2 लाख भारतीयों ने छोड़ी नागरिकता: 2020 के मुकाबले ढाई गुना वृद्धि, लोकसभा में चौंकाने वाले आंकड़े आए सामने!
चर्चा में क्यों? (Why in News?):
हाल ही में, भारत सरकार ने लोकसभा में एक चौंकाने वाला आंकड़ा पेश किया है। पिछले पांच सालों में, विशेषकर 2024 में, 2 लाख से अधिक भारतीयों ने स्वेच्छा से अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ दी है। यह संख्या 2020 के आंकड़े की तुलना में लगभग ढाई गुना अधिक है, जो निश्चित रूप से चिंता का विषय है और गहन विश्लेषण की मांग करता है। यह प्रवृत्ति न केवल भारतीयों के लिए बल्कि देश के लिए भी महत्वपूर्ण निहितार्थ रखती है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम इस उभरते मुद्दे की तह तक जाएंगे, इसके कारणों, प्रभावों और भविष्य की राह पर विस्तार से चर्चा करेंगे, जो विशेष रूप से UPSC उम्मीदवारों के लिए महत्वपूर्ण है।
यह घटनाक्रम इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
किसी भी देश के लिए, उसके नागरिकों की संख्या और उनकी नागरिकता के प्रति निष्ठा कई मायनों में महत्वपूर्ण होती है। नागरिकता छोड़ने की बढ़ती दरें कई सवालों को जन्म देती हैं, जैसे:
- क्या भारतीय युवाओं को देश में पर्याप्त अवसर नहीं मिल रहे हैं?
- क्या आर्थिक, सामाजिक या राजनीतिक कारण लोगों को विदेशी नागरिकता अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं?
- इस प्रवृत्ति का भारत की जनसांख्यिकी, अर्थव्यवस्था और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
यह एक ऐसा मुद्दा है जिसका संबंध सीधे तौर पर अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन, राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास और सामाजिक ताने-बाने से है। UPSC की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए, इस तरह के समसामयिक मामलों की गहरी समझ अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि ये अक्सर प्रीलिम्स और मेन्स दोनों परीक्षाओं में पूछे जाते हैं।
आंकड़ों की पड़ताल: एक गहन विश्लेषण
सरकार द्वारा लोकसभा में प्रस्तुत आंकड़े हमें एक स्पष्ट तस्वीर दिखाते हैं:
- 2020 की तुलना में वृद्धि: 2020 में नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की संख्या की तुलना में 2024 में यह आंकड़ा ढाई गुना बढ़ गया है। यह एक उल्लेखनीय वृद्धि है और इसके पीछे के कारणों को समझना महत्वपूर्ण है।
- पिछले 5 साल के आंकड़े: इन आंकड़ों को केवल एक वर्ष के संदर्भ में देखना पर्याप्त नहीं है। पिछले पांच वर्षों के आंकड़ों का विश्लेषण हमें एक प्रवृत्ति (trend) को समझने में मदद करता है, जो यह बताता है कि क्या यह एक अस्थायी घटना है या एक स्थायी बदलाव।
- किन देशों की नागरिकता ले रहे हैं भारतीय? आमतौर पर, भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले लोग अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के देशों जैसे विकसित देशों की नागरिकता प्राप्त करते हैं। इन देशों के अपने आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक आकर्षण हैं।
नागरिकता छोड़ने के पीछे के संभावित कारण (Why are Indians Renouncing Citizenship?)
यह एक बहुआयामी समस्या है जिसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। आइए कुछ प्रमुख कारणों पर नज़र डालें:
1. आर्थिक अवसर (Economic Opportunities):
- उच्च जीवन स्तर: विकसित देशों में बेहतर वेतन, नौकरी की सुरक्षा और उच्च जीवन स्तर का आकर्षण एक बड़ा कारण है।
- करियर में उन्नति: कुछ भारतीय विशेष रूप से उच्च शिक्षा या विशिष्ट उद्योगों में करियर की तलाश में विदेशों में बस जाते हैं, और अंततः वहां की नागरिकता प्राप्त कर लेते हैं।
- उद्यमशीलता के अवसर: कुछ लोग वहां बेहतर कारोबारी माहौल, आसान पूंजी तक पहुंच और बड़े बाजारों की तलाश में जाते हैं।
2. बेहतर सामाजिक सुरक्षा और जीवन की गुणवत्ता (Better Social Security and Quality of Life):
- स्वास्थ्य सेवाएँ: कई विकसित देशों में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएँ बेहतर होती हैं और नागरिकों को सस्ती या मुफ्त चिकित्सा सुविधाएँ मिलती हैं।
- शिक्षा: बच्चों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रणाली और कम लागत वाली उच्च शिक्षा भी एक प्रमुख आकर्षण हो सकती है।
- पर्यावरण और बुनियादी ढाँचा: बेहतर शहरी नियोजन, प्रदूषण नियंत्रण और आधुनिक बुनियादी ढाँचे भी लोगों को आकर्षित करते हैं।
3. राजनीतिक और प्रशासनिक कारण (Political and Administrative Reasons):
- स्थिरता और सुशासन: कुछ देशों में राजनीतिक स्थिरता, कम भ्रष्टाचार और एक कुशल प्रशासनिक ढाँचा भारतीयों को लुभा सकता है।
- अधिकार और स्वतंत्रता: कुछ व्यक्ति अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सामाजिक अधिकारों के बेहतर संरक्षण की तलाश में विदेश जा सकते हैं।
4. व्यक्तिगत और पारिवारिक कारण (Personal and Family Reasons):
- परिवार का बसना: यदि परिवार के सदस्य पहले से ही विदेश में बस चुके हैं, तो अन्य सदस्य भी उनसे जुड़ने के लिए नागरिकता छोड़ने का निर्णय ले सकते हैं।
- जीवनशैली का चुनाव: कुछ लोग एक अलग जीवनशैली, सांस्कृतिक अनुभव या व्यक्तिगत विकास के लिए विदेशों में बसना पसंद करते हैं।
5. दोहरी नागरिकता की उपलब्धता (Availability of Dual Citizenship):
हालांकि भारत में दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं है, लेकिन भारतीय मूल के लोगों को कई देशों द्वारा दोहरी नागरिकता का विकल्प दिया जाता है। यह उन्हें एक नागरिकता छोड़ने के बजाय दूसरी नागरिकता प्राप्त करने की सुविधा देता है, जिससे वे दोनों देशों के लाभ उठा सकते हैं, लेकिन कानूनी तौर पर उन्हें एक नागरिकता का त्याग करना पड़ता है।
भारतीय नागरिकता छोड़ने के प्रभाव (Impact of Renouncing Indian Citizenship)
यह प्रवृत्ति न केवल व्यक्तियों के लिए बल्कि भारत के लिए भी महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है:
1. मानव पूंजी का पलायन (Brain Drain):
यह सबसे चिंताजनक पहलुओं में से एक है। जब योग्य और कुशल पेशेवर, वैज्ञानिक, इंजीनियर और उद्यमी देश छोड़ते हैं, तो यह भारत की “मानव पूंजी” का नुकसान होता है। ये वे लोग हैं जो देश के विकास, नवाचार और आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते थे।
“मानव पूंजी का पलायन किसी राष्ट्र के विकास के लिए एक गंभीर चुनौती है। यह न केवल ज्ञान और कौशल का नुकसान है, बल्कि यह भविष्य में देश के नवाचार और प्रतिस्पर्धात्मकता को भी प्रभावित करता है।”
2. आर्थिक प्रभाव (Economic Impact):
- राजस्व का नुकसान: जो व्यक्ति नागरिकता छोड़ते हैं, वे भारत में करों का भुगतान करना बंद कर देते हैं, जिससे सरकार के राजस्व को नुकसान होता है।
- उपभोग और निवेश में कमी: ये लोग भारत में अपनी आय का कुछ हिस्सा खर्च करते थे या निवेश करते थे, जो अब बंद हो जाता है।
- प्रतिभा की कमी: कुछ क्षेत्रों में, विशेष रूप से उच्च-तकनीकी उद्योगों में, कुशल श्रमिकों की कमी हो सकती है।
3. जनसांख्यिकी पर प्रभाव (Demographic Impact):
हालांकि यह आंकड़ा अभी भी भारत की विशाल आबादी का एक छोटा सा हिस्सा है, लेकिन अगर यह प्रवृत्ति बढ़ती है, तो यह भारत की जनसांख्यिकी को प्रभावित कर सकती है, खासकर युवा और शिक्षित वर्ग में।
4. सॉफ्ट पावर और राष्ट्रीय गौरव (Soft Power and National Pride):
जब बड़ी संख्या में लोग अपनी नागरिकता छोड़ते हैं, तो यह भारत की “सॉफ्ट पावर” और राष्ट्रीय गौरव की भावना को भी प्रभावित कर सकता है। यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नकारात्मक छवि भी प्रस्तुत कर सकता है।
5. विदेशी मुद्रा और प्रेषण (Foreign Exchange and Remittances):
हालांकि जो नागरिकता छोड़ रहे हैं, वे अक्सर भारत में अपने परिवारों को पैसा भेजते हैं (जिसे ‘प्रेषण’ या remittances कहते हैं), लेकिन उनकी व्यक्तिगत आय का भारत में सीधे निवेश और उपभोग कम हो जाता है।
UPSC के दृष्टिकोण से: संबंधित मुद्दे और प्रश्न
यह मुद्दा UPSC सिविल सेवा परीक्षा के लिए अत्यंत प्रासंगिक है। यह सामान्य अध्ययन (GS) पेपर I (समाज), GS पेपर II (शासन, अंतर्राष्ट्रीय संबंध) और GS पेपर III (अर्थव्यवस्था, विकास) से जुड़ा हुआ है।
1.GS पेपर I – भारतीय समाज (Indian Society):
- प्रवासन (Migration) और इसके सामाजिक प्रभाव।
- वैश्वीकरण (Globalization) का भारतीय समाज पर प्रभाव।
- युवाओं के मुद्दे और आकांक्षाएं।
2.GS पेपर II – शासन और अंतर्राष्ट्रीय संबंध (Governance and International Relations):
- भारत की विदेश नीति और प्रवासी भारतीय (NRI) मामले।
- मानव अधिकार और नागरिकता।
- बहुपक्षीय संबंध और अंतर्राष्ट्रीय समझौते।
3.GS पेपर III – अर्थव्यवस्था (Economy):
- मानव पूंजी का विकास और पलायन।
- आर्थिक विकास और जनसांख्यिकी।
- राजस्व और कर।
- वैश्विक अर्थव्यवस्था और भारतीय अर्थव्यवस्था।
सरकार की भूमिका और उठाए जा सकने वाले कदम (Government’s Role and Possible Steps)
यह एक ऐसी स्थिति है जहां सरकार को सक्रिय भूमिका निभानी होगी। कुछ संभावित कदम इस प्रकार हो सकते हैं:
- रोजगार सृजन: देश के भीतर रोजगार के बेहतर अवसर पैदा करना, विशेष रूप से युवा और कुशल पेशेवरों के लिए।
- शिक्षा और कौशल विकास: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रमों में निवेश बढ़ाना ताकि भारतीय युवा अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हों और देश में ही अवसरों का लाभ उठा सकें।
- व्यापार और नवाचार को बढ़ावा: नवाचार, अनुसंधान और विकास (R&D) के लिए एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र बनाना। स्टार्ट-अप्स और उद्यमियों का समर्थन करना।
- जीवन की गुणवत्ता में सुधार: शहरी नियोजन, स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा और सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में सुधार करके देश में जीवन की समग्र गुणवत्ता को बढ़ाना।
- प्रभावी शासन: भ्रष्टाचार को कम करना, नौकरशाही को सुव्यवस्थित करना और शासन में दक्षता लाना।
- प्रवासी भारतीयों से जुड़ाव: प्रवासी भारतीयों (NRI) के साथ जुड़ाव बनाए रखना और उन्हें भारत में निवेश करने या अपनी विशेषज्ञता साझा करने के लिए प्रोत्साहित करना।
- “भारत में बनें” (Make in India) और “कौशल भारत” (Skill India) जैसे कार्यक्रमों को मजबूत करना: इन पहलों को और अधिक प्रभावी ढंग से लागू करना।
क्या यह भारत के लिए एक ‘खतरा’ है या एक ‘अवसर’? (Is it a ‘Threat’ or an ‘Opportunity’ for India?)
यह एक जटिल प्रश्न है। सीधे तौर पर, इसे मानव पूंजी के नुकसान के रूप में एक ‘खतरा’ माना जा सकता है। हालाँकि, इसे एक ‘अवसर’ के रूप में भी देखा जा सकता है:
- प्रेषण (Remittances): विदेशों में बसे भारतीय महत्वपूर्ण मात्रा में धन भारत भेजते हैं, जो विदेशी मुद्रा भंडार में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
- ज्ञान और कौशल का आदान-प्रदान: जो लोग विदेश जाते हैं, वे अक्सर नई तकनीकें, विचार और सर्वोत्तम प्रथाएं सीखते हैं, जिन्हें वे वापस लौटने पर या अपने संपर्कों के माध्यम से भारत में ला सकते हैं।
- वैश्विक संपर्क: विदेशों में बसे भारतीयों का नेटवर्क भारत के लिए एक मजबूत “सॉफ्ट पावर” और राजनयिक उपकरण के रूप में कार्य कर सकता है।
हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि ‘अवसर’ की ओर झुकाव तब अधिक होगा जब भारत के पास अपनी प्रतिभाओं को वापस आकर्षित करने या उनके ज्ञान का लाभ उठाने के लिए मजबूत तंत्र होंगे।
निष्कर्ष (Conclusion):
2 लाख से अधिक भारतीयों द्वारा नागरिकता छोड़ना निश्चित रूप से एक चिंताजनक प्रवृत्ति है, जो भारत में उपलब्ध अवसरों, जीवन की गुणवत्ता और सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों पर गंभीर सवाल खड़े करती है। जहां एक ओर यह मानव पूंजी के पलायन का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर यह वैश्वीकरण और अवसरों की तलाश का भी परिणाम है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, इस मुद्दे के विभिन्न पहलुओं – आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और जनसांख्यिकीय – को समझना महत्वपूर्ण है। सरकार को इस प्रवृत्ति को संबोधित करने के लिए सक्रिय कदम उठाने होंगे, ताकि भारत अपनी प्रतिभा को बनाए रख सके और देश के विकास में उनका सर्वोत्तम उपयोग कर सके। यह केवल संख्याओं का खेल नहीं है, बल्कि भारत के भविष्य के निर्माण में एक महत्वपूर्ण कारक है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. प्रश्न: हाल के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2024 में कितने भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी?
(a) 1 लाख
(b) 1.5 लाख
(c) 2 लाख
(d) 2.5 लाख
उत्तर: (c) 2 लाख
व्याख्या: लोकसभा में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, 2024 में 2 लाख से अधिक भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी।
2. प्रश्न: 2020 की तुलना में 2024 में नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की संख्या में लगभग कितनी वृद्धि हुई?
(a) डेढ़ गुना
(b) दोगुना
(c) ढाई गुना
(d) तीन गुना
उत्तर: (c) ढाई गुना
व्याख्या: रिपोर्टों के अनुसार, यह संख्या 2020 के मुकाबले लगभग ढाई गुना अधिक है।
3. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा एक कारण है जिसकी वजह से भारतीय नागरिकता छोड़ सकते हैं?
1. बेहतर आर्थिक अवसर
2. उच्च जीवन स्तर
3. बेहतर सामाजिक सुरक्षा
4. राजनीतिक स्थिरता
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: (d) 1, 2, 3 और 4
व्याख्या: आर्थिक अवसर, जीवन स्तर, सामाजिक सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता सभी ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से लोग नागरिकता छोड़ सकते हैं।
4. प्रश्न: भारत में नागरिकता छोड़ने की प्रवृत्ति का निम्नलिखित में से किस पर सीधा प्रभाव पड़ने की संभावना है?
(a) भारत का विदेशी मुद्रा भंडार
(b) भारत की मानव पूंजी
(c) भारत का राजकोषीय घाटा
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: नागरिकता छोड़ने से सीधे तौर पर मानव पूंजी का नुकसान होता है, कर राजस्व कम होता है (राजकोषीय घाटे को प्रभावित करता है) और प्रेषण (remittances) के माध्यम से विदेशी मुद्रा भंडार पर भी प्रभाव पड़ता है।
5. प्रश्न: “मानव पूंजी का पलायन” (Brain Drain) से आप क्या समझते हैं?
(a) भारत से प्राकृतिक संसाधनों का बहिर्वाह।
(b) भारत से कुशल और शिक्षित व्यक्तियों का दूसरे देशों में प्रवास।
(c) भारत से सांस्कृतिक मूल्यों का ह्रास।
(d) भारत से बौद्धिक संपदा का अनधिकृत उपयोग।
उत्तर: (b) भारत से कुशल और शिक्षित व्यक्तियों का दूसरे देशों में प्रवास।
व्याख्या: ब्रेन ड्रेन का अर्थ है देश के सबसे योग्य और प्रतिभाशाली लोगों का दूसरे देशों में जाकर काम करना, जिससे मूल देश को उनकी विशेषज्ञता से वंचित रहना पड़ता है।
6. प्रश्न: आमतौर पर, भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले व्यक्ति किन देशों की नागरिकता प्राप्त करते हैं?
1. संयुक्त राज्य अमेरिका
2. कनाडा
3. ऑस्ट्रेलिया
4. जर्मनी
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: (a) केवल 1, 2 और 3
व्याख्या: अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया प्रमुख गंतव्य हैं, हालांकि जर्मनी और अन्य यूरोपीय देश भी लोकप्रिय हो रहे हैं।
7. प्रश्न: भारत में दोहरी नागरिकता (Dual Citizenship) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. भारत सरकार ओसीआई (Overseas Citizen of India) कार्डधारकों को भारत में दोहरी नागरिकता प्रदान करती है।
2. भारतीय संविधान दोहरी नागरिकता की अनुमति देता है।
उपरोक्त में से कौन सा कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (d) न तो 1 और न ही 2
व्याख्या: भारत ओसीआई कार्ड प्रदान करता है, जो एक विशेष प्रकार की नागरिकता नहीं है, बल्कि यह एक आजीवन वीजा-सह-पहचान पत्र है। भारत विदेशी देशों के साथ दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता है, हालांकि कुछ देशों के साथ विशेष व्यवस्था हो सकती है।
8. प्रश्न: प्रेषण (Remittances) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
(a) प्रेषण उन आय को संदर्भित करता है जो एक देश अपने नागरिकों द्वारा विदेशों में किए गए निवेश से अर्जित करता है।
(b) प्रेषण उन धन को संदर्भित करता है जो एक देश का नागरिक विदेश से अपने देश में भेजता है।
(c) प्रेषण केवल विदेशी कंपनियों द्वारा भारतीय कंपनियों में किए गए निवेश को संदर्भित करता है।
(d) प्रेषण वह कर है जो सरकार विदेशी नागरिकों पर लगाती है।
उत्तर: (b) प्रेषण उन धन को संदर्भित करता है जो एक देश का नागरिक विदेश से अपने देश में भेजता है।
व्याख्या: प्रेषण (Remittances) विदेश में काम करने वाले नागरिकों द्वारा अपने देश में भेजे गए धन को कहते हैं, जो भारत के लिए विदेशी मुद्रा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
9. प्रश्न: “सॉफ्ट पावर” (Soft Power) की अवधारणा किसके द्वारा प्रतिपादित की गई थी?
(a) जॉन मेसन (John Mason)
(b) जोसेफ नाई (Joseph Nye)
(c) रॉबर्ट कोहेन (Robert Keohane)
(d) सैमुअल हंटिंगटन (Samuel Huntington)
उत्तर: (b) जोसेफ नाई (Joseph Nye)
व्याख्या: सॉफ्ट पावर की अवधारणा को हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जोसेफ नाई ने विकसित किया था।
10. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा कार्यक्रम “मेक इन इंडिया” पहल का हिस्सा नहीं है?
(a) कौशल भारत (Skill India)
(b) डिजिटल इंडिया (Digital India)
(c) स्टार्ट-अप इंडिया (Startup India)
(d) राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM)
उत्तर: (d) राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM)
व्याख्या: “मेक इन इंडिया” का उद्देश्य विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना है, जबकि NRLM ग्रामीण आजीविका पर केंद्रित है। कौशल भारत, डिजिटल इंडिया और स्टार्ट-अप इंडिया भी अप्रत्यक्ष रूप से इसे समर्थन देते हैं।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. प्रश्न: हाल के आंकड़ों के अनुसार, भारतीयों द्वारा नागरिकता छोड़ने की बढ़ती प्रवृत्ति के कारणों का विश्लेषण करें। इस प्रवृत्ति के भारत के मानव पूंजी विकास और आर्थिक प्रगति पर पड़ने वाले प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करें। (250 शब्द, 15 अंक)
2. प्रश्न: भारत से प्रतिभा पलायन (Brain Drain) की समस्या एक गंभीर चुनौती है। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार द्वारा उठाए जा सकने वाले सुधारात्मक उपायों की व्याख्या करें, जिसमें घरेलू स्तर पर रोजगार सृजन, शिक्षा प्रणाली में सुधार और नवाचार को बढ़ावा देना शामिल है। (150 शब्द, 10 अंक)
3. प्रश्न: वैश्वीकरण के युग में, नागरिकों की दूसरे देशों में नागरिकता लेने की प्रवृत्ति के बहुआयामी प्रभावों पर चर्चा करें। यह केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य विकासशील देशों के लिए भी प्रासंगिक है। (250 शब्द, 15 अंक)
4. प्रश्न: “सॉफ्ट पावर” के एक तत्व के रूप में प्रवासी भारतीयों (Diaspora) की भूमिका का मूल्यांकन करें। नागरिकता छोड़ने की बढ़ती प्रवृत्ति के बावजूद, भारत अपनी डायस्पोरा के साथ जुड़ाव को मजबूत करके किस प्रकार लाभान्वित हो सकता है? (150 शब्द, 10 अंक)