सामान्य विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न: मंगल ग्रह के रहस्यों से प्रेरित
परिचय: प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता के लिए सामान्य विज्ञान (भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान) की मजबूत समझ आवश्यक है। यह खंड आपको नवीनतम वैज्ञानिक खोजों से प्रेरित, विभिन्न विषयों के महत्वपूर्ण बहुविकल्पीय प्रश्नों का अभ्यास करने का अवसर प्रदान करता है। अपनी तैयारी को परखें और महत्वपूर्ण अवधारणाओं को गहराई से समझें!
सामान्य विज्ञान अभ्यास प्रश्न (General Science Practice MCQs)
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प्रश्न 1: मंगल ग्रह पर “तेंदुए के धब्बे” की खोज जीवन के संकेत के रूप में क्यों महत्वपूर्ण मानी जा रही है?
- (a) क्योंकि यह मंगल पर एक अनोखे प्रकार के खनिजों की उपस्थिति का संकेत देता है।
- (b) क्योंकि यह किसी ज्ञात कार्बनिक अणु की उपस्थिति का सुझाव दे सकता है जो जीवन से जुड़ा हो।
- (c) क्योंकि यह मंगल के वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा में वृद्धि का संकेत है।
- (d) क्योंकि यह भूगर्भीय गतिविधि का संकेत है जो जीवन के पनपने के लिए अनुकूल हो।
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): कार्बनिक अणु (Organic molecules) वे अणु होते हैं जिनमें कार्बन-हाइड्रोजन बंधन होते हैं और ये जीवन के निर्माण खंड माने जाते हैं। पृथ्वी पर, जीवन के अधिकांश रूप कार्बन-आधारित होते हैं।
व्याख्या (Explanation): मंगल ग्रह पर पाए जाने वाले “तेंदुए के धब्बे” जैसे संरचनाएं, यदि वे विशिष्ट कार्बनिक अणुओं (जैसे कि जीवन द्वारा उत्पादित या संबंधित) से बनी हैं, तो वे इस संभावना को बढ़ाते हैं कि अतीत में या वर्तमान में भी मंगल पर जीवन मौजूद रहा हो। जबकि खनिज या वायुमंडलीय परिवर्तन भी महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कार्बनिक अणुओं का संकेत जीवन के लिए सबसे प्रत्यक्ष प्रमाण हो सकता है। भूगर्भीय गतिविधि जीवन के लिए अनुकूल हो सकती है, लेकिन धब्बे स्वयं जीवन का प्रत्यक्ष संकेत नहीं हैं।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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प्रश्न 2: यदि मंगल ग्रह पर पाए गए “तेंदुए के धब्बे” में संभावित रूप से जीवन से जुड़े कार्बनिक अणु पाए जाते हैं, तो ये अणु किस प्रकार के हो सकते हैं?
- (a) केवल सरल अकार्बनिक यौगिक जैसे जल और कार्बन डाइऑक्साइड।
- (b) जटिल प्रोटीन, न्यूक्लिक एसिड (जैसे डीएनए), या अमीनो एसिड।
- (c) मुख्य रूप से धातु ऑक्साइड और सिलिकेट।
- (d) केवल ज्वलनशील गैसें जैसे मीथेन।
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): जीवन पृथ्वी पर मुख्य रूप से कार्बन-आधारित अणुओं जैसे प्रोटीन, न्यूक्लिक एसिड (डीएनए, आरएनए), कार्बोहाइड्रेट और लिपिड पर आधारित है। अमीनो एसिड प्रोटीन के निर्माण खंड हैं।
व्याख्या (Explanation): जीवन की उपस्थिति का सबसे मजबूत संकेत जटिल कार्बनिक अणुओं की उपस्थिति से मिलेगा जो जीवन प्रक्रियाओं से जुड़े होते हैं। सरल अकार्बनिक यौगिक, धातु ऑक्साइड, सिलिकेट या मीथेन (जो गैर-जैविक स्रोतों से भी उत्पन्न हो सकता है) जीवन का प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं देते। प्रोटीन, न्यूक्लिक एसिड, और अमीनो एसिड जीवन के निर्माण खंड हैं और उनकी खोज मंगल पर जीवन की संभावना को दृढ़ता से इंगित करेगी।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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प्रश्न 3: मंगल के चट्टानों के विश्लेषण के लिए रोवर (Rover) द्वारा उपयोग की जाने वाली एक सामान्य स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीक क्या है जो रासायनिक संरचना को समझने में मदद करती है?
- (a) रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी (Raman Spectroscopy)
- (b) अल्ट्रासाउंड स्पेक्ट्रोस्कोपी (Ultrasound Spectroscopy)
- (c) इंफ्रारेड थर्मामेट्री (Infrared Thermometry)
- (d) विवर्तनिक माइक्रोस्कोपी (Tectonic Microscopy)
उत्तर: (a)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): स्पेक्ट्रोस्कोपी एक वैज्ञानिक विधि है जो पदार्थ के साथ विद्युत चुम्बकीय विकिरण की अंतःक्रिया का अध्ययन करती है। विभिन्न प्रकार की स्पेक्ट्रोस्कोपी विभिन्न रासायनिक बंधों और अणुओं की पहचान कर सकती है। रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी विशेष रूप से अणुओं के कंपन की पहचान करके उनके रासायनिक गुणों को निर्धारित करने में प्रभावी है।
व्याख्या (Explanation): मंगल मिशनों में उपयोग किए जाने वाले रोवर अक्सर रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी का उपयोग करते हैं। यह तकनीक चट्टानों और खनिजों में मौजूद रासायनिक बंधों की पहचान करने के लिए लेजर प्रकाश का उपयोग करती है, जिससे वैज्ञानिकों को कार्बनिक अणुओं सहित यौगिकों की पहचान करने में मदद मिलती है। अल्ट्रासाउंड का उपयोग आमतौर पर आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए किया जाता है, इंफ्रारेड थर्मामेट्री तापमान मापती है, और विवर्तनिक माइक्रोस्कोपी भूवैज्ञानिक संरचनाओं का अध्ययन करती है, न कि सीधे रासायनिक संरचना का।
अतः, सही उत्तर (a) है।
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प्रश्न 4: यदि मंगल पर जीवन के संकेत मिलते हैं, तो यह पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति (Abiogenesis) के अध्ययन को कैसे प्रभावित कर सकता है?
- (a) यह साबित करेगा कि पृथ्वी पर जीवन संयोगवश उत्पन्न हुआ।
- (b) यह सुझाव देगा कि जीवन ब्रह्मांड में एक सामान्य घटना हो सकती है, जो विभिन्न परिस्थितियों में उत्पन्न हो सकता है।
- (c) यह पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिए केवल पानी की उपलब्धता ही पर्याप्त है, यह सिद्ध करेगा।
- (d) यह मंगल ग्रह पर जीवन के लिए एक विशिष्ट प्रकार के तारे की आवश्यकता को इंगित करेगा।
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): एक्सोबायोलॉजी (Exobiology) और खगोल जीव विज्ञान (Astrobiology) का क्षेत्र यह पता लगाता है कि क्या ब्रह्मांड में कहीं और जीवन मौजूद है। यह मानता है कि यदि जीवन एक से अधिक बार उत्पन्न हो सकता है, तो यह एक सामान्य प्रक्रिया हो सकती है।
व्याख्या (Explanation): मंगल ग्रह पर जीवन की स्वतंत्र उत्पत्ति का प्रमाण (यानी, पृथ्वी से स्वतंत्र रूप से उत्पन्न जीवन) इस विचार का समर्थन करेगा कि जीवन का उत्पन्न होना एक जटिल लेकिन संभव प्रक्रिया है जो विभिन्न खगोलीय पिंडों पर हो सकती है, बशर्ते कि कुछ मूलभूत स्थितियाँ (जैसे तरल पानी, कार्बनिक स्रोत, ऊर्जा) मौजूद हों। यह जीवन को ब्रह्मांड में अधिक सामान्य घटना के रूप में देखेगा। यह पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति को संयोग (contingency) के बजाय एक संभावित “नियम” के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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प्रश्न 5: मंगल ग्रह पर जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय कारक जिसे वैज्ञानिक खोज रहे हैं, वह है:
- (a) एक घने वायुमंडल का होना जिसमें ऑक्सीजन की मात्रा 20% हो।
- (b) तरल पानी की निरंतर उपस्थिति या अतीत में उपस्थिति।
- (c) एक मजबूत वैश्विक चुंबकीय क्षेत्र का होना।
- (d) अत्यधिक ज्वालामुखी गतिविधि।
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): पृथ्वी पर सभी ज्ञात जीवन को जीवित रहने के लिए तरल पानी की आवश्यकता होती है। पानी एक सार्वभौमिक विलायक (universal solvent) है और कई जैव रासायनिक प्रतिक्रियाओं के लिए आवश्यक है।
व्याख्या (Explanation): जबकि एक घने वायुमंडल, चुंबकीय क्षेत्र और भूगर्भीय गतिविधि जीवन के लिए सहायक हो सकते हैं, तरल पानी को जीवन के लिए सबसे आवश्यक माना जाता है। वर्तमान में मंगल का वायुमंडल बहुत पतला है और सतह पर तरल पानी स्थिर नहीं रह सकता। हालांकि, यह व्यापक रूप से माना जाता है कि मंगल पर अतीत में तरल पानी मौजूद था, और सतह के नीचे अभी भी बर्फ या संभवतः तरल पानी हो सकता है। इसलिए, पानी की उपस्थिति या अतीत में इसकी उपस्थिति जीवन की खोज में एक प्रमुख कारक है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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प्रश्न 6: “तेंदुए के धब्बे” किस रासायनिक यौगिक का संकेत दे सकते हैं जो मंगल पर जीवन के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है?
- (a) सिलिकॉन डाइऑक्साइड (SiO2)
- (b) आयरन ऑक्साइड (Fe2O3)
- (c) कार्बोनेट (Carbonates)
- (d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): मंगल की सतह पर आयरन ऑक्साइड (जैसे जंग) की प्रचुरता है, जो इसे लाल रंग देती है। कार्बोनेट चट्टानें आमतौर पर तरल पानी की उपस्थिति का संकेत देती हैं। सिलिकॉन डाइऑक्साइड (सिलिका) चट्टानों का एक सामान्य घटक है। ये सभी यौगिक मंगल पर पाए जा सकते हैं और भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं से जुड़े हैं जो जीवन के लिए प्रासंगिक हो सकते हैं।
व्याख्या (Explanation): “तेंदुए के धब्बे” की विशिष्ट उपस्थिति की व्याख्या विभिन्न खनिजों से की जा सकती है। आयरन ऑक्साइड मंगल को उसका विशिष्ट रंग देते हैं। कार्बोनेट खनिजों का निर्माण तब होता है जब पानी कार्बन डाइऑक्साइड के साथ प्रतिक्रिया करता है, जो अतीत में तरल पानी और जीवन की संभावना का संकेत दे सकता है। सिलिकॉन डाइऑक्साइड (सिलिका) विभिन्न प्रकार की चट्टानों का एक आम घटक है। इन सभी यौगिकों की उपस्थिति या पैटर्न महत्वपूर्ण हो सकता है, और “तेंदुए के धब्बे” इन या अन्य खनिजों के एक विशेष संयोजन का परिणाम हो सकते हैं जो जीवन की खोज के लिए रुचिकर हो।
अतः, सही उत्तर (d) है।
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प्रश्न 7: यदि मंगल ग्रह पर मीथेन (CH4) गैस की खोज की जाती है, तो इसका क्या अर्थ हो सकता है?
- (a) यह निश्चित रूप से भूवैज्ञानिक गतिविधि का संकेत है।
- (b) यह या तो भूवैज्ञानिक गतिविधि या जैविक (जैविक) गतिविधि का संकेत हो सकता है।
- (c) यह केवल वायुमंडलीय ऑक्सीजन के कारण हो सकता है।
- (d) यह केवल जलवाष्प की उच्च सांद्रता के कारण हो सकता है।
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): मीथेन एक गैस है जो कई प्रक्रियाओं से उत्पन्न हो सकती है, जिसमें औद्योगिक प्रक्रियाएं, भूगर्भीय प्रक्रियाएं (जैसे जल-चट्टान प्रतिक्रियाएं) और जैविक प्रक्रियाएं (जैसे कुछ सूक्ष्मजीवों का चयापचय) शामिल हैं।
व्याख्या (Explanation): मंगल ग्रह पर मीथेन की खोज विवादास्पद रही है। जबकि मीथेन का उत्पादन भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं से हो सकता है (जैसे सर्पेन्टिनाइजेशन), यह मीथेनोजेनिक सूक्ष्मजीवों द्वारा भी उत्पन्न किया जा सकता है। इसलिए, मंगल पर मीथेन की उपस्थिति जीवन की संभावना को बढ़ाती है, लेकिन यह अन्य गैर-जैविक स्रोतों को भी पूरी तरह से बाहर नहीं करती है। अधिक शोध की आवश्यकता है ताकि स्रोत की पहचान की जा सके।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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प्रश्न 8: “बायोसिग्नेचर” (Biosignature) शब्द का क्या अर्थ है, जो मंगल पर जीवन की खोज में प्रासंगिक है?
- (a) मंगल ग्रह पर पाए जाने वाले किसी भी प्रकार के खनिज का नाम।
- (b) एक पदार्थ, घटना या पैटर्न जो जीवन की उपस्थिति का प्रमाण प्रदान करता है।
- (c) मंगल ग्रह के वायुमंडल से उत्सर्जित होने वाली रेडियो तरंगें।
- (d) किसी भी अज्ञात खगोलीय पिंड का नाम।
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): बायोसिग्नेचर (Biosignature) वह कुछ भी है जो हमें यह विश्वास दिलाता है कि जीवन मौजूद था या मौजूद है। यह एक प्रत्यक्ष प्रमाण (जैसे जीवाश्म) या अप्रत्यक्ष प्रमाण (जैसे एक विशिष्ट गैस) हो सकता है।
व्याख्या (Explanation): मंगल पर जीवन की खोज में, वैज्ञानिक बायोसिग्नेचर की तलाश करते हैं। इसमें कार्बनिक अणु, कुछ गैसों की उपस्थिति (जैसे ऑक्सीजन और मीथेन का सह-अस्तित्व), या कुछ खनिजों का विशेष पैटर्न शामिल हो सकते हैं जो केवल जैविक प्रक्रियाओं द्वारा बनाए जा सकते हैं। “तेंदुए के धब्बे” संभावित रूप से एक बायोसिग्नेचर का हिस्सा हो सकते हैं यदि उनकी संरचना जीवन से जुड़ी हो।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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प्रश्न 9: मंगल ग्रह के संदर्भ में, “टैक्सोनॉमिक डिसीज” (Taxonomic bias) का क्या तात्पर्य है?
- (a) पृथ्वी पर जीवन के वर्गीकरण के तरीकों में पूर्वाग्रह।
- (b) जीवन की खोज में केवल ज्ञात पृथ्वी-आधारित जीवन रूपों पर ध्यान केंद्रित करना।
- (c) मंगल ग्रह पर जीवाश्मों की खोज में विफलता।
- (d) मंगल ग्रह की चट्टानों में खनिजों की सूची।
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): टैक्सोनॉमिक पूर्वाग्रह (Taxonomic bias) तब होता है जब हम अपनी खोजों या व्याख्याओं को अपने पूर्व-मौजूदा ज्ञान या अनुभव तक सीमित कर देते हैं। एक्सोबायोलॉजी में, इसका मतलब है कि हम केवल उन्हीं जीवन रूपों या संकेतों की तलाश करते हैं जिन्हें हम पृथ्वी पर जानते हैं।
व्याख्या (Explanation): मंगल ग्रह पर जीवन की खोज करते समय, एक संभावित टैक्सोनॉमिक पूर्वाग्रह यह हो सकता है कि हम केवल उन जीवन रूपों की तलाश करें जो पृथ्वी पर मौजूद जीवन के समान हों (जैसे सूक्ष्मजीव)। मंगल पर जीवन के अलग तरीके या रसायन शास्त्र हो सकते हैं जिन्हें हम अभी तक समझ नहीं पाए हैं। “तेंदुए के धब्बे” जैसी खोजों को ध्यान से अध्ययन करने की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हम उन्हें केवल पृथ्वी-आधारित जीवन के ज्ञात उदाहरणों से तुलना करके व्याख्या न करें।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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प्रश्न 10: यदि “तेंदुए के धब्बे” में पाए जाने वाले कार्बनिक अणु प्राचीन माइक्रोबियल बायोफिल्म (microbial biofilm) के अवशेष हैं, तो यह मंगल के अतीत के बारे में क्या बताता है?
- (a) कि मंगल पर कभी भी तरल पानी मौजूद नहीं था।
- (b) कि मंगल ग्रह पर अतीत में सूक्ष्मजीवों के पनपने के लिए एक जल-समृद्ध वातावरण था।
- (c) कि मंगल ग्रह का वातावरण हमेशा पृथ्वी के समान रहा है।
- (d) कि मंगल ग्रह पर केवल अकार्बनिक जीवन ही संभव था।
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): बायोफिल्म (Biofilms) एकत्रीकरण होते हैं जिनमें सूक्ष्मजीव एक मैट्रिक्स में रहते हैं। वे अक्सर आर्द्र वातावरण में पाए जाते हैं और पानी की उपस्थिति जीवन के लिए महत्वपूर्ण है।
व्याख्या (Explanation): बायोफिल्म के अवशेषों का पता चलने का मतलब है कि ऐसे सूक्ष्मजीव थे जिन्होंने उन्हें बनाया था। इन सूक्ष्मजीवों को जीवित रहने और विकसित होने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। इसलिए, यदि “तेंदुए के धब्बे” में बायोफिल्म के अवशेष पाए जाते हैं, तो यह दृढ़ता से इंगित करता है कि मंगल ग्रह पर अतीत में एक ऐसा वातावरण था जहाँ तरल पानी मौजूद था और जीवन (कम से कम सूक्ष्मजीवों के रूप में) पनप सकता था।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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प्रश्न 11: मंगल ग्रह के “तेंदुए के धब्बे” जैसी संरचनाओं की खोज में, भूवैज्ञानिक परतें (Geological stratigraphy) क्यों महत्वपूर्ण हैं?
- (a) वे केवल मंगल ग्रह के रंग का वर्णन करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
- (b) वे चट्टानों के इतिहास और विभिन्न परतों में पाए जाने वाले पदार्थों की आयु को समझने में मदद करते हैं।
- (c) वे केवल धूमकेतुओं की गति को मापने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
- (d) वे मंगल ग्रह की सतह से ऊर्जा उत्पादन के तरीके को समझने में मदद करते हैं।
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): भूवैज्ञानिक परतें (Geological stratigraphy) चट्टानों की परतों का अध्ययन है। सबसे निचली परतें सबसे पुरानी होती हैं, और सबसे ऊपरी परतें सबसे नई होती हैं। यह सिद्धांत हमें किसी क्षेत्र के भूवैज्ञानिक इतिहास को समझने में मदद करता है।
व्याख्या (Explanation): “तेंदुए के धब्बे” जैसी संरचनाएं विभिन्न भूवैज्ञानिक परतों में पाई जा सकती हैं। इन परतों का अध्ययन करके, वैज्ञानिक यह निर्धारित कर सकते हैं कि ये संरचनाएं कब बनीं और वे किस पर्यावरणीय परिस्थितियों में बनीं। यदि ये संरचनाएं किसी विशेष परत में पाई जाती हैं जो अतीत में पानी की उपस्थिति का संकेत देती है, तो यह जीवन की संभावना को और मजबूत करेगा। यह हमें घटनाओं के क्रम को समझने में मदद करता है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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प्रश्न 12: मंगल ग्रह पर संभावित जीवन के लिए एक प्रमुख रासायनिक बाधा क्या हो सकती है, जो इसे पृथ्वी से अलग बनाती है?
- (a) ऑक्सीजन की अत्यधिक मात्रा।
- (b) पानी का अभाव और अत्यधिक ठंडा तापमान।
- (c) भारी मात्रा में नाइट्रोजन गैस।
- (d) पृथ्वी के समान गुरुत्वाकर्षण।
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): जीवन के लिए रासायनिक स्थितियाँ महत्वपूर्ण हैं। तरल पानी और एक मध्यम तापमान सीमा अधिकांश ज्ञात जीवन के लिए आवश्यक है।
व्याख्या (Explanation): मंगल ग्रह पर सबसे बड़ी रासायनिक और भौतिक बाधाओं में से एक तरल पानी की कमी और अत्यंत ठंडा तापमान है। जबकि पानी बर्फ के रूप में मौजूद है, तरल रूप में इसकी स्थिरता सीमित है। इसके अलावा, मंगल का वायुमंडल बहुत पतला है, जो सतह पर तापमान को बहुत नीचे ले जाता है और विकिरण से बहुत कम सुरक्षा प्रदान करता है। ये स्थितियाँ पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक रासायनिक प्रतिक्रियाओं को धीमा या असंभव बना सकती हैं।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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प्रश्न 13: यदि मंगल ग्रह पर जीवन के संकेत पाए जाते हैं, तो यह पृथ्वी पर जीवन के विकासवादी इतिहास को कैसे प्रभावित कर सकता है?
- (a) यह साबित करेगा कि पृथ्वी पर जीवन एक अद्वितीय घटना थी।
- (b) यह सुझाव देगा कि पृथ्वी पर जीवन के विकास के लिए एक अलग प्रकार का उत्प्रेरक (catalyst) आवश्यक था।
- (c) यह ब्रह्मांड में जीवन के विकास की बहुलता (multiplicity) के विचार का समर्थन करेगा।
- (d) यह मंगल ग्रह पर जीवन को पृथ्वी पर जीवन का पूर्वज मानेगा।
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): विज्ञान में, एक ही घटना का स्वतंत्र रूप से कई बार घटित होना उस घटना के एक सामान्य नियम या प्रवृत्ति होने की संभावना को बढ़ाता है।
व्याख्या (Explanation): यदि मंगल ग्रह पर स्वतंत्र रूप से जीवन उत्पन्न हुआ है, तो यह इस विचार को पुष्ट करेगा कि जीवन का उत्पन्न होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जो उपयुक्त परिस्थितियों में हो सकती है। इसका मतलब है कि ब्रह्मांड में जीवन अन्य ग्रहों पर भी उत्पन्न हो सकता है। यह पृथ्वी पर जीवन के विकासवादी इतिहास को अलग नहीं करता है, बल्कि ब्रह्मांड में जीवन के विस्तार और विकास की संभावना को बढ़ाता है। यह नहीं माना जा सकता कि मंगल का जीवन पृथ्वी का पूर्वज है, यह एक स्वतंत्र उत्पत्ति का संकेत देगा।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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प्रश्न 14: “तेंदुए के धब्बे” में पाए जाने वाले कुछ खनिजों के प्रकाश-अवशोषित गुण (light-absorbing properties) जीवन के लिए कैसे प्रासंगिक हो सकते हैं?
- (a) वे जीवन के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान कर सकते हैं।
- (b) वे जीवन को अत्यधिक गर्मी से बचा सकते हैं।
- (c) वे जीवन को यूवी विकिरण से बचा सकते हैं।
- (d) वे जीवन के लिए आवश्यक खनिज प्रदान कर सकते हैं।
उत्तर: (a)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें जीव प्रकाश ऊर्जा का उपयोग करके भोजन बनाते हैं। कुछ रसायन प्रकाश को अवशोषित कर सकते हैं और ऊर्जा जारी कर सकते हैं।
व्याख्या (Explanation): यदि “तेंदुए के धब्बे” में पाए जाने वाले खनिज प्रकाश को अवशोषित करने वाले गुण रखते हैं, तो यह संभव है कि वे अतीत में या वर्तमान में जीवन के लिए ऊर्जा का स्रोत रहे हों। कुछ पृथ्वी-आधारित सूक्ष्मजीव ऐसे खनिजों का उपयोग करके ऊर्जा प्राप्त करते हैं, भले ही सूर्य की रोशनी सीधे उन तक न पहुंचे। ये खनिज ऊर्जा के अप्रत्यक्ष स्रोत के रूप में कार्य कर सकते हैं, जिससे प्रकाश संश्लेषण जैसे कार्बनिक ऊर्जा उत्पादन की प्रक्रिया संभव हो सकती है।
अतः, सही उत्तर (a) है।
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प्रश्न 15: मंगल ग्रह के रोवर (Rover) द्वारा ली गई छवियों में “तेंदुए के धब्बे” की समान उपस्थिति (uniformity) के पीछे क्या कारण हो सकता है?
- (a) केवल यादृच्छिक भूवैज्ञानिक प्रक्रियाएं।
- (b) एक दोहराई जाने वाली जैविक प्रक्रिया या एक सुसंगत भूवैज्ञानिक तंत्र।
- (c) मंगल ग्रह की सतह पर कृत्रिम निर्माण।
- (d) हवा द्वारा लगातार स्थानांतरित होने वाले रेत के दाने।
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): प्रकृति में, दोहराई जाने वाली या सुसंगत पैटर्न अक्सर या तो एक सामान्य जैविक प्रक्रिया के कारण होते हैं या एक स्थिर भूवैज्ञानिक तंत्र के कारण होते हैं।
व्याख्या (Explanation): यदि “तेंदुए के धब्बे” एक समान या दोहराए जाने वाले पैटर्न में दिखाई देते हैं, तो यह एक यादृच्छिक घटना से अधिक का संकेत दे सकता है। यह या तो एक जैविक प्रक्रिया का परिणाम हो सकता है जहाँ सूक्ष्मजीव एक विशेष तरीके से बढ़ते हैं या खनिजों का जमाव करते हैं, या यह एक सुसंगत भूवैज्ञानिक प्रक्रिया (जैसे जल प्रवाह के पैटर्न या खनिज क्रिस्टलीकरण) का परिणाम हो सकता है। कृत्रिम निर्माण या रेत के दाने आमतौर पर इतनी समान और व्यवस्थित संरचना नहीं बनाते हैं।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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प्रश्न 16: मंगल ग्रह के भूगर्भिक तापमान (subsurface temperature) का अध्ययन “तेंदुए के धब्बे” के जीवन की संभावना से कैसे जुड़ा है?
- (a) यह बताएगा कि मंगल पर जीवन के लिए कितने समय तक ऊर्जा का स्रोत उपलब्ध रहेगा।
- (b) यह निर्धारित करने में मदद कर सकता है कि क्या भूगर्भिक परतें तरल पानी का समर्थन कर सकती हैं।
- (c) यह सीधे तौर पर वायुमंडलीय दबाव को प्रभावित करेगा।
- (d) यह मंगल के चंद्रमाओं की कक्षा को प्रभावित करेगा।
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): तापमान भूगर्भिक परतों में पानी की अवस्था (बर्फ, तरल, या वाष्प) को प्रभावित करता है। तरल पानी जीवन के लिए आवश्यक है।
व्याख्या (Explanation): मंगल ग्रह की सतह बहुत ठंडी है, लेकिन भूगर्भ में तापमान थोड़ा अधिक हो सकता है। यदि भूगर्भिक तापमान उस बिंदु तक पहुँचता है जहाँ पानी जमने के बजाय तरल रूप में रह सकता है, तो वह क्षेत्र संभावित रूप से जीवन के लिए एक आश्रय (habitable niche) बन सकता है, जो सतह के कठोर वातावरण से बचाता है। “तेंदुए के धब्बे” के पास भूगर्भिक तापमान का ज्ञान यह निर्धारित करने में मदद कर सकता है कि क्या तरल पानी की संभावना है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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प्रश्न 17: यदि “तेंदुए के धब्बे” किसी प्रकार के खनिजों के जमाव का परिणाम हैं, तो ये खनिज किस प्रक्रिया से बन सकते हैं?
- (a) केवल ज्वालामुखी विस्फोट से।
- (b) जल-चट्टान प्रतिक्रियाएं (water-rock reactions) या वाष्पीकरण।
- (c) वायुमंडलीय गैसों का सीधा संघनन (direct condensation)।
- (d) केवल प्रभाव उल्काओं (impact meteorites) के प्रभाव से।
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): पृथ्वी पर, कई खनिज जल-चट्टान प्रतिक्रियाओं (जैसे पानी का चट्टानों के साथ रासायनिक प्रतिक्रिया करना) या तरल पानी के वाष्पीकरण के कारण बनते हैं, जिससे घुले हुए खनिज पीछे छूट जाते हैं।
व्याख्या (Explanation): मंगल ग्रह पर, विशेष रूप से यदि अतीत में तरल पानी मौजूद था, तो जल-चट्टान प्रतिक्रियाएं महत्वपूर्ण भूवैज्ञानिक प्रक्रियाएं हो सकती हैं जो खनिजों के निर्माण की ओर ले जाती हैं। इसी तरह, यदि कभी तरल पानी की झीलें या महासागर थे, तो उनके वाष्पीकरण से विभिन्न प्रकार के खनिजों का जमाव हो सकता था, जैसे कि नमक या अन्य वाष्पीकृत खनिज (evaporites)। ये प्रक्रियाएं “तेंदुए के धब्बे” जैसी संरचनाएं बना सकती हैं।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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प्रश्न 18: “समानता का सिद्धांत” (Principle of Uniformitarianism) मंगल ग्रह पर जीवन की खोज में कैसे लागू होता है?
- (a) यह मानता है कि मंगल ग्रह पर जीवन के लिए केवल वही स्थितियाँ उपयुक्त हैं जो पृथ्वी पर हैं।
- (b) यह मानता है कि पृथ्वी पर आज देखी जाने वाली भूवैज्ञानिक और रासायनिक प्रक्रियाएं अतीत में भी उसी तरह से काम करती थीं, और संभवतः अन्य ग्रहों पर भी।
- (c) यह मानता है कि जीवन केवल एक बार ब्रह्मांड में उत्पन्न हो सकता है।
- (d) यह मंगल ग्रह पर भूवैज्ञानिक परिवर्तनों की गति को मापता है।
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): समानता का सिद्धांत (Uniformitarianism), जिसे “अभी भी वही है” (the present is the key to the past) भी कहा जाता है, भूविज्ञान का एक मौलिक सिद्धांत है। यह कहता है कि जो भूवैज्ञानिक प्रक्रियाएं आज काम कर रही हैं, वे अतीत में भी उसी तरह से काम कर रही थीं।
व्याख्या (Explanation): मंगल ग्रह पर जीवन की खोज में, वैज्ञानिक इस सिद्धांत का उपयोग यह अनुमान लगाने के लिए करते हैं कि अतीत में मंगल पर कौन सी प्रक्रियाएं मौजूद रही होंगी। यदि हम पृथ्वी पर देखते हैं कि पानी और कार्बनिक अणु जीवन को कैसे जन्म देते हैं, तो हम यह मान सकते हैं कि मंगल पर भी समान प्रक्रियाएं हुई होंगी यदि वे स्थितियाँ (जैसे तरल पानी) मौजूद थीं। यह सिद्धांत हमें अतीत के भूवैज्ञानिक रिकॉर्ड की व्याख्या करने और जीवन के लिए संभावित परिस्थितियों का पता लगाने में मदद करता है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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प्रश्न 19: यदि “तेंदुए के धब्बे” में सल्फेट (sulfates) पाए जाते हैं, तो यह मंगल के अतीत के बारे में क्या संकेत दे सकता है?
- (a) मंगल का वातावरण हमेशा बहुत शुष्क रहा है।
- (b) अतीत में तरल पानी की उपस्थिति, संभवतः एक अम्लीय वातावरण में।
- (c) मंगल पर केवल मीथेन का उत्पादन हुआ।
- (d) मंगल पर कभी भी कोई रासायनिक प्रतिक्रिया नहीं हुई।
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): सल्फेट खनिज (जैसे जिप्सम, एनहाइड्राइट) अक्सर तब बनते हैं जब पानी वाष्पित होता है, विशेष रूप से ऐसे वातावरण में जहाँ सल्फ्यूरिक एसिड या घुलनशील सल्फेट आयन मौजूद होते हैं।
व्याख्या (Explanation): मंगल ग्रह पर सल्फेट खनिजों की खोज ने इस सिद्धांत का समर्थन किया है कि मंगल पर अतीत में तरल पानी मौजूद था। ये खनिज अक्सर वाष्पीकरण के परिणाम होते हैं, जिसका अर्थ है कि एक समय में पानी मौजूद था जो धीरे-धीरे वाष्पित हो गया। कुछ सल्फेट्स का निर्माण अम्लीय पानी के साथ भी जुड़ा होता है, जो एक विशेष प्रकार के अतीत के वातावरण का संकेत दे सकता है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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प्रश्न 20: “परिवर्तनशील कार्बनिक अणु” (Differentiated organic molecules) शब्द का क्या अर्थ है, और यह मंगल पर जीवन की खोज के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
- (a) ये वे कार्बनिक अणु हैं जो केवल प्रकाश संश्लेषण द्वारा बनते हैं।
- (b) ये वे कार्बनिक अणु हैं जो पृथ्वी से मंगल पर लाए गए हैं।
- (c) ये वे कार्बनिक अणु हैं जिनका रासायनिक या समस्थानिक (isotopic) हस्ताक्षर (signature) स्पष्ट रूप से जैविक प्रक्रियाओं से जुड़ा हुआ है।
- (d) ये वे कार्बनिक अणु हैं जो मंगल के वायुमंडल में मौजूद हैं।
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): जैविक प्रक्रियाएं अक्सर रासायनिक तत्वों के समस्थानिकों (isotopes) के एक विशेष अनुपात में बदलाव का कारण बनती हैं, या वे विशिष्ट रासायनिक संरचनाओं वाले अणुओं का उत्पादन करती हैं।
व्याख्या (Explanation): “परिवर्तनशील कार्बनिक अणु” का अर्थ है कि उनके पास कुछ ऐसे रासायनिक या समस्थानिक गुण हैं जो उन्हें गैर-जैविक स्रोतों से अलग करते हैं। उदाहरण के लिए, जीवन अक्सर कार्बन-12 (C-12) की तुलना में कार्बन-13 (C-13) का अधिक कुशलता से उपयोग करता है, जिससे जैविक कार्बन में C-12 का अनुपात अधिक होता है। इन “परिवर्तनशील” कार्बनिक अणुओं की खोज मंगल पर जीवन के लिए एक मजबूत संकेत प्रदान करेगी, क्योंकि वे संकेत देंगे कि उनका निर्माण जीवन की प्रक्रियाओं द्वारा हुआ है।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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प्रश्न 21: मंगल ग्रह पर पाए जाने वाले पानी की रासायनिक संरचना (H2O) पृथ्वी पर पाए जाने वाले पानी से कैसे भिन्न हो सकती है?
- (a) इसमें अन्य तत्वों (जैसे ड्यूटेरियम) की सांद्रता भिन्न हो सकती है।
- (b) इसमें ऑक्सीजन के बजाय नाइट्रोजन हो सकता है।
- (c) यह पूरी तरह से अलग रासायनिक सूत्र (जैसे H2S) का होगा।
- (d) इसकी कोई रासायनिक संरचना नहीं होगी।
उत्तर: (a)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): पानी (H2O) एक रासायनिक यौगिक है, लेकिन इसके घटक परमाणुओं के विभिन्न समस्थानिक (isotopes) हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, हाइड्रोजन के समस्थानिक ड्यूटेरियम (D) हैं, जो प्रोटियम (H) से भारी होता है।
व्याख्या (Explanation): मंगल पर पाए जाने वाले पानी की रासायनिक संरचना (H2O) वैसी ही होगी। हालांकि, मंगल ग्रह पर “भारी पानी” (जिसमें ड्यूटेरियम होता है) का अनुपात पृथ्वी से भिन्न हो सकता है। यह अंतर ग्रहों के निर्माण की प्रक्रिया, वायुमंडलीय हानि, या अन्य भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के कारण हो सकता है। इन समस्थानिक अनुपातों का अध्ययन ग्रहों के इतिहास को समझने में मदद करता है।
अतः, सही उत्तर (a) है।
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प्रश्न 22: यदि “तेंदुए के धब्बे” कुछ प्रकार के जीवाश्म सूक्ष्मजीवों (fossilized microorganisms) के साक्ष्य हैं, तो उन्हें किस प्रकार के सूक्ष्मदर्शी (microscope) से अध्ययन करने की आवश्यकता होगी?
- (a) एक साधारण आवर्धक कांच (magnifying glass)।
- (b) एक ऑप्टिकल माइक्रोस्कोप (optical microscope) या एक स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (SEM)।
- (c) एक दूरबीन (telescope)।
- (d) एक भूकंपमापी (seismograph)।
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): सूक्ष्मजीव बहुत छोटे होते हैं और उन्हें विस्तृत रूप से देखने के लिए उच्च आवर्धन (magnification) वाले माइक्रोस्कोप की आवश्यकता होती है।
व्याख्या (Explanation): जीवाश्म सूक्ष्मजीवों को पहचानने के लिए, जिनकी संरचना बहुत सूक्ष्म होती है, उच्च-आवर्धन वाले माइक्रोस्कोप की आवश्यकता होगी। एक ऑप्टिकल माइक्रोस्कोप कोशिकाओं की मूल संरचना दिखा सकता है, जबकि एक स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (SEM) सतह की विस्तृत 3D छवियां प्रदान कर सकता है, जो जीवाश्म संरचनाओं की पहचान के लिए बहुत उपयोगी है। दूरबीन का उपयोग खगोलीय पिंडों को देखने के लिए किया जाता है, और भूकंपमापी भूकंपीय गतिविधि को मापता है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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प्रश्न 23: मंगल ग्रह पर जीवन की खोज में “चेमोसिंथेसिस” (Chemosynthesis) का क्या महत्व हो सकता है?
- (a) यह प्रकाश संश्लेषण के समान ही एक प्रक्रिया है जो प्रकाश का उपयोग करती है।
- (b) यह रासायनिक ऊर्जा का उपयोग करके भोजन बनाने की प्रक्रिया है, जो प्रकाश से स्वतंत्र होती है।
- (c) यह मंगल ग्रह के वातावरण से ऑक्सीजन उत्पन्न करने की प्रक्रिया है।
- (d) यह मंगल ग्रह पर जीवन के लिए आवश्यक पानी को शुद्ध करने की प्रक्रिया है।
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): चेमोसिंथेसिस (Chemosynthesis) एक प्रक्रिया है जहाँ जीव कार्बनिक यौगिक बनाने के लिए रासायनिक प्रतिक्रियाओं से ऊर्जा प्राप्त करते हैं, न कि प्रकाश से। यह अक्सर उन वातावरणों में होता है जहाँ प्रकाश उपलब्ध नहीं होता है, जैसे कि गहरे समुद्र के वेंट (vents)।
व्याख्या (Explanation): मंगल ग्रह पर, जहाँ सूर्य का प्रकाश पृथ्वी की तुलना में कम तीव्र होता है और सतह के नीचे प्रकाश बिल्कुल नहीं पहुँचता, चेमोसिंथेसिस जीवन के लिए ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत हो सकता है। कुछ प्रकार के सूक्ष्मजीव ऊर्जा के लिए भूवैज्ञानिक रूप से उत्पन्न रसायनों (जैसे हाइड्रोजन सल्फाइड या मीथेन) का उपयोग कर सकते हैं। यदि मंगल पर जीवन मौजूद है, तो यह चेमोसिंथेटिक हो सकता है, जो “तेंदुए के धब्बे” या अन्य स्थानों पर जीवन की संभावना को बढ़ाता है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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प्रश्न 24: मंगल ग्रह के “तेंदुए के धब्बे” में पाए जाने वाले कार्बनिक अणुओं का अध्ययन, उनकी स्थानिक व्यवस्था (spatial arrangement) के आधार पर, क्या बता सकता है?
- (a) केवल मंगल ग्रह की वायुमंडलीय संरचना।
- (b) क्या वे जीवाश्मित कोशिका संरचनाओं (fossilized cellular structures) से जुड़े हुए हैं।
- (c) मंगल ग्रह का चुंबकीय क्षेत्र कितना मजबूत है।
- (d) मंगल ग्रह पर ज्वालामुखी गतिविधि का इतिहास।
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): जैविक कोशिकाएं अक्सर कार्बनिक अणुओं को एक विशेष, सुव्यवस्थित तरीके से व्यवस्थित करती हैं। जीवाश्मों में, यह व्यवस्था कोशिका संरचना के निशान के रूप में देखी जा सकती है।
व्याख्या (Explanation): यदि कार्बनिक अणु एक विशेष स्थानिक पैटर्न में व्यवस्थित पाए जाते हैं, जो कि ज्ञात जीवाश्म कोशिकाओं की संरचना से मेल खाता हो, तो यह इस बात का बहुत मजबूत संकेत होगा कि ये अणु प्राचीन सूक्ष्मजीवों के अवशेष हैं। रासायनिक संरचना के साथ-साथ उनकी व्यवस्था का अध्ययन, उनके जैविक मूल की पुष्टि करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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प्रश्न 25: मंगल ग्रह पर जीवन के संकेत के रूप में “तेंदुए के धब्बे” की खोज को वैज्ञानिक समुदाय द्वारा कैसे सत्यापित (verified) किया जाएगा?
- (a) केवल रोवर (rover) द्वारा भेजी गई तस्वीरों के आधार पर।
- (b) भविष्य के मिशनों में नमूना वापसी (sample return) और कई स्वतंत्र प्रयोगशालाओं में विश्लेषण द्वारा।
- (c) मंगल ग्रह पर पहले से मौजूद जीवन के ज्ञात रूपों से तुलना करके।
- (d) मंगल ग्रह के भूवैज्ञानिकों के एकमत राय से।
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): वैज्ञानिक निष्कर्षों को मजबूत साक्ष्य और सहकर्मी समीक्षा (peer review) के माध्यम से सत्यापित किया जाना चाहिए। असाधारण दावों के लिए असाधारण साक्ष्य की आवश्यकता होती है।
व्याख्या (Explanation): मंगल पर जीवन की खोज एक अत्यंत महत्वपूर्ण दावा है। प्रारंभिक संकेत, जैसे कि रोवर की तस्वीरें और स्पेक्ट्रोस्कोपिक डेटा, महत्वपूर्ण हैं, लेकिन निर्णायक प्रमाण के लिए नमूना वापसी मिशन की आवश्यकता होगी। इन नमूनों को पृथ्वी पर वापस लाया जाएगा और विभिन्न, स्वतंत्र प्रयोगशालाओं में कई तकनीकों का उपयोग करके उनका विश्लेषण किया जाएगा। यह सुनिश्चित करेगा कि निष्कर्ष सटीक हैं और किसी विशेष उपकरण या विश्लेषण पद्धति की त्रुटि नहीं है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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