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₹35 लाख का IVF बच्चा: ₹90,000 में खरीदा, कैसे एक क्लिनिक ने नवजात शिशुओं को “बेचा”?

₹35 लाख का IVF बच्चा: ₹90,000 में खरीदा, कैसे एक क्लिनिक ने नवजात शिशुओं को “बेचा”?

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है जहाँ एक IVF क्लिनिक पर गंभीर आरोप लगे हैं। खबरों के अनुसार, क्लिनिक ने ₹90,000 में खरीदे गए नवजात शिशुओं को ₹35 लाख तक में बेचने का काम किया। यह मामला सिर्फ एक क्लिनिक की धांधली का नहीं, बल्कि भारत में सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (ART), सरोगेसी (Surrogacy) और अंग-प्रत्यारोपण (Organ Trafficking) जैसे संवेदनशील मुद्दों की जटिलताओं को भी उजागर करता है। यह घटना उन कमजोरियों को भी दर्शाती है जिनका अवैध कारोबार फायदा उठा सकते हैं। UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से, यह विषय हमारे समाज, नैतिकता, कानून और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े कई महत्वपूर्ण पहलुओं को छूता है।

यह ब्लॉग पोस्ट इस घटना की तह तक जाने, इससे जुड़े कानूनी और नैतिक पहलुओं को समझने और UPSC परीक्षा के लिए आवश्यक ज्ञान प्रदान करने का एक प्रयास है।

गर्भ से बाज़ार तक: ₹90,000 से ₹35 लाख तक का सफ़र

कल्पना कीजिए, एक निर्दोष नवजात शिशु, जिसे जीवन की शुरुआत करनी है, उसे एक वस्तु की तरह खरीदा और बेचा जा रहा है। यह भयानक सच्चाई हालिया खुलासे से सामने आई है। एक IVF क्लिनिक, जो जीवन के सृजन का पवित्र कार्य करता है, उसी स्थान पर जीवन के इस अनमोल उपहार को अवैध तरीके से बेच रहा था।

घटना का विवरण (Details of the Incident):**

  • प्रारंभिक खरीद: आरोप है कि नवजात शिशुओं को बहुत कम कीमत, लगभग ₹90,000 में खरीदा जाता था। यह राशि अक्सर उन माताओं को दी जाती थी जो आर्थिक रूप से कमजोर होती हैं या जिन्हें किसी प्रकार के मजबूरी का सामना करना पड़ता है।
  • “IVF बेबी” के रूप में बिक्री: इन बच्चों को फिर “IVF बेबी” के रूप में विपणन (marketed) किया जाता था, जिसमें उच्च दरें चार्ज की जाती थीं। कीमतें ₹35 लाख तक बताई जा रही हैं। यह एक क्रूर मजाक है, क्योंकि यह बच्चा वास्तव में किसी अन्य दंपति की कोख से पैदा हुआ है, न कि IVF प्रक्रिया से।
  • पारदर्शिता की कमी: इस पूरे खेल में पारदर्शिता का पूर्ण अभाव था। खरीदार परिवारों को बच्चे की वास्तविक उत्पत्ति के बारे में अंधेरे में रखा जाता था।
  • नवजात शिशुओं का “दे देना”: “दे देना” शब्द का प्रयोग यह दर्शाता है कि क्लिनिक ने इन बच्चों को केवल सौंप दिया, जैसे वे कोई सामान्य सामान हों।

यह घटना हमारे समाज की सबसे गहरी चिंताओं को दर्शाती है: कमजोर वर्गों का शोषण, नैतिक पतन, और स्वास्थ्य सेवाओं में व्याप्त कालाबाजारी।

IVF, सरोगेसी और संबंधित कानून: एक सिंहावलोकन

इस घटना को समझने के लिए, हमें सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (ART) और सरोगेसी से संबंधित कानूनी ढांचे को समझना होगा।

सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (Assisted Reproductive Technology – ART)

ART, इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF), गेमेट इंट्रैफेलोपियन ट्रांसफर (GIFT), जाइगोट इंट्रैफेलोपियन ट्रांसफर (ZIFT) जैसी तकनीकों को संदर्भित करता है, जो उन जोड़ों की मदद करती हैं जो स्वाभाविक रूप से संतान पैदा करने में असमर्थ हैं। भारत में, ART को विनियमित करने के लिए ART (विनियमन) अधिनियम, 2021 लागू है।

ART (विनियमन) अधिनियम, 2021 के मुख्य प्रावधान:

  • पंजीकरण: सभी ART बैंकों और सरोगेसी क्लीनिकों को अनिवार्य रूप से केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा अधिकृत बोर्ड के साथ पंजीकृत होना होगा।
  • नैतिकता: अधिनियम ART सेवाओं के उपयोग में नैतिक मानकों पर जोर देता है, जिसमें दाता (donor) की पहचान की गोपनीयता और सरोगेसी की वाणिज्यिक प्रकृति पर प्रतिबंध शामिल है।
  • माता-पिता का अधिकार: ART सेवाओं का उपयोग करने वाले जोड़ों को बच्चे के कानूनी माता-पिता के रूप में मान्यता दी जाती है।

सरोगेसी (Surrogacy)

सरोगेसी एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें एक महिला (सरोगेट माँ) किसी अन्य व्यक्ति या जोड़े (इच्छुक माता-पिता) के लिए गर्भधारण करती है और बच्चे को जन्म देती है। भारत में, पहले वाणिज्यिक सरोगेसी की अनुमति थी, लेकिन इससे जुड़े कई दुरुपयोगों को देखते हुए, सरकार ने सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 पारित किया।

सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 के मुख्य प्रावधान:

  • प्रतिबंधित सरोगेसी: अब केवल “परोपकारी सरोगेसी” (Altruistic Surrogacy) की अनुमति है, जिसका अर्थ है कि सरोगेट माँ को बच्चे को जन्म देने के लिए कोई वित्तीय लाभ (monetary benefit) नहीं मिलेगा। केवल चिकित्सा व्यय और बीमा जैसी आवश्यक लागतों को कवर किया जा सकता है।
  • पात्रता: केवल विवाहित भारतीय जोड़े (कम से कम 5 साल की शादी) और जिनके बच्चे नहीं हैं, वे ही सरोगेसी का सहारा ले सकते हैं। सरोगेट माँ भी विवाहित भारतीय महिला होनी चाहिए, जिसने स्वयं कम से कम एक बच्चा पैदा किया हो, और वह 25-35 वर्ष की आयु के बीच हो।
  • अवैधता: वाणिज्यिक सरोगेसी, सरोगेट माँ के लिए मौद्रिक लाभ, और सरोगेसी के माध्यम से बच्चों की खरीद-फरोख्त अब एक दंडनीय अपराध है।

यह घटना क्यों गंभीर है? (Why is this Incident Serious?)

यह मामला कई स्तरों पर चिंताजनक है:

  1. मानव तस्करी का रूप: बच्चों को वस्तु की तरह खरीदना और बेचना मानव तस्करी के सबसे जघन्य रूपों में से एक है। यह उन माताओं के मजबूरी का फायदा उठाना है जो जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रही हैं।
  2. बच्चों के अधिकार का उल्लंघन: ऐसे कृत्यों से बच्चों के मूल अधिकारों, जैसे कि पहचान का अधिकार, सुरक्षित वातावरण में पलने का अधिकार, और अपने जैविक माता-पिता को जानने का अधिकार, का घोर उल्लंघन होता है।
  3. कानून का उल्लंघन: सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 और ART (विनियमन) अधिनियम, 2021 का सीधा उल्लंघन है। यह दिखाता है कि कैसे दुर्भावनापूर्ण तत्व कानूनों की खामियों का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं।
  4. नैतिक पतन: एक मेडिकल क्लिनिक का ऐसी गतिविधियों में शामिल होना चिकित्सा पेशे के नैतिक मूल्यों का अपमान है। यह स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर जनता के विश्वास को कम करता है।
  5. नकली IVF बच्चा: “IVF बच्चे” के रूप में बेचना एक धोखाधड़ी है। यह उन वास्तविक जोड़ों के लिए अपमानजनक है जो IVF के माध्यम से माता-पिता बनने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

उपमा: कल्पना कीजिए कि एक डॉक्टर जो बीमारियों का इलाज करता है, वही व्यक्ति बीमारी फैलाने का काम करने लगे। यह वैसा ही है, जहाँ जीवन का सृजन करने वाली जगह जीवन को बेचने का अड्डा बन गई।

घटना के पीछे की संभावित परिस्थितियाँ (Potential Circumstances Behind the Incident)

यह समझना महत्वपूर्ण है कि ऐसी घटनाएँ किस प्रकार की परिस्थितियाँ पैदा कर सकती हैं:

  • आर्थिक दबाव: गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर महिलाएं अक्सर प्रलोभन या मजबूरी में ऐसे रास्तों पर जा सकती हैं। उन्हें थोड़ी सी राशि के बदले अपने बच्चे को सौंपने के लिए मजबूर किया जा सकता है।
  • मांग और आपूर्ति का दुरुपयोग: जिन जोड़ों को बच्चा चाहिए लेकिन वे प्राकृतिक रूप से माता-पिता नहीं बन सकते, उनमें से कुछ अनैतिक रास्ते अपना सकते हैं, जिससे ऐसे रैकेट को बढ़ावा मिलता है।
  • कानूनी खामियां और प्रवर्तन में कमी: यद्यपि कानून मौजूद हैं, लेकिन उनके प्रवर्तन में खामियां हो सकती हैं, जिससे ऐसे अवैध कार्यों को पनपने का अवसर मिलता है।
  • “ब्लैक मार्केट” का उदय: किसी भी सेवा या वस्तु की जब अवैध मांग होती है, तो एक “ब्लैक मार्केट” उसका लाभ उठाता है। इस मामले में, बच्चों को वस्तु की तरह बेचा जा रहा था।

नैतिक और सामाजिक आयाम (Ethical and Social Dimensions)

यह मामला कई नैतिक और सामाजिक सवालों को खड़ा करता है:

“क्या हम जीवन को एक वस्तु की तरह बेच सकते हैं? क्या हम किसी बच्चे के जन्म को एक व्यापारिक सौदे का हिस्सा बना सकते हैं?”

  • माँ का अधिकार: जन्म देने वाली माँ के अधिकार और उसकी परिस्थितियों को कैसे संबोधित किया जाना चाहिए? क्या उसे बच्चे के भविष्य के बारे में सूचित किया जाना चाहिए?
  • बच्चे का कल्याण: बच्चे का सर्वोत्तम हित सर्वोपरि होना चाहिए। उसे ऐसे रैकेट में फंसाना उसके भविष्य के लिए गंभीर खतरा है।
  • समाज की जिम्मेदारी: समाज की क्या जिम्मेदारी है कि वह ऐसी कमजोरियों को दूर करे और ऐसी घटनाओं को होने से रोके?
  • चिकित्सा नैतिकता: स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए क्या नैतिक दायित्व हैं? वे जीवन बचाने के लिए हैं, न कि उसे बेचने के लिए।

क्या कदम उठाए जाने चाहिए? (What Steps Should Be Taken?)

इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है:

1. कानूनी और नियामक उपाय (Legal and Regulatory Measures)

  • कठोर प्रवर्तन: ART (विनियमन) अधिनियम, 2021 और सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 का सख्त प्रवर्तन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
  • निगरानी और ऑडिट: सभी ART क्लीनिकों और अस्पतालों की नियमित और अप्रत्याशित निगरानी (surveillance) और ऑडिट (audit) होनी चाहिए।
  • सजा का प्रावधान: ऐसे अपराधों के लिए कठोर दंड का प्रावधान होना चाहिए, जिसमें लाइसेंस रद्द करना और भारी जुर्माना शामिल हो, ताकि कोई भी ऐसी गतिविधियों में शामिल होने का साहस न करे।
  • अंग-प्रत्यारोपण कानूनों को मजबूत करना: यदि यह केवल बच्चों के अंग-प्रत्यारोपण से जुड़ा मामला नहीं है, तो संबंधित कानूनों को भी मजबूत करने की आवश्यकता है।

2. सामाजिक और आर्थिक उपाय (Social and Economic Measures)

  • गरीबी उन्मूलन: आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने और गरीबी कम करने के लिए योजनाएं शुरू की जानी चाहिए ताकि वे ऐसे प्रलोभनों का शिकार न हों।
  • जागरूकता अभियान: ART, सरोगेसी और मानव तस्करी के खतरों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाई जानी चाहिए।
  • सुरक्षित विकल्प: जिन माताओं को अपने नवजात शिशुओं को सौंपना पड़ता है, उनके लिए सुरक्षित और कानूनी विकल्प (जैसे दत्तक ग्रहण प्रक्रिया को सुगम बनाना) प्रदान किए जाने चाहिए।

3. स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में सुधार (Improvements in Healthcare System)

  • नैतिक प्रशिक्षण: स्वास्थ्य पेशेवरों को चिकित्सा नैतिकता पर नियमित प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए।
  • पारदर्शिता: ART प्रक्रियाओं और सरोगेसी में अधिक पारदर्शिता लाई जानी चाहिए।
  • विनियमित दाता पहचान: दाताओं की पहचान को सुरक्षित रखते हुए एक विनियमित प्रणाली बनाई जानी चाहिए।

UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता (Relevance for UPSC Exam)

यह विषय UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न पहलुओं से जुड़ा हुआ है:

  • GS-I: समाज में महिलाओं की भूमिका, सामाजिक मुद्दे, सामाजिक न्याय।
  • GS-II: स्वास्थ्य, सरकारी नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में हस्तक्षेप, कानून और सुरक्षा।
  • GS-III: अर्थव्यवस्था (अनैतिक प्रथाओं से अर्थव्यवस्था पर प्रभाव), आंतरिक सुरक्षा (मानव तस्करी), विज्ञान और प्रौद्योगिकी (ART)।
  • GS-IV: नैतिकता, सत्यनिष्ठा और योग्यता (Probity)। यह विषय सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी और नैतिकता की आवश्यकता को उजागर करता है।

UPSC के लिए कैसे तैयारी करें:

1. घटनाओं को समझें: सबसे पहले, घटना के मूल तथ्यों और इससे जुड़े कानूनों (ART अधिनियम, सरोगेसी अधिनियम) को समझें।

2. जुड़े मुद्दों को पहचानें: मानव तस्करी, बाल अधिकार, महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य सेवाओं में भ्रष्टाचार, नैतिक दुविधाएं, सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों को जोड़ें।

3. सरकारी नीतियों का विश्लेषण करें: ART और सरोगेसी से संबंधित सरकारी नीतियों, कानूनों और उनके कार्यान्वयन की प्रभावशीलता का विश्लेषण करें।

4. समाधान-उन्मुख बनें: केवल समस्या बताने के बजाय, सुझाए गए या संभावित समाधानों पर ध्यान केंद्रित करें।

5. नैतिक आयामों पर विचार करें: प्रत्येक मुद्दे के नैतिक निहितार्थों पर विचार करना महत्वपूर्ण है, खासकर GS-IV के लिए।

आगे की राह (Way Forward)

यह घटना एक वेक-अप कॉल है। यह हमें याद दिलाती है कि हमारे समाज में अभी भी ऐसे अंधेरे कोने हैं जहाँ मानवता की गरिमा को रौंदा जा सकता है। सरकार, समाज और हर नागरिक को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि:

  • कानून का राज कायम रहे।
  • कमजोर वर्ग शोषित न हों।
  • बच्चों के अधिकार सुरक्षित रहें।
  • स्वास्थ्य सेवाएं नैतिकता के उच्च मानकों पर चलें।

यह केवल एक खबर नहीं है, यह हमारे समाज के नैतिक कंपास पर एक प्रश्नचिन्ह है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम जीवन के सृजन को गरिमा और सम्मान के साथ देखें, न कि उसे लाभ कमाने के एक तरीके के रूप में।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न 1: हाल ही में चर्चा में रही घटना किस अधिनियम के उल्लंघन की ओर इशारा करती है?
    1. भ्रूण लिंग निर्धारण प्रतिबंध अधिनियम, 1994
    2. सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021
    3. भारतीय दंड संहिता, 1860
    4. अवैध मानव अंग प्रत्यारोपण (निषेध) अधिनियम, 1994

    उत्तर: B
    व्याख्या: घटना नवजात शिशुओं की खरीद-फरोख्त से जुड़ी है, जो सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 के तहत वाणिज्यिक सरोगेसी को प्रतिबंधित करता है और मानव तस्करी के समान है।

  2. प्रश्न 2: सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 के अनुसार, अब किस प्रकार की सरोगेसी की अनुमति है?
    1. वाणिज्यिक सरोगेसी
    2. परोपकारी सरोगेसी
    3. दोनों A और B
    4. इनमें से कोई नहीं

    उत्तर: B
    व्याख्या: अधिनियम केवल “परोपकारी सरोगेसी” की अनुमति देता है, जहाँ सरोगेट माँ को कोई वित्तीय लाभ नहीं मिलता।

  3. प्रश्न 3: ART (विनियमन) अधिनियम, 2021 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    1. केवल IVF तकनीकों को बढ़ावा देना
    2. ART सेवाओं के उपयोग में नैतिक मानकों को विनियमित करना
    3. सरोगेट माताओं के अधिकारों की रक्षा करना
    4. सरोगेसी को पूर्णतः प्रतिबंधित करना

    उत्तर: B
    व्याख्या: ART (विनियमन) अधिनियम, 2021 का उद्देश्य IVF और अन्य सहायक प्रजनन तकनीकों के क्षेत्र में नैतिक मानकों को स्थापित करना और विनियमित करना है।

  4. प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा एक “मानव तस्करी” का हिस्सा हो सकता है?
    1. बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया
    2. किसी व्यक्ति की इच्छा के विरुद्ध उसे काम करवाना
    3. सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (ART) का उपयोग
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: B
    व्याख्या: मानव तस्करी का अर्थ है शोषण के उद्देश्य से लोगों की खरीद-फरोख्त। जबरन श्रम मानव तस्करी का एक रूप है।

  5. प्रश्न 5: सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 के अनुसार, सरोगेट माँ बनने के लिए सामान्य आयु सीमा क्या है?
    1. 21-30 वर्ष
    2. 25-35 वर्ष
    3. 30-40 वर्ष
    4. 18-25 वर्ष

    उत्तर: B
    व्याख्या: अधिनियम में सरोगेट माँ के लिए 25-35 वर्ष की आयु सीमा निर्धारित की गई है।

  6. प्रश्न 6: हालिया घटना में “IVF बच्चा” के रूप में बेचने का क्या अर्थ हो सकता है?
    1. वास्तव में IVF तकनीक से पैदा हुआ बच्चा
    2. किसी अन्य महिला द्वारा जन्म दिए गए बच्चे को IVF प्रक्रिया से जुड़ा बताकर बेचना
    3. गोद लिए गए बच्चे को IVF बच्चा बताना
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: B
    व्याख्या: घटना के संदर्भ में, इसका मतलब है कि बच्चा वास्तव में IVF से नहीं, बल्कि किसी और तरीके से पैदा हुआ था, जिसे धोखाधड़ी से IVF बच्चा बताया गया।

  7. प्रश्न 7: “परोपकारी सरोगेसी” (Altruistic Surrogacy) का क्या अर्थ है?
    1. सरोगेट माँ को बच्चे के बदले पैसे मिलते हैं।
    2. सरोगेट माँ को केवल चिकित्सा व्यय और बीमा मिलता है।
    3. सरोगेसी प्रक्रिया पूरी तरह से मुफ्त होती है।
    4. सरोगेट माँ बच्चे को पालने की जिम्मेदारी लेती है।

    उत्तर: B
    व्याख्या: परोपकारी सरोगेसी में, सरोगेट माँ को कोई मौद्रिक लाभ नहीं होता, केवल आवश्यक खर्चे पूरे किए जाते हैं।

  8. प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ART (विनियमन) अधिनियम, 2021 के तहत ART बैंकों और क्लीनिकों के पंजीकरण के लिए अधिकृत हो सकती है?
    1. भारतीय मेडिकल एसोसिएशन (IMA)
    2. राज्य सरकार या केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत बोर्ड
    3. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)
    4. राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA)

    उत्तर: B
    व्याख्या: अधिनियम के तहत, केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा अधिकृत बोर्डों को ART बैंकों और क्लीनिकों को पंजीकृत करने का अधिकार है।

  9. प्रश्न 9: सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 के तहत, निम्नलिखित में से कौन सरोगेसी के लिए पात्र हो सकते हैं?
    1. कोई भी अकेला व्यक्ति
    2. अविवाहित जोड़े
    3. कम से कम 5 साल की शादी वाले विवाहित भारतीय जोड़े जिनके कोई बच्चा नहीं है
    4. समलैंगिक जोड़े

    उत्तर: C
    व्याख्या: अधिनियम के तहत, केवल विवाहित भारतीय जोड़े (कम से कम 5 साल की शादी) और जिनके कोई बच्चे नहीं हैं, वे ही सरोगेसी का सहारा ले सकते हैं।

  10. प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सा कथन “मानव गरिमा” के उल्लंघन से संबंधित है?
    1. किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध काम करवाना।
    2. किसी बच्चे को वस्तु की तरह खरीदना या बेचना।
    3. किसी व्यक्ति की निजता का हनन करना।
    4. उपरोक्त सभी।

    उत्तर: D
    व्याख्या: उपरोक्त सभी गतिविधियाँ मानव गरिमा के उल्लंघन की श्रेणी में आती हैं।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न 1: हाल ही में सामने आई नवजात शिशुओं की खरीद-फरोख्त की घटना, भारत में सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (ART) और सरोगेसी से जुड़े नियामक ढांचे की कमजोरियों को उजागर करती है। सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 और ART (विनियमन) अधिनियम, 2021 के प्रावधानों का विश्लेषण करते हुए, इस तरह के अवैध कृत्यों को रोकने के लिए सुधारात्मक उपायों पर चर्चा करें। (250 शब्द, 15 अंक)
  2. प्रश्न 2: “बच्चों को वस्तु की तरह खरीदना और बेचना” मानव तस्करी का एक घृणित रूप है। इस संदर्भ में, भारत में बाल संरक्षण कानूनों के कार्यान्वयन की चुनौतियों और बच्चे के सर्वोत्तम हित (best interest of the child) को सुनिश्चित करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। (150 शब्द, 10 अंक)
  3. प्रश्न 3: स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में नैतिकता का पतन गंभीर सामाजिक समस्याएं पैदा करता है। हालिया IVF क्लिनिक मामले के प्रकाश में, चिकित्सा पेशे के लिए नैतिक दिशानिर्देशों के महत्व पर प्रकाश डालें और यह सुनिश्चित करने के लिए क्या तंत्र होने चाहिए कि पेशेवर नैतिकता का पालन किया जाए। (250 शब्द, 15 अंक)
  4. प्रश्न 4: भारत में सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकियों (ART) की बढ़ती मांग और सरोगेसी के विनियमन से संबंधित सामाजिक-आर्थिक और नैतिक मुद्दे क्या हैं? इन मुद्दों को संतुलित करने के लिए सरकार द्वारा की गई पहल और उनकी प्रभावशीलता पर टिप्पणी करें। (150 शब्द, 10 अंक)

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