हलफनामा विवाद: राहुल गांधी ने संसद में ली शपथ, EC को दिया जवाब
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, एक उल्लेखनीय राजनीतिक घटनाक्रम में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख नेता राहुल गांधी ने संसद के अंदर अपनी शपथ ली। यह कदम भारत के चुनाव आयोग (EC) द्वारा उन्हें एक हलफनामा प्रस्तुत करने के लिए कहे जाने के जवाब में आया है। यह घटनाक्रम राजनीतिक गलियारों में बहस का विषय बन गया है, जो चुनावी प्रक्रियाओं, हलफनामों के महत्व और संसद की संप्रभुता जैसे महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दों को उठाता है। यह ब्लॉग पोस्ट इस पूरी स्थिति की पड़ताल करेगा, इसके पीछे के संदर्भ को समझाएगा, और UPSC उम्मीदवारों के लिए प्रासंगिक संवैधानिक पहलुओं पर प्रकाश डालेगा।
पृष्ठभूमि: हलफनामा प्रस्तुत करने की EC की मांग
यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को एक हलफनामा प्रस्तुत करने के लिए कहा। हालांकि इस हलफनामे के विशिष्ट विवरण सार्वजनिक डोमेन में व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन ऐसी रिपोर्टें थीं कि यह किसी विशेष मामले या आरोप से संबंधित हो सकता है, जिसमें राहुल गांधी को एक विशेष बयान देना या प्रतिबद्धता व्यक्त करनी थी। चुनाव आयोग, भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों को सुनिश्चित करने वाली संस्था के रूप में, इस तरह की औपचारिकताएँ अपने कार्यों के निर्वहन के लिए आवश्यक मान सकता है।
राहुल गांधी का जवाब: संसद में शपथ
चुनाव आयोग द्वारा हलफनामा प्रस्तुत करने के निर्देश के जवाब में, राहुल गांधी ने एक अनूठा और प्रतीकात्मक कदम उठाया। उन्होंने संसद के अंदर, विधिवत रूप से, अपने पद की शपथ ली। यह कार्रवाई कई मायनों में महत्वपूर्ण थी:
- संवैधानिक मंच का उपयोग: संसद भारत गणराज्य का सर्वोच्च विधायी निकाय है। इसके अंदर शपथ लेना, विशेष रूप से संसद सदस्य के रूप में, एक शक्तिशाली संवैधानिक बयान है।
- EC की मांग को अप्रत्यक्ष चुनौती: हलफनामा प्रस्तुत करने के बजाय, संसद में शपथ लेकर, गांधी ने अप्रत्यक्ष रूप से EC की मांग को संबोधित किया। उन्होंने यह संकेत दिया कि वह अपनी निष्ठा और प्रतिबद्धता संसद और देश के प्रति व्यक्त करेंगे, न कि किसी बाहरी निर्देश के माध्यम से।
- “सांसद के रूप में शपथ” का महत्व: एक सांसद के रूप में ली गई शपथ का अपना एक संवैधानिक औचित्य है। यह शपथ संविधान की रक्षा और अपने कर्तव्यों के निर्वहन की प्रतिबद्धता व्यक्त करती है।
यह घटनाक्रम क्यों महत्वपूर्ण है? UPSC के लिए प्रासंगिकता
यह घटना सिर्फ एक राजनीतिक बयानबाजी का मामला नहीं है; यह भारतीय राजनीतिक और संवैधानिक व्यवस्था के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को छूती है, जो UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं।
1. चुनाव आयोग (EC) की भूमिका और शक्तियाँ
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 324, भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के संचालन के लिए एक स्वतंत्र निकाय – चुनाव आयोग – की स्थापना करता है।
अनुच्छेद 324(1): “संसदों और प्रत्येक राज्य की विधानमंडलों के लिए निर्वाचनों के अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण की शक्ति भारत के निर्वाचन आयोग में निहित होगी।”
EC की शक्तियाँ केवल चुनाव कराने तक सीमित नहीं हैं। यह चुनाव के दौरान आचार संहिता के उल्लंघन, उम्मीदवारों की अयोग्यता आदि से संबंधित मामलों में भी निर्णय ले सकता है।
- EC की शक्तियाँ:
- चुनाव अधिसूचना जारी करना।
- मतदाता सूची तैयार करना और प्रकाशित करना।
- चुनाव कराना, शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से।
- चुनाव आचार संहिता को लागू करना।
- चुनाव प्रचार के दौरान अभद्र भाषा या अन्य उल्लंघनों पर कार्रवाई करना।
- उम्मीदवारों को किसी विशेष मामले पर हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश देना, यदि यह चुनाव प्रक्रिया के निष्पक्ष संचालन के लिए आवश्यक समझा जाए।
- EC की सीमाएँ: EC की शक्तियाँ कानून और संविधान द्वारा निर्धारित हैं। यह मनमाने ढंग से कार्य नहीं कर सकता। इसकी प्रत्येक कार्रवाई का एक संवैधानिक या वैधानिक आधार होना चाहिए।
2. हलफनामा (Affidavit) और उसका महत्व
हलफनामा एक लिखित बयान होता है जिसे शपथ या प्रतिज्ञान के तहत निष्पादित किया जाता है, जिसका अर्थ है कि बयान देने वाला व्यक्ति यह पुष्टि करता है कि उसमें कही गई बातें सत्य हैं।
- कानूनी महत्व: हलफनामा अदालतों और अन्य कानूनी या अर्ध-न्यायिक निकायों में साक्ष्य के रूप में काम करते हैं। वे सच्चाई की पुष्टि का एक साधन हैं।
- चुनावी हलफनामे: चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को अपने बारे में, अपनी संपत्ति, देनदारियों, आपराधिक रिकॉर्ड (यदि कोई हो) आदि के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करने के लिए हलफनामा प्रस्तुत करना अनिवार्य है। यह पारदर्शिता सुनिश्चित करने और मतदाताओं को सूचित निर्णय लेने में मदद करने के लिए है (जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951)।
- EC द्वारा हलफनामे की मांग: EC विशिष्ट मामलों में, विशेष रूप से चुनावी कदाचार या आचार संहिता के उल्लंघन से संबंधित जांच के दौरान, व्यक्तियों से हलफनामा मांग सकता है। यह जांच प्रक्रिया का एक हिस्सा हो सकता है।
3. संसद की संप्रभुता और विशेषाधिकार
संसद भारत का सर्वोच्च विधायी अंग है। इसके सदस्यों को कुछ विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं जो उन्हें अपने कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से निर्वहन करने की अनुमति देते हैं।
- संवैधानिक प्रावधान: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 105 संसद और उसके सदस्यों के विशेषाधिकारों और उन्मुक्तियों से संबंधित है।
- संसद की गरिमा: संसद के भीतर लिया गया कोई भी कार्य, जैसे कि शपथ लेना, संसद की गरिमा और उसकी प्रक्रियाओं से जुड़ा होता है। संसद सदस्य के रूप में शपथ लेना एक संवैधानिक दायित्व है, जिसे संसद के पवित्र सदन के भीतर ही पूरा किया जाना चाहिए।
- EC के निर्देश बनाम संसदीय प्रक्रिया: यह सवाल उठता है कि क्या कोई बाहरी निकाय, जैसे EC, किसी सदस्य को संसद के बाहर हलफनामा प्रस्तुत करने के लिए मजबूर कर सकता है, जब वह सदस्य पहले ही अपने पद की शपथ ले चुका हो या लेने वाला हो। राहुल गांधी की कार्रवाई का अर्थ यह हो सकता है कि वे EC की मांग को संसद के विधायी कार्य पर अनुचित हस्तक्षेप के रूप में देख रहे थे।
अनुच्छेद 105(1): “संसद के प्रत्येक सदन की, तथा सदन में या उसकी किसी समिति में कार्य करने वाले उसके प्रत्येक सदस्य की शक्तियाँ, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियाँ, जहाँ तक वे इस संविधान के उपबंधों द्वारा अन्यथा परिभाषित या निर्बंधित नहीं की गई हैं, वे होंगी जो उस समय प्रिविलेज के कानून द्वारा परिभाषित या निर्बंधित की गई हैं।”
4. “सांसद के रूप में शपथ” बनाम “हलफनामा”
यहां मुख्य अंतर यह है कि शपथ संविधान के प्रति निष्ठा व्यक्त करती है और एक संवैधानिक प्रक्रिया का हिस्सा है, जबकि हलफनामा किसी विशेष मामले में किसी व्यक्ति द्वारा तथ्यात्मक विवरण प्रस्तुत करने का एक साधन है।
- शपथ की प्रकृति: यह एक औपचारिक, सार्वजनिक घोषणा है जो व्यक्ति की संवैधानिक पद के प्रति निष्ठा को स्थापित करती है।
- हलफनामे की प्रकृति: यह एक निजी या अर्ध-निजी दस्तावेज़ हो सकता है जो किसी विशिष्ट जांच या प्रक्रिया के लिए प्रासंगिक हो।
राहुल गांधी ने संभवतः यह प्रदर्शित करने की कोशिश की कि उनकी प्रतिबद्धता संसद के माध्यम से व्यक्त की जानी चाहिए, न कि EC द्वारा निर्देशित हलफनामे के माध्यम से। यह EC की मांग की वैधता और दायरे पर एक परोक्ष प्रश्न भी उठाता है।
पक्ष और विपक्ष (Arguments For and Against)
इस घटनाक्रम के पक्ष और विपक्ष दोनों में तर्क दिए जा सकते हैं:
राहुल गांधी की कार्रवाई के पक्ष में तर्क:
- संसदीय संप्रभुता का बचाव: EC द्वारा हलफनामा की मांग को EC द्वारा संसद के कामकाज में अनुचित हस्तक्षेप के रूप में देखा जा सकता है। संसद सदस्य के रूप में शपथ लेकर, उन्होंने संसद की सर्वोच्चता और अपनी संवैधानिक भूमिका पर जोर दिया।
- पारदर्शिता और जवाबदेही: उन्होंने यह संकेत दिया कि वे सार्वजनिक मंचों (जैसे संसद) पर जवाबदेह हैं, न कि गुप्त या बाहरी दस्तावेजों के माध्यम से।
- चुनावी प्रक्रिया में राजनीतिकरण से बचना: EC की मांग को चुनावी प्रक्रिया के राजनीतिकरण या किसी विशेष नेता को निशाना बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है। संसद में शपथ लेकर, उन्होंने इस आरोप को संबोधित करने की कोशिश की।
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम का अनुपालन: उम्मीदवार चुनाव लड़ने के लिए नामांकन दाखिल करते समय हलफनामा देते हैं। संसद सदस्य के रूप में, उनकी शपथ संवैधानिक ढांचे के भीतर उनकी नई भूमिका को परिभाषित करती है।
राहुल गांधी की कार्रवाई के विपक्ष में तर्क (या EC की मांग के समर्थन में):
- EC की वैधानिक शक्ति: EC के पास चुनाव प्रक्रिया को नियंत्रित करने और यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक शक्तियाँ हैं कि सभी उम्मीदवार और निर्वाचित सदस्य नियमों का पालन करें। यदि हलफनामे की मांग कानून के दायरे में थी, तो उसे मानना पड़ेगा।
- जांच की निष्पक्षता: EC को किसी विशेष मामले की निष्पक्ष जांच के लिए हलफनामा मांगने का अधिकार हो सकता है। इससे इनकार करना जांच को बाधित कर सकता है।
- समान व्यवहार: यदि किसी अन्य सांसद या उम्मीदवार को समान परिस्थितियों में हलफनामा प्रस्तुत करने के लिए कहा गया होता, तो उन्हें भी यही करना पड़ता।
- कानून के शासन का सम्मान: किसी भी संस्था के निर्देशों का पालन करना, जब तक कि वे स्पष्ट रूप से अवैध न हों, कानून के शासन का हिस्सा है।
इस मामले से जुड़े संवैधानिक प्रश्न
यह घटना कई महत्वपूर्ण संवैधानिक प्रश्न खड़े करती है:
- EC की शक्तियाँ बनाम संसद की संप्रभुता: क्या EC किसी निर्वाचित सांसद से संसद में शपथ लेने से पहले या बाद में किसी विशेष मामले पर हलफनामा प्रस्तुत करने की मांग कर सकता है, जो संसद की अपनी प्रक्रिया या विशेषाधिकारों में हस्तक्षेप कर सकता है?
- हलफनामे की आवश्यकता का औचित्य: EC द्वारा हलफनामा मांगने का आधार क्या था? क्या यह किसी मौजूदा कानून या नियम के तहत एक अनिवार्य आवश्यकता थी, या यह EC की विवेकाधीन शक्ति का उपयोग था?
- प्रक्रियात्मक औचित्य: यदि EC का इरादा यह सुनिश्चित करना था कि राहुल गांधी किसी विशेष मामले पर पारदर्शी रहें, तो क्या संसद में शपथ लेना इस उद्देश्य को पूरा करता है?
UPSC परीक्षा के लिए तैयारी कैसे करें
यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों के लिए उपयोगी है:
- प्रारंभिक परीक्षा (Prelims):
- भारतीय राजव्यवस्था: EC की संरचना, शक्तियाँ और कार्य; अनुच्छेद 324; जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951; संसद के विशेषाधिकार (अनुच्छेद 105)।
- कानूनी शब्दावली: हलफनामा, शपथ, प्रतिज्ञान, संविधान, कानून।
- मुख्य परीक्षा (Mains):
- GS-II (राजव्यवस्था और शासन):
- EC की भूमिका और उसकी निष्पक्षता सुनिश्चित करने के तरीके।
- विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों का पृथक्करण और संतुलन।
- संसद की विशेषाधिकार और उसकी सीमाएँ।
- चुनाव सुधार और चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता।
- सांविधानिक निकायों के बीच शक्तियों का टकराव और उनके समाधान।
- GS-IV (नीतिशास्त्र):
- सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्तियों से अपेक्षित निष्ठा और पारदर्शिता।
- संवैधानिक मूल्यों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बीच संतुलन।
- नैतिक दुविधाएँ जब विधायी कर्तव्य और बाहरी निर्देश टकराते हैं।
आगे की राह और निष्कर्ष
यह घटना भारतीय लोकतंत्र में संस्थागत संतुलन, शक्तियों के पृथक्करण और व्यक्तिगत विशेषाधिकारों के बारे में एक महत्वपूर्ण बहस को जन्म देती है। यह महत्वपूर्ण है कि चुनाव आयोग और संसद दोनों ही संवैधानिक ढांचे के भीतर काम करें, और उनकी कार्रवाइयां स्पष्ट रूप से परिभाषित हों।
भविष्य में, यह आवश्यक है कि:
- EC अपनी शक्तियों का प्रयोग संवैधानिक और वैधानिक सीमाओं के भीतर करे, यह सुनिश्चित करते हुए कि वे निष्पक्ष और पारदर्शी रहें।
- संसद के सदस्य भी अपने विशेषाधिकारों का प्रयोग जिम्मेदारी से करें और संवैधानिक संस्थाओं के साथ उचित समन्वय बनाए रखें।
- ऐसे मामलों को सुलझाने के लिए स्पष्ट कानूनी और संवैधानिक व्याख्याएँ हों, ताकि भविष्य में इस तरह के टकरावों से बचा जा सके।
राहुल गांधी की संसद में शपथ लेने की कार्रवाई, EC की हलफनामा प्रस्तुत करने की मांग के जवाब में, चुनावी प्रक्रियाओं, संस्थागत सीमाओं और सार्वजनिक जीवन में जवाबदेही पर एक महत्वपूर्ण विचारोत्तेजक क्षण है। UPSC उम्मीदवारों को इन बारीकियों को समझना चाहिए और भारतीय राजव्यवस्था के कामकाज में इन मुद्दों के महत्व को पहचानना चाहिए।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न 1: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद भारत के चुनाव आयोग की स्थापना से संबंधित है?
(a) अनुच्छेद 280
(b) अनुच्छेद 324
(c) अनुच्छेद 356
(d) अनुच्छेद 105
उत्तर: (b) अनुच्छेद 324
व्याख्या: अनुच्छेद 324(1) भारत में निर्वाचनों के अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण की शक्ति भारत के निर्वाचन आयोग में निहित करता है। - प्रश्न 2: चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को अपने बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए किस दस्तावेज को प्रस्तुत करना अनिवार्य होता है?
(a) शपथ पत्र (Affidavit)
(b) घोषणा पत्र (Declaration)
(c) एनओसी (NOC)
(d) पहचान पत्र (ID Card)
उत्तर: (a) शपथ पत्र (Affidavit)
व्याख्या: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत, उम्मीदवारों को अपने नामांकन के साथ हलफनामा प्रस्तुत करना होता है जिसमें उनके व्यक्तिगत विवरण, संपत्ति, देनदारियों और आपराधिक पृष्ठभूमि की जानकारी होती है। - प्रश्न 3: संसद के सदस्यों के विशेषाधिकार और उन्मुक्तियों का उल्लेख भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में है?
(a) अनुच्छेद 100
(b) अनुच्छेद 105
(c) अनुच्छेद 118
(d) अनुच्छेद 148
उत्तर: (b) अनुच्छेद 105
व्याख्या: अनुच्छेद 105 संसद और उसके सदस्यों की शक्तियों, विशेषाधिकारों और उन्मुक्तियों से संबंधित है। - प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा कथन चुनाव आयोग (EC) की शक्तियों के संबंध में सही नहीं है?
(a) EC मतदाता सूची तैयार करता है।
(b) EC चुनाव कराने के लिए अधिसूचना जारी करता है।
(c) EC मंत्रियों के लिए आचार संहिता बनाता है।
(d) EC चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन पर कार्रवाई कर सकता है।
उत्तर: (c) EC मंत्रियों के लिए आचार संहिता बनाता है।
व्याख्या: EC चुनाव आचार संहिता को लागू करता है, लेकिन यह मंत्रियों के लिए विशेष आचार संहिता नहीं बनाता है, हालांकि वह अपने अधिकार क्षेत्र में उल्लंघन पर कार्रवाई कर सकता है। - प्रश्न 5: “हलफनामा” (Affidavit) का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
(a) किसी घटना की सूचना देना।
(b) किसी विशेष मामले पर किसी व्यक्ति के बयान की सत्यता की पुष्टि करना।
(c) सार्वजनिक नीति का प्रस्ताव रखना।
(d) वित्तीय सहायता का अनुरोध करना।
उत्तर: (b) किसी विशेष मामले पर किसी व्यक्ति के बयान की सत्यता की पुष्टि करना।
व्याख्या: हलफनामा एक शपथ या प्रतिज्ञान के तहत किया गया एक लिखित बयान है, जो बयान देने वाले को उसके सत्य होने का वचन देता है। - प्रश्न 6: भारत में संसद की संप्रभुता का क्या अर्थ है?
(a) संसद सर्वोच्च है और वह संविधान को बदल सकती है।
(b) संसद के पास कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं होता है।
(c) संसद ही देश का एकमात्र कानून बनाने वाला निकाय है।
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर: (c) संसद ही देश का एकमात्र कानून बनाने वाला निकाय है।
व्याख्या: संसद सर्वोच्च कानून बनाने वाली संस्था है, लेकिन संविधान संशोधन के मामले में इसकी अपनी सीमाएँ हैं (केशवानंद भारती मामला)। “कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं” एक व्यापक दावा है, और “सर्वोच्च” की व्याख्या संदर्भ पर निर्भर करती है। - प्रश्न 7: किस संवैधानिक मामले ने संसद की संशोधन शक्ति की सीमाएँ निर्धारित कीं?
(a) गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य
(b) केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
(c) मेनका गांधी बनाम भारत संघ
(d) एस.आर. बोम्मई बनाम भारत संघ
उत्तर: (b) केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
व्याख्या: केशवानंद भारती मामले ने ‘संविधान के मूल ढांचे’ के सिद्धांत को प्रतिपादित किया, जिसके अनुसार संसद संविधान के मूल ढांचे को प्रभावित किए बिना उसमें संशोधन कर सकती है। - प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन EC के एक मुख्य कार्य के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है?
(a) किसी राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति करना।
(b) राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव आयोजित करना।
(c) किसी राज्य के मुख्यमंत्री का चयन करना।
(d) राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण करना।
उत्तर: (b) राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव आयोजित करना।
व्याख्या: EC संसद, राज्य विधानमंडलों, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनावों के अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण के लिए जिम्मेदार है। - प्रश्न 9: “शपथ” (Oath) और “हलफनामा” (Affidavit) के बीच मुख्य अंतर क्या है?
(a) शपथ केवल औपचारिक होती है, हलफनामा कानूनी रूप से बाध्यकारी होता है।
(b) शपथ संवैधानिक पद के प्रति निष्ठा व्यक्त करती है, हलफनामा किसी तथ्य की सत्यता की पुष्टि करता है।
(c) शपथ केवल सरकारी कर्मचारियों द्वारा ली जाती है, हलफनामा किसी द्वारा भी।
(d) दोनों समान हैं।
उत्तर: (b) शपथ संवैधानिक पद के प्रति निष्ठा व्यक्त करती है, हलफनामा किसी तथ्य की सत्यता की पुष्टि करता है।
व्याख्या: शपथ आमतौर पर एक सार्वजनिक पद धारण करने से पहले ली जाती है, जबकि हलफनामा किसी विशेष मामले में साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। - प्रश्न 10: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 किससे संबंधित है?
(a) भारतीय दंड संहिता
(b) चुनाव प्रक्रिया और उम्मीदवारों से संबंधित नियम
(c) वित्तीय आपातकाल
(d) राष्ट्रीय सुरक्षा
उत्तर: (b) चुनाव प्रक्रिया और उम्मीदवारों से संबंधित नियम
व्याख्या: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 संसद और राज्य विधानमंडलों के चुनावों के संचालन, उम्मीदवारों की योग्यता, अयोग्यता आदि को नियंत्रित करता है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न 1: भारत के चुनाव आयोग (EC) की शक्तियों और कार्यों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। किसी विशेष राजनीतिक संदर्भ में EC के निष्पक्षता और स्वतंत्रता को बनाए रखने में क्या चुनौतियाँ हैं? (250 शब्द, 15 अंक)
- प्रश्न 2: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 105 के तहत संसद के विशेषाधिकारों के महत्व की व्याख्या करें। EC जैसे बाहरी निकायों द्वारा संसद की प्रक्रियाओं में संभावित हस्तक्षेप के संवैधानिक निहितार्थों पर चर्चा करें। (250 शब्द, 15 अंक)
- प्रश्न 3: “संवैधानिक निकायों के बीच शक्तियों का टकराव” (Conflict of powers between constitutional bodies) के विषय पर एक टिप्पणी लिखें। हालिया घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुए, EC और विधायी निकायों के बीच समन्वय और संतुलन के महत्व पर प्रकाश डालें। (150 शब्द, 10 अंक)
- प्रश्न 4: सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में हलफनामे (Affidavits) की भूमिका का विश्लेषण करें। चुनावी प्रक्रिया में इनकी आवश्यकता और सीमाएँ क्या हैं? (250 शब्द, 15 अंक)