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स्वतंत्रता दिवस अलर्ट! लाल किले पर सुरक्षा में गंभीर चूक: 7 पुलिसकर्मी निलंबित, मॉक ड्रिल का चौंकाने वाला नतीजा।

स्वतंत्रता दिवस अलर्ट! लाल किले पर सुरक्षा में गंभीर चूक: 7 पुलिसकर्मी निलंबित, मॉक ड्रिल का चौंकाने वाला नतीजा।

चर्चा में क्यों? (Why in News?):**

हाल ही में, देश के सबसे प्रतिष्ठित प्रतीकों में से एक, दिल्ली के लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर हुई एक मॉक ड्रिल (Mock Drill) के दौरान एक चौंकाने वाली घटना सामने आई। इस अभ्यास का उद्देश्य संभावित खतरों का सामना करने के लिए सुरक्षा तैयारियों का जायजा लेना था, लेकिन इसके परिणाम आश्चर्यजनक और चिंताजनक थे। एक विशेष सुरक्षा टीम, जो आम नागरिकों के भेष में लाल किले के भीतर गश्त कर रही थी, उसे परिसर में छिपाए गए नकली बम (या विस्फोटक सामग्री) का पता लगाने में सात पुलिसकर्मियों को भारी असफलता का सामना करना पड़ा। इस गंभीर चूक के परिणामस्वरूप, घटना में शामिल सात पुलिसकर्मियों को तत्काल निलंबित कर दिया गया है। यह घटना न केवल स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व के दौरान सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि हमारी सुरक्षा एजेंसियों की तैयारी, प्रशिक्षण और वास्तविक समय में खतरों की पहचान करने की क्षमता पर भी गहन विचार-विमर्श को आमंत्रित करती है।

यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सीधे तौर पर आंतरिक सुरक्षा (Internal Security), राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security), आतंकवाद विरोधी उपाय (Anti-terrorism Measures), सुरक्षा एजेंसियों का प्रदर्शन, सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा प्रबंधन, और मॉक ड्रिल के महत्व जैसे विषयों को छूती है। आइए, इस घटना के विभिन्न पहलुओं, इसके निहितार्थों और UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से इसकी प्रासंगिकता का विस्तृत विश्लेषण करें।

घटना का विस्तृत विवरण: क्या हुआ और क्यों?

स्वतंत्रता दिवस, 15 अगस्त, भारत के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्व है। इस दिन देश के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हैं, और इसलिए यह स्थान अभूतपूर्व सुरक्षा घेरे में होता है। इस वर्ष भी, 77वें स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर, दिल्ली पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने सुरक्षा अभ्यासों को कड़ा कर दिया था। इसी क्रम में, लाल किले के भीतर एक ‘सुरक्षा अभ्यास’ या मॉक ड्रिल आयोजित की गई।

  • उद्देश्य: ऐसी मॉक ड्रिल का प्राथमिक उद्देश्य किसी संभावित आतंकवादी हमले, जैसे कि बम विस्फोट, की स्थिति में सुरक्षा प्रतिक्रिया की प्रभावशीलता का परीक्षण करना होता है। यह सुनिश्चित करता है कि आपात स्थिति में पुलिस और अन्य सुरक्षा कर्मी कितनी त्वरित, समन्वित और प्रभावी कार्रवाई कर सकते हैं।
  • विधि: इस विशेष मॉक ड्रिल में, एक ‘धमकी’ (Threat) उत्पन्न की गई, जिसके तहत लाल किले परिसर के भीतर विभिन्न संवेदनशील स्थानों पर नकली विस्फोटक (या बम) छिपाए गए।
  • चुनौती: एक ‘स्पेशल टीम’ को, जो आम नागरिकों का वेश धारण कर रही थी, परिसर में गश्त करते हुए इन छिपे हुए नकली बमों का पता लगाने का कार्य सौंपा गया था। यह एक ‘ब्लिंड टेस्ट’ (Blind Test) जैसा था, जहाँ सुरक्षा कर्मियों को यह नहीं बताया गया था कि वास्तविक खतरा कहाँ है।
  • चूक: दुखद बात यह है कि, सात पुलिसकर्मियों की टीम, जिसे इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए तैनात किया गया था, वे अपने निर्धारित समय सीमा के भीतर या अभ्यास के दौरान किसी भी नकली बम का पता लगाने में विफल रहे।
  • परिणाम: इस स्पष्ट विफलता को सुरक्षा में एक गंभीर चूक माना गया, जिसके कारण संबंधित सात पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया।

यह घटना इस बात पर प्रकाश डालती है कि भले ही सुरक्षा व्यवस्था अत्यंत कड़े मानकों पर हो, लेकिन परिचालन स्तर (Operational Level) पर छोटे-छोटे विचलन या प्रशिक्षण में कमी भी बड़े खतरे पैदा कर सकती है। “आम नागरिक बनकर गई थी स्पेशल टीम” यह दर्शाता है कि खतरा किसी भी रूप में, कहीं भी और किसी भी समय हो सकता है, और सुरक्षा कर्मियों को किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।

सुरक्षा तंत्र की प्रभावशीलता: एक गंभीर सवाल

यह घटना हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा ग्रिड और विशेष रूप से अति-संवेदनशील स्थानों (High-Value Targets) की सुरक्षा के संबंध में कई महत्वपूर्ण प्रश्न उठाती है:

  1. प्रशिक्षण और कौशल: क्या पुलिसकर्मियों को ऐसे परिदृश्यों के लिए पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित किया गया है? क्या उनकी संवेदनशीलता (Sensitivity) और पैटर्न पहचान (Pattern Recognition) की क्षमताएं पर्याप्त हैं?
  2. जागरूकता और सतर्कता: क्या जवान हर समय पूर्ण सतर्कता बनाए रखने में सक्षम हैं, खासकर जब वे सामान्य नागरिकों के बीच हों?
  3. प्रौद्योगिकी का उपयोग: क्या आधुनिक तकनीक (जैसे बॉडी कैमरे, मैटल डिटेक्टर, विस्फोटक ट्रेस डिटेक्टर) का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा रहा है, और क्या इन तकनीकों के संचालन में प्रशिक्षण की कमी है?
  4. पर्यवेक्षण और जवाबदेही: क्या पर्यवेक्षी अधिकारियों ने यह सुनिश्चित किया कि टीम अपने कर्तव्यों का निर्वहन प्रभावी ढंग से कर रही है? निलंबन के अलावा, क्या बड़ी प्रणालीगत कमजोरियों की पहचान की गई है?
  5. मॉक ड्रिल का उद्देश्य: क्या मॉक ड्रिल केवल औपचारिकता हैं, या वे वास्तविक कमजोरी को उजागर करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं? इस मामले में, मॉक ड्रिल ने निश्चित रूप से एक कमजोरी को उजागर किया है, लेकिन क्या इस कमजोरी को पहले ही पहचान लिया जाना चाहिए था?

“हम केवल भारी हथियारों या विशेष उपकरणों पर निर्भर नहीं रह सकते। जमीनी स्तर पर प्रत्येक जवान की सतर्कता और सामरिक समझ ही असली सुरक्षा कवच होती है।”

UPSC के लिए प्रासंगिकता: सुरक्षा, आतंकवाद और शासन

यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न जीएस (GS) पेपरों से जुड़ी है:

GS-III: आंतरिक सुरक्षा और प्रबंधन (Internal Security and Management)

* आतंकवाद: आतंकवाद एक प्रमुख सुरक्षा चिंता है, और लाल किला जैसे प्रतिष्ठित स्थल हमेशा आतंकवादियों के निशाने पर हो सकते हैं। बम जैसे खतरों से निपटना आंतरिक सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
* सुरक्षा ग्रिड: राष्ट्रीय महत्व के स्थानों (जैसे लाल किला, संसद भवन, सरकारी कार्यालय) के लिए एक मजबूत सुरक्षा ग्रिड का निर्माण और उसका रखरखाव आवश्यक है। इसमें भौतिक सुरक्षा, इलेक्ट्रॉनिक निगरानी, ​​खुफिया जानकारी का संग्रह और प्रतिक्रिया तंत्र शामिल हैं।
* खुफिया विफलताएँ: हालांकि यह घटना सीधे तौर पर खुफिया विफलता नहीं है, लेकिन यह सुरक्षा कर्मियों की जमीनी स्तर पर खतरे का पता लगाने की क्षमता में कमी को दर्शाती है, जो अप्रत्यक्ष रूप से खुफिया जानकारी के प्रसार और कार्रवाई में बाधा बन सकती है।
* सुरक्षा एजेंसियों का प्रदर्शन: पुलिस बलों, विशेष सुरक्षा समूहों (Special Security Groups) और खुफिया एजेंसियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन उनके जमीनी संचालन, प्रशिक्षण और उपकरणों के आधार पर किया जाता है। इस घटना ने कुछ क्षेत्रों में उनके प्रदर्शन पर सवाल उठाए हैं।
* आपदा प्रबंधन और सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा: बड़े सार्वजनिक समारोहों और ऐतिहासिक स्थलों पर सुरक्षा सुनिश्चित करना एक निरंतर चुनौती है। मॉक ड्रिल ऐसे आयोजनों के लिए सुरक्षा तैयारियों का एक अभिन्न अंग हैं।

GS-II: शासन (Governance)

* सरकारी नीतियां और उनका कार्यान्वयन: राष्ट्रीय सुरक्षा के संबंध में सरकारी नीतियों (जैसे एंटी-टेररिज्म लॉ, क्राउड मैनेजमेंट, क्रिटिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्शन) का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना शासन का हिस्सा है।
* जवाबदेही और पारदर्शिता: सुरक्षा से जुड़ी घटनाओं में जवाबदेही तय करना महत्वपूर्ण है। निलंबन इसी दिशा में एक कदम है। शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है।
* नागरिक-पुलिस संबंध: “आम नागरिक बनकर गई स्पेशल टीम” का पहलू यह भी दर्शाता है कि सुरक्षा कर्मियों को विभिन्न भेषों में काम करना पड़ सकता है। हालांकि, पुलिस की आम जनता के साथ बातचीत के दौरान उनका व्यवहार और सार्वजनिक धारणा भी महत्वपूर्ण है।

GS-I: आधुनिक भारत का इतिहास (History of Modern India)

* राष्ट्रीय प्रतीक और उनका महत्व: लाल किला केवल एक ऐतिहासिक इमारत नहीं है, बल्कि यह भारत की संप्रभुता और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। ऐसे प्रतीकों की सुरक्षा राष्ट्रीय पहचान के संरक्षण का हिस्सा है।

सुरक्षा चिंताओं का गहन विश्लेषण

यह घटना सिर्फ 7 पुलिसकर्मियों के निलंबन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक समस्या की ओर इशारा करती है:

  1. मानवीय कारक: सुरक्षा केवल तकनीक पर आधारित नहीं होती। इसमें शामिल कर्मियों का अनुभव, प्रशिक्षण, शारीरिक और मानसिक फिटनेस, और सबसे महत्वपूर्ण, उनकी सतर्कता का स्तर बहुत मायने रखता है।
  2. प्रशिक्षण की कमी या अप्रचलन: क्या प्रशिक्षण सामग्री और तरीके बदलते खतरों के अनुरूप अद्यतन (Updated) हैं? क्या उन्हें वास्तविक दुनिया के परिदृश्यों का सामना करने के लिए पर्याप्त रूप से तैयार किया जा रहा है?
  3. दबाव और तनाव: स्वतंत्रता दिवस जैसे उच्च-सुरक्षा वाले आयोजनों के दौरान सुरक्षा कर्मियों पर अत्यधिक दबाव होता है। इस दबाव के तहत प्रदर्शन को बनाए रखना एक चुनौती है।
  4. सामूहिक विफलता बनाम व्यक्तिगत चूक: क्या यह 7 पुलिसकर्मियों की व्यक्तिगत चूक थी, या यह एक प्रणालीगत समस्या का परिणाम था जहाँ टीम के भीतर संचार, पर्यवेक्षण या प्रशिक्षण में कोई कमी थी?
  5. “आम नागरिक” की भूमिका: सुरक्षा कर्मियों का आम नागरिकों के वेश में गश्त करना एक महत्वपूर्ण रणनीति है। यह आतंकवादियों को पहचानना मुश्किल बनाता है, लेकिन साथ ही, यह उन पुलिसकर्मियों के लिए भी एक चुनौती है जिन्हें अपनी सामान्य पहचान के बिना, सामान्य जनता की तरह दिखना होता है, फिर भी वे खतरों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होने चाहिए।

सुधारात्मक उपाय और भविष्य की राह

इस प्रकार की घटनाओं से सीखने और भविष्य में ऐसी चूक को रोकने के लिए निम्नलिखित सुधारात्मक उपाय किए जा सकते हैं:

  • निरंतर और अद्यतन प्रशिक्षण: सुरक्षा कर्मियों के लिए नियमित रूप से, यथार्थवादी (Realistic) और आधुनिक खतरों पर आधारित प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाने चाहिए। इसमें विभिन्न प्रकार के खतरों की पहचान, निगरानी तकनीक, और विस्फोटक उपकरणों का पता लगाने का प्रशिक्षण शामिल होना चाहिए।
  • प्रौद्योगिकी का प्रभावी उपयोग: नवीनतम निगरानी उपकरणों, विस्फोटक पहचान तकनीक (जैसे विस्फोटक ट्रेस डिटेक्टर, डॉग स्क्वाड का उन्नत प्रशिक्षण) और उन्नत संचार प्रणालियों में निवेश और उनके प्रभावी उपयोग के लिए प्रशिक्षण पर जोर दिया जाना चाहिए।
  • मानसिक तैयारी और तनाव प्रबंधन: उच्च-दबाव वाली स्थितियों में भी प्रदर्शन बनाए रखने के लिए कर्मियों की मानसिक तैयारी पर ध्यान दिया जाना चाहिए। तनाव प्रबंधन (Stress Management) कार्यशालाएं आयोजित की जानी चाहिए।
  • पर्यवेक्षण में सुधार: फील्ड ड्यूटी पर लगे कर्मियों के प्रदर्शन की निरंतर निगरानी और फीडबैक के लिए एक मजबूत पर्यवेक्षण प्रणाली होनी चाहिए।
  • नियमित मॉक ड्रिल का विश्लेषण: केवल मॉक ड्रिल करना पर्याप्त नहीं है; प्रत्येक ड्रिल के परिणामों का गहन विश्लेषण किया जाना चाहिए, कमजोरियों की पहचान की जानी चाहिए, और सुधारात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए। इन विश्लेषणों को केवल रिपोर्ट तक सीमित न रखकर, जमीनी स्तर पर सुधार लाने के लिए उपयोग किया जाना चाहिए।
  • कर्मचारियों का मनोबल: जहाँ चूक के लिए दंड आवश्यक है, वहीं अच्छे प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहन और सकारात्मक कार्य वातावरण बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है ताकि कर्मचारियों का मनोबल बना रहे।
  • खुफिया एजेंसियों के साथ समन्वय: खुफिया जानकारी का बेहतर प्रसार और उस पर त्वरित कार्रवाई के लिए सुरक्षा एजेंसियों और खुफिया इकाइयों के बीच समन्वय को मजबूत किया जाना चाहिए।
  • “कवर” की समीक्षा: “आम नागरिक” की भूमिका में गश्त करने वाली टीमों की पहचान और उनकी परिचालन दक्षता की समीक्षा की जानी चाहिए।

“मॉक ड्रिल केवल एक अभ्यास नहीं है; यह एक आईना है जो सुरक्षा व्यवस्था की वास्तविक खामियों को दिखाता है। इसे गंभीरता से लेना और उन खामियों को दूर करना ही राष्ट्र के प्रति हमारी जिम्मेदारी है।”

निष्कर्ष

लाल किले पर हुई यह घटना हमारी सुरक्षा तंत्र की तैयारियों पर एक महत्वपूर्ण वेक-अप कॉल (Wake-up Call) है। स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय महत्व के आयोजनों के दौरान, जहाँ पूरा देश जश्न मना रहा होता है, वहीं हमारी सुरक्षा एजेंसियां ​​सर्वोच्च स्तर की सतर्कता पर काम करती हैं। ऐसी मॉक ड्रिल, भले ही वे कमजोरी को उजागर करें, अंततः हमारी सुरक्षा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह घटना एक अनुस्मारक है कि आंतरिक सुरक्षा एक निरंतर विकसित होने वाला क्षेत्र है, और हमारी सुरक्षा एजेंसियों को बदलती परिस्थितियों और उभरते खतरों के अनुरूप लगातार अनुकूलन (Adapt) करना होगा। सात पुलिसकर्मियों का निलंबन इस बात का संकेत है कि इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से लिया जा रहा है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह घटना सुरक्षा प्रबंधन, शासन और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित वर्तमान मुद्दों को समझने का एक उत्कृष्ट केस स्टडी प्रस्तुत करती है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. हाल ही में लाल किले पर हुई मॉक ड्रिल में निलंबित किए गए पुलिसकर्मियों की संख्या कितनी थी?
(a) 5
(b) 7
(c) 10
(d) 12
उत्तर: (b) 7
व्याख्या: समाचार के अनुसार, घटना में सात पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया था।

2. लाल किले पर हुई मॉक ड्रिल का मुख्य उद्देश्य क्या था?
(a) आग लगने की स्थिति में प्रतिक्रिया का परीक्षण करना
(b) किसी संभावित आतंकवादी हमले के लिए सुरक्षा तैयारियों का जायजा लेना
(c) भीड़ प्रबंधन की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करना
(d) आपातकालीन चिकित्सा प्रतिक्रिया का अभ्यास करना
उत्तर: (b) किसी संभावित आतंकवादी हमले के लिए सुरक्षा तैयारियों का जायजा लेना
व्याख्या: मॉक ड्रिल का उद्देश्य आमतौर पर किसी विशेष प्रकार के खतरे, जैसे बम विस्फोट या आतंकवादी हमला, के खिलाफ सुरक्षा प्रतिक्रिया की प्रभावशीलता का परीक्षण करना होता है।

3. मॉक ड्रिल के दौरान, विशेष टीम को परिसर में क्या ढूंढने का कार्य सौंपा गया था?
(a) गुप्त हथियार
(b) घुसपैठिए
(c) नकली विस्फोटक (बम)
(d) अवैध सामग्री
उत्तर: (c) नकली विस्फोटक (बम)
व्याख्या: घटना के विवरण के अनुसार, विशेष टीम को परिसर में छिपाए गए नकली बमों का पता लगाना था।

4. मॉक ड्रिल में सुरक्षा कर्मियों की असफलता ने किस पहलू पर सवाल उठाए?
(a) केवल तकनीक का उपयोग
(b) प्रशिक्षण, सतर्कता और पहचान क्षमता
(c) खुफिया जानकारी का संग्रह
(d) कर्मचारियों की संख्या
उत्तर: (b) प्रशिक्षण, सतर्कता और पहचान क्षमता
व्याख्या: घटना ने विशेष रूप से सुरक्षा कर्मियों के प्रशिक्षण, उनकी सतर्कता के स्तर और खतरों की पहचान करने की उनकी क्षमता पर सवाल उठाए हैं।

5. निम्नलिखित में से कौन सा क्षेत्र GS-III के अंतर्गत आता है और इस घटना से सीधे तौर पर संबंधित है?
(a) सामाजिक न्याय
(b) आंतरिक सुरक्षा
(c) अंतर्राष्ट्रीय संबंध
(d) राजव्यवस्था
उत्तर: (b) आंतरिक सुरक्षा
व्याख्या: आतंकवाद, सुरक्षा ग्रिड, सुरक्षा एजेंसियों का प्रदर्शन जैसे विषय GS-III के “आंतरिक सुरक्षा” खंड के अंतर्गत आते हैं।

6. GS-II के किस पहलू से यह घटना अप्रत्यक्ष रूप से संबंधित है?
(a) अंतर्राष्ट्रीय संधि
(b) सरकारी नीतियां और उनका कार्यान्वयन
(c) पंचायती राज
(d) पर्यावरण संरक्षण
उत्तर: (b) सरकारी नीतियां और उनका कार्यान्वयन
व्याख्या: सुरक्षा संबंधी नीतियों का प्रभावी कार्यान्वयन और सुरक्षा कर्मियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन शासन का एक हिस्सा है।

7. “आम नागरिक बनकर गई थी स्पेशल टीम” वाली रणनीति का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?
(a) जनता के साथ बेहतर तालमेल बिठाना
(b) आतंकवादियों के लिए सुरक्षा कर्मियों की पहचान मुश्किल बनाना
(c) गुप्त सूचना एकत्र करना
(d) सुरक्षा कर्मियों को आराम देना
उत्तर: (b) आतंकवादियों के लिए सुरक्षा कर्मियों की पहचान मुश्किल बनाना
व्याख्या: यह रणनीति सुरक्षा कर्मियों को सामान्य जनता के बीच घुलने-मिलने की अनुमति देती है, जिससे किसी भी संभावित खतरे या आतंकवादी के लिए सुरक्षा कर्मियों का पता लगाना कठिन हो जाता है।

8. ऐसी मॉक ड्रिल में सुरक्षा कर्मियों की विफलता का एक संभावित कारण क्या नहीं हो सकता है?
(a) अपर्याप्त प्रशिक्षण
(b) अत्यधिक सतर्कता
(c) खराब पर्यवेक्षण
(d) आधुनिक उपकरणों के उपयोग में कमी
उत्तर: (b) अत्यधिक सतर्कता
व्याख्या: अत्यधिक सतर्कता सुरक्षा की मजबूती का प्रतीक है, विफलता का कारण नहीं। विफलता के कारण अपर्याप्त प्रशिक्षण, खराब पर्यवेक्षण या प्रौद्योगिकी का अभाव हो सकते हैं।

9. निम्नलिखित में से कौन सा लाल किले जैसे प्रतिष्ठित स्थल की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय है?
(a) केवल भारी हथियारों की तैनाती
(b) नियमित मॉक ड्रिल और कर्मियों का प्रशिक्षण
(c) भीड़ पर पूर्ण प्रतिबंध
(d) ड्रोन का पूर्ण निषेध
उत्तर: (b) नियमित मॉक ड्रिल और कर्मियों का प्रशिक्षण
व्याख्या: जबकि अन्य उपाय भी प्रासंगिक हो सकते हैं, नियमित मॉक ड्रिल और प्रशिक्षण सुरक्षा तंत्र की प्रभावशीलता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

10. “ब्लिंड टेस्ट” (Blind Test) का तात्पर्य मॉक ड्रिल के संदर्भ में क्या है?
(a) टीम के सदस्यों को एक-दूसरे के बारे में जानकारी न होना
(b) सुरक्षा कर्मियों को वास्तविक खतरों या उनकी स्थिति के बारे में पहले से कोई जानकारी न देना
(c) अभ्यास के बाद किसी को भी परिणाम न बताना
(d) केवल प्रशिक्षण सामग्री का परीक्षण करना
उत्तर: (b) सुरक्षा कर्मियों को वास्तविक खतरों या उनकी स्थिति के बारे में पहले से कोई जानकारी न देना
व्याख्या: “ब्लिंड टेस्ट” में, जिन सुरक्षा कर्मियों का परीक्षण किया जा रहा है, उन्हें यह नहीं बताया जाता कि खतरा कहां छिपा है या क्या वस्तुएं हैं, ताकि उनकी स्वाभाविक प्रतिक्रिया और क्षमता का परीक्षण किया जा सके।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. हाल ही में लाल किले पर हुई मॉक ड्रिल में सुरक्षा चूक की घटना का विश्लेषण करें। इस घटना ने भारत में आंतरिक सुरक्षा, विशेष रूप से महत्वपूर्ण राष्ट्रीय स्थलों की सुरक्षा से संबंधित किन व्यापक मुद्दों को उजागर किया है? (250 शब्द)

2. मॉक ड्रिल को राष्ट्रीय सुरक्षा तैयारियों का एक महत्वपूर्ण घटक माना जाता है। लाल किले की घटना के आलोक में, बताएं कि ये अभ्यास अपनी प्रभावशीलता को कैसे बढ़ा सकते हैं और भविष्य में इस तरह की चूक को रोकने के लिए क्या सुधारात्मक उपाय किए जाने चाहिए? (250 शब्द)

3. “सतर्कता मानव स्वभाव है, लेकिन व्यवस्थागत प्रशिक्षण और प्रौद्योगिकी का संयोजन एक अभेद्य सुरक्षा कवच का निर्माण करता है।” लाल किले की घटना के संदर्भ में इस कथन का मूल्यांकन करें और भारत में सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए बहु-आयामी दृष्टिकोण की व्याख्या करें। (150 शब्द)

4. राष्ट्रीय प्रतीकों और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारियों में से एक है। लाल किले की घटना ने इस जिम्मेदारी के निर्वहन में किस प्रकार की चुनौतियों को प्रदर्शित किया है? (150 शब्द)

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