2 साल की हिंसा के बाद मणिपुर: PM के दौरे से क्या उम्मीदें? इंफाल-चुराचांदपुर की आवाज़ें
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने जातीय हिंसा से जूझ रहे मणिपुर राज्य का दौरा किया। यह दौरा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह राज्य में दो साल से अधिक समय से जारी हिंसा के संदर्भ में हुआ। अपने दौरे के दौरान, प्रधान मंत्री ने इंफाल और चुराचांदपुर जैसे प्रमुख स्थानों पर जनसभाओं को संबोधित किया, जहाँ उन्होंने हिंसा को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया और लोगों से “शांति का रास्ता चुनने” का आग्रह किया। इस दौरे ने मणिपुर की जटिल स्थिति, इसके ऐतिहासिक संदर्भ, वर्तमान चुनौतियों और भविष्य की राह पर एक बार फिर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह घटनाक्रम सिर्फ एक समाचार बुलेटिन नहीं है, बल्कि भारतीय राजनीति, सामाजिक न्याय, सुरक्षा तंत्र और पूर्वोत्तर भारत के विकास से जुड़े कई महत्वपूर्ण पहलुओं का एक सूक्ष्म जगत है।
मणिपुर: 2 साल की हिंसा का दर्दनाक सफर (Manipur: The Painful Journey of 2 Years of Violence)
मणिपुर, जिसे ‘भारत का गहना’ भी कहा जाता है, हाल के वर्षों में जातीय हिंसा का पर्याय बन गया है। मई 2023 में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा ने राज्य को झकझोर कर रख दिया। यह हिंसा सिर्फ कुछ दिनों या हफ्तों तक सीमित नहीं रही, बल्कि दो साल से अधिक समय से इसने राज्य के सामाजिक ताने-बाने को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त किया है। लाखों लोग विस्थापित हुए, अनगिनत जानें गईं, और संपत्ति का भारी नुकसान हुआ। सड़कों पर उग्रवाद, सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें, और समुदायों के बीच गहरा अविश्वास, मणिपुर की नई पहचान बन गए थे।
इस पृष्ठभूमि में, प्रधान मंत्री का दौरा अत्यंत प्रतीक्षित था। यह सिर्फ एक प्रतीकात्मक यात्रा नहीं थी, बल्कि इसने उम्मीद की एक किरण जगाने का प्रयास किया। प्रधान मंत्री के शब्दों, “किसी भी तरह की हिंसा दुर्भाग्यपूर्ण है” और “शांति का रास्ता चुनें” में न केवल राजनीतिक संदेश था, बल्कि देश के शीर्ष नेतृत्व की ओर से मणिपुर के लोगों के लिए एक सीधा आह्वान भी था।
प्रधान मंत्री के दौरे का महत्व: इंफाल और चुराचांदपुर के मायने (Significance of the Prime Minister’s Visit: The Meanings of Imphal and Churachandpur)
प्रधान मंत्री का दौरा इंफाल और चुराचांदपुर जैसे दो अलग-अलग लेकिन मणिपुर के लिए महत्वपूर्ण स्थानों पर केंद्रित था। इन स्थानों के चुनाव का अपना एक गहरा राजनीतिक और सामाजिक अर्थ था:
- इंफाल: राजधानी के रूप में, इंफाल राज्य के प्रशासनिक और राजनीतिक केंद्र का प्रतिनिधित्व करता है। यहाँ प्रधान मंत्री की उपस्थिति राज्य सरकार और केंद्रीय एजेंसियों को सीधे संबोधित करने का एक मंच प्रदान करती है, साथ ही व्यापक आबादी तक संदेश पहुँचाती है। इंफाल में हिंसा की व्यापकता और मैतेई समुदाय की प्रमुख उपस्थिति के कारण, यहाँ से शांति का आह्वान एक व्यापक दर्शक वर्ग तक पहुँचने का इरादा रखता है।
- चुराचांदपुर: यह क्षेत्र मुख्य रूप से कुकी समुदाय का गढ़ माना जाता है और हिंसा के शुरुआती दौर में यहाँ से महत्वपूर्ण संघर्ष की खबरें आई थीं। चुराचांदपुर में प्रधान मंत्री का संबोधन विशेष रूप से कुकी समुदाय के साथ संवाद स्थापित करने और उनके विश्वास को फिर से जीतने का एक प्रयास था। यहाँ से ‘शांति का रास्ता चुनें’ का उनका आह्वान, उन समुदायों को संबोधित करने का संकेत देता है जो हिंसा से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं और जिनके बीच विश्वास की कमी सबसे गहरी है।
यह रणनीतिक विभाजन दर्शाता है कि सरकार एकतरफा नहीं, बल्कि विभिन्न समुदायों को संबोधित करने का प्रयास कर रही है, हालांकि यह सभी के लिए पर्याप्त है या नहीं, यह एक अलग बहस का विषय है।
मणिपुर हिंसा की जड़ें: एक जटिल ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य (Roots of Manipur Violence: A Complex Historical Perspective)
मणिपुर की वर्तमान हिंसा को समझने के लिए, इसकी ऐतिहासिक जड़ों को खोजना अत्यंत आवश्यक है। यह केवल एक हालिया घटना नहीं है, बल्कि दशकों से पनप रहे विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों का परिणाम है:
- जातीय विविधता और पहचान की राजनीति: मणिपुर एक बहु-जातीय राज्य है, जिसमें मैतेई, कुकी, नागा, खामी, आदि विभिन्न समुदाय निवास करते हैं। प्रत्येक समुदाय की अपनी अनूठी संस्कृति, भाषा और पहचान है। मैतेई समुदाय, जो राज्य की आबादी का लगभग 53% है, मुख्य रूप से इम्फाल घाटी में केंद्रित है, जबकि कुकी और नागा समुदाय पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं। पहचान की राजनीति ने हमेशा इन समुदायों के बीच तनाव पैदा किया है।
- आरक्षण और भूमि अधिकार: मैतेई समुदाय, जो ऐतिहासिक रूप से विशेषाधिकार प्राप्त रहा है, अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा प्राप्त करने की मांग कर रहा है। उनका तर्क है कि वे बाहरी लोगों से अपनी पहचान और संस्कृति की रक्षा करना चाहते हैं। दूसरी ओर, कुकी और अन्य पहाड़ी आदिवासी समुदाय मैतेई समुदाय को ST का दर्जा दिए जाने का कड़ा विरोध कर रहे हैं। उनका डर यह है कि यदि मैतेई ST बन जाते हैं, तो वे पहाड़ी जिलों में भूमि खरीद सकेंगे, जो वर्तमान में उनके लिए प्रतिबंधित है (संविधान के अनुच्छेद 371C के तहत)। यह भूमि अधिकार का मुद्दा दोनों समुदायों के बीच टकराव का एक प्रमुख कारण रहा है।
- अवैध आप्रवासन और सीमा सुरक्षा: मणिपुर की म्यांमार के साथ एक लंबी और पारगम्य सीमा है। पहाड़ी जिलों में रहने वाले कुकी समुदाय के कुछ वर्गों का तर्क है कि राज्य में अवैध आप्रवासन, विशेष रूप से म्यांमार से, बढ़ रहा है, जिससे जनसांख्यिकी बदल रही है और स्थानीय संसाधनों पर दबाव पड़ रहा है। राज्य सरकार ने इसे ‘अवैध आप्रवासियों’ के खिलाफ कार्रवाई के रूप में प्रस्तुत किया है, जिसे कुकी समुदाय ने अपनी जातीय पहचान पर हमले के रूप में देखा है।
- ऐतिहासिक शिकायतें और विश्वास की कमी: विभिन्न समुदायों के बीच ऐतिहासिक शिकायतें और राज्य एवं केंद्रीय सरकारों द्वारा उनकी उपेक्षा की भावना ने अविश्वास को जन्म दिया है। पिछली सरकारों के दौरान विभिन्न समुदायों द्वारा अपने अधिकारों और स्वायत्तता की मांगें अनसुनी की गईं, जिससे असंतोष बढ़ा।
- उग्रवाद और बाहरी प्रभाव: क्षेत्र में उग्रवादी समूहों की उपस्थिति और उनकी गतिविधियों ने भी स्थिति को और जटिल बना दिया है। इन समूहों का विभिन्न समुदायों के बीच तनाव को भड़काने में अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष हाथ हो सकता है।
एक उपमा: मणिपुर की स्थिति को एक ऐसे घर के रूप में देखा जा सकता है जहाँ वर्षों से छोटे-छोटे झगड़े चल रहे थे, लेकिन अचानक एक बड़ी आग लग गई। आग लगने का कारण शायद बिजली का शॉर्ट सर्किट (आरक्षण की मांग) हो सकता है, लेकिन घर में ईंधन (अविश्वास, ऐतिहासिक शिकायतें) पहले से ही मौजूद था। इस पर, कुछ बाहरी तत्व (अवैध आप्रवासन की चिंताएं) भी आग भड़काने लगे। इस आग को बुझाने के लिए अब सिर्फ पानी डालना काफी नहीं है, बल्कि घर की नींव को मजबूत करने और अंदर रहने वालों के बीच विश्वास को फिर से स्थापित करने की जरूरत है।
प्रधान मंत्री के दौरे के पीछे की राजनीति और अपेक्षाएं (Politics and Expectations Behind the Prime Minister’s Visit)
प्रधान मंत्री का दौरा कई स्तरों पर राजनीतिक महत्व रखता है:
- विश्वास बहाली का प्रयास: लंबे समय तक मणिपुर में केंद्रीय सरकार की निष्क्रियता या अप्रभावी हस्तक्षेप के आरोपों के बाद, यह दौरा समुदायों के बीच, विशेष रूप से प्रभावित कुकी और अन्य पहाड़ी जनजातियों के बीच, विश्वास बहाल करने का एक गंभीर प्रयास है।
- अंतर्राष्ट्रीय छवि: मणिपुर में जारी हिंसा ने भारत की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय छवि को भी प्रभावित किया है। एक उच्च-स्तरीय दौरे से यह संदेश जाता है कि सरकार स्थिति को गंभीरता से ले रही है।
- स्थानीय चुनावों का प्रभाव: राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव होने वाले हैं, और शांति स्थापित करने का किसी भी तरह का प्रयास चुनावी राजनीति को प्रभावित कर सकता है।
- विपक्षी दलों का दबाव: केंद्र सरकार पर मणिपुर की स्थिति को लेकर विपक्ष द्वारा लगातार दबाव बनाया जा रहा था। यह दौरा उस दबाव का भी एक प्रतिक्रिया हो सकता है।
अपेक्षाएं:
- शांति की बहाली: सबसे बड़ी उम्मीद यह है कि इस दौरे के बाद हिंसा में कमी आएगी और शांति बहाली की प्रक्रिया तेज होगी।
- न्याय और जवाबदेही: पीड़ितों को न्याय मिलेगा और जो लोग हिंसा के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें जवाबदेह ठहराया जाएगा।
- राहत और पुनर्वास: विस्थापित लोगों के लिए पर्याप्त राहत और पुनर्वास की व्यवस्था की जाएगी।
- राजनीतिक समाधान: हिंसा के मूल कारणों को संबोधित करने के लिए एक ठोस राजनीतिक समाधान की दिशा में कदम उठाए जाएंगे।
चुनौतियाँ: शांति की राह में रोड़े (Challenges: Hurdles in the Path to Peace)
प्रधान मंत्री के दौरे और उनके शांति आह्वान के बावजूद, मणिपुर में शांति की राह अत्यंत चुनौतीपूर्ण है। प्रमुख चुनौतियाँ इस प्रकार हैं:
- गहरा अविश्वास: मैतेई और कुकी समुदायों के बीच अविश्वास की खाई बहुत गहरी है। वर्षों से चली आ रही शिकायतों और हालिया हिंसा ने इस खाई को और चौड़ा कर दिया है।
- न्याय और सजा का अभाव: पीड़ितों और उनके परिवारों को लगता है कि उन्हें अभी तक न्याय नहीं मिला है। यदि जिम्मेदार लोगों को सजा नहीं मिलती है, तो शांति की बहाली मुश्किल होगी।
- सुरक्षा बलों की भूमिका: सुरक्षा बलों पर दोनों समुदायों द्वारा पक्षपात के आरोप लगते रहे हैं, जिससे उनकी निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं।
- राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव: विभिन्न हितधारकों (केंद्रीय सरकार, राज्य सरकार, विभिन्न समुदाय) के बीच एक ठोस राजनीतिक समाधान पर सहमति बनाना एक बड़ी चुनौती है।
- विखंडित नेतृत्व: समुदायों के भीतर भी नेतृत्व विखंडित है, जिससे सर्वसम्मति से निर्णय लेना कठिन हो जाता है।
- सामुदायिक मांगें: प्रत्येक समुदाय की अपनी मांगें हैं (जैसे ST दर्जा, भूमि अधिकार, स्वायत्तता), जिन्हें एक साथ पूरा करना मुश्किल है।
- विदेशी हस्तक्षेप की आशंका: कुछ अनौपचारिक रिपोर्टें सीमा पार से कुछ तत्वों द्वारा हिंसा को भड़काने या बनाए रखने की ओर इशारा करती हैं, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है।
- पुनर्वास और आजीविका: विस्थापित लोगों को उनके घरों में सुरक्षित वापसी और उनकी आजीविका की बहाली एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है।
“मणिपुर का दर्द सिर्फ एक समुदाय का दर्द नहीं है, यह पूरे देश का दर्द है। इस दर्द को तभी कम किया जा सकता है जब सभी समुदाय मिलकर एक-दूसरे का हाथ थामें और शांति के पथ पर अग्रसर हों।” – UPSC Content Maestro (विष्लेषणात्मक दृष्टिकोण)
आगे की राह: शांति, न्याय और विकास का त्रिकोण (The Way Forward: A Triangle of Peace, Justice, and Development)
प्रधान मंत्री के दौरे ने एक अवसर प्रदान किया है, लेकिन असली काम अब शुरू होता है। मणिपुर में स्थायी शांति और सद्भाव स्थापित करने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है:
- विश्वास बहाली के ठोस कदम:
- सभी हितधारकों के साथ समावेशी संवाद: केवल राजनीतिक नेताओं से ही नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर समुदाय के बुजुर्गों, युवाओं, महिलाओं और धार्मिक नेताओं से भी सीधे संवाद स्थापित करना।
- पारदर्शिता और जवाबदेही: राहत, पुनर्वास और मुआवजे के वितरण में पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित करना। हिंसा के मामलों की निष्पक्ष जांच और जिम्मेदार लोगों को सजा दिलाना।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम: विभिन्न समुदायों के बीच समझ और सम्मान को बढ़ावा देने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों और आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना।
- न्याय का निष्पक्ष वितरण:
- विशेष जांच दल (SIT): उच्च न्यायालय की निगरानी में या एक स्वतंत्र निकाय द्वारा गंभीर अपराधों की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित करना।
- विस्थापितों के लिए सुरक्षा: विस्थापित परिवारों की सुरक्षित वापसी और पुनर्वास सुनिश्चित करने के लिए कड़े सुरक्षा उपाय।
- पीडित मुआवजा: पीड़ितों के लिए पर्याप्त और समय पर मुआवजा सुनिश्चित करना।
- सतत विकास और आर्थिक अवसर:
- पहाड़ी जिलों पर विशेष ध्यान: पहाड़ी जिलों में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, कनेक्टिविटी और रोजगार के अवसरों में भारी निवेश करना, जो अक्सर उपेक्षित रहे हैं।
- स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं का पुनरुद्धार: हिंसा से तबाह हुई स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं, विशेष रूप से छोटे व्यवसायों और कृषि को पुनर्जीवित करने के लिए वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण प्रदान करना।
- पर्यटन को बढ़ावा: मणिपुर की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत का उपयोग करके पर्यटन को बढ़ावा देना, जिससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
- संवैधानिक और राजनीतिक समाधान:
- अनुच्छेद 371C का प्रभावी कार्यान्वयन: मणिपुर के लिए विशेष संवैधानिक प्रावधानों (जैसे अनुच्छेद 371C) का प्रभावी और निष्पक्ष कार्यान्वयन सुनिश्चित करना, जो पहाड़ी जिलों की विशिष्टताओं को मान्यता देता है।
- स्वायत्तता और प्रतिनिधित्व: पहाड़ी जनजातियों की स्वायत्तता की मांगों पर रचनात्मक रूप से विचार करना और उनके राजनीतिक प्रतिनिधित्व को मजबूत करना।
- जनसांख्यिकीय परिवर्तन पर चिंता का समाधान: अवैध आप्रवासन की चिंताओं को दूर करने के लिए एक संतुलित और न्यायसंगत दृष्टिकोण अपनाना, जिसमें सीमा प्रबंधन और पंजीकरण प्रक्रिया को मजबूत करना शामिल है।
- सुरक्षा तंत्र को मजबूत करना:
- पुलिस और अर्धसैनिक बलों का आधुनिकीकरण: सुरक्षा बलों को आधुनिक प्रशिक्षण और उपकरण प्रदान करना।
- स्थानीय पुलिस के साथ समन्वय: सुरक्षा बलों और स्थानीय पुलिस के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना।
- पक्षपात की शिकायतों का निवारण: सुरक्षा बलों द्वारा पक्षपात की शिकायतों को दूर करने के लिए एक प्रभावी तंत्र स्थापित करना।
एक केस स्टडी: 1990 के दशक में नागालैंड में शांति स्थापित करने के प्रयास, जो दशकों के संघर्ष के बाद शुरू हुए थे, एक उदाहरण प्रस्तुत करते हैं कि कैसे बातचीत, सुलह और बाहरी समर्थन से लंबे समय से चले आ रहे संघर्षों को कम किया जा सकता है। हालांकि मणिपुर की स्थिति अलग है, लेकिन ‘समावेशी संवाद’ और ‘विश्वास बहाली’ के सिद्धांत यहाँ भी लागू हो सकते हैं।
प्रधान मंत्री का दौरा एक शुरुआत है, एक संकेत है कि केंद्र सरकार इस संकट को नजरअंदाज नहीं कर सकती। लेकिन असली परीक्षा नेतृत्व की क्षमता, राजनीतिक इच्छाशक्ति और विभिन्न समुदायों को एक साथ लाकर एक साझा भविष्य बनाने के समर्पण में निहित है। मणिपुर के लोगों ने बहुत दर्द सहा है। अब समय है कि वे एक ऐसे भविष्य की ओर देखें जहाँ शांति, न्याय और गरिमा हर नागरिक का अधिकार हो।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. मणिपुर में हालिया जातीय हिंसा मुख्य रूप से किन दो समुदायों के बीच भड़की?
a) मैतेई और नागा
b) कुकी और नागा
c) मैतेई और कुकी
d) अंगामी और मैतेई
उत्तर: c) मैतेई और कुकी
व्याख्या: मई 2023 में मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा मुख्य रूप से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हुई थी।
2. मणिपुर के पहाड़ी जिलों को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले संविधान के किस अनुच्छेद का बार-बार उल्लेख होता है?
a) अनुच्छेद 370
b) अनुच्छेद 371A
c) अनुच्छेद 371C
d) अनुच्छेद 371G
उत्तर: c) अनुच्छेद 371C
व्याख्या: अनुच्छेद 371C मणिपुर की परिषद की रचना और उसके कार्यों से संबंधित है, जो विशेष रूप से पहाड़ी जिलों के लिए कुछ शक्तियों का प्रावधान करता है।
3. मैतेई समुदाय की मुख्य मांग क्या है, जिसने कुकी समुदाय के साथ तनाव बढ़ाया?
a) पहाड़ी जिलों में भूमि खरीदने का अधिकार
b) अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा
c) स्वतंत्र राज्य का दर्जा
d) एक अलग राजधानी की मांग
उत्तर: b) अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा
व्याख्या: मैतेई समुदाय ST का दर्जा प्राप्त करने की मांग कर रहा है, जिसका कुकी समुदाय विरोध कर रहा है क्योंकि उन्हें डर है कि इससे मैतेई लोग पहाड़ी जिलों में भूमि खरीद सकेंगे।
4. मणिपुर में किस देश के साथ एक लंबी और पारगम्य सीमा है, जिससे अवैध आप्रवासन की चिंताएं जुड़ी हैं?
a) बांग्लादेश
b) चीन
c) म्यांमार
d) भूटान
उत्तर: c) म्यांमार
व्याख्या: मणिपुर की सीमा म्यांमार से लगती है, और इस सीमा की भेद्यता अवैध आप्रवासन की चिंताओं को जन्म देती है।
5. प्रधान मंत्री ने मणिपुर में किन दो प्रमुख स्थानों का दौरा किया?
a) इम्फाल और मोरेह
b) इम्फाल और चुराचांदपुर
c) इंफाल और थानलौन
d) चुराचांदपुर और उखरूल
उत्तर: b) इम्फाल और चुराचांदपुर
व्याख्या: प्रधान मंत्री ने अपने दौरे के दौरान इम्फाल (राजधानी) और चुराचांदपुर का दौरा किया।
6. मणिपुर की जातीय विविधता के संदर्भ में, निम्न में से कौन सा समुदाय मुख्य रूप से इम्फाल घाटी में केंद्रित है?
a) कुकी
b) नागा
c) मैतेई
d) खामी
उत्तर: c) मैतेई
व्याख्या: मैतेई समुदाय, जो राज्य की बहुसंख्यक आबादी है, मुख्य रूप से इम्फाल घाटी में केंद्रित है।
7. मणिपुर हिंसा के संदर्भ में ‘जनसांख्यिकीय परिवर्तन’ की चिंताएं मुख्य रूप से किससे जुड़ी हैं?
a) पर्यटकों की बढ़ती संख्या
b) विभिन्न समुदायों के बीच विवाह दर में वृद्धि
c) म्यांमार से अवैध आप्रवासन
d) शहरीकरण की तीव्र गति
उत्तर: c) म्यांमार से अवैध आप्रवासन
व्याख्या: अवैध आप्रवासन, विशेष रूप से म्यांमार से, मणिपुर में जनसांख्यिकीय परिवर्तन की चिंताओं का एक प्रमुख कारण रहा है।
8. मणिपुर की जातीय राजनीति में ‘पहचान की राजनीति’ का क्या अर्थ है?
a) विभिन्न समुदायों का आपस में घुलना-मिलना
b) प्रत्येक समुदाय का अपनी विशिष्ट संस्कृति और अधिकारों को बनाए रखने का प्रयास
c) राष्ट्रीय पहचान को प्राथमिकता देना
d) राजनीतिक दलों का जातीय आधार पर विभाजन
उत्तर: b) प्रत्येक समुदाय का अपनी विशिष्ट संस्कृति और अधिकारों को बनाए रखने का प्रयास
व्याख्या: पहचान की राजनीति का तात्पर्य है कि विभिन्न जातीय समूह अपनी सांस्कृतिक विशिष्टता, अधिकारों और स्वायत्तता को संरक्षित करने के लिए राजनीतिक रूप से सक्रिय होते हैं, जो कभी-कभी तनाव पैदा करता है।
9. प्रधान मंत्री के दौरे का एक प्राथमिक राजनीतिक उद्देश्य क्या था?
a) अंतर्राष्ट्रीय दबाव को कम करना
b) स्थानीय चुनावों के लिए प्रचार करना
c) विश्वास बहाली और शांति प्रक्रिया को गति देना
d) राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक रिपोर्ट जारी करना
उत्तर: c) विश्वास बहाली और शांति प्रक्रिया को गति देना
व्याख्या: प्रधान मंत्री के दौरे का मुख्य उद्देश्य समुदायों के बीच विश्वास बहाल करना और राज्य में शांति स्थापित करने की प्रक्रिया को गति देना था।
10. मणिपुर में स्थायी शांति के लिए कौन सा तत्व महत्वपूर्ण नहीं है?
a) न्याय और जवाबदेही
b) आर्थिक विकास और रोजगार
c) समुदायों के बीच अविश्वास का गहरा होना
d) समावेशी संवाद और विश्वास बहाली
उत्तर: c) समुदायों के बीच अविश्वास का गहरा होना
व्याख्या: समुदायों के बीच अविश्वास का गहरा होना शांति स्थापना के मार्ग में एक बाधा है, न कि एक महत्वपूर्ण तत्व।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न: मणिपुर में हाल ही में भड़की जातीय हिंसा की उत्पत्ति, मुख्य कारणों और इसके सामाजिक-आर्थिक निहितार्थों का विश्लेषण करें। प्रधान मंत्री के दौरे के महत्व और भविष्य में शांति स्थापना के लिए एक व्यापक रणनीति के सुझाव दें। (250 शब्द, 15 अंक)
- प्रश्न: “मणिपुर की समस्या केवल दो समुदायों के बीच का संघर्ष नहीं है, बल्कि जटिल ऐतिहासिक, राजनीतिक और पहचान-आधारित मुद्दों का परिणाम है।” इस कथन के आलोक में, मणिपुर में शांति और सद्भाव की बहाली के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता पर चर्चा करें। (200 शब्द, 10 अंक)
- प्रश्न: प्रधान मंत्री के मणिपुर दौरे का राजनीतिक और प्रतीकात्मक महत्व क्या है? यह राज्य में विश्वास बहाली और सुरक्षा स्थिति को कैसे प्रभावित कर सकता है? (150 शब्द, 10 अंक)
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