हवाई सुरक्षा की गुत्थी: AI 171 दुर्घटना रिपोर्ट पर पायलटों का विरोध, जानें क्यों जांच में जल्दबाजी घातक है?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):
हाल ही में, वैश्विक पायलटों के सबसे बड़े संगठन, इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ एयर लाइन पायलट्स एसोसिएशंस (IFALPA) ने 2010 में हुई एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट AI 171 (मैंगलोर विमान दुर्घटना) की आधिकारिक जांच रिपोर्ट पर गंभीर सवाल उठाए हैं। IFALPA ने आरोप लगाया है कि यह रिपोर्ट दुर्घटना के मूल कारणों के बारे में “कोई जवाब नहीं देती” और इसमें “जल्दबाजी में निष्कर्ष” निकाले गए हैं, जिससे भविष्य की विमानन सुरक्षा के लिए गलत सबक मिल सकते हैं। यह घटना विमान दुर्घटना जांच के अंतरराष्ट्रीय मानकों, “न्यायपूर्ण संस्कृति” (Just Culture) के सिद्धांत और मानवीय कारकों बनाम प्रणालीगत विफलताओं की जटिल बहस को फिर से सामने लाती है। यह मामला न केवल मैंगलोर दुर्घटना के पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि दुनिया भर में हवाई यात्रा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के व्यापक प्रयासों के लिए भी इसके दूरगामी परिणाम हैं।
एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट AI 171: पृष्ठभूमि (Air India Express Flight AI 171: Background)
मैंगलोर विमान दुर्घटना, जिसे एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट 812 (AIX 812) के रूप में भी जाना जाता है, भारतीय विमानन इतिहास की सबसे घातक दुर्घटनाओं में से एक है।
- कब और कहाँ: 22 मई, 2010 को मैंगलोर के बाजपे हवाई अड्डे पर हुई।
- शामिल विमान: बोइंग 737-800 विमान, जो दुबई से मैंगलोर आ रहा था।
- दुर्घटना का विवरण: विमान रनवे पर उतरते समय आगे निकल गया, रनवे के अंत में पहाड़ी से टकराकर घाटी में गिर गया और उसमें आग लग गई।
- परिणाम: विमान में सवार 166 लोगों (160 यात्री और 6 चालक दल) में से 158 की मौत हो गई, जबकि केवल 8 लोग चमत्कारी रूप से बच निकले। यह भारत में 1996 के चरखी दादरी एयर क्रैश के बाद से सबसे बड़ी हवाई दुर्घटना थी।
- प्रारंभिक धारणाएँ: दुर्घटना के तुरंत बाद, प्रारंभिक मीडिया रिपोर्टों और अटकलों ने मुख्य रूप से पायलट की गलती पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें “स्पेसियल डिसओरिएंटेशन” (Spatial Disorientation) और “अस्थिर दृष्टिकोण” (Unstabilized Approach) जैसे शब्द प्रमुखता से सामने आए।
आधिकारिक जांच रिपोर्ट और उसके निष्कर्ष (Official Investigation Report and its Findings)
मैंगलोर दुर्घटना की जांच भारत के नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तहत विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) द्वारा की गई थी। AAIB ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट नवंबर 2010 में जारी की।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:
- पायलट-प्रेरित त्रुटि: रिपोर्ट ने प्राथमिक कारण के रूप में “पायलट-प्रेरित त्रुटि” (Pilot-Induced Error) पर जोर दिया। इसमें कहा गया कि कैप्टन (एक अनुभवी सर्बियाई पायलट) ने रनवे पर बहुत देर से टचडाउन किया और एक “अस्थिर दृष्टिकोण” (Unstabilized Approach) अपनाया।
- ‘गो-अराउंड’ में विफलता: पायलट “गो-अराउंड” (विमान को वापस ऊपर ले जाकर दोबारा लैंडिंग का प्रयास करना) करने में विफल रहा, जबकि उसके पास ऐसा करने के लिए पर्याप्त समय और अवसर था।
- नींद की जड़ता/थकान: रिपोर्ट में इस बात पर भी ध्यान दिया गया कि कैप्टन संभवतः नींद की जड़ता (Sleep Inertia) से पीड़ित था, क्योंकि वह लैंडिंग से पहले सो रहा था। सह-पायलट ने भी कैप्टन को ‘गो-अराउंड’ के लिए प्रभावी ढंग से सलाह नहीं दी, या उसकी सलाह को कैप्टन ने नजरअंदाज कर दिया।
- प्रशिक्षण और प्रक्रियाओं में खामियाँ: रिपोर्ट में चालक दल संसाधन प्रबंधन (CRM) प्रशिक्षण और कुछ परिचालन प्रक्रियाओं में कमियों को भी रेखांकित किया गया, हालांकि इन्हें दुर्घटना का मुख्य कारण नहीं माना गया।
- अनुशंसाएँ: रिपोर्ट ने रनवे सुरक्षा, पायलट प्रशिक्षण में सुधार और थकान प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने की सिफारिशें कीं।
यह रिपोर्ट मुख्य रूप से पायलट के व्यक्तिगत निर्णयों और क्रियाओं पर केंद्रित थी, जिससे यह धारणा बनी कि दुर्घटना का प्राथमिक कारण एक अनुभवी पायलट की गलती थी।
वैश्विक पायलटों के संगठन IFALPA का रुख: क्यों उठ रहे हैं सवाल? (IFALPA’s Stance: Why Are Questions Being Raised?)
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ एयर लाइन पायलट्स एसोसिएशंस (IFALPA) दुनिया भर के 100 से अधिक देशों के पायलट संघों का प्रतिनिधित्व करता है, जो लाखों पायलटों की सामूहिक आवाज़ है। यह विमानन सुरक्षा, मानवीय कारक और पायलटों के कल्याण के लिए काम करने वाला एक गैर-लाभकारी संगठन है। IFALPA ने मैंगलोर दुर्घटना की आधिकारिक रिपोर्ट पर गंभीर आपत्तियां दर्ज की हैं।
IFALPA की आपत्तियों के मुख्य बिंदु:
- केवल पायलट पर दोषारोपण: IFALPA का तर्क है कि रिपोर्ट ने दुर्घटना के लिए लगभग पूरी तरह से पायलट को दोषी ठहराया है, जबकि प्रणालीगत विफलताओं और संगठनात्मक कारकों को पर्याप्त महत्व नहीं दिया गया। विमानन सुरक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि कोई भी दुर्घटना शायद ही कभी केवल एक कारक का परिणाम होती है; यह आमतौर पर कई छोटी-छोटी विफलताओं का एक क्रम होती है।
- “स्विस चीज़ मॉडल” की उपेक्षा: IFALPA इस बात पर जोर देता है कि दुर्घटनाओं को समझने के लिए प्रोफेसर जेम्स रीज़न के “स्विस चीज़ मॉडल” (Swiss Cheese Model) को समझना महत्वपूर्ण है।
स्विस चीज़ मॉडल: इस मॉडल के अनुसार, किसी भी जटिल प्रणाली (जैसे विमानन) में सुरक्षा उपायों की कई परतें होती हैं, जिन्हें “चीज़ की स्लाइस” के रूप में देखा जा सकता है। प्रत्येक स्लाइस में “छेद” (कमजोरियाँ या खामियाँ) होती हैं। आमतौर पर, ये छेद एक-दूसरे के साथ संरेखित नहीं होते, इसलिए किसी एक विफलता से दुर्घटना नहीं होती। लेकिन, जब कई छेदों का एक दुर्लभ संरेखण हो जाता है – यानी, कई सुरक्षा परतें एक साथ विफल हो जाती हैं – तभी दुर्घटना घटित होती है। IFALPA का मानना है कि AI 171 रिपोर्ट ने केवल पायलट रूपी अंतिम ‘छेद’ पर ध्यान केंद्रित किया, जबकि उन सभी ‘छेद’ (प्रणालीगत कमजोरियों) की पहचान नहीं की जो इस अंतिम विफलता तक पहुंचे।
- “क्यों” का जवाब नहीं: IFALPA का मुख्य तर्क यह है कि रिपोर्ट यह बताती है कि क्या हुआ, लेकिन यह पर्याप्त रूप से यह नहीं बताती कि “क्यों” हुआ। पायलट ने एक ‘अस्थिर दृष्टिकोण’ क्यों अपनाया? वह ‘गो-अराउंड’ क्यों नहीं कर पाया? क्या थकान प्रबंधन, परिचालन दबाव, प्रशिक्षण में अंतराल, या कॉकपिट में स्वचालन पर अत्यधिक निर्भरता जैसे गहरे अंतर्निहित कारक थे जिन्होंने पायलट के निर्णय को प्रभावित किया? रिपोर्ट इन सवालों का पर्याप्त विश्लेषण नहीं करती है।
- जांच प्रक्रिया पर सवाल: IFALPA ने जांच की पारदर्शिता और स्वतंत्रता पर भी चिंता व्यक्त की है। उनका मानना है कि ब्लैक बॉक्स डेटा (कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर – CVR और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर – FDR) का विश्लेषण और प्रस्तुत करने का तरीका अपर्याप्त था, और कुछ महत्वपूर्ण डेटा को अनदेखा किया गया या गलत तरीके से व्याख्या की गई।
- “जल्दबाजी में निष्कर्ष”: पायलटों के निकाय का आरोप है कि जांचकर्ता जल्दी से एक निष्कर्ष पर पहुँचना चाहते थे, जिससे गहरे कारणों की पड़ताल नहीं हो पाई। यदि दुर्घटना के मूल कारणों की पहचान ठीक से नहीं होती, तो भविष्य में इसी तरह की दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सही उपाय नहीं किए जा सकते।
- “दोषारोपण संस्कृति” (Blame Culture) बनाम “न्यायपूर्ण संस्कृति” (Just Culture): IFALPA का तर्क है कि इस तरह की रिपोर्ट एक ‘दोषारोपण संस्कृति’ को बढ़ावा देती है, जहाँ व्यक्तियों को दंडित किया जाता है, बजाय इसके कि ‘न्यायपूर्ण संस्कृति’ को अपनाया जाए जहाँ गलतियों से सीखने और प्रणालीगत सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। एक दोषारोपण संस्कृति में, लोग अपनी गलतियों को छिपाते हैं, जिससे सुरक्षा में सुधार बाधित होता है।
विमान दुर्घटना जांच का अंतर्राष्ट्रीय मानक: ICAO Annex 13 (International Standard for Aircraft Accident Investigation: ICAO Annex 13)
अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो हवाई नेविगेशन के सिद्धांतों और तकनीकों को संहिताबद्ध करती है और अंतर्राष्ट्रीय हवाई परिवहन के विकास की योजना और विकास करती है। इसके कई “एनेक्स” (परिशिष्ट) हैं, जिनमें से एक ICAO Annex 13 ‘विमान दुर्घटना और घटना जांच’ से संबंधित है।
ICAO Annex 13 के मुख्य सिद्धांत:
- मुख्य उद्देश्य: दुर्घटना जांच का प्राथमिक उद्देश्य भविष्य की दुर्घटनाओं को रोकना है, न कि दोष या देयता का निर्धारण करना। यह एक महत्वपूर्ण अंतर है।
- स्वतंत्रता: जांच प्राधिकरण राजनीतिक या परिचालन दबाव से पूरी तरह स्वतंत्र होना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होता है कि निष्कर्ष निष्पक्ष और वस्तुनिष्ठ हों।
- वस्तुनिष्ठता और निष्पक्षता: जांच वैज्ञानिक सिद्धांतों और साक्ष्यों पर आधारित होनी चाहिए, न कि अटकलों या पूर्वाग्रहों पर।
- पूर्णता: जांच को सभी संभावित योगदान कारकों पर विचार करना चाहिए, जिसमें मानवीय कारक, मशीनरी, पर्यावरण और संगठनात्मक/प्रणालीगत कारक शामिल हैं।
- जानकारी तक पहुँच: जांचकर्ताओं को कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) सहित सभी प्रासंगिक जानकारी तक अबाधित पहुँच होनी चाहिए।
- सुरक्षा संस्कृति/न्यायपूर्ण संस्कृति को बढ़ावा देना: जांच इस तरह से की जानी चाहिए जो विमानन कर्मियों को बिना किसी डर के सुरक्षा-संबंधी जानकारी साझा करने के लिए प्रोत्साहित करे, जिससे प्रणालीगत कमजोरियों की पहचान हो सके।
IFALPA का यह रुख है कि AI 171 रिपोर्ट ICAO Annex 13 के इन सिद्धांतों से भटक गई है, खासकर अपने ‘दोषारोपण-उन्मुख’ दृष्टिकोण और प्रणालीगत मुद्दों की उपेक्षा के कारण।
“मानवीय कारक” बनाम “सिस्टमगत विफलताएँ”: एक जटिल बहस (Human Factors vs. Systemic Failures: A Complex Debate)
विमानन सुरक्षा में, “मानवीय कारक” (Human Factors) और “सिस्टमगत विफलताएँ” (Systemic Failures) दो केंद्रीय अवधारणाएँ हैं जो दुर्घटनाओं को समझने और रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। अक्सर, इन दोनों के बीच एक जटिल अंतःक्रिया होती है।
मानवीय कारक (Human Factors):
ये वे कारक हैं जो मनुष्यों की क्षमताओं, सीमाओं और व्यवहार को प्रभावित करते हैं, विशेष रूप से जब वे प्रौद्योगिकी और पर्यावरण के साथ इंटरैक्ट करते हैं। विमानन संदर्भ में इनमें शामिल हैं:
- पायलट की त्रुटियाँ: गलत निर्णय, प्रक्रियाओं का पालन न करना, नियंत्रण में गलती, ध्यान भटकना।
- थकान और तनाव: लंबी उड़ानें, अनुचित ड्यूटी रोस्टर, व्यक्तिगत तनाव पायलटों की निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं।
- संचार: चालक दल के सदस्यों या एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) के साथ खराब संचार।
- प्रशिक्षण: अपर्याप्त या पुराना प्रशिक्षण।
- अनुभव: अनुभव की कमी या किसी विशेष स्थिति में अनुभव का अभाव।
मैंगलोर रिपोर्ट ने मुख्य रूप से पायलट की “नींद की जड़ता” और “गो-अराउंड न करने” जैसी मानवीय त्रुटियों पर ध्यान केंद्रित किया।
सिस्टमगत विफलताएँ (Systemic Failures):
ये वे विफलताएँ हैं जो व्यक्तियों की त्रुटियों से परे, व्यापक संगठनात्मक, नियामक, तकनीकी या पर्यावरणीय स्तर पर होती हैं। इनमें शामिल हो सकते हैं:
- संगठनात्मक संस्कृति: एक ऐसी संस्कृति जहाँ सुरक्षा की तुलना में लाभ को प्राथमिकता दी जाती है, या जहाँ त्रुटियों को छिपाया जाता है, न कि उनसे सीखा जाता है।
- नियामक निरीक्षण में कमी: नियामक संस्थाओं (जैसे DGCA) द्वारा एयरलाइंस या हवाई अड्डों पर पर्याप्त निरीक्षण या प्रवर्तन की कमी।
- उपकरण की खराबी या डिज़ाइन दोष: विमान या उसके घटकों में तकनीकी समस्याएँ, या हवाई अड्डे के बुनियादी ढांचे (जैसे रनवे डिज़ाइन, नेविगेशनल एड्स) में कमियाँ।
- प्रक्रियात्मक कमियाँ: अस्पष्ट या अपर्याप्त परिचालन प्रक्रियाएँ, या सुरक्षा प्रबंधन प्रणालियों (SMS) की कमजोरियाँ।
- थकान प्रबंधन नीतियाँ: एयरलाइंस द्वारा लागू की गई अपर्याप्त थकान प्रबंधन नीतियाँ जो पायलटों को अत्यधिक काम करने के लिए मजबूर करती हैं।
इनके बीच अंतःक्रिया: यह समझना महत्वपूर्ण है कि मानवीय त्रुटियाँ अक्सर प्रणालीगत विफलताओं का परिणाम होती हैं। उदाहरण के लिए, एक थका हुआ पायलट (मानवीय कारक) गलती कर सकता है क्योंकि एयरलाइन की थकान प्रबंधन नीति (प्रणालीगत विफलता) अपर्याप्त थी। यदि जांच केवल मानवीय त्रुटि पर रुक जाती है, तो अंतर्निहित प्रणालीगत समस्या को संबोधित नहीं किया जाता है, जिससे भविष्य में समान प्रकार की गलतियों की पुनरावृत्ति की संभावना बनी रहती है। IFALPA की चिंता यही है कि AI 171 रिपोर्ट ने इस अंतःक्रिया को ठीक से नहीं पहचाना और केवल सतह पर मानवीय त्रुटि को देखकर, गहरे प्रणालीगत मुद्दों को अनदेखा कर दिया।
भारत में विमानन सुरक्षा नियामक ढाँचा (Aviation Safety Regulatory Framework in India)
भारत में विमानन सुरक्षा और दुर्घटना जांच एक बहु-स्तरीय नियामक ढांचे द्वारा शासित होती है।
- नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA): यह भारत में नागरिक उड्डयन के लिए मुख्य नियामक निकाय है। DGCA लाइसेंसिंग, एयरलाइंस के परिचालन मानकों, एयरवर्थनेस, प्रशिक्षण और सुरक्षा निरीक्षण के लिए जिम्मेदार है। यह ICAO के मानकों और प्रथाओं को लागू करता है।
- विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB): यह नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधीन एक स्वतंत्र निकाय है, जो विमान दुर्घटनाओं और गंभीर घटनाओं की जांच के लिए जिम्मेदार है। इसका प्राथमिक उद्देश्य दुर्घटनाओं के कारणों का पता लगाना और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा सिफारिशें जारी करना है।
- ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (BCAS): यह नागरिक उड्डयन सुरक्षा के लिए नियामक निकाय है, जो हवाई अड्डों और एयरलाइंस पर सुरक्षा प्रोटोकॉल और उपायों को निर्धारित करता है।
- भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI): यह भारत में अधिकांश हवाई अड्डों का संचालन और प्रबंधन करता है, जिसमें एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) और नेविगेशनल सेवाओं का प्रावधान शामिल है।
चुनौतियाँ:
- संसाधन और विशेषज्ञता: AAIB जैसे निकायों को अक्सर पर्याप्त वित्तीय और मानव संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ता है, खासकर अत्याधुनिक जांच उपकरणों और विशेषज्ञों के संदर्भ में।
- स्वतंत्रता की धारणा: जबकि AAIB सैद्धांतिक रूप से स्वतंत्र है, कभी-कभी इसकी स्वायत्तता पर सवाल उठाए जाते हैं, खासकर जब जांच में सरकारी या अर्ध-सरकारी संस्थाएँ शामिल हों। ICAO मानक एक पूर्ण स्वतंत्र जांच निकाय की आवश्यकता पर बल देते हैं।
- कार्यान्वयन: जांच रिपोर्टों द्वारा की गई सिफारिशों का समय पर और प्रभावी कार्यान्वयन एक चुनौती बनी हुई है।
- डेटा सुरक्षा: ब्लैक बॉक्स डेटा (CVR/FDR) के विश्लेषण और उपयोग को लेकर संवेदनशीलता और गोपनीयता बनाए रखना।
आगे की राह: सुरक्षित आकाश के लिए आवश्यक कदम (Way Forward: Necessary Steps for a Safer Sky)
मैंगलोर विमान दुर्घटना और उस पर वैश्विक पायलटों के निकाय द्वारा उठाए गए सवाल हमें विमानन सुरक्षा के प्रति अपने दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने का अवसर देते हैं। एक सुरक्षित आकाश सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित कदम महत्वपूर्ण हैं:
- जांच प्रक्रियाओं में ICAO मानकों का पूर्ण अनुपालन:
- AAIB की स्वतंत्रता और स्वायत्तता को और मजबूत किया जाना चाहिए ताकि यह राजनीतिक या अन्य बाहरी दबावों से मुक्त होकर निष्पक्ष जांच कर सके।
- जांच में ICAO Annex 13 के सिद्धांतों का अक्षरशः पालन हो, जिसमें प्राथमिक उद्देश्य भविष्य की दुर्घटनाओं को रोकना हो, न कि दोषारोपण करना।
- “न्यायपूर्ण संस्कृति” (Just Culture) का विकास:
- एयरलाइंस, नियामक और जांच निकायों को ऐसी संस्कृति को बढ़ावा देना चाहिए जहाँ कर्मी (पायलट, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर, मेंटेनेंस स्टाफ) बिना किसी डर के अपनी गलतियों या सुरक्षा चिंताओं की रिपोर्ट कर सकें।
- लक्ष्य गलतियों को छिपाने के बजाय उनसे सीखना होना चाहिए, जिससे प्रणालीगत कमजोरियों की पहचान हो सके।
- मानवीय कारकों का गहन विश्लेषण:
- जांच में केवल मानवीय त्रुटियों को नोट करने के बजाय, उनके पीछे के “क्यों” का गहरा विश्लेषण किया जाना चाहिए। इसमें थकान, दबाव, प्रशिक्षण की गुणवत्ता, कार्यस्थल संस्कृति और स्वचालन के साथ इंटरफेस जैसे कारक शामिल हैं।
- विशेषज्ञ मनोवैज्ञानिकों और मानवीय कारक विशेषज्ञों को जांच टीमों का अभिन्न अंग होना चाहिए।
- थकान जोखिम प्रबंधन प्रणाली (FRMS) का सुदृढ़ीकरण:
- पायलटों और एयर क्रू के लिए प्रभावी थकान जोखिम प्रबंधन प्रणाली लागू की जानी चाहिए, जिसमें उड़ान और ड्यूटी समय की सीमाएँ, पर्याप्त आराम के प्रावधान और थकान की रिपोर्टिंग के लिए एक गैर-दंडात्मक प्रणाली शामिल हो।
- सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली (SMS) का प्रभावी कार्यान्वयन:
- सभी विमानन ऑपरेटरों (एयरलाइंस, हवाई अड्डे, ATC) को मजबूत सुरक्षा प्रबंधन प्रणालियाँ (SMS) स्थापित करनी चाहिए, जो सक्रिय रूप से जोखिमों की पहचान करें, उनका आकलन करें और उन्हें कम करें।
- नियमित सुरक्षा ऑडिट और प्रदर्शन निगरानी महत्वपूर्ण हैं।
- बेहतर प्रशिक्षण और अनुकरण:
- पायलटों का प्रशिक्षण केवल तकनीकी कौशल पर केंद्रित नहीं होना चाहिए, बल्कि इसमें गैर-तकनीकी कौशल जैसे निर्णय लेने, स्थितिजन्य जागरूकता, टीम वर्क और तनाव प्रबंधन भी शामिल होना चाहिए।
- सिम्युलेटर-आधारित प्रशिक्षण में असामान्य और आपातकालीन स्थितियों का अधिक वास्तविक अनुकरण शामिल होना चाहिए।
- डेटा-संचालित सुरक्षा निगरानी:
- उड़ान डेटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) से प्राप्त डेटा का उपयोग केवल दुर्घटनाओं के बाद नहीं, बल्कि नियमित सुरक्षा निगरानी और निवारक उपायों के लिए भी किया जाना चाहिए।
- फ्लाइट ऑपरेशंस क्वालिटी एश्योरेंस (FOQA) कार्यक्रमों को मजबूत करना।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और ज्ञान साझाकरण:
- भारत को विमानन सुरक्षा के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने और अन्य देशों और संगठनों (जैसे IFALPA, ICAO) के साथ सक्रिय रूप से ज्ञान और अनुभव साझा करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
- विमान दुर्घटना जांच में अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
मैंगलोर में एयर इंडिया एक्सप्रेस की AI 171 उड़ान की दुर्घटना एक दर्दनाक घटना थी, और इसके बाद की जांच का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि ऐसी त्रासदी फिर कभी न हो। IFALPA द्वारा रिपोर्ट पर सवाल उठाना न केवल इस विशेष मामले में पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग करता है, बल्कि यह विमानन सुरक्षा के व्यापक दर्शन पर भी प्रकाश डालता है। यदि हम वास्तव में एक सुरक्षित हवाई यात्रा प्रणाली का निर्माण करना चाहते हैं, तो हमें दुर्घटनाओं को केवल व्यक्तिगत पायलट की गलती के रूप में देखने की संकीर्ण सोच से ऊपर उठना होगा।
इसके बजाय, हमें एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना चाहिए जो मानवीय त्रुटियों के पीछे के गहरे प्रणालीगत कारणों को उजागर करता है – चाहे वे संगठनात्मक हों, तकनीकी हों, या नियामक। “न्यायपूर्ण संस्कृति” और “दोषारोपण संस्कृति” के बीच का अंतर सिर्फ एक सैद्धांतिक बहस नहीं है, बल्कि यह सीधे तौर पर इस बात पर निर्भर करता है कि भविष्य में कितने जीवन बचेंगे। भारत के लिए, यह एक अवसर है कि वह अपनी विमानन सुरक्षा जांच प्रणाली को अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ संरेखित करे, जिससे एक ऐसा वातावरण बने जहाँ त्रुटियों से सीखा जाए, न कि उन्हें छिपाया जाए। तभी हम सचमुच “सुरक्षित आकाश” के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
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मैंगलोर विमान दुर्घटना (AI 171) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- यह बोइंग 737-800 विमान से संबंधित थी।
- यह भारत में 2000 के बाद की सबसे घातक हवाई दुर्घटना थी।
- दुर्घटना में विमान में सवार सभी 166 लोगों की मृत्यु हो गई।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3उत्तर: (a)
व्याख्या: कथन 1 सही है। कथन 2 गलत है क्योंकि यह 1996 के चरखी दादरी एयर क्रैश के बाद सबसे घातक थी, न कि 2000 के बाद। कथन 3 गलत है क्योंकि 8 लोग इस दुर्घटना में बच गए थे। -
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ एयर लाइन पायलट्स एसोसिएशंस (IFALPA) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- यह संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो हवाई नेविगेशन के सिद्धांतों को संहिताबद्ध करती है।
- यह दुनिया भर के पायलट संघों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक गैर-लाभकारी संगठन है।
- इसका मुख्य उद्देश्य विमानन सुरक्षा और मानवीय कारकों को बढ़ावा देना है।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3उत्तर: (b)
व्याख्या: कथन 1 गलत है। ICAO (अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन) संयुक्त राष्ट्र की वह एजेंसी है जो हवाई नेविगेशन के सिद्धांतों को संहिताबद्ध करती है। IFALPA एक गैर-लाभकारी संगठन है जो पायलट संघों का प्रतिनिधित्व करता है और विमानन सुरक्षा व मानवीय कारकों पर काम करता है। इसलिए, कथन 2 और 3 सही हैं। -
“स्विस चीज़ मॉडल” (Swiss Cheese Model) विमानन सुरक्षा के संदर्भ में, निम्नलिखित में से किसकी व्याख्या करता है?
(a) विमान के इंजन में खराबी का पैटर्न
(b) एयर ट्रैफिक कंट्रोल में संचार त्रुटियों का कारण
(c) जटिल प्रणालियों में सुरक्षा कमजोरियों और दुर्घटनाओं के अनुक्रम
(d) पायलट प्रशिक्षण में उपयोग की जाने वाली सिमुलेशन तकनीकउत्तर: (c)
व्याख्या: स्विस चीज़ मॉडल बताता है कि जटिल प्रणालियों में दुर्घटनाएँ कई सुरक्षा परतों (चीज़ की स्लाइस) में मौजूद कमजोरियों (छेद) के एक साथ संरेखित होने के कारण होती हैं, जिससे खतरा प्रणाली से होकर गुजरता है और दुर्घटना का कारण बनता है। -
विमानन दुर्घटना जांच के संदर्भ में “न्यायपूर्ण संस्कृति” (Just Culture) का क्या अर्थ है?
(a) एक ऐसी प्रणाली जहाँ गलती करने वाले को तुरंत दंडित किया जाता है।
(b) एक ऐसा वातावरण जहाँ व्यक्ति अपनी गलतियों या सुरक्षा चिंताओं की रिपोर्ट बिना किसी दंड के डर के कर सकते हैं, ताकि उनसे सीखा जा सके।
(c) केवल न्यायिक अधिकारियों द्वारा दुर्घटना की जांच।
(d) अंतरराष्ट्रीय अदालतों में पायलटों के खिलाफ मुकदमों की निष्पक्ष सुनवाई।उत्तर: (b)
व्याख्या: न्यायपूर्ण संस्कृति एक ऐसा वातावरण है जहाँ सुरक्षा-संबंधी जानकारी के प्रदाता (जैसे पायलट, एटीसी) को उनके कार्यों के लिए दंडित नहीं किया जाता है यदि वे अनजाने में त्रुटियां करते हैं, लेकिन गंभीर लापरवाही या जानबूझकर नियमों का उल्लंघन करने पर उचित कार्रवाई होती है। इसका लक्ष्य गलतियों से सीखना है, न कि उन्हें छिपाना। -
ICAO Annex 13 का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
(a) विमानन कर्मियों को लाइसेंस जारी करना।
(b) अंतरराष्ट्रीय हवाई मार्गों का निर्धारण करना।
(c) विमान दुर्घटनाओं के कारणों की पहचान करना ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
(d) विमानन उद्योग में आर्थिक प्रतिस्पर्धा को नियंत्रित करना।उत्तर: (c)
व्याख्या: ICAO Annex 13 ‘विमान दुर्घटना और घटना जांच’ से संबंधित है और इसका प्राथमिक उद्देश्य भविष्य की दुर्घटनाओं को रोकना है, न कि दोष या देयता का निर्धारण करना। -
भारत में नागरिक उड्डयन के लिए मुख्य नियामक निकाय कौन सा है?
(a) भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI)
(b) विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB)
(c) नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA)
(d) ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (BCAS)उत्तर: (c)
व्याख्या: DGCA भारत में नागरिक उड्डयन के लिए मुख्य नियामक निकाय है, जो लाइसेंसिंग, परिचालन मानकों और सुरक्षा निरीक्षण के लिए जिम्मेदार है। -
विमानन सुरक्षा के संदर्भ में, “मानवीय कारक” में निम्नलिखित में से कौन-सा शामिल हो सकता है?
- पायलट की थकान
- अनुचित रनवे डिज़ाइन
- एयरलाइन की खराब वित्तीय स्थिति
- विमान के इंजन की तकनीकी खराबी
निम्नलिखित में से सही विकल्प चुनें:
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4उत्तर: (a)
व्याख्या: मानवीय कारक सीधे तौर पर मानव के प्रदर्शन और व्यवहार से संबंधित होते हैं। पायलट की थकान (1) एक मानवीय कारक है। अनुचित रनवे डिज़ाइन (2), एयरलाइन की खराब वित्तीय स्थिति (3) और विमान के इंजन की तकनीकी खराबी (4) प्रणालीगत या तकनीकी कारक हैं। -
एक “स्थिर दृष्टिकोण” (Stabilized Approach) से क्या तात्पर्य है?
(a) एक ऐसी लैंडिंग जहाँ विमान रनवे पर देर से टचडाउन करता है।
(b) लैंडिंग से ठीक पहले विमान के इंजन बंद कर देना।
(c) एक निर्धारित गेट और गति सीमा के भीतर लैंडिंग के लिए एक नियंत्रित दृष्टिकोण।
(d) खराब मौसम में दृश्य लैंडिंग करना।उत्तर: (c)
व्याख्या: एक स्थिर दृष्टिकोण एक नियंत्रित लैंडिंग होता है जहाँ विमान एक निश्चित ऊंचाई, गति, विन्यास और दर पर होता है, जो सुरक्षित टचडाउन सुनिश्चित करता है। यदि इन मापदंडों का उल्लंघन होता है, तो ‘गो-अराउंड’ करना आवश्यक होता है। -
निम्नलिखित में से कौन-सा विमान दुर्घटना जांच का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत नहीं है जैसा कि ICAO द्वारा अनुशंसित है?
(a) जांच का प्राथमिक उद्देश्य दोष का निर्धारण करना होना चाहिए।
(b) जांच प्राधिकरण राजनीतिक या परिचालन दबाव से स्वतंत्र होना चाहिए।
(c) जांच में सभी संभावित योगदान कारकों पर विचार करना चाहिए।
(d) जांच वैज्ञानिक सिद्धांतों और साक्ष्यों पर आधारित होनी चाहिए।उत्तर: (a)
व्याख्या: ICAO का मुख्य सिद्धांत यह है कि जांच का प्राथमिक उद्देश्य भविष्य की दुर्घटनाओं को रोकना है, न कि दोष या देयता का निर्धारण करना। यह दोषारोपण संस्कृति को बढ़ावा नहीं देता। -
भारत में विमानन सुरक्षा नियामक ढांचे के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है?
(a) DGCA भारत में विमान दुर्घटनाओं की जांच के लिए जिम्मेदार मुख्य निकाय है।
(b) AAIB विमानन सुरक्षा के लिए मुख्य नियामक निकाय है।
(c) BCAS नागरिक उड्डयन सुरक्षा के लिए नियामक निकाय है।
(d) AAI केवल एयरलाइंस का संचालन करता है, हवाई अड्डों का नहीं।उत्तर: (c)
व्याख्या: DGCA नियामक निकाय है, लेकिन दुर्घटना जांच AAIB करता है। BCAS नागरिक उड्डयन सुरक्षा के लिए नियामक निकाय है। AAI हवाई अड्डों का संचालन और प्रबंधन करता है, जिसमें ATC सेवाएँ शामिल हैं।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- मैंगलोर विमान दुर्घटना (AI 171) की जांच रिपोर्ट पर वैश्विक पायलटों के संगठन IFALPA द्वारा उठाए गए गंभीर सवालों का आलोचनात्मक विश्लेषण करें। विमानन सुरक्षा पर ऐसी रिपोर्टों के दूरगामी निहितार्थों पर चर्चा करें।
- “विमान दुर्घटनाएँ शायद ही कभी किसी एक कारक का परिणाम होती हैं, बल्कि वे प्रणालीगत विफलताओं और मानवीय त्रुटियों के एक जटिल संगम का परिणाम होती हैं।” इस कथन के आलोक में, विमानन दुर्घटना जांच में “न्यायपूर्ण संस्कृति” (Just Culture) के महत्व और “दोषारोपण संस्कृति” (Blame Culture) से इसके अंतर पर प्रकाश डालें।
- भारत में विमान दुर्घटना जांच तंत्र के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं? ICAO के सर्वोत्तम अभ्यासों के अनुरूप इसकी स्वतंत्रता और प्रभावशीलता को मजबूत करने के लिए आवश्यक उपायों का सुझाव दें।
- थकान जोखिम प्रबंधन प्रणाली (Fatigue Risk Management System – FRMS) विमानन सुरक्षा के लिए क्यों महत्वपूर्ण है? भारत में इसके प्रभावी कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों और आगे की राह पर चर्चा करें।