हीरे से जुड़े सामान्य विज्ञान के प्रश्न: अपनी तैयारी को परखें
परिचय: प्रतियोगी परीक्षाओं में सामान्य विज्ञान एक महत्वपूर्ण खंड है। यह खंड न केवल आपके ज्ञान का परीक्षण करता है, बल्कि आपकी विश्लेषणात्मक क्षमता को भी बढ़ाता है। इस अभ्यास सत्र में, हम “Doubling Down on Diamond” शीर्षक के सार को ध्यान में रखते हुए, भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान के 25 महत्वपूर्ण बहुविकल्पीय प्रश्न लेकर आए हैं। इन प्रश्नों को हल करने से आपको परीक्षा के लिए अपनी तैयारी को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
सामान्य विज्ञान अभ्यास प्रश्न (General Science Practice MCQs)
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हीरा, जो अपनी असाधारण कठोरता के लिए जाना जाता है, मुख्य रूप से किस प्रकार के बंधन द्वारा निर्मित होता है?
- (a) आयनिक बंधन
- (b) सहसंयोजक बंधन
- (c) धात्विक बंधन
- (d) हाइड्रोजन बंधन
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): सहसंयोजक बंधन परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी से बनता है। हीरे में, प्रत्येक कार्बन परमाणु अपने चार संयोजी इलेक्ट्रॉनों को चार अन्य कार्बन परमाणुओं के साथ साझा करता है, जिससे एक मजबूत त्रि-आयामी (3D) जाली संरचना बनती है।
व्याख्या (Explanation): आयनिक बंधन में इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण होता है, धात्विक बंधन में धातु के परमाणुओं के बीच “इलेक्ट्रॉन का समुद्र” होता है, और हाइड्रोजन बंधन एक विशेष प्रकार का द्विध्रुवी-द्विध्रुवी आकर्षण है। हीरे की संरचना के लिए सहसंयोजक बंधन सबसे उपयुक्त है, जो इसकी उच्च कठोरता और गलनांक को समझाता है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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कार्बन का कौन सा अपरूप (Allotrope) हीरे की तरह ही मजबूत होता है, लेकिन विद्युत का सुचालक होता है?
- (a) ग्रेफाइट
- (b) फुलरीन
- (c) चारकोल
- (d) कोक
उत्तर: (a)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): ग्रेफाइट में कार्बन परमाणु षट्कोणीय (hexagonal) परतों में व्यवस्थित होते हैं, और इन परतों के बीच कमजोर वान डर वाल्स बल होते हैं। प्रत्येक कार्बन परमाणु तीन अन्य कार्बन परमाणुओं से जुड़ा होता है, जिससे प्रत्येक परमाणु पर एक मुक्त इलेक्ट्रॉन बचता है।
व्याख्या (Explanation): हीरे में, कार्बन परमाणु चतुष्फलकीय (tetrahedral) रूप से व्यवस्थित होते हैं और सभी संयोजी इलेक्ट्रॉन बंधनों में उपयोग किए जाते हैं, इसलिए यह विद्युत का कुचालक होता है। ग्रेफाइट की परतों के बीच दुर्बल बंधन इसे स्निग्ध (lubricious) बनाते हैं और मुक्त इलेक्ट्रॉन इसे विद्युत का सुचालक बनाते हैं। फुलरीन और चारकोल (अशुद्ध रूप) उतने कठोर या विद्युत के सुचालक नहीं होते जितने ग्रेफाइट।
अतः, सही उत्तर (a) है।
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हीरे का अपवर्तनांक (refractive index) उच्च क्यों होता है?
- (a) इसके परमाणुओं का घनत्व कम होता है
- (b) इसके परमाणुओं का घनत्व अधिक होता है और इलेक्ट्रॉनों का संचयन
- (c) इसमें प्रकाश का अवशोषण अधिक होता है
- (d) इसमें प्रकाश का प्रकीर्णन (scattering) कम होता है
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): किसी पदार्थ का अपवर्तनांक इस बात पर निर्भर करता है कि प्रकाश उसमें कितनी तेजी से यात्रा करता है। यह पदार्थ की प्रकाशीय घनत्व (optical density) से संबंधित है, जो उसके घनत्व और इलेक्ट्रॉनों की उपलब्धता पर निर्भर करता है।
व्याख्या (Explanation): हीरे में कार्बन परमाणुओं का घनत्व बहुत अधिक होता है और प्रत्येक कार्बन परमाणु के संयोजी इलेक्ट्रॉन भी काफी मुक्त होते हैं (हालांकि वे सहसंयोजक बंधनों में शामिल होते हैं, वे पूरी तरह से स्थानीयकृत नहीं होते जैसा कि कुछ अन्य यौगिकों में होता है)। यह उच्च घनत्व और इलेक्ट्रॉनों की उपलब्धता प्रकाश के धीमा होने का कारण बनती है, जिसके परिणामस्वरूप उच्च अपवर्तनांक होता है। यही कारण है कि हीरा प्रकाश को अधिक मोड़ता है और उसमें चमक आती है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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हीरे को अत्यंत उच्च तापमान पर किस गैस के वातावरण में गर्म करने पर वह ग्रेफाइट में परिवर्तित हो जाता है?
- (a) ऑक्सीजन
- (b) नाइट्रोजन
- (c) हाइड्रोजन
- (d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (d)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): हीरे को ग्रेफाइट में परिवर्तित करने के लिए, उसे अक्रिय (inert) वातावरण में गर्म किया जाता है। यदि उसे ऑक्सीजन जैसे प्रतिक्रियाशील गैस के वातावरण में गर्म किया जाता है, तो वह जलकर कार्बन डाइऑक्साइड बना लेगा।
व्याख्या (Explanation): हीरे को निर्वात (vacuum) या अक्रिय गैस (जैसे आर्गन) के वातावरण में बहुत उच्च तापमान (लगभग 1500°C से ऊपर) पर गर्म करने पर, वह पुनर्व्यवस्थित होकर ग्रेफाइट में बदल सकता है। ऑक्सीजन की उपस्थिति में, यह ऑक्सीकृत हो जाएगा। नाइट्रोजन और हाइड्रोजन भी प्रतिक्रिया कर सकते हैं या अपने स्वयं के गुण दिखा सकते हैं, लेकिन वे हीरे को ग्रेफाइट में परिवर्तित करने के लिए सीधे तौर पर उपयोग नहीं किए जाते हैं।
अतः, सही उत्तर (d) है।
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हीरे के पिघलने का बिंदु (melting point) बहुत अधिक क्यों होता है?
- (a) क्योंकि इसमें मजबूत आयनिक बंधन होते हैं
- (b) क्योंकि इसमें कमजोर सहसंयोजक बंधन होते हैं
- (c) क्योंकि इसमें मजबूत त्रि-आयामी सहसंयोजक जाली होती है
- (d) क्योंकि यह एक उत्कृष्ट विद्युत चालक है
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): किसी पदार्थ का गलनांक उसके भीतर के रासायनिक बंधनों की मजबूती पर निर्भर करता है। मजबूत बंधन को तोड़ने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
व्याख्या (Explanation): हीरे की संरचना में, प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य कार्बन परमाणुओं के साथ मजबूत सहसंयोजक बंधनों से जुड़ा होता है, जिससे एक विशाल त्रि-आयामी जाली (network covalent structure) बनती है। इन बंधनों को तोड़ने के लिए बहुत अधिक तापीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जिसके कारण हीरे का गलनांक अत्यंत उच्च (लगभग 3550°C) होता है।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला हीरा मुख्य रूप से किस तत्व से बना होता है?
- (a) सिलिकॉन
- (b) कार्बन
- (c) बोरॉन
- (d) नाइट्रोजन
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): हीरे की रासायनिक संरचना को समझना उसके गुणों को समझने की कुंजी है।
व्याख्या (Explanation): हीरा कार्बन (C) का एक शुद्ध अपरूप (allotrope) है। इसकी असाधारण कठोरता, चमक और उच्च गलनांक इसी शुद्ध कार्बन संरचना के कारण होते हैं, जहाँ कार्बन परमाणु एक विशिष्ट त्रि-आयामी जाली में व्यवस्थित होते हैं।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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हीरे में कौन सा प्रकाशिकी (optical) गुण इसे चमक प्रदान करता है?
- (a) विवर्तन (Diffraction)
- (b) परावर्तन (Reflection)
- (c) अपवर्तन (Refraction)
- (d) प्रकीर्णन (Scattering)
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): प्रकाश के किसी माध्यम में प्रवेश करने पर उसकी दिशा में होने वाले परिवर्तन को अपवर्तन कहते हैं। उच्च अपवर्तनांक वाले पदार्थ प्रकाश को अधिक मोड़ते हैं।
व्याख्या (Explanation): हीरे का उच्च अपवर्तनांक (लगभग 2.42) प्रकाश को उसमें प्रवेश करते समय और बाहर निकलते समय अत्यधिक मोड़ देता है। इसके अलावा, हीरे को विशिष्ट रूप से काटा जाता है ताकि आंतरिक परावर्तन (internal reflection) भी हो, जो इसकी ‘फायर’ (fire) या इंद्रधनुषी रंग की चमक को बढ़ाता है। लेकिन मूल चमक का कारण उच्च अपवर्तनांक के कारण होने वाला अपवर्तन है।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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निम्नलिखित में से कौन सा कारक हीरे के बनने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण नहीं है?
- (a) अत्यंत उच्च दबाव
- (b) अत्यंत उच्च तापमान
- (c) अक्रिय वातावरण
- (d) कार्बन का स्रोत
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): प्राकृतिक हीरे पृथ्वी के भीतर अत्यंत विशिष्ट परिस्थितियों में बनते हैं।
व्याख्या (Explanation): प्राकृतिक हीरे पृथ्वी के मेंटल (mantle) में, लगभग 140-190 किलोमीटर की गहराई पर, अत्यंत उच्च दबाव (लगभग 5-6 GPa) और उच्च तापमान (लगभग 1000-1300°C) पर बनते हैं। इन स्थितियों में कार्बन स्रोत (जैसे ग्रेफाइट या कार्बन युक्त यौगिक) पुनर्व्यवस्थित होकर हीरे की संरचना बनाते हैं। अक्रिय वातावरण हीरे के बनने के लिए आवश्यक नहीं है; बल्कि, ऑक्सीजन जैसे प्रतिक्रियाशील गैसों की अनुपस्थिति ही महत्वपूर्ण है ताकि बनने वाला हीरा ऑक्सीकृत न हो।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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हीरे का सबसे कठोर प्राकृतिक पदार्थ होना निम्नलिखित में से किस पर निर्भर करता है?
- (a) इलेक्ट्रॉन की संख्या
- (b) परमाणुओं के बीच बंधन की प्रकृति
- (c) क्रिस्टल की समरूपता
- (d) प्रकाश का अपवर्तन
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): पदार्थ की कठोरता उसके रासायनिक बंधनों की मजबूती से निर्धारित होती है।
व्याख्या (Explanation): हीरे में, प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य कार्बन परमाणुओं से मजबूत सहसंयोजक बंधनों द्वारा चतुष्फलकीय रूप से जुड़ा होता है। ये बहुत मजबूत, दिशात्मक बंधन एक विशाल त्रि-आयामी नेटवर्क बनाते हैं। इन मजबूत बंधनों को तोड़ने या परमाणुओं को एक-दूसरे के सापेक्ष खिसकाने के लिए बहुत अधिक बल की आवश्यकता होती है, जो इसे सबसे कठोर प्राकृतिक पदार्थ बनाता है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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कृत्रिम रूप से हीरे (synthetic diamonds) बनाने की विधि में, उच्च दबाव और तापमान पर कार्बन स्रोत को किस धातु के उत्प्रेरक (catalyst) की उपस्थिति में रखा जाता है?
- (a) तांबा
- (b) लोहा
- (c) एल्यूमीनियम
- (d) सोडियम
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): कृत्रिम हीरे (High-Pressure High-Temperature – HPHT विधि) बनाने के लिए उत्प्रेरक का उपयोग प्रक्रिया को आसान बनाने और हीरे के विकास को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।
व्याख्या (Explanation): HPHT विधि में, आमतौर पर लोहे (Iron – Fe), निकल (Nickel – Ni), या कोबाल्ट (Cobalt – Co) जैसी संक्रमण धातुएं (transition metals) उत्प्रेरक के रूप में उपयोग की जाती हैं। ये धातुएं कार्बन को घोलने और फिर उसे उच्च दबाव और तापमान पर हीरे के रूप में क्रिस्टलीकृत करने में मदद करती हैं।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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हीरे का उपयोग विभिन्न औद्योगिक अनुप्रयोगों में किया जाता है, जैसे कटाई और पॉलिशिंग। इसका कारण क्या है?
- (a) इसका उच्च अपवर्तनांक
- (b) इसकी विद्युत चालकता
- (c) इसकी रासायनिक निष्क्रियता
- (d) इसकी असाधारण कठोरता
उत्तर: (d)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): किसी पदार्थ की उपयोगिता उसके भौतिक और रासायनिक गुणों पर निर्भर करती है।
व्याख्या (Explanation): हीरे की असाधारण कठोरता (Mohs पैमाने पर 10) इसे अन्य सामग्रियों को काटने, पीसने और पॉलिश करने के लिए एक आदर्श पदार्थ बनाती है। इसकी रासायनिक निष्क्रियता भी इसे कुछ प्रक्रियाओं में उपयोगी बनाती है, लेकिन कठोरता वह प्राथमिक गुण है जो इसे कटाई और पॉलिशिंग उपकरणों में उपयोग के लिए सबसे उपयुक्त बनाती है।
अतः, सही उत्तर (d) है।
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हीरे के शुद्ध रूप को क्या कहा जाता है?
- (a) गार्नेट
- (b) क्वार्ट्ज
- (c) डायोलाइट
- (d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (d)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): हीरे के शुद्ध रूप को उसके रासायनिक संघटन के आधार पर पहचाना जाता है।
व्याख्या (Explanation): हीरे का शुद्ध रूप केवल कार्बन ही होता है। दिए गए विकल्प (गार्नेट, क्वार्ट्ज, डायोलाइट) अन्य खनिज हैं जिनके रासायनिक संघटन और संरचनाएं भिन्न होती हैं। शुद्ध हीरे को अक्सर ‘जेम-क्वालिटी डायमंड’ या ‘प्योर कार्बन डायमंड’ कहा जाता है, लेकिन कोई विशिष्ट एक-शब्द का नाम नहीं है जो इन विकल्पों में से हो।
अतः, सही उत्तर (d) है।
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तापमान बढ़ाने पर हीरे की विद्युत चालकता पर क्या प्रभाव पड़ता है?
- (a) बढ़ती है
- (b) घटती है
- (c) अपरिवर्तित रहती है
- (d) पहले बढ़ती है, फिर घटती है
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): धातुओं और अर्धचालकों (semiconductors) में, तापमान बढ़ाने पर चालकता का व्यवहार भिन्न होता है। हीरे को एक विद्युत रोधी (insulator) या बहुत खराब अर्धचालक माना जाता है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में (जैसे कि कुछ अशुद्धियों की उपस्थिति में) यह अल्प मात्रा में विद्युत का चालन कर सकता है।
व्याख्या (Explanation): विशुद्ध रूप से, हीरा विद्युत का कुचालक है क्योंकि इसके सभी संयोजी इलेक्ट्रॉन मजबूत सहसंयोजक बंधनों में बंधे होते हैं और स्वतंत्र रूप से गति नहीं कर सकते। हालाँकि, यदि उसमें बोरॉन जैसी अशुद्धियाँ मौजूद हों (जो कृत्रिम रूप से हीरे को अर्धचालक बनाने के लिए की जाती है), तो तापमान बढ़ाने से इन अशुद्धियों से इलेक्ट्रॉनों को मुक्त करने में मदद मिलती है, जिससे चालकता बढ़ती है। लेकिन सामान्य या विशुद्ध हीरे के संदर्भ में, और विशेष रूप से परीक्षा के दृष्टिकोण से, यह माना जाता है कि तापमान बढ़ाने पर किसी भी संभावित चालन क्षमता में कमी आती है क्योंकि परमाणु कंपन बढ़ जाता है जो आवेश वाहकों की गति को बाधित करता है। हालाँकि, यह प्रश्न थोड़ा भ्रामक हो सकता है यदि “शुद्ध” शब्द को सख्ती से न लिया जाए। विशुद्ध हीरे के लिए, यह चालकता नहीं दर्शाता। यदि यह अर्धचालक गुणों वाला हीरा है, तो तापमान बढ़ने पर चालकता बढ़नी चाहिए। लेकिन पारंपरिक ज्ञान के अनुसार, जो इस प्रश्न का आधार है, यह माना जाता है कि चालन तभी संभव है जब ऊर्जा अंतराल को पार किया जाए, जो तापमान से प्रभावित होता है। एक सामान्य नियम के तौर पर, अर्धचालक में तापमान बढ़ने पर चालकता बढ़ती है। लेकिन चूंकि प्रश्न ‘शुद्ध’ शब्द पर ज़ोर दे सकता है, और हीरे को आम तौर पर कुचालक माना जाता है, इसलिए यह भ्रामक है। मान लेते हैं कि यह उन अशुद्धियों की बात कर रहा है जो इसे अल्प मात्रा में चालक बनाती हैं। इस संदर्भ में, अर्धचालकों के लिए तापमान बढ़ाने पर चालकता बढ़ती है। लेकिन यदि हम इसे एक “विशेष” पदार्थ के रूप में देखें, तो सबसे सटीक उत्तर देना मुश्किल है। **एक विशुद्ध हीरे को छोड़कर, अन्य विकल्प लागू हो सकते हैं।** लेकिन विशुद्ध हीरे के लिए, चालन नगण्य है। चूंकि हम अभ्यास प्रश्न बना रहे हैं, तो हमें उस सामान्य समझ पर जाना होगा जो परीक्षाओं में पूछी जाती है। **मानव निर्मित अर्धचालक हीरे के लिए, तापमान बढ़ने पर चालकता बढ़ती है।**
सुधार: सामान्यतः, इलेक्ट्रॉनिक्स में, तापमान बढ़ने पर किसी भी सामग्री में प्रतिरोध (resistance) बढ़ता है, जिससे चालकता (conductivity) घटती है (यह धातुओं के लिए सच है)। अर्धचालकों (semiconductors) में, तापमान बढ़ने पर मुक्त इलेक्ट्रॉनों (free electrons) की संख्या बढ़ती है, जिससे चालकता बढ़ती है। चूंकि हीरा एक विद्युत रोधी है, लेकिन उसमें अशुद्धियां डालकर या विशेष परिस्थितियों में अर्धचालक बनाया जा सकता है, तो प्रश्न थोड़ा जटिल है। परीक्षा के दृष्टिकोण से, यदि हीरे को एक विशेष प्रकार का अर्धचालक माना जाए (जैसे कि अर्धचालक अनुप्रयोगों में उपयोग किए जाने वाले), तो तापमान बढ़ने पर चालकता बढ़नी चाहिए। लेकिन यदि हम इसके सामान्य गुण को देखें (विद्युत रोधी), तो चालन नगण्य है। **इस प्रश्न का सबसे सटीक उत्तर परिप्रेक्ष्य पर निर्भर करता है।** यदि प्रश्न “शुद्ध” हीरे की बात कर रहा है, तो चालन नगण्य है और तापमान का प्रभाव महत्वपूर्ण नहीं है। यदि यह “अर्धचालक हीरे” की बात कर रहा है, तो चालकता बढ़ेगी। **सबसे सुरक्षित उत्तर, जो सामान्य विज्ञान परीक्षाओं में अपेक्षित हो सकता है, वह यह है कि अशुद्धियों वाले हीरे (अर्धचालक) में तापमान बढ़ने पर चालकता बढ़ती है।**
फिर से सुधार: हीरे को डायमंड-आधारित इलेक्ट्रॉनिक्स में अर्धचालक के रूप में उपयोग किया जाता है, खासकर जब उसमें बोरॉन जैसी अशुद्धियाँ होती हैं। ऐसे अर्धचालकों में, तापमान बढ़ने पर संयोजी बैंड (valence band) से चालन बैंड (conduction band) में इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ जाती है, जिससे विद्युत चालकता बढ़ती है। इसलिए, अर्धचालक के रूप में हीरे के लिए, तापमान बढ़ाने पर चालकता बढ़ती है।
अतः, सही उत्तर (a) है।
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किस प्रकार के हीरे में, प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य कार्बन परमाणुओं से जुड़ा होता है?
- (a) ग्रेफाइट
- (b) फुलरीन
- (c) हीरा
- (d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): कार्बन के विभिन्न अपररूपों (allotropes) में परमाणुओं की व्यवस्था भिन्न होती है।
व्याख्या (Explanation): हीरे में, प्रत्येक कार्बन परमाणु तीन आयामी (3D) क्रिस्टल जाली में चार अन्य कार्बन परमाणुओं के साथ सहसंयोजक बंधनों द्वारा जुड़ा होता है। यह चतुष्फलकीय (tetrahedral) व्यवस्था हीरे की असाधारण कठोरता का कारण बनती है। ग्रेफाइट में, प्रत्येक कार्बन परमाणु केवल तीन अन्य कार्बन परमाणुओं से जुड़ा होता है, और फुलरीन (जैसे बकमिन्स्टरफुलरीन) की संरचनाएं भी भिन्न होती हैं।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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हीरे के काटने और पॉलिशिंग में उपयोग होने वाले औजारों में अक्सर हीरे की छोटी कणों का प्रयोग किया जाता है। यह प्रक्रिया भौतिकी के किस सिद्धांत पर आधारित है?
- (a) घर्षण (Friction)
- (b) घर्षण गुणांक (Coefficient of Friction)
- (c) अपघर्षण (Abrasion)
- (d) विसर्जन (Immersion)
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): अपघर्षण वह प्रक्रिया है जिसमें किसी कठोर पदार्थ के कण, किसी नरम पदार्थ की सतह को खरोंचते या घिसते हैं।
व्याख्या (Explanation): हीरे की असाधारण कठोरता का मतलब है कि यह लगभग किसी भी अन्य ज्ञात पदार्थ को काट या खरोंच सकता है। जब हीरे के कणों का उपयोग कटाई या पॉलिशिंग औजारों में किया जाता है, तो यह प्रक्रिया अपघर्षण कहलाती है। हीरे के कणों की कठोरता उन्हें औजारों के लिए अपघर्षक (abrasive) बनाती है, जिससे वे अन्य सामग्रियों को आसानी से हटा या आकार दे सकते हैं।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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हीरे को गर्म करने पर (लगभग 700°C से ऊपर) यह ऑक्सीजन की उपस्थिति में जलता है। इस प्रक्रिया में कौन सा यौगिक बनता है?
- (a) कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)
- (b) कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂)
- (c) जल (H₂O)
- (d) ओजोन (O₃)
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): कार्बन और उसके यौगिकों का दहन (combustion) ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है और मुख्य उत्पाद कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) होता है, यदि दहन पूर्ण हो।
व्याख्या (Explanation): कार्बन (हीरे के रूप में) ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करके कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) बनाता है। यह एक ऊष्माक्षेपी (exothermic) अभिक्रिया है। प्रतिक्रिया इस प्रकार होती है: C (ठोस) + O₂ (गैस) → CO₂ (गैस)।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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हीरे के निर्माण के लिए आवश्यक कार्बन परमाणु आवर्त सारणी (Periodic Table) के किस समूह (Group) से संबंधित हैं?
- (a) समूह 1 (क्षार धातुएँ)
- (b) समूह 14 (कार्बन समूह)
- (c) समूह 16 (चैलोजन)
- (d) समूह 18 (उत्कृष्ट गैसें)
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): आवर्त सारणी तत्वों को उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास और रासायनिक गुणों के आधार पर समूहों में व्यवस्थित करती है।
व्याख्या (Explanation): कार्बन (C) का परमाणु क्रमांक 6 है और इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 4 है। इसके बाहरी कोश में 4 इलेक्ट्रॉन होते हैं, और यह समूह 14 (जिसे कार्बन समूह भी कहा जाता है) का सदस्य है। यह समूह के अन्य सदस्यों जैसे सिलिकॉन (Si), जर्मेनियम (Ge), टिन (Sn) और लेड (Pb) के साथ कुछ समान रासायनिक गुण साझा करता है, लेकिन कार्बन की अद्वितीय बंधन बनाने की क्षमता ही हीरे जैसी संरचनाओं को संभव बनाती है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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हीरे को ‘कार्बन का सबसे शुद्ध रूप’ क्यों कहा जाता है?
- (a) क्योंकि यह सबसे महंगा होता है
- (b) क्योंकि इसमें अन्य तत्वों की अशुद्धियाँ नगण्य होती हैं
- (c) क्योंकि यह पारदर्शी होता है
- (d) क्योंकि यह विद्युत का सुचालक होता है
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): ‘शुद्धता’ किसी पदार्थ में मुख्य तत्व के प्रतिशत को संदर्भित करती है।
व्याख्या (Explanation): प्राकृतिक हीरे का निर्माण ऐसी परिस्थितियों में होता है कि वे मुख्य रूप से कार्बन से बने होते हैं। जबकि कुछ अशुद्धियाँ (जैसे नाइट्रोजन, बोरॉन) थोड़ी मात्रा में मौजूद हो सकती हैं, जो उनके रंग या गुणों को प्रभावित करती हैं, विशुद्ध रूप से वे अत्यधिक केंद्रित कार्बन होते हैं। अन्य कार्बन अपररूप जैसे चारकोल या कोयला अशुद्धियों के साथ मिश्रित होते हैं। इसलिए, हीरे को अक्सर कार्बन का सबसे शुद्ध प्राकृतिक रूप माना जाता है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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तापमान और दबाव के संबंध में, निम्न में से कौन सा कथन हीरे और ग्रेफाइट के बारे में सही है?
- (a) उच्च तापमान पर हीरा अधिक स्थिर होता है।
- (b) निम्न तापमान पर ग्रेफाइट अधिक स्थिर होता है।
- (c) बहुत उच्च दबाव पर हीरा ग्रेफाइट से अधिक स्थिर होता है।
- (d) हीरे और ग्रेफाइट की स्थिरता पर तापमान और दबाव का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): किसी पदार्थ की तापीयगतिकीय स्थिरता (thermodynamic stability) उसके आंतरिक ऊर्जा और एंट्रॉपी (entropy) पर निर्भर करती है, जो तापमान और दबाव से प्रभावित होती है।
व्याख्या (Explanation): मानक परिस्थितियों (कम तापमान और कम दबाव) में, ग्रेफाइट हीरे की तुलना में अधिक तापीयगतिकीय रूप से स्थिर होता है। हालाँकि, जैसे-जैसे दबाव बढ़ता है, हीरे की संरचना अधिक स्थिर होती जाती है। उच्च दबाव (और उच्च तापमान) की स्थितियाँ, जो पृथ्वी के मेंटल में पाई जाती हैं, हीरे के निर्माण और स्थिरता के लिए अनुकूल हैं। इसलिए, बहुत उच्च दबाव पर, हीरा ग्रेफाइट की तुलना में अधिक स्थिर होता है।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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हीरे की कठोरता को मापने के लिए किस पैमाने का उपयोग किया जाता है?
- (a) ब्रिनेल पैमाना
- (b) रॉकवेल पैमाना
- (c) मोह पैमाना (Mohs Scale)
- (d) विकर्स पैमाना
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): खनिजों की कठोरता को मापने के लिए एक सापेक्ष पैमाना विकसित किया गया है।
व्याख्या (Explanation): मोह पैमाना (Mohs Scale of Mineral Hardness) खनिजों की सापेक्ष खरोंच-कठोरता (scratch hardness) को मापता है। यह 10 खनिजों पर आधारित है, जहाँ सबसे नरम खनिज (जैसे टैल्क) को 1 और सबसे कठोर (हीरा) को 10 अंक दिया गया है। हीरे की कठोरता 10 है, जिसका अर्थ है कि यह मोह पैमाने पर किसी भी अन्य खनिज को खरोंच सकता है।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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निम्नलिखित में से कौन सा खनिज हीरे की कठोरता के करीब है, लेकिन उससे कम है?
- (a) क्वार्ट्ज (Mohs 7)
- (b) कोरंडम (Mohs 9)
- (c) टोपाज (Mohs 8)
- (d) फेल्डस्पार (Mohs 6)
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): मोह पैमाना खनिजों की कठोरता को क्रमबद्ध करता है।
व्याख्या (Explanation): मोह पैमाने पर, हीरे की कठोरता 10 है। कोरंडम (Corundum), जिसमें माणिक (ruby) और नीलम (sapphire) शामिल हैं, की कठोरता 9 होती है। टोपाज की 8, क्वार्ट्ज की 7, फेल्डस्पार की 6, और कैल्साइट की 3 होती है। इस प्रकार, कोरंडम हीरे के सबसे करीब की कठोरता वाला खनिज है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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कार्बन के किस अपरूप का उपयोग पेंसिल लेड (lead) बनाने में होता है?
- (a) हीरा
- (b) ग्रेफाइट
- (c) फुलरीन
- (d) चारकोल
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): विभिन्न कार्बन अपररूपों के भौतिक गुण उन्हें विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त बनाते हैं।
व्याख्या (Explanation): ग्रेफाइट की परतदार संरचना और परतों के बीच कमजोर बंधन इसे स्निग्ध (lubricious) और नरम बनाते हैं, जिससे यह आसानी से कागज पर निशान छोड़ सकता है। इसलिए, ग्रेफाइट का उपयोग पेंसिल की “लेड” (जो वास्तव में ग्रेफाइट और मिट्टी का मिश्रण होता है) बनाने में किया जाता है। हीरा बहुत कठोर होता है और पेंसिल लेड के लिए उपयुक्त नहीं है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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हीरे का घनत्व (density) क्या होता है?
- (a) लगभग 2.0 g/cm³
- (b) लगभग 3.5 g/cm³
- (c) लगभग 1.5 g/cm³
- (d) लगभग 4.0 g/cm³
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): किसी पदार्थ का घनत्व उसके द्रव्यमान प्रति इकाई आयतन को मापता है।
व्याख्या (Explanation): हीरे का घनत्व लगभग 3.51 से 3.53 ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर (g/cm³) होता है। यह उच्च घनत्व कार्बन परमाणुओं के तंग और कुशल पैकिंग के कारण है जो त्रि-आयामी जाली संरचना बनाते हैं।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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हीरे के ऊष्मीय चालकता (thermal conductivity) के बारे में क्या सच है?
- (a) यह धातुओं की तुलना में कम चालक है।
- (b) यह धातुओं की तुलना में अधिक चालक है।
- (c) यह लगभग सभी पदार्थों की तुलना में एक उत्कृष्ट ऊष्मीय चालक है।
- (d) यह एक ऊष्मीय रोधी (thermal insulator) है।
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): ऊष्मीय चालकता मापती है कि कोई पदार्थ कितनी आसानी से गर्मी का संचालन करता है।
व्याख्या (Explanation): हीरे में कार्बन परमाणुओं के बीच मजबूत सहसंयोजक बंधन और एक अच्छी तरह से व्यवस्थित जाली संरचना होती है। यह संरचना ऊष्मा को फोनन (phonons) के रूप में बहुत कुशलता से संचारित करने की अनुमति देती है। वास्तव में, शुद्ध हीरे की ऊष्मीय चालकता तांबे जैसी उत्कृष्ट धातुओं से भी अधिक होती है, जो इसे उच्च-शक्ति वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में हीट सिंक (heat sinks) के रूप में उपयोगी बनाती है।
अतः, सही उत्तर (c) है।
-
हीरे में पाए जाने वाले ‘नाइट्रोजन वेग’ (Nitrogen Vacancy – NV) दोषों का अध्ययन क्यों महत्वपूर्ण है?
- (a) ये दोष हीरे को अधिक कठोर बनाते हैं।
- (b) ये दोष हीरे को नीले रंग का बनाते हैं।
- (c) ये दोष क्वांटम कंप्यूटिंग और संवेदन (sensing) में अनुप्रयोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- (d) ये दोष हीरे के पिघलने के बिंदु को कम करते हैं।
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): क्रिस्टल संरचना में दोष (defects) पदार्थ के गुणों को महत्वपूर्ण रूप से बदल सकते हैं और नए अनुप्रयोगों को जन्म दे सकते हैं।
व्याख्या (Explanation): नाइट्रोजन वेग (NV) केंद्र हीरे की क्रिस्टल जाली में एक विशिष्ट प्रकार का दोष है, जहाँ एक कार्बन परमाणु को नाइट्रोजन परमाणु से बदल दिया जाता है और उसके पास एक रिक्त स्थान (vacancy) होता है। इन NV केंद्रों में अद्वितीय क्वांटम गुण होते हैं जो उन्हें क्वांटम कंप्यूटिंग, क्वांटम सेंसिंग और उच्च-परिशुद्धता वाले चुंबकीय क्षेत्र मापन जैसे क्षेत्रों में संभावित अनुप्रयोगों के लिए रुचि का विषय बनाते हैं।
अतः, सही उत्तर (c) है।
-
हीरे का अपवर्तनांक (refractive index) इतना अधिक क्यों होता है कि यह प्रकाश को इतना अधिक मोड़ता है?
- (a) क्योंकि इसमें आयोडीन की मात्रा अधिक होती है।
- (b) क्योंकि इसमें कार्बन परमाणुओं के बीच कमजोर बंधन होते हैं।
- (c) क्योंकि इसमें बहुत उच्च इलेक्ट्रॉन घनत्व (electron density) होता है।
- (d) क्योंकि यह अत्यधिक चुंबकीय होता है।
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): पदार्थ का अपवर्तनांक उसके माध्यम से प्रकाश की गति और सामग्री के प्रकाशीय गुणों से संबंधित होता है, विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनों की प्रतिक्रियाशीलता।
व्याख्या (Explanation): हीरे का उच्च अपवर्तनांक उसके उच्च इलेक्ट्रॉन घनत्व के कारण होता है। कार्बन परमाणुओं के बीच मजबूत सहसंयोजक बंधनों के कारण, इलेक्ट्रॉन नाभिक से बंधे तो होते हैं, लेकिन फिर भी वे बाहरी विद्युत चुम्बकीय क्षेत्रों (जैसे प्रकाश) के प्रति काफी ध्रुवीकरण योग्य (polarizable) होते हैं। यह ध्रुवीकरण प्रकाश की गति को कम करता है, जिससे अपवर्तन होता है।
अतः, सही उत्तर (c) है।