हीरों के विज्ञान के अनमोल प्रश्न: सामान्य विज्ञान की तैयारी को निखारें
परिचय: नमस्कार, भावी सरकारी अधिकारियों! प्रतियोगी परीक्षाओं की दुनिया में, सामान्य विज्ञान एक महत्वपूर्ण स्तंभ है जो आपके चयन की संभावनाओं को बढ़ा सकता है। भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान के सिद्धांतों को समझना, विशेष रूप से वर्तमान घटनाओं से जुड़े विषयों में, आपकी तैयारी को एक नया आयाम देता है। आज हम “Doubling Down on Diamond” शीर्षक के संकेत पर आधारित, इन तीनों विषयों के 25 महत्वपूर्ण बहुविकल्पीय प्रश्नों (MCQs) के साथ आपकी ज्ञान की गहराई को परखेंगे और परीक्षा की तैयारी को और भी मजबूत करेंगे।
सामान्य विज्ञान अभ्यास प्रश्न (General Science Practice MCQs)
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हीरे का सबसे कठोर रूप किस कारण होता है?
- (a) इसमें आयनिक बंध होते हैं
- (b) इसमें धात्विक बंध होते हैं
- (c) इसमें सहसंयोजक बंध होते हैं
- (d) इसमें हाइड्रोजन बंध होते हैं
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): क्रिस्टल जालक में परमाणुओं के बीच बंधों की प्रकृति पदार्थ की कठोरता को निर्धारित करती है।
व्याख्या (Explanation): हीरा कार्बन परमाणुओं का एक क्रिस्टलीय रूप है, जहाँ प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य कार्बन परमाणुओं से सहसंयोजक बंधों (covalent bonds) द्वारा दृढ़ता से जुड़ा होता है। ये सहसंयोजक बंध अत्यधिक मजबूत होते हैं, जिससे एक त्रि-आयामी (3D) नेटवर्क संरचना बनती है। इस मजबूत सहसंयोजक नेटवर्क के कारण ही हीरा प्रकृति का सबसे कठोर ज्ञात पदार्थ है। आयनिक, धात्विक और हाइड्रोजन बंधों की तुलना में सहसंयोजक बंध बहुत अधिक ऊर्जा की मांग करते हैं तोड़ने के लिए, जो हीरे की असाधारण कठोरता का मुख्य कारण है।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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हीरे की चमक का मुख्य कारण क्या है?
- (a) इसकी उच्च अपवर्तनांक (high refractive index)
- (b) इसकी कम अपवर्तनांक (low refractive index)
- (c) प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन (total internal reflection)
- (d) प्रकाश का विवर्तन (diffraction)
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): प्रकाशिकी में, पूर्ण आंतरिक परावर्तन तब होता है जब प्रकाश सघन माध्यम से विरल माध्यम में क्रांतिक कोण (critical angle) से बड़े कोण पर आपतित होता है।
व्याख्या (Explanation): हीरे की एक अनूठी विशेषता उसका उच्च अपवर्तनांक (लगभग 2.42) है। जब प्रकाश हीरे में प्रवेश करता है, तो यह काफी मुड़ जाता है। इसके अलावा, हीरे को इस तरह से काटा जाता है कि इसके भीतर प्रवेश करने वाली अधिकांश प्रकाश किरणें पूर्ण आंतरिक परावर्तन से गुजरती हैं। इसका मतलब है कि प्रकाश हीरे से बाहर निकलने से पहले कई बार आंतरिक रूप से परावर्तित होता है, जिससे उसकी चमक और ‘दमक’ (fire) बढ़ जाती है। यह घटना तब होती है जब प्रकाश हीरे के अंदर सघन माध्यम से बाहर हवा (विरल माध्यम) में क्रांतिक कोण से अधिक कोण पर जाता है।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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कार्बन के किस अपरूप (allotrope) का उपयोग सामान्यतः पेंसिल लीड में किया जाता है?
- (a) हीरा (Diamond)
- (b) ग्रेफाइट (Graphite)
- (c) फुलेरीन (Fullerene)
- (d) कोयला (Coal)
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): विभिन्न अपरूपों के भौतिक गुण उनके क्रिस्टल संरचना में भिन्नताओं के कारण अलग-अलग होते हैं।
व्याख्या (Explanation): ग्रेफाइट कार्बन का एक अपरूप है जो परतों (layers) के रूप में व्यवस्थित होता है। इन परतों के बीच कमजोर वैन डेर वाल्स बल (van der Waals forces) होते हैं, जो परतों को एक-दूसरे पर आसानी से सरकने देते हैं। इसी गुण के कारण ग्रेफाइट चिकना होता है और इसका उपयोग पेंसिल लीड बनाने में किया जाता है, जहाँ यह कागज पर निशान छोड़ता है। हीरा, इसके विपरीत, सहसंयोजक बंधों द्वारा एक कठोर त्रि-आयामी नेटवर्क बनाता है, जो इसे अत्यंत कठोर बनाता है। फुलेरीन (जैसे बकमिन्स्टरफुलेरीन) और कोयला अन्य कार्बन अपरूप हैं जिनके अलग-अलग उपयोग हैं।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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हीरा किस प्रकार का क्रिस्टल है?
- (a) आयनिक क्रिस्टल (Ionic crystal)
- (b) सहसंयोजक क्रिस्टल (Covalent crystal)
- (c) आणविक क्रिस्टल (Molecular crystal)
- (d) धात्विक क्रिस्टल (Metallic crystal)
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): क्रिस्टल संरचना में कणों को एक साथ रखने वाले बंधों के प्रकार के आधार पर क्रिस्टल को वर्गीकृत किया जाता है।
व्याख्या (Explanation): हीरे में, कार्बन परमाणु सहसंयोजक बंधों द्वारा एक विशाल नेटवर्क संरचना में जुड़े होते हैं। प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य कार्बन परमाणुओं के साथ चतुष्फलकीय (tetrahedral) व्यवस्था में सहसंयोजक बंध बनाता है। यह त्रि-आयामी सहसंयोजक नेटवर्क हीरे को इसकी असाधारण कठोरता, उच्च गलनांक और विद्युत चालकता की कमी जैसे गुण प्रदान करता है। इसलिए, हीरा एक सहसंयोजक क्रिस्टल (या नेटवर्क सहसंयोजक ठोस) का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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हीरे को जलाने पर कौन सी गैस बनती है?
- (a) मीथेन (Methane)
- (b) कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon dioxide)
- (c) ऑक्सीजन (Oxygen)
- (d) नाइट्रोजन (Nitrogen)
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): हाइड्रोकार्बन या कार्बन युक्त पदार्थों का दहन (combustion) ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है और यह मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड और जल उत्पन्न करता है।
व्याख्या (Explanation): हीरा शुद्ध कार्बन का एक रूप है। जब इसे पर्याप्त ऑक्सीजन की उपस्थिति में उच्च तापमान पर जलाया जाता है, तो यह एक दहन अभिक्रिया से गुजरता है। इस अभिक्रिया में, कार्बन (C) ऑक्सीजन (O₂) के साथ मिलकर कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) बनाता है। रासायनिक समीकरण है: C (s) + O₂ (g) → CO₂ (g)। इसलिए, हीरे को जलाने पर मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड गैस बनती है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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हीरे को हीरे से काटने (diamond-hardened tools) के सिद्धांत में भौतिकी का कौन सा नियम शामिल है?
- (a) न्यूटन का गति का तीसरा नियम
- (b) घर्षण का नियम
- (c) ऊष्मागतिकी का पहला नियम
- (d) क्रिस्टल जालक की सामर्थ्य
उत्तर: (d)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): किसी पदार्थ की कठोरता उसके क्रिस्टल संरचना में परमाणुओं को एक साथ बांधने वाले बंधों की शक्ति पर निर्भर करती है।
व्याख्या (Explanation): हीरे को हीरे से काटना या तराशना संभव है क्योंकि हीरा स्वयं अत्यंत कठोर होता है। यह कठोरता हीरे के क्रिस्टल जालक में कार्बन परमाणुओं के बीच पाए जाने वाले मजबूत सहसंयोजक बंधों के कारण होती है। ये बंध इतने शक्तिशाली होते हैं कि हीरे को केवल अन्य हीरे या हीरे के कणों से ही काटा या पॉलिश किया जा सकता है। अन्य सामग्रियाँ, जो हीरे की तुलना में नरम होती हैं, हीरे के कठोर क्रिस्टल जालक को भेदने या उसे खरोंचने में असमर्थ होती हैं। यह सीधे तौर पर क्रिस्टल की आंतरिक आणविक संरचना और बंधों की सामर्थ्य से संबंधित है।
अतः, सही उत्तर (d) है।
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कृत्रिम हीरे (synthetic diamonds) के निर्माण में किस उच्च दाब और उच्च ताप (HPHT) प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है?
- (a) हीरे के क्रिस्टलीकरण को तेज करने के लिए
- (b) हीरे की कठोरता बढ़ाने के लिए
- (c) कार्बन को शुद्ध करने के लिए
- (d) ग्रेफाइट को पिघलाने के लिए
उत्तर: (a)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): सामान्य परिस्थितियों में, कार्बन ग्रेफाइट के रूप में अधिक स्थिर होता है। हीरे के निर्माण के लिए विशेष परिस्थितियों की आवश्यकता होती है।
व्याख्या (Explanation): कृत्रिम हीरे बनाने के लिए उच्च दाब और उच्च ताप (HPHT) विधि एक सामान्य तरीका है। इस प्रक्रिया में, ग्रेफाइट (कार्बन का एक रूप) को बहुत उच्च दाब (लगभग 5-6 GPa) और उच्च तापमान (लगभग 1500°C) पर गर्म किया जाता है। इन चरम परिस्थितियों में, ग्रेफाइट के कार्बन परमाणु पुनः व्यवस्थित होकर हीरे की क्रिस्टल संरचना बनाते हैं। यह प्रक्रिया प्राकृतिक रूप से पृथ्वी की गहराई में मौजूद परिस्थितियों की नकल करती है, जहाँ हीरे बनते हैं। मुख्य उद्देश्य कार्बन परमाणुओं को हीरे की संरचना में क्रिस्टलीकृत करना है, न कि ग्रेफाइट को पिघलाना या कठोरता बढ़ाना।
अतः, सही उत्तर (a) है।
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हीरे की कठोरता Mohs पैमाने पर कितनी होती है?
- (a) 5
- (b) 7
- (c) 9
- (d) 10
उत्तर: (d)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): Mohs कठोरता पैमाना खनिजों की सापेक्ष खरोंच प्रतिरोधकता को मापता है।
व्याख्या (Explanation): Mohs कठोरता पैमाना 1 से 10 तक होता है, जहाँ 1 सबसे नरम और 10 सबसे कठोर होता है। हीरा इस पैमाने पर 10 के अंक के साथ सबसे कठोर पदार्थ है। इसका मतलब है कि कोई भी अन्य प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला खनिज हीरे को खरोंच नहीं सकता है, लेकिन हीरा लगभग किसी भी अन्य खनिज को खरोंच सकता है। यह असाधारण कठोरता हीरे के मजबूत सहसंयोजक बंधों का परिणाम है।
अतः, सही उत्तर (d) है।
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हीरे में कार्बन परमाणुओं के बीच बंध कोण (bond angle) कितना होता है?
- (a) 90°
- (b) 109.5°
- (c) 120°
- (d) 180°
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): कार्बनिक रसायन विज्ञान में, sp³ संकरण (hybridization) के परिणामस्वरूप चतुष्फलकीय ज्यामिति (tetrahedral geometry) बनती है, जिसमें आदर्श बंध कोण 109.5° होता है।
व्याख्या (Explanation): हीरे में, प्रत्येक कार्बन परमाणु sp³ संकरित होता है और चार अन्य कार्बन परमाणुओं के साथ सिग्मा सहसंयोजक बंध बनाता है। यह व्यवस्था एक चतुष्फलकीय ज्यामिति को जन्म देती है। हीरे की क्रिस्टल संरचना में, प्रत्येक कार्बन परमाणु चार पड़ोसियों से चतुष्फलकीय रूप से घिरा होता है, और सभी C-C-C बंध कोण लगभग 109.5° होते हैं। यह विशिष्ट ज्यामिति और बंध कोण हीरे को उसकी अत्यधिक स्थिर और कठोर त्रि-आयामी नेटवर्क संरचना प्रदान करते हैं।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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हीरे की विद्युत चालकता (electrical conductivity) कैसी होती है?
- (a) बहुत अच्छी सुचालक
- (b) कुछ हद तक सुचालक
- (c) कुचालक (Insulator)
- (d) अर्धचालक (Semiconductor)
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): विद्युत चालकता पदार्थ में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति पर निर्भर करती है।
व्याख्या (Explanation): हीरे में, कार्बन परमाणु sp³ संकरित होते हैं और उनके सभी संयोजी इलेक्ट्रॉन (valence electrons) सहसंयोजक बंधों में कसकर बंधे होते हैं। इन इलेक्ट्रॉनों को आसानी से मुक्त नहीं किया जा सकता है, इसलिए हीरे में कोई मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं होते हैं जो विद्युत धारा ले जा सकें। नतीजतन, हीरा एक विद्युत का उत्कृष्ट कुचालक (insulator) है। इसके विपरीत, ग्रेफाइट में, कार्बन परमाणु sp² संकरित होते हैं, और प्रत्येक परमाणु पर एक पाई इलेक्ट्रॉन (π-electron) अप्रतिस्थापित (delocalized) रहता है, जो इसे विद्युत का सुचालक बनाता है।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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हीरे को गलाने (melt) के लिए आवश्यक तापमान को क्या कहते हैं?
- (a) गलनांक (Melting point)
- (b) क्वथनांक (Boiling point)
- (c) ऊर्ध्वपातन बिंदु (Sublimation point)
- (d) अपघटन तापमान (Decomposition temperature)
उत्तर: (d)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): पदार्थ के अवस्था परिवर्तन के लिए विशिष्ट तापमान होते हैं, लेकिन कुछ पदार्थ ठोस अवस्था से सीधे गैसीय अवस्था में परिवर्तित हो जाते हैं या उच्च तापमान पर विघटित हो जाते हैं।
व्याख्या (Explanation): हीरे का गलनांक बहुत अधिक होता है, और वायुमंडल के दबाव पर, हीरा पिघलने के बजाय विघटित (decompose) या ऊर्ध्वपातित (sublime) हो जाता है। जब हीरे को बहुत उच्च तापमान (लगभग 3800-4000°C) पर गर्म किया जाता है, तो यह ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में भी धीरे-धीरे कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित होने लगता है (यदि थोड़ी भी ऑक्सीजन मौजूद हो)। यदि ऑक्सीजन बिल्कुल न हो, तो यह सीधे गैस (कार्बन वाष्प) में बदल सकता है, जिसे ऊर्ध्वपातन कहते हैं। इसलिए, हीरे के लिए ‘गलनांक’ की बजाय ‘अपघटन तापमान’ या ‘ऊर्ध्वपातन तापमान’ कहना अधिक उपयुक्त है, क्योंकि यह पिघलने से पहले ही विघटित हो जाता है।
अतः, सही उत्तर (d) है।
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हीरे की चमक (brilliance) को बढ़ाने के लिए किस कटिंग तकनीक का उपयोग किया जाता है?
- (a) गोल कट (Round cut)
- (b) फ़ेसेट कट (Facet cut)
- (c) कैब्रचॉन कट (Cabochon cut)
- (d) ओवल कट (Oval cut)
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): प्रकाश का परावर्तन और अपवर्तन किसी रत्न की चमक को प्रभावित करते हैं।
व्याख्या (Explanation): हीरे की चमक, आग (fire) और चमक (scintillation) को बढ़ाने के लिए फ़ेसेट कट (facet cut) का उपयोग किया जाता है। फ़ेसेट कट में, हीरे को कई समतल सतहों (facets) में काटा जाता है। इन फ़ेसेट्स को विशेष कोणों पर रखा जाता है ताकि जब प्रकाश हीरे में प्रवेश करे, तो वह कई बार पूर्ण आंतरिक परावर्तन से गुजरे और अंततः प्रकाशक (light) और दर्शक (viewer) की ओर परावर्तित हो। यह प्रकाश की वापसी को अधिकतम करता है, जिससे हीरा अत्यधिक चमकदार और आकर्षक दिखाई देता है। गोल (brilliant) कट, जो एक प्रकार का फ़ेसेट कट है, हीरे की चमक के लिए सबसे लोकप्रिय है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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निम्नलिखित में से कौन सा कथन हीरे के लिए सत्य है?
- (a) यह एक अच्छा विद्युत सुचालक है।
- (b) इसका अपवर्तनांक कम होता है।
- (c) यह एक त्रि-आयामी सहसंयोजक नेटवर्क ठोस है।
- (d) इसका गलनांक कम होता है।
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): किसी पदार्थ के गुण उसकी आणविक और क्रिस्टल संरचना पर निर्भर करते हैं।
व्याख्या (Explanation): विकल्प (a) असत्य है क्योंकि हीरा एक विद्युत कुचालक है। विकल्प (b) असत्य है क्योंकि हीरे का अपवर्तनांक उच्च (लगभग 2.42) होता है। विकल्प (d) असत्य है क्योंकि हीरे का गलनांक (या अपघटन तापमान) बहुत अधिक होता है। विकल्प (c) सत्य है। हीरे में, कार्बन परमाणु मजबूत सहसंयोजक बंधों द्वारा एक विशाल त्रि-आयामी नेटवर्क संरचना बनाते हैं, जो इसे अत्यंत कठोर और स्थिर बनाता है।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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ऑक्सीजन के किस अपरूप का उपयोग हीरे के निर्माण में किया जाता है?
- (a) O₂ (डाईऑक्सीजन)
- (b) O₃ (ओजोन)
- (c) O₄ (टेट्राऑक्सीजन)
- (d) ऑक्सीजन का कोई अपरूप सीधे उपयोग नहीं होता
उत्तर: (d)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): हीरे के निर्माण के लिए कार्बन के ही विभिन्न रूपों को विशेष परिस्थितियों में परिवर्तित किया जाता है।
व्याख्या (Explanation): हीरे का निर्माण शुद्ध कार्बन के विभिन्न रूपों (जैसे ग्रेफाइट) को अत्यंत उच्च दाब और उच्च तापमान पर संसाधित करके किया जाता है। ऑक्सीजन (O₂, O₃, आदि) सीधे तौर पर हीरे के निर्माण में कच्चे माल के रूप में उपयोग नहीं होती है। वास्तव में, ऑक्सीजन की उपस्थिति में, कार्बन जल जाता है और कार्बन डाइऑक्साइड बनाता है। हीरे के निर्माण की प्रक्रियाएँ अक्सर एक अक्रिय (inert) वातावरण या धातुओं (जैसे निकेल, कोबाल्ट, लोहा) की उपस्थिति में की जाती हैं जो उत्प्रेरक (catalyst) के रूप में कार्य करते हैं, न कि ऑक्सीजन।
अतः, सही उत्तर (d) है।
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कार्बन के उन तीन मुख्य अपरूपों के नाम बताइए जो आमतौर पर जाने जाते हैं।
- (a) हीरा, ग्रेफाइट, ओजोन
- (b) हीरा, ग्रेफाइट, फुलरीन
- (c) हीरा, कार्बन मोनोऑक्साइड, ग्रेफाइट
- (d) ग्रेफाइट, कोयला, कालिख
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): अपरूपता (allotropy) एक ही तत्व के विभिन्न रूपों को संदर्भित करती है जो भिन्न भौतिक गुणों वाले होते हैं।
व्याख्या (Explanation): कार्बन के तीन सबसे सामान्य और अच्छी तरह से ज्ञात अपरूप हीरा (diamond), ग्रेफाइट (graphite) और फुलरीन (fullerenes) हैं। फुलरीन कार्बन के ऐसे अणु होते हैं जिनमें कार्बन परमाणु एक बंद आणविक संरचना में व्यवस्थित होते हैं, जैसे कि बास्केटबॉल की तरह दिखने वाले बकमिन्स्टरफुलेरीन (C₆₀)। ओजोन (O₃) ऑक्सीजन का अपरूप है। कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) एक यौगिक है। कोयला और कालिख (soot) कार्बन के अशुद्ध रूप या मिश्रण हैं, न कि शुद्ध अपरूप।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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कार्बन की वह संरचना क्या कहलाती है जिसमें कार्बन परमाणु फुटबॉल की तरह व्यवस्थित होते हैं?
- (a) हीरा
- (b) ग्रेफाइट
- (c) बकमिन्स्टरफुलेरीन
- (d) कार्बन नैनोट्यूब
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): फुलरीन कार्बन के बंद, त्रिविमीय (3D) अणु होते हैं जिनकी संरचनाएं विभिन्न ज्यामितीय आकृतियों में हो सकती हैं।
व्याख्या (Explanation): बकमिन्स्टरफुलेरीन, जिसे आमतौर पर बकीबॉल (buckball) या C₆₀ के रूप में जाना जाता है, कार्बन का एक फुलरीन अपरूप है। इसकी आणविक संरचना फुटबॉल के समान होती है, जिसमें 12 पंचभुज (pentagons) और 20 षट्भुज (hexagons) कार्बन परमाणुओं द्वारा बनते हैं, जो एक गोलाकार या लगभग गोलाकार संरचना बनाते हैं। यह संरचना पूरी तरह से सहसंयोजक बंधों से बनी होती है।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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वनस्पति तेलों को हाइड्रोजनीकरण (hydrogenation) द्वारा वनस्पति घी में बदलने की प्रक्रिया में उत्प्रेरक (catalyst) के रूप में किस धातु का उपयोग किया जाता है?
- (a) सोना (Gold)
- (b) प्लैटिनम (Platinum)
- (c) निकेल (Nickel)
- (d) एल्युमीनियम (Aluminum)
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): हाइड्रोजनीकरण एक रासायनिक अभिक्रिया है जिसमें एक अणु में हाइड्रोजन जोड़ा जाता है, और यह अक्सर संक्रमण धातुओं द्वारा उत्प्रेरित होता है।
व्याख्या (Explanation): वनस्पति तेलों में लंबी असंतृप्त (unsaturated) वसा अम्ल श्रृंखलाएँ होती हैं। इन तेलों को वनस्पति घी (वनस्पति वसा) में बदलने के लिए, असंतृप्त कार्बन-कार्बन द्विबंधों (double bonds) में हाइड्रोजन को जोड़ा जाता है। इस प्रक्रिया को हाइड्रोजनीकरण कहते हैं। यह अभिक्रिया निकेल (Ni) धातु के पाउडर पर की जाती है, जो उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है। निकेल अभिक्रिया की दर को बढ़ाता है, जिससे द्विबंधों में हाइड्रोजन का योग सुगम हो जाता है और तेल ठोस या अर्ध-ठोस वसा में परिवर्तित हो जाता है। प्लैटिनम और पैलेडियम भी हाइड्रोजनीकरण के लिए अच्छे उत्प्रेरक हैं, लेकिन औद्योगिक पैमाने पर वनस्पति घी उत्पादन के लिए निकेल सबसे आम है।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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हीरे के कटाई और पॉलिशिंग में इस्तेमाल होने वाले कुछ औजारों में कार्बन नैनोट्यूब (carbon nanotubes) का उपयोग किस गुण के कारण किया जाता है?
- (a) उनकी विद्युत चालकता
- (b) उनकी उच्च ऊष्मीय चालकता (high thermal conductivity)
- (c) उनकी कम घनत्व (low density)
- (d) उनकी लचीलापन (flexibility)
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): सामग्री की कठोरता और घर्षण प्रतिरोध (abrasion resistance) कटाई और पॉलिशिंग उपकरणों के लिए महत्वपूर्ण गुण हैं।
व्याख्या (Explanation): कार्बन नैनोट्यूब की संरचना उन्हें असाधारण यांत्रिक गुण (जैसे उच्च तन्यता ताकत) और उच्च तापीय चालकता प्रदान करती है। हीरे को काटना एक ऐसी प्रक्रिया है जो बहुत अधिक घर्षण और गर्मी उत्पन्न करती है। नैनोट्यूब-आधारित उपकरणों का उपयोग, उनकी उच्च तापीय चालकता के कारण, कटाई के दौरान उत्पन्न गर्मी को प्रभावी ढंग से हटाने में मदद कर सकता है, जिससे उपकरण और कार्यक्षेत्र अधिक ठंडा रहता है और उपकरण की जीवनकाल बढ़ता है। जबकि उनकी कठोरता भी एक कारण हो सकती है, उच्च तापीय चालकता एक विशेष लाभ है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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शरीर में ऊर्जा उत्पादन के लिए कोशिका का कौन सा अंग ‘पावरहाउस’ कहलाता है?
- (a) नाभिक (Nucleus)
- (b) राइबोसोम (Ribosome)
- (c) माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria)
- (d) गॉल्जीकाय (Golgi apparatus)
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): कोशिकीय श्वसन (cellular respiration) के माध्यम से एटीपी (ATP) का उत्पादन माइटोकॉन्ड्रिया में होता है, जो कोशिका की ऊर्जा मुद्रा है।
व्याख्या (Explanation): माइटोकॉन्ड्रिया यूकैरियोटिक कोशिकाओं के भीतर झिल्ली-बाध्य अंग (membrane-bound organelles) हैं जो कोशिकीय श्वसन की अधिकांश जैव रासायनिक अभिक्रियाओं का स्थान हैं। इन अभिक्रियाओं में, ग्लूकोज जैसे पोषक तत्वों को ऑक्सीजन की उपस्थिति में तोड़ा जाता है, जिससे ऊर्जा जारी होती है जो एडिनोसिन ट्राइफॉस्फेट (ATP) के रूप में संग्रहीत होती है। ATP कोशिका की मुख्य ऊर्जा मुद्रा है, जिसका उपयोग विभिन्न सेलुलर प्रक्रियाओं को चलाने के लिए किया जाता है। इस प्रकार, माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका का ‘पावरहाउस’ कहा जाता है।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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मानव रक्त का pH मान कितना होता है?
- (a) 6.4 – 7.4
- (b) 7.35 – 7.45
- (c) 8.0 – 9.0
- (d) 5.5 – 6.5
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): pH पैमाना किसी विलयन की अम्लता या क्षारीयता को मापता है।
व्याख्या (Explanation): मानव रक्त का pH मान सामान्यतः 7.35 से 7.45 के बीच थोड़ा क्षारीय (alkaline) होता है। रक्त में बफर सिस्टम (buffer systems) होते हैं, जैसे बाइकार्बोनेट बफर सिस्टम, जो रक्त के pH को इस संकीर्ण सीमा के भीतर बनाए रखने में मदद करते हैं। pH में महत्वपूर्ण विचलन शरीर के कार्यों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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शरीर में लौह (Iron) की कमी से कौन सा रोग होता है?
- (a) रिकेट्स (Rickets)
- (b) बेरीबेरी (Beriberi)
- (c) एनीमिया (Anaemia)
- (d) स्कर्वी (Scurvy)
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): विभिन्न विटामिन और खनिज शरीर के विभिन्न कार्यों के लिए आवश्यक हैं, और उनकी कमी से विशिष्ट रोग होते हैं।
व्याख्या (Explanation): लौह (Iron) लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो ऊतकों तक ऑक्सीजन ले जाता है। लौह की कमी से शरीर पर्याप्त हीमोग्लोबिन का उत्पादन नहीं कर पाता है, जिससे ऊतकों तक ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप एनीमिया (विशेषकर आयरन-डेफिशिएंसी एनीमिया) होता है, जिसके लक्षणों में थकान, कमजोरी और सांस फूलना शामिल हैं। रिकेट्स विटामिन डी की कमी से, बेरीबेरी विटामिन बी1 (थायमिन) की कमी से, और स्कर्वी विटामिन सी की कमी से होता है।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) के दौरान पौधे वायुमंडल से कौन सी गैस लेते हैं?
- (a) ऑक्सीजन (Oxygen)
- (b) नाइट्रोजन (Nitrogen)
- (c) कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon dioxide)
- (d) हाइड्रोजन (Hydrogen)
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): प्रकाश संश्लेषण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा हरे पौधे और कुछ अन्य जीव सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा का उपयोग करके प्रकाश ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं।
व्याख्या (Explanation): प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान, पौधे क्लोरोफिल नामक वर्णक की मदद से सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा को अवशोषित करते हैं। वे जड़ों से पानी (H₂O) और पत्तियों के रंध्रों (stomata) से वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) लेते हैं। इस कार्बन डाइऑक्साइड और पानी का उपयोग करके, प्रकाश ऊर्जा की मदद से, पौधे ग्लूकोज (C₆H₁₂O₆) जैसे शर्करा का निर्माण करते हैं, जो उनका भोजन है। इस प्रक्रिया का उप-उत्पाद (by-product) ऑक्सीजन (O₂) है, जिसे पौधे वायुमंडल में छोड़ देते हैं। रासायनिक समीकरण: 6CO₂ + 6H₂O + Light Energy → C₆H₁₂O₆ + 6O₂।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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मानव शरीर में सबसे बड़ी ग्रंथि (largest gland) कौन सी है?
- (a) अग्न्याशय (Pancreas)
- (b) थायरॉयड (Thyroid)
- (c) यकृत (Liver)
- (d) अधिवृक्क ग्रंथि (Adrenal gland)
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): मानव शरीर के विभिन्न अंगों के आकार और कार्य अलग-अलग होते हैं।
व्याख्या (Explanation): यकृत (Liver) मानव शरीर में सबसे बड़ी आंतरिक ग्रंथि है, जो पेट के ऊपरी दाएँ भाग में स्थित होती है। इसका वजन लगभग 1.5 किलोग्राम होता है। यकृत विभिन्न महत्वपूर्ण कार्य करता है, जिसमें पित्त का उत्पादन, चयापचय (metabolism), विषहरण (detoxification) और प्रोटीन संश्लेषण शामिल हैं। अग्न्याशय एक मिश्रित ग्रंथि है जो पाचक एंजाइम और हार्मोन (जैसे इंसुलिन) दोनों का उत्पादन करती है। थायरॉयड और अधिवृक्क ग्रंथि अपेक्षाकृत छोटी ग्रंथियाँ हैं।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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मनुष्य में पाचन का अधिकांश भाग किस अंग में पूरा होता है?
- (a) आमाशय (Stomach)
- (b) छोटी आंत (Small intestine)
- (c) बड़ी आंत (Large intestine)
- (d) ग्रसिका (Esophagus)
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): पाचन तंत्र भोजन के पोषक तत्वों के अवशोषण के लिए विभिन्न अंग होते हैं।
व्याख्या (Explanation): मनुष्य में पाचन और पोषक तत्वों का अवशोषण मुख्य रूप से छोटी आंत (small intestine) में होता है। छोटी आंत में, भोजन का कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा में और भी पाचन होता है। इसके बाद, इन पोषक तत्वों का अवशोषण छोटी आंत की दीवारों के माध्यम से रक्तप्रवाह में होता है। आमाशय भोजन को मिलाने और प्रोटीन के पाचन की शुरुआत करता है, जबकि बड़ी आंत मुख्य रूप से जल के अवशोषण और मल के निर्माण के लिए जिम्मेदार होती है। ग्रसिका केवल भोजन को आमाशय तक पहुँचाती है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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कोशिका भित्ति (cell wall) किसमें पाई जाती है?
- (a) जंतु कोशिका (Animal cell)
- (b) पादप कोशिका (Plant cell)
- (c) कवक कोशिका (Fungal cell)
- (d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): कोशिका सिद्धांत के अनुसार, विभिन्न जीवों की कोशिकाओं की संरचनात्मक विशेषताएँ अलग-अलग होती हैं।
व्याख्या (Explanation): कोशिका भित्ति एक कठोर बाहरी परत होती है जो कोशिका झिल्ली (cell membrane) के बाहर स्थित होती है। यह कोशिका को संरचनात्मक सहायता और सुरक्षा प्रदान करती है। कोशिका भित्ति पादप कोशिकाओं (सेल्यूलोज से बनी), कवक कोशिकाओं (काइटीन से बनी) और जीवाणु कोशिकाओं (पेप्टिडोग्लाइकन से बनी) में पाई जाती है। जंतु कोशिकाओं में कोशिका भित्ति नहीं होती; उनके पास केवल एक कोशिका झिल्ली होती है। इसलिए, पादप कोशिका, कवक कोशिका और जीवाणु कोशिका (जो प्रश्न में नहीं है, लेकिन सामान्य संदर्भ में शामिल है) में कोशिका भित्ति पाई जाती है।
अतः, सही उत्तर (d) है।
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मानव शरीर में सबसे छोटी हड्डी (smallest bone) कौन सी है?
- (a) ह्यूमरस (Humerus)
- (b) फीमर (Femur)
- (c) स्टेप्स (Stapes)
- (d) टिबिया (Tibia)
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): कंकाल प्रणाली विभिन्न प्रकार की हड्डियों से बनी होती है, जिनके आकार और कार्य अलग-अलग होते हैं।
व्याख्या (Explanation): मानव शरीर में सबसे छोटी हड्डी मध्य कान (middle ear) में पाई जाने वाली स्टेप्स (stapes) है। यह ध्वनि कंपनों को आंतरिक कान तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ह्यूमरस (ऊपरी बांह की हड्डी), फीमर (जांघ की हड्डी) और टिबिया (पिंडली की हड्डी) पैर की हड्डियाँ हैं और ये बहुत बड़ी होती हैं, जबकि स्टेप्स केवल लगभग 3 मिलीमीटर लंबी होती है।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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डीएनए (DNA) की संरचना का डबल हेलिक्स मॉडल किसने प्रस्तावित किया था?
- (a) रॉबर्ट हुक (Robert Hooke)
- (b) जेम्स वॉटसन और फ्रांसिस क्रिक (James Watson and Francis Crick)
- (c) ग्रेगर मेंडल (Gregor Mendel)
- (d) चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin)
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): डीएनए (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) आनुवंशिक जानकारी का वाहक है, और इसकी संरचना को समझना आनुवंशिकी के लिए महत्वपूर्ण है।
व्याख्या (Explanation): जेम्स वॉटसन और फ्रांसिस क्रिक ने 1953 में डीएनए की डबल हेलिक्स (double helix) संरचना का मॉडल प्रस्तावित किया था, जो दो पूरक स्ट्रैंड्स से बनी होती है जो एक सर्पिल सीढ़ी की तरह मुड़ी होती हैं। इस खोज ने आनुवंशिकी के क्षेत्र में क्रांति ला दी। रॉबर्ट हुक ने कोशिका की खोज की थी। ग्रेगर मेंडल को आनुवंशिकी का जनक माना जाता है, जिन्होंने मटर के पौधों पर अपने प्रयोगों से आनुवंशिकता के नियम दिए। चार्ल्स डार्विन ने विकासवाद का सिद्धांत प्रतिपादित किया।
अतः, सही उत्तर (b) है।