Get free Notes

सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Click Here

हरिद्वार में 6 जानें गईं: मनसा देवी मंदिर की भयावह भगदड़ और सुरक्षा चूक

हरिद्वार में 6 जानें गईं: मनसा देवी मंदिर की भयावह भगदड़ और सुरक्षा चूक

चर्चा में क्यों? (Why in News?):**

हाल ही में, उत्तराखंड के पवित्र शहर हरिद्वार में स्थित मनसा देवी मंदिर में एक अत्यंत दुखद घटना घटी। भारी भीड़ के कारण एक भयावह भगदड़ मच गई, जिसमें छह श्रद्धालुओं की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए। इस घटना ने एक बार फिर भारत के धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था से जुड़े गंभीर सवालों को जन्म दिया है। आयुक्त वीएस पांडे ने घटना का कारण भारी भीड़ को बताया है, जो तीर्थयात्राओं के दौरान आम तौर पर देखी जाने वाली स्थिति है। यह हादसा हमें इस बात पर सोचने के लिए मजबूर करता है कि ऐसे आयोजन, जो श्रद्धा और आस्था के प्रतीक हैं, कभी-कभी जानलेवा कैसे बन जाते हैं।

यह घटना केवल एक समाचार से कहीं अधिक है; यह भारत की सार्वजनिक सुरक्षा, आपदा प्रबंधन क्षमताओं और धार्मिक पर्यटन के प्रबंधन की जटिलताओं पर एक गहरा विश्लेषण प्रस्तुत करती है। UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए, यह घटना भारतीय समाज, शासन, सुरक्षा, और आपदा प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण जीएस पेपरों के लिए प्रासंगिक है। आइए, इस मामले को गहराई से समझते हैं, इसके कारणों, परिणामों, और भविष्य की राह पर चर्चा करते हैं।

भगदड़: एक विदारक घटना का विश्लेषण (Stampede: An Analysis of a Tragic Event)

1. घटना का विवरण (Details of the Incident):**

  • स्थान: मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार, उत्तराखंड।
  • कारण (आधिकारिक): भारी भीड़।
  • परिणाम: 6 श्रद्धालुओं की मृत्यु, कई घायल।
  • घटना का समय: (समाचार के अनुसार, विशिष्ट समय उल्लेखित नहीं है, लेकिन सामान्यतः ऐसे आयोजन धार्मिक पर्वों या महत्वपूर्ण दिनों पर होते हैं।)
  • आयुक्त का बयान: वीएस पांडे, आयुक्त, ने भारी भीड़ को दुर्घटना का मुख्य कारण बताया।

मनसा देवी मंदिर, देवी मनसा को समर्पित है, जो शक्ति का एक रूप मानी जाती हैं। यह मंदिर हरिद्वार के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है और पूरे साल, विशेष रूप से नवरात्रि और अन्य प्रमुख हिंदू त्योहारों के दौरान, लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि इस तरह की घटना कोई पहली बार नहीं हुई है। भारत में, विशेष रूप से धार्मिक स्थलों पर, भगदड़ की घटनाएं पहले भी होती रही हैं, जैसे कि कुंभ मेले, वैष्णो देवी मंदिर, और सबरीमाला मंदिर में हुई दुखद घटनाएं। ये घटनाएं बार-बार इस बात की ओर इशारा करती हैं कि हमारी व्यवस्थाओं में कहीं न कहीं कमी है।

समस्या की जड़ें: क्यों होती हैं भगदड़? (Roots of the Problem: Why do Stampedes Occur?)

आयुक्त वीएस पांडे द्वारा बताई गई ‘भारी भीड़’ सिर्फ एक कारण नहीं है, बल्कि यह कई अंतर्निहित समस्याओं का परिणाम है। एक विशेषज्ञ के तौर पर, हम भगदड़ के पीछे के जटिल कारकों को समझने की कोशिश करेंगे:

1. अपर्याप्त भीड़ प्रबंधन (Inadequate Crowd Management):

  • अनुमान की कमी: कितने श्रद्धालु आएंगे, इसका सटीक अनुमान लगाने में विफलता।
  • प्रवेश/निकास द्वारों का कुप्रबंधन: संकीर्ण गलियारे, सीमित प्रवेश/निकास बिंदु, और अप्रभावी बैरिकेडिंग।
  • प्रवाह नियंत्रण में विफलता: श्रद्धालुओं के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए उचित साइनेज (संकेत) और स्वयंसेवकों/अधिकारियों की कमी।
  • “फनलिंग” प्रभाव: जब भीड़ एक संकीर्ण स्थान से गुजरने की कोशिश करती है, तो दबाव अत्यधिक बढ़ जाता है, जिससे भगदड़ की स्थिति बनती है।

2. कमजोर सुरक्षा अवसंरचना (Weak Security Infrastructure):

  • पर्याप्त पुलिस/सुरक्षा कर्मियों की कमी: विशेष रूप से पीक आवर्स (चरम समय) के दौरान।
  • संचार की कमी: भीड़ को शांत करने या निर्देशित करने के लिए लाउडस्पीकर सिस्टम या अन्य संचार माध्यमों का अप्रभावी होना।
  • निगरानी की कमी: सीसीटीवी कैमरों का अभाव या उनका अप्रभावी होना।
  • आपातकालीन प्रतिक्रिया योजनाओं का अभाव: यदि कोई अप्रिय घटना होती है, तो उसे तुरंत नियंत्रित करने और घायलों की मदद के लिए स्पष्ट योजना न होना।

3. समन्वय की कमी (Lack of Coordination):

  • विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय का अभाव: मंदिर प्रशासन, स्थानीय पुलिस, नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग, और स्वयंसेवी संगठनों के बीच तालमेल की कमी।
  • सूचना का प्रभावी प्रसार न होना: श्रद्धालुओं को मंदिर के नियमों, समय-सारणी, और किसी भी संभावित खतरे के बारे में पहले से सूचित न करना।

4. भौतिक अवसंरचना की समस्याएँ (Physical Infrastructure Issues):

  • तंग गलियारे और सीढ़ियाँ: विशेष रूप से पुराने मंदिरों में, आधुनिक भीड़ प्रबंधन की आवश्यकताओं के अनुरूप डिजाइन नहीं किया गया है।
  • अस्थायी संरचनाएँ: अक्सर त्योहारों के दौरान अस्थायी ढांचे बनाए जाते हैं, जो सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं करते।
  • बिजली और प्रकाश व्यवस्था: अप्रत्याशित बिजली कटौती या खराब रोशनी भी भ्रम और घबराहट पैदा कर सकती है।

5. मानव व्यवहार और मनोविज्ञान (Human Behavior and Psychology):

  • “भेड़चाल” (Herd Mentality): लोग अक्सर दूसरों को देखकर उसी दिशा में बढ़ते हैं, भले ही वह सुरक्षित न हो।
  • धार्मिक उत्साह: अत्यंत श्रद्धा और उत्साह में, लोग जोखिमों को नजरअंदाज कर देते हैं।
  • अज्ञानता: भीड़ के नियमों या संभावित खतरों के बारे में जागरूकता की कमी।

“भीड़ का मनोविज्ञान अपने आप में एक शक्तिशाली कारक है। जब एक बार कुछ लोग घबरा जाते हैं या गिरते हैं, तो पीछे से आ रहे लोग उन्हें देख नहीं पाते और उन पर दबाव बनाते रहते हैं, जिससे एक विनाशकारी श्रृंखला प्रतिक्रिया शुरू हो जाती है।”

हरिद्वार भगदड़ के परिणाम और प्रभाव (Consequences and Impact of Haridwar Stampede)

यह घटना कई स्तरों पर गंभीर परिणाम लेकर आती है:

1. मानवीय त्रासदी (Human Tragedy):

  • 6 मासूम जिंदगियों का अंत, जो परिवारों के लिए कभी न भरने वाला सदमा है।
  • कई लोगों का शारीरिक और मानसिक रूप से आघातग्रस्त होना।
  • मृतकों के परिवारों को मिलने वाली आर्थिक और भावनात्मक सहायता का मुद्दा।

2. धार्मिक पर्यटन पर प्रभाव (Impact on Religious Tourism):

  • श्रद्धाओं को ठेस पहुंचना और सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण लोगों का यात्रा करने से कतराना।
  • स्थानिक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव, जो तीर्थयात्रियों पर निर्भर करती है।
  • इस घटना से देश की छवि पर भी असर पड़ता है, खासकर विदेशी पर्यटकों के लिए।

3. शासन और प्रबंधन पर सवाल (Questions on Governance and Management):

  • क्या स्थानीय प्रशासन, मंदिर प्रबंधन, और राज्य सरकारें इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठा रही हैं?
  • आपदा प्रबंधन प्रणालियों की प्रभावशीलता पर संदेह।
  • प्रशासनिक जवाबदेही का मुद्दा।

आगे की राह: समाधान और सीख (The Way Forward: Solutions and Lessons)

इस दुखद घटना से सीखकर, हमें भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। यहाँ कुछ प्रमुख सुझाव दिए गए हैं:

1. बेहतर भीड़ प्रबंधन रणनीतियाँ (Improved Crowd Management Strategies):

  • तकनीक का उपयोग: भीड़ की निगरानी और भविष्यवाणी के लिए AI-संचालित सिस्टम, ड्रोन, और सेंसर का उपयोग।
  • “स्मार्ट” बैरिकेडिंग: भीड़ के दबाव को झेलने और नियंत्रित करने के लिए डिज़ाइन किए गए बैरिकेड्स।
  • प्रवाह-आधारित प्रवेश: श्रद्धालुओं को नियंत्रित गति से प्रवेश देना, ‘वन-वे’ ट्रैफिक सिस्टम का पालन।
  • पर्याप्त साइनेज और घोषणाएँ: स्पष्ट, बहुभाषी साइनेज और नियमित उद्घोषणाएं।
  • स्वयंसेवक प्रशिक्षण: भीड़ नियंत्रण और प्राथमिक सहायता के लिए प्रशिक्षित स्वयंसेवकों की तैनाती।

2. उन्नत सुरक्षा अवसंरचना (Enhanced Security Infrastructure):

  • पर्याप्त सुरक्षाकर्मी: पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित पुलिस और सुरक्षा कर्मियों की तैनाती, विशेषकर भीड़भाड़ वाले समय में।
  • संचार प्रणाली: निर्बाध संचार के लिए आधुनिक वॉकी-टॉकी, लाउडस्पीकर, और नियंत्रण कक्ष।
  • सीसीटीवी निगरानी: पूरे मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों में उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले सीसीटीवी कैमरे।
  • आपातकालीन निकास: सभी प्रासंगिक क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से चिह्नित और बाधा-मुक्त आपातकालीन निकास।

3. मजबूत समन्वय तंत्र (Robust Coordination Mechanism):

  • जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA): DDMA को सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए और सभी संबंधित एजेंसियों के बीच समन्वय स्थापित करना चाहिए।
  • संयुक्त मॉक ड्रिल: विभिन्न एजेंसियों के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए नियमित संयुक्त मॉक ड्रिल।
  • मंदिर समितियों के साथ साझेदारी: मंदिर प्रबंधन समितियों को सुरक्षा प्रोटोकॉल और भीड़ प्रबंधन योजनाओं के विकास में सक्रिय रूप से शामिल करना।

4. सार्वजनिक जागरूकता और शिक्षा (Public Awareness and Education):

  • सुरक्षा दिशानिर्देश: यात्रियों को यात्रा से पहले सुरक्षा दिशानिर्देशों और नियमों के बारे में सूचित करना।
  • सामुदायिक जुड़ाव: स्थानीय समुदायों को आपदाओं से निपटने और सहायता प्रदान करने में शामिल करना।
  • “जिम्मेदार तीर्थयात्री” अभियान: यात्रियों को अनुशासित रहने और सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करना।

5. नीतिगत और विनियामक सुधार (Policy and Regulatory Reforms):

  • राष्ट्रीय तीर्थयात्रा सुरक्षा नीति: ऐसे आयोजनों के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय नीति विकसित करना।
  • मानकीकरण: भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा के लिए स्पष्ट मानक और दिशानिर्देश निर्धारित करना।
  • जवाबदेही: सुरक्षा चूकों के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों और संस्थाओं की जवाबदेही तय करना।

6. भौतिक अवसंरचना का उन्नयन (Upgradation of Physical Infrastructure):

  • क्षमता का आकलन: मंदिर परिसरों की वास्तविक क्षमता का आकलन करना और उसके अनुसार प्रवाह को प्रबंधित करना।
  • आधुनिक डिज़ाइन: प्रवेश, निकास, और आवागमन के रास्तों को आधुनिक भीड़ प्रबंधन सिद्धांतों के अनुसार फिर से डिज़ाइन करना।
  • फायर सेफ्टी और अन्य सुरक्षा उपाय: आग से बचाव, आपातकालीन प्रकाश व्यवस्था, और अन्य आवश्यक सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करना।

UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता (Relevance for UPSC Examination)

यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न पहलुओं से जुड़ती है:

  • जीएस पेपर I (समाज): सामाजिक मुद्दे, भारत की सांस्कृतिक विरासत, धार्मिक पर्यटन का प्रभाव।
  • जीएस पेपर II (शासन): सरकारी नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास, केंद्र-राज्य संबंध (यदि लागू हो), सार्वजनिक सुरक्षा, आपदा प्रबंधन।
  • जीएस पेपर III (सुरक्षा): आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे, सुरक्षा बल और एजेंसियां, सुरक्षा के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग, आपदा प्रबंधन।
  • निबंध: “भारत में धार्मिक पर्यटन: चुनौतियाँ और अवसर”, “आपदा प्रबंधन में सार्वजनिक भागीदारी का महत्व”, “सुरक्षा से अधिक कोई धर्म नहीं”।

विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण:

  • **कारण-प्रभाव विश्लेषण:** भगदड़ के पीछे के सामाजिक, प्रशासनिक, और ढांचागत कारणों और उनके प्रभावों का विश्लेषण।
  • **नीतिगत विश्लेषण:** मौजूदा भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा नीतियों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन और सुधार के लिए सुझाव।
  • **प्रशासनिक सुधार:** कैसे प्रशासनिक सुधार, प्रौद्योगिकी का उपयोग, और बेहतर समन्वय ऐसी घटनाओं को रोक सकते हैं।
  • **नैतिक विचार:** मानव जीवन की कीमत और प्रशासकों की नैतिक जिम्मेदारी।

यह घटना हमें याद दिलाती है कि जहाँ एक ओर आस्था और आध्यात्मिकता का गहरा महत्व है, वहीं दूसरी ओर, मानव जीवन की सुरक्षा सर्वोपरि है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि वे स्थान जो शांति और सुकून प्रदान करते हैं, वे स्वयं दुख और त्रासदी का कारण न बनें। हरिद्वार की मनसा देवी मंदिर में हुई भगदड़ एक गंभीर चेतावनी है, जिसे हम सभी को, विशेषकर जो शासन और सार्वजनिक प्रबंधन में हैं, गंभीरता से लेना चाहिए।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. हरिद्वार में हाल ही में भगदड़ की घटना किस प्रसिद्ध मंदिर से संबंधित है?
(a) केदारनाथ मंदिर
(b) बद्रीनाथ मंदिर
(c) मनसा देवी मंदिर
(d) महाकालेश्वर मंदिर
उत्तर: (c) मनसा देवी मंदिर
व्याख्या: समाचार के अनुसार, भगदड़ मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार में हुई।

2. भगदड़ का प्राथमिक कारण क्या बताया गया है?
(a) खराब मौसम
(b) सुरक्षा कर्मियों की अनुपस्थिति
(c) भारी भीड़
(d) आग लगना
उत्तर: (c) भारी भीड़
व्याख्या: आयुक्त वीएस पांडे ने घटना का मुख्य कारण भारी भीड़ बताया।

3. भगदड़ की घटनाओं के लिए निम्नलिखित में से कौन सा एक कारक जिम्मेदार हो सकता है?
1. संकीर्ण प्रवेश/निकास मार्ग
2. अप्रभावी बैरिकेडिंग
3. अपर्याप्त साइनेज
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1
(b) 1 और 2
(c) 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d) 1, 2 और 3
व्याख्या: ये सभी कारक भीड़ प्रबंधन को बाधित करते हैं और भगदड़ का कारण बन सकते हैं।

4. “फनलिंग प्रभाव” (Funneling Effect) क्या है, जो अक्सर भगदड़ में देखा जाता है?
(a) जब भीड़ एक खुले मैदान में फैल जाती है।
(b) जब भीड़ एक संकीर्ण स्थान से गुजरने का प्रयास करती है, जिससे दबाव अत्यधिक बढ़ जाता है।
(c) जब लोग अचानक एक ही दिशा में दौड़ना शुरू कर देते हैं।
(d) जब भीड़ किसी घटना का बहिष्कार करती है।
उत्तर: (b) जब भीड़ एक संकीर्ण स्थान से गुजरने का प्रयास करती है, जिससे दबाव अत्यधिक बढ़ जाता है।
व्याख्या: फनलिंग प्रभाव तब होता है जब भीड़ एक सीमित क्षेत्र में केंद्रित हो जाती है।

5. आपदा प्रबंधन के संदर्भ में, “मॉक ड्रिल” (Mock Drill) का उद्देश्य क्या है?
(a) केवल जनता का मनोरंजन करना।
(b) विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय और प्रतिक्रिया क्षमता का परीक्षण और सुधार करना।
(c) किसी विशेष क्षेत्र से लोगों को खाली कराना।
(d) आपातकालीन उपकरणों का प्रदर्शन करना।
उत्तर: (b) विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय और प्रतिक्रिया क्षमता का परीक्षण और सुधार करना।
व्याख्या: मॉक ड्रिल का मुख्य उद्देश्य तैयारियों का परीक्षण करना है।

6. भारत में धार्मिक स्थलों पर भगदड़ की घटनाओं को रोकने के लिए किस प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा सकता है?
(a) केवल सीसीटीवी कैमरे
(b) आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ड्रोन
(c) केवल लाउडस्पीकर सिस्टम
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (b) आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ड्रोन
व्याख्या: AI भीड़ का विश्लेषण कर सकता है, जबकि ड्रोन निगरानी में मदद कर सकते हैं।

7. जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) का मुख्य कार्य क्या है?
(a) केवल राष्ट्रीय आपदा नीतियों को लागू करना।
(b) जिले में आपदा प्रबंधन गतिविधियों का समन्वय और योजना बनाना।
(c) केवल विदेशी सहायता का प्रबंधन करना।
(d) केवल आपदा के बाद राहत कार्य करना।
उत्तर: (b) जिले में आपदा प्रबंधन गतिविधियों का समन्वय और योजना बनाना।
व्याख्या: DDMA स्थानीय स्तर पर आपदा प्रबंधन का प्रमुख निकाय है।

8. “भेड़चाल” (Herd Mentality) क्या है?
(a) एक व्यक्ति का अपने निर्णय पर अडिग रहना।
(b) समूह के अन्य सदस्यों के व्यवहार से प्रभावित होकर, बिना सोचे-समझे कार्य करना।
(c) व्यक्तिगत सुरक्षा को प्राथमिकता देना।
(d) नेताओं का मार्गदर्शन करना।
उत्तर: (b) समूह के अन्य सदस्यों के व्यवहार से प्रभावित होकर, बिना सोचे-समझे कार्य करना।
व्याख्या: यह भगदड़ जैसी स्थितियों में एक सामान्य मनोवैज्ञानिक प्रवृत्ति है।

9. हरिद्वार में हुई भगदड़ जैसी घटनाओं से बचने के लिए निम्नलिखित में से कौन सा एक नीतिगत सुधार आवश्यक है?
(a) धार्मिक पर्यटन पर पूर्ण प्रतिबंध।
(b) भीड़ प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मानकीकृत दिशानिर्देश।
(c) केवल स्थानीय सरकारों को जवाबदेह ठहराना।
(d) सभी मंदिरों का राष्ट्रीयकरण।
उत्तर: (b) भीड़ प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मानकीकृत दिशानिर्देश।
व्याख्या: एक समान नीति देश भर के विभिन्न स्थलों पर सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।

10. मनसा देवी मंदिर किस भारतीय राज्य में स्थित है?
(a) हिमाचल प्रदेश
(b) उत्तर प्रदेश
(c) उत्तराखंड
(d) राजस्थान
उत्तर: (c) उत्तराखंड
व्याख्या: मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार, उत्तराखंड में स्थित है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. हरिद्वार में मनसा देवी मंदिर में हुई भगदड़ जैसी घटनाओं के पीछे भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा अवसंरचना और प्रशासनिक समन्वय की विफलता के बहुआयामी कारणों का विश्लेषण कीजिए। भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए क्या ठोस उपाय किए जाने चाहिए? (250 शब्द, 15 अंक)

2. भारत एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध देश है जहाँ बड़ी संख्या में धार्मिक स्थल हैं जो सालाना लाखों तीर्थयात्रियों को आकर्षित करते हैं। इन स्थलों पर भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा सुनिश्चित करना एक महत्वपूर्ण चुनौती है। इस संदर्भ में, प्रौद्योगिकी का उपयोग, सामुदायिक भागीदारी और बेहतर नीतिगत ढांचे की भूमिका पर प्रकाश डालिए। (250 शब्द, 15 अंक)

3. आपदा प्रबंधन के एक अधिकारी के तौर पर, आपको एक बड़े धार्मिक आयोजन के दौरान संभावित भगदड़ को रोकने के लिए एक विस्तृत योजना तैयार करनी है। इस योजना में भीड़ नियंत्रण, आपातकालीन प्रतिक्रिया, सुरक्षा कर्मियों की तैनाती और सार्वजनिक जागरूकता जैसे प्रमुख घटकों को शामिल कीजिए। (150 शब्द, 10 अंक)

Leave a Comment