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साक्षात्कार के प्रकार

साक्षात्कार के प्रकार

( Types of Interview )

 

साक्षात्कारों को अनेक भागों में विभाजित किया जाता है । यह वर्गीकरण . सुविधा की दृष्टि से निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है – – –

 

( 1 ) कार्यों के आधार पर वर्गीकरण

( Classification According to Functions )

 ( a ) कारण – परीक्षक साक्षात्कार ( Diagnostic Interview ) – – कारण परीक्षक साक्षात्कार उसे कहते हैं जब अन संधानकर्ता को किसी गम्भीर घटना या समस्या के कारणों का पता लगाना हो । अत : इस साक्षात्कार का मुख्य उद्देश्य समस्या के कारणों की खोज करना है ।

( b ) उपचार साक्षात्कार ( Treatment Interview ) – – अनुसंधानकर्ता समस्या के कारणों का पता लगाने के बाद उसके हल के लिए साक्षात्कार संचालित करता है । वह समस्या के निवारण के लिए सम्बन्धित व्यक्तियों , संस्थाओं औरसंगठनों जैसे डॉक्टर , वकील , न्यायाधीश , शिक्षा संगठन से सम्पर्क स्थापित कर हल ढूढ़ता है ।

 ( c ) अनुसंधान साक्षात्कार ( Research Interviewy . – – गहन तथ्यों का पता लगाने के लिए जो साक्षात्कार प्रायोजित किए जाते हैं उसे अनुसंधान साक्षात्कार कहते हैं । इसके अन्तर्गत व्यक्ति के मनोभावों , मनोवृत्तियों और अभिरुचियों तथा इच्छाओं का पता लगाकर नए सामाजिक तथ्यों की खोज करनी होती है ।

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 ( 2 ) औपचारिकता के आधार पर वर्गीकरण

( Classification According to Formality )

 

( a ) औपचारिक साक्षात्कार ( Forma ) Interview ) – – इस साक्षात्कार को निर्देशित या नियोजित साक्षात्कार भी कहा जाता है इसमें अनुसूची विधि को काम में लाया जाता है । साक्षात्कारकर्ता के पास अनुसूची में दिए गए पूर्वनिर्मित प्रश्न होते हैं जिनके उत्तर वह सूचनादाला से प्राप्त करता है । सूचनादाता द्वारा दिए गए उत्तरों को वह नोट करता जाता है । इस प्रकार के साक्षात्कार में साक्षात्कारकर्ता प्रश्न पूछने में स्वतंत्र नहीं होता है । वह न तो नए प्रश्नों को पूछ सकता है और न नए प्रश्न प्रनमूची में जोड़ सकता है । अत : ऐसा साक्षात्कार नियन्त्रित होता है ।

 

 ( b ) अनौपचारिक साक्षात्कार ( Informal Interview ) – – से साक्षात्कार को अनियन्त्रित साक्षात्कार भी कहा जाता है । इसमें प्रौपचारिक साक्षात्कार की भांति अनुसूची को तैयार नहीं किया जाता । साक्षात्कारकती माक्षात्कारदाना अपने विषय से सम्बन्धित से प्रश्न करता है जो उनका उत्तर वर्णन या कहानी के रूप में सकता है । इसमें घटनाया एवं भावनायों के वर्णन में काफी स्वतंत्रता रहती है । इस वर्णन के आधार पर साक्षात्कारकर्ता अपने निष्कर्ष निकालता है ।

 

 ( 3 ) सूचनादातारों की संख्या के अाधार पर

( Classification on the Basis of Number of Informants )

 

( a ) व्यक्तिगत साक्षात्कार ( Personal Interview ) – व्यक्तिगत साक्षात्कार में एक समय में एक ही व्यक्ति से साक्षात्कार किया जाता है । साक्षात्कारकर्ता , सूचनादाता से प्रश्न करता जाता है और वह उसका उत्तर एक – एक करके देता है । कि एक बार में एक ही व्यक्ति से ग्रामने – सामन वार्तालाप होती है , अत : सूचना दाता की उत्तर देने में भी प्रेरणा मिलती है । लाभ ( Merits ) – व्यक्तिगत साक्षात्कार को बहुत लाभदायक और उपयोगी माना गया है । इसके गुहा संक्षेप में ये हैं – – ( i ) बहुत कुछ विश्वसनीय सूचना प्राप्त हाती है । ( 1 ) इसमें किसी संदेह का स्पष्टीकरण तुरंत कर दिया जाता है । ( 1 ) अनावश्यक प्रश्नों को छोड़कर उपयोगी और आवश्यक प्रश्न पूछे जाते हैं जिनसे अभीष्ट उत्तरों की प्राप्ति होती है । iv ) व्यक्तिगत एवं संवदनशील प्रश्नों के उत्तर पाने की सम्भावना होती है ।

 

 

 ( अ ) उद्देश्यों के आधार पर साक्षात्कार के तीन रूपों की चर्चा की गई है – निदानात्मक साक्षात्कार , उपचारात्मक साक्षात्कार एवं अनुसंधानात्मक साक्षात्कार । ( 1 ) निदानात्मक साक्षात्कार ( Diagnostic Interview ) : जब साक्षात्कार का उद्देश्य किसी सामाजिक घटना व समस्या के कारणों की खोज करना होता है , तो उसे कारणात्मक साक्षात्कार कहा जाता है । जैसे — बाल – अपराध , बेरोजगारी व भ्रष्टाचार आदि समसयाओं के कारणों को जानने के लिए किए गए साक्षात्कार इसी श्रेणी में आते हैं । इसके अन्तर्गत साक्षात्कारकर्ता समस्या के पीछे प्रेरक कारकों को स्पष्ट करता है ।

 ( II ) उपचारात्मक साक्षात्कार ( Treatment Interview ) : जब साक्षात्कार का उद्देश्य किसी समस्या के उपचार से सम्बन्धित सुझावों को प्राप्त करने का होता है , तो उसे उपचारात्मक साक्षात्कार कहा जाता है । सामान्यतया इस प्रकार के साक्षात्कार में किसी समस्या के पीछे छिपे कारणों का पता लगाकर उनके निराकरण का उपाय किया जाता है ।

 ( II ) अनुसंधान साक्षात्कार ( Research Interview ) : जब साक्षात्कार का उद्देश्य सामाजिक जीवन के किसी क्षेत्र से सम्बन्धित नवीन एवं मौलिक ज्ञान प्राप्त करना होता है , तब ऐसे साक्षात्कारों को अनुसंधान साक्षात्कार कहा जाता है ।

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  औपचारिकता के आधार पर साक्षात्कार को दो भागों में बाँटा गया है – औपचारिक साक्षात्कार एवं अनौपचारिक साक्षात्कार ।

( 1 ) औपचारिक साक्षात्कार ( Formal Interview ) : इसमें साक्षात्कारकर्ता पहले से तयार का गइसाक्षात्कार अनुसूचा के आधार पर विधिपूर्वक साक्षात्कार करता है । वह अनुसची के प्रश्नों की भाषा , उनके क्रम आर उनकास भी प्रकार का परिवर्तन करने को स्वतंत्र नहीं होता । इसे नियोजित साक्षात्कार , निर्देशित साक्षात्कार एव सराचत साक्षात्कार आदि नामों से भी जाना जाता है ।

( II ) अनौपचारिक साक्षात्कार ( Informal Interview ) : इसमें पूर्व निर्धारित प्रश्नों की अनुसूची नहा हाता । साक्षात्कारकर्ता ने शोध के उद्देश्य के अनुसार साक्षात्कार के समय ही तत्काल प्रश्नों को बनाने व पूछने का स्वतंत्रता होती है । इसे अनियोजित साक्षात्कार , अनिर्देशित साक्षात्कार एवं असंरचित साक्षात्कार आदि नामों से भी पुकारा जाता है ।

 

  संख्या के आधार पर साक्षात्कार को दो भागों में बाँटा गया है – व्यक्तिगत साक्षात्कार और समूह साक्षात्कार ।

( I ) व्यक्तिगत साक्षात्कार ( Personal Interview ) : जब एक समय में एक ही व्यक्ति से साक्षात्कार किया जाता है , तो उसे व्यक्तिगत साक्षात्कार कहा जाता है । साक्षात्कारकर्ता एवं उत्तरदाता में वार्तालाप होता है और उसके आधार पर सूचना एकत्र की जाती है । साक्षात्कारकर्ता एक के बाद दूसरा प्रश्न पूछता जाता है और उत्तरदाता उत्तर देता चला जाता है । अधिकांश प्रकार के साक्षात्कार इसी रूप में किए जाते हैं ।

 ( II ) समूह साक्षात्कार ( Group Interview ) : जब एक ही समय में एक से अधिक उत्तरदाताओं का एक साथ साक्षात्कार किया जाता है , तो उसे समूह साक्षात्कार कहा जाता है । साक्षात्कारकर्ता एक स्थान पर व्यक्तियों के समूह से मिलता है व प्रश्नों को पूछता है । एक व्यक्ति उत्तर देता है व अन्य व्यक्ति उसका अनुमोदन करते हैं या उसके विरोध में तथ्य रखते हैं । इस प्रकार एक वाद – विवाद सभा का स्वरूप बन जाता है । इसी से साक्षात्कारकर्ता सूचनाओं को प्राप्त करता है ।

 

  अध्ययन पद्धति के आधार पर साक्षात्कार को तीन भागों में बाँटा गया है – गैर – निर्देशित साक्षात्कार , केन्द्रित साक्षात्कार और पुनरावृत्ति साक्षात्कार ।

( 1 ) गैर – निर्देशित साक्षात्कार ( Non – Directive Interview ) : इसमें कोई साक्षात्कार अनुसूची नहीं होती । साक्षात्कारकर्ता अनुसंधान उद्देश्य के अनुसार प्रश्नों को पूछने के लिए स्वतंत्र होता है । यह किसी प्रश्न को उत्तरदाता के सम्मुख रखता है । उत्तरदाता प्रश्न का उत्तर संक्षिप्त विवरण के रूप में , स्वतंत्रतापूर्वक प्रस्तुत करता है । ऐसा साक्षात्कार मनोवैज्ञानिक अध्ययनों या एकल विषय अध्ययनों के लिए विशेष रूप से उपयोगी रहता है । इसे असंचालित साक्षात्कार ( Un – Controlled Interview ) या अव्यवस्थित साक्षात्कार ( Unguided Interview ) भी कहा जाता है ।

 ( II ) केन्द्रित साक्षात्कार ( Focussed Interview ) : इसका सर्वप्रथम प्रयोग आर० के० मर्टन ( R . K . Merton ) एव पा० केन्डाल ( P . Kendall ) ने 1946 में किया था । केन्द्रित साक्षात्कार का प्रयोग उन्हीं व्यक्तियों पर किया जाता है जो किसा निश्चित घटना या परिस्थिति में सहभागी रह चके हों । जैसे – किसी फिल्म के प्रभाव को जानने के लिए इसमें साक्षात्कार के लिए उन्हीं व्यक्तियों को चना जाता है जिन्होंने उस फिल्म को देखा है । तत्पश्चात् ऐसे चुने हुए व्यक्तिया के ध्यान को फिल्म के उस पक्ष पर केन्द्रित कर सूचनाएं प्राप्त की जाती है ।

पात साक्षात्कार ( Repeated Interview ) : इसके अन्तर्गत एक से अधिक बार समान समूह या मा का साक्षात्कार किया जाता है । सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया एवं प्रवत्ति विश्लेषण के लिए एक से आधक समय का तथ्य – सकलन करना होता है , जिससे विभिन्न कालों में चल रही प्रक्रिया एव प्रवृत्ति का स्पष्ट किया मर्टन , फिस्क एवं केंडल ( Merton , Fiske and Kendall ) ने इस वाध प्रभाव के अध्ययन के लिए किया । Ton , Fiske and Kendall ) ने इस विधि का सर्वप्रथम उपयोग जनसंचार के साधनों के

इस प्रकार सम्पक का अवधि के आधार पर साक्षात्कार को दो भागों में बांटा गया है –

अल्पावधि साक्षात्कार ( Short Duration Interview ) एवं दीर्घावधि साक्षात्कार ( Long Duration Interview ) । सूचनादाता सस साक्षात्कार के दो रूप हैं – प्रत्यक्ष साक्षात्कार ( Direct Interview ) एवं अप्रत्यक्ष साक्षात्कार

 

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