सामान्य विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्न: जीवाश्मों और समुद्री जीवन के रहस्यों को उजागर करें
परिचय: प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में सामान्य विज्ञान एक अत्यंत महत्वपूर्ण खंड है। यह न केवल आपके ज्ञान का परीक्षण करता है, बल्कि आपको दुनिया को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने में भी मदद करता है। हालिया जीवाश्म खोजों से प्रेरित होकर, यहाँ भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान के 25 अभ्यास प्रश्न दिए गए हैं, जो आपकी समझ को गहरा करने और परीक्षा के लिए आपको तैयार करने में सहायक होंगे।
सामान्य विज्ञान अभ्यास प्रश्न (General Science Practice MCQs)
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निम्नलिखित में से कौन सी जीवाश्मों की आयु निर्धारण की विधि रेडियोधर्मी समस्थानिकों पर आधारित है?
- (a) स्ट्रैटिग्राफी
- (b) फ्लोरीन डेटिंग
- (c) रेडियोकार्बन डेटिंग
- (d) पैलियोमैग्नेटिज्म
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): रेडियोकार्बन डेटिंग (कार्बन-14 डेटिंग) एक रेडियोमेट्रिक डेटिंग तकनीक है जिसका उपयोग कार्बनिक पदार्थों की आयु निर्धारित करने के लिए किया जाता है। जीवित जीवों में, कार्बन-14 और कार्बन-12 का अनुपात स्थिर होता है, लेकिन मृत्यु के बाद, कार्बन-14 का क्षय होता रहता है। इस क्षय दर का उपयोग करके, जीवाश्म की आयु का अनुमान लगाया जा सकता है।
व्याख्या (Explanation): स्ट्रैटिग्राफी चट्टानों की परतों के अध्ययन पर आधारित है, फ्लोरीन डेटिंग हड्डी में फ्लोरीन के संचय पर, और पैलियोमैग्नेटिज्म पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के जीवाश्मों में दर्ज निशान पर। रेडियोकार्बन डेटिंग, हालांकि, विशेष रूप से कार्बन-14 के अर्ध-जीवन (half-life) पर निर्भर करती है, जो इसे जीवाश्मों की आयु निर्धारण के लिए एक शक्तिशाली उपकरण बनाती है।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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डायनासोर किस युग में पृथ्वी पर विचरण करते थे?
- (a) पेलियोज़ोइक
- (b) मेसोज़ोइक
- (c) सेनोज़ोइक
- (d) आर्कियन
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): पृथ्वी का इतिहास भूवैज्ञानिक समय-मान (Geological Time Scale) में विभाजित है, जिसमें इऑन, युग (Era) और काल (Period) शामिल हैं। डायनासोर, जो सरीसृप वर्ग के थे, विशेष रूप से मेसोज़ोइक युग (Mesozoic Era) के दौरान प्रमुख थे, जिसमें ट्रायेसिक, जुरासिक और क्रीटेशियस काल शामिल हैं।
व्याख्या (Explanation): पेलियोज़ोइक युग में उभयचरों और पहले सरीसृपों का उदय हुआ। सेनोज़ोइक युग वह युग है जिसमें स्तनधारियों का प्रभुत्व रहा। आर्कियन इऑन पृथ्वी के इतिहास का प्रारंभिक चरण है। इसलिए, डायनासोर का ‘स्वर्ण युग’ मेसोज़ोइक युग था, और जुरासिक काल विशेष रूप से उनके लिए जाना जाता है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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समुद्र में रहने वाले जीवाश्मों का अध्ययन करने वाले विज्ञान की शाखा क्या कहलाती है?
- (a) जीवाश्म विज्ञान (Paleontology)
- (b) पुराजीव विज्ञान (Paleobiology)
- (c) पुरासमुद्र विज्ञान (Paleoceanography)
- (d) जीवाश्म-समुद्र विज्ञान (Paleo-marine Science)
उत्तर: (a)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): जीवाश्म विज्ञान (Paleontology) विज्ञान की वह शाखा है जो पृथ्वी पर प्राचीन जीवन के अध्ययन से संबंधित है, जिसमें जीवाश्मों की जांच शामिल है। पुराजीव विज्ञान (Paleobiology) जीवाश्मों के जैविक पहलुओं, जैसे व्यवहार, विकास और पारिस्थितिकी पर केंद्रित है। पुरासमुद्र विज्ञान (Paleoceanography) पृथ्वी के महासागरों के अतीत का अध्ययन करता है।
व्याख्या (Explanation): हालाँकि अन्य शाखाएं भी संबंधित हैं, जीवाश्मों का सामान्य अध्ययन, चाहे वे समुद्री हों या स्थलीय, जीवाश्म विज्ञान के अंतर्गत आता है। “जीवाश्म-समुद्र विज्ञान” एक विशेष शब्द नहीं है, हालाँकि पुराजीव विज्ञान या पुरासमुद्र विज्ञान के भीतर समुद्री जीवाश्मों का अध्ययन निश्चित रूप से किया जाता है। प्रश्न विशेष रूप से “जीवाश्मों का अध्ययन” पर केंद्रित है, जिसे व्यापक रूप से जीवाश्म विज्ञान द्वारा कवर किया गया है।
अतः, सही उत्तर (a) है।
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किसी जीवाश्म की आयु का निर्धारण करने के लिए उपयोग किए जाने वाले रेडियोधर्मी तत्व का अर्ध-जीवन (half-life) क्या दर्शाता है?
- (a) वह समय जिसमें तत्व पूरी तरह से विघटित हो जाता है।
- (b) वह समय जिसमें मूल रेडियोधर्मी सामग्री की आधी मात्रा विघटित हो जाती है।
- (c) वह समय जिसमें मूल सामग्री की एक-चौथाई मात्रा विघटित हो जाती है।
- (d) वह समय जिसमें समस्थानिक (isotope) अपनी मूल अवस्था में लौट आता है।
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): रेडियोधर्मी क्षय (Radioactive decay) एक यादृच्छिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक अस्थिर परमाणु का नाभिक एक निश्चित दर पर विकिरण उत्सर्जित करके विघटित हो जाता है। अर्ध-जीवन (Half-life) वह समय अवधि है जिसके दौरान रेडियोधर्मी समस्थानिक की आधी मात्रा अपने मूल (अपरिवर्तित) रूप में बदल जाती है।
व्याख्या (Explanation): यह परिभाषा रेडियोधर्मी समस्थानिकों का उपयोग करके सामग्री की आयु निर्धारित करने का मूल सिद्धांत है। यह न तो पूरी तरह विघटित होने का समय है, न ही एक-चौथाई का, और न ही मूल अवस्था में लौटने का।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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समुद्री जीवाश्मों के अध्ययन से हमें किस प्रकार की जानकारी मिल सकती है?
- (a) केवल उस विशिष्ट समुद्री जीव के बारे में
- (b) प्राचीन महासागरों के वातावरण, जलवायु और पारिस्थितिकी तंत्र के बारे में
- (c) केवल उस क्षेत्र के भूवैज्ञानिक इतिहास के बारे में
- (d) जीवाश्मों की संरचना के बारे में ही
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): जीवाश्म न केवल उस जीव के बारे में जानकारी देते हैं जिनसे वे बने हैं, बल्कि उनके जीवाश्मीकरण (fossilization) के दौरान शामिल पर्यावरणीय परिस्थितियों के बारे में भी सुराग प्रदान करते हैं। समुद्री जीवाश्म विशेष रूप से समुद्री वातावरण के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
व्याख्या (Explanation): जीवाश्म जिस तलछटी चट्टान (sedimentary rock) में पाए जाते हैं, उसका विश्लेषण करके, वैज्ञानिक उस समय के समुद्री तापमान, लवणता, पानी की गहराई और यहाँ तक कि समग्र जलवायु के बारे में भी जान सकते हैं। यह भूवैज्ञानिक इतिहास और जीवों की संरचना से अधिक व्यापक जानकारी प्रदान करता है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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कार्बन-14 (¹⁴C) का अर्ध-जीवन लगभग कितना होता है?
- (a) 5,730 वर्ष
- (b) 10,000 वर्ष
- (c) 57,300 वर्ष
- (d) 1.23 x 10¹⁰ वर्ष
उत्तर: (a)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): कार्बन-14, जिसका उपयोग आम तौर पर 50,000 वर्ष तक की आयु के जैविक नमूनों के लिए किया जाता है, का एक स्थापित अर्ध-जीवन है। यह मान रेडियोधर्मी क्षय की दर को मापने के लिए महत्वपूर्ण है।
व्याख्या (Explanation): कार्बन-14 का अर्ध-जीवन लगभग 5,730 वर्ष है। यह मान जीवाश्मों और पुरातात्विक नमूनों की आयु निर्धारित करने के लिए एक बेंचमार्क के रूप में कार्य करता है। अन्य विकल्प गलत हैं क्योंकि वे कार्बन-14 के ज्ञात अर्ध-जीवन से मेल नहीं खाते हैं। (d) विकल्प पोटेशियम-40 जैसे तत्वों के अर्ध-जीवन से संबंधित हो सकता है, जो बहुत लंबी अवधि के लिए उपयोग किए जाते हैं।
अतः, सही उत्तर (a) है।
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निम्नलिखित में से कौन सा एक स्थलीय सरीसृप (terrestrial reptile) का उदाहरण नहीं है, जो जुरासिक काल में मौजूद था?
- (a) स्टेगोसॉरस (Stegosaurus)
- (b) ब्रैकियोसॉरस (Brachiosaurus)
- (c) प्लाटिफेस (Platysuchus)
- (d) टेरोडैक्टाइल (Pterodactyl)
उत्तर: (d)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): जुरासिक काल (Jurassic Period) डायनासोर के प्रभुत्व का काल था, जिसमें विभिन्न प्रकार के बड़े सरीसृप पृथ्वी पर घूमते थे। हालाँकि, सभी जुरासिक जीव सरीसृप नहीं थे, और कुछ उड़ने वाले सरीसृप भी थे।
व्याख्या (Explanation): स्टेगोसॉरस और ब्रैकियोसॉरस बड़े शाकाहारी डायनासोर थे जो जुरासिक काल में स्थलीय वातावरण में रहते थे। प्लाटिफेस (Platysuchus) एक मगरमच्छ जैसा सरीसृप था जो जुरासिक काल में पाया गया था। टेरोडैक्टाइल (Pterodactyl) उड़ने वाले सरीसृप थे, और जबकि वे जुरासिक काल से संबंधित हैं, उन्हें तकनीकी रूप से डायनासोर के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाता है, और वे हवा में उड़ते थे, न कि स्थलीय वातावरण में। प्रश्न “स्थलीय सरीसृप” और “विचरण करते थे” पर जोर देता है, जिससे उड़ने वाले टेरोडैक्टाइल को बाहर किया जा सकता है, भले ही वे जुरासिक काल के थे।
अतः, सही उत्तर (d) है।
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एक जीवाश्म की परत में पाए जाने वाले माइक्रोस्कोपिक जीवों के खोल (shells) का अध्ययन किसमें सहायक हो सकता है?
- (a) जीवाश्म के रंग का निर्धारण
- (b) जीवाश्म की कठोरता का पता लगाना
- (c) उस समय के समुद्री तापमान और लवणता का अनुमान लगाना
- (d) जीवाश्म के आकार को मापना
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): कुछ सूक्ष्मजीवों के खोल (जैसे फ़ोरमिनिफेरा – foraminifera) अपने विकास के दौरान आसपास के पानी से विशिष्ट तत्वों (जैसे ऑक्सीजन समस्थानिक) को अवशोषित करते हैं। इन समस्थानिकों का अनुपात पानी के तापमान और लवणता से संबंधित होता है।
व्याख्या (Explanation): सूक्ष्मजीवों के खोल में पाए जाने वाले ऑक्सीजन समस्थानिक (oxygen isotopes) के अनुपात का विश्लेषण करके, वैज्ञानिक उस समय के समुद्री तापमान और लवणता का अनुमान लगा सकते हैं, जिससे प्राचीन समुद्री वातावरण को समझने में मदद मिलती है। यह जीवाश्म के रंग, कठोरता या आकार से अधिक महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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“जीवाश्म” (Fossil) शब्द लैटिन भाषा के किस शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है “खोदकर निकाला गया”?
- (a) Fossilis
- (b) Fodere
- (c) Terra
- (d) Natura
उत्तर: (a)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): वैज्ञानिक शब्दों की व्युत्पत्ति (etymology) अक्सर उनके अर्थ को समझने में मदद करती है। “जीवाश्म” (fossil) शब्द लैटिन मूल से आता है।
व्याख्या (Explanation): “Fossilis” लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है “खोदकर निकाला गया” या “जो पाया गया है”। यह शब्द उस प्रक्रिया को दर्शाता है जिससे जीवाश्मों को पृथ्वी की परतों से प्राप्त किया जाता है। “Fodere” का अर्थ है “खोदना”, “Terra” का अर्थ है “पृथ्वी”, और “Natura” का अर्थ है “प्रकृति”।
अतः, सही उत्तर (a) है।
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यदि किसी जीवाश्म को “नवीनतम जुरासिक” (Late Jurassic) काल का माना जाता है, तो यह अनुमानित रूप से कितने वर्ष पुराना होगा?
- (a) 200-145 मिलियन वर्ष पहले
- (b) 300-250 मिलियन वर्ष पहले
- (c) 500-450 मिलियन वर्ष पहले
- (d) 10,000-5,000 वर्ष पहले
उत्तर: (a)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): भूवैज्ञानिक समय-मान (Geological Time Scale) का उपयोग पृथ्वी के इतिहास के विभिन्न अवधियों और कालों की अनुमानित आयु को समझने के लिए किया जाता है। जुरासिक काल मेसोज़ोइक युग का एक हिस्सा है।
व्याख्या (Explanation): भूवैज्ञानिक काल-मान के अनुसार, जुरासिक काल लगभग 201.3 से 145 मिलियन वर्ष पहले तक चला था। “नवीनतम जुरासिक” (Late Jurassic) इस अवधि के अंतिम भाग को संदर्भित करता है, इसलिए 200-145 मिलियन वर्ष पहले की सीमा उपयुक्त है। अन्य विकल्प गलत काल अवधि को दर्शाते हैं।
अतः, सही उत्तर (a) है।
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चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (MRI) में किस भौतिकी सिद्धांत का उपयोग किया जाता है?
- (a) प्रकाश का परावर्तन
- (b) नाभिकीय चुंबकीय अनुनाद (Nuclear Magnetic Resonance)
- (c) ध्वनि तरंगों का विवर्तन
- (d) विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction)
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): MRI एक चिकित्सा इमेजिंग तकनीक है जो मानव शरीर के अंदर की विस्तृत छवियां बनाने के लिए मजबूत चुंबकीय क्षेत्र, रेडियो तरंगों और कंप्यूटर के संयोजन का उपयोग करती है। यह नाभिकीय चुंबकीय अनुनाद (NMR) के सिद्धांत पर आधारित है।
व्याख्या (Explanation): MRI में, शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र शरीर के प्रोटॉन (आमतौर पर पानी में) को संरेखित करते हैं। फिर रेडियो तरंगों के स्पंदन (pulses) इन प्रोटॉन को उत्तेजित करते हैं, और जब स्पंदन बंद हो जाता है, तो प्रोटॉन वापस अपनी मूल स्थिति में आ जाते हैं, जो रेडियो सिग्नल उत्सर्जित करते हैं। इन सिग्नलों को संसाधित करके एक छवि बनाई जाती है। अन्य विकल्प MRI से संबंधित नहीं हैं।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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हड्डी के एक जीवाश्म में कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO₃) की उपस्थिति किसके कारण हो सकती है?
- (a) जीवाश्म का रंग
- (b) जीवाश्म का गलनांक
- (c) जीवाश्म का खनिजकरण (Mineralization)
- (d) जीवाश्म की चुंबकीय संवेदनशीलता
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): जीवाश्मीकरण (Fossilization) की प्रक्रिया में, जीवित जीवों के कार्बनिक पदार्थ धीरे-धीरे खनिज पदार्थों द्वारा प्रतिस्थापित हो जाते हैं। यह खनिज प्रतिस्थापन (mineral replacement) या परिवर्धन (permineralization) जीवाश्म को उसकी संरचना और स्थायित्व प्रदान करता है।
व्याख्या (Explanation): कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO₃) एक सामान्य खनिज है जो जीवाश्मों में पाए जाने वाले कार्बनिक पदार्थों को प्रतिस्थापित कर सकता है, विशेष रूप से उन जीवाश्मों में जो तलछटी चट्टानों में दबे होते हैं। यह प्रक्रिया हड्डी के जीवाश्म को उसकी मूल संरचना को बनाए रखते हुए खनिज रूप देने में मदद करती है। यह जीवाश्म के रंग, गलनांक (जो खनिज पर निर्भर करेगा) या चुंबकीय संवेदनशीलता के बजाय खनिजकरण की एक प्रक्रिया है।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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यदि कोई वैज्ञानिक किसी जीवाश्म के रासायनिक विश्लेषण में रेडियोधर्मी यूरेनियम (Uranium) का पता लगाता है, तो वह किस प्रकार की डेटिंग तकनीक का उपयोग कर सकता है?
- (a) रेडियोकार्बन डेटिंग
- (b) यूरेनियम-सीसा डेटिंग (Uranium-Lead Dating)
- (c) पोटेशियम-आर्गन डेटिंग
- (d) केवल स्ट्रैटिग्राफी
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): विभिन्न रेडियोधर्मी समस्थानिकों के अलग-अलग अर्ध-जीवन होते हैं और वे विभिन्न प्रकार के नमूनों की आयु निर्धारित करने के लिए उपयुक्त होते हैं। यूरेनियम, अपने दीर्घ अर्ध-जीवन के साथ, चट्टानों और खनिजों के लिए एक महत्वपूर्ण डेटिंग समस्थानिक है।
व्याख्या (Explanation): यूरेनियम-238 (²³⁸U) यूरेनियम-सीसा (²⁰⁶Pb) में क्षय होता है, और यूरेनियम-235 (²³⁵U) यूरेनियम-सीसा (²⁰⁷Pb) में क्षय होता है। इन क्षय श्रृंखलाओं का उपयोग बहुत पुरानी चट्टानों (अरबों वर्षों तक) और खनिजों की आयु निर्धारित करने के लिए किया जाता है, जो यूरेनियम-सीसा डेटिंग के रूप में जाना जाता है। रेडियोकार्बन डेटिंग केवल लगभग 50,000 वर्ष तक के कार्बनिक पदार्थों के लिए उपयुक्त है। पोटेशियम-आर्गन डेटिंग ज्वालामुखी चट्टानों के लिए आम है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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समुद्री जीवन में पाया जाने वाला एक सामान्य कैल्शियम-आधारित यौगिक जो अक्सर जीवाश्मों में संरक्षित होता है, वह क्या है?
- (a) सोडियम क्लोराइड (NaCl)
- (b) सिलिका (SiO₂)
- (c) कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO₃)
- (d) आयरन ऑक्साइड (Fe₂O₃)
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): कई समुद्री जीव, जैसे मोलस्क (mollusks), कोरल (corals), और कुछ प्लवक (plankton), अपने खोल (shells) या कंकाल (skeletons) बनाने के लिए कैल्शियम कार्बोनेट का उपयोग करते हैं। ये संरचनाएं समुद्री वातावरण में जीवाश्मीकरण के लिए अत्यंत सामान्य हैं।
व्याख्या (Explanation): कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO₃) समुद्री जीवों द्वारा व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला एक कठोर यौगिक है, जो चूना पत्थर (limestone) और चाक (chalk) जैसी चट्टानों का भी मुख्य घटक है। जब ये जीव मर जाते हैं, तो उनके कैल्शियम कार्बोनेट के खोल तलछट में दब जाते हैं और समय के साथ जीवाश्म बन जाते हैं। सिलिका (SiO₂) का उपयोग कुछ अन्य समुद्री जीवों (जैसे डायटम) द्वारा किया जाता है, लेकिन कैल्शियम कार्बोनेट अधिक सामान्य है। सोडियम क्लोराइड (नमक) और आयरन ऑक्साइड (जंग) मुख्य संरचनात्मक यौगिक नहीं हैं।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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बायोसिग्निफिकेंट (Biosignificant) जीवाश्म वे होते हैं जो…
- (a) केवल बहुत बड़े जीवों के होते हैं।
- (b) केवल स्थलीय जीवों के होते हैं।
- (c) पृथ्वी पर जीवन के इतिहास और विकास के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।
- (d) केवल तलछटी चट्टानों में पाए जाते हैं।
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): जीवाश्मों का अध्ययन, विशेष रूप से बायोसिग्निफिकेंट जीवाश्मों का, हमें पृथ्वी पर जीवन के विकास और इतिहास को समझने में मदद करता है। ये जीवाश्म वे हैं जो हमारे पूर्वजों, विलुप्त प्रजातियों और पारिस्थितिक तंत्र के बारे में महत्वपूर्ण साक्ष्य प्रदान करते हैं।
व्याख्या (Explanation): बायोसिग्निफिकेंट जीवाश्मों में वे जीवाश्म शामिल होते हैं जो हमें किसी विशिष्ट अवधि के जीवन रूपों, उनके विकासवादी संबंधों, या प्राचीन वातावरणों के बारे में बहुमूल्य जानकारी देते हैं। ये केवल बड़े या स्थलीय जीवों तक सीमित नहीं होते हैं, और ये आग्नेय या कायांतरित चट्टानों में भी पाए जा सकते हैं, यदि उन्हें ठीक से संरक्षित किया गया हो।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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यदि किसी जीवाश्म को “मध्य जुरासिक” (Middle Jurassic) काल का बताया गया है, तो यह किस भूवैज्ञानिक काल से संबंधित है?
- (a) पेलियोज़ोइक (Paleozoic)
- (b) मेसोज़ोइक (Mesozoic)
- (c) सेनोज़ोइक (Cenozoic)
- (d) प्रीकैम्ब्रियन (Precambrian)
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): मेसोज़ोइक युग को “सरीसृपों का युग” (Age of Reptiles) के रूप में भी जाना जाता है और इसमें ट्रायेसिक, जुरासिक और क्रीटेशियस काल शामिल हैं। जुरासिक काल इसी युग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
व्याख्या (Explanation): मेसोज़ोइक युग (लगभग 252 से 66 मिलियन वर्ष पहले) वह काल है जिसमें डायनासोर का विकास और प्रभुत्व देखा गया। मध्य जुरासिक इस युग के भीतर एक उप-अवधि है। पेलियोज़ोइक युग इससे पहले था, और सेनोज़ोइक युग इसके बाद आया। प्रीकैम्ब्रियन पृथ्वी के इतिहास का बहुत प्रारंभिक, लंबा चरण है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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एक जीवाश्म समुद्री जीव का अध्ययन, जैसे कि एक जीवाश्म एम्मोनाइट (Ammonite), हमें किसके बारे में जानकारी दे सकता है?
- (a) उस समय के वायुमंडल की संरचना
- (b) उस समय के भूमिगत जल की गहराई
- (c) उस समय के समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र और संभावित भूवैज्ञानिक घटनाओं
- (d) केवल जीव की शेल की मोटाई
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): एम्मोनाइट (Ammonites) समुद्री मोलस्क थे जो मेसोज़ोइक युग के दौरान विशेष रूप से प्रचुर मात्रा में थे। उनके जीवाश्म बहुतायत में पाए जाते हैं और समुद्री वातावरण के पुनर्निर्माण में महत्वपूर्ण हैं।
व्याख्या (Explanation): एम्मोनाइट जीवाश्मों की उपस्थिति और वे जिन शैलियों (strata) में पाए जाते हैं, उनका विश्लेषण करके, वैज्ञानिक उस समय के समुद्री वातावरण, जैसे पानी की गहराई, तापमान और धाराओं के बारे में जान सकते हैं। उनकी बहुतायत कभी-कभी किसी क्षेत्र में प्रमुख समुद्री जीवन के बारे में भी संकेत देती है। कुछ एम्मोनाइट जीवाश्मों का उपयोग एक विशिष्ट भूवैज्ञानिक काल को परिभाषित करने के लिए भी किया जाता है (सूचक जीवाश्म – index fossils), जो भूवैज्ञानिक घटनाओं के समय निर्धारण में सहायक होता है।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) प्रक्रिया में, पौधे प्रकाश ऊर्जा को किस ऊर्जा रूप में परिवर्तित करते हैं?
- (a) यांत्रिक ऊर्जा
- (b) विद्युत ऊर्जा
- (c) रासायनिक ऊर्जा
- (d) तापीय ऊर्जा
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): प्रकाश संश्लेषण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा हरे पौधे और कुछ अन्य जीव सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके कार्बन डाइऑक्साइड और पानी को ग्लूकोज (एक प्रकार की शर्करा) में परिवर्तित करते हैं, जो ऊर्जा का एक रूप है। इस प्रक्रिया में क्लोरोफिल (chlorophyll) नामक वर्णक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
व्याख्या (Explanation): प्रकाश ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है, जो शर्करा (जैसे ग्लूकोज) के रासायनिक बंधों में संग्रहीत होती है। यह रासायनिक ऊर्जा फिर पौधे के विकास और अन्य चयापचय गतिविधियों के लिए उपयोग की जाती है। यह ऊर्जा रूपांतरण पृथ्वी पर अधिकांश जीवन के लिए ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत है।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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एक जीवाश्म के नमूने में पाए जाने वाले समस्थानिक (isotope) “आयरन-57” (⁵⁷Fe) का क्षय, “आयरन-58” (⁵⁸Fe) में होता है। यह किस प्रकार के रेडियोधर्मी क्षय का उदाहरण है?
- (a) अल्फा क्षय
- (b) बीटा क्षय
- (c) गामा क्षय
- (d) कोई क्षय नहीं, ये स्थिर समस्थानिक हैं
उत्तर: (d)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): समस्थानिक (Isotopes) एक ही तत्व के परमाणु होते हैं जिनमें प्रोटॉन की संख्या समान लेकिन न्यूट्रॉन की संख्या भिन्न होती है। कुछ समस्थानिक अस्थिर (radioactive) होते हैं और क्षय से गुजरते हैं, जबकि अन्य स्थिर (stable) होते हैं।
व्याख्या (Explanation): आयरन-57 (⁵⁷Fe) और आयरन-58 (⁵⁸Fe) आयरन के दो स्थिर समस्थानिक हैं। उनमें न्यूट्रॉन की संख्या भिन्न होती है (⁵⁷Fe में 31 न्यूट्रॉन, ⁵⁸Fe में 32 न्यूट्रॉन), लेकिन वे रेडियोधर्मी क्षय से नहीं गुजरते हैं। जीवाश्मों की आयु निर्धारण के लिए उपयोग किए जाने वाले रेडियोधर्मी समस्थानिक जैसे कार्बन-14, पोटेशियम-40, यूरेनियम-238 आदि अस्थिर होते हैं।
अतः, सही उत्तर (d) है।
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हाइड्रोजन बॉन्डिंग (Hydrogen Bonding) का क्या महत्व है?
- (a) यह परमाणुओं के बीच मजबूत सहसंयोजक बंध (covalent bonds) बनाती है।
- (b) यह पानी के उच्च क्वथनांक (boiling point) और सतह तनाव (surface tension) में योगदान करती है।
- (c) यह धातुओं को उनकी चालकता (conductivity) प्रदान करती है।
- (d) यह आयनिक यौगिकों (ionic compounds) के निर्माण के लिए आवश्यक है।
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): हाइड्रोजन बॉन्डिंग एक प्रकार का कमजोर अंतर-आणविक बल (intermolecular force) है जो तब बनता है जब हाइड्रोजन परमाणु एक अत्यधिक विद्युतीय परमाणु (जैसे ऑक्सीजन, नाइट्रोजन या फ्लोरीन) से जुड़ा होता है और दूसरे विद्युतीय परमाणु के साथ आकर्षित होता है।
व्याख्या (Explanation): पानी के अणुओं के बीच हाइड्रोजन बॉन्डिंग पानी के असामान्य रूप से उच्च क्वथनांक, उच्च विशिष्ट ऊष्मा (specific heat) और उच्च सतह तनाव के लिए जिम्मेदार है। ये गुण जलीय जीवन के लिए आवश्यक हैं। यह सहसंयोजक बंधों की तुलना में बहुत कमजोर है, धातुओं की चालकता से इसका कोई सीधा संबंध नहीं है, और आयनिक यौगिक आयनों के बीच स्थिर विद्युत आकर्षण से बनते हैं।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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यदि किसी जीवाश्म को “डेवोनियन काल” (Devonian Period) का पाया जाता है, तो यह किस युग से संबंधित है?
- (a) मेसोज़ोइक
- (b) सेनोज़ोइक
- (c) पेलियोज़ोइक
- (d) नियोप्रोटीरोज़ोइक (Neoproterozoic)
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): भूवैज्ञानिक समय-मान में, पेलियोज़ोइक युग (लगभग 541 से 252 मिलियन वर्ष पहले) कैम्ब्रियन, ऑडोवियन, सिल्यूरियन, डेवोनियन, कार्बोनिफेरस और पर्मियन काल में विभाजित है। डेवोनियन काल को अक्सर “मछलियों का युग” कहा जाता है।
व्याख्या (Explanation): डेवोनियन काल पेलियोज़ोइक युग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस काल में रीढ़ की हड्डी वाले जीवों (जैसे मछलियों) का महत्वपूर्ण विकास और स्थलीय पौधों का उदय देखा गया। मेसोज़ोइक डायनासोर का युग था, सेनोज़ोइक स्तनधारियों का युग था, और नियोप्रोटीरोज़ोइक इससे बहुत पहले था।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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डीएनए (DNA) की संरचना को “डबल हेलिक्स” (Double Helix) के रूप में किसने वर्णित किया?
- (a) आइजैक न्यूटन
- (b) अल्बर्ट आइंस्टीन
- (c) जेम्स वॉटसन और फ्रांसिस क्रिक
- (d) मैरी क्यूरी
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): आनुवंशिकी (genetics) की समझ में डीएनए की संरचना की खोज एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर थी। जेम्स वॉटसन और फ्रांसिस क्रिक ने Rosalind Franklin के एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफी डेटा का उपयोग करके 1953 में डीएनए के डबल हेलिक्स मॉडल का प्रस्ताव रखा।
व्याख्या (Explanation): वॉटसन और क्रिक के काम ने जीवन के आनुवंशिक कोड को समझने का मार्ग प्रशस्त किया। आइजैक न्यूटन भौतिकी और गणित से जुड़े थे, अल्बर्ट आइंस्टीन सापेक्षता के सिद्धांत के लिए जाने जाते हैं, और मैरी क्यूरी रेडियोधर्मिता पर अपने काम के लिए जानी जाती हैं।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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एक जीवाश्म का उदाहरण जो “सूचक जीवाश्म” (Index Fossil) के रूप में उपयोग किया जा सकता है, वह क्या है?
- (a) एक बहुत सामान्य और व्यापक रूप से पाया जाने वाला जीवाश्म
- (b) एक जीवाश्म जो केवल एक ही प्रकार के वातावरण में पाया जाता है
- (c) एक जीवाश्म जो भौगोलिक रूप से व्यापक और कालानुक्रमिक रूप से संकीर्ण (short-lived) हो
- (d) एक जीवाश्म जो बहुत बड़ा और आसानी से पहचानी जाने वाली हो
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): सूचक जीवाश्म (Index fossils) भूवैज्ञानिकों द्वारा विभिन्न शैलियों (strata) की सापेक्ष आयु निर्धारित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले जीवाश्म हैं। एक अच्छे सूचक जीवाश्म में कुछ विशिष्ट विशेषताएं होनी चाहिए।
व्याख्या (Explanation): एक प्रभावी सूचक जीवाश्म वह होता है जो कई अलग-अलग स्थानों पर पाया जाता है (भौगोलिक रूप से व्यापक) लेकिन केवल एक छोटी भूवैज्ञानिक अवधि के दौरान मौजूद था (कालानुक्रमिक रूप से संकीर्ण)। यह इसे विभिन्न स्थानों पर चट्टानों की आयु का सटीक मिलान करने की अनुमति देता है। केवल सामान्य या केवल बड़े जीवाश्म अच्छे सूचक जीवाश्म नहीं होते हैं।
अतः, सही उत्तर (c) है।
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अम्ल वर्षा (Acid Rain) का मुख्य कारण क्या है?
- (a) कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) का अत्यधिक उत्सर्जन
- (b) सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx)
- (c) मीथेन (CH₄) का उत्सर्जन
- (d) ओजोन (O₃) का क्षरण
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): अम्ल वर्षा तब होती है जब वायुमंडल में सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) जैसी प्रदूषक गैसें पानी, ऑक्सीजन और अन्य रसायनों के साथ प्रतिक्रिया करके सल्फ्यूरिक एसिड (sulfuric acid) और नाइट्रिक एसिड (nitric acid) बनाती हैं।
व्याख्या (Explanation): ये एसिड वर्षा के साथ मिलकर जमीन पर गिरते हैं, जिससे मिट्टी, पानी और इमारतों को नुकसान होता है। कार्बन डाइऑक्साइड पानी के साथ मिलकर कार्बोनिक एसिड (carbonic acid) बनाता है, जो प्राकृतिक रूप से थोड़ा अम्लीय होता है, लेकिन SO₂ और NOx द्वारा उत्पादित अम्ल वर्षा का मुख्य कारण नहीं हैं। मीथेन एक ग्रीनहाउस गैस है, और ओजोन का क्षरण त्वचा कैंसर जैसी समस्याओं से जुड़ा है।
अतः, सही उत्तर (b) है।
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यदि कोई जीवाश्म समुद्र तल पर पाए जाने वाले जीवाश्म से काफी भिन्न है, तो यह किस बात का संकेत हो सकता है?
- (a) केवल उस विशेष जीव का अलग विकास
- (b) एक अलग प्रकार के समुद्री वातावरण या महाद्वीपीय बहाव (continental drift)
- (c) जीवाश्म का गलत वर्गीकरण
- (d) जीव की मौत का कारण
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): समुद्री जीवों का वितरण अक्सर उनके पर्यावरणीय अनुकूलन और भौगोलिक अलगाव से प्रभावित होता है। जीवाश्मों की वितरण श्रृंखला (distribution patterns) में अंतर प्राचीन भूवैज्ञानिक घटनाओं को समझने में मदद कर सकता है।
व्याख्या (Explanation): यदि एक ही प्रकार के जीवाश्म जो आम तौर पर एक विशिष्ट समुद्री वातावरण से जुड़े होते हैं, वे एक पूरी तरह से अलग प्रकार के वातावरण में पाए जाते हैं, तो यह संकेत दे सकता है कि या तो वातावरण में बड़ा बदलाव आया है (जैसे महाद्वीपीय बहाव के कारण) या कि जीवाश्म का प्रारंभिक वातावरण भिन्न था। यह महाद्वीपों की गति या विभिन्न समुद्री पारिस्थितिक तंत्रों के बारे में जानकारी प्रदान कर सकता है।
अतः, सही उत्तर (b) है।