सामान्य विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न: अपनी तैयारी को परखें
परिचय: प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता के लिए सामान्य विज्ञान की एक मजबूत पकड़ आवश्यक है। भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान के विभिन्न विषयों को कवर करने वाले अभ्यास प्रश्न आपको अपनी तैयारी का आकलन करने और महत्वपूर्ण अवधारणाओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद करते हैं। आइए, इन विषयों के चुनिंदा प्रश्नों के माध्यम से अपनी ज्ञान की परख करें!
सामान्य विज्ञान अभ्यास प्रश्न (General Science Practice MCQs)
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हीरे के ‘Doubling Down on Diamond’ संदर्भ में, हीरे की कठोरता का मुख्य कारण क्या है?
- (a) इसमें कार्बन परमाणुओं के बीच आयनिक बंधन होता है।
- (b) इसमें कार्बन परमाणुओं के बीच दुर्बल वैन डेर वाल्स बल होते हैं।
- (c) इसमें कार्बन परमाणु सहसंयोजक बंधों द्वारा एक त्रिविमीय (3D) जाली में कसकर बंधे होते हैं।
- (d) इसमें कार्बन परमाणु धातुई बंधों द्वारा जुड़े होते हैं।
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): सहसंयोजक बंधन (Covalent Bonding)
व्याख्या (Explanation): हीरा कार्बन का एक अपरूप (allotrope) है जहाँ प्रत्येक कार्बन परमाणु अन्य चार कार्बन परमाणुओं के साथ सहसंयोजक बंधों (covalent bonds) द्वारा जुड़ा होता है। ये बंधन अत्यंत मजबूत होते हैं और एक त्रिविमीय (3D) जाली संरचना बनाते हैं। इस मजबूत और सघन संरचना के कारण ही हीरा अत्यधिक कठोर होता है। आयनिक बंधन, वैन डेर वाल्स बल और धातुई बंधन, हीरे की कठोरता के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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यदि हम हीरे के कटाई (cutting) और पॉलिशिंग (polishing) की बात करें, तो उस प्रक्रिया में किस भौतिक गुणधर्म का उपयोग किया जाता है?
- (a) उच्च विद्युत चालकता
- (b) उच्च तापीय चालकता
- (c) उच्च परावैद्युत सामर्थ्य (high dielectric strength)
- (d) निम्न अपवर्तनांक (low refractive index)
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle):
तापीय चालकता (Thermal Conductivity)
व्याख्या (Explanation):
हीरा अपनी असाधारण रूप से उच्च तापीय चालकता के लिए जाना जाता है, जो इसे धातु (जैसे तांबा) से भी बेहतर बना सकती है। यह गुण हीरे को काटने और पॉलिश करने वाली मशीनरी के लिए एक आदर्श सामग्री बनाता है, क्योंकि यह गर्मी को कुशलतापूर्वक दूर कर सकता है, जिससे कटाई उपकरण ठंडे रहते हैं और अधिक प्रभावी ढंग से काम करते हैं। उच्च विद्युत चालकता (यह विद्युत का कुचालक है), उच्च परावैद्युत सामर्थ्य, और उच्च अपवर्तनांक (यह प्रकाश को अधिक मोड़ता है) हीरे के कटाई से संबंधित प्राथमिक गुण नहीं हैं।अतः, सही उत्तर (b) है।
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हीरे की चमक (brilliance) और इंद्रधनुषी रंग (fire) मुख्य रूप से किस ऑप्टिकल गुण के कारण होते हैं?
- (a) विवर्तन (Diffraction)
- (b) प्रकीर्णन (Scattering)
- (c) पूर्ण आंतरिक परावर्तन (Total Internal Reflection) और फैलाव (Dispersion)
- (d) ध्रुवीकरण (Polarization)
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): पूर्ण आंतरिक परावर्तन और फैलाव (Total Internal Reflection and Dispersion)
व्याख्या (Explanation): हीरे का उच्च अपवर्तनांक (refractive index) और उच्च फैलाव (dispersion) इसे असाधारण चमक और ‘फायर’ प्रदान करते हैं। जब प्रकाश हीरे के अंदर प्रवेश करता है, तो यह कई बार पूर्ण आंतरिक परावर्तन से गुजरता है (क्योंकि इसका क्रांतिक कोण (critical angle) कम होता है), और फिर जब यह बाहर निकलता है, तो फैलाव के कारण यह विभिन्न रंगों में विभाजित हो जाता है। विवर्तन, प्रकीर्णन और ध्रुवीकरण भी प्रकाश की घटनाएं हैं, लेकिन वे हीरे की विशिष्ट चमक के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार नहीं हैं।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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निम्नलिखित में से कौन सा यौगिक हीरे के समान ही क्रिस्टल संरचना (crystal structure) प्रदर्शित करता है, लेकिन यह एक उत्कृष्ट अर्धचालक (semiconductor) है?
- (a) सोडियम क्लोराइड (NaCl)
- (b) सिलिकॉन कार्बाइड (SiC)
- (c) ग्रेफाइट (Graphite)
- (d) हीरा (Diamond)
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): क्रिस्टल संरचनाएँ (Crystal Structures) और अर्धचालक गुण (Semiconductor Properties)
व्याख्या (Explanation): सिलिकॉन कार्बाइड (SiC) में हीरे जैसी ही जिंक-ब्लेंड (zinc-blende) क्रिस्टल संरचना होती है। हालांकि, सिलिकॉन और कार्बन के बीच इलेक्ट्रोनगेटिविटी (electronegativity) में अंतर के कारण, Si-C बंधन में कुछ आयनिक चरित्र (ionic character) होता है, जो इसे एक अर्धचालक बनाता है। सोडियम क्लोराइड आयनिक यौगिक है, ग्रेफाइट एक परतदार संरचना वाला कार्बन अपरूप है, और हीरा स्वयं ही एक विद्युत इन्सुलेटर (insulator) है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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हीरे को अत्यंत उच्च तापमान पर गर्म करने पर, यदि ऑक्सीजन की अनुपस्थिति हो, तो क्या होगा?
- (a) यह पिघल जाएगा।
- (b) यह ग्रेफाइट में रूपांतरित हो जाएगा।
- (c) यह वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) बना देगा।
- (d) यह सीधे गैसीय अवस्था में परिवर्तित हो जाएगा (sublimate)।
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): अपररूपों का रूपांतरण (Allotropic Transformation)
व्याख्या (Explanation): ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में, हीरे को बहुत उच्च तापमान (लगभग 1500°C से ऊपर) पर गर्म करने पर, यह अधिक स्थिर अपररूप (allotrope), ग्रेफाइट में रूपांतरित हो जाएगा। हीरे का गलनांक (melting point) बहुत अधिक होता है, लेकिन दबाव की अनुपस्थिति में यह पिघलने से पहले ग्रेफाइट में बदल जाता है। ऑक्सीजन की उपस्थिति में, यह जलकर CO2 बना देगा। यह सीधे वाष्पीकृत (sublimate) नहीं होता।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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कार्बन के किस अपररूप (allotrope) में षट्कोणीय (hexagonal) परतें होती हैं, जिनमें प्रत्येक कार्बन परमाणु तीन अन्य कार्बन परमाणुओं से जुड़ा होता है?
- (a) हीरा (Diamond)
- (b) फुलरीन (Fullerenes)
- (c) ग्रेफाइट (Graphite)
- (d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): कार्बन के अपररूप (Allotropes of Carbon)
व्याख्या (Explanation): ग्रेफाइट की संरचना में कार्बन परमाणु षट्कोणीय छल्लों (hexagonal rings) की परतों में व्यवस्थित होते हैं। प्रत्येक परत के भीतर, प्रत्येक कार्बन परमाणु अन्य तीन कार्बन परमाणुओं से सहसंयोजक बंधों (covalent bonds) द्वारा जुड़ा होता है, जिससे एक sp2 संकरण (hybridization) होता है। इन परतों के बीच की दूरी अधिक होती है और वे कमजोर वैन डेर वाल्स बलों (van der Waals forces) से जुड़ी होती हैं, जिससे ग्रेफाइट नरम और चिकनाई वाला होता है। हीरे में sp3 संकरण और त्रिविमीय नेटवर्क होता है, जबकि फुलरीन में गोलाकार या बेलनाकार संरचनाएं होती हैं।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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यदि हम किसी रत्न को तराशने (gem cutting) की बात करें, तो काटने वाले उपकरण का पदार्थ (material of the cutting tool) कैसा होना चाहिए ताकि वह हीरे को काट सके?
- (a) मोहे स्केल (Mohs scale) पर हीरे से कम कठोर
- (b) मोहे स्केल (Mohs scale) पर हीरे के बराबर कठोर
- (c) मोहे स्केल (Mohs scale) पर हीरे से अधिक कठोर
- (d) उच्च गलनांक वाला कोई भी पदार्थ
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): कठोरता (Hardness) और मोहे स्केल (Mohs Scale)
व्याख्या (Explanation): मोहे स्केल पर, किसी पदार्थ की कठोरता को परिभाषित करने के लिए, वह पदार्थ दूसरे को खरोंच सकता है यदि वह दूसरे से अधिक कठोर हो। हीरा मोहे स्केल पर 10 के साथ सबसे कठोर ज्ञात प्राकृतिक पदार्थ है। इसलिए, किसी वस्तु को हीरे से काटने या खरोंचने के लिए, काटने वाले उपकरण का पदार्थ मोहे स्केल पर हीरे से अधिक कठोर होना चाहिए। केवल हीरे को ही हीरा काट सकता है या अत्यंत उच्च घनत्व वाले बोरोन नाइट्राइड (boron nitride) जैसे पदार्थ।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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रसायन विज्ञान में, हीरे के निर्माण के लिए आवश्यक विशिष्ट दाब (pressure) और तापमान (temperature) की स्थितियाँ क्या कहलाती हैं?
- (a) सुपरक्रिटिकल अवस्था (Supercritical state)
- (b) भू-तापीय प्रवणता (Geothermal gradient)
- (c) उच्च दाब-उच्च तापमान (HPHT) स्थितियाँ
- (d) चरम ताप-ताप (HPT) स्थितियाँ
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): पदार्थ विज्ञान (Materials Science) और क्रिस्टल निर्माण (Crystal Formation)
व्याख्या (Explanation): प्राकृतिक रूप से हीरे पृथ्वी के भीतर अत्यंत उच्च दाब (लगभग 4.5-6 GPa) और उच्च तापमान (लगभग 900-1300°C) पर बनते हैं। कृत्रिम रूप से हीरे के निर्माण के लिए भी इन्हीं स्थितियों की आवश्यकता होती है, जिन्हें उच्च दाब-उच्च तापमान (High Pressure-High Temperature – HPHT) स्थितियाँ कहा जाता है। सुपरक्रिटिकल अवस्था, भू-तापीय प्रवणता और चरम ताप-ताप (HPT) सही शब्दावली नहीं हैं।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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कार्बन के उस रूप को क्या कहते हैं जो हीरे की तरह sp3 संकरित (hybridized) होता है, लेकिन इसकी संरचना समतल (planar) होती है, न कि त्रिविमीय (3D)?
- (a) ग्रेफीन (Graphene)
- (b) फुलरीन (Fullerene)
- (c) कार्बोकैडीन (Carbocadene)
- (d) ग्रेफाइट (Graphite)
उत्तर: (a)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): कार्बन के अपररूप और संकरण (Allotropes of Carbon and Hybridization)
व्याख्या (Explanation): ग्रेफीन (Graphene) कार्बन का एक 2D (समतल) रूप है जिसमें कार्बन परमाणु एकल-परत (single layer) में व्यवस्थित होते हैं, और प्रत्येक कार्बन परमाणु sp2 संकरित होता है, जो ग्रेफाइट के समान है। प्रश्न में sp3 संकरित और समतल संरचना के बारे में पूछा गया है, जो कि एक सैद्धांतिक या काल्पनिक संरचना का वर्णन कर सकता है। हालाँकि, यदि हम “हीरे की तरह sp3 संकरित” शब्द को उस प्रकार के बंधन के संदर्भ में लें जो उसे कठोरता देता है, तो यह प्रश्न थोड़ा भ्रामक है क्योंकि sp3 संकरण मुख्य रूप से हीरे की त्रिविमीय संरचना के लिए जिम्मेदार है। ग्रेफाइट और ग्रेफीन sp2 संकरित होते हैं। कार्बन नैनोट्यूब (Carbon Nanotubes) और फुलरीन (Fullerenes) भी sp2 संकरित होते हैं। यदि प्रश्न की भाषा थोड़ी भिन्न हो और वह sp2 संकरण का जिक्र करती, तो ग्रेफीन या फुलरीन संभावित उत्तर होते। लेकिन दिए गए विकल्पों में, और “हीरे की तरह sp3 संकरित” को संदर्भ मानते हुए, जो एक मजबूत सहसंयोजक नेटवर्क का संकेत देता है, यह प्रश्न थोड़ा अस्पष्ट है। फिर भी, यदि हमें एक “समतल” संरचना चुननी है जो कार्बन से बनी हो, तो ग्रेफीन सबसे उपयुक्त विकल्प है, हालांकि यह sp3 संकरित नहीं है। यदि प्रश्न किसी खास संदर्भ में है, तो उत्तर भिन्न हो सकता है। यहाँ, हम प्रश्न को ऐसे लेते हैं कि यह कार्बन के किसी ऐसे रूप का जिक्र कर रहा है जो हीरे जैसे मजबूत बंधन से जुड़ा हो लेकिन समतल हो। इस संदर्भ में, ग्रेफीन को सबसे पास का माना जा सकता है, हालाँकि sp3 संकरण की शर्त पूरी नहीं होती। एक अधिक सटीक प्रश्न हो सकता था “कार्बन का वह रूप जो sp2 संकरित हो और एक एकल समतल परत बनाता हो?” जिसका उत्तर ग्रेफीन होता। यहाँ, प्रश्न में त्रुटि की संभावना है, या यह किसी विशेष संदर्भ पर आधारित है। मान लीजिए प्रश्न का आशय कुछ और है।
लेकिन यदि हम इसे अक्षरशः लें, कि sp3 संकरण के साथ समतल संरचना, तो ऐसा कोई ज्ञात सामान्य कार्बन रूप नहीं है।
आइए इस प्रश्न को हटा दें या एक अधिक उपयुक्त प्रश्न बदलें।
[प्रश्न 9 को बेहतर बनाने का प्रयास]
9. कार्बन का कौन सा अपररूप (allotrope) अपने sp2 संकरण (hybridization) के कारण अत्यधिक विद्युत चालक (electrically conductive) होता है और दो-आयामी (2D) शीट के रूप में मौजूद होता है?- (a) हीरा (Diamond)
- (b) फुलरीन (Fullerene)
- (c) ग्रेफीन (Graphene)
- (d) कोक (Coke)
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): कार्बन के अपररूप और विद्युत चालकता (Allotropes of Carbon and Electrical Conductivity)
व्याख्या (Explanation): ग्रेफीन, कार्बन का एक एकल-परत (single-layer) रूप है जिसमें कार्बन परमाणु sp2 संकरित होते हैं। यह sp2 संकरण प्रत्येक कार्बन परमाणु पर एक अतिरिक्त पाई (π) इलेक्ट्रॉन छोड़ता है, जो पूरी शीट में डेलोकलाइज़्ड (delocalized) होते हैं। ये डेलोकलाइज़्ड इलेक्ट्रॉन ग्रेफीन को इसकी उच्च विद्युत चालकता प्रदान करते हैं। हीरा sp3 संकरित होता है और विद्युत का कुचालक है। फुलरीन और कोक की चालकता ग्रेफीन जितनी नहीं होती।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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जीव विज्ञान में, ‘डायमंड’ शब्द का प्रयोग कभी-कभी उच्च-ऊर्जा कण त्वरक (high-energy particle accelerators) में उपयोग किए जाने वाले विशेष प्रकार के कांच (special type of glass) या खिड़की (window) के लिए किया जाता है। इन खिड़कियों का क्या कार्य होता है?
- (a) कणों की गति को धीमा करना
- (b) उच्च-ऊर्जा कणों के बीम (beam) को एक विशेष दिशा में केंद्रित करना
- (c) बीम को पारदर्शी बनाना ताकि अंदर देखा जा सके
- (d) कणों के बीच टकराव से उत्पन्न ऊष्मा को अवशोषित करना
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): कण त्वरक (Particle Accelerators) और बीम ऑप्टिक्स (Beam Optics)
व्याख्या (Explanation): कण त्वरक में, ‘डायमंड’ खिड़कियाँ (या विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए हीरे या हीरे के समान संरचना वाले पदार्थ) उच्च-ऊर्जा कणों के बीम को निर्देशित और केंद्रित करने के लिए उपयोग की जाती हैं। ये बीम को नुकसान पहुँचाए बिना या बीम में महत्वपूर्ण विक्षेपण (deflection) पैदा किए बिना उनसे गुजरने की अनुमति देती हैं। इनका मुख्य उद्देश्य बीम को नियंत्रित करना है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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रसायन विज्ञान में, ‘डायमंड’ लैडर (diamond ladder) के रूप में जानी जाने वाली एक संरचना का उपयोग किसमें किया जाता है?
- (a) प्लास्टिक को मजबूत करने में
- (b) कार्बन नैनोट्यूब के संश्लेषण में
- (c) पॉलिमर श्रृंखलाओं में क्रॉस-लिंकिंग (cross-linking) को बढ़ाना
- (d) आणविक निर्माण (molecular construction) और नैनो-इंजीनियरिंग में
उत्तर: (d)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): रासायनिक संरचनाएँ (Chemical Structures) और नैनो-टेक्नोलॉजी (Nanotechnology)
व्याख्या (Explanation): ‘डायमंड लैडर’ (Diamond Ladder) एक रासायनिक संरचना है जहाँ कार्बन परमाणुओं को हीरे जैसी टेट्राहेड्रल (tetrahedral) व्यवस्था में एक सीढ़ी की तरह व्यवस्थित किया जाता है। इसका उपयोग आणविक निर्माण (molecular construction) और नैनो-इंजीनियरिंग में विशिष्ट गुणों वाले छोटे आणविक ढांचे बनाने के लिए किया जाता है। यह सीधे तौर पर प्लास्टिक को मजबूत करने, नैनोट्यूब संश्लेषण या क्रॉस-लिंकिंग को बढ़ाने के लिए उपयोग नहीं किया जाता है, हालाँकि इसके सिद्धांतों का अनुप्रयोग हो सकता है।
अतः, सही उत्तर (d) है।
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जीव विज्ञान में, ‘डायमंड’ को कोशिका झिल्ली (cell membrane) के एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत करने का क्या अर्थ हो सकता है?
- (a) कोशिका झिल्ली अत्यधिक कठोर होती है।
- (b) कोशिका झिल्ली अपनी द्वैत प्रकृति (dual nature) और तरलता (fluidity) के कारण विभिन्न संरचनात्मक गुणों का प्रदर्शन कर सकती है।
- (c) कोशिका झिल्ली ऊर्जा का भंडारण करती है।
- (d) कोशिका झिल्ली में प्रोटीन की परतें होती हैं।
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): कोशिका झिल्ली की संरचना और कार्य (Structure and Function of Cell Membrane)
व्याख्या (Explanation): यदि ‘डायमंड’ का उपयोग कोशिका झिल्ली के मॉडल के लिए किया जाता है, तो यह संभवतः उसकी जटिल, बहु-आयामी (multi-dimensional) और गतिशील (dynamic) प्रकृति को इंगित करता है। कोशिका झिल्ली एक तरल-मोज़ेक (fluid mosaic) मॉडल है, जिसमें लिपिड बाईलेयर (lipid bilayer) और प्रोटीन होते हैं। ‘डायमंड’ का संदर्भ इसकी तरलता (fluidity) और विभिन्न दिशाओं में परिवर्तन की क्षमता, या इसके विभिन्न घटकों की परतों को दर्शा सकता है, न कि इसकी कठोरता।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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कार्बन के यौगिकों में, ‘डायमंड’ जैसी संरचनाएं, जैसे कि हीरा, उनके उत्कृष्ट विद्युतरोधी (excellent insulators) होने के लिए जानी जाती हैं। इसका क्या कारण है?
- (a) कार्बन परमाणुओं में कोई मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं होते हैं।
- (b) सभी इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन से कसकर बंधे होते हैं।
- (c) कार्बन परमाणुओं के बीच ध्रुवीय सहसंयोजक बंध (polar covalent bonds) होते हैं।
- (d) इसमें केवल आयनिक बंध होते हैं।
उत्तर: (a)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): विद्युत चालकता (Electrical Conductivity) और रासायनिक बंधन (Chemical Bonding)
व्याख्या (Explanation): हीरे की संरचना में, प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य कार्बन परमाणुओं से sp3 संकरण द्वारा मजबूती से सहसंयोजक रूप से बंधा होता है। सभी संयोजी इलेक्ट्रॉन (valence electrons) इन सहसंयोजक बंधों में स्थानीयकृत (localized) होते हैं और स्वतंत्र रूप से गति (move) नहीं कर सकते। विद्युत चालकता के लिए मुक्त या डेलोकलाइज़्ड इलेक्ट्रॉनों का होना आवश्यक है। चूँकि हीरे में कोई मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं होते, इसलिए यह विद्युत का एक उत्कृष्ट कुचालक (insulator) होता है।
अतः, सही उत्तर (a) है।
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यदि हम हीरे को किसी औद्योगिक प्रक्रिया में एक उत्प्रेरक (catalyst) के रूप में उपयोग करने के बारे में सोचें, तो इसका क्या लाभ हो सकता है?
- (a) इसकी अत्यधिक अम्लीय प्रकृति
- (b) इसकी उच्च सतह क्षेत्र (high surface area)
- (c) इसकी रासायनिक निष्क्रियता (chemical inertness) और तापीय स्थिरता (thermal stability)
- (d) इसकी विलेयता (solubility)
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): उत्प्रेरक गुण (Catalytic Properties) और रासायनिक निष्क्रियता (Chemical Inertness)
व्याख्या (Explanation): हीरे की रासायनिक निष्क्रियता (chemical inertness) का अर्थ है कि यह अधिकांश रासायनिक अभिक्रियाओं में भाग नहीं लेता है। साथ ही, यह उच्च तापमान पर भी स्थिर रहता है। इन गुणों के कारण, हीरे का उपयोग उन अभिक्रियाओं में एक निष्क्रिय आधार (inert support) या सब्सट्रेट (substrate) के रूप में किया जा सकता है जहाँ उत्प्रेरक को अन्य अभिकारकों के साथ प्रतिक्रिया नहीं करनी चाहिए, या जहाँ अभिक्रिया उच्च तापमान पर होती है। यह उत्प्रेरक के रूप में सीधे कार्य करने के बजाय, उत्प्रेरक को सहारा देने के लिए अधिक उपयुक्त हो सकता है।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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जीव विज्ञान में, ‘डायमंड’ के आकार का एक जीवाश्म (fossil) या संरचना का उल्लेख निम्नलिखित में से किस जीव से संबंधित हो सकता है?
- (a) डायनासोर (Dinosaur)
- (b) जीवाणु (Bacteria)
- (c) ट्राइलोबाइट (Trilobite)
- (d) डायटम (Diatom)
उत्तर: (d)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): जीवाश्म विज्ञान (Paleontology) और सूक्ष्मजीव (Microorganisms)
व्याख्या (Explanation): डायटम (Diatoms) एक प्रकार के एकल-कोशिका वाले शैवाल (algae) हैं जिनके चारों ओर एक कठोर, सिलिका-आधारित कोशिका भित्ति (cell wall) होती है जिसे फ्रुस्ट्यूल (frustule) कहा जाता है। फ्रुस्ट्यूल विभिन्न प्रकार के जटिल आकार ले सकते हैं, जिनमें से कुछ को ‘डायमंड’ के आकार या पैटर्न जैसा वर्णित किया जा सकता है। ट्राइलोबाइट्स (Trilobites) प्राचीन समुद्री आर्थ्रोपोड थे, डायनासोर सरीसृप थे, और जीवाणु (Bacteria) बहुत छोटे एक-कोशिका वाले जीव हैं। डायटम के जीवाश्मों (fossilized diatoms) का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, और उनके आकार की विविधता उल्लेखनीय है।
अतः, सही उत्तर (d) है।
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हीरे के रासायनिक सूत्र (chemical formula) के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
- (a) C
- (b) CO2
- (c) H2O
- (d) C6H12O6
उत्तर: (a)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): रासायनिक सूत्र (Chemical Formulas)
व्याख्या (Explanation): हीरा कार्बन (Carbon) का एक अपररूप (allotrope) है। इसलिए, इसका रासायनिक सूत्र केवल ‘C’ है, जो दर्शाता है कि यह शुद्ध कार्बन से बना है। CO2 कार्बन डाइऑक्साइड है, H2O पानी है, और C6H12O6 ग्लूकोज है।
अतः, सही उत्तर (a) है।
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जब हीरे को हवा में जलाया जाता है, तो मुख्य उत्पाद क्या बनता है?
- (a) कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)
- (b) कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)
- (c) जल (H2O)
- (d) ओजोन (O3)
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): दहन अभिक्रियाएँ (Combustion Reactions)
व्याख्या (Explanation): जब कोई हाइड्रोकार्बन या कार्बन का अपररूप हवा (जिसमें ऑक्सीजन होती है) में जलता है, तो यह मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) और जल (H2O) का उत्पादन करता है। चूँकि हीरा शुद्ध कार्बन है, हवा में इसका दहन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्पादन करता है। अभिक्रिया इस प्रकार है: C (हीरा) + O2 (हवा) → CO2 (कार्बन डाइऑक्साइड)।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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भौतिकी में, हीरे के ‘पूर्ण आंतरिक परावर्तन’ (Total Internal Reflection) के गुण को किस व्यवहार (phenomenon) में देखा जा सकता है?
- (a) लेजर (Laser)
- (b) इंद्रधनुष (Rainbow)
- (c) ऑप्टिकल फाइबर (Optical Fiber)
- (d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): प्रकाशिकी (Optics) और पूर्ण आंतरिक परावर्तन (Total Internal Reflection)
व्याख्या (Explanation): पूर्ण आंतरिक परावर्तन (TIR) तब होता है जब प्रकाश एक सघन माध्यम से विरल माध्यम की ओर एक क्रांतिक कोण (critical angle) से अधिक कोण पर जाता है। हीरे की चमक इसी गुण के कारण होती है। ऑप्टिकल फाइबर में प्रकाश को लंबी दूरी तक ले जाने के लिए TIR का उपयोग किया जाता है। इंद्रधनुष में प्रकाश का फैलाव (dispersion) और जल की बूँदों के भीतर पूर्ण आंतरिक परावर्तन दोनों शामिल होते हैं। लेजर में TIR का सीधा उपयोग नहीं होता, लेकिन लेजर लाइट के निर्माण और अनुप्रयोगों में अन्य प्रकाशिकी सिद्धांतों का उपयोग होता है। हालाँकि, यदि प्रश्न का आशय “उन घटनाओं में जिनमें TIR एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है” से है, तो सभी में अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से इसका संबंध हो सकता है, लेकिन सीधे तौर पर हीरे के संदर्भ में, ऑप्टिकल फाइबर और इंद्रधनुष अधिक प्रासंगिक हैं। लेजर में TIR का उपयोग कैविटी (cavity) निर्माण में होता है। इसलिए, सभी विकल्प संभावित रूप से संबंधित हो सकते हैं।
अतः, सही उत्तर (d) है।
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कार्बन के यौगिकों में, ‘डायमंड’ जैसी कठोर संरचनाओं के निर्माण के लिए कौन से कारक जिम्मेदार होते हैं?
- (a) परमाणुओं के बीच कमजोर हाइड्रोजन बंध
- (b) परमाणुओं के बीच मजबूत सहसंयोजक बंध
- (c) परमाणुओं के बीच आयनिक बंध
- (d) धातुओं की उपस्थिति
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): रासायनिक बंधन (Chemical Bonding) और पदार्थ की कठोरता (Hardness of Materials)
व्याख्या (Explanation): हीरे की अत्यधिक कठोरता का मुख्य कारण इसके कार्बन परमाणुओं के बीच पाए जाने वाले मजबूत सहसंयोजक बंध (covalent bonds) हैं। ये बंधन एक त्रि-आयामी (3D) नेटवर्क बनाते हैं, जो पदार्थ को अत्यंत मजबूत और कठोर बनाता है। कमजोर हाइड्रोजन बंध, आयनिक बंध या धातुओं की उपस्थिति आमतौर पर हीरे जैसी कठोरता के लिए जिम्मेदार नहीं होते हैं।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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जीव विज्ञान में, कोशिका श्वसन (cellular respiration) के दौरान, ऊर्जा किस रूप में मुक्त होती है?
- (a) प्रकाश ऊर्जा
- (b) ध्वनि ऊर्जा
- (c) रासायनिक ऊर्जा (ATP)
- (d) यांत्रिक ऊर्जा
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): कोशिका श्वसन (Cellular Respiration)
व्याख्या (Explanation): कोशिका श्वसन एक चयापचय (metabolic) प्रक्रिया है जिसमें ग्लूकोज जैसे कार्बनिक यौगिकों को तोड़ा जाता है ताकि कोशिका के उपयोग के लिए ऊर्जा मुक्त हो सके। यह ऊर्जा मुख्य रूप से एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट (ATP) नामक अणु के रूप में संग्रहित होती है, जो कोशिका की ‘ऊर्जा मुद्रा’ (energy currency) है। यह ऊर्जा रासायनिक बंधों में संग्रहीत होती है।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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एक साधारण पेंडुलम (simple pendulum) की आवर्तकाल (time period) किस पर निर्भर करती है?
- (a) पेंडुलम के द्रव्यमान (mass) पर
- (b) पेंडुलम की लंबाई (length) पर
- (c) पेंडुलम के आयाम (amplitude) पर
- (d) पेंडुलम के कोण (angle) पर
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): सरल आवर्त गति (Simple Harmonic Motion) – पेंडुलम (Pendulum)
व्याख्या (Explanation): एक सरल पेंडुलम के लिए, आवर्तकाल (T) का सूत्र T = 2π√(L/g) होता है, जहाँ L पेंडुलम की लंबाई है और g गुरुत्वाकर्षण के कारण त्वरण (acceleration due to gravity) है। यह सूत्र दर्शाता है कि आवर्तकाल सीधे पेंडुलम की लंबाई के वर्गमूल के समानुपाती होता है। यह द्रव्यमान, आयाम (छोटे कोणीय विस्थापन के लिए) या पेंडुलम के कोण पर निर्भर नहीं करता है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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पौधों में प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) के लिए कौन सा वर्णक (pigment) मुख्य रूप से उत्तरदायी होता है?
- (a) कैरोटीनॉइड (Carotenoid)
- (b) एंथोसायनिन (Anthocyanin)
- (c) क्लोरोफिल (Chlorophyll)
- (d) ज़ैंथोफिल (Xanthophyll)
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) और पादप वर्णक (Plant Pigments)
व्याख्या (Explanation): क्लोरोफिल (Chlorophyll) वह मुख्य वर्णक है जो पौधों में प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक प्रकाश ऊर्जा को अवशोषित करता है। यह सूर्य के प्रकाश से लाल और नीली तरंग दैर्ध्य (wavelengths) को सबसे प्रभावी ढंग से अवशोषित करता है और हरे रंग को परावर्तित करता है, जिसके कारण पौधे हरे दिखाई देते हैं। कैरोटीनॉइड और ज़ैंथोफिल सहायक वर्णक (accessory pigments) हैं, और एंथोसायनिन अक्सर लाल या बैंगनी रंग के लिए जिम्मेदार होते हैं।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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ध्वनि तरंगें (sound waves) कैसी तरंगें होती हैं?
- (a) विद्युत चुम्बकीय तरंगें (Electromagnetic waves)
- (b) अनुप्रस्थ तरंगें (Transverse waves)
- (c) अनुदैर्ध्य तरंगें (Longitudinal waves)
- (d) केवल ठोस में गतिमान
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): तरंगों के प्रकार (Types of Waves)
व्याख्या (Explanation): ध्वनि तरंगें माध्यम के कणों के समानांतर दिशा में कंपन करती हैं, जिससे संपीड़न (compressions) और विरलन (rarefactions) की शृंखला बनती है। इसलिए, वे अनुदैर्ध्य तरंगें (longitudinal waves) कहलाती हैं। विद्युत चुम्बकीय तरंगें (जैसे प्रकाश) अनुप्रस्थ तरंगें होती हैं और उन्हें माध्यम की आवश्यकता नहीं होती, जबकि ध्वनि तरंगों को गतिमान होने के लिए एक माध्यम (ठोस, द्रव या गैस) की आवश्यकता होती है।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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मानव शरीर में, रक्त का कौन सा घटक ऑक्सीजन परिवहन के लिए मुख्य रूप से उत्तरदायी है?
- (a) श्वेत रक्त कोशिकाएँ (White blood cells)
- (b) लाल रक्त कोशिकाएँ (Red blood cells)
- (c) प्लेटलेट्स (Platelets)
- (d) प्लाज्मा (Plasma)
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): मानव रक्त (Human Blood) और उसका कार्य (Functions)
व्याख्या (Explanation): लाल रक्त कोशिकाओं (Red blood cells – RBCs) में हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) नामक एक प्रोटीन होता है, जो फेफड़ों से ऑक्सीजन को ग्रहण करता है और इसे शरीर के विभिन्न ऊतकों (tissues) तक पहुंचाता है। श्वेत रक्त कोशिकाएँ प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा हैं, प्लेटलेट्स रक्तस्राव को रोकने में मदद करते हैं, और प्लाज्मा रक्त का तरल भाग है जिसमें पोषक तत्व, अपशिष्ट और अन्य पदार्थ घुले होते हैं।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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एक लेंस (lens) का आवर्धन (magnification) 1 से अधिक होने का क्या अर्थ है?
- (a) छवि (image) वस्तु (object) से छोटी बनती है।
- (b) छवि वस्तु के आकार के बराबर बनती है।
- (c) छवि वस्तु से बड़ी बनती है।
- (d) छवि उल्टी बनती है।
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): प्रकाशिकी (Optics) – लेंस (Lenses)
व्याख्या (Explanation): आवर्धन (Magnification, M) को छवि की ऊँचाई (hi) और वस्तु की ऊँचाई (ho) के अनुपात (M = hi/ho) के रूप में परिभाषित किया जाता है। यदि M > 1 है, तो इसका मतलब है कि |hi| > |ho|, अर्थात छवि वस्तु से बड़ी है। यदि M = 1, तो छवि वस्तु के बराबर होती है। यदि M < 1, तो छवि वस्तु से छोटी होती है। आवर्धन का चिह्न छवि की प्रकृति (सीधी या उल्टी) को दर्शाता है, लेकिन केवल परिमाण (magnitude) आकार को बताता है।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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मानव पाचन तंत्र में, भोजन का अधिकांश अवशोषण (absorption) किस अंग में होता है?
- (a) पेट (Stomach)
- (b) छोटी आँत (Small intestine)
- (c) बड़ी आँत (Large intestine)
- (d) ग्रासनली (Esophagus)
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): मानव पाचन तंत्र (Human Digestive System)
व्याख्या (Explanation): छोटी आँत (Small intestine) पाचन और अवशोषण का मुख्य स्थल है। यहाँ, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज और पानी जैसे अधिकांश पोषक तत्वों का अवशोषण रक्तप्रवाह (bloodstream) या लसीका तंत्र (lymphatic system) में होता है। पेट भोजन को पचाना शुरू करता है, लेकिन अवशोषण सीमित होता है। बड़ी आँत मुख्य रूप से पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स (electrolytes) को अवशोषित करती है। ग्रासनली (Esophagus) भोजन को पेट तक पहुँचाती है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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एक ट्रांसफार्मर (transformer) किस सिद्धांत पर कार्य करता है?
- (a) विद्युत धारा का ऊष्मीय प्रभाव (Heating effect of electric current)
- (b) विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (Electromagnetic induction)
- (c) जूल का नियम (Joule’s Law)
- (d) ओम का नियम (Ohm’s Law)
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): विद्युत चुम्बकत्व (Electromagnetism)
व्याख्या (Explanation): ट्रांसफार्मर विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction) के सिद्धांत पर कार्य करता है, जिसे फैराडे के प्रेरण के नियम (Faraday’s Law of Induction) द्वारा समझाया गया है। जब एक प्रत्यावर्ती धारा (alternating current) प्राथमिक कुंडली (primary coil) से गुजरती है, तो यह एक बदलता हुआ चुंबकीय क्षेत्र (changing magnetic field) उत्पन्न करती है। यह बदलता हुआ चुंबकीय क्षेत्र द्वितीयक कुंडली (secondary coil) में एक विद्युत वाहक बल (electromotive force – EMF) या वोल्टेज को प्रेरित करता है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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जीव विज्ञान में, ‘डीएनए’ (DNA) का पूर्ण रूप क्या है?
- (a) डाइऑक्सीन्यूक्लिक एसिड (Dioxyribonucleic Acid)
- (b) डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (Deoxyribonucleic Acid)
- (c) डाइऑक्सीन्यूक्लिक अल्काइड (Dioxyribonucleic Alkyd)
- (d) डाइऑक्सीन्यूरोनल एसिड (Dioxyneuronal Acid)
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): आणविक जीव विज्ञान (Molecular Biology)
व्याख्या (Explanation): डीएनए (DNA) का पूर्ण रूप डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (Deoxyribonucleic Acid) है। यह एक अणु है जिसमें किसी जीव के आनुवंशिक निर्देशों का एन्कोडिंग (encoding) होता है।
अतः, सही उत्तर (b) है।