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हरिद्वार में मनसा देवी मार्ग पर भगदड़: 6 जानें गईं, 30 घायल – जानें क्या हुआ और कैसे बचें?

हरिद्वार में मनसा देवी मार्ग पर भगदड़: 6 जानें गईं, 30 घायल – जानें क्या हुआ और कैसे बचें?

चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
हाल ही में, उत्तराखंड के पवित्र शहर हरिद्वार में मनसा देवी मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग पर एक दर्दनाक भगदड़ मच गई। इस घटना में कम से कम छह लोगों की दुखद मृत्यु हो गई और तीस से अधिक लोग घायल हो गए। यह घटना उस समय हुई जब बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए इकट्ठा थे। इस हृदयविदारक घटना ने एक बार फिर भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा उपायों और ऐसे सार्वजनिक आयोजनों में लोगों की जान की सुरक्षा से जुड़े गंभीर सवालों को जन्म दिया है। राज्य के मुख्यमंत्री ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है और मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना जताई है, साथ ही घायलों के समुचित इलाज के निर्देश दिए हैं। यह घटना यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए न केवल एक महत्वपूर्ण समसामयिक घटना है, बल्कि यह सार्वजनिक व्यवस्था, आपदा प्रबंधन, सुरक्षा प्रोटोकॉल और सामाजिक व्यवहार जैसे महत्वपूर्ण जीएस (सामान्य अध्ययन) विषयों के अध्ययन के लिए एक केस स्टडी भी प्रस्तुत करती है।

भगदड़ क्या है? (What is a Stampede?):**
भगदड़, जिसे अक्सर “क्राउड क्रश” या “क्राउड पैनिक” भी कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जहाँ घनी भीड़ में अचानक अफरातफरी मच जाती है, जिससे लोग एक-दूसरे पर गिरते हैं, कुचले जाते हैं और सांस लेने में कठिनाई के कारण या शारीरिक चोटों से उनकी मृत्यु हो जाती है। यह आमतौर पर तब होता है जब लोग किसी घटना, स्थान या निकास की ओर अत्यधिक तेज़ी से बढ़ते हैं, जिससे भीड़ का घनत्व इतना बढ़ जाता है कि व्यक्तिगत गति असंभव हो जाती है।

हरिद्वार में क्या हुआ? (What happened in Haridwar?):**
प्राप्त जानकारी के अनुसार, हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग पर भीड़ अत्यधिक बढ़ गई थी। विशेष रूप से, यह घटना उस समय हुई जब श्रद्धालुओं की संख्या अचानक बहुत अधिक हो गई। प्रारंभिक रिपोर्टों से पता चलता है कि कुछ अनियोजित प्रवेश या निकास बिंदु, या शायद अचानक प्रवेश की अनुमति मिलने से, भीड़ नियंत्रण से बाहर हो गई। संकरे रास्ते, खराब प्रकाश व्यवस्था (यदि लागू हो), और लोगों के बीच धक्का-मुक्की जैसी स्थितियाँ इस भयावह घटना के लिए उत्प्रेरक बनीं।

घटना के मुख्य कारण (Key Causes of the Incident):**
इस दुखद घटना के पीछे कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं, जिन्हें हम निम्नलिखित बिंदुओं में समझ सकते हैं:

  • भीड़ का अनियंत्रित जमावड़ा: किसी विशेष समय पर श्रद्धालुओं की संख्या का अप्रत्याशित रूप से अधिक हो जाना।
  • अपर्याप्त सुरक्षा और प्रबंधन: भीड़ को नियंत्रित करने, आवागमन को सुचारू बनाने और आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए पर्याप्त संख्या में सुरक्षा कर्मियों या स्वयंसेवकों का न होना।
  • संकरे रास्ते और अवरोध: मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग का संकरा होना या उसमें कोई अनियोजित बाधा होना, जिससे भीड़ का घनत्व बढ़ जाता है।
  • संचार की कमी: भीड़ को शांत करने, वैकल्पिक रास्तों की जानकारी देने या भीड़ को तितर-बितर करने के लिए प्रभावी संचार प्रणाली का अभाव।
  • अफरातफरी का माहौल: किसी छोटी सी घटना (जैसे किसी का गिरना) के कारण घबराहट फैलना और लोगों का अनियंत्रित होकर भागना।
  • आयोजकों की तैयारी में कमी: उत्सव या आयोजन के लिए पर्याप्त योजना और जोखिम मूल्यांकन का अभाव।

क्यों महत्वपूर्ण है यह घटना (GS/UPSC Perspective):
यह घटना यूपीएससी परीक्षा के निम्नलिखित पहलुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है:

  • भारतीय समाज (GS-I): विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में भीड़ का व्यवहार, सामाजिक मनोविज्ञान, अंधविश्वास और सार्वजनिक उत्सवों की प्रकृति।
  • शासन (GS-II): सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखना, आपदा प्रबंधन, सुरक्षा प्रोटोकॉल, सरकारी नीतियां और नागरिक समाज की भूमिका।
  • सुरक्षा (GS-III): आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे, आतंकवाद विरोधी उपाय (हालांकि यहाँ लागू नहीं), और बड़े पैमाने पर सार्वजनिक आयोजनों में सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  • नैतिकता (GS-IV): सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्तियों की जिम्मेदारी, संकट प्रबंधन में निर्णय लेने की प्रक्रिया, और जीवन की पवित्रता का सम्मान।

भगदड़ से बचाव के उपाय (Measures to Prevent Stampedes):
ऐसी हृदयविदारक घटनाओं को रोकने के लिए कई स्तरों पर काम करने की आवश्यकता है:

  1. वैज्ञानिक भीड़ प्रबंधन:
    • अग्रिम योजना: किसी भी बड़े धार्मिक या सार्वजनिक आयोजन से पहले, संभावित भीड़ का अनुमान लगाना और उसके अनुसार योजना बनाना।
    • बाधाओं का उपयोग: भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बैरिकेड्स, रेलिंग और अन्य बाधाओं का प्रभावी ढंग से उपयोग करना।
    • नियंत्रित प्रवेश/निकास: प्रवेश और निकास बिंदुओं को सीमित करना और नियंत्रित करना, ताकि भीड़ का घनत्व न बढ़े।
    • वन-वे ट्रैफिक: भीड़ को एक ही दिशा में प्रवाहित करने के लिए ‘वन-वे’ प्रणाली लागू करना।
  2. पर्याप्त सुरक्षा बल:
    • प्रशिक्षित कर्मी: भीड़ नियंत्रण में प्रशिक्षित पुलिस, अर्धसैनिक बल और स्वयंसेवकों की तैनाती।
    • संचार उपकरण: भीड़ के साथ संवाद करने और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लाउडस्पीकर, वॉकी-टॉकी आदि का प्रभावी उपयोग।
  3. तकनीकी समाधान:
    • सीसीटीवी निगरानी: भीड़ के घनत्व और संभावित खतरों की पहचान के लिए व्यापक सीसीटीवी कवरेज।
    • भीड़ घनत्व सेंसर: ऐसे क्षेत्रों की पहचान करने के लिए सेंसर का उपयोग करना जहाँ भीड़ बहुत अधिक हो रही है।
    • ड्रोन: ऊपर से भीड़ की स्थिति का आकलन करने और समन्वय के लिए ड्रोन का उपयोग।
  4. जागरूकता और सूचना:
    • सार्वजनिक घोषणाएँ: श्रद्धालुओं को शांत रहने, नियमों का पालन करने और घबराने से बचने के लिए निरंतर घोषणाएँ।
    • वैकल्पिक मार्ग: यदि संभव हो तो भीड़ को फैलाने के लिए वैकल्पिक मार्गों की जानकारी देना।
  5. आयोजन प्रबंधन:
    • जोखिम मूल्यांकन: आयोजन से पहले संभावित जोखिमों का गहन मूल्यांकन और आकस्मिक योजनाएँ बनाना।
    • स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय: आयोजकों को स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर काम करना चाहिए।

यू.पी. के अन्य क्षेत्रों में भगदड़ की घटनाएं (Previous Stampede Incidents in UP and other regions):**
यह पहली बार नहीं है जब भारत में ऐसी कोई घटना हुई है। अतीत में भी विभिन्न राज्यों में बड़े धार्मिक आयोजनों या मेलों के दौरान भगदड़ मच चुकी है:

  • कुम्भ मेला, हरिद्वार (2010): हालांकि यह घटना हरिद्वार में हुई थी, लेकिन कुम्भ मेले के दौरान भी भीड़ प्रबंधन एक बड़ी चुनौती रही है।
  • राजकोट, गुजरात (2013): नवरात्रि उत्सव के दौरान एक मंदिर में भगदड़ से कई लोगों की मृत्यु हुई थी।
  • मुंबई, महाराष्ट्र (2013): स्वतंत्रता दिवस के दौरान एक मंदिर में भगदड़ के कारण कई लोग मारे गए थे।
  • प्रयागराज, उत्तर प्रदेश (2013): कुंभ मेले के दौरान भी भीड़ प्रबंधन को लेकर चिंताएं व्यक्त की गई थीं।
  • सबरीमाला, केरल (2011): मकरविलक्कू उत्सव के दौरान भगदड़ में कई लोग हताहत हुए थे।

ये पिछली घटनाएं दर्शाती हैं कि भारत में बड़े सार्वजनिक आयोजनों में भीड़ प्रबंधन एक सतत चुनौती बनी हुई है, जिसके लिए अधिक प्रभावी और सक्रिय उपायों की आवश्यकता है।

इस घटना से जुड़े जीएस पेपर के पहलू (GS Paper Aspects Related to this Incident):**
यह घटना विभिन्न जीएस पेपरों में विभिन्न विषयों से जुड़ी हुई है:

  • जीएस-I: भारतीय समाज (Indian Society):**
    • धार्मिक और सांस्कृतिक प्रथाएँ: तीर्थयात्राओं और धार्मिक आयोजनों का समाज पर प्रभाव।
    • जनसंख्या और शहरीकरण: बड़े शहरों और धार्मिक स्थलों पर भीड़ का दबाव।
    • सामाजिक व्यवहार: भीड़ में व्यक्तिगत और सामूहिक व्यवहार के पैटर्न।
  • जीएस-II: शासन (Governance):**
    • सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था: कानून और व्यवस्था बनाए रखने में सरकार की भूमिका।
    • आपदा प्रबंधन: प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं से निपटने के लिए नीतियाँ और ढाँचा।
    • नागरिक समाज की भूमिका: सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने में नागरिकों की जिम्मेदारी।
    • सरकारी नीतियाँ: सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा से संबंधित नियम और कानून।
  • जीएस-III: आंतरिक सुरक्षा (Internal Security):**
    • सार्वजनिक सुरक्षा: बड़े आयोजनों में सुरक्षा सुनिश्चित करना।
    • जोखिम मूल्यांकन: संभावित सुरक्षा खतरों का आकलन और रोकथाम।
  • जीएस-IV: नैतिकता (Ethics):**
    • सार्वजनिक सेवा का मूल्य: जनता की सुरक्षा और भलाई के प्रति जवाबदेही।
    • नैतिक नेतृत्व: संकट की स्थिति में प्रभावी नेतृत्व और निर्णय लेना।
    • संवेदनशील नागरिक: सार्वजनिक जीवन में सुरक्षा और व्यवस्था के प्रति संवेदनशीलता।

चुनौतियाँ और आगे की राह (Challenges and Way Forward):**
इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कई चुनौतियाँ हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • संसाधन की कमी: विशेष रूप से छोटे आयोजनों में पर्याप्त सुरक्षा कर्मियों या तकनीकी उपकरणों का अभाव।
  • अनियोजित विकास: कई धार्मिक स्थलों का विकास अनियोजित तरीके से हुआ है, जिससे चौड़े रास्ते और सुरक्षित निकास बिंदु उपलब्ध नहीं हैं।
  • धार्मिक उत्साह बनाम सुरक्षा: श्रद्धालुओं के अत्यधिक धार्मिक उत्साह को सुरक्षा नियमों के प्रति जागरूक करना एक कठिन कार्य है।
  • विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय: पुलिस, प्रशासन, मंदिर प्रबंधन और स्थानीय निकायों के बीच प्रभावी समन्वय का अभाव।

आगे की राह में निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

“सुरक्षा एक अहम् मुद्दा है, जिसे कभी भी मनोरंजन या आस्था के नाम पर नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। हर जीवन अनमोल है और उनकी रक्षा करना सर्वोपरि है।”

  • कठोर नियम और उनका कार्यान्वयन: सार्वजनिक आयोजनों के लिए सख्त सुरक्षा नियम बनाना और उनका सख्ती से पालन सुनिश्चित करना।
  • तकनीकी उन्नयन: भीड़ प्रबंधन के लिए नवीनतम तकनीकों का प्रयोग करना, जैसे AI-आधारित निगरानी और भविष्यवाणी प्रणाली।
  • प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: सुरक्षा कर्मियों और आयोजकों को भीड़ प्रबंधन और आपातकालीन प्रतिक्रिया में प्रशिक्षित करना।
  • जन जागरूकता अभियान: श्रद्धालुओं को भीड़ में सुरक्षा नियमों के पालन के महत्व के बारे में जागरूक करना।
  • स्थानीय निकायों को सशक्त बनाना: यह सुनिश्चित करना कि स्थानीय निकाय, मंदिर ट्रस्ट और प्रबंधन समितियाँ सुरक्षा योजनाओं को गंभीरता से लें।
  • डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग: मंदिर दर्शन के लिए ऑनलाइन बुकिंग या टोकन प्रणाली लागू करना, जिससे भीड़ का दबाव कम हो सके।

निष्कर्ष (Conclusion):
हरिद्वार में हुई यह भगदड़ एक चेतावनी है कि हमें बड़े पैमाने पर सार्वजनिक आयोजनों में सुरक्षा को कितनी गंभीरता से लेना चाहिए। यह घटना न केवल व्यवस्था की खामियों को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे थोड़े से असावधानी या नियोजन की कमी से जानमाल का भारी नुकसान हो सकता है। सरकार, आयोजकों और स्वयं नागरिकों सभी को यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना होगा कि ऐसी त्रासदियों की पुनरावृत्ति न हो। तकनीकी प्रगति, बेहतर योजना और सुरक्षा नियमों के कठोर कार्यान्वयन से ही हम अपने धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों को सुरक्षित बना सकते हैं।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न: हाल ही में हरिद्वार में मनसा देवी मंदिर मार्ग पर हुई भगदड़ के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
    1. इस घटना में कम से कम छह लोगों की मृत्यु हुई और तीस से अधिक लोग घायल हुए।
    2. यह घटना किसी धार्मिक जुलूस के दौरान हुई।
    3. मुख्यमंत्री ने घटना पर दुख व्यक्त किया और घायलों के इलाज के निर्देश दिए।
    उपरोक्त कथनों में से कौन से सही हैं?
    (a) केवल 1 और 2
    (b) केवल 1 और 3
    (c) केवल 2 और 3
    (d) 1, 2 और 3
    उत्तर: (b)
    व्याख्या: पहला और तीसरा कथन घटना की रिपोर्ट के अनुसार सही है। दूसरा कथन गलत है क्योंकि घटना किसी जुलूस के दौरान नहीं, बल्कि मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग पर हुई।
  2. प्रश्न: भगदड़ (Stampede) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा कारक सबसे अधिक योगदान देता है?
    (a) अत्यधिक प्रकाश व्यवस्था
    (b) संकरे रास्ते और भीड़ का अनियंत्रित जमावड़ा
    (c) पर्याप्त संख्या में स्वयंसेवक
    (d) खुले और चौड़े मार्ग
    उत्तर: (b)
    व्याख्या: भगदड़ तब होती है जब संकरे रास्तों पर भीड़ का घनत्व इतना बढ़ जाता है कि लोगों का हिलना-डुलना मुश्किल हो जाता है, जिससे वे एक-दूसरे पर गिरते हैं।
  3. प्रश्न: भारतीय समाज (GS-I) के दृष्टिकोण से, बड़े धार्मिक आयोजनों में भगदड़ की घटनाओं का अध्ययन किस पहलू से संबंधित है?
    (a) आर्थिक विकास
    (b) सामाजिक व्यवहार और भीड़ मनोविज्ञान
    (c) अंतर्राष्ट्रीय संबंध
    (d) कला और संस्कृति का संरक्षण
    उत्तर: (b)
    व्याख्या: बड़े आयोजनों में भीड़ का व्यवहार और मनोविज्ञान सामाजिक व्यवहार का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो जीएस-I के अंतर्गत आता है।
  4. प्रश्न: शासन (GS-II) के संदर्भ में, भगदड़ जैसी घटनाओं को रोकने के लिए निम्नलिखित में से कौन सा एक महत्वपूर्ण उपाय है?
    (a) केवल धार्मिक स्थलों पर कर बढ़ाना
    (b) भीड़ प्रबंधन के लिए प्रभावी सुरक्षा प्रोटोकॉल और योजनाओं का कार्यान्वयन
    (c) सार्वजनिक आयोजनों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना
    (d) केवल स्थानीय लोगों को प्रवेश देना
    उत्तर: (b)
    व्याख्या: प्रभावी सुरक्षा प्रोटोकॉल और सुनियोजित भीड़ प्रबंधन भगदड़ को रोकने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपाय हैं।
  5. प्रश्न: निम्नलिखित में से किस स्थान पर हाल के वर्षों में किसी बड़ी भगदड़ की घटना नहीं हुई है?
    (a) सबरीमाला, केरल
    (b) राजकोट, गुजरात
    (c) अमृतसर, पंजाब
    (d) मुंबई, महाराष्ट्र
    उत्तर: (c)
    व्याख्या: सबरीमाला, राजकोट और मुंबई में पिछली भगदड़ की घटनाएं हुई हैं, जबकि अमृतसर में ऐसी कोई बड़ी घटना सार्वजनिक रूप से रिपोर्ट नहीं हुई है।
  6. प्रश्न: आंतरिक सुरक्षा (GS-III) के दृष्टिकोण से, भगदड़ की घटनाओं को किस श्रेणी में वर्गीकृत किया जा सकता है?
    (a) आतंकवाद
    (b) मानव निर्मित आपदा
    (c) साइबर सुरक्षा उल्लंघन
    (d) पर्यावरण प्रदूषण
    उत्तर: (b)
    व्याख्या: भगदड़, खराब प्रबंधन या नियोजन का परिणाम होने के कारण, एक मानव निर्मित आपदा है।
  7. प्रश्न: नैतिकता (GS-IV) के संदर्भ में, किसी सार्वजनिक अधिकारी की प्राथमिक जिम्मेदारी क्या होती है जब ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है?
    (a) मामले को छिपाना
    (b) जनता की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करना
    (c) केवल राजनीतिक लाभ देखना
    (d) व्यक्तिगत सुरक्षा को प्राथमिकता देना
    उत्तर: (b)
    व्याख्या: सार्वजनिक अधिकारियों की प्राथमिक नैतिक जिम्मेदारी जनता की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करना है।
  8. प्रश्न: भगदड़ से बचाव के लिए तकनीकी समाधानों में क्या शामिल हो सकता है?
    1. सीसीटीवी निगरानी
    2. ड्रोन का उपयोग
    3. भीड़ घनत्व सेंसर
    नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
    (a) केवल 1 और 2
    (b) केवल 2 और 3
    (c) केवल 1 और 3
    (d) 1, 2 और 3
    उत्तर: (d)
    व्याख्या: सीसीटीवी निगरानी, ड्रोन का उपयोग और भीड़ घनत्व सेंसर सभी भगदड़ से बचाव के लिए तकनीकी समाधान हो सकते हैं।
  9. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
    (a) भगदड़ केवल धार्मिक आयोजनों में होती है।
    (b) भगदड़ से बचाव के लिए वन-वे ट्रैफिक प्रणाली प्रभावी हो सकती है।
    (c) भीड़ को नियंत्रित करने के लिए संकरे रास्ते हमेशा सहायक होते हैं।
    (d) आयोजकों की कोई जिम्मेदारी नहीं होती।
    उत्तर: (b)
    व्याख्या: भगदड़ किसी भी बड़े सार्वजनिक जमावड़े में हो सकती है, लेकिन वन-वे ट्रैफिक प्रणाली भीड़ को व्यवस्थित रखने में मदद करती है। संकरे रास्ते समस्याएँ पैदा करते हैं, और आयोजकों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है।
  10. प्रश्न: मनसा देवी मंदिर किस भारतीय राज्य में स्थित है?
    (a) उत्तर प्रदेश
    (b) हिमाचल प्रदेश
    (c) उत्तराखंड
    (d) राजस्थान
    उत्तर: (c)
    व्याख्या: मनसा देवी मंदिर उत्तराखंड के हरिद्वार शहर में स्थित है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न: हरिद्वार में मनसा देवी मंदिर मार्ग पर हुई भगदड़ की घटना के कारणों का विश्लेषण करें। सार्वजनिक आयोजनों में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा प्रोटोकॉल और तकनीकी समाधानों के महत्व पर प्रकाश डालें। (लगभग 250 शब्द)
  2. प्रश्न: भारत में बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में भगदड़ की पुनरावृत्ति एक गंभीर चिंता का विषय रही है। जीएस-I (भारतीय समाज), जीएस-II (शासन) और जीएस-III (आंतरिक सुरक्षा) के संदर्भ में इस मुद्दे के बहुआयामी पहलुओं का अन्वेषण करें। (लगभग 150 शब्द)
  3. प्रश्न: जीएस-IV (नैतिकता) के दृष्टिकोण से, एक सार्वजनिक अधिकारी या आयोजन आयोजक के रूप में, इस तरह की भगदड़ की घटना के घटित होने से पहले क्या निवारक कर्तव्य होते हैं? घटना के बाद उचित प्रतिक्रिया और जवाबदेही के नैतिक निहितार्थ क्या हैं? (लगभग 150 शब्द)

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