रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण लगे पश्चिमी प्रतिबंधों से अमेरिका ने CAATSA के तहत छूट दी है?
(a) ईरान
(b) उत्तर कोरिया
(c) रूस
(d) तुर्की
उत्तर: (c) रूस
व्याख्या: भारत ने रूस से S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए CAATSA के तहत छूट प्राप्त की है, हालांकि यह छूट तेल खरीद पर भी लागू होगी या नहीं, यह अनिश्चित है। -
प्रश्न: भारत की विदेश नीति का कौन सा सिद्धांत उसे अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर निर्णय लेने की स्वतंत्रता देता है?
(a) अलगाववाद (Isolationism)
(b) गुटनिरपेक्षता (Non-Alignment)
(c) सामरिक स्वायत्तता (Strategic Autonomy)
(d) बहुध्रुवीयता (Multipolarity)
उत्तर: (c) सामरिक स्वायत्तता (Strategic Autonomy)
व्याख्या: सामरिक स्वायत्तता का सिद्धांत भारत को बाहरी दबावों से मुक्त होकर अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार निर्णय लेने की अनुमति देता है। -
प्रश्न: यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद, पश्चिमी देशों ने रूस पर क्या कदम उठाए हैं?
- आर्थिक और वित्तीय प्रतिबंध
- रूसी तेल और गैस के आयात पर पाबंदियाँ
- रूस को SWIFT प्रणाली से बाहर करना
उपरोक्त में से कौन से कदम उठाए गए हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d) 1, 2 और 3
व्याख्या: पश्चिमी देशों ने रूस पर व्यापक प्रतिबंध लगाए हैं, जिसमें आर्थिक पाबंदियाँ, ऊर्जा आयात पर रोक और SWIFT से बहिष्करण शामिल है। -
प्रश्न: भारत की ऊर्जा सुरक्षा के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा आयात करता है।
- भारत का ऊर्जा आयात का मुख्य स्रोत मध्य पूर्व है।
- हाल के वर्षों में, भारत ने रूसी तेल के आयात में वृद्धि की है।
उपरोक्त में से कौन से कथन सही हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (b) केवल 1 और 3
व्याख्या: भारत अपनी ऊर्जा का लगभग 85% आयात करता है, और हाल ही में रूसी तेल का आयात बढ़ा है। हालांकि, मध्य पूर्व अभी भी एक प्रमुख स्रोत है, लेकिन कथन 2 इसे ‘मुख्य’ बताता है, जो एक गतिशील क्षेत्र है। -
प्रश्न: डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा ‘द्वितीयक प्रतिबंधों’ की चेतावनी भारत के किस प्रमुख हित को प्रभावित कर सकती है?
(a) सामरिक साझेदारी
(b) ऊर्जा सुरक्षा
(c) रक्षा सहयोग
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: द्वितीयक प्रतिबंध भारत के ऊर्जा आयात, अमेरिका के साथ रक्षा सहयोग और समग्र सामरिक साझेदारी को प्रभावित कर सकते हैं। -
प्रश्न: भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए किस क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की आवश्यकता है?
(a) जीवाश्म ईंधन का आयात
(b) नवीकरणीय ऊर्जा
(c) परमाणु ऊर्जा
(d) केवल (b) और (c)
उत्तर: (d) केवल (b) और (c)
व्याख्या: जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा और परमाणु ऊर्जा में निवेश बढ़ाना महत्वपूर्ण है। -
प्रश्न: अंतरराष्ट्रीय संबंधों में, ‘सामरिक स्वायत्तता’ (Strategic Autonomy) का तात्पर्य है:
(a) किसी भी गठबंधन का सदस्य न होना
(b) अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर स्वतंत्र निर्णय लेना
(c) केवल बड़े देशों के साथ संबंध बनाना
(d) किसी भी अंतर्राष्ट्रीय समझौते का पालन न करना
उत्तर: (b) अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर स्वतंत्र निर्णय लेना
व्याख्या: सामरिक स्वायत्तता का अर्थ है कि कोई देश अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए, स्वतंत्र रूप से विदेश नीति के निर्णय लेता है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न: रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में, भारत के रूस से तेल आयात करने के निर्णय का विश्लेषण करें। इस नीति के राष्ट्रीय हित, आर्थिक प्रभाव और भू-राजनीतिक निहितार्थों पर चर्चा करें, साथ ही अमेरिका द्वारा संभावित ‘द्वितीयक प्रतिबंधों’ के खतरे को भी ध्यान में रखें। (250 शब्द)
- प्रश्न: ‘द्वितीयक प्रतिबंध’ (Secondary Sanctions) की अवधारणा को स्पष्ट करें और समझाएं कि वे अंतरराष्ट्रीय व्यापार और कूटनीति में कैसे एक उपकरण के रूप में काम करते हैं। भारत जैसे देशों के लिए, जिनके रणनीतिक हित विविध हैं, इस तरह के प्रतिबंधों का सामना करना कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है? (250 शब्द)
- प्रश्न: भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठा रहा है और उसे किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है? रूस से तेल खरीद की वर्तमान स्थिति को देखते हुए, भविष्य की ऊर्जा कूटनीति के लिए भारत की क्या संभावित रणनीतियाँ हो सकती हैं? (250 शब्द)
- प्रश्न: वैश्विक भू-राजनीतिक दबावों के बीच ‘सामरिक स्वायत्तता’ बनाए रखने के लिए भारत अपनी विदेश नीति को कैसे संतुलित करता है? रूस के तेल आयात के मामले में भारत के रुख का उपयोग करते हुए इस अवधारणा की व्याख्या करें। (150 शब्द)