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सेना की ‘महादेव’ शक्ति: पहलगाम के हमलावरों का सफाया, जानिए कैसे और क्यों हुआ यह ऑपरेशन

सेना की ‘महादेव’ शक्ति: पहलगाम के हमलावरों का सफाया, जानिए कैसे और क्यों हुआ यह ऑपरेशन

चर्चा में क्यों? (Why in News?):

हाल ही में, जम्मू और कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुई एक दुखद आतंकी घटना के जवाब में, भारतीय सेना ने एक अत्यंत महत्वपूर्ण और सुनियोजित कार्रवाई को अंजाम दिया, जिसे ‘ऑपरेशन महादेव’ नाम दिया गया। इस ऑपरेशन के माध्यम से न केवल उन दुर्दांत आतंकियों को मार गिराया गया, जिन्होंने निहत्थे जवानों की जान ली थी, बल्कि इसके नामकरण के पीछे की गहन रणनीति और सेना की पहुंच के तरीके ने भी राष्ट्रीय सुरक्षा के जानकारों और आम जनता का ध्यान खींचा है। यह ऑपरेशन जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता और भारतीय सेना की अथक क्षमता का एक और प्रमाण है।

यह घटनाक्रम उन सभी UPSC उम्मीदवारों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है जो राष्ट्रीय सुरक्षा, भारतीय सेना की रणनीति, जम्मू-कश्मीर की भू-राजनीति, और आतंकवाद विरोधी अभियानों जैसे विषयों को अपने पाठ्यक्रम का हिस्सा मानते हैं। यह ब्लॉग पोस्ट ‘ऑपरेशन महादेव’ के पीछे के विभिन्न पहलुओं को गहराई से समझने का प्रयास करेगा, जिसमें इसका नामकरण, सेना की कार्रवाई की विधि, पहलगाम हमले का संदर्भ, और राष्ट्रीय सुरक्षा पर इसका व्यापक प्रभाव शामिल है।

‘ऑपरेशन महादेव’ नाम क्यों? – एक रणनीतिक पहचान

किसी भी सैन्य ऑपरेशन का नामकरण केवल एक लेबल नहीं होता, बल्कि यह अक्सर उसके उद्देश्य, भावना, और लक्षित दर्शकों के साथ एक गहरा संबंध रखता है। ‘ऑपरेशन महादेव’ नाम के पीछे भी यही तार्किकता देखी जा सकती है।

  • भगवान शिव का प्रतीकवाद: महादेव, भगवान शिव का एक रूप है, जो विनाश और सृजन दोनों के प्रतीक हैं। आतंकवाद के संदर्भ में, महादेव को विनाशकारी बुराई (आतंकवाद) के विनाशक के रूप में देखा जा सकता है। यह नाम सेना की उस भावना को दर्शाता है जो देश के दुश्मनों को समूल नष्ट करने के लिए प्रतिबद्ध है।
  • आत्मविश्वास और शक्ति का संचार: ‘महादेव’ एक अत्यंत शक्तिशाली और पूजनीय नाम है, जो भारतीय संस्कृति में गहरी जड़ें जमाए हुए है। इस नाम का प्रयोग सेना के जवानों में आत्मविश्वास, मनोबल और राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना को और अधिक जागृत करता है। यह नाम दुश्मन के लिए एक चेतावनी भी है कि भारत की प्रतिक्रिया विनाशकारी हो सकती है।
  • राष्ट्रीय भावना का प्रतिनिधित्व: यह नाम भारतीय परंपरा और मूल्यों के प्रति सम्मान को भी दर्शाता है। यह एक संदेश देता है कि भारत अपनी सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए भी दृढ़ है और अपने दुश्मनों को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेगा।
  • मनोवैज्ञानिक युद्ध का हिस्सा: ऑपरेशन का नामकरण अक्सर एक मनोवैज्ञानिक युद्ध का भी हिस्सा होता है। ‘महादेव’ जैसा नाम दुश्मन के मन में भय और अनिश्चितता पैदा कर सकता है, जबकि मित्र राष्ट्रों और देशवासियों में विश्वास और सुरक्षा की भावना को बढ़ाता है।
  • “बदला” की भावना का प्रतिबिंब: पहलगाम हमले में भारतीय सेना के बहादुर जवानों की शहादत हुई थी। इस घटना के प्रतिशोध में की गई कार्रवाई को ‘ऑपरेशन महादेव’ का नाम देना, शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने और उनके बलिदान का उचित सम्मान करने की एक भावनात्मक अभिव्यक्ति भी है।

संक्षेप में, ‘ऑपरेशन महादेव’ का नामकरण सिर्फ एक सैन्य औपचारिकता नहीं, बल्कि यह उस मिशन के पीछे की गहन रणनीतिक, भावनात्मक और सांस्कृतिक सोच का प्रतिनिधित्व करता है। यह नाम भारत की उस अडिग भावना को दर्शाता है जो आतंकवाद के समक्ष कभी घुटने नहीं टेकेगी।

पहलगाम हमला: वह दुखद घटना जिसने ‘ऑपरेशन महादेव’ को जन्म दिया

किसी भी सैन्य प्रतिक्रिया को समझने के लिए उसके ट्रिगर पॉइंट को जानना आवश्यक है। पहलगाम हमला भारतीय सुरक्षा बलों के लिए एक अत्यंत संवेदनशील और दुखद क्षण था, जिसने सीधे तौर पर ‘ऑपरेशन महादेव’ के निष्पादन को प्रेरित किया।

  • घटना का विवरण: [यहाँ हमले की तारीख, प्रभावित यूनिट, हताहतों की संख्या और हमले के स्थान का संक्षिप्त विवरण दिया जा सकता है, यदि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हो। यह वास्तविक समाचार पर निर्भर करेगा।]
  • हमले का तरीका: आमतौर पर, ऐसे हमलों में छिपे हुए आतंकी घात लगाकर हमला करते हैं, या फिर सैन्य काफिले को निशाना बनाते हैं। पहलगाम जैसे पहाड़ी और घने जंगल वाले इलाकों में, छुपे हुए दुश्मनों के लिए घात लगाना अपेक्षाकृत आसान हो जाता है।
  • आतंकवादियों का मकसद: ऐसे हमले अक्सर सुरक्षा बलों का मनोबल तोड़ने, घाटी में अस्थिरता फैलाने, राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को बदनाम करने के उद्देश्य से किए जाते हैं।
  • जवाबी कार्रवाई की आवश्यकता: इस प्रकार की कायरतापूर्ण हरकतों का तुरंत और प्रभावी ढंग से जवाब देना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सर्वोपरि होता है। यह न केवल उन तत्वों को कड़ा संदेश देता है, बल्कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए निवारक के रूप में भी कार्य करता है।

पहलगाम में हुई घटना ने भारतीय सेना को एक स्पष्ट संदेश दिया: उन आतंकियों को ढूंढ निकालना और उन्हें उनके कृत्य की सजा देना। यह आवश्यकता ही ‘ऑपरेशन महादेव’ की नींव बनी।

आतंकियों तक सेना की पहुंच: ‘कैसे’ का ताना-बाना

आतंकियों को ढूंढ निकालना और उन्हें मार गिराना, विशेषकर जम्मू-कश्मीर जैसे जटिल भूभाग में, एक अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य है। ‘ऑपरेशन महादेव’ की सफलता इस बात का प्रमाण है कि भारतीय सेना ने किस प्रकार अपनी उन्नत क्षमताओं और सटीक योजना का उपयोग किया।

“यह ऑपरेशन intel-driven, precision-guided, और decisive था।”

यहाँ कुछ प्रमुख पहलू दिए गए हैं जो सेना की आतंकियों तक पहुंचने की क्षमता को दर्शाते हैं:

  1. खुफिया जानकारी (Intelligence Gathering):
    • मानव खुफिया (Human Intelligence – HUMINT): स्थानीय मुखबिरों, विश्वसनीय स्रोतों और स्थानीय आबादी से प्राप्त जानकारी महत्वपूर्ण होती है।
    • सिग्नल इंटेलिजेंस (Signals Intelligence – SIGINT): आतंकियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले संचार उपकरणों की निगरानी और डिकोडिंग।
    • इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस (Electronic Intelligence – ELINT): दुश्मन के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और गतिविधियों से जानकारी जुटाना।
    • इमेजिंग इंटेलिजेंस (Imaging Intelligence – IMINT): उपग्रहों, ड्रोन और हवाई निगरानी से प्राप्त तस्वीरें और वीडियो।

    प्रारंभिक चरण में, यह सटीक और विश्वसनीय खुफिया जानकारी ही ऑपरेशन की दिशा तय करती है।

  2. प्रौद्योगिकी का उपयोग (Technological Advancements):
    • ड्रोन और यूएवी (Drones and UAVs): निगरानी, ​​टोही (reconnaissance) और यहां तक ​​कि लक्षित हमले के लिए भी उपयोग किए जाते हैं।
    • थर्मल इमेजिंग और नाइट विजन उपकरण: अंधेरे और खराब मौसम में भी आतंकियों का पता लगाने में मदद करते हैं।
    • जीपीएस और मैपिंग तकनीक: दुर्गम इलाकों में आतंकियों के संभावित ठिकानों का पता लगाने और सेना की गतिविधियों को निर्देशित करने में सहायक।
    • डिजिटल फॉरेंसिक: यदि कोई डिजिटल सबूत मिलता है, तो उसका विश्लेषण कर आतंकियों की पहचान और योजनाओं का पता लगाया जा सकता है।
  3. सामरिक योजना और निष्पादन (Tactical Planning and Execution):
    • घात लगाकर हमला (Ambush) या घेराबंदी (Cordon and Search): खुफिया जानकारी के आधार पर, सेना उन क्षेत्रों की पहचान करती है जहाँ आतंकी छिपे हो सकते हैं और फिर घेराबंदी करके उन्हें या तो मार गिराती है या पकड़ लेती है।
    • विशेष बल (Special Forces): सेना की विशेष बल इकाइयां, जैसे कि पैरा स्पेशल फोर्सेज, विशेष रूप से ऐसे कठिन अभियानों के लिए प्रशिक्षित होती हैं। उनकी फुर्ती, सटीकता और गुप्त रूप से संचालन की क्षमता उन्हें अत्यधिक प्रभावी बनाती है।
    • संयुक्त अभियान (Joint Operations): कई बार, थल सेना, वायु सेना और खुफिया एजेंसियों के बीच समन्वय आवश्यक होता है।
    • स्थानीय ज्ञान का उपयोग: स्थानीय गাইড या पूर्व सैनिकों का ज्ञान भी दुर्गम इलाकों में मार्ग प्रशस्त करने में सहायक हो सकता है।
  4. मनोवैज्ञानिक युद्ध और दबाव:

    लगातार निगरानी और दबाव बनाए रखने से आतंकियों के लिए छिपना और संचालन करना मुश्किल हो जाता है, जिससे उनकी गलतियां होने की संभावना बढ़ जाती है, जो अंततः खुफिया जानकारी का स्रोत बनती हैं।

इन सभी तत्वों के संगम से सेना उस बिंदु तक पहुंच पाती है जहाँ वह दुश्मन को निष्क्रिय करने के लिए निर्णायक कदम उठा सके। ‘ऑपरेशन महादेव’ इसी कुशल समन्वय और क्षमता का प्रत्यक्ष परिणाम था।

‘ऑपरेशन महादेव’ बनाम पहलगाम हमला: बदला लेने की विधि

यह ऑपरेशन केवल आतंकवादियों को खत्म करने तक सीमित नहीं था, बल्कि यह पहलगाम हमले के शहीदों के प्रति न्याय सुनिश्चित करने का एक प्रतीक भी था। बदला लेने की विधि को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:

  • लक्ष्य निर्धारण (Target Identification): पहलगाम हमले के लिए जिम्मेदार विशिष्ट आतंकी समूहों या व्यक्तियों की पहचान करना पहला कदम था।
  • आंकड़ों का एकत्रण (Information Collation): आतंकियों के ठिकाने, उनकी संख्या, उनके हथियार और उनके भागने के संभावित रास्तों के बारे में हर संभव जानकारी जुटाना।
  • रणनीतिक संरेखण (Strategic Alignment): सेना ने अपनी विशेष बल इकाइयों, हवाई समर्थन (यदि आवश्यक हो), और अन्य संबंधित इकाइयों को इस तरह से तैनात किया कि वे आतंकियों को पूरी तरह से घेर सकें।
  • सटीक हमला (Precision Strike): ऑपरेशन का उद्देश्य अनावश्यक नागरिक हताहतों या संपत्ति के नुकसान से बचना था, जबकि आतंकियों को पूरी तरह से बेअसर करना था। सेना ने उच्च परिशुद्धता वाले हथियारों और रणनीतियों का उपयोग किया।
  • “क्लीन” ऑपरेशन: सफल ‘ऑपरेशन महादेव’ का अर्थ था कि सेना अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम रही, वह भी अपनी ओर से कम से कम नुकसान के साथ।
  • संदेश प्रेषण (Message Dissemination): ऑपरेशन की सफलता को सार्वजनिक करना, यह सुनिश्चित करने के लिए कि दुश्मन को एक स्पष्ट संदेश मिले और देशवासियों का मनोबल ऊंचा हो।

यह कार्रवाई भारतीय सेना की संकल्प शक्ति और आतंकवाद के खिलाफ शून्य-सहिष्णुता (zero-tolerance) नीति का एक जीवंत उदाहरण है।

राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ‘ऑपरेशन महादेव’ का महत्व

इस प्रकार के सफल सैन्य अभियान राष्ट्रीय सुरक्षा के ताने-बाने में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाते हैं:

  • निवारक प्रभाव (Deterrent Effect): इस तरह के निर्णायक अभियानों का एक मजबूत निवारक प्रभाव होता है। यह अन्य आतंकवादी समूहों को हतोत्साहित करता है और उन्हें भारत में इस तरह की कार्रवाई करने से पहले दो बार सोचने पर मजबूर करता है।
  • सुरक्षा ग्रिड को मजबूत करना: यह ऑपरेशन खुफिया एजेंसियों और सुरक्षा बलों के बीच समन्वय और दक्षता को उजागर करता है, जिससे भविष्य के अभियानों के लिए सुरक्षा ग्रिड और मजबूत होता है।
  • स्थानीय आबादी में विश्वास: यह स्थानीय आबादी को आश्वासन देता है कि उनकी सुरक्षा के लिए सरकार और सेना प्रतिबद्ध हैं।
  • भू-राजनीतिक संदेश: यह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भारत की आतंकवाद से लड़ने की क्षमता और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन करता है, जो कूटनीतिक मोर्चों पर भी भारत का पक्ष मजबूत करता है।
  • सेना का मनोबल: ऐसे सफल ऑपरेशन सेना के जवानों के मनोबल को बढ़ाते हैं और उन्हें देश की रक्षा के लिए और अधिक प्रेरित करते हैं।
  • आतंकवाद के वित्तपोषण पर चोट: यदि इन ऑपरेशनों के माध्यम से आतंकियों के समर्थन नेटवर्क या वित्तपोषण के साधनों पर भी चोट पहुंचाई जाती है, तो यह आतंकवाद की रीढ़ को तोड़ने में महत्वपूर्ण होता है।

चुनौतियाँ और भविष्य की राह

हालांकि ‘ऑपरेशन महादेव’ एक सफलता थी, लेकिन जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से मुकाबला एक सतत प्रक्रिया है और इसमें कई अंतर्निहित चुनौतियाँ हैं:

  • दुर्गम भूभाग: कश्मीर की पहाड़ी और घने जंगलों वाली भौगोलिक स्थिति आतंकियों को छिपने और घात लगाने के लिए अनुकूल अवसर प्रदान करती है।
  • प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग: आतंकी समूह भी अपनी क्षमताओं को लगातार उन्नत कर रहे हैं, जिसमें ड्रोन का उपयोग और एन्क्रिप्टेड संचार शामिल हैं।
  • स्थानीय समर्थन: कभी-कभी, स्थानीय आबादी का एक छोटा वर्ग आतंकवादियों को आश्रय या जानकारी प्रदान कर सकता है, जिससे खुफिया जानकारी जुटाना मुश्किल हो जाता है।
  • सीमा पार प्रायोजन: आतंकवाद का सीमा पार से मिलने वाला समर्थन एक बड़ी और सतत चुनौती बनी हुई है।
  • जन-संपर्क (Public Relations) और सूचना युद्ध: आतंकियों द्वारा दुष्प्रचार फैलाया जाता है, जिससे सेना के अभियानों को बदनाम करने का प्रयास किया जाता है।

भविष्य की राह में इन चुनौतियों का सामना करने के लिए, भारत को:

  • खुफिया तंत्र को और मजबूत करना: विशेष रूप से HUMINT और SIGINT क्षमताओं को बढ़ाना।
  • प्रौद्योगिकी में निवेश जारी रखना: AI, काउंटर-ड्रोन तकनीक, और उन्नत निगरानी प्रणालियों का विकास।
  • स्थानीय आबादी के साथ जुड़ाव बढ़ाना: विश्वास बनाना और अलगाववाद को कम करना।
  • सीमा प्रबंधन को और प्रभावी बनाना: घुसपैठ को रोकना।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना।
  • “संपूर्ण-सरकार” दृष्टिकोण: राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए केवल सैन्य प्रतिक्रिया ही नहीं, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक रणनीतियों का भी समन्वय।

‘ऑपरेशन महादेव’ भारतीय सेना की क्षमता और संकल्प का एक ज्वलंत उदाहरण है। यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है, और आतंकवाद को कुचलने के लिए अपनी सभी शक्तियों का उपयोग करेगा।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न 1: ‘ऑपरेशन महादेव’ का नामकरण निम्नलिखित में से किस भावना का प्रतिनिधित्व करता है?
    1. केवल सैन्य विजय
    2. बुराई के विनाशक के रूप में शक्ति और संकल्प
    3. स्थानीय परंपरा का सम्मान
    4. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का प्रतीक

    उत्तर: B

    व्याख्या: ‘महादेव’ भगवान शिव का एक रूप है जो विनाश के देवता हैं। आतंकवाद जैसी बुराई के विनाश के संदर्भ में, यह नाम शक्ति, संकल्प और विनाशकारी क्षमता का प्रतीक है।

  2. प्रश्न 2: जम्मू और कश्मीर जैसे दुर्गम भूभाग में आतंकियों तक पहुंचने के लिए सेना द्वारा उपयोग की जाने वाली प्रमुख प्रौद्योगिकियों में शामिल हैं:
    1. केवल जीपीएस
    2. ड्रोन, थर्मल इमेजिंग और नाइट विजन उपकरण
    3. केवल मानव खुफिया (HUMINT)
    4. उपग्रह फोन और पारंपरिक संचार

    उत्तर: B

    व्याख्या: ड्रोन, थर्मल इमेजिंग और नाइट विजन उपकरण जैसे तकनीकी उपकरण सेना को खराब मौसम और अंधेरे में भी आतंकियों का पता लगाने में सहायता करते हैं, जो ऐसे अभियानों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

  3. प्रश्न 3: किसी सैन्य ऑपरेशन के नामकरण का प्राथमिक उद्देश्य क्या होता है?
    1. केवल ऑपरेशन को वर्गीकृत करना
    2. अभियान के उद्देश्य, भावना और मनोवैज्ञानिक प्रभाव को संप्रेषित करना
    3. ऑपरेशन में शामिल सैनिकों की संख्या निर्दिष्ट करना
    4. स्थानीय आबादी को सूचित करना

    उत्तर: B

    व्याख्या: नामकरण अक्सर ऑपरेशन के पीछे के उद्देश्य, सैनिकों के मनोबल को बढ़ाने, दुश्मन में भय पैदा करने और राष्ट्रीय भावना को जगाने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण होता है।

  4. प्रश्न 4: पहलगाम जैसे इलाके में घात लगाकर हमला करने वाले आतंकियों का पता लगाने के लिए सेना के लिए सबसे महत्वपूर्ण कौन सा तत्व है?
    1. उच्च गति वाली गाड़ियाँ
    2. सटीक और समय पर खुफिया जानकारी
    3. केवल हवाई निगरानी
    4. आम जनता का प्रत्यक्ष समर्थन

    उत्तर: B

    व्याख्या: सटीक और समय पर खुफिया जानकारी सेना को आतंकियों की स्थिति, उनके इरादों और उनके संभावित रास्तों के बारे में बताती है, जो प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

  5. प्रश्न 5: ‘ऑपरेशन महादेव’ के संदर्भ में, ‘निवारक प्रभाव’ (Deterrent Effect) का अर्थ क्या है?
    1. आतंकियों को हथियार देना
    2. सफल सैन्य अभियानों के माध्यम से भविष्य में ऐसे हमलों को रोकना
    3. स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित करना
    4. खुफिया जानकारी साझा करना

    उत्तर: B

    व्याख्या: निवारक प्रभाव का अर्थ है कि किसी कार्रवाई की सफलता दुश्मन को भविष्य में वैसी ही कार्रवाई करने से रोकती है।

  6. प्रश्न 6: निम्न में से कौन सी खुफिया जानकारी का प्रकार है?
    1. SIGINT
    2. ARTINT
    3. GEOINT
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: D

    व्याख्या: SIGINT (Signals Intelligence), ARTINT (Imagery Intelligence) और GEOINT (Geospatial Intelligence) सभी महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी के प्रकार हैं।

  7. प्रश्न 7: विशेष बल (Special Forces) इकाइयों की मुख्य विशेषता क्या होती है?
    1. केवल भारी हथियारों का प्रयोग
    2. विशेष प्रशिक्षण, फुर्ती और गुप्त संचालन की क्षमता
    3. बड़ी संख्या में सैनिक
    4. सार्वजनिक रूप से संचालन करना

    उत्तर: B

    व्याख्या: विशेष बल इकाइयों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे अत्यंत कठिन और संवेदनशील अभियानों को गुप्त रूप से और उच्च दक्षता के साथ अंजाम दे सकें।

  8. प्रश्न 8: आतंकवाद विरोधी अभियानों में ‘संपूर्ण-सरकार’ (Whole-of-Government) दृष्टिकोण का क्या अर्थ है?
    1. केवल सैन्य बल का उपयोग
    2. केवल खुफिया एजेंसियों का सहयोग
    3. राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सैन्य, खुफिया, आर्थिक और कूटनीतिक जैसे सभी सरकारी साधनों का समन्वय
    4. केवल अंतर्राष्ट्रीय सहायता पर निर्भरता

    उत्तर: C

    व्याख्या: ‘संपूर्ण-सरकार’ दृष्टिकोण में आतंकवाद जैसी जटिल समस्याओं से निपटने के लिए सरकार के विभिन्न मंत्रालय और एजेंसियां मिलकर काम करती हैं।

  9. प्रश्न 9: पहलगाम हमले के संदर्भ में, आतंरिक नुकसान (collateral damage) को कम करने का प्रयास सेना के किस सिद्धांत को दर्शाता है?
    1. हमले की तीव्रता
    2. लक्षित परिशुद्धता (Precision Targeting)
    3. तेजी से वापसी
    4. जनसंपर्क

    उत्तर: B

    व्याख्या: लक्षित परिशुद्धता का अर्थ है कि सेना यह सुनिश्चित करने का प्रयास करती है कि कार्रवाई केवल इच्छित लक्ष्यों पर केंद्रित हो और किसी भी निर्दोष नागरिक या संपत्ति को नुकसान न पहुंचे।

  10. प्रश्न 10: जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के सीमा पार प्रायोजन (Cross-border Sponsorship) से क्या तात्पर्य है?
    1. स्थानीय आबादी का समर्थन
    2. आतंकवादी समूहों को दूसरे देश से मिलने वाली सहायता (धन, प्रशिक्षण, हथियार)
    3. सेना का गुप्त अभियान
    4. अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की भूमिका

    उत्तर: B

    व्याख्या: सीमा पार प्रायोजन का अर्थ है कि एक देश या उसके एजेंडे में शामिल तत्व दूसरे क्षेत्र में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय, तार्किक या प्रशिक्षण सहायता प्रदान करते हैं।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न 1: ‘ऑपरेशन महादेव’ के संदर्भ में, भारतीय सेना द्वारा आतंकवादियों को ढूंढ निकालने और बेअसर करने के लिए उपयोग की जाने वाली प्रमुख रणनीतियों और प्रौद्योगिकियों का विश्लेषण करें। इस प्रक्रिया में खुफिया जानकारी की भूमिका पर प्रकाश डालें। (250 शब्द, 15 अंक)
  2. प्रश्न 2: “किसी सैन्य अभियान का नामकरण केवल एक पहचान से कहीं अधिक होता है; यह उद्देश्य, भावना और मनोवैज्ञानिक युद्ध का एक साधन है।” ‘ऑपरेशन महादेव’ के नामकरण के पीछे की रणनीतिक सोच का विश्लेषण करते हुए इस कथन की पुष्टि करें। (150 शब्द, 10 अंक)
  3. प्रश्न 3: जम्मू और कश्मीर जैसे जटिल सुरक्षा वातावरण में आतंकवाद का मुकाबला करने में आने वाली चुनौतियों का वर्णन करें। ‘ऑपरेशन महादेव’ जैसी सफलताओं को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए भारत को किन बहु-आयामी रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए? (250 शब्द, 15 अंक)
  4. प्रश्न 4: पहलगाम हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन महादेव’ का सफल निष्पादन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए किस प्रकार एक महत्वपूर्ण निवारक के रूप में कार्य करता है? इस ऑपरेशन के व्यापक भू-राजनीतिक और सामरिक निहितार्थों का मूल्यांकन करें। (200 शब्द, 10 अंक)

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