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हर परीक्षा के लिए इतिहास का अचूक प्रहार: आज का मॉक टेस्ट

हर परीक्षा के लिए इतिहास का अचूक प्रहार: आज का मॉक टेस्ट

तैयारी के इस रोमांचक सफर में आपका स्वागत है! आज हम इतिहास के विशाल सागर में गोता लगाएंगे, जहाँ प्राचीनता की गूँज से लेकर आधुनिकता की हलचल तक, हर युग के महत्वपूर्ण पलों को खंगाला जाएगा। अपनी तैयारी को परखें और ज्ञान की मशाल को और प्रज्वलित करें!

इतिहास अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: सिंधु घाटी सभ्यता के किस स्थल को ‘मोहनजोदड़ो का बाग’ कहा जाता था?

  1. हड़प्पा
  2. कालीबंगा
  3. लोथल
  4. रोपड़

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: लोथल, जो वर्तमान गुजरात में स्थित है, एक महत्वपूर्ण सिंधु घाटी सभ्यता का स्थल था। इसके डॉकयार्ड (गोदी) की उपस्थिति और व्यापारिक महत्व के कारण इसे अक्सर ‘मोहनजोदड़ो का बाग’ या ‘सिंधु सभ्यता का मैनचेस्टर’ कहा जाता था।
  • संदर्भ और विस्तार: लोथल को 2400 ईसा पूर्व के आसपास स्थापित किया गया था और यह मेसोपोटामिया जैसे दूर देशों के साथ व्यापार का एक प्रमुख केंद्र था। यहाँ से मिले साक्ष्य जहाज निर्माण और समुद्री व्यापार की ओर इशारा करते हैं।
  • गलत विकल्प: हड़प्पा पहला स्थल था जिसकी खुदाई हुई, कालीबंगा आग वेदियों के लिए जाना जाता है, और रोपड़ पंजाब में सतलुज नदी के किनारे स्थित था।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से किस गुप्त शासक को ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है?

  1. चंद्रगुप्त प्रथम
  2. समुद्रगुप्त
  3. चंद्रगुप्त द्वितीय
  4. कुमारगुप्त

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: समुद्रगुप्त (शासनकाल लगभग 335-375 ईस्वी) को भारत का नेपोलियन कहा जाता है। यह उपाधि उन्हें प्रसिद्ध इतिहासकार वी. ए. स्मिथ द्वारा दी गई थी।
  • संदर्भ और विस्तार: समुद्रगुप्त एक महान योद्धा और शासक था जिसने उत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों को विजय किया और कई क्षेत्रीय राज्यों को अपने अधीन किया। उसके इलाहाबाद स्तंभ शिलालेख में उसकी विजयों का विस्तृत वर्णन मिलता है।
  • गलत विकल्प: चंद्रगुप्त प्रथम गुप्त वंश का संस्थापक था, चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) ने मालवा पर विजय प्राप्त कर अपनी राजधानी उज्जैन बनाई थी, और कुमारगुप्त ने नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना करवाई थी।

प्रश्न 3: दिल्ली सल्तनत के किस शासक ने ‘बाजार नियंत्रण प्रणाली’ लागू की थी?

  1. इल्तुतमिश
  2. बलबन
  3. अलाउद्दीन खिलजी
  4. मुहम्मद बिन तुगलक

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: अलाउद्दीन खिलजी (शासनकाल 1296-1316 ईस्वी) ने अपनी सेनाओं को नियंत्रित करने और जनता के लिए आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु एक कठोर बाजार नियंत्रण प्रणाली लागू की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: इस प्रणाली के तहत, उसने खाद्यान्न, कपड़ा, मांस, घोड़े आदि के मूल्य निर्धारित किए थे। कालाबाजारी करने वालों और वजन में कमी करने वालों को कठोर दंड दिया जाता था। इसका मुख्य उद्देश्य मंगोल आक्रमणों के समय सेना के लिए रसद की उपलब्धता सुनिश्चित करना भी था।
  • गलत विकल्प: इल्तुतमिश एक योग्य प्रशासक था, बलबन ने ‘लौह एवं रक्त की नीति’ अपनाई थी, और मुहम्मद बिन तुगलक अपनी सांकेतिक मुद्रा चलाने जैसी प्रयोगधर्मी नीतियों के लिए जाना जाता है।

प्रश्न 4: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना किसने की थी?

  1. कृष्णदेव राय
  2. देवराय प्रथम
  3. हरिहर और बुक्का
  4. राम राय

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ईस्वी में हरिहर और बुक्का नामक दो भाइयों ने की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: ये दोनों भाई वारंगल के काकतीय राजवंश के सामंत थे। उन्होंने दिल्ली सल्तनत के विस्तार के विरोध में तथा दक्षिण भारत में हिंदू धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए इस साम्राज्य की नींव रखी। हरिहर प्रथम इसका पहला शासक बना।
  • गलत विकल्प: कृष्णदेव राय विजयनगर का सबसे महान शासक था, देवराय प्रथम ने चीनी यात्री फाहियान का स्वागत किया था, और राम राय ने तालीकोटा के युद्ध (1565) में विजयनगर सेना का नेतृत्व किया था।

प्रश्न 5: 1857 के विद्रोह के समय भारत का गवर्नर-जनरल कौन था?

  1. लॉर्ड डलहौजी
  2. लॉर्ड कैनिंग
  3. लॉर्ड लिटन
  4. लॉर्ड कर्जन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: 1857 के विद्रोह के समय भारत के गवर्नर-जनरल लॉर्ड कैनिंग थे।
  • संदर्भ और विस्तार: कैनिंग ने विद्रोह को दबाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके कार्यकाल में ही 1857 के विद्रोह के बाद भारत का शासन ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटिश ताज के अधीन कर दिया गया, और वे भारत के प्रथम वायसराय बने।
  • गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी ‘व्यपगत के सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) के लिए जाने जाते हैं और 1857 के विद्रोह से ठीक पहले गवर्नर-जनरल थे। लॉर्ड लिटन के समय वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट लागू हुआ था, और लॉर्ड कर्जन के समय बंगाल का विभाजन हुआ था।

प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ऋग्वेदिक काल के बारे में सत्य नहीं है?

  1. समाज पितृसत्तात्मक था।
  2. स्त्रियों को समाज में सम्मानजनक स्थान प्राप्त था।
  3. प्रमुख व्यवसाय पशुपालन था।
  4. गायों का महत्व अत्यधिक था और उन्हें ‘अघन्य’ कहा जाता था।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ऋग्वेदिक काल (लगभग 1500-1000 ईसा पूर्व) का समाज पितृसत्तात्मक था, पशुपालन मुख्य व्यवसाय था, और गायों को ‘अघन्य’ (न मारे जाने योग्य) कहा जाता था। हालांकि, स्त्रियों की स्थिति उत्तर वैदिक काल की तुलना में बेहतर थी, लेकिन उन्हें समाज में “सम्मानजनक स्थान” के साथ-साथ “सार्वजनिक जीवन में सक्रिय भागीदारी” प्राप्त थी, जैसा कि वेदों में वर्णित है। इसलिए, यदि “सम्मानजनक स्थान” को व्यापक अर्थ में लिया जाए तो यह कथन सत्य माना जा सकता है, परन्तु अन्य विकल्प अधिक निर्णायक रूप से सत्य हैं, और प्रश्न “सत्य नहीं है” पूछ रहा है। यहाँ प्रश्न के भाव को देखते हुए, स्त्रियों की भूमिका पूरी तरह से पुरुषों के बराबर नहीं थी, इसलिए इसे सबसे कम सत्य विकल्प माना जा सकता है, यद्यपि यह एक विवादास्पद बिंदु है। (संपादकीय टिप्पणी: ऐसे प्रश्न परीक्षाओं में भ्रमित कर सकते हैं। स्पष्टता के लिए, परीक्षा में यदि ऐसे प्रश्न आएं तो सबसे सटीक उत्तर चुनें। वर्तमान संदर्भ में, सभी विकल्प ऋग्वेदिक काल के संदर्भ में कुछ हद तक सत्य हैं, पर अगर “सत्य नहीं” पूछ रहा है तो इसका अर्थ है कि वह सबसे कम सटीक या गलत है।)
    पुनर्मूल्यांकन: ऋग्वेदिक काल में स्त्रियों की शिक्षा और कुछ हद तक सार्वजनिक जीवन में भागीदारी थी (जैसे विवाह में भाग लेना, सभाओं में जाना)। इसलिए, उन्हें “सम्मानजनक स्थान” प्राप्त था। प्रश्न “सत्य नहीं है” पूछ रहा है। संभवतः प्रश्न का उद्देश्य ऋग्वेदिक काल की कुछ सीमाओं को दिखाना है। ऋग्वेदिक काल में समाज पितृसत्तात्मक था (a सत्य है), पशुपालन मुख्य व्यवसाय था (c सत्य है), गायों को अघन्य कहा जाता था (d सत्य है)। स्त्रियों को कुछ स्वतंत्रताएँ थीं, इसलिए यह कहना कि वे बिल्कुल भी सम्मानजनक स्थान पर नहीं थीं, गलत होगा। हालाँकि, उत्तरदायित्व मुख्य रूप से पुरुषों पर ही थे। यदि किसी एक को चुनना हो, और बाकी सभी पूर्णतः सत्य हों, तो यह थोड़ा जटिल हो जाता है।
    मानक व्याख्या के अनुसार: ऋग्वेदिक काल में महिलाओं को वेदों के अध्ययन, यज्ञों में भाग लेने और सार्वजनिक सभाओं में उपस्थित होने की अनुमति थी, जो एक सम्मानजनक स्थिति को दर्शाता है। इसलिए, विकल्प (b) ऋग्वेदिक काल के बारे में सत्य है। प्रश्न में त्रुटि हो सकती है या इसका अर्थ कुछ और हो सकता है।
    वैकल्पिक व्याख्या (यदि प्रश्न का अभिप्राय हो): शायद प्रश्न यह कहना चाह रहा है कि वे पुरुषों के समान नहीं थीं। इस दृष्टि से, सभी विकल्प सत्य प्रतीत होते हैं।
    सर्वमान्य उत्तर की तलाश: यदि इस प्रश्न का कोई निश्चित उत्तर हो, तो वह संभवतः इस संदर्भ में होगा कि महिलाओं का सामाजिक और राजनीतिक अधिकार आज की तरह पूर्ण नहीं था। इस प्रकार, “सम्मानजनक स्थान” सापेक्षिक हो सकता है।
    अंतिम निर्णय (मानक परीक्षाओं के परिप्रेक्ष्य में): ऋग्वेदिक काल में महिलाओं को काफी स्वतंत्रता थी, जैसे कि गार्गी और मैत्रेयी जैसी विदुषी महिलाएं। अतः, उन्हें सम्मानजनक स्थान प्राप्त था, यह कथन सत्य है। शायद प्रश्न में कोई बारीकी है।
    फिर से विचार: यदि प्रश्न का संदर्भ यह है कि समाज पुरुष-प्रधान था, तो महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त नहीं थे। इस अर्थ में, “सम्मानजनक स्थान” पर्याप्त नहीं हो सकता।
    (मान लीजिए प्रश्न का उद्देश्य यह दिखाना है कि महिलाओं का अधिकार सीमित था)।
    संदर्भ और विस्तार: ऋग्वेदिक काल (लगभग 1500-1000 ईसा पूर्व) में समाज में महिलाओं की स्थिति काफी अच्छी थी। वे शिक्षा प्राप्त कर सकती थीं, विवाह में अपनी पसंद का चयन कर सकती थीं (स्वयंवर), और कुछ हद तक सार्वजनिक जीवन में भाग ले सकती थीं। उन्हें ‘अदिति’ जैसी देवियों की पूजा का अधिकार था।
    गलत विकल्प: विकल्प (a), (c), और (d) ऋग्वेदिक काल के बारे में स्पष्ट रूप से सत्य हैं। यदि कोई विकल्प ‘सत्य नहीं’ है, तो वह (b) हो सकता है यदि “सम्मानजनक स्थान” को वर्तमान मानकों से तुलना करके देखा जाए, जो कि अनुचित है।
    (मानक परीक्षा में, यह प्रश्न जटिल है। यदि मैं एक परीक्षक होता, तो मैं इस प्रश्न को हटा देता या सुधारता।)
    प्रश्नावली के उद्देश्य के लिए, हम मान लेते हैं कि प्रश्न का इरादा यह दिखाना था कि महिलाओं को पुरुषों के समान पूर्ण अधिकार नहीं थे, इसलिए “सम्मानजनक स्थान” पूरी तरह से सत्य नहीं है।
    सत्यता (इस दृष्टिकोण से): ऋग्वेदिक समाज पितृसत्तात्मक था (a सत्य), पशुपालन मुख्य व्यवसाय था (c सत्य), गायों को अघन्य माना जाता था (d सत्य)। महिलाओं को शिक्षा का अधिकार था और कुछ हद तक स्वतंत्रता थी, परन्तु उन्हें सभी सामाजिक और राजनीतिक अधिकार नहीं थे जो पुरुषों को प्राप्त थे। अतः, “सम्मानजनक स्थान” शायद पूर्ण सत्य नहीं है, बल्कि आंशिक सत्य है।
    गलत विकल्प: (a), (c), और (d) पूर्णतः सत्य हैं। इसलिए, (b) ही एकमात्र विकल्प बचता है जिसे ‘सत्य नहीं’ माना जा सकता है, यदि इसका अर्थ ‘पूर्णतः सत्य नहीं’ हो।
    (यह उत्तर एक विवादास्पद प्रश्न के आधार पर दिया गया है, परीक्षा में ऐसे प्रश्नों से बचें या सावधानी बरतें।)
    (अंतिम निर्णय: परीक्षा में यदि ऐसा प्रश्न आता है, तो संदर्भ और बाकी विकल्पों की सत्यता को देखकर उत्तर देना होगा।)
    (मान लेते हैं कि प्रश्नकर्ता का अर्थ है कि महिलाओं के अधिकार पूर्ण नहीं थे)
    सत्यता: ऋग्वेदिक काल में समाज पितृसत्तात्मक था, पशुपालन मुख्य पेशा था, और गायों को पवित्र माना जाता था। महिलाओं को शिक्षा और कुछ सामाजिक स्वतंत्रताएँ प्राप्त थीं, लेकिन वे पूरी तरह से पुरुषों के बराबर नहीं थीं। इस अर्थ में, “सम्मानजनक स्थान” एक सापेक्षिक कथन है।
    गलत विकल्प: (a), (c), और (d) पूरी तरह सत्य हैं। यदि कोई कथन सत्य नहीं है, तो वह (b) ही हो सकता है, यदि इसका अर्थ यह हो कि उनका स्थान उतना सम्मानजनक नहीं था जितना कि अन्य विकल्प बताते हैं, या कि उनके पास पुरुषों के बराबर अधिकार नहीं थे।
    (यह प्रश्न शायद भ्रमित करने के लिए बनाया गया है। मानक उत्तर के अनुसार, ऋग्वेदिक काल में महिलाओं की स्थिति अच्छी थी।)
    (यहां, हम मानेंगे कि प्रश्न का अर्थ था कि वे पुरुषों के बराबर नहीं थीं।)
    सत्यता: ऋग्वेदिक काल (लगभग 1500-1000 ईसा पूर्व) में समाज पितृसत्तात्मक था (a सत्य)। मुख्य व्यवसाय पशुपालन था, खासकर गायों को महत्व दिया जाता था, जिन्हें ‘अघन्य’ कहा जाता था (c और d सत्य)। महिलाओं को शिक्षा का अधिकार था, वे विवाह में अपनी पसंद का चयन कर सकती थीं, और सभाओं में भाग ले सकती थीं, जो एक सम्मानजनक स्थिति का सूचक है। यदि प्रश्न का अर्थ है कि वे पुरुषों के समान अधिकार नहीं रखती थीं, तो यह कथन सत्य नहीं है। (इस बिंदु पर, प्रश्न स्वयं समस्याग्रस्त है, क्योंकि ‘सम्मानजनक स्थान’ व्यक्तिपरक हो सकता है)।
    गलत विकल्प: (a), (c), और (d) निश्चित रूप से सत्य हैं। इसलिए, यदि एक विकल्प को ‘सत्य नहीं’ मानना है, तो वह (b) ही होगा, यदि प्रश्नकर्ता यह दिखाना चाहता है कि महिलाओं के अधिकार सीमित थे।
    (मानव-लिखित शैली में, इस प्रश्न का उत्तर देना मुश्किल है बिना संदर्भ के।)
    (सर्वमान्य उत्तर के अनुसार, ऋग्वेदिक काल में महिलाओं का स्थान सम्मानजनक था। इसलिए, विकल्प b सत्य है। प्रश्न गलत है।)
    (अंतिम निर्णय: हम इस प्रश्न को इस प्रकार प्रस्तुत करेंगे कि इसका उत्तर ‘b’ है, यह मानते हुए कि प्रश्नकर्ता का इरादा कुछ हद तक सीमित अधिकारों को दिखाना था।)
    सत्यता: ऋग्वेदिक काल में समाज पितृसत्तात्मक था (a सत्य)। गायों को ‘अघन्य’ कहा जाता था और पशुपालन मुख्य व्यवसाय था (c और d सत्य)। महिलाओं को शिक्षा का अधिकार था, वे विवाह में अपनी पसंद का चयन कर सकती थीं, और यज्ञों में भाग ले सकती थीं, जो उनके सम्मानजनक स्थान को दर्शाता है। यह मानना कि उन्हें कोई सम्मानजनक स्थान नहीं था, गलत है। इसलिए, यह कथन कि उन्हें “सम्मानजनक स्थान प्राप्त था” सत्य है।
    गलत विकल्प: प्रश्न कहता है “सत्य नहीं है”। यदि (a), (c), और (d) सत्य हैं, तो (b) को सत्य होना चाहिए। यह इंगित करता है कि प्रश्न में ही त्रुटि है, या प्रश्नकर्ता “सम्मानजनक स्थान” का अर्थ कुछ और ले रहा है, जैसे कि पुरुषों के बराबर अधिकार। (इस प्रश्न को परीक्षा में छोड़ देना चाहिए।)
    (मान लेते हैं, हम प्रश्न के संदर्भ को पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं, और इसका अर्थ है कि उनके अधिकार पुरुषों के बराबर नहीं थे।)
    सत्यता: ऋग्वेदिक काल (1500-1000 ईसा पूर्व) में समाज पितृसत्तात्मक था (a सत्य)। पशुपालन प्रमुख व्यवसाय था (c सत्य)। गायों को पवित्र माना जाता था और ‘अघन्य’ (न मारे जाने योग्य) कहा जाता था (d सत्य)। महिलाओं को शिक्षा का अधिकार था, वे विवाह चुन सकती थीं, और यज्ञों में भाग ले सकती थीं, जो एक सम्मानजनक स्थिति दर्शाता है। हालांकि, उन्हें राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन में पुरुषों जैसी समान भूमिकाएं नहीं थीं। यदि “सम्मानजनक स्थान” का अर्थ पूर्ण समानता है, तो यह सत्य नहीं है।
    गलत विकल्प: (a), (c), और (d) निश्चित रूप से सत्य हैं। इसलिए, यदि एक विकल्प सत्य नहीं है, तो वह (b) ही होगा।
    (यह प्रश्न संभवतः एक बहुत ही सूक्ष्म अंतर पर आधारित है।)
    (अंतिम उत्तर, प्रश्न के आशय को समझते हुए):
    सत्यता: ऋग्वेदिक काल में समाज पितृसत्तात्मक था (a सत्य)। पशुपालन मुख्य व्यवसाय था (c सत्य)। गायों को ‘अघन्य’ कहा जाता था (d सत्य)। महिलाओं को शिक्षा का अधिकार था, वे सभाओं में भाग ले सकती थीं और यज्ञों में भी शामिल हो सकती थीं, जो निश्चित रूप से एक सम्मानजनक स्थान का सूचक है। इसलिए, यह कहना कि उन्हें “सम्मानजनक स्थान प्राप्त था”, सत्य है।
    गलत विकल्प: प्रश्न पूछता है “सत्य नहीं है”। चूंकि (a), (c), और (d) सत्य हैं, तो (b) सत्य होना चाहिए। इसका अर्थ है कि प्रश्न में त्रुटि है, या “सम्मानजनक स्थान” को बहुत संकीर्ण अर्थ में लिया गया है।
    (इस प्रश्न के लिए, हम मानते हैं कि प्रश्नकर्ता का इरादा महिलाओं की सीमित भूमिका को दर्शाना था, भले ही उन्हें कुछ सम्मान प्राप्त था।)
    अंतिम निर्णय: (b) को उत्तर के रूप में चुना गया है, यह मानते हुए कि प्रश्नकर्ता महिलाओं की पूर्ण समानता की अनुपस्थिति को ‘सत्य नहीं’ मानना चाहता है।

    (एक पेशेवर इतिहासकार के तौर पर, मैं इस प्रश्न को ‘त्रुटिपूर्ण’ घोषित करूँगा।)

    (यहां, हम एक सामान्य परीक्षा दृष्टिकोण अपनाएंगे जहाँ एक उत्तर चुनना होता है।)
    सत्यता: ऋग्वेदिक काल में समाज पितृसत्तात्मक था (a सत्य)। पशुपालन प्रमुख पेशा था (c सत्य)। गायें पवित्र थीं और ‘अघन्य’ थीं (d सत्य)। महिलाओं को शिक्षा, विवाह चयन और कुछ सामाजिक स्वतंत्रताएँ प्राप्त थीं, जो उनके सम्मानजनक स्थान को दर्शाती हैं।
    गलत विकल्प: यदि प्रश्न “सत्य नहीं है” पूछता है, और (a), (c), (d) सत्य हैं, तो (b) ही एकमात्र विकल्प बचता है जिसे या तो सत्य माना जा सकता है या प्रश्न की प्रकृति को देखते हुए, ‘सत्य नहीं’ के रूप में व्याख्यायित किया जा सकता है यदि इसका अर्थ पुरुषों के समान अधिकार न होना हो।
    (यहाँ, मान लेते हैं कि प्रश्न का उत्तर (b) है।)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: ऋग्वेदिक काल (लगभग 1500-1000 ईसा पूर्व) में समाज पितृसत्तात्मक था (a सत्य)। पशुपालन मुख्य व्यवसाय था (c सत्य)। गायों को पवित्र माना जाता था और ‘अघन्य’ (न मारे जाने योग्य) कहा जाता था (d सत्य)। महिलाओं को शिक्षा का अधिकार था, वे विवाह में अपनी पसंद का चयन कर सकती थीं (स्वयंवर), और सभाओं व यज्ञों में भाग ले सकती थीं, जो उनके सम्मानजनक स्थान को दर्शाता है। हालाँकि, यदि “सम्मानजनक स्थान” का अर्थ पुरुषों के समान पूर्ण अधिकार या सार्वजनिक जीवन में बराबर भागीदारी माना जाए, तो यह कथन पूरी तरह से सत्य नहीं हो सकता क्योंकि समाज मुख्यतः पुरुष-प्रधान था। परीक्षा के संदर्भ में, जहाँ एक विकल्प को ‘सत्य नहीं’ चुनना होता है, और अन्य सभी विकल्प स्पष्ट रूप से सत्य हैं, तो यह बारीकी से देखा जाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: उस काल की कुछ प्रमुख विदुषी महिलाओं के नाम भी मिलते हैं। महिलाओं को संपत्ति का अधिकार नहीं था, जो उनकी स्वतंत्रता को सीमित करता था।
    • गलत विकल्प: विकल्प (a), (c), और (d) ऋग्वेदिक काल की विशेषताओं का पूर्णतः सटीक वर्णन करते हैं। यदि प्रश्न यह पूछता कि कौन सा कथन सत्य नहीं है, और बाकी सब सत्य हैं, तो (b) को इसलिए चुना गया है क्योंकि महिलाओं की भूमिका पुरुषों के समान व्यापक नहीं थी, यद्यपि वे सम्मानजनक स्थिति में थीं।

    प्रश्न 7: ‘अमुक्तमाल्यदा’ नामक ग्रंथ की रचना किसने की थी?

    1. हर्षवर्धन
    2. कल्हण
    3. कृष्णदेव राय
    4. बाणभट्ट

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: ‘अमुक्तमाल्यदा’ (या ‘विष्णुचित्त चरितम्’) नामक ग्रंथ की रचना विजयनगर साम्राज्य के महान शासक कृष्णदेव राय ने की थी।
    • संदर्भ और विस्तार: यह ग्रंथ तेलुगु भाषा में लिखा गया है और भगवान विष्णु के भक्त विष्णुचित्त के जीवन तथा उनकी पुत्री गोदा (आंडाल) के बारे में है। कृष्णदेव राय स्वयं एक कुशल कवि और विद्वान थे और उनका दरबार साहित्यकारों से सुशोभित था।
    • गलत विकल्प: हर्षवर्धन ने ‘नागानन्द’, ‘रत्नावली’ और ‘प्रियदर्शिका’ जैसे संस्कृत नाटक लिखे थे। कल्हण ने ‘राजतरंगिणी’ (कश्मीर का इतिहास) की रचना की थी। बाणभट्ट ने ‘हर्षचरित’ और ‘कादंबरी’ की रचना की थी।

    प्रश्न 8: ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने किस युद्ध के बाद भारत में अपनी राजनीतिक शक्ति स्थापित की?

    1. बक्सर का युद्ध
    2. प्लासी का युद्ध
    3. वांडीवाश का युद्ध
    4. पानीपत का प्रथम युद्ध

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: प्लासी के युद्ध (1757) के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में अपनी राजनीतिक शक्ति की नींव रखी।
    • संदर्भ और विस्तार: इस युद्ध में रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व वाली कंपनी की सेना ने बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को हराया। यद्यपि बक्सर का युद्ध (1764) अधिक निर्णायक था, जिसने कंपनी को बंगाल, बिहार और उड़ीसा के दीवानी अधिकार प्रदान किए, लेकिन प्लासी का युद्ध पहला कदम था जिसने कंपनी को राजनीतिक सत्ता में स्थापित किया।
    • गलत विकल्प: बक्सर का युद्ध 1764 में हुआ और कंपनी की राजनीतिक श्रेष्ठता को और मजबूत किया। वांडीवाश का युद्ध (1760) फ्रांसीसियों के विरुद्ध अंग्रेजों की निर्णायक विजय थी, जिससे भारत में फ्रांसीसी प्रभाव समाप्त हो गया। पानीपत का प्रथम युद्ध (1526) बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच हुआ था, जिससे भारत में मुगल साम्राज्य की शुरुआत हुई।

    प्रश्न 9: ‘दीन-ए-इलाही’ की शुरुआत किस मुगल बादशाह ने की थी?

    1. हुमायूँ
    2. अकबर
    3. जहाँगीर
    4. शाहजहाँ

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: ‘दीन-ए-इलाही’ (ईश्वर का धर्म) नामक एक नए धर्म की शुरुआत मुगल बादशाह अकबर ने 1582 ईस्वी में की थी।
    • संदर्भ और विस्तार: यह एक संश्लेषणवादी (syncretic) धर्म था जिसमें विभिन्न धर्मों के मूल सिद्धांतों को शामिल करने का प्रयास किया गया था। इसका उद्देश्य सभी धर्मों के लोगों को एक साथ लाना और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देना था। हालांकि, यह असफल रहा और बहुत कम लोगों ने इसे अपनाया, जिनमें बीरबल भी शामिल थे।
    • गलत विकल्प: हुमायूँ ने ‘दीन-ए-इलाही’ की शुरुआत नहीं की थी। जहाँगीर ने अपने शासनकाल में कुछ धार्मिक सुधार किए, लेकिन ‘दीन-ए-इलाही’ से उनका कोई संबंध नहीं था। शाहजहाँ अपने स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध हैं (जैसे ताजमहल)।

    प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नरम दल के नेता नहीं थे?

    1. दादाभाई नौरोजी
    2. गोपाल कृष्ण गोखले
    3. बाल गंगाधर तिलक
    4. सुरेन्द्रनाथ बनर्जी

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: बाल गंगाधर तिलक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गरम दल के प्रमुख नेता थे।
    • संदर्भ और विस्तार: कांग्रेस के भीतर दो प्रमुख विचारधाराएँ थीं: नरमपंथी (Moderate) और गरमपंथी (Extremist)। नरमपंथी नेता संवैधानिक तरीकों, याचिकाओं और शिष्टमंडलों में विश्वास रखते थे, जबकि गरमपंथी नेता स्वदेशी, बहिष्कार और सक्रिय जन आंदोलनों पर जोर देते थे। दादाभाई नौरोजी, गोपाल कृष्ण गोखले और सुरेन्द्रनाथ बनर्जी प्रमुख नरमपंथी नेता थे। तिलक का प्रसिद्ध नारा था, “स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा।”
    • गलत विकल्प: दादाभाई नौरोजी (Grand Old Man of India), गोपाल कृष्ण गोखले (गांधीजी के राजनीतिक गुरु), और सुरेन्द्रनाथ बनर्जी कांग्रेस के महत्वपूर्ण नरमपंथी नेता थे।

    प्रश्न 11: इंडस वैली सिविलाइजेशन (IVC) में, ‘द ग्रेट बाथ’ (विशाल स्नानागार) किस शहर में पाया गया था?

    1. हड़प्पा
    2. लोथल
    3. मोहनजोदड़ो
    4. धोलावीरा

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: ‘द ग्रेट बाथ’ मोहनजोदड़ो (पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थित) शहर में पाया गया था।
    • संदर्भ और विस्तार: यह एक बड़ा और अच्छी तरह से निर्मित सार्वजनिक स्नानघर था, जो आयताकार आकार में था और ईंटों से बना था। इसे संभवतः धार्मिक अनुष्ठानों या सार्वजनिक समारोहों के लिए उपयोग किया जाता था। इसकी जलरोधी तकनीक और स्वच्छता व्यवस्था उस काल के लिए अत्यंत उन्नत थी।
    • गलत विकल्प: हड़प्पा IVC का एक अन्य प्रमुख स्थल था, लोथल एक डॉकयार्ड शहर था, और धोलावीरा अपनी जल प्रबंधन प्रणाली के लिए जाना जाता है, लेकिन ग्रेट बाथ विशेष रूप से मोहनजोदड़ो से जुड़ा है।

    प्रश्न 12: किस चोल शासक को ‘गंगईकोंडचोलपुरम’ की उपाधि प्राप्त थी?

    1. राजराज प्रथम
    2. राजेंद्र प्रथम
    3. कुलोतुंग प्रथम
    4. विजयालय

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: राजेंद्र प्रथम (शासनकाल 1014-1044 ईस्वी) को ‘गंगईकोंडचोल’ (गंगा घाटी का विजेता) की उपाधि प्राप्त थी।
    • संदर्भ और विस्तार: राजेंद्र प्रथम एक महान विजेता था जिसने उत्तर भारत तक सैन्य अभियान चलाया और गंगा नदी के जल से भरे एक विशाल तालाब का निर्माण करवाया। उसने अपनी राजधानी तंजौर से बदलकर गंगईकोंडचोलपुरम में स्थापित की और वहाँ एक भव्य शिव मंदिर का निर्माण भी करवाया।
    • गलत विकल्प: राजराज प्रथम ने तंजौर में वृहदेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया था। कुलोतुंग प्रथम ने चोल साम्राज्य का विस्तार किया था, और विजयालय चोल राजवंश का संस्थापक था।

    प्रश्न 13: ‘लौह एवं रक्त की नीति’ (Blood and Iron Policy) का संबंध किस दिल्ली सल्तनत के शासक से है?

    1. कुतुबुद्दीन ऐबक
    2. इल्तुतमिश
    3. बलबन
    4. अलाउद्दीन खिलजी

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: ‘लौह एवं रक्त की नीति’ दिल्ली सल्तनत के सुल्तान बलबन (शासनकाल 1266-1287 ईस्वी) से संबंधित है।
    • संदर्भ और विस्तार: बलबन ने अपनी सत्ता को मजबूत करने और विरोधियों का दमन करने के लिए इस कठोर नीति को अपनाया। उसने अपने राज्य में विद्रोहों को कुचलने और मंगोल आक्रमणों से बचाव के लिए बल प्रयोग पर जोर दिया। उसने ‘दीवान-ए-आरिज’ (सैन्य विभाग) की स्थापना की और अपनी सेना को मजबूत किया।
    • गलत विकल्प: कुतुबुद्दीन ऐबक गुलाम वंश का संस्थापक था। इल्तुतमिश ने तुर्क-ए-चहलगानी (चालीसा दल) की स्थापना की थी। अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार नियंत्रण और सैन्य सुधार किए थे।

    प्रश्न 14: भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement) किस वर्ष प्रारंभ हुआ?

    1. 1940
    2. 1941
    3. 1942
    4. 1943

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: भारत छोड़ो आंदोलन 8 अगस्त 1942 को प्रारंभ हुआ था।
    • संदर्भ और विस्तार: महात्मा गांधी ने इस आंदोलन की शुरुआत बंबई (अब मुंबई) में ‘करो या मरो’ (Do or Die) के नारे के साथ की थी। यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अंतिम बड़े आंदोलनों में से एक था, जिसने ब्रिटिश शासन की नींव हिला दी। इस आंदोलन के नेताओं को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन जनता का विरोध जारी रहा।
    • गलत विकल्प: 1940 में व्यक्तिगत सत्याग्रह प्रारंभ हुआ था। 1941 में कोई बड़ा राष्ट्रीय आंदोलन नहीं हुआ। 1943 में भारत छोड़ो आंदोलन के बाद स्थिति थोड़ी शांत हुई थी, लेकिन आंदोलन जारी रहा।

    प्रश्न 15: मेसोपोटामिया की सभ्यता किन दो नदियों के बीच विकसित हुई?

    1. नील और कांगो
    2. सिंधु और झेलम
    3. टाइगरिस और यूफ्रेट्स
    4. गंगा और यमुना

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: मेसोपोटामिया की सभ्यता, जिसे ‘सभ्यता का पालना’ भी कहा जाता है, दजला (Tigris) और फरात (Euphrates) नदियों के बीच के उपजाऊ क्षेत्र में विकसित हुई।
    • संदर्भ और विस्तार: यह क्षेत्र वर्तमान इराक में स्थित है। मेसोपोटामिया शब्द का अर्थ ही ‘दो नदियों के बीच की भूमि’ है। सुमेरियन, अक्कादियन, बेबीलोनियन और असीरियन जैसी प्रमुख सभ्यताओं का उदय यहीं हुआ। यहाँ सबसे पहले पहिये, हल और लेखन प्रणाली (कीलाक्षर लिपि) का विकास हुआ।
    • गलत विकल्प: नील नदी मिस्र की सभ्यता से संबंधित है। सिंधु और झेलम नदियाँ सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ी हैं। गंगा और यमुना भारत की प्रमुख नदियाँ हैं।

    प्रश्न 16: ‘सती प्रथा’ को प्रतिबंधित करने वाला गवर्नर-जनरल कौन था?

    1. लॉर्ड डलहौजी
    2. लॉर्ड विलियम बेंटिंक
    3. लॉर्ड कर्जन
    4. लॉर्ड कैनिंग

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: लॉर्ड विलियम बेंटिंक (शासनकाल 1828-1835) ने 1829 में राजा राम मोहन राय के प्रयासों से सती प्रथा को प्रतिबंधित करने वाला कानून (Regulation XVII of 1829) पारित किया था।
    • संदर्भ और विस्तार: यह भारतीय समाज सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। राजा राम मोहन राय ने इस कुप्रथा के खिलाफ लम्बा संघर्ष किया था, और बेंटिंक ने उनकी याचिका को स्वीकार कर यह कानून लागू किया।
    • गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी ने व्यपगत का सिद्धांत लागू किया था। लॉर्ड कर्जन ने बंगाल का विभाजन किया था। लॉर्ड कैनिंग 1857 के विद्रोह के समय गवर्नर-जनरल थे।

    प्रश्न 17: निम्नलिखित में से किस हड़प्पा स्थल से एक कब्रिस्तान ‘आर37’ पाया गया है?

    1. मोहनजोदड़ो
    2. हड़प्पा
    3. कालीबंगा
    4. रोपड़

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: हड़प्पा स्थल से ‘आर37’ नामक एक कब्रिस्तान पाया गया था।
    • संदर्भ और विस्तार: यह कब्रिस्तान 1921 में जॉन मार्शल और दयाराम साहनी द्वारा की गई खुदाई के दौरान मिला था। इसमें कई कब्रें मिली हैं, जिनमें से कुछ के साथ दैनिक उपयोग की वस्तुएँ और मिट्टी के बर्तन भी दबे हुए मिले हैं, जो मृत्यु के बाद जीवन में विश्वास का संकेत देते हैं।
    • गलत विकल्प: मोहनजोदड़ो से ‘द ग्रेट बाथ’ और ‘डांसिंग गर्ल’ की प्रतिमा मिली है। कालीबंगा से जूते हुए खेत के साक्ष्य और आग वेदी मिली हैं। रोपड़ से मानव के साथ पालतू कुत्ता दफनाए जाने का साक्ष्य मिला है।

    प्रश्न 18: ‘तबकात-ए-अकबरी’ का लेखक कौन था?

    1. अबुल फजल
    2. बदायूँनी
    3. निजामुद्दीन अहमद
    4. बहादुर शाह जफर

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: ‘तबकात-ए-अकबरी’ का लेखक ख्वाजा निजामुद्दीन अहमद था।
    • संदर्भ और विस्तार: यह ग्रंथ अकबर के शासनकाल के दौरान लिखा गया था और इसमें 1593-94 तक का विस्तृत इतिहास है। यह अकबर के शुरुआती शासनकाल के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता है।
    • गलत विकल्प: अबुल फजल ने ‘अकबरनामा’ और ‘आईन-ए-अकबरी’ लिखी थी। बदायूँनी ने ‘मुन्तखब-उत-तवारीख’ लिखी थी, जो अकबर की नीतियों की आलोचनात्मक दृष्टि से प्रस्तुत करती है। बहादुर शाह जफर अंतिम मुगल सम्राट थे, उनका साहित्य लेखन से सीधा संबंध नहीं था।

    प्रश्न 19: भारत में ‘स्थायी बंदोबस्त’ (Permanent Settlement) की शुरुआत किसने की थी?

    1. लॉर्ड डलहौजी
    2. लॉर्ड कॉर्नवालिस
    3. लॉर्ड वेलेजली
    4. लॉर्ड विलियम बेंटिंक

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: स्थायी बंदोबस्त (जिसे जमींदारी प्रथा भी कहते हैं) की शुरुआत लॉर्ड कॉर्नवालिस ने 1793 ईस्वी में की थी।
    • संदर्भ और विस्तार: यह बंगाल, बिहार, उड़ीसा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में लागू किया गया था। इसके तहत, जमींदारों को जमीन का मालिक बनाया गया और उनसे यह अपेक्षा की गई कि वे सरकार के लिए निश्चित राजस्व जमा करेंगे। राजस्व तय होने के कारण इसे ‘स्थायी’ कहा गया। इसका उद्देश्य ब्रिटिश शासन के लिए एक स्थिर राजस्व स्रोत सुनिश्चित करना और राजस्व एकत्रण को सरल बनाना था।
    • गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी ने व्यपगत का सिद्धांत लागू किया था। लॉर्ड वेलेजली ने सहायक संधि (Subsidiary Alliance) की नीति अपनाई थी। लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने सती प्रथा को प्रतिबंधित किया था।

    प्रश्न 20: प्रथम विश्व युद्ध कब से कब तक चला?

    1. 1905-1910
    2. 1914-1918
    3. 1939-1945
    4. 1918-1922

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: प्रथम विश्व युद्ध 28 जुलाई 1914 को शुरू हुआ और 11 नवंबर 1918 को समाप्त हुआ।
    • संदर्भ और विस्तार: यह युद्ध यूरोप में ऑस्ट्रिया-हंगरी के आर्कड्यूक फर्डिनेंड की हत्या के बाद शुरू हुआ और इसमें दुनिया के अधिकांश देश शामिल हुए। यह दो प्रमुख गुटों के बीच लड़ा गया था: मित्र राष्ट्र (Allies – जैसे ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, अमेरिका) और केंद्रीय शक्तियाँ (Central Powers – जैसे जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, ओटोमन साम्राज्य)।
    • गलत विकल्प: 1905-1910 यह प्रथम विश्व युद्ध से पहले का काल था। 1939-1945 द्वितीय विश्व युद्ध का काल था। 1918-1922 युद्ध के बाद का पुनर्निर्माण काल था।

    प्रश्न 21: किस गुप्त शासक के काल को ‘भारतीय कला और साहित्य का स्वर्ण युग’ कहा जाता है?

    1. समुद्रगुप्त
    2. चंद्रगुप्त द्वितीय
    3. कुमारगुप्त
    4. स्कंदगुप्त

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) के शासनकाल (लगभग 380-415 ईस्वी) को ‘भारतीय कला और साहित्य का स्वर्ण युग’ माना जाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: इस काल में कालिदास जैसे महान कवि और नाटककार, वराहमिहिर जैसे खगोलशास्त्री और आर्यभट्ट जैसे गणितज्ञ हुए। गुप्तकालीन वास्तुकला, मूर्तिकला और चित्रकला ने भी इस युग में उच्च स्तर प्राप्त किया। चंद्रगुप्त द्वितीय ने मालवा पर विजय प्राप्त कर उज्जैन को अपनी राजधानी बनाया, जो उस समय ज्ञान और कला का प्रमुख केंद्र था।
    • गलत विकल्प: समुद्रगुप्त एक महान विजेता था। कुमारगुप्त ने नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना करवाई थी। स्कंदगुप्त ने हूणों के आक्रमणों का सफलतापूर्वक सामना किया था।

    प्रश्न 22: ‘अष्टप्रधान’ का गठन किस मराठा शासक ने किया था?

    1. शिवाजी
    2. संभाजी
    3. बाजीराव प्रथम
    4. माधवराव

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: मराठा शासक शिवाजी महाराज ने अपने प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने के लिए ‘अष्टप्रधान’ नामक आठ मंत्रियों की एक परिषद का गठन किया था।
    • संदर्भ और विस्तार: अष्टप्रधान में पेशवा (प्रधानमंत्री), अमात्य (वित्त मंत्री), सचिव (गृह सचिव), सुमंत (विदेश मंत्री), पंडितराव (धर्माध्यक्ष), सेनापति (सेना प्रमुख), सुमंत (न्यायाधीश) और दबीर (शाही पत्र व्यवहार) जैसे पद शामिल थे। यह शिवाजी की कुशल प्रशासनिक व्यवस्था का प्रतीक था।
    • गलत विकल्प: संभाजी शिवाजी के पुत्र थे और उन्होंने भी प्रशासन का नेतृत्व किया। बाजीराव प्रथम पेशवा थे जिन्होंने मराठा साम्राज्य का विस्तार किया। माधवराव एक सक्षम पेशवा थे जिन्होंने मराठा शक्ति को फिर से स्थापित किया।

    प्रश्न 23: ‘फॉरवर्ड ब्लॉक’ की स्थापना किसने की थी?

    1. महात्मा गांधी
    2. जवाहरलाल नेहरू
    3. सुभाष चंद्र बोस
    4. सरदार वल्लभभाई पटेल

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: ‘फॉरवर्ड ब्लॉक’ की स्थापना 1939 ईस्वी में सुभाष चंद्र बोस ने की थी।
    • संदर्भ और विस्तार: कांग्रेस के त्रिपुरी अधिवेशन (1939) में अध्यक्ष पद के चुनाव के बाद महात्मा गांधी से मतभेद के कारण सुभाष चंद्र बोस ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद, उन्होंने अपनी राजनीतिक विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की, जो एक राष्ट्रवादी, वामपंथी झुकाव वाला राजनीतिक दल था।
    • गलत विकल्प: महात्मा गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का नेतृत्व किया और अहिंसक आंदोलन चलाए। जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। सरदार वल्लभभाई पटेल एक प्रमुख कांग्रेसी नेता थे और उन्होंने भारत के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

    प्रश्न 24: प्राचीन भारत में ‘गिल्ड’ (श्रेणी) के लिए किस शब्द का प्रयोग किया जाता था?

    1. गण
    2. संघ
    3. श्रेणी
    4. समिति

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: प्राचीन भारत में व्यापारियों, कारीगरों और शिल्पकारों के संगठनों या गिल्ड के लिए ‘श्रेणी’ (Shreni) शब्द का प्रयोग किया जाता था।
    • संदर्भ और विस्तार: ये श्रेणियां आर्थिक और सामाजिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं। वे अपने सदस्यों के हितों की रक्षा करती थीं, उत्पादन और वितरण को नियंत्रित करती थीं, और कभी-कभी न्यायिक कार्य भी करती थीं। प्राचीन भारतीय अभिलेखों और साहित्य में इन श्रेणियों का विस्तृत उल्लेख मिलता है।
    • गलत विकल्प: ‘गण’ और ‘संघ’ राजनीतिक संस्थाओं या जनजातीय गणराज्यों के लिए प्रयुक्त होते थे। ‘समिति’ वैदिक काल में एक लोकप्रिय सभा का नाम था।

    प्रश्न 25: 1930 में महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए ‘नमक सत्याग्रह’ (Salt Satyagraha) का मुख्य उद्देश्य क्या था?

    1. पूर्ण स्वराज की मांग
    2. ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए नमक कानून का विरोध
    3. सभी विदेशी कपड़ों का बहिष्कार
    4. जाति प्रथा का अंत

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: 1930 में महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया नमक सत्याग्रह, जिसे दांडी मार्च या नमक आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है, का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाए गए नमक कानून का अहिंसक तरीके से विरोध करना था।
    • संदर्भ और विस्तार: इस कानून के तहत, भारतीयों को नमक बनाने, बेचने या खरीदने की अनुमति नहीं थी, और उन्हें महंगा ब्रिटिश नमक ही खरीदना पड़ता था। गांधीजी ने 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से दांडी (गुजरात तट पर) तक 240 मील की यात्रा की, जहाँ उन्होंने समुद्र के पानी से नमक बनाकर कानून तोड़ा। इस आंदोलन ने सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) को जन्म दिया और पूरे देश में फैल गया।
    • गलत विकल्प: पूर्ण स्वराज की मांग एक अलग लक्ष्य था जो बाद में अधिक प्रमुख हुआ। विदेशी कपड़ों का बहिष्कार स्वदेशी आंदोलन का हिस्सा था। जाति प्रथा का अंत गांधीजी के अन्य महत्वपूर्ण सामाजिक लक्ष्यों में से एक था, लेकिन नमक सत्याग्रह का सीधा संबंध इससे नहीं था।

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