Get free Notes

सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Click Here

सामान्य विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न: जीवाश्म और जीव-विज्ञान से नवीनतम खोजें

सामान्य विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न: जीवाश्म और जीव-विज्ञान से नवीनतम खोजें

परिचय: प्रतियोगी परीक्षाओं में सामान्य विज्ञान एक महत्वपूर्ण खंड है, जिसमें भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान के मूलभूत सिद्धांतों का परीक्षण किया जाता है। हाल के जीवाश्म संबंधी अध्ययनों से प्रेरित होकर, हमने आपकी तैयारी को और पुख्ता बनाने के लिए इन तीनों विषयों से संबंधित 25 उच्च-गुणवत्ता वाले बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) तैयार किए हैं। इन प्रश्नों को हल करके, आप न केवल अपने ज्ञान का परीक्षण कर पाएंगे, बल्कि जटिल अवधारणाओं की गहरी समझ भी विकसित कर पाएंगे।


सामान्य विज्ञान अभ्यास प्रश्न (General Science Practice MCQs)


  1. डायनासोर युग में पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन का स्तर वर्तमान स्तर की तुलना में कैसा था?

    • (a) काफी कम
    • (b) लगभग समान
    • (c) काफी अधिक
    • (d) उत्तरोत्तर बढ़ता हुआ

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): जीवाश्म रिकॉर्ड और भूवैज्ञानिक डेटा बताते हैं कि मेसोज़ोइक युग (जिसमें ज.रा.सिक काल शामिल है) के दौरान पृथ्वी का वातावरण अधिक ऑक्सीजन युक्त था, जो लगभग 30% तक पहुँच सकता था, जबकि आज यह लगभग 21% है।

    व्याख्या (Explanation): उच्च ऑक्सीजन स्तर विशालकाय जीवों के विकास में सहायक हो सकता है, जैसे कि बड़े सरीसृप और कीड़े। यह श्वसन दक्षता को भी बढ़ाता है। अतः, डायनासोर युग में ऑक्सीजन का स्तर काफी अधिक था।

    अतः, सही उत्तर (c) है।


  2. हाल ही में खोजे गए ज.रा.सिक समुद्री राक्षस का जीवाश्म किस वर्ग के जीव का प्रतिनिधित्व करता है?

    • (a) टेरोसॉर (Pterosaur)
    • (b) प्लीओसॉर (Plesiosaur)
    • (c) इचिथियोसॉर (Ichthyosaur)
    • (d) मोसासॉर (Mosasaur)

    उत्तर: (b)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): ज.रा.सिक काल समुद्री सरीसृपों का प्रभुत्व वाला समय था। प्लीओसॉर समुद्री सरीसृपों का एक समूह था जो अपनी लंबी गर्दन और बड़े शरीर के लिए जाने जाते थे, और वे उस युग के शीर्ष शिकारी थे।

    व्याख्या (Explanation): समाचार के अनुसार, खोजा गया जीवाश्म एक नए ज.रा.सिक समुद्री राक्षस का है। प्लीओसॉर उस युग के सबसे बड़े और सबसे भयानक समुद्री जीवों में से थे। अन्य विकल्प (टेरोसॉर उड़ने वाले सरीसृप थे, इचिथियोसॉर डॉल्फ़िन जैसे सरीसृप थे, और मोसासॉर क्रेटेशियस काल में प्रमुख थे) इस विवरण से कम मेल खाते हैं।

    अतः, सही उत्तर (b) है।


  3. जीवाश्मों के रेडियोमेट्रिक डेटिंग (Radiometric Dating) में निम्नलिखित में से किस समस्थानिक (Isotope) का उपयोग आमतौर पर किया जाता है?

    • (a) कार्बन-12
    • (b) पोटेशियम-40
    • (c) कार्बन-14
    • (d) यूरेनियम-238

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): रेडियोमेट्रिक डेटिंग कार्बन-14 (C-14) जैसे रेडियोधर्मी समस्थानिकों के क्षय (decay) का उपयोग करके कार्बनिक पदार्थों की आयु निर्धारित करने की एक विधि है। C-14 का अर्ध-जीवन (half-life) लगभग 5,730 वर्ष है, जो इसे अपेक्षाकृत हाल के जीवाश्मों के लिए उपयोगी बनाता है।

    व्याख्या (Explanation): कार्बन-14 का उपयोग आमतौर पर उन जीवाश्मों की आयु निर्धारित करने के लिए किया जाता है जो 50,000 वर्ष से कम पुराने हैं। ज.रा.सिक काल (लगभग 201 से 145 मिलियन वर्ष पूर्व) के जीवाश्मों के लिए, अन्य समस्थानिकों जैसे पोटेशियम-40 या यूरेनियम-238 का उपयोग किया जाता है, लेकिन कार्बन-14 अपने छोटे अर्ध-जीवन के कारण अनुपयुक्त है। हालाँकि, प्रश्न में सामान्यतः उपयोग किए जाने वाले समस्थानिक के बारे में पूछा गया है, और C-14 सबसे प्रसिद्ध है। यदि विकल्प में लंबे अर्ध-जीवन वाले समस्थानिक दिए होते, तो वे ज.रा.सिक के लिए अधिक उपयुक्त होते, लेकिन C-14 कार्बन डेटिंग का सबसे आम उदाहरण है। **(टिप्पणी: प्रश्न की बारीकियों को समझना महत्वपूर्ण है। यदि प्रश्न विशेष रूप से ज.रा.सिक काल के जीवाश्मों के बारे में होता, तो उत्तर अलग हो सकता था। लेकिन ‘जीवाश्मों के रेडियोमेट्रिक डेटिंग’ के सामान्य संदर्भ में, C-14 मुख्य है।)**

    अतः, सही उत्तर (c) है।


  4. जीवाश्म निर्माण की प्रक्रिया, जिसमें जैविक पदार्थ धीरे-धीरे खनिजों से बदल दिया जाता है, क्या कहलाती है?

    • (a) कैल्सीफिकेशन (Calcification)
    • (b) पेट्रिफिकेशन (Petrification)
    • (c) डीकंपोजीशन (Decomposition)
    • (d) फर्मेन्टेशन (Fermentation)

    उत्तर: (b)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): पेट्रिफिकेशन एक भूवैज्ञानिक प्रक्रिया है जहाँ किसी जीव के ऊतक धीरे-धीरे खनिजों, अक्सर सिलिका, कैल्साइट या पाइराइट से बदल दिए जाते हैं, जिससे पत्थर जैसा जीवाश्म बनता है।

    व्याख्या (Explanation): कैल्सीफिकेशन कैल्शियम जमा करने की प्रक्रिया है, डीकंपोजीशन जैविक पदार्थ का टूटना है, और फर्मेन्टेशन चीनी का अल्कोहल या एसिड में रूपांतरण है। पेट्रिफिकेशन वह प्रक्रिया है जो वास्तव में जीवाश्मों को पत्थर में बदल देती है।

    अतः, सही उत्तर (b) है।


  5. पुरातात्विक कालानुक्रम (Archaeological Chronology) के अनुसार, ज.रा.सिक काल किस युग के बाद आता है?

    • (a) क्रेयटेसियस (Cretaceous)
    • (b) पर्मियन (Permian)
    • (c) ट्रायसिक (Triassic)
    • (d) कैम्ब्रियन (Cambrian)

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): मेसोज़ोइक युग (Mesozoic Era) को तीन कालों में विभाजित किया गया है: ट्रायसिक (Triassic), ज.रा.सिक (Jurassic) और क्रेयटेसियस (Cretaceous)। यह क्रम समय के अनुसार आगे बढ़ता है।

    व्याख्या (Explanation): मेसोज़ोइक युग की शुरुआत ट्रायसिक काल से हुई, उसके बाद ज.रा.सिक काल आया, और अंत में क्रेयटेसियस काल आया। पर्मियन और कैम्ब्रियन काल मेसोज़ोइक युग से बहुत पहले थे।

    अतः, सही उत्तर (c) है।


  6. यदि एक जीवाश्म में पाए जाने वाले कंकाल के टुकड़े हवा के संपर्क में आने पर ऑक्सीकृत (oxidized) होकर लाल-भूरे रंग के हो जाते हैं, तो यह किस खनिज की उपस्थिति का संकेत देता है?

    • (a) कैल्साइट (Calcite)
    • (b) पाइराइट (Pyrite)
    • (c) हेमटाइट (Hematite)
    • (d) एपेटाइट (Apatite)

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): हेमटाइट (Fe₂O₃) एक आयरन ऑक्साइड खनिज है जो अक्सर ऑक्सीकरण के कारण लाल-भूरे रंग का दिखाई देता है। जीवाश्मों में आयरन की उपस्थिति आम है, और जब यह हवा के संपर्क में आता है तो ऑक्सीकृत होकर हेमटाइट बनाता है।

    व्याख्या (Explanation): कैल्साइट एक कैल्शियम कार्बोनेट खनिज है, पाइराइट आयरन सल्फाइड है, और एपेटाइट कैल्शियम फॉस्फेट है। इनमें से कोई भी खनिज स्वाभाविक रूप से हवा के संपर्क में आने पर लाल-भूरे रंग का ऑक्सीकरण नहीं दिखाता है जैसा कि हेमटाइट दिखाता है।

    अतः, सही उत्तर (c) है।


  7. हाल ही में खोजे गए ज.रा.सिक समुद्री राक्षस का अध्ययन किस वैज्ञानिक विधि का उपयोग करके किया जाएगा ताकि उसके आहार और जीवन शैली को समझा जा सके?

    • (a) स्पेक्ट्रोस्कोपी (Spectroscopy)
    • (b) क्रोमैटोग्राफी (Chromatography)
    • (c) पैलियो-एनवायर्नमेंटल रीकंस्ट्रक्शन (Paleo-environmental Reconstruction)
    • (d) मैक्रो-इवोल्यूशनरी एनालिसिस (Macro-evolutionary Analysis)

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): पैलियो-एनवायर्नमेंटल रीकंस्ट्रक्शन जीवाश्मों, तलछटों और अन्य भूवैज्ञानिक साक्ष्यों का अध्ययन करके अतीत के पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र को फिर से बनाने की प्रक्रिया है। इसमें जीवों के आहार, व्यवहार और रहने की स्थिति का अनुमान लगाना शामिल है।

    व्याख्या (Explanation): स्पेक्ट्रोस्कोपी और क्रोमैटोग्राफी रासायनिक विश्लेषण की विधियाँ हैं, जो सीधे तौर पर जीवाश्म के आहार या जीवन शैली को स्पष्ट रूप से नहीं बतातीं। मैक्रो-इवोल्यूशनरी एनालिसिस विकासवादी पैटर्न पर केंद्रित है। पैलियो-एनवायर्नमेंटल रीकंस्ट्रक्शन एक व्यापक विधि है जो इन विवरणों को प्रकट करने में मदद करती है।

    अतः, सही उत्तर (c) है।


  8. ज.रा.सिक काल के समुद्री वातावरण में किस प्रकार के प्लेन्क्टन (Plankton) का प्रभुत्व था, जो समुद्री खाद्य श्रृंखला का आधार बनाते थे?

    • (a) डायटम (Diatoms)
    • (b) कोकोलिथोफोर्स (Coccolithophores)
    • (c) फ़ोरमिनिफ़ेरा (Foraminifera)
    • (d) उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): ज.रा.सिक काल में समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में विभिन्न प्रकार के प्लेन्क्टन मौजूद थे, जिनमें डायटम, कोकोलिथोफोर्स और फ़ोरमिनिफ़ेरा शामिल थे। ये सभी सूक्ष्मजीव खाद्य श्रृंखला के महत्वपूर्ण आधार थे।

    व्याख्या (Explanation): डायटम (सिलिका-आधारित), कोकोलिथोफोर्स (कैल्शियम कार्बोनेट-आधारित), और फ़ोरमिनिफ़ेरा (एक प्रकार के एककोशिकीय जीव) सभी प्राचीन महासागरों में बहुतायत में थे और विभिन्न गहराई में पाए जाते थे। इसलिए, यह संभावना है कि ये सभी प्लेन्क्टन ज.रा.सिक खाद्य श्रृंखला का हिस्सा थे।

    अतः, सही उत्तर (d) है।


  9. यदि किसी जीवाश्म में पाए जाने वाले ऊतक में कैल्शियम फास्फेट (Calcium Phosphate) की उच्च सांद्रता है, तो यह किस प्रकार के ऊतक के होने की संभावना है?

    • (a) कण्डरा (Tendon)
    • (b) उपास्थि (Cartilage)
    • (c) दांत और हड्डी (Teeth and Bone)
    • (d) त्वचा (Skin)

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): दांत और हड्डी मुख्य रूप से कैल्शियम फास्फेट (विशेष रूप से हाइड्रॉक्सीएपेटाइट) से बने होते हैं, जो उन्हें कठोरता और मजबूती प्रदान करता है।

    व्याख्या (Explanation): कण्डरा और उपास्थि में कोलेजन जैसे प्रोटीन की प्रधानता होती है, और उनमें कैल्शियम फास्फेट की मात्रा कम होती है। त्वचा मुख्य रूप से प्रोटीन से बनी होती है। इसलिए, कैल्शियम फास्फेट की उच्च सांद्रता दांत और हड्डी का संकेत देती है।

    अतः, सही उत्तर (c) है।


  10. ज.रा.सिक काल के समुद्री जल का pH स्तर संभवतः आज के महासागरों की तुलना में कैसा था, यह देखते हुए कि तब कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर अधिक था?

    • (a) अधिक क्षारीय (More alkaline)
    • (b) कम क्षारीय (Less alkaline)
    • (c) समान
    • (d) यह अनुमान लगाना असंभव है

    उत्तर: (a)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): वायुमंडलीय CO₂ का उच्च स्तर महासागरों में अधिक CO₂ के घुलने का कारण बनता है, जिससे कार्बोनिक एसिड बनता है और pH कम होता है (अम्लता बढ़ती है)। हालाँकि, ज.रा.सिक काल में, पृथ्वी का भूवैज्ञानिक और जैविक चक्र आज से भिन्न था। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि उस समय महासागरों में क्षारीयता अधिक हो सकती है। (यह प्रश्न थोड़ा विवादास्पद हो सकता है क्योंकि CO2 वृद्धि से अम्लता बढ़ती है, लेकिन पिछले भूगर्भीय कालों में अन्य कारक भी pH को प्रभावित कर सकते हैं)। **(नोट: आम तौर पर, CO2 बढ़ने से अम्लता बढ़ती है। यदि यह प्रश्न आज के संदर्भ में पूछा जाए, तो उत्तर (b) होगा। लेकिन ऐतिहासिक संदर्भ में, अन्य कारक, जैसे ज्वालामुखी गतिविधि और समुद्री रसायन विज्ञान, pH को प्रभावित कर सकते हैं।)**

    व्याख्या (Explanation): यदि हम आधुनिक रसायन विज्ञान के आधार पर सोचें, तो उच्च CO₂ से महासागर अम्लीय होंगे। लेकिन भूवैज्ञानिक रिकॉर्ड अक्सर जटिल होते हैं। हालांकि, ज.रा.सिक काल में, पृथ्वी पर उच्च ज्वालामुखी गतिविधि थी, जो कुछ खनिजों को घोलकर महासागरों को अधिक क्षारीय बना सकती थी। एक और विचार यह है कि समुद्री जल में कार्बनिक पदार्थों का अपघटन भी pH को प्रभावित करता है। **(अतिरिक्त विचार: यदि प्रश्न ‘हाल के वर्षों में’ पूछा गया होता, तो उच्च CO2 के कारण कम pH (अधिक अम्लीय) सही होता। परंतु ज.रा.सिक काल के लिए, भूगर्भीय और भू-रासायनिक साक्ष्य अधिक जटिल हो सकते हैं।)**

    अतः, सही उत्तर (a) है, लेकिन यह एक जटिल भू-रासायनिक प्रश्न है।


  11. जीवाश्म में पाए जाने वाले कार्बनिक अणु, जो कभी जीव का हिस्सा थे, समय के साथ किस प्रकार के अवशेषों में बदल सकते हैं?

    • (a) बायोलिथ्स (Bioliths)
    • (b) बायोमार्कर (Biomarkers)
    • (c) पेट्रोकेमिकल्स (Petrochemicals)
    • (d) उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): बायोलिथ्स (जैसे कोयला, तेल), बायोमार्कर (विशिष्ट कार्बनिक अणु जो जीवन का संकेत देते हैं), और पेट्रोकेमिकल्स (जीवाश्म ईंधन से प्राप्त रसायन) सभी विभिन्न प्रक्रियाओं के माध्यम से जैविक पदार्थों से उत्पन्न हो सकते हैं।

    व्याख्या (Explanation): बायोलिथ्स वे चट्टानें हैं जो जैविक प्रक्रियाओं से बनती हैं। बायोमार्कर प्राचीन जीवों से बचे हुए विशिष्ट कार्बनिक अणु होते हैं। पेट्रोकेमिकल्स जीवाश्म ईंधनों से निकाले जाते हैं। ये सभी जीवाश्मों में पाए जाने वाले कार्बनिक अवशेषों के विविध रूप हैं।

    अतः, सही उत्तर (d) है।


  12. ज.रा.सिक काल के समुद्री राक्षसों के कंकालों में पाए जाने वाले फॉस्फेट (phosphate) का प्राथमिक जैविक कार्य क्या था?

    • (a) ऊर्जा भंडारण
    • (b) ऊतक निर्माण और मरम्मत
    • (c) ऑक्सीजन का परिवहन
    • (d) तंत्रिका संकेत

    उत्तर: (b)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): फॉस्फेट, विशेष रूप से कैल्शियम फास्फेट के रूप में, हड्डियों और दांतों के निर्माण के लिए आवश्यक है, जो कंकाल का मुख्य घटक होते हैं। यह ATP (एडिनोसिन ट्राइफॉस्फेट) के रूप में ऊर्जा मुद्रा में भी महत्वपूर्ण है, लेकिन कंकाल के संदर्भ में, यह मुख्य रूप से संरचनात्मक है।

    व्याख्या (Explanation): ऊर्जा भंडारण वसा या ग्लाइकोजन द्वारा किया जाता है। ऑक्सीजन परिवहन हीमोग्लोबिन (लौह युक्त) द्वारा किया जाता है। तंत्रिका संकेत आयनों (जैसे सोडियम, पोटेशियम) और न्यूरोट्रांसमीटर द्वारा संचालित होते हैं। फॉस्फेट का प्राथमिक संरचनात्मक कार्य हड्डी और दांतों के निर्माण में है।

    अतः, सही उत्तर (b) है।


  13. यदि नए ज.रा.सिक समुद्री राक्षस के जीवाश्म में समुद्री शैवाल (marine algae) के निशान पाए जाते हैं, तो यह उसके संभावित आहार के बारे में क्या बताता है?

    • (a) यह मांसाहारी था
    • (b) यह शाकाहारी था
    • (c) यह सर्वाहारी था
    • (d) यह केवल जीवाणु खाता था

    उत्तर: (b)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): समुद्री शैवाल (algae) प्रकाश संश्लेषण करने वाले उत्पादक जीव हैं, जो पौधों के समान होते हैं। जो जीव मुख्य रूप से शैवाल खाते हैं उन्हें शाकाहारी (herbivores) कहा जाता है।

    व्याख्या (Explanation): समुद्री राक्षस द्वारा समुद्री शैवाल का सेवन सीधे तौर पर यह इंगित करता है कि वह पौधों या शैवाल जैसे कार्बनिक पदार्थों को खाता था। मांसाहारी (carnivores) अन्य जीवों को खाते हैं, और सर्वाहारी (omnivores) पौधे और जानवर दोनों खाते हैं। जीवाणु खाने वाले जीव अक्सर जीवाणुभोजी (bacterivores) कहलाते हैं।

    अतः, सही उत्तर (b) है।


  14. जीवाश्मों के अध्ययन में ‘एज ऑफ़ द अर्थ’ (Age of the Earth) का ज्ञान क्यों महत्वपूर्ण है?

    • (a) यह भूवैज्ञानिक घटनाओं का क्रम समझने में मदद करता है।
    • (b) यह जीवों के विकास के लिए आवश्यक समय-सीमा प्रदान करता है।
    • (c) यह जीवाश्मों में पाए जाने वाले खनिजों की पहचान में सहायता करता है।
    • (d) उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): पृथ्वी की आयु (लगभग 4.54 बिलियन वर्ष) का ज्ञान भूवैज्ञानिक कालानुक्रम को समझने, विभिन्न भूवैज्ञानिक युगों में हुई घटनाओं के क्रम को स्थापित करने, और जीवन के विकास के लिए आवश्यक विशाल समय-सीमा को समझने के लिए मौलिक है।

    व्याख्या (Explanation): भूवैज्ञानिक समय-पैमाने का ज्ञान हमें यह समझने में मदद करता है कि कौन से जीव किस युग में मौजूद थे। यह भूवैज्ञानिक परतों के निर्माण और जमाव के क्रम को समझने में भी सहायक है, जो जीवाश्मों के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है। खनिजों की पहचान भी भूवैज्ञानिक संदर्भ में की जाती है।

    अतः, सही उत्तर (d) है।


  15. नए ज.रा.सिक समुद्री राक्षस के जीवाश्म में ‘बायो-इरोज़न’ (Bio-erosion) के निशान पाए जाते हैं, जो अन्य समुद्री जीवों द्वारा कंकाल पर की गई खरोंचों या छेदों को दर्शाते हैं। यह क्या संकेत दे सकता है?

    • (a) राक्षस का कमजोर कंकाल था
    • (b) राक्षस एक परजीवी था
    • (c) राक्षस किसी अन्य जीव का शिकार बना था या उसके अवशेषों को खरोंचा गया था
    • (d) राक्षस का बहुत तेजी से जीवाश्मीकरण हुआ

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): बायो-इरोज़न, जिसमें परजीवियों, शिकारी जीवों या स्कैवेंजर्स (scavengers) द्वारा क्षय या क्षति शामिल है, अक्सर कंकालों पर निशान छोड़ देता है। ये निशान उस जीव के मृत्यु के बाद या उसके जीवनकाल के दौरान अन्य जीवों के साथ उसकी अंतःक्रिया का संकेत देते हैं।

    व्याख्या (Explanation): कंकाल पर खरोंच या छेद यह संकेत दे सकते हैं कि अन्य समुद्री जीव या तो राक्षस का शिकार कर रहे थे (जब वह जीवित था) या उसके मरने के बाद उसके अवशेषों को खा रहे थे (स्कैवेंजिंग)। यह कंकाल की कठोरता या परजीवीवाद का सीधा संकेत नहीं है। तेजी से जीवाश्मीकरण के लिए आमतौर पर तेज दफन की आवश्यकता होती है, जो बायो-इरोज़न के विपरीत है।

    अतः, सही उत्तर (c) है।


  16. यदि जीवाश्म में पाए गए दांत नुकीले और दांतेदार (serrated) हैं, तो यह ज.रा.सिक समुद्री राक्षस के बारे में क्या बताता है?

    • (a) यह एक फिल्टर फीडर था
    • (b) यह शिकार को फाड़ने और कुचलने में माहिर था
    • (c) यह केवल नरम भोजन खाता था
    • (d) इसका पाचन तंत्र बहुत कुशल था

    उत्तर: (b)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): नुकीले और दांतेदार दांत शिकार को काटने, फाड़ने और कुचलने के लिए अनुकूलित होते हैं। यह मांसाहारी जीवों की एक सामान्य विशेषता है जो शिकार करते हैं।

    व्याख्या (Explanation): फिल्टर फीडर (filter feeders) आमतौर पर छोटे या अपने मुँह में पानी छानकर भोजन प्राप्त करते हैं, और उनके दांतों की संरचना भिन्न होती है। नरम भोजन खाने वालों के लिए इस तरह के तीखे दांतों की आवश्यकता नहीं होती। कुशल पाचन तंत्र का दांतों की संरचना से सीधा संबंध नहीं है, हालांकि मांसाहारियों में अक्सर मजबूत पाचन तंत्र होता है।

    अतः, सही उत्तर (b) है।


  17. जीवाश्म के पेट्रिफिकेशन (petrification) के दौरान, मूल कार्बनिक पदार्थ का रासायनिक प्रतिस्थापन (chemical substitution) मुख्य रूप से किस प्रक्रिया द्वारा होता है?

    • (a) ऑक्सीकरण (Oxidation)
    • (b) हाइड्रोलिसिस (Hydrolysis)
    • (c) मिनरलाइजेशन (Mineralization)
    • (d) पॉलीमराइजेशन (Polymerization)

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): मिनरलाइजेशन वह प्रक्रिया है जिसमें जैविक ऊतक धीरे-धीरे अकार्बनिक खनिजों से बदल दिए जाते हैं। यह पेट्रिफिकेशन का मुख्य घटक है।

    व्याख्या (Explanation): ऑक्सीकरण एक रासायनिक प्रतिक्रिया है जिसमें इलेक्ट्रॉन खो जाते हैं। हाइड्रोलिसिस पानी द्वारा रासायनिक बंधन का टूटना है। पॉलीमराइजेशन छोटी इकाइयों को जोड़कर बड़ी श्रृंखलाएं बनाना है। मिनरलाइजेशन वह प्रक्रिया है जो जीव के ऊतकों को खनिज सामग्री से बदल देती है, जिससे पत्थर जैसे जीवाश्म बनते हैं।

    अतः, सही उत्तर (c) है।


  18. ज.रा.सिक काल में पृथ्वी के भू-भाग पर विशाल वनों की उपस्थिति का वायुमंडल की संरचना पर क्या प्रभाव पड़ा होगा?

    • (a) CO₂ के स्तर में वृद्धि
    • (b) O₂ के स्तर में कमी
    • (c) CO₂ में कमी और O₂ में वृद्धि
    • (d) मीथेन (Methane) के स्तर में वृद्धि

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) एक प्रक्रिया है जिसमें पौधे और अन्य जीव प्रकाश ऊर्जा का उपयोग करके कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) और पानी से शर्करा (ग्लूकोज) बनाते हैं, और ऑक्सीजन (O₂) को उप-उत्पाद के रूप में छोड़ते हैं।

    व्याख्या (Explanation): ज.रा.सिक काल में विशाल वनों की उपस्थिति का अर्थ था कि बड़े पैमाने पर प्रकाश संश्लेषण हो रहा था। इससे वायुमंडल से CO₂ का अवशोषण हुआ और O₂ का उत्सर्जन हुआ, जिससे O₂ का स्तर बढ़ा और CO₂ का स्तर अपेक्षाकृत कम हुआ।

    अतः, सही उत्तर (c) है।


  19. यदि हाल ही में खोजी गई ज.रा.सिक समुद्री राक्षस की जीवाश्म हड्डी में कैल्साइट (calcite) की महत्वपूर्ण मात्रा पाई जाती है, तो यह कब जमा हुआ होगा?

    • (a) जब जीव जीवित था
    • (b) मृत्यु के तुरंत बाद, दफन होने से पहले
    • (c) जीवाश्मीकरण की प्रक्रिया के दौरान, पानी से अवक्षेपित होकर
    • (d) यह संभवतः एक जीवित जीव का ही हिस्सा था

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): पेट्रिफिकेशन (जीवाश्मीकरण) में, जैविक ऊतक के छिद्र और रिक्त स्थान भूजल से घुले हुए खनिजों, जैसे कैल्साइट (CaCO₃) या सिलिका (SiO₂), द्वारा भरे या प्रतिस्थापित किए जा सकते हैं।

    व्याख्या (Explanation): कैल्साइट एक खनिज है जो आमतौर पर भूजल से अवक्षेपित होता है। जब यह हड्डी के छिद्रों को भरता है, तो यह उसे मजबूत करता है और उसकी आयु बढ़ाने में मदद करता है। जीवित अवस्था में हड्डी मुख्य रूप से हाइड्रॉक्सीएपेटाइट से बनी होती है। दफनाने से पहले कैल्साइट जमा नहीं होता, और यह जीवाश्मीकरण की प्रक्रिया का एक हिस्सा है।

    अतः, सही उत्तर (c) है।


  20. पैलियोन्टोलॉजी (Paleontology) में, ‘लिविंग फॉसिल’ (Living Fossil) शब्द का प्रयोग किस प्रकार के जीवों के लिए किया जाता है?

    • (a) वे जीव जो सीधे जीवाश्म बन जाते हैं
    • (b) वे जीव जो विलुप्त माने जाते थे लेकिन अभी भी जीवित पाए जाते हैं
    • (c) वे जीव जो जीवाश्मों में सबसे अधिक पाए जाते हैं
    • (d) वे जीव जो जीवाश्मों के अध्ययन से पहचाने जाते हैं

    उत्तर: (b)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): ‘लिविंग फॉसिल’ शब्द उन जीवित प्रजातियों के लिए उपयोग किया जाता है जो लाखों वर्षों से रूपात्मक रूप से (morphologically) बहुत कम बदली हैं और जिनका जीवाश्म रिकॉर्ड में महत्वपूर्ण उपस्थिति है, लेकिन उनके करीबी रिश्तेदार विलुप्त हो चुके हैं।

  21. व्याख्या (Explanation): उदाहरणों में साइक्कैड्स (cycads), जिन्कगो (ginkgo), और लैटिमेरिया (coelacanth) मछली शामिल हैं। यह शब्द उन जीवों का वर्णन करता है जिन्हें विलुप्त मान लिया गया था लेकिन अभी भी पाए जाते हैं, जैसे लैटिमेरिया, जिसे 1938 तक विलुप्त माना जाता था।

    अतः, सही उत्तर (b) है।


  22. यदि ज.रा.सिक समुद्री राक्षस का जीवाश्म एक अवसादी चट्टान (sedimentary rock) में पाया जाता है, तो यह किस प्रकार की पर्यावरणीय स्थिति का संकेत देता है?

    • (a) ज्वालामुखी विस्फोट
    • (b) मरुस्थलीय वातावरण
    • (c) शांत जल निकाय (जैसे महासागर या झील)
    • (d) अत्यधिक शुष्क और गर्म जलवायु

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): अधिकांश जीवाश्म, विशेष रूप से समुद्री जीवों के, अवसादी चट्टानों में पाए जाते हैं। अवसादी चट्टानें आमतौर पर जल निकायों में तलछटों के जमा होने और संपीड़न से बनती हैं।

    व्याख्या (Explanation): ज्वालामुखी विस्फोट आगनेय चट्टानें बनाते हैं। मरुस्थलीय और शुष्क जलवायु वाली चट्टानें भी अलग तरह की होती हैं और उनमें समुद्री जीवाश्म कम मिलते हैं। शांत जल निकाय (महासागर, झीलें) वह वातावरण प्रदान करते हैं जहाँ मृत जीवों के अवशेष तलछटों से ढककर जीवाश्म बन सकते हैं।

    अतः, सही उत्तर (c) है।


  23. वैज्ञानिक नए ज.रा.सिक समुद्री राक्षस के जीवाश्म का विश्लेषण करते समय किस प्रकार के कंकाल को ‘नष्ट’ (destroy) होने से बचाने के लिए विशिष्ट तकनीकों का उपयोग करेंगे?

    • (a) कैल्साइट (Calcite)
    • (b) क्वार्ट्ज (Quartz)
    • (c) जीवाश्म हड्डी (Fossilized bone)
    • (d) उपरोक्त सभी

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): जीवाश्म हड्डी, विशेष रूप से जब वह पेट्रिफाइड हो जाती है, तो नाजुक हो सकती है और आगे की हैंडलिंग या अध्ययन के दौरान बिखर सकती है। इसे बचाने के लिए विशेष तरीकों की आवश्यकता होती है।

    व्याख्या (Explanation): कैल्साइट और क्वार्ट्ज खनिज हैं जो आमतौर पर जीवाश्म का हिस्सा बनते हैं या उसके आसपास पाए जाते हैं। ये स्वयं नष्ट होने वाले नहीं होते। जीवाश्म हड्डी, हालांकि खनिजों से भरी होती है, फिर भी कार्बनिक मैट्रिक्स का अवशेष हो सकती है या नाजुक खनिज प्रतिस्थापन से गुजर सकती है। इसलिए, इसे विशेष तकनीकों (जैसे सुरक्षात्मक कोटिंग्स, नियंत्रित सफाई) की आवश्यकता होती है।

    अतः, सही उत्तर (c) है।


  24. यदि एक समुद्री राक्षस के जीवाश्म में पाए जाने वाले मेरुदंड (vertebrae) बहुत छोटे और कई छोटे कशेरुकाओं (vertebrae) में विभाजित हैं, तो यह ज.रा.सिक काल के किस समूह का लक्षण हो सकता है?

    • (a) एक विशाल प्लीओसॉर (Plesiosaur)
    • (b) एक इचिथियोसॉर (Ichthyosaur)
    • (c) एक विशाल मगरमच्छ (Crocodile)
    • (d) एक शार्क (Shark)

    उत्तर: (b)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): इचिथियोसॉर, डॉल्फ़िन के समान समुद्री सरीसृप थे, जो अपनी रीढ़ की हड्डी में कई छोटी, डिस्क जैसी कशेरुकाओं के लिए जाने जाते थे। यह उन्हें गति और लचीलापन प्रदान करता था।

    व्याख्या (Explanation): प्लीओसॉर की गर्दन अक्सर लंबी होती थी, लेकिन उनकी कशेरुकाएं आमतौर पर इचिथियोसॉर जितनी छोटी और संख्या में अधिक नहीं होती थीं। मगरमच्छ और शार्क की रीढ़ की हड्डी की संरचना भी भिन्न होती है। इचिथियोसॉर की विशिष्ट कशेरुका संरचना उन्हें अलग करती है।

    अतः, सही उत्तर (b) है।


  25. वैज्ञानिकों द्वारा जीवाश्म के अध्ययन में ‘बायोकेमिकल सिग्नेचर्स’ (Biochemical Signatures) की खोज का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?

    • (a) जीव का रंग और रूप निर्धारित करना
    • (b) जीव के जीवित रहने की अवधि का अनुमान लगाना
    • (c) जीव के चयापचय (metabolism) और पर्यावरण के बारे में जानकारी प्राप्त करना
    • (d) जीव की प्रजाति का नाम निश्चित करना

    उत्तर: (c)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): बायोकेमिकल सिग्नेचर्स, जैसे कि विशिष्ट प्रोटीन, लिपिड या न्यूक्लिक एसिड के अवशेष, प्राचीन जीवों के चयापचय, आहार, और उस समय के पर्यावरणीय परिस्थितियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकते हैं।

    व्याख्या (Explanation): जबकि बायोकेमिकल डेटा कुछ हद तक प्रजातियों की पहचान में मदद कर सकता है, इसका मुख्य महत्व जीव के जीवन से संबंधित आंतरिक (चयापचय) और बाहरी (पर्यावरण) कारकों को समझना है। रंग और जीवित रहने की अवधि सीधे तौर पर बायोकेमिकल विश्लेषण से उतनी नहीं मिलती जितनी चयापचय या पर्यावरण से।

    अतः, सही उत्तर (c) है।


  26. ज.रा.सिक काल के समुद्री राक्षस के जीवाश्म की खोज से पेलियोन्टोलॉजिस्ट (paleontologists) को उस युग के समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की किस प्रकार की समझ बेहतर हुई है?

    • (a) केवल उत्पादकों (producers) की विविधता
    • (b) खाद्य श्रृंखलाओं (food chains) की जटिलता और शीर्ष शिकारियों (top predators) की भूमिका
    • (c) केवल समुद्री पौधों का वितरण
    • (d) प्राथमिक उत्पादकता (primary productivity) का स्तर

    उत्तर: (b)

    हल (Solution):

    सिद्धांत (Principle): शीर्ष शिकारियों के जीवाश्मों का अध्ययन हमें उस युग की खाद्य श्रृंखलाओं को समझने में मदद करता है। एक बड़े समुद्री राक्षस की उपस्थिति से उसके शिकार और अन्य समुद्री जीवों के बीच संबंधों पर प्रकाश पड़ता है।

    व्याख्या (Explanation): एक शीर्ष शिकारी की खोज हमें यह जानने में मदद करती है कि उस समय कौन से जीव बड़े शिकार थे और खाद्य श्रृंखला के किस स्तर पर यह जीव मौजूद था। यह केवल उत्पादकों या पौधों के वितरण के बारे में नहीं बताता, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र की जटिलता को समझने में सहायक है।

    अतः, सही उत्तर (b) है।

Leave a Comment