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15% टैरिफ का ऐलान: अमेरिका-यूरोप के व्यापार में आया नया मोड़ – क्या है इसके मायने?

15% टैरिफ का ऐलान: अमेरिका-यूरोप के व्यापार में आया नया मोड़ – क्या है इसके मायने?

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा की है कि अमेरिका यूरोपीय संघ (EU) पर 15% की टैरिफ (आयात शुल्क) लगाएगा। उन्होंने इस कदम को “सभी के लिए एक अच्छी डील” करार दिया है। यह घोषणा अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच चल रहे व्यापारिक तनाव को और बढ़ा सकती है, जिसके वैश्विक अर्थव्यवस्था पर दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए, इस घटनाक्रम के पीछे के कारणों, इसके प्रभावों और भविष्य की संभावनाओं को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह लेख इस पूरी स्थिति का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जो आपको अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, भू-राजनीति और आर्थिक नीतियों के दृष्टिकोण से इस मुद्दे को समझने में मदद करेगा।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का परिदृश्य अक्सर विभिन्न देशों के बीच समझौते, विवादों और नीतिगत बदलावों से प्रभावित होता रहता है। हालिया अमेरिकी टैरिफ घोषणा, विशेष रूप से यूरोपीय संघ के खिलाफ, वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में एक और महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ती है। जब भी कोई बड़ी अर्थव्यवस्था इस तरह के कदम उठाती है, तो इसके निहितार्थ न केवल सीधे तौर पर शामिल देशों को प्रभावित करते हैं, बल्कि पूरी दुनिया की आपूर्ति श्रृंखलाओं, निवेश प्रवाह और उपभोक्ता कीमतों को भी झकझोर देते हैं। इस विशिष्ट मामले में, राष्ट्रपति ट्रम्प का “सभी के लिए अच्छी डील” वाला बयान, अपने आप में एक विवादास्पद दावा है, जिसे वस्तुनिष्ठ विश्लेषण की आवश्यकता है।

पृष्ठभूमि: टैरिफ युद्ध और अमेरिका की व्यापारिक कूटनीति (Background: Tariff Wars and US Trade Diplomacy)

डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति कार्यकाल की एक पहचान रही है, उनकी आक्रामक व्यापारिक कूटनीति, जिसे अक्सर ‘टैरिफ युद्ध’ के रूप में देखा जाता है। उनका मानना है कि अमेरिका लंबे समय से अनुचित व्यापार प्रथाओं का शिकार रहा है, खासकर उन देशों के साथ जिनके साथ उसका व्यापार घाटा (trade deficit) बड़ा है। इस घाटे को कम करने और अमेरिकी उद्योगों, विशेष रूप से विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए, उन्होंने विभिन्न देशों पर टैरिफ लगाने की रणनीति अपनाई।

“हमारा व्यापार घाटा भारी है और हम इसे ठीक कर रहे हैं। यह डील सभी के लिए अच्छी है।” – राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प

यह कथन, हालांकि, केवल व्यापार घाटे को कम करने की इच्छा से कहीं अधिक जटिलताओं को समेटे हुए है। इसके पीछे कई आर्थिक और राजनीतिक सिद्धांत काम करते हैं:

  • संरक्षणवाद (Protectionism): यह एक ऐसी आर्थिक नीति है जिसमें घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए आयात पर प्रतिबंध या टैरिफ लगाए जाते हैं। ट्रम्प प्रशासन की यह एक प्रमुख नीति रही है।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा तर्क (National Security Argument): कुछ मामलों में, टैरिफ को राष्ट्रीय सुरक्षा के तर्क के साथ जोड़ा जाता है, जैसे कि स्टील और एल्यूमीनियम पर टैरिफ, जिनका उपयोग रक्षा उद्योगों में होता है।
  • मोल-तोल की शक्ति (Bargaining Power): टैरिफ को अक्सर अन्य देशों के साथ व्यापार समझौतों में बेहतर शर्तों के लिए एक मोल-तोल के हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

यूरोपीय संघ के साथ यह टैरिफ की घोषणा कोई अचानक हुई घटना नहीं है। यह कई वर्षों से चल रहे व्यापारिक असंतुलन और विभिन्न क्षेत्रों में अमेरिकी चिंताओं का परिणाम है।

15% टैरिफ का मतलब क्या है? (What Does 15% Tariffs Mean?)

जब कोई देश किसी आयातित वस्तु पर टैरिफ लगाता है, तो इसका सीधा मतलब है कि उस वस्तु की कीमत बढ़ जाती है। यह वृद्धि उस वस्तु पर लगाए गए शुल्क की दर के बराबर होती है। इस मामले में, 15% टैरिफ का मतलब है कि यूरोपीय संघ से आने वाली विशिष्ट वस्तुओं पर 15% अतिरिक्त कर लगाया जाएगा।

यह कैसे काम करता है:

  1. लागत में वृद्धि: यूरोपीय संघ से आयात करने वाले अमेरिकी व्यवसायों को अब अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी।
  2. उपभोक्ताओं पर प्रभाव: ये बढ़ी हुई लागतें अक्सर अंततः उपभोक्ताओं पर डाली जाती हैं, जिससे यूरोपीय उत्पादों की कीमतें बढ़ जाती हैं।
  3. प्रतिस्पर्धात्मकता पर असर: यदि यूरोपीय उत्पादों की कीमतें बढ़ जाती हैं, तो अमेरिकी उपभोक्ता या तो कम खरीदेंगे या फिर घरेलू स्तर पर उत्पादित या अन्य देशों से आयातित सस्ते विकल्पों की ओर बढ़ेंगे।
  4. निर्यातकों पर असर: यूरोपीय संघ के निर्यातक अमेरिकी बाजार में अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता खो सकते हैं।

यह ‘डील’ किसके लिए है?

राष्ट्रपति ट्रम्प का यह दावा कि यह “सभी के लिए अच्छी डील” है, एक विवादास्पद बिंदु है। आइए इसके विभिन्न पहलुओं पर विचार करें:

  • अमेरिकी उत्पादकों के लिए: जो अमेरिकी उद्योग यूरोपीय संघ के समान उत्पाद बनाते हैं, उन्हें इस टैरिफ से फायदा हो सकता है क्योंकि उनके उत्पाद अब अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाएंगे।
  • अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए: यदि टैरिफ के कारण यूरोपीय उत्पाद महंगे हो जाते हैं, तो वे या तो कम खरीदेंगे या अधिक महंगे होने के कारण निराश होंगे। इससे उनके लिए यह “अच्छी डील” नहीं होगी।
  • यूरोपीय संघ के निर्यातकों के लिए: उन्हें निश्चित रूप से नुकसान होगा क्योंकि उनकी बिक्री कम हो सकती है।
  • अमेरिकी सरकार के लिए: टैरिफ से प्राप्त राजस्व सरकार के खजाने में जाता है, लेकिन इसका आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

संक्षेप में, यह “डील” शायद उन विशिष्ट अमेरिकी उद्योगों के लिए अच्छी है जो यूरोपीय प्रतिस्पर्धा से पीड़ित थे, लेकिन उपभोक्ताओं और यूरोपीय निर्यातकों के लिए नहीं।

तैरिफ के पीछे अमेरिका की चिंताएं (US Concerns Behind Tariffs)

यह समझना महत्वपूर्ण है कि ट्रम्प प्रशासन ने यह कदम क्यों उठाया। यूरोपीय संघ के साथ अमेरिका की कई व्यापारिक शिकायतें रही हैं:

  1. व्यापार घाटा (Trade Imbalance): अमेरिका का यूरोपीय संघ के साथ माल के व्यापार में बड़ा घाटा है, जिसका अर्थ है कि अमेरिका यूरोपीय संघ को जितना निर्यात करता है, उससे कहीं अधिक आयात करता है।
  2. गैर-टैरिफ बाधाएं (Non-Tariff Barriers – NTBs): अमेरिकी अधिकारियों का तर्क है कि यूरोपीय संघ कई अमेरिकी उत्पादों पर गैर-टैरिफ बाधाएं लगाता है, जैसे कि कड़े नियामक मानक, प्रमाणीकरण आवश्यकताएं, और सब्सिडी जो यूरोपीय कंपनियों को अनुचित लाभ देती हैं।
  3. डिजिटल सेवाओं पर कर (Digital Services Tax): कुछ यूरोपीय देशों ने बड़ी अमेरिकी टेक कंपनियों पर डिजिटल सेवाओं पर कर लगाने की योजना बनाई है, जिसे अमेरिका अनुचित और भेदभावपूर्ण मानता है।
  4. कृषि उत्पाद (Agricultural Products): अमेरिका यूरोपीय संघ के कृषि बाजारों तक पहुंच को लेकर भी चिंतित रहा है।
  5. सब्सिडी (Subsidies): विमान निर्माण जैसे क्षेत्रों में दी जाने वाली सरकारी सब्सिडी पर भी विवाद रहा है।

ये सभी कारक मिलकर अमेरिका के व्यापारिक असंतोष का कारण बने, जिसके परिणामस्वरूप टैरिफ लगाने की कार्रवाई हुई।

यूरोपीय संघ की प्रतिक्रिया और संभावित परिणाम (EU’s Reaction and Potential Consequences)

ऐतिहासिक रूप से, यूरोपीय संघ ने अमेरिकी टैरिफ के जवाब में जवाबी टैरिफ (retaliatory tariffs) लगाए हैं। यदि यूरोपीय संघ भी जवाबी कार्रवाई करता है, तो यह एक पूर्ण-स्तरीय व्यापार युद्ध का रूप ले सकता है, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं:

  • बढ़ा हुआ व्यापार युद्ध (Escalated Trade War): दोनों पक्ष एक-दूसरे के उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा सकते हैं, जिससे व्यापार की लागत और अनिश्चितता बढ़ जाएगी।
  • वैश्विक आर्थिक मंदी (Global Economic Slowdown): अमेरिका और यूरोपीय संघ दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक शक्तियां हैं। उनके बीच व्यापार युद्ध वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित कर सकता है, निवेश को हतोत्साहित कर सकता है और वैश्विक आर्थिक विकास को धीमा कर सकता है।
  • उच्च मुद्रास्फीति (Higher Inflation): आयातित वस्तुओं के महंगे होने से उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए लागत बढ़ सकती है, जिससे मुद्रास्फीति बढ़ सकती है।
  • अन्य देशों पर प्रभाव: तीसरे देशों को भी अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होना पड़ सकता है, खासकर यदि वे अमेरिका या यूरोपीय संघ के साथ व्यापार पर बहुत अधिक निर्भर हों।
  • विश्व व्यापार संगठन (WTO) पर दबाव: इस तरह के विवाद अक्सर विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसे बहुपक्षीय व्यापार निकायों पर दबाव डालते हैं, जो वैश्विक व्यापार नियमों को लागू करने का प्रयास करते हैं।

यूरोपीय संघ इस मामले में कैसे प्रतिक्रिया करता है, यह महत्वपूर्ण होगा। क्या वे कूटनीतिक रास्ता अपनाएंगे, या जवाबी टैरिफ का सहारा लेंगे, यह देखना बाकी है।

UPSC के दृष्टिकोण से विश्लेषण (Analysis from UPSC Perspective)

UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए, इस घटना का विश्लेषण कई महत्वपूर्ण विषयों को छूता है:

  1. अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र (International Economics): टैरिफ, व्यापार घाटा, संरक्षणवाद, मुक्त व्यापार (free trade), आयात-निर्यात नीतियां, विनिमय दरें (exchange rates)।
  2. भू-राजनीति (Geopolitics): प्रमुख वैश्विक शक्तियों के बीच व्यापारिक संबंध, शक्ति संतुलन, कूटनीति, और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की भूमिका।
  3. समसामयिक मामले (Current Affairs): वैश्विक अर्थव्यवस्था और व्यापार को प्रभावित करने वाली वर्तमान घटनाएं।
  4. प्रशासन और नीति निर्माण (Governance and Policy Making): सरकारें व्यापार नीतियों को कैसे तैयार करती हैं, उनके उद्देश्य क्या होते हैं, और उनके संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं।

विश्लेषणात्मक ढाँचा (Analytical Framework):

  • कारण (Causes): टैरिफ लगाने के पीछे अमेरिका के आर्थिक और राजनीतिक कारण क्या हैं?
  • प्रभाव (Impacts): अमेरिकी अर्थव्यवस्था, यूरोपीय अर्थव्यवस्था, वैश्विक अर्थव्यवस्था, उपभोक्ता, और विभिन्न उद्योगों पर इसके क्या प्रभाव पड़ सकते हैं?
  • वैकल्पिक समाधान (Alternative Solutions): क्या टैरिफ के अलावा कोई अन्य तरीके हो सकते थे जिनसे अमेरिका अपनी चिंताओं को दूर कर सके? (जैसे, वार्ता, अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता, WTO के माध्यम से शिकायतें)।
  • भविष्य की राह (Way Forward): इस मुद्दे को कैसे सुलझाया जा सकता है? भविष्य में अमेरिका-यूरोप व्यापार संबंध कैसे विकसित हो सकते हैं?

केस स्टडी: पिछले टैरिफ युद्धों से सीख (Case Study: Lessons from Past Tariff Wars)

चीन के साथ अमेरिका के टैरिफ युद्ध एक प्रासंगिक केस स्टडी है। उस अनुभव से पता चला है कि:

  • टैरिफ से कुछ घरेलू उद्योगों को अल्पकालिक लाभ मिल सकता है, लेकिन यह अक्सर उपभोक्ताओं और अन्य उद्योगों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • जवाबी टैरिफ निर्यातकों के लिए बड़े नुकसान का कारण बन सकते हैं।
  • व्यापार अनिश्चितता निवेश निर्णयों को प्रभावित करती है।
  • लंबी अवधि में, इस तरह के विवादों का वैश्विक आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

इसलिए, 15% टैरिफ की घोषणा को इसी व्यापक संदर्भ में देखा जाना चाहिए।

निष्कर्ष: एक अनिश्चित भविष्य (Conclusion: An Uncertain Future)

राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा यूरोपीय संघ पर 15% टैरिफ लगाने की घोषणा निश्चित रूप से वैश्विक व्यापार संबंधों में एक महत्वपूर्ण घटना है। जबकि उनका दावा है कि यह “सभी के लिए अच्छी डील” है, वास्तविक प्रभाव बहुत अधिक जटिल और विवादास्पद होने की संभावना है। यह कदम संरक्षणवादी प्रवृत्तियों को बढ़ावा दे सकता है और वैश्विक व्यापार व्यवस्था के लिए अनिश्चितता बढ़ा सकता है।

UPSC उम्मीदवारों को इस घटना को केवल एक समाचार के रूप में नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, भू-राजनीति और आर्थिक नीति के एक बड़े चित्र के हिस्से के रूप में देखना चाहिए। इसके कारणों, प्रभावों और संभावित भविष्य की दिशाओं का गहन विश्लेषण, आपको परीक्षा में एक मजबूत विश्लेषणात्मक क्षमता प्रदर्शित करने में मदद करेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि यूरोपीय संघ कैसे प्रतिक्रिया करता है और क्या यह “डील” वास्तव में किसी के लिए भी “अच्छी” साबित होती है या यह केवल एक और व्यापारिक संघर्ष की शुरुआत है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. हालिया घोषणा के अनुसार, अमेरिका ने यूरोपीय संघ पर कितने प्रतिशत टैरिफ लगाने की बात कही है?

a) 5%

b) 10%

c) 15%

d) 20%

उत्तर: c) 15%

व्याख्या: राष्ट्रपति ट्रम्प ने यूरोपीय संघ पर 15% टैरिफ लगाने की घोषणा की है।

2. “टैरिफ” (Tariff) का क्या अर्थ है?

a) आयातित वस्तुओं पर लगाया जाने वाला कर

b) घरेलू वस्तुओं पर लगाया जाने वाला कर

c) निर्यातित वस्तुओं पर लगाया जाने वाला कर

d) सेवाओं पर लगाया जाने वाला कर

उत्तर: a) आयातित वस्तुओं पर लगाया जाने वाला कर

व्याख्या: टैरिफ आयात पर लगाए जाने वाले कर या शुल्क होते हैं, जिनका उद्देश्य विदेशी उत्पादों को महंगा बनाकर घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना होता है।

3. अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा संरक्षणवादी (Protectionist) नीतियों को अपनाने का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?

a) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देना

b) घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना

c) मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना

d) विदेशी निवेश को आकर्षित करना

उत्तर: b) घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना

व्याख्या: संरक्षणवाद का मुख्य लक्ष्य घरेलू उद्योगों को आयातित वस्तुओं से होने वाली प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए उन पर शुल्क या अन्य प्रतिबंध लगाना है।

4. “व्यापार घाटा” (Trade Deficit) की स्थिति कब उत्पन्न होती है?

a) जब किसी देश का निर्यात उसके आयात से अधिक हो

b) जब किसी देश का आयात उसके निर्यात से अधिक हो

c) जब किसी देश का निर्यात और आयात बराबर हो

d) जब किसी देश का व्यापार संतुलन सकारात्मक हो

उत्तर: b) जब किसी देश का आयात उसके निर्यात से अधिक हो

व्याख्या: व्यापार घाटा तब होता है जब एक देश द्वारा आयात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य, उसी अवधि में निर्यात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य से अधिक होता है।

5. निम्नलिखित में से कौन सी अमेरिका की यूरोपीय संघ के खिलाफ व्यापारिक चिंताओं में शामिल नहीं थी?

a) गैर-टैरिफ बाधाएं

b) डिजिटल सेवाओं पर कर

c) अमेरिकी डॉलर का अवमूल्यन

d) कृषि बाजारों तक पहुंच

उत्तर: c) अमेरिकी डॉलर का अवमूल्यन

व्याख्या: अमेरिकी डॉलर का अवमूल्यन (devaluation) या अधिमूल्यन (overvaluation) व्यापार पर प्रभाव डालता है, लेकिन यह ईयू के खिलाफ अमेरिका की विशिष्ट शिकायत सूची में प्रमुखता से शामिल नहीं रहा, जबकि अन्य विकल्प (NTBs, डिजिटल टैक्स, कृषि पहुंच) रहे हैं।

6. “जवाबी टैरिफ” (Retaliatory Tariffs) का क्या तात्पर्य है?

a) घरेलू उद्योगों को बचाने के लिए लगाए गए टैरिफ

b) निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी

c) किसी देश द्वारा दूसरे देश द्वारा लगाए गए टैरिफ के जवाब में लगाए गए टैरिफ

d) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संगठनों द्वारा लगाए गए टैरिफ

उत्तर: c) किसी देश द्वारा दूसरे देश द्वारा लगाए गए टैरिफ के जवाब में लगाए गए टैरिफ

व्याख्या: जब एक देश दूसरे देश द्वारा लगाए गए टैरिफ पर प्रतिक्रिया के रूप में अपने स्वयं के टैरिफ लगाता है, तो उसे जवाबी टैरिफ कहा जाता है।

7. वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (Global Supply Chain) पर टैरिफ युद्धों का क्या प्रभाव पड़ सकता है?

a) दक्षता में वृद्धि

b) लागत में कमी

c) अनिश्चितता और व्यवधान

d) निवेश में वृद्धि

उत्तर: c) अनिश्चितता और व्यवधान

व्याख्या: टैरिफ युद्ध आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित करते हैं, लागत बढ़ाते हैं और अनिश्चितता पैदा करते हैं, जिससे व्यवसायों के लिए योजना बनाना मुश्किल हो जाता है।

8. निम्नलिखित में से कौन सी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के संबंध में “गैर-टैरिफ बाधा” (Non-Tariff Barrier – NTB) का उदाहरण है?

a) आयात पर 10% शुल्क

b) आयातित वस्तुओं पर कोटा (Quota)

c) कड़े गुणवत्ता मानक

d) दोनों b और c

उत्तर: d) दोनों b और c

व्याख्या: कोटा (वस्तुओं की मात्रा पर प्रतिबंध) और कड़े नियामक या गुणवत्ता मानक, ये दोनों ही गैर-टैरिफ बाधाएं हैं जो आयात को सीमित कर सकती हैं।

9. विश्व व्यापार संगठन (WTO) का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?

a) संरक्षणवादी नीतियों को बढ़ावा देना

b) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुगम बनाना और मुक्त करना

c) देशों के बीच व्यापार घाटे को बढ़ाना

d) राष्ट्रीय मुद्राओं के विनिमय दर को नियंत्रित करना

उत्तर: b) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुगम बनाना और मुक्त करना

व्याख्या: WTO वैश्विक व्यापार के नियमों को निर्धारित करता है और सदस्य देशों के बीच व्यापार को सुचारू, अनुमानित और मुक्त बनाने का प्रयास करता है।

10. टैरिफ के कारण निम्नलिखित में से किस पर सबसे सीधा नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है?

a) घरेलू उत्पादक जो आयातित वस्तुएं बनाते हैं

b) यूरोपीय संघ के निर्यातक जो अमेरिकी बाजार में बेचते हैं

c) अमेरिकी उपभोक्ता जो महंगी यूरोपीय वस्तुएं खरीदते हैं

d) उपरोक्त सभी

उत्तर: d) उपरोक्त सभी

व्याख्या: हालांकि कुछ घरेलू उत्पादकों को लाभ हो सकता है, यूरोपीय निर्यातक और अमेरिकी उपभोक्ता जो महंगी वस्तुएं खरीदते हैं, वे टैरिफ से सीधे तौर पर नकारात्मक रूप से प्रभावित होते हैं।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन की “टैरिफ युद्ध” की नीति की व्याख्या करें। अमेरिका द्वारा यूरोपीय संघ पर 15% टैरिफ लगाने के पीछे के कारणों और संभावित आर्थिक व भू-राजनीतिक प्रभावों का विश्लेषण करें।

2. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में संरक्षणवाद (Protectionism) और मुक्त व्यापार (Free Trade) के बीच के द्वंद्व पर चर्चा करें। अमेरिकी टैरिफ नीतियों को संरक्षणवाद के एक रूप के रूप में देखें और इसके वैश्विक व्यापार व्यवस्था पर पड़ने वाले संभावित परिणामों का मूल्यांकन करें।

3. “यह सभी के लिए एक अच्छी डील है” – राष्ट्रपति ट्रम्प के इस कथन का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें, जो यूरोपीय संघ पर 15% टैरिफ लगाने की घोषणा से संबंधित है। टैरिफ के विभिन्न हितधारकों (जैसे, उपभोक्ता, उत्पादक, सरकार) पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण करें।

4. वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं (Global Supply Chains) क्या हैं और वे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से कैसे जुड़ी हैं? अमेरिका-यूरोप व्यापार तनाव और संभावित टैरिफ, इन वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को कैसे प्रभावित कर सकते हैं, विस्तार से बताएं।

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