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200 नए हेलीकॉप्टर: भारत की चीता और चेतक बेड़े के आधुनिकीकरण की राह

200 नए हेलीकॉप्टर: भारत की चीता और चेतक बेड़े के आधुनिकीकरण की राह

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, भारत ने अपने पुराने हो चुके चीता और चेतक हेलीकॉप्टर बेड़े को बदलने के लिए लगभग 200 नए हेलीकॉप्टरों की खरीद की योजना की घोषणा की है। यह भारतीय सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, विशेष रूप से उन दुर्गम और चुनौतीपूर्ण इलाकों में जहां इन हेलीकॉप्टरों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। चीता और चेतक, जो दशकों से सेवा में हैं, अब अपनी आयु सीमा के अंत के करीब हैं, जिससे उनकी परिचालन क्षमता और सुरक्षा पर सवाल उठने लगे हैं। यह खरीद भारतीय वायु सेना (IAF) और भारतीय सेना (Indian Army) दोनों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है, जो उन्हें बेहतर प्रदर्शन, बढ़ी हुई पेलोड क्षमता और आधुनिक एवियोनिक्स प्रदान करेगी।

यह खबर न केवल रक्षा अधिग्रहण से संबंधित है, बल्कि यह भारत की स्वदेशी रक्षा उत्पादन क्षमताओं, सामरिक आवश्यकताओं और भविष्य की सैन्य तैयारी को भी दर्शाती है। UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए, यह विषय जीएस-III (विज्ञान और प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, रक्षा, पर्यावरण) और जीएस-II (शासन, अंतर्राष्ट्रीय संबंध) दोनों के दृष्टिकोण से प्रासंगिक है। हम इस ब्लॉग पोस्ट में इस पहल के हर पहलू पर गहराई से चर्चा करेंगे, जिसमें चीता और चेतक का ऐतिहासिक महत्व, आधुनिकीकरण की आवश्यकता, संभावित विकल्प, स्वदेशीकरण की भूमिका, चुनौतियाँ और भविष्य की राह शामिल है।

चीता और चेतक: भारतीय सशस्त्र बलों के भरोसेमंद साथी (Cheetah & Chetak: Trusted Companions of Indian Armed Forces)

भारतीय रक्षा के इतिहास में चीता और चेतक हेलीकॉप्टरों का एक विशेष स्थान है। ये दोनों ही फ्रांसीसी HAL चेतक (SA 315B ‘Lama’) और HAL चीता (Alouette III का उन्नत संस्करण) के लाइसेंस-निर्मित संस्करण हैं, जिन्हें हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा भारत में बनाया गया है।

  • HAL चेतक: 1960 के दशक में पहली बार उड़ान भरने वाले चेतक, अपनी बहुमुखी प्रतिभा के लिए जाने जाते हैं। इनका उपयोग परिवहन, खोज और बचाव (SAR), चिकित्सा निकासी (MEDEVAC), निगरानी, ​​हल्के हमले और टोही अभियानों सहित विभिन्न भूमिकाओं में किया गया है। ये हेलीकॉप्टर विशेष रूप से उच्च-ऊंचाई वाले अभियानों में अपनी क्षमता के लिए जाने जाते हैं, जहाँ उनकी लाइटवेट डिजाइन और शक्तिशाली इंजन उन्हें दुर्गम पहाड़ी इलाकों में उड़ान भरने में सक्षम बनाते हैं।
  • HAL चीता: 1970 के दशक में HAL द्वारा विकसित, चीता चेतक से भी हल्का है और उच्च-ऊंचाई वाले प्रदर्शन में और भी बेहतर है। इसे अक्सर टोही, पर्यवेक्षण और हल्के हमले के लिए इस्तेमाल किया जाता है। चीता की सटीक हैंडलिंग और कॉम्पैक्ट आकार इसे तंग जगहों और घने जंगलों वाले इलाकों में संचालन के लिए आदर्श बनाते हैं।

इन हेलीकॉप्टरों ने भारतीय सेना और वायु सेना को कई अभियानों में अपूरणीय सेवाएँ प्रदान की हैं। सियाचिन ग्लेशियर जैसे अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रसद सहायता पहुँचाने से लेकर सीमा पर टोही मिशनों तक, चीता और चेतक भारतीय सैनिकों के लिए जीवन रेखा रहे हैं। वे विभिन्न संघर्षों और शांति अभियानों का एक अभिन्न अंग रहे हैं, जो भारतीय सशस्त्र बलों की सामरिक पहुंच और क्षमताओं को बढ़ाते हैं।

“ये हेलीकॉप्टर न केवल मशीनें हैं, बल्कि भारतीय सशस्त्र बलों के इतिहास और साहस के साक्षी हैं। इन्होंने हमारे सैनिकों को उन जगहों पर सेवा देने में सक्षम बनाया है जहाँ कोई अन्य साधन नहीं पहुँच सकता।”

आधुनिकीकरण की अनिवार्यता: क्यों बदल रहे हैं चीता और चेतक? (The Imperative of Modernization: Why Replace Cheetah & Chetak?)

लगभग पाँच दशकों की सेवा के बाद, चीता और चेतक हेलीकॉप्टर अपनी आयु सीमा के अंत के करीब पहुँच रहे हैं। इसके कई कारण हैं जिनकी वजह से उन्हें बदलने की आवश्यकता आन पड़ी है:

  • आयु और रखरखाव की लागत: पुराने होने के कारण, इन हेलीकॉप्टरों के घटकों को बार-बार बदलने की आवश्यकता होती है, जिससे रखरखाव की लागत बढ़ जाती है। साथ ही, उनकी विनिर्माण तकनीक पुरानी हो चुकी है, जिससे स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता भी एक चुनौती बनती जा रही है।
  • तकनीकी अप्रचलन: आधुनिक एवियोनिक्स, सेंसर और हथियार प्रणालियों के मामले में चीता और चेतक अब पिछड़ गए हैं। ये नई तकनीकें बेहतर युद्ध क्षमता, मिशन दक्षता और सामरिक जागरूकता प्रदान करती हैं, जो वर्तमान और भविष्य के सुरक्षा परिदृश्यों के लिए आवश्यक हैं।
  • सुरक्षा चिंताएँ: पुराने हेलीकॉप्टरों में आधुनिक सुरक्षा सुविधाओं का अभाव होता है। जैसे-जैसे ये अधिक पुराने होते जाते हैं, दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ सकता है, जिससे पायलटों और चालक दल की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग जाते हैं।
  • प्रदर्शन और पेलोड क्षमता: नए हेलीकॉप्टर आमतौर पर अधिक शक्तिशाली इंजन, बेहतर उड़ान नियंत्रण प्रणाली और उच्च पेलोड क्षमता प्रदान करते हैं। इसका मतलब है कि वे अधिक भार ले जा सकते हैं, तेज गति से उड़ सकते हैं और कठिन परिस्थितियों में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।
  • बढ़ती सामरिक आवश्यकताएँ: वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य और भारत की सुरक्षा चुनौतियाँ अधिक परिष्कृत और बहुमुखी प्लेटफार्मों की मांग करती हैं। नए हेलीकॉप्टर बेहतर इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमता, उन्नत संचार प्रणाली और शायद हल्के हथियारों से लैस होंगे, जो उन्हें विभिन्न प्रकार के मिशनों के लिए अधिक प्रभावी बनाएंगे।

यह आधुनिकीकरण भारत को न केवल अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने में मदद करेगा, बल्कि यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत रक्षा विनिर्माण को भी बढ़ावा देगा, जिससे आयात पर निर्भरता कम होगी।

200 हेलीकॉप्टरों की खरीद: क्या उम्मीद की जा सकती है? (The Procurement of 200 Helicopters: What Can Be Expected?)

200 हेलीकॉप्टरों की यह महत्वाकांक्षी खरीद भारतीय वायु सेना और थल सेना की मौजूदा और भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन की गई है। इस खरीद के प्रमुख पहलू इस प्रकार हैं:

  • बहु-भूमिका क्षमता: नए हेलीकॉप्टर बहु-भूमिका (Multi-role) वाले होंगे, जिसका अर्थ है कि वे विभिन्न प्रकार के मिशनों को अंजाम देने में सक्षम होंगे। इसमें troop transport, cargo lifting, casualty evacuation, reconnaissance, utility and armed roles शामिल हो सकते हैं।
  • उन्नत एवियोनिक्स और सेंसर: आधुनिक नेविगेशन, संचार, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (EW) सुइट्स और संभवतः उन्नत सेंसर (जैसे FLIR – Forward Looking Infrared) से लैस, ये हेलीकॉप्टर बेहतर स्थितिजन्य जागरूकता और मिशन सफलता दर प्रदान करेंगे।
  • स्वदेशीकरण पर जोर: सरकार ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ पर जोर दिया है। इसलिए, यह उम्मीद की जाती है कि इस खरीद में स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित हेलीकॉप्टरों को प्राथमिकता दी जाएगी, या कम से कम उन्हें भारत में निर्मित किया जाएगा। HAL का ध्रुव (Dhruv) या उसके उन्नत संस्करण, या भविष्य में विकसित किए जा रहे नए हेलीकॉप्टर इस सूची में हो सकते हैं।
  • रूस से संभावित खरीद: हालांकि स्वदेशीकरण पर जोर है, लेकिन रूस जैसे पारंपरिक रक्षा सहयोगियों से भी हेलीकॉप्टरों की खरीद की जा सकती है, खासकर यदि वे विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करते हों या त्वरित वितरण प्रदान कर सकें।
  • विभिन्न प्रकार के प्लेटफार्म: यह संभव है कि खरीद में विभिन्न प्रकार के हेलीकॉप्टर शामिल हों, जो विशिष्ट भूमिकाओं और ऑपरेटिंग वातावरण के लिए अनुकूलित हों। उदाहरण के लिए, उच्च-ऊंचाई वाले संचालन के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए हेलीकॉप्टर या हल्के हमले के लिए अधिक उपयुक्त मॉडल।

संभावित उम्मीदवार (Potential Candidates)

हालांकि अभी तक कोई विशिष्ट मॉडल घोषित नहीं किया गया है, लेकिन निम्नलिखित हेलीकॉप्टर इस खरीद के लिए संभावित उम्मीदवार हो सकते हैं:

  • HAL ध्रुव (Advanced Light Helicopter – ALH): HAL द्वारा विकसित यह एक आधुनिक, बहु-भूमिका वाला हेलीकॉप्टर है जो पहले से ही भारतीय सेना और वायु सेना में सेवा में है। इसके विभिन्न उन्नत संस्करण (जैसे ध्रुव एडवांस्ड, या भविष्य के संस्करण) एक मजबूत दावेदार हो सकते हैं।
  • HAL रुद्र (Light Attack Helicopter – LAH): यह ध्रुव का हथियार-सक्षम संस्करण है, जिसे हल्के हमले की भूमिकाओं के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • TTAT (Tactical Troop Airlift Helicopter): यह भारतीय सेना के लिए एक नियोजित हल्का हेलीकॉप्टर है।
  • विदेशी विकल्प: यदि स्वदेशी विकल्प तुरंत उपलब्ध नहीं होते हैं या कुछ विशेष विशिष्टताओं को पूरा नहीं करते हैं, तो यूरोपीय (जैसे Airbus Helicopters) या अमेरिकी (जैसे Bell Helicopters) निर्माताओं के हेलीकॉप्टरों पर भी विचार किया जा सकता है, बशर्ते वे ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत भारत में उत्पादन या असेंबली की अनुमति दें।

स्वदेशी रक्षा उत्पादन और ‘आत्मनिर्भर भारत’ (Indigenous Defence Production & ‘Atmanirbhar Bharat’)

यह खरीद ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस पहल का उद्देश्य भारत को रक्षा उपकरणों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है, जिससे आयात पर निर्भरता कम हो और देश एक प्रमुख रक्षा निर्यातक बन सके।

  • रोजगार सृजन: स्वदेशी उत्पादन से देश में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर पैदा होंगे, विशेष रूप से एयरोस्पेस और रक्षा विनिर्माण क्षेत्रों में।
  • तकनीकी विकास: इस तरह की बड़ी परियोजनाएँ देश की तकनीकी क्षमताओं को बढ़ावा देंगी, जिससे डिजाइन, इंजीनियरिंग, परीक्षण और उत्पादन में नवाचार को प्रोत्साहन मिलेगा।
  • लागत-प्रभावीता: लंबे समय में, स्वदेशी उत्पादन आयात की तुलना में अधिक लागत-प्रभावी हो सकता है, क्योंकि यह विदेशी मुद्रा बचाता है और स्थानीय उद्योगों को मजबूत करता है।
  • निर्यात क्षमता: एक बार जब भारत अपने स्वयं के उन्नत हेलीकॉप्टरों का उत्पादन करने में सक्षम हो जाता है, तो वह उन्हें अन्य देशों को निर्यात भी कर सकता है, जिससे रक्षा निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।

HAL और अन्य भारतीय रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (DPSUs) के लिए, यह एक बड़ा अवसर है कि वे अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करें और वैश्विक रक्षा बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करें।

“रक्षा में आत्मनिर्भरता केवल सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि आर्थिक संप्रभुता के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह हमें रणनीतिक स्वायत्तता देता है।”

चुनौतियाँ और विचारणीय बिंदु (Challenges and Points to Consider)

हालांकि यह आधुनिकीकरण एक आवश्यक कदम है, लेकिन इस प्रक्रिया में कई चुनौतियाँ भी शामिल हैं:

  • समय-सीमा: 200 हेलीकॉप्टरों की खरीद और उन्हें सेवा में शामिल करने की एक लंबी प्रक्रिया है। इसमें डिजाइन, विकास, उत्पादन, परीक्षण और प्रशिक्षण शामिल है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि प्रक्रिया कुशल हो और समय पर पूरी हो।
  • लागत प्रबंधन: इस पैमाने की खरीद के लिए भारी वित्तीय संसाधन की आवश्यकता होगी। लागत को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करना और करदाताओं के पैसे का सर्वोत्तम उपयोग सुनिश्चित करना एक प्रमुख चुनौती होगी।
  • तकनीकी व्यवहार्यता: स्वदेशी रूप से हेलीकॉप्टर विकसित करना या मौजूदा डिजाइनों को अपग्रेड करना एक जटिल तकनीकी कार्य है। HAL और अन्य संबंधित एजेंसियों को उच्च गुणवत्ता वाले, विश्वसनीय और प्रदर्शनकारी उत्पाद सुनिश्चित करने के लिए नवीनतम तकनीकों को अपनाना होगा।
  • गुणवत्ता नियंत्रण: चाहे हेलीकॉप्टर स्वदेशी रूप से निर्मित हों या लाइसेंस के तहत, गुणवत्ता नियंत्रण सर्वोपरि है। सुरक्षा और प्रदर्शन मानकों से कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
  • ऑपरेशनल इंटीग्रेशन: नए हेलीकॉप्टरों को मौजूदा बेड़े और संचालन में एकीकृत करना एक बड़ी चुनौती होगी। पायलटों और रखरखाव कर्मियों के प्रशिक्षण के लिए व्यापक योजना की आवश्यकता होगी।
  • रखरखाव और लॉजिस्टिक्स: भविष्य में इन हेलीकॉप्टरों के लिए सुचारू रखरखाव और स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति सुनिश्चित करना एक दीर्घकालिक चुनौती होगी।

‘मेक इन इंडिया’ के तहत चुनौतियाँ (Challenges under ‘Make in India’)

यदि खरीद ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत होती है, तो इसमें अतिरिक्त चुनौतियाँ हो सकती हैं:

  • तकनीकी हस्तांतरण: विदेशी कंपनियों से उन्नत तकनीक का प्रभावी हस्तांतरण सुनिश्चित करना।
  • घरेलू आपूर्तिकर्ता पारिस्थितिकी तंत्र: आवश्यक घटकों और उप-प्रणालियों के उत्पादन के लिए एक मजबूत घरेलू आपूर्तिकर्ता आधार विकसित करना।
  • अनुसंधान और विकास (R&D): नई तकनीकों में निवेश और अनुसंधान एवं विकास क्षमताओं को बढ़ाना।

भविष्य की राह (The Way Forward)

यह आधुनिकीकरण भारत की रक्षा तैयारी के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है। इस पहल की सफलता सुनिश्चित करने के लिए, निम्नलिखित कदमों पर ध्यान दिया जाना चाहिए:

  • स्पष्ट आवश्यकताएँ और विनिर्देश: खरीद से पहले, भारतीय सेना और वायु सेना की विशिष्ट परिचालन आवश्यकताओं और तकनीकी विनिर्देशों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए।
  • प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया: यदि विदेशी भागीदारी शामिल है, तो एक पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए।
  • समयबद्ध कार्यान्वयन: अधिग्रहण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया जाना चाहिए ताकि समय पर वितरण सुनिश्चित किया जा सके।
  • प्रौद्योगिकी अवशोषण और प्रशिक्षण: प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए और कर्मियों के व्यापक प्रशिक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए।
  • भविष्य के लिए योजना: यह खरीद भविष्य की तकनीकी प्रगति और उभरती सुरक्षा आवश्यकताओं को भी ध्यान में रखते हुए की जानी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हेलीकॉप्टर आने वाले दशकों तक प्रासंगिक बने रहें।

चीता और चेतक बेड़े को बदलना केवल हेलीकॉप्टरों को बदलने से कहीं अधिक है; यह भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने, ‘आत्मनिर्भर भारत’ को बढ़ावा देने और भविष्य के सुरक्षा खतरों का सामना करने के लिए तैयार रहने की दिशा में एक रणनीतिक कदम है। यह भारत को एक मजबूत रक्षा विनिर्माण शक्ति के रूप में स्थापित करने के बड़े दृष्टिकोण का भी हिस्सा है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. प्रश्न: भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा बदले जाने वाले पुराने हेलीकॉप्टर कौन से हैं?
a) ध्रुव और चेतक
b) चीता और रुद्र
c) चीता और चेतक
d) चीता और गरुड़
उत्तर: c) चीता और चेतक
व्याख्या: भारत अपने पुराने हो चुके चीता और चेतक हेलीकॉप्टर बेड़े को बदलने की योजना बना रहा है।

2. प्रश्न: चीता और चेतक हेलीकॉप्टरों का मूल डिजाइन किस देश से संबंधित है?
a) रूस
b) संयुक्त राज्य अमेरिका
c) फ्रांस
d) यूके
उत्तर: c) फ्रांस
व्याख्या: चीता और चेतक हेलीकॉप्टर मूल रूप से फ्रांसीसी डिजाइनों (Alouette III और SA 315B Lama) पर आधारित हैं, जिन्हें HAL द्वारा लाइसेंस के तहत निर्मित किया गया है।

3. प्रश्न: HAL (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) द्वारा निर्मित हेलीकॉप्टरों में से कौन सा उच्च-ऊंचाई वाले अभियानों के लिए अपनी क्षमता के लिए विशेष रूप से जाना जाता था?
a) रुद्र
b) ध्रुव
c) चेतक
d) चीता
उत्तर: d) चीता
व्याख्या: चीता हेलीकॉप्टर, अपनी हल्की संरचना के कारण, विशेष रूप से उच्च-ऊंचाई वाले प्रदर्शन के लिए जाना जाता था। चेतक भी इस क्षमता के लिए प्रसिद्ध था।

4. प्रश्न: ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल का मुख्य उद्देश्य क्या है?
a) रक्षा उपकरणों का निर्यात बढ़ाना
b) रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना
c) विदेशी रक्षा कंपनियों के साथ साझेदारी को प्रोत्साहित करना
d) घरेलू रक्षा अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना
उत्तर: b) रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना
व्याख्या: ‘आत्मनिर्भर भारत’ का मुख्य लक्ष्य भारत को रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना और आयात पर निर्भरता कम करना है।

5. प्रश्न: नए हेलीकॉप्टरों की खरीद में किस प्रकार की क्षमता को प्राथमिकता दी जा रही है?
a) केवल टोही
b) केवल परिवहन
c) बहु-भूमिका (Multi-role)
d) केवल हल्के हमले
उत्तर: c) बहु-भूमिका (Multi-role)
व्याख्या: नए हेलीकॉप्टर विभिन्न प्रकार के मिशनों को पूरा करने के लिए बहु-भूमिका वाले होंगे।

6. प्रश्न: भारतीय वायु सेना (IAF) और भारतीय सेना (Indian Army) दोनों ही इन नए हेलीकॉप्टरों के संभावित उपयोगकर्ता हैं। यह किस प्रकार के रक्षा अधिग्रहण को दर्शाता है?
a) केवल वायु सेना का अधिग्रहण
b) केवल थल सेना का अधिग्रहण
c) संयुक्त सेवा अधिग्रहण
d) केवल नौसेना का अधिग्रहण
उत्तर: c) संयुक्त सेवा अधिग्रहण
व्याख्या: चूंकि दोनों सेवाएं चीता और चेतक का उपयोग करती हैं, इसलिए उनके प्रतिस्थापन के लिए एक संयुक्त अधिग्रहण की संभावना है।

7. प्रश्न: नए हेलीकॉप्टरों में किस प्रकार के एवियोनिक्स से लैस होने की उम्मीद है?
a) पुराने प्रकार के रडार
b) उन्नत नेविगेशन और संचार प्रणाली
c) केवल मैन्युअल नियंत्रण
d) पुरानी पीढ़ी के सेंसर
उत्तर: b) उन्नत नेविगेशन और संचार प्रणाली
व्याख्या: आधुनिकीकरण में उन्नत एवियोनिक्स, सेंसर और संचार प्रणालियाँ शामिल होंगी।

8. प्रश्न: HAL द्वारा विकसित वर्तमान बहु-भूमिका वाला हेलीकॉप्टर कौन सा है जिसे संभावित रूप से बड़े पैमाने पर शामिल किया जा सकता है?
a) चीता
b) चेतक
c) ध्रुव
d) अपाचे
उत्तर: c) ध्रुव
व्याख्या: HAL ध्रुव (ALH) एक आधुनिक बहु-भूमिका हेलीकॉप्टर है जो पहले से ही सेवा में है और भविष्य की खरीद के लिए एक मजबूत दावेदार है।

9. प्रश्न: भारत में रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा निम्नलिखित में से कौन सी प्रमुख पहल शुरू की गई है?
a) मेक इन वेस्ट
b) आत्मनिर्भर भारत
c) डिजिटल इंडिया
d) स्किल इंडिया
उत्तर: b) आत्मनिर्भर भारत
व्याख्या: ‘आत्मनिर्भर भारत’ रक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रमुख पहल है।

10. प्रश्न: चीता और चेतक हेलीकॉप्टरों को बदलने की आवश्यकता का एक प्रमुख कारण क्या है?
a) उनकी बहुत कम उड़ान क्षमता
b) उच्च परिचालन और रखरखाव लागत के साथ तकनीकी अप्रचलन
c) अप्रचलित हथियार प्रणाली
d) डिजाइन में कॉस्मेटिक मुद्दे
उत्तर: b) उच्च परिचालन और रखरखाव लागत के साथ तकनीकी अप्रचलन
व्याख्या: पुराने होने के कारण, इन हेलीकॉप्टरों की रखरखाव लागत बढ़ गई है और उनकी तकनीक अप्रचलित हो गई है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. प्रश्न: भारत द्वारा चीता और चेतक हेलीकॉप्टरों के बेड़े को बदलने की योजना, ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत रक्षा आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस संदर्भ में, इस पहल के महत्व, इससे जुड़ी संभावित चुनौतियों और भारत की रक्षा क्षमताओं पर इसके दीर्घकालिक प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।
2. प्रश्न: पुराने हो चुके चीता और चेतक हेलीकॉप्टरों को आधुनिक बहु-भूमिका वाले हेलीकॉप्टरों से बदलना भारतीय सशस्त्र बलों के लिए क्यों अनिवार्य है? इसके प्रमुख तकनीकी, सामरिक और परिचालन कारणों पर प्रकाश डालिए और भारत के स्वदेशी रक्षा उत्पादन क्षमता के विकास में इसके महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
3. प्रश्न: हेलीकॉप्टर अधिग्रहण जैसी बड़ी रक्षा खरीद प्रक्रिया में, ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियानों को सफलतापूर्वक लागू करने में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? इस संदर्भ में, भविष्य में भारत को एक प्रमुख रक्षा निर्माता के रूप में स्थापित करने के लिए क्या रणनीतिक कदम उठाए जाने चाहिए?
4. प्रश्न: भारतीय सेना और वायु सेना के लिए हेलीकॉप्टरों का आधुनिकीकरण उनके परिचालन प्रभावशीलता को कैसे बढ़ाएगा? चर्चा कीजिए कि नए हेलीकॉप्टरों में कौन सी उन्नत क्षमताएं (जैसे एवियोनिक्स, पेलोड, बहु-भूमिका) पुरानी पीढ़ियों से उन्हें बेहतर बनाती हैं और वे आधुनिक युद्धक्षेत्र की मांगों को कैसे पूरा करेंगे।

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