सुप्रीम कोर्ट का राहुल गांधी से सवाल: ‘सच्चे भारतीय होते तो ऐसा नहीं कहते’, चीनी कब्जे पर क्या है मामला?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):
हाल ही में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी द्वारा “चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने हमारे देश की जमीन पर कब्जा कर लिया है” जैसे बयान दिए जाने के बाद, सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए राहुल गांधी से स्पष्टीकरण मांगा है। यह मामला, जो राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति, राजनीतिक बयानबाजी और न्यायिक सक्रियता के जटिल धागों से बुना हुआ है, UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह लेख इस पूरे मामले की तह तक जाएगा, इसके विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करेगा, और बताएगा कि UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से यह क्यों महत्वपूर्ण है।
पृष्ठभूमि: सीमा विवाद और राजनीतिक बयानबाजी (Background: Border Disputes and Political Rhetoric):
भारत और चीन के बीच दशकों से सीमा विवाद चला आ रहा है, खासकर लद्दाख क्षेत्र में। 1962 के युद्ध के बाद से, वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को लेकर दोनों देशों के बीच स्पष्ट सहमति नहीं है। हाल के वर्षों में, विशेष रूप से 2020 में गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद, पूर्वी लद्दाख में चीन द्वारा भारतीय क्षेत्र पर कथित कब्जे की खबरें लगातार सुर्खियों में रही हैं। इन घटनाओं ने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा की हैं और देश भर में राजनीतिक बहस को तेज कर दिया है।
ऐसे माहौल में, प्रमुख राजनीतिक हस्तियों द्वारा दिए गए बयान, विशेष रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े, जनता और न्यायपालिका का ध्यान आकर्षित करते हैं। राहुल गांधी, जो विपक्ष के एक प्रमुख नेता हैं, ने अक्सर चीन द्वारा भारतीय भूमि पर कब्जे के मुद्दे को उठाया है। उनके बयानों का उद्देश्य सरकार पर दबाव बनाना और देश की सुरक्षा के प्रति उसकी जवाबदेही तय करना रहा है।
सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप: ‘सच्चे भारतीय’ वाला सवाल (Supreme Court’s Intervention: The ‘True Indian’ Question):
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के इन बयानों के संदर्भ में, विशेष रूप से “चीन ने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया है” जैसे बयानों पर, स्वतः संज्ञान लिया है। कोर्ट ने कहा कि जब ऐसी बातें सार्वजनिक मंचों पर कही जाती हैं, तो इसका देश की सुरक्षा पर भी असर पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश ने टिप्पणी की, “अगर वे (राहुल गांधी) सच्चे भारतीय होते, तो वे ऐसा नहीं कहते। आपको कैसे पता चला कि उन्होंने (चीन ने) हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया है?”
यह टिप्पणी कई स्तरों पर महत्वपूर्ण है:
- राष्ट्रवाद का प्रश्न: “सच्चे भारतीय” जैसे वाक्यांश का उपयोग, जो अक्सर राष्ट्रीय पहचान और देशभक्ति से जुड़ा होता है, राजनीतिक बहसों में एक संवेदनशील बिंदु हो सकता है। कोर्ट का यह कहना कि एक ‘सच्चा भारतीय’ ऐसा नहीं कहेगा, इस विचार को सामने लाता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर बयान देते समय एक निश्चित प्रकार की संयम या दृष्टिकोण की अपेक्षा की जाती है।
- जानकारी का स्रोत: कोर्ट का यह सवाल कि “आपको पता कैसे चला?” यह जानने की कोशिश करता है कि राहुल गांधी के इन बयानों का आधार क्या है। क्या वे सरकार की ओर से जारी किए गए आधिकारिक बयानों पर आधारित हैं, या उनकी अपनी गुप्त जानकारी है, या केवल राजनीतिक अटकलें हैं? यह उन आलोचनाओं को भी दर्शाता है कि विपक्ष सरकार पर निराधार आरोप लगा रहा है।
- न्यायिक सक्रियता: इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का स्वतः संज्ञान लेना, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में न्यायपालिका की भूमिका पर भी सवाल उठाता है। क्या यह न्यायिक सक्रियता का मामला है, या कोर्ट केवल यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि सार्वजनिक बयानों से देश की छवि या सुरक्षा को नुकसान न पहुंचे?
राजनीतिक बयानबाजी और राष्ट्रीय सुरक्षा (Political Rhetoric and National Security):
यह मामला भारतीय राजनीति में एक आम मुद्दे को रेखांकित करता है: राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर राजनीतिक बयानबाजी का प्रभाव।
- विपक्ष की भूमिका: एक लोकतंत्र में, विपक्ष की यह भूमिका होती है कि वह सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए और जवाबदेही सुनिश्चित करे। राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर सरकार की खामियों को उजागर करना विपक्ष का कर्तव्य माना जाता है। राहुल गांधी इस भूमिका को निभा रहे हैं, और उनके बयानों का उद्देश्य सरकार की नीतियों की आलोचना करना है।
- सरकार की प्रतिक्रिया: सरकार और सत्ताधारी दल अक्सर विपक्ष पर राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों का राजनीतिकरण करने और देश को कमजोर करने का आरोप लगाते हैं। वे यह भी दावा करते हैं कि विपक्ष द्वारा की गई आलोचना से दुश्मन देश प्रोत्साहित हो सकते हैं।
- जनता पर प्रभाव: इस तरह की बयानबाजी जनता में भ्रम पैदा कर सकती है। वे यह तय करने में असमर्थ हो सकते हैं कि कौन सी जानकारी सही है और कौन सी नहीं। यह राष्ट्रीय मनोबल और सुरक्षा की भावना को भी प्रभावित कर सकता है।
सीमा पर चीन की गतिविधियों का संदर्भ (Context of China’s Activities on the Border):
राहुल गांधी के बयानों को समझने के लिए, हमें वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन की हालिया गतिविधियों को समझना होगा।
- पूर्वी लद्दाख: 2020 के गलवान संघर्ष के बाद, भारत और चीन के बीच तनाव बना हुआ है। कई रिपोर्टें और सैटेलाइट इमेजरी संकेत देती हैं कि चीन ने LAC के करीब अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाई है और कुछ क्षेत्रों में कथित तौर पर भारतीय भूमि पर अतिक्रमण किया है।
- डी-एस्केलेशन प्रयास: सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर दोनों देशों के बीच डी-एस्केलेशन (तनाव कम करने) के लिए कई दौर की बातचीत हुई है। कुछ क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी हुई है, लेकिन अभी भी कई बिंदु ऐसे हैं जहां गतिरोध बना हुआ है।
- सरकारी स्पष्टीकरण: भारतीय सरकार का रुख यह रहा है कि किसी भी क्षेत्र पर कोई कब्जा नहीं हुआ है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में चीन की गतिविधियों से भारत चिंतित है। सरकार जोर देती है कि वह देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
UPSC परीक्षा के लिए महत्व (Importance for UPSC Exam):
यह विषय UPSC सिविल सेवा परीक्षा के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को छूता है:
- भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity): यह न्यायपालिका की भूमिका (न्यायिक सक्रियता), मौलिक अधिकार (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता), और सरकार की जवाबदेही जैसे विषयों से जुड़ा है।
- अंतर्राष्ट्रीय संबंध (International Relations): भारत-चीन संबंध, सीमा विवाद, और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे अंतर्राष्ट्रीय संबंध के मुख्य तत्व हैं।
- सुरक्षा (Security): राष्ट्रीय सुरक्षा, सीमा प्रबंधन, और रक्षा नीतियों को समझना आवश्यक है।
- समसामयिक मामले (Current Affairs): यह सीधे तौर पर वर्तमान घटनाओं से जुड़ा है, जो परीक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
विश्लेषण: क्यों महत्वपूर्ण है यह मामला? (Analysis: Why is This Case Important?):
यह मामला केवल एक राजनीतिक बयान और उस पर सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया का मामला नहीं है, बल्कि यह कई गहरे मुद्दों को उजागर करता है:
- राष्ट्रीय सुरक्षा पर सार्वजनिक विमर्श (Public Discourse on National Security): यह सवाल उठता है कि क्या राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर सार्वजनिक विमर्श को नियंत्रित किया जाना चाहिए? अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन कैसे स्थापित किया जाए?
- न्यायपालिका की सीमाएं (Limits of the Judiciary): क्या न्यायपालिका को राजनीतिक बयानों पर स्वतः संज्ञान लेना चाहिए, खासकर जब वे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हों? क्या यह कार्यपालिका (कार्यकारी) के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप है?
- जवाबदेही और पारदर्शिता (Accountability and Transparency): सरकार किस हद तक राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर जनता के प्रति पारदर्शी है? क्या विपक्ष को आलोचना करने के लिए आवश्यक जानकारी उपलब्ध होनी चाहिए?
- कूटनीति और राष्ट्रीय हित (Diplomacy and National Interest): सार्वजनिक बयानों का विदेश नीति और कूटनीतिक संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है? क्या राजनीतिक लाभ के लिए राष्ट्रीय हितों से समझौता किया जा रहा है?
पक्ष और विपक्ष (Pros and Cons):
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के पक्ष में तर्क:
- राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा: सुप्रीम कोर्ट यह सुनिश्चित कर सकता है कि सार्वजनिक बयानों से देश की सुरक्षा को नुकसान न पहुंचे।
- गलत सूचना का खंडन: यदि राजनीतिक बयानों में गलत सूचना है, तो कोर्ट उसे स्पष्ट करने का प्रयास कर सकता है।
- सार्वजनिक विमर्श को नियंत्रित करना: संवेदनशील राष्ट्रीय मुद्दों पर गैर-जिम्मेदाराना बयानों को हतोत्साहित करना।
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के विपक्ष में तर्क:
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन: ऐसे हस्तक्षेप अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बाधित कर सकते हैं, जो लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।
- न्यायिक अति-सक्रियता: यह न्यायपालिका को कार्यपालिका के क्षेत्र में दखल देने की ओर ले जा सकता है।
- राजनीतिकरण का खतरा: न्यायिक हस्तक्षेप स्वयं राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा बन सकता है।
चुनौतियाँ (Challenges):
- सही जानकारी तक पहुँच: विपक्ष के पास अक्सर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण डेटा या खुफिया जानकारी तक सीधी पहुँच नहीं होती है, जिससे उनकी आलोचना अनुमानों पर आधारित हो सकती है।
- कूटनीतिक संवेदनशीलता: भारत-चीन जैसे संवेदनशील द्विपक्षीय संबंधों में, सार्वजनिक बयानबाजी से कूटनीतिक प्रक्रियाएं बाधित हो सकती हैं।
- न्यायिक संतुलन: न्यायपालिका के लिए यह तय करना एक चुनौती है कि कब हस्तक्षेप करना है और कब नहीं, ताकि वह अपनी स्वायत्तता बनाए रखते हुए राष्ट्रहित की रक्षा कर सके।
- जनता का विश्वास: यह सुनिश्चित करना कि जनता को राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर विश्वसनीय जानकारी मिले और वे भ्रामक या राजनीतिक बयानबाजी से प्रभावित न हों।
भविष्य की राह (Way Forward):
- पारदर्शिता और सूचना साझाकरण: सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर, जहां संभव हो, अधिक पारदर्शिता बरतनी चाहिए ताकि विपक्ष की चिंताओं को दूर किया जा सके और भ्रामक बयानबाजी को रोका जा सके।
- जिम्मेदार राजनीतिक विमर्श: सभी राजनीतिक दलों को राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर बयान देते समय अधिक जिम्मेदारी और संयम बरतना चाहिए।
- सीमा प्रबंधन में सुधार: वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अधिक प्रभावी सीमा प्रबंधन प्रणालियों को लागू करना और चीनी आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए सैन्य तैयारियों को मजबूत करना।
- कूटनीतिक संवाद: चीन के साथ कूटनीतिक संवाद जारी रखना और शांतिपूर्ण समाधान के माध्यम से सीमा विवाद को सुलझाने का प्रयास करना।
- न्यायपालिका की संतुलित भूमिका: न्यायपालिका को संतुलन बनाना होगा – अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करना और साथ ही यह सुनिश्चित करना कि सार्वजनिक बयानों से राष्ट्रीय हित को नुकसान न पहुंचे।
निष्कर्ष (Conclusion):
राहुल गांधी द्वारा चीनी कब्जे पर दिए गए बयानों और उस पर सुप्रीम कोर्ट के सवाल ने भारतीय राजनीति में राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक विमर्श की बहस को फिर से गरमा दिया है। यह मामला UPSC उम्मीदवारों के लिए भारतीय राजव्यवस्था, अंतर्राष्ट्रीय संबंध और सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयों की गहरी समझ विकसित करने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रीय सुरक्षा किसी भी राष्ट्र की प्राथमिकता होनी चाहिए, और इस पर होने वाली राजनीतिक बयानबाजी को राष्ट्रहित के परिप्रेक्ष्य में ही देखा जाना चाहिए। न्यायपालिका की भूमिका, विपक्ष का अधिकार और सरकार की जिम्मेदारी – ये सभी पहलू मिलकर एक मजबूत और सुरक्षित राष्ट्र का निर्माण करते हैं।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) भारत और किन देशों के बीच सीमा का निर्धारण करती है?
a) पाकिस्तान
b) नेपाल
c) चीन
d) बांग्लादेश
उत्तर: c) चीन
व्याख्या: वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) भारत और चीन के बीच सीमा का वह हिस्सा है जिस पर दोनों देशों की सेनाएं नियंत्रण रखती हैं, हालांकि इस पर दोनों देशों की अपनी-अपनी व्याख्याएं हैं।
2. भारत-चीन सीमा विवाद का प्रमुख क्षेत्र कौन सा है?
a) काराकोरम दर्रा
b) नाथुला दर्रा
c) तवांग सेक्टर
d) उपरोक्त सभी
उत्तर: d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: भारत-चीन सीमा विवाद कई क्षेत्रों में फैला हुआ है, जिसमें लद्दाख (काराकोरम दर्रा), सिक्किम (नाथुला दर्रा) और अरुणाचल प्रदेश (तवांग सेक्टर) प्रमुख हैं।
3. सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) द्वारा किसी मामले में स्वतः संज्ञान (Suo Motu cognizance) लेने का क्या अर्थ है?
a) जब कोई पीड़ित पक्ष अदालत में याचिका दायर करे।
b) जब अदालत अपनी ओर से, किसी सार्वजनिक महत्व के मुद्दे पर कार्रवाई करे, भले ही कोई याचिका दायर न हुई हो।
c) जब संसद कोई नया कानून बनाए।
d) जब राष्ट्रपति अदालत से सलाह मांगे।
उत्तर: b) जब अदालत अपनी ओर से, किसी सार्वजनिक महत्व के मुद्दे पर कार्रवाई करे, भले ही कोई याचिका दायर न हुई हो।
व्याख्या: स्वतः संज्ञान का अर्थ है कि अदालत बिना किसी औपचारिक याचिका या पक्षकार के, स्वयं किसी मामले को संज्ञान में लेती है, खासकर जब सार्वजनिक हित या मानवाधिकारों के उल्लंघन का मामला हो।
4. हालिया मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के किस बयान पर सवाल उठाए हैं?
a) भारत-पाकिस्तान संबंधों पर
b) चीन द्वारा भारतीय जमीन पर कथित कब्जे पर
c) अर्थव्यवस्था की स्थिति पर
d) विदेश नीति पर
उत्तर: b) चीन द्वारा भारतीय जमीन पर कथित कब्जे पर
व्याख्या: सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी द्वारा चीन द्वारा भारतीय जमीन पर कब्जे के संबंध में दिए गए बयानों पर स्पष्टीकरण मांगा है।
5. ‘वास्तविक नियंत्रण रेखा’ (LAC) की अवधारणा मुख्य रूप से किस देश के साथ भारत के सीमा विवाद से जुड़ी है?
a) पाकिस्तान
b) नेपाल
c) चीन
d) बांग्लादेश
उत्तर: c) चीन
व्याख्या: LAC वह सीमा रेखा है जो भारत और चीन के बीच नियंत्रित क्षेत्रों को अलग करती है, और यह सीमा विवाद का एक प्रमुख बिंदु है।
6. भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत नागरिकों को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है?
a) अनुच्छेद 19
b) अनुच्छेद 21
c) अनुच्छेद 14
d) अनुच्छेद 32
उत्तर: a) अनुच्छेद 19
व्याख्या: अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत भारतीय नागरिकों को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है, हालांकि इस पर उचित प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।
7. किसी राष्ट्रीय सुरक्षा मामले पर राजनीतिक दल की सार्वजनिक आलोचना का संभावित प्रभाव क्या हो सकता है?
a) यह सरकार को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर सकता है।
b) यह देश की सुरक्षा स्थिति को लेकर जनता में भ्रम पैदा कर सकता है।
c) यह दुश्मन देशों को भारत के प्रति आक्रामक रुख अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।
d) उपरोक्त सभी
उत्तर: d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: राष्ट्रीय सुरक्षा पर राजनीतिक आलोचना के कई संभावित प्रभाव हो सकते हैं, जिनमें सरकार पर दबाव, जनता में भ्रम और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति पर प्रभाव शामिल हैं।
8. गलवान घाटी की घटना, जिसने हाल के वर्षों में भारत-चीन संबंधों को तनावपूर्ण बनाया, किस वर्ष हुई थी?
a) 2019
b) 2020
c) 2021
d) 2022
उत्तर: b) 2020
व्याख्या: जून 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव काफी बढ़ गया था।
9. ‘न्यायिक सक्रियता’ (Judicial Activism) से आप क्या समझते हैं?
a) जब न्यायपालिका केवल कानूनों की व्याख्या करती है।
b) जब न्यायपालिका विधायिका और कार्यपालिका के कार्यों में अधिक सक्रिय भूमिका निभाती है, खासकर सार्वजनिक हित के मुद्दों पर।
c) जब न्यायपालिका केवल अपने निर्णयों को लागू करवाती है।
d) जब न्यायपालिका केवल राष्ट्रपति की सलाह पर कार्य करती है।
उत्तर: b) जब न्यायपालिका विधायिका और कार्यपालिका के कार्यों में अधिक सक्रिय भूमिका निभाती है, खासकर सार्वजनिक हित के मुद्दों पर।
व्याख्या: न्यायिक सक्रियता वह सिद्धांत है जिसके तहत न्यायपालिका सरकार के अन्य अंगों के कार्यों में अधिक हस्तक्षेप करती है ताकि नागरिकों के अधिकारों की रक्षा हो सके और सार्वजनिक हित सुनिश्चित हो सके।
10. सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी से उनके बयानों के संबंध में किस बात पर स्पष्टीकरण मांगा है?
a) उनकी पार्टी के आंतरिक कामकाज पर
b) उनके बयानों के स्रोत और तर्क पर
c) उनके विदेश यात्राओं पर
d) भारत के पड़ोसी देशों के साथ संबंधों पर
उत्तर: b) उनके बयानों के स्रोत और तर्क पर
व्याख्या: कोर्ट ने यह जानने की कोशिश की है कि राहुल गांधी को चीन द्वारा भारतीय भूमि पर कब्जे के बारे में जानकारी कैसे मिली और उनके दावों का आधार क्या है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर राजनीतिक बयानबाजी के प्रभावों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। क्या विपक्ष को ऐसे मुद्दों पर सरकार को घेरने का अधिकार है, और इस अधिकार की सीमाएं क्या होनी चाहिए? (लगभग 250 शब्द)
2. भारतीय संविधान के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19) और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने में न्यायपालिका की भूमिका की विवेचना करें। हालिया सुप्रीम कोर्ट के स्वतः संज्ञान के मामले के संदर्भ में अपने उत्तर का समर्थन करें। (लगभग 250 शब्द)
3. भारत-चीन सीमा विवाद के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालें और वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में इस मुद्दे के महत्व को समझाएं। इस संदर्भ में, राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए भारत द्वारा उठाए जा सकने वाले कदमों पर चर्चा करें। (लगभग 150 शब्द)
4. “सच्चे भारतीय” जैसे वाक्यांशों का सार्वजनिक विमर्श में प्रयोग राजनीतिक ध्रुवीकरण को कैसे प्रभावित करता है? एक राष्ट्र के रूप में, हमें ऐसे शब्दों का उपयोग करते समय क्या ध्यान रखना चाहिए? (लगभग 150 शब्द)